प्रेषक : कुंदन मगही
हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम कुंदन है और मैं बारवी में पढ़ता हूँ | आज मैं आपके सामने जो कहानी लेके आया हूँ वो बहुत ही अजीब सी है और शायद आपको पसंद आये | मेरे क्लास की एक लड़की थी जो मुझे लाइन दिया करती थी, दिखने में तो ठीक ही थी पर उतनी कुछ खास नही थी | मैं उससे हर समय बचने की कोशिश करता था पर एक दिन मैंने सोचा की उससे क्यों बच रहा हू ? वो कोई तोप है क्या, हाँ बोल देता हूँ खाना पीना ही तो है | मैंने उससे एक दिन बात की और वो बोली की आज शाम को अपने इलाके के काम्प्लेक्स के पीछे मिलेगी | मैं सोच के खुश हो गया की आज खाने को मिलेगा और फिर में सोचने लग गया की क्या क्या करूँगा कैसे करूँगा ये सब सोचते सोचते शाम हो गयी और मिलने का समय भी हो गया | मैं समय पे गया तो देखा की वो वहा पहले से ही बैठी थी और ये बात बता दू की अपना जो काम्प्लेक्स है उसकी लाईट भी बड़ी अजीब सी है कभी जलती है तो कभी नही जलती है | जब में वहा गया था तो लाईट नही जल रही थी और मुझे लगा की आज नही जलेगी लाईट, पर वो शाम का समय था इसीलिए वो मुझे दिख गयी पर धीरे धीरे रात होने लगी तो वहा अँधेरा होने लग गया |मैं उसके पास गया और उससे बातें करने लगा फिर धीरे धीरे बातो में मैंने उसका हाथ पकड़ा और फिर उसके कंधे पे हाथ रखा और उसको अपने तरफ कसने लगा | मेरा लंड तन रहा था धीरे धीरे और मुझसे रहा नही जा रहा था | मैंने फिर उसके चेहरे को पकड़ के अपनी तरफ किया और उसके होठो पे होठ रखा दिया और चूसने लगा, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और उसके होठ चूसने के साथ साथ में उसके चुचो को भी मसल रहा था | अब मैं उसको लेके खड़ा हो गया और फिर वोही करने लगा जो बैठे बैठे कर रहा था | मैं उसके होठो को बहुत ही जोर जोर से चसू रहा था और वो भी मेरे होठो को उतने ही कस कस के चुस्ती रही और हम दोनों किस में ही खो गए थे | कुछ देर के बाद मैंने अपने हाथो को उसके चुचो पे रख दिया और मसलने लगा तो वो और भी कस के मेरे होठो को चूसने लगी और मेरे जीभ से अपनी जीभ की लड़ाई करवा रही थी | दो मिनट तक उसके चुचो को मसाला फिर मैंने उसकी जींस का बट्टन खोल दिया और अपना हाथ उसके जींस में डाल दिया और उसके चुत में ऊँगली करने लगा, छेद में तो नही डाला पर उपरी हिस्से में ऊँगली फेरने लगा | वो भी अपन एक हाथ निचे कर के मेरे लंड को मसलने लगी | हम दोनों बहुत मज़े कर रहे थे पर दों मिनट भी नही हुआ की मेरे उपर भूचाल आ गया, ऐसा कांड हुआ जो मैंने सपने में भी नही सोचा था | साला जो लाईट तबसे बंद था साला उस समय जल उठा और सामने मैंने अपनी बाजू वाली आंटी को पाया |आंटी उस समय वहा से सामान लेके जा रही थी वो पीछे वाले रस्ते से जा रही थी, वेसे उस रस्ते से कोई नही जाता था | पता नही आंटी को उसदिन क्या पड़ी थी | आंटी को देखने के बाद तो मुझपे पहाड टूट पड़ा था मैंने एक दम से उस लड़की को चूमना छोड़ दिया और वो पूछने लगी क्या हुआ करो न ? मैं बोला अबे तुझे किस की पड़ी है पीछे देख मेरी बाजु वाली आंटी खड़ी है | वो पीछे पलती और आंटी को देख के मुह पे चुन्नी डाल के चली गयी | मैं वही खड़ा रहा और कुछ देर के बाद आंटी चली गयी और फिर में भी चला गया | दूसरे दिन में स्कूल से आके सो गया और फिर मेरी नींद टूट गयी और मुझे लगा की मोम किसी से बात कर रही हे, ध्यन से चुना तो देखा की वोही वाली की आंटी की आवाज़ थी जिसने मुझे कल देख लिया था | मुझे लगा की आज तो मेरी गांड है कोई नही बचा सकता मुझे | बहुत परेशां हो गया था में और फिर मैंने सोच लिया की जो होगा सो होगा, फिर मैं वपस सो गया | थोड़े देर के बाद मोम ने मुझे आवाज़ दी तो मेरी एक दम सुख गयी और फिर में उठ के मोम के पास गया और बोलाक्या हुआ मम्मी ?कुछ नही, सुनो आंटी कफों बंधो गया है चालू नही हो रहा जरा दुकान में दिखा के लाओ तो |ठीक है दीजिए आंटी | आंटी ने मुझे फिर फोन दिया और में लेके दुकान में ठीक करा दिया और फिर वापस आंटी के घर गया देने के लिए | मैंने आंटी को दे दिया और कहा की जादा कुछ नही बस हल्की फुलकी प्रॉब्लम थी | फिर मैं बोला आंटी जी में चलता हूँ |रुक जाओ, थोडा चाय पी के जाओ |ठीक हे, फिर आंटी चाय बनाने चली गयी | मैं आंटी से नजर भी नही मिला प् रहा था इतनी शर्म आ रही थी मुझे | आंटी ने फिर चाय दी और फिर हम दोनों ने चाय पी और फिर पीने के बाद में जाने लगा |रुको, पहले ये बता के जाओ की उसदिन वो लड़की कोन थी ?कोई नही थी |ठीक है तुम्हे नही पता तो जाओ, मैं तुम्हारी मोम से पुच लुंगी |नही आंटी प्लीज़ ऐसा मत करना |फिर बताओ कोन थी वो ?आंटी किसी को मत बताना, वो मेरे क्लास की लड़की थी |थी है नहीं बताउंगी पर तुम्हे मेरा एक काम करना पडेगा |क्या काम आंटी जी ?वोही, जो उसदिन कर रहे थे वोही अब मेरे साथ करो वरना में तुम्हारी मोम को बता दूंगी |नहीं आंटी ऐसा नही हो सकता |क्यों ?अंकल को पता चल गया तो फिर में कही का नही रहूँगा |तुम उनकी चिंता मत करो बस तुम अपना काम करो |अंकल नही करते क्या आपके साथ ?जादा सवाल मत करो और अपना काम करो बस |ठीक है पर आज नही फिर कभी |आज क्यों नही ?बस ऐसे ही ! इतना बोला था की आंटी ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी तरफ खीच लिया और मेरे होठो को चूमने लगी और अपने दत से काटने भी लगी | मैं भी अब जोश में आ चूका था और मैं भी उनके होठो को चूसने लगा था | वो अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को सहला रही थी | मैं भी अपने हाथ से उसके चुचो को मसलना शुरू कर दिया और जेसे जेसे में मसलता जा रहा था आंटी मुझे अपने जिस्म से कसती जा रही थी | मैं एक हाथ से उनके चुचो को मसल रहा था और दूसरे हाथ को निचे कर के उनकी चुत सहला रहा था | वो अब मेरे होठ से अपना होठ को हटा के अह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह ह्म्म्म करने लगी | मैंने फिर उनके कपडे उतार दिए और उन्हें सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही रहने दिया और फिर उनके चुचो को उनके ब्रा के उपर से ही सहलाने लग गया | चुचियो को चूसते चूसते में उनकी पेंटी के उपर से उनकी चुत को कस कस के रगड़ने लग गया और कुछ देर के बाद मुझे गीला गीला सा लगा और मैंने चुत की तरफ देखा तो आंटी झड़ गयी थी उस समय जिसके कारण उनकी पेंटी गीली होने लग गयी थी | मैंने फिर उनकी ब्रा और पेंटी दोनों उतार दिया और उन्हें कुर्सी पे बिता दिया और फिर मैं भी उसी कुर्सी पे उल्टा बात गया उनकी तरफ मुह कर के उन्ही के उपर और फिर उनके दोनों चुचो को हाथ में पकड़ के उन्हें मसलने लगा और एक एक कर के उनके निप्पल को चूसता रहता | वो बोलने लगी चूसले मेरे दूध को निचोड़ निचोड़ के पी ले मेरे दूध को और जोर से हम्म्म्म अह्हह्ह ओह्ह उई माँ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स | मैं उसके चुचो को चूस रहा था और वो मेरे लंड को पकड़ के हिला रही थी, दस मिनट तक यही चला फिर में खड़ा हो गया और वो मेरे सामने घुटने के बल बैठ गयी और फिर मेरे लंड को पकड़ के जोर जोर से हिलाने लग गयी | एक मिनट तक मेरे लंड को हिलाई और फिर उसे अपने मुह में भर लिया और उसपे जीभ फेरते हुए उसे चूस रही थी | मैं तो उनके चूसने के कारण हवा में उड़ने लग गया था क्या मज़ा आ रहा था मुझे उस वक्त मैं आपको बता नही सकता था | पाँच मिनट के बाद मुझे लगा की अब मेरा हो गया और यही सोचते सोचते में उनके मुह में ही झड़ गया और वो मुठ को एक दम से पी गयी जेसे कुछ हुआ ही न हो |फिर मैं उनके साथ उनके कमरे में गया और फिर उन्हें लेता के उनके उपर लेट गया और उन्हें चूमने लगा | चुमते चुमते में उनके चुचो पे आ गया और फिर उनके निप्पल को मुह में भर के कस कस के चूसने लगा | वो मेरे सर पे हाथ फेर रही थी और मेरे सर को अपने चुचो पे दबा रही थी | मैं बिच बिच में उनके निप्पल को काट भी देता और वो उईई कर के चीख पडती | फिर मैं उनके निप्पल को छोड़ के उनकी चुत की तरफ चल दिया और फिर चुत की उपरी हिस्सों पर मै जीभ फेरने लगा, वो एक दम से सिमट गयी और ह्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह्ह उफ़ मर रही हू करने लगी | मैंने उनकी चुत की पंखडियो को खोल दिया और देखा की उनकी छेद से पानी निकल रहा है और फिर मैंने उन पानी को जीभ से चाट के साफ़ कर दिया | साफ़ करने के बाद में उनकी छेद में अपनी जीभ डालने लगा और उनकी चुत को जीभ से चोदने लगा वो अब भी जोर जोर से कराह रही थी | वो अब अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईई उम्म्मम्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी और फिर एक दम से मेरे सर को पकड़ के अपनी चुत में घुसेड़ने लग गयी |मैं अब उनकी चुत को कस कस के चाटने लगा और बिच बिच में उनकी चुत को अपने दात से काट भी देता और वो अब और भी जोर से कराहने लग चुकी थी | दस मिनट के बाद आंटी ने मेरे सर को कस के दबा लिया चुत में और बोलने लगी की मैं झड़़ने वाली हूँ ये बोलते बोलते मेरे मुह पे ही झड़ गयी | मैं वो सारा पानी पी गया और फिर उनकी चुत को चाट चाट के साफ़ कर दिया | इतनी होने के बाद मैं आंटी पे फिरसे लेट गया और फिर हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और एक दूसरे के होठ को चूसते रहे | थोड़े देर के बाद आंटी बोली और नही जल्दी से निचे का गेम बजा दो, और नहीं रुक सकती में जल्दी करो | मैं उठा और फिर उनकी दोनों टांगो को दोनों बाजू खोल दिया और अपने दोनों हाथो से पकड़े रखा और फिर अपना लंड रख दिया उनकी चुत पे | शुरू में तो में उनकी चुत पे अपना लंड रगड़ने लगा तो वो झटपट करने लग गयी और बोली प्लीज़ मत तड़पाओ जल्दी से अंदर डाल दो | मैंने फिर उनकी चुत पे लंड सटा दिया और धक्का मारा, मेरा लंड एक ही बार में अंदर चला गया | वो एक दम अहह कर के उठी और फिर शांत हो गयी, और मैं अब जोर जोर से धक्के पे धक्के दिए जा रहा था | आंटी बोली और जोर से हम्म अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह आहा हा ह हम और और और जोर से ई हम अह्ह्ह स्सस्सस | मैं आंटी की आवाज़ सुन के और जोश में आ रहा था इसीलिए मैंने अपनी तेज बड़ा दी और उन्हें और कस कस के पेलने लगा तो आंटी अह्ह्ह्ह्ह हम्म मर गयी अह्ह्ह्ह्ह हम और जोर से कर और और जोरसे हम्मम्मम इतना चिलाते चिलाते व्वो एक दम से झड़ गयी और ढीली पड गयी |मैं तो अब तक नही झड़ा था और मैं उन्हें करीब बीस मिनट तक और पेलता रहा और उसके बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा तो वो घोड़ी बन गयी और फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उनकी चुत में डाली और दूसरी ऊँगली उनकी गांड में और फिर दोनों को आगे पीछे करने लगा और फिर कुछ देर के बाद मैंने उनकी गांड के छेद पे लंड रखा और कस के दे दिया मेरा लंड आधा ही अंदर गया और उनके मुह से कस के चीख निकल पड़ी जेसे किसी ने उनके गांड में तलवार दे दिया हो | पूरा कमरा गूंज उठा उनकी चीख से, फिर वो बोलने लगी निकालो इसे में नही ले सकती इसे अंदर | मैं फिर उसी हाल में उनके उपर लेट गया और उनके चुचो को मसलने लग गया तक उनका दर्द हल्का हो जाये और फिर जब उनका दर्द कम हो गया तो मैं उनके चुचो को एक हाथ से मसलने लग गया और दूसरे हाथ से उनके चुत को सहला रहा था, उनके मुह से फिरसे सिसकिय निकलने लग गयी तो फिर मैंने मोका देख के एक और धक्का दे दिया और पूरा घुसेड दिया | वो फिर से चीख उठी पर इस बार में रुका नही और धक्का देता रहा और कुछ देर के बाद आंटी बोली जोर जोर से धक्के दे, मैं आगे की तरफ दे रहा था वो भी उसी वक्त अपनी गांड पीछे को कर रही थी और एक दम ताल से ताल मिला के चुदाई चल रही थी |बीस मिनट उनके गांड को ठोकने के बाद में लेट गया तो वो मेरे उपर आ गयी और फिर मेरे लंड को अपने चुत पे रगड़ने लग गयी और फिर लंड को अपनी चुत पे सेट किया और फिर मेरे लंड पे बैठ गयी और मेरे सामने मेरा लंड धीरे धीरे गायब होता दिख रहा था | वो अब मेरे उपर उछल कूद करने लग गयी और अपने चुत को मेरा लंड खिला रही थी, मैंने भी उनकी थोड़ी मदद की और में निचे से कस कस के शोट देने लगा | जब में निचे से शोट देता तो मेरी जांघे उनके गांड से कस के टकराती जिसके कारण पुरे कमरे में टकराने की आवाज़ गूंज उठती | करीब दस मिनट तक वो मेरे उपर उछालती रही और फिर मेरे उपर ही झड़ गयी और फिर वो उतरने लगी तो मैंने उतरने नही दिया और उन्हें पकड़े रखा और कस कस के धक्के देने लगा निचे से और फिर में उन्हें बोला की मेरा निकल रहा है तो वो झट से हट के मेरे लंड को अपने मुह में ले ली और फिर चूसने लगी तो मैंने दो तीन झटके उनके मुह में भी दिया और फिर उनके मुह में झड़ गया | वो मेरा लंड को चाट चाट के साफ़ कर दी और फिर मेरे उपर ही लेट गयी |आधा घंटा आराम करने के बाद उन्होंने मेरे छाती पे सर रखा और फिर बोली आज तो मजा आ गया, क्या चुदाई हुई मेरी वह | सुनो मेरे पती तो महीने में एक बार ही पलते है इसी तरह पर मुझे हर दिन चाहिए और वो तो यहाँ रहते नही इसीलिए क्या तुम हर रोज मेरी चुदाई कर सकते हो ? मैं बोला हर रोज तो नही पर देखूंगा की एक दिन छोड़ के जरुर कर दूँगा वो बोली ठीक है | मैंने उनकी इच्छा दो साल तक पूरी की और साथ ही साथ मेरे क्लास की लड़की की भी इच्छा पूरी की | अब वो दोनों यहाँ नही रहते दोनों यहाँ से चले गए अब में बस वीडियो देख के हिलाता हूँ |