प्यारे मस्ताराम के पाठको आज एक एसी सच्ची कहानी मै लिख रहा हूँ दोस्तों वो बरसात के दिन थे और मैं कॉलेज से जल्दी वापिस आ गया, जब मैं घर पाहूंचा तो रोज की तरह आज भी मैं गेट लॉक था क्योंकी मेरी छोटी बहन स्कूल से दोपहर को वापिस आ आती थी और उस वक़्त 11 बजे थे. मैंने की से मेन गेट खोला और मेन दरवाजे से गुज़रता हुआ अपने रूम की तरफ जा रहा था कि मुझे नम्रता के कमरे का दरवाज़ा खुला नज़र आया मैं ने अंदर देखा तो नम्रता सोई हुई थी | मैं हैरान था कि आज नम्रता स्कूल क्यूँ नही गयी? लेकिन फिर मुझे खुद ही यह ख़याल आया की आज बरसात की वजह से स्कूल में छुट्टी हो गयी हो गी. मैंने नम्रता की तरफ देखा वो सोते हुए बुहुत मासूम लग रही थी. मैं ने उसे जगाना मुनासिब ना समझा और अपने रूम में आ गया, बाथ लिया, शॉर्ट्स पहने और फिर नेट लगा के बैठ गया और मस्ताराम पर कहानी पढने लगा | उस वक़्त मैं एक रिलेटिव के साथ चुदाई की स्टोरी पढ़ रहा था और जैसे जैसे मैं पढ़ता जा रहा था मेरा लंड खड़ा होता जा रहा था.
मेरे दिमाग़ में मेरी छोटी बहन नम्रता की तस्वीर नजर आ रही थी जो अपने बेडरूम में सोई हुई थी. मैं आप’को हमारे घर के बारे में बता दूँ. यह आज से 2 साल पह’ले का वाकिया है. मेरा नाम विनय और उमर उस समय 19 साल की थी.तब नम्रता की उमर यही कोई १९ साल होगी,(अब नम्रता 20 साल की हो चुकी है). मेरी मम्मी और पापा 5 दिन के लिए रिस्तेदारी में गये हुए थे.
नम्रता की बिल्कुल गोरी और सफेद रंगत, काले बाल सियाह आँखे, छोटे छोटे बूब्स और दरमियाना गांड है. मेरे दिमाग़ में एक सोच आई कि क्यू ना अपनी बहन के जिस्म का मज़ा चखा जाए और यह सोच कर मैं अपनी छोटी बहन के कमरे में चला गया. वो उस वक़्त भी सो रही थी और उस के पेट पर से क़मीज़ हटी हुई थी और उसका गोरा पैट नज़र आ रहा था जिसे देख कर मेरा लंड झटके मारने लगा.
मैं नम्रता के बेड पर बैठ गया, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था, आख़िर कार मैं ने उस के पेट पर हाथ रख दिया, वाउ कितना गर्म पेट था उस का छ्होटा सा लैकिन चिकना फिर मैं ने अपने दूसरे हाथ को उस के गालो पर फेरना शुरू किया मगर वो नही जगी तो मैं ने पेट पर हाथ फेरते फेरते अपनी बहन की क़मीज़ ऊपर उठाके उस के मम्मे नंगे कर दिए वाउ क्या सीन था! टेबल टेन्निस की बाल जितना बूब जिस पर हल्का ब्राउन सा निपल उभरा हुआ था. वाउ मैं तो पागल हो गया. मेरी बहन नम्रता ज़रा सी हिली तो मैं ने फ़ौरन हाथ पीछे हटा लिए, लैकिन वो जगी नही थी.
मैं ने अपना एक हाथ उस के मम्मे पर रख दिया उफफफ्फ़ यह कित’ना कड़ा था, कुछ देर अपनी छोटी बहन के मम्मे से खेलने के बाद मैं ने अपना दूसरा हाथ उस की ग्रीन फूलों वाली शलवार में डाला ओह मेरी छोटी बहन की शलवार में अज़रबन्द की बजाए एलास्टिक था. मैं ने आहिस्ता से उस की शलवार थोड़ी सी नीचे कर दी… मेरा दिल सीने से बाहर आने वाला था नम्रता की नन्ही मुन्नी चूत बेहद हसीन थी उस पर हल्का हल्का ब्राउन कलर का दाना था. मैं ने नम्रता की चूत को देखा तो पागल सा हो गया और झुक कर उस पर अपनी ज़ुबान रख दी. नम्रता ने अपनी टाँगे पीछे घसीटी और उठ कर बैठ गई मैं भी पीछे हट गया. नम्रता ने मुझे देखा और सब से पहले अपनी शलवार ऊपर की और कहने लगी
भाई जान आप क्या कर रहे हैं? मैं ने कहा. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मेरी बहन मैं तुम से प्यार कर रहा हूँ, वो कहने लगी. भाई आप को शर्म आनी चाहिए मैं आप की छोटी बहन हूँ और आप मेरे साथ ऐसी हरकते कर रहे हैं. मैं ने नम्रता को बाज़ू से पकड़ा और कहा,
बहना देखो मैं तुम से प्यार करना चाहता हूँ… वो रोने लगी.
छोड़ो मुझे भाई. क्या हर भाई अपनी बहन को ऐसे करता है? मैं ने कहा,
मैं नहीं जानता. लैकिन बहुत से भाई कामो वेश अपनी बहनों के बारे में ऐसे ख़यालात रखते हैं और उन में से बहुत से अपने ख़यालों को हक़ीक़त भी बना लेते हैं.
लेकिन नम्रता मान कर ही नही दे रही थी वो चिल्लाने लगी बचाओ… बचाओ… बचाओ… मैं ने उस के मुँह पर हाथ रखा और दूसरे हाथ से उस की शलवार नीचे कर दी. वो चीखने की कोशिश कर रही थी मगर मैं ने उस का मुँह अपने हाथ से दबाया हुआ था, मगर नम्रता ने मेरे हाथ पर काट लिया और मैं ने दर्द के मारे उस के मुँह से हाथ हटा लिया और वो बचाओ बचाओ चीखते हुए कमरे से बाहर भागी… मैं उस के पीछे बाहर भगा. कॉरिडर में निकला तो मैं ने देखा कि हमारा चोकीदार बेचुलाल नम्रता के सर पर हाथ फेर रहा था और गुस्से से मेरी तरफ देख रहा था उस ने मुझे देखते ही कहा. सूअर शैतान अपनी मासूम बहन को चोदना चाहता है? तुम को शर्म नही आती. लानत है तुम पर, बेचुलाल ने मुझे धमकी दी कि वो मेरे माँ बाप को बताएगा और अगर मैं ने नम्रता को हाथ भी लगाया तो वो मुझे शूट कर दे गा मैं बेचुलाल की धमकी से डर गया वो 30-35 साल का एक हॅटा कटा अहीर था. उस ने नम्रता को गोद में उठा लिया और कहने लगा,
बेटी तुम फिकर मत करो यह शैतान अब तुम्हे हाथ भी नही लगा सकता. और नम्रता को उस के कमरे में ले आया और मुझे भी आवाज़ दी कि इधर आओ. मैं डर रहा था मगर अंदर गया. बेचुलाल ने नम्रता को गोद में उठाया हुआ था क्योंकी नम्रता उसे अंकल कहती थी और वो थी भी एक १७ साल की मासूम बच्ची. नम्रता अब हिचकियाँ ले रही थी और उसे बेचुलाल ने गोद में बिठाया हुआ था और खुद नम्रता के बेड पर बैठा हुआ था. उस ने मुझे कहा इधर आओ और साथ ही आँख मार दी. मैं तो हैरान रह गया… मैं बेचुलाल के पास गया उस ने कहा कि,
गॅंडू अपना जंगिया (शॉर्ट्स) उतारो. मैं समझा वो मेरी गांड मारेगा लैकिन मैं ने डरते हुए शलवार उतार दी नम्रता हिचकियाँ लेटे हुए मेरी तरफ देख रही थी और मेरे लंड को जो अब दोबारा खड़ा हो रहा था, कि तरफ देख रही थी कि अचानक बेचुलाल ने मुझे कहा, गांडू के बच्चे तुम को कुछ नही पता की कैसे करते हैं, यह कह कर उस ने अपनी शलवार के नाले में हाथ डाला और अपनी शलवार में से नाला निकाल लिया, नम्रता हैरान थी कि अंकल गुल यह क्या करने वाले हैं. बेचुलाल ने अचानक नम्रता के बाज़ू उस की कमर के पीछे किए और अपने नाले/ अज़रबंद से मेरी छोटी बहन के हाथ बाँधने लगा.
मैं हैरान था कि और खुश भी की बेचुलाल भी मेरा साथी बन गया हे लैकिन मेरी बहन नम्रता मचलने लगी और दोबारा चीखने लगी तो बेचुलाल ने एक ज़ोरदार थप्पर मेरी मासूम बहन के मुँह पर मारा कि नम्रता के मुँह में से खून बहने लगा. उस का गाल अंदर से फॅट गया था. फिर बेचुलाल ने मेरी बहन को उठा कर बेड पर लिटाया और उस के पेट पर से अपनी टाँग ऐसे गुज़ारी कि नम्रता का बदन उस की टाँग का नीचे दब गया, अब वो हिल भी नही सकती थी. नम्रता के हाथ उस की कमर पर बँधे हुए थे. फिर बेचुलाल ने मुझे इशारा किया और कहा,
लो अब आओ और मज़ा करो और हम को भी मज़ा लैने दो. मेरी खुशी की कोई इंतेहा नही थी मैं अपनी बहन के पास आया और उस के क्यूट से चेहरे को हाथों में लिया और उस के होन्ट चूसने लगा. नम्रता चीख रही थी.
कुत्तो हरमजादो छोड़ दो मुझे… भेया मैं तुम्हारी सग़ी बहन हूँ अपनी छोटी बहन से ऐसा कर रहे हैं आप… भाई जान मैं मर जाऊं गी मेरी इज़्ज़त ना लूटो भाई जान मुझे छोड़ दें. मगर कौन सुनता उस की बकवास उस वक़्त. मैं ने बेचुलाल की तरफ देखा तो उस ने खुद को कपड़ो के तकल्लूफत से विनय करवा लिया था और उस का 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड 90 के आंगल पर खड़ा था, वो मुस्कुरा रहा था. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
मैं ने नम्रता की तकलीफ़ का सोचा तो मुझे झुरजूरी आ गयी कि मेरी मासूम कुँवारी बहन के साथ क्या होने वाला है जब यह दरिन्दा उसे चोदे गा तो क्या हो गा. मगर मैं ने यह फज़ूल बातें सोचने में वक़्त ज़ाया नही किया और अपनी छोटी बहन की शलवार खेंच कर उतार ली. वाउ उस की नन्ही मुन्नी चूत हल्के हल्के ब्राउन रूवे के साथ इंताई खूबसूरत लग रही थी. ईतने में नम्रता जो हिचकियाँ ले रही थी उस ने दोबारा ज़ोर से चीखना और रोना शुरू कर दिया.
बचाओ… बचाओ… मुझे बचा लो मम्मी जी… पापा मुझे बचाएँ मम्मी! लेकिन उस की यह आवाज़े उस के हलक़ में ही दब गयीं क्योंकि मैं ने उस की शलवार उठा कर उस का गोला बनाया और उस के मुँह में डाल दिया अब उस के मुँह से घ्ह्ह्ह्ह…गग्ग्ग….ग….ग..घह….ऊओ ण्न्न्न्न्घ्ह्ह्ह की आवाज़े आ रही थीं. फिर मैं ने उस की क़मीज़ का गिरेबान दोनों हाथों से पकड़ा और एक झटके से फार डाला. अब नम्रता हम दोनों के बीच बिल’कुल नंगी थी.
मैं फ़ौरन नम्रता के मम्मो से खेल’ने लगा. पह’ले सहलाते रहा फिर दबाने लगा. फिर मैने अप’नी छोटी बहन के छोटे छोटे मम्मे बारी बारी से बड़े प्यार से चूसे. नम्रता छट’पटा रही थी. मूँ’ह में सलवार ठूँसा हुवा होने की वजह से उस’की आवाज़ बाहर नहीं आ रही थी. बेचुलाल भी नम्रता की कमसिन चूत की पुट्तियाँ खोलने लगा था. वह दोनों हाथों से चूत फैला रहा था. कुछ देर बाद उस’ने चूत में अंगुल डाल’नी शुरू कर दी. फिर बोला,
अबे साले अब चूसना छोड़ और चोद अप’नी बहन को. फिर मुझे भी चोद’ना है, देख’ता नहीं कब से खड़ा है. बेचुलाल ने मुझे अप’ना 10″ का खड़ा लंड दिखाया. मैं फ़ौरन नम्रता की टाँगों के बीच में आ गया और अप’ना 7″ के करीब लंड को बहन की चूत के ऊपर टिका दिया. बेचुलाल ने अंगुल कर’के नम्रता की चूत खोल दी थी फिर भी मैने बेचुलाल की तरफ देखा, गांडू कहीं के धक्का मार के ठेल दे अंदर. इतना सुनते ही मैने एक ज़ोर का धक्का मार दिया और मेरा आधा लंड नम्रता की चूत में घुस गया. नम्रता ज़ोर से बिस्तर पर उछली. वह तो बेचुलाल ने उस’के मूँ’ह पर हाथ रखा हुवा था, वरना उस’की चीख सारे मुहल्ले में सुनाई दे जाती. मुझे बहन की टाइट चूत में लंड पेलने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैने यह परवाह नहीं की कि उसे कित’ना दर्द हो रहा होगा और लंड बाहर खींच खींच के 4 – 5 और तग’डे धक्के उस’की चूत में लगा दिए. मेरा पूरा लंड चूत में घुस गया था. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |फिर तो मैने बहन की ताबड तोड़ चुदाई शुरू कर दी. मैं लंड बाहर खींच खींच के अंदर घुसा रहा था. हर धक्के के साथ लंड ‘छप’ ‘छप’ कर’ता हुवा बहन की फुददी में जा रहा था. मैं लग’भग 5 मिनिट तक उसे चोद’ता रहा और उस’के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया. कुछ ही देर में मैं सुस्त होके बहन के ऊपर से हट गया. तभी मैने नम्रता की चूत की तरफ देखा तो उस’की चूत के इराद गिरद खून जमा पड़ा था और चूत बूरी तरह खून और मेरे रस से लत’पथ थी. मेरा रस अभी भी उस’की चूत से बह रहा था. बेचुलाल ने यह देखा तो बोला, साले तुम’ने अप’नी बहन की चूत फाड़ दी. ऐसे चोदा जाता है. देख इस’के तो खून आ गया. नम्रता के मूँ’ह से गों गों की घुटी घुटी आवाज़ें आ रही थी. बेचुलाल ने नम्रता को अप’नी गोद में बैठ लिया और उस’के सर पे हाथ फेर’ते हुए उसे प्यार कर’ने लगा. फिर वह उस’के गालों की चुम्मियाँ लेने लगा. अब उस’ने नम्रता के मुँह से कप’डा निकाल दिया. नम्रता ने पह’ले तो हिच’कियाँ ली फिर रोने लगी.
विनय तुम’ने यह अच्च्छा काम नहीं किया. कल जब सब’को यह बात मालूम पड़ेगी तो तुम्हें तो पोलीस पकड़ के ले जाएगी और तुम्हारा खानदान बदनाम हो जाएगा. बेचुलाल नम्रता की चूचियों को हल्के हल्के सह’लाते बोला.
क्या कह’ते हो मैं अकेला थोड़े ही था तुम भी तो साथ थे. मैने घबराई आवाज़ में कहा.
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