मौसेरी भाभी की प्यास

प्रेषक : राहुल सेठ

मेरा नाम राहुल सेठ है, कानपूर का रहने वाला हूँ, मेरे लंड का आकार ७.२ इंच का है। मैं सांवला हूँ और शरीर से हृष्ट-पुष्ट हूँ। हमारे परिवार में मेरे अलावा सिर्फ मम्मी-पापा ही हैं। मैं कानपूर कंप्यूटर खाता-बही का काम करता हूँ।
यह मेरे जीवन की सच्ची कहानी है। आप इसे कोई मनघड़न्त कहानी मत समझना।
मैं तब ग्रेजुएशन के प्रथम वर्ष में था। मेरे मौसेरे भाई और भाभी कानपूर में हमारे साथ रहते थे। तब मेरी भाभी (मौसी के लड़के की पत्नी) की इच्छा कानपूर घूमने की हुई। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हमारी और भाभी की अच्छी दोस्ती थी। वह हमेशा उदास रहती थीं, पर मुझे बताती नहीं थीं।
वो मम्मी के सभी काम में मदद करती थीं। लेकिन मेरे भाई बहुत कंजूस है जो भाभी को कभी घुमाने नहीं ले जाते थे।
एक दिन की बात है रविवार की छुट्टी थी, भाभी ने कहा- कहीं घूमने चलें।
मैंने आपको बताया है कि वो बहुत कंजूस हैं, तो भाई ने कहा- मुझे नहीं जाना है।
उनके मना करने पर भाभी उदास हो गईं, मैंने देखा भाभी उदास सी बैठी थीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कुछ नहीं बताया, मैंने कहा- आपको मेरी कसम… आप बताओ।
वो रोने लगीं और कहा- तुम्हारे भाई से कहीं घूमने चलने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया!
मैंने कहा- बस.. इतनी सी बात… आप मत रोओ.. मैं आपको ले चलता हूँ।
मैंने भाभी को तैयार कर लिया, पर उन्होंने कहा- एक बार अपने भाई से पूछ लो!
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने भाई से पूछा, उन्होंने कहा- ठीक है जाओ, मैंने मना कब किया.. जाओ!
आप तो जानते हो कि वो बहुत कंजूस हैं, वो मना नहीं कर सकते और मैं उनको ले कर फिल्म देखने चले गया। हम लोग ‘कार्निवल सिनेमा’ फिल्म हाल चले गए। वहाँ पर ‘भाभी की जवानी’ फिल्म लगी हुई थी। हम लोग को एक किनारे की सीट मिल गई थी। जब हम फिल्म देखने गए, उस दिन भीड़ कम थी। फिल्म चालू हो गई, तब भी वो उदास थी। मेरा ध्यान फिल्म पर कम था, उन पर ज्यादा था। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने भाभी से पूछा- आप उदास क्यों हो ? वो नहीं बता रही थीं, पर मैंने अपनी कसम दी तो उन्होंने कहा- आप मेरे देवर के साथ एक अच्छे दोस्त भी हो, मैं आपको सब बताती हूँ..! हमारी के तीन साल हो गए हैं, पर मेरे एक भी बच्चा नहीं है।
मैं आप को बता दूँ कि मैंने कभी भी उनको गलत नज़र से नहीं देखा था।
उनकी बात सुन कर मैंने कहा- हो जाएगा.. भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं है!
थोड़ी देर वो चुप रहीं फिर बोलीं- मैं आपसे एक चीज मांगूँ, आप मना तो नहीं करोगे?
मैंने कहा- सब आप का है.. बोलो!
उन्होंने कहा- पक्का.. आप मना नहीं करोगे?
मैंने कहा- वादा.. मैं मना नहीं करूँगा!
वो बोली- मुझे एक बच्चा चाहिए..!
मैंने कहा- वो तो भैया देंगे..
पर उन्होंने कहा- मुझे आपसे चाहिए।
मैं तो हैरान हो गया, मैंने कहा- आप पागल हो क्या… आप मेरी भाभी हो.. यह नहीं हो सकता।
पर वो रोने लगीं, मैं उन्हें चुप करा रहा था। मेरा हाथ उनकी चूची पर चला गया, वह कुछ नहीं बोली, मैं चुपचाप बैठ गया। थोड़ी देर बाद उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैंने कुछ नहीं बोला। मैं भी एक जवान लड़का था, कब तक शान्त रहता। मैंने उनको ‘हाँ’ बोल दिया, वह ख़ुशी के मारे मेरे गले से लग गई। मैं आप को बता देना चाहता हूँ शायद भगवान ने उसे मेरे लिए ही बनाया था। उनका शरीर 38-30-36 का था। मैं उनको वहीं पर अपने होंठों को उनके होंठों से सटा कर चूमने लगा। लगभग दस मिनट तक चूमने के बाद हम लोग फिल्म में से ध्यान हटा कर अपनी फिल्म बनाने में लग गए। मैं उसका बोबा दबाने लगा, वह मेरा साथ देने लगी।
मैंने कहा- यहाँ पर ज्यादा नहीं हो सकता.. घर चलते हैं।
फिर हम इंटरवल में फिल्म हाल से बाहर आ गए।
मैंने कहा- किसी होटल में चलते हैं!
वो मान गई। हमने होटल में जाकर कमरा बुक किया।
कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा बंद किया और अपनी भाभी को चूमने लगा और वह मेरा साथ देने लगी। हम दो मिनट में अपना होश खोने लगे।
मैंने फिर उनकी साड़ी, साया, ब्लाउज, ब्रा खोल दिया, वो पैन्टी नहीं पहनती थी।
मैं उनको बिना कपड़ों के देख कर पागल हो गया।
वो किसी कयामत से कम नहीं लग रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उनकी चूची को पागलों की तरह चूसने लगा, उनको मजा आ रहा था। वह मदहोश होने लगी। फिर वो मेरे कपड़े खोलने लगी। मेरी टी-शर्ट उतारते ही बोली- क्या बॉडी है..! क्योंकि मैं जिम जाता था। उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, हम दोनों बिल्कुल नंगे थे और मेरा लंड एकदम तना हुआ था। मेरी भाभी बोली- इतना लम्बा और मोटा… और तुम्हारे भाई का बहुत छोटा और पतला है! हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। वो मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, तक़रीबन 15 मिनट तक चूसती रही। मैंने कहा- बस..करो.. मैं झड़ जाऊँगा! फिर मैंने उनकी चूत पर हाथ लगाया उनकी चूत गीली हो गई थी। उन्होंने कहा- देर मत करो.. मेरी चूत में अपना मूसल डालो और इस चूत की आग को शान्त करो। मैंने देर न करते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रख दिया, पर अन्दर नहीं जा रहा था। जबकि शादी हुए तीन साल हो गए थे और वो एक कच्ची कली की तरह थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  मैंने धीरे-धीरे लंड को चूत में पेल रहा था, पर उसकी आखें बंद हो गई थीं। मैंने एक धक्का लगाया तो आधा लंड चूत में चला गया, वो जोर से चिल्लाई ‘आ..आह…’ और आखों से आँसू आने लगे। मैं थोड़ा रुका और एक जोरदार धक्का लगाया इस बार उसकी आवाज पूरे कमरे गूँज गई। मैंने तुरंत अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए। मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करता रहा, जब दर्द कम हुआ तो वह कमर उठाकर मेरा साथ देने लगी। वह मजे के साथ मेरे लंड का मजा ले रही थी। उनकी चूत गीली होने के कारण पूरे कमरे में ‘पच-पच’ की आवाज गूंज रही थी, वह कामुक आवाजें निकाल रही थी ‘आ…आ …ऊ … ऊ…ई…ई…’ बहुत मधुर लग रहा था। भाभी ने कहा- मुझे इन 3 सालों में इतना मजा नहीं आया। यहाँ खेल 15 मिनट तक चला उनका शरीर अकड़ने लगा वह झड़ गई और शान्त पड़ी रही मैंने अपनी स्पीड तेज की और मैं भी अगले 2 मिनट में ही अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और उसके ऊपर लेट गया। कुछ देर ऐसे ही पड़ा रहा फिर हमने कपड़े पहने और घर पर आ गए। भाई ने पूछा- फिल्म कैसी थी? हम दोनों ने कहा- अच्छी थी.. बहुत मजा आया। फिर हमें जब भी मौका मिलता, चुदाई करते थे। आपके ईमेल का बेसब्री से इन्तजार रहेगा। मेरी ईमेल ID [email protected] है |

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