प्रेषक: सिद्धार्थ
दोस्तों मेरा नाम सिद्धार्थ चौहान है मेरी उम्र २४ वर्ष लम्बाई ५.८ फिट है आज मैं अपने जिन्दगी के एक सेक्स अनुभव को आपको बताने जा रहा हूँ तब मेरी उम्र १८ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीड़ा भड़क रहा था मेरी छुटि्टयाँ चल रही थी हमारे घर के सामने वाले घर में एक लड़की रहती है उसका नाम शशिरेखा है हम दोनों बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं इस बार मैं घर दो सालों के बाद आया था मतलब की हम दोनों पूरे दो सालों के बाद मिले थे और अब वह पहले वाली शशिरेखा नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गई थी उसके अट्ठारह वर्ष के भरपूर जिस्म ने मेरे अन्दर की आग को और भड़का दिया था उसके स्तन काफी बड़े थे वो उसकी टाईट टी-शर्ट में बिल्कुल गोल दिखते थे जिन्हें देखकर उन्हें हाथ में पकड़ने को जी चाहता था वह अकसर शार्ट-ड्रेस पहना करती थी बचपन में मैंने बहुत बार खेलते हुए शशिरेखा के स्तनों को देखा था जो कि शुरू से ही आम लड़कियों के स्तनों से बड़े थे और कभी कभी छू भी लेता था लेकिन मेरा मन हमेशा उनको अच्छी तरह दबाने को करता रहता था लेकिन मुझे डर लगता था कि कहीं वो अपने घर वालों न बता दे क्योंकि मेरी उसके बड़े भाई के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती थी वो शशिरेखा को भी मेरे साथ न बोलने के लिये कहता रहता था लेकिन शशिरेखा हमेशा मेरी तरफ ही होती थी लेकिन अब शशिरेखा बड़ी हो चुकी थी और जवानी उसके शरीर से भरपूर दिखने लगी थी मैं उसको चोदने के लिये और भी बेकरार हो रहा था लेकिन अब वह पहले की तरह मेरे साथ पेश नहीं आती थी ऐसा मुझे इस लिये लगा क्योंकि वो मेरे ज्यादा पास नहीं आती थी दूर से ही मुस्करा देती थी लेकिन एक दिन मेरी किस्मत का सितारा चमका और मैंने पहली बार ऐसा दृश्य देखा था उस दिन मैं तकरीबन 11 बजे सुबह अपनी छत पर धूप में बैठने के लिये गया क्योंकि उन दिनों सर्दियां थी मैं अपनी सबसे ऊपर वाली छत पर जा कर कुरसी पर बैठ गया वहाँ से सामने शशिरेखा के घर की छत बिलकुल साफ दिख रही थी मैं सोच रहा था कि शशिरेखा तो स्कूल गई होगी लेकिन तभी मैंने नीचे शशिरेखा की आवाज सुनी मैंने नीचे देखा- शशिरेखा के मम्मी पापा कहीं बाहर जा रहे थे थोड़ देर बाद शशिरेखा अन्दर चली गई मैं सोच रहा था कि आज अच्छा मौका है और मैं नीचे जाकर शशिरेखा को फोन करने के बारे में सोच ही रहा था कि मैंने देखा शशिरेखा अपनी छत पर आ गई थी मैं उसको छुप कर देखने लगा क्योंकि मैं शशिरेखा को नहीं दिख रहा था उस दिन शशिरेखा ने शर्ट और पज़ामा पहन रखे थे और ऊपर से जैकिट पहन रखी थी वह अभी नहाई नहीं थी तभी उसने धूप तेज होने के वजह से जैकिट उतार दी और कुरसी पर बैठ गई उसने अपनी टांगें सामने पड़े बैड पर रख ली और पीछे को हो कर आराम से बैठ गई जिसकी वजह से उस के बड़े बड़े वक्ष बाहर की तरफ उभर आए थे मेरा दिल उनको चूसने को कर रहा था और मैं बड़े गौर से उसके शरीर को देख रहा था तभी अचानक शशिरेखा अपने स्तनों की तरफ देखने लगी और उन्हें अपने हाथ से ठीक करने लगी उसके चारों तरफ ऊंची दीवार थी इसलिये उसने सोचा भी नहीं होगा कि उसको कोई देख रहा है उसी वक्त उसने अपनी शर्ट के ऊपर वाले दो बटन खोल दिये मेरे को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं यह सब देख रहा हूं मैंने अपने आप को थोड़ा संभाला लेकिन तब मैं अपने लण्ड को खड़ा होने से नहीं रोक पाया जब मैंने देखा कि उसने नीचे ब्रा नहीं डाला हुआ था और आधे से ज्यादा बूब्स शर्ट के बाहर थे मैंने अपने लण्ड को बाहर निकाला और शशिरेखा के नाम की मुठ मारने लगा जब मैंने फिर देखा तो शशिरेखा का एक हाथ शर्ट के अन्दर था और अपने एक मुम्मे को दबा रही थी और आंखे बन्द कर के मज़े ले रही थी तभी उस ने एक मुम्मे को बिल्कुल शर्ट के बाहर निकाल लिया जो कि बिलकुल बड़े बड़े, गोल- गोल और बहुत ही गोरे रंग का था | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसका चूचुक बहुत ही बड़ा था जो कि उस समय तना हुआ था और हलके भूरे रंग का था मैं यह सब देख कर बहुत ही उतेजित हो रहा था और अपनी मुठ मार रहा था तभी उसने अपनी शर्ट का एक बटन और खोल दिया और अपने दोनों स्तन बाहर निकाल लिए फिर वो अपने दोनों हाथों की उंगलियों से चूचुकों को पकड़ कर अच्छी तरह मसलने लगी काफी देर तक वो अपने वक्ष को अच्छी तरह दबाती रही थोड़ी देर बाद वह कुर्सी से उठी और बैड पर लेट गई एक हाथ से उसने अपने स्तन दबाने शुरू कर दिए और दूसरा हाथ उसने अपने पजामे में डाल लिया और अपनी चूत को रगड़ने लगी अब उसको और भी मस्ती चढ़ने लगी थी और वह अपनी गांड को भी ऊपर नीचे करने लगी थी मैं अभी सोच ही रहा था कि खड़ा हो कर उसको दिखा दूं कि मैं उसको देख रहा हूं तभी मेरा हाथ में ही छुट गया और मैं अपने लण्ड को कपड़े से साफ करने लगा जब मैंने फिर देखा तब तक शशिरेखा खड़ी हो गई थी लेकिन उसके स्तन अभी भी बाहर ही थे और वो वैसे ही नीचे चली गई लेकिन फिर भी मैं बहुत खुश था लेकिन फिर मेरे को लगा कि मैंने शशिरेखा को चोदने का मौका गंवा दिया मुझे खड़ा हो जाना चाहिए था, ऐसा करना था वैसा करना था तभी मेरे दिमाग में एक विचार आया और मैं जल्दी से नीचे गया और शशिरेखा के घर फोन किया पहले तो वह मेरी आवाज सुन कर थोड़ी हैरान हुई क्योंकि फोन पर हमारी ऐसे कभी बात नहीं हुई थी लेकिन वह बहुत खुश थी मैं उससे सेक्स के बारे में कोई भी बात नहीं कर सका, इधर उधर की बातें करता रहा उस दिन हमने 2 घण्टे बातें की और फिर उसका भाई आ गया था शाम को उसने मुझे फिर फोन किया और हमने 1 घण्टा बातें की और फिर रोजाना हमारी फोन पर बातें होने लगी घर पर भी अकसर आमने सामने हमारी बातें हो जाती थी छत पर भी हम एक दूसरे को काफी काफी देर देखते रहते थे लेकिन मुझे उसके भाई से बहुत डर लगता था, इसलिए जब वह घर पर होता था मैं शशिरेखा से दूर ही रहता था एक बार उसके भाई की वजह से हमारी पूरे दो दिन बात नहीं हुई और हम दोनों बहुत परेशान थे हम छत पर भी नहीं मिल पाए विशाल ने उसको हमारे घर भी नहीं आने दिया मैं पूरा दिन बहुत परेशान रहा क्योंकि शशिरेखा मुझे सिर्फ एक बार दिखी थी और हमारी बात भी नहीं हुई थी रात के 9 बज चुके थे मैं बैठा शशिरेखा के बारे में सोच रहा था तभी बाहर की घण्टी बजी जब मैंने गेट खोला तो देखा बाहर शशिरेखा खड़ी थी उसने मुझसे सिर्फ यह कहा,”आज रात साढ़े बारह मैं फोन करूंगी ! सिद्धार्थ , मेरा मन नहीं लग रहा है | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | और वापस चली गई मैं एक दम से हैरान रह गया मुझे विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन मैं बहुत खुश था पहली बार किसी से रात को बात करनी थी गेट बन्द करके अन्दर गया और मम्मी से कहा पता नहीं कौन था? घण्टी बजा कर भाग गया 11 बजे सभी सो गए, लेकिन मुझे नींद कैसे आ सकती थी मैंने दूसरे फोन की तार निकाल दी थी और अपने कमरे वाले फोन की रिंग बिल्कुल धीमी कर दी थी, कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लिया था तकरीबन 12.35 पर फोन आया शशिरेखा बहुत ही धीमे स्वर में बोल रही थी उसने बताया,”विशाल ने हम दोनों को बात करते हुए देख लिया था इसलिए उसने मुझे तुमसे मिलने और फोन पर बात करने से मना किया है, वह कहता है कि तुम अच्छे लड़के नहीं हो ! लेकिन मुझे तुम बहुत अच्छे लगते हो तुमसे बात करके बहुत अच्छा लगता है मैं तुम से बात किए बगैर नहीं रह सकती इसलिए सिद्धार्थ हम रात को बात किया करेंगे और इस समय हमें कोई डिसटर्ब भी नहीं करेगा ! खास कर विशाल !” ऐसे ही हमारी बहुत देर बातें होती रहीं और अब शशिरेखा पूरी तरह मेरे जाल में फँस चुकी थी मैंने पूछा- तुम कमरे में अकेली ही हो न ? इतनी धीमे क्यों बोल रही हो? उसने कहा- मेरे कमरे का दरवाजा खुला है और मम्मी पापा साथ वाले कमरे में हैं तो मैंने उसको दरवाजा बन्द करने को कहा उसने पूछा- क्यों ? मैंने कहा- उसके बाद मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा, बैड के ऊपर बिलकुल तुम्हारे साथ तो वह कहने लगी- नहीं ! मुझे तुमसे डर लगता है तुम मेरे साथ कुछ कर दोगे तब मैंने उससे कहा- मैं कभी तुम्हारे साथ जबरदस्ती नहीं करूंगा जो तुम्हें अच्छा लगेगा हम वही करेंगे मैंने कहा- लेकिन शशिरेखा मैं तुम से लड़कियों के बारे में एक बात पूछना चाहता हूं बताओगी? उसने कहा “पूछो क्या पूछना चाहते हो ” मैंने हिचकचाते हुए कहा मैं मासिक धर्म के बारे में सब कुछ जानना चाहता हूं पहले शशिरेखा चुप कर गई लेकिन थोड़ी देर बाद उसने मुझे सब कुछ बताया और उसके बाद हमारी सेक्स के बारे में बातें शुरू हो गई मैंने उसको कहा कि मैंने उसके बूब्स देखे हैं तो उसने कहा आप झूठ बोल रहे हो तब मैंने छत वाली बात बता दी कि मैं सब कुछ देख रहा था वह थोड़ा शरमा गई और कहने लगी कि आप बहुत खराब हो उसने कहा कि ऐसा करने से उसको मजा आता है मैंने शशिरेखा को अपना हाथ पकड़ाने के लिए कहा उसने कहा- फ़ोन पर कैसे ? मैंने कहा- बस समझ लो कि हम जैसे बोल रहे हैं, वैसे ही कर भी रहे हैं उसने कहा,”ठीक है ! पकड़ लो लेकिन आराम से पकड़ना | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने कहा “तुम्हारे हाथ पकड़ने से सिद्धार्थ मेरे को कुछ हो रहा है, प्लीज अभी मेरा हाथ छोड़ दो | थोड़ी देर बाद उसने कहा कि जब मैंने पहले उसका हाथ पकड़ा था तब उसकी टांगो के बीच में कुछ हो रहा था उसको बहुत मजा आ रहा था और उसकी चूत में से बहुत पानी निकल रहा था जिस की बजह से वह घबरा गई थी और इसीलिए उसने मुझे हाथ छोड़ने को कहा था तब उसने फिर से हाथ पकड़ने को कहा मैंने कहा- ठीक है पकड़ा दो थोड़ी देर बाद उसने कहा कि उसकी पैंटी चूत के पानी से बिलकुल गीली हो गई है और उसके चूचुक भी बिलकुल तन गए हैं तब मैंने उसको अपने कपड़े उतारने को कहा उसने उठ कर दरवाजा बन्द कर लिया और सारे कपड़े उतार दिए फिर उसने बूब्स दबाने शुरू कर दिए और सेक्सी सेक्सी आवाजें निकालने लगी मेरा लण्ड भी बिल्कुल खड़ा हो चुका था शशिरेखा अपनी उंगली से चूत के ऊपर अपनी शिश्निका को दबाने लगी और फिर उसने उंगली चूत के अन्दर डाल ली उसके मुंह से आवाजें आ रही थी- आहहहहहहहहहहहहहहह आह आहहहह वह कह रही थी ” सिद्धार्थ प्लीज चोदो मेरे को अपना लण्ड मेरी चूत में डालो मेरे मुम्मों को चूसो जोर जोर से चोदो मेरे को ” उस रात हमने सुबह 5 बजे तक बात की उसको बाद हम अकसर रात को बातें करते थे लेकिन मैं उस दिन के इंतजार में था जिस दिन मैं उसको असली में चोदूं आखिर वह दिन आ ही गया जब मेरा सपना सच हो गया शशिरेखा के एक रिश्तेदार अचानक बीमार हो गये उसके मम्मी और पापा को उन्हें देखने के लिये जाना पड़ा किसी भी हालत में उनके तीन दिन तक लौटने की कोई उम्मीद नहीं थी विशाल दिन भर दुकान पर था शशिरेखा घर में अकेली थी लेकिन मम्मी की वजह से मैं उससे बात नहीं कर पा रहा था मैं अपने कमरे में चला गया मैंने एक सेक्स मैगजीन निकाला और देखने लगा उसमें कुछ नग्न तस्वीरें थी मैं उन्हें देख रहा था |
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