गतांग से आगे …..
अब मेरा झड़ने वाला है।
देखो, यह भी पीक पर आ गई है।
अन्दर ही कर रहा हूँ।
तुम केला निकालने आए हो या इसे प्रेग्नेंट करने?
याऽऽर… अन्दर ही कर दे। मजा आएगा।
सुधाकर उसे निकालने से रोक रहा है। साली की मासिक रुक गई तब तो और मजा आ जाएगा।
आह, आह, आह मेरे अन्दर झटके पड़ रहे हैं।
गुड, गुड, गुड, नीमा, तुम इसकी क्लिेटोरिस सहलाओ। इसको भी साथ फॉल कराओ।
एक हाथ मेरे अन्दर रेंग जाता है। करण मुझ पर लम्बा हो गया है। मुझे कसकर जकड़ लेता है। जैसे हड़डी तोड़ देगा। भगनासा बुरी तरह कुचल रही है। ओऽऽऽह… ओऽऽऽह… ओऽऽऽह…..
गुदा के अन्दर कोई चीज झटके से दाखिल हो जाती है।
मैं खत्म हूँ ……… मैं खत्म हूँ ……… मैं खत्म हूँ ………
जिंदगी वापस लौटती है। नीमा सीधे मेरी आँखों में देख रही है, चेहरे पर विजयभरी मुस्कान, बड़ी ममता से मेरी ललाट का पसीना पोछती है, होंठों के एक किनारे से मेरी निकल आई लार को जीभ पर उठा लेती है। लगता है वह सचमुच वह मुझे प्यार करती है? बहुत तकलीफ होती है मुझे इस बात से।
वह रुमाल से मेरी योनि, मेरी गुदा पोंछ रही है। मेरा सारा लाज-शर्म लुट चुका है। फिर भी पाँव समेटना चाहती हूँ। नीमा रुमाल उठाकर दिखाती है। उसमें खून और वीर्य के भीगे धब्बे हैं।
वह उसे करण को दे देती है,तुम्हारी यादगार।
मैं उठने का उपक्रम करती हूँ, सुधाकर मुझे रोकता है,रुको, अभी मेरी बारी है।
तुम्हारी बारी क्यों? नीमा आपत्ति करती है। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
क्यों? मैं इसे नहीं लूँगा?
तुमने क्या इसे वेश्या समझ रखा है? नीमा की आवाज अप्रत्याशित रूप से तेज हो जाती है।
‘क्यों ? फिर करण ने कैसे लिया?
उसने तो उसे समस्या से निकाला। तुमने क्या किया?
सुधाकर नहीं मानता। नहीं मैं करूँगा।
करण कपड़े पहन रहा है। उसका हमदर्दी दोस्त के प्रति है। कमीज के बटन लगाते हुए कहता है,करने दो ना इसे भी।
नीमा गुस्से में आ जाती है, तुम लोग लड़की को क्या समझते हो? खिलौना? नीमा मुझे बिस्तर से खींचकर खड़ी कर देती है,तुम कपड़े पहनो।
फिर वह उन दोनों की ओर पलट कर बोलती है,लगता है तुम लोगों ने मेरे व्यवहार का गलत मतलब निकाला है। सुनो सुधाकर, जितना तुम्हें मिल गया वही तुम्हारा बहुत बड़ा भाग्य है। अब यहीं से लौट जाओ। तुम मेरे दोस्त हो। मैं नहीं चाहती मुझे तुम्हा*रे खिलाफ कुछ करना पड़े।
सुधाकर कहता है,यह तो अन्याय है। एक दोस्त* को फेवर करती हो एक को नहीं।
नीमा,तुम मुझे न्याय सिखा रहे हो? जबरदस्ती घुस आए और …..
सुधाकर,करण को तो बुलाकर दिलवाया, मैं खुद आया तब भी नहीं? यह क्या तुम्हारा यार लगता है?
नीमा की तेज आवाज गूंजी,तुम मुझे गाली दे रहे हो?
करण को भी उसके ताने से से क्रोध आ जाता है,सुधाकर, छोड़ो इसे।
चुप रह बे | तू क्या नीमा का भड़ुआ है? एक लड़की चुदवा दी तो बड़ा पक्ष लेने लगा।
पानी सिर से ऊपर गुजर जाता है। दोनों की एक साथ ‘खबरदार’ गूंज जाती है, मारने के लिए दौड़े करण को नीमा रोकती है। सुधाकर पर उसकी उंगली तन जाती है,खबरदार एक लफ्ज भी आगे बोले, चुपचाप यहाँ से निकल जाओ। मत भूलो कि लड़कियों के हॉस्टल में एक लड़की के कमरे में खड़े हो। यहीं खड़े खड़े अरेस्ट हो जाओगे।
मैं जल्दी-जल्दी कपड़े पहन रही हूँ।
कमरे की चिल्लाहटें बाहर चली जाती हैं, दस्तक होने लगती है,क्या़ बात है नीमा, दरवाजा खोलो |
अब मामला सुधाकर के हाथ से निकल चुका है, वह कुंठा में अपने मुक्के में मुक्का मारता है।
मैं सुरक्षित हूँ। मेरा खून चखने वाले उसे राक्षस को एक लात जमाने की इच्छा होती है |
दुर्घटना से उबर चुकी हूँ। लेकिन स्थाई जख्म के साथ।
नीमा निर्देश देती है,कोई कुछ नहीं बोलेगा। सब कोई एकदम सामान्य सा व्य़वहार करेंगे।
नीमा दरवाजा खोलकर साथियों से बात कर रही है,’हाय अल्का, हाय प्रीति…. कुछ नहीं, हम लोग ऐसे ही सेलीब्रेट कर रहे थे। एक खास बाजी जीतने की। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मेरा कलेजा मुँह को आ जाता है, कहीं बता न दे। पर नीमा को गेंद गोल तक ले जाने फिर वहाँ से वापस लौटा लाने में मजा आता है। ऐसे सामान्य ढंग से बात कर रही है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बड़ी अभिनय-कुशल है।
उस दिन नीमा ने अपने करीबी दोस्त* सुधाकर को खो दिया- मेरी खातिर। उस वहशी से मेरी रक्षा की। एक से बाद एक अपमान के दौर में एक जगह मेरे छोटे से सम्मान को बचाया।उसने मुझे केले के गहरे संकट से निकाला। कितना बड़ा एहसान किया उसने मुझपर | लेकिन किस कीमत पर? मेरे मन और आत्मा में जो घाव लगा, मैं किसी तरह मान नहीं पाती कि उसके लिए नीमा जिम्मेदार नहीं थी। बल्कि उसी ने मेरी दुर्दशा कराई। उसी के उकसावे पर मैंने केले को आजमाया था। मेरी उस छोटी सी गलती को नीमा ने पतन की हर इंतिहा से आगे पहुँचा दिया।
फिर भी पहला दोष तो मेरा ही था। मैंने नीमा से दोस्ती तोड़ देनी चाही- बेहद अप्रत्यक्ष तरीके से, ताकि अहसान फरामोश नहीं दिखूँ। पर मेरा उससे पिंड कहाँ छूटा। वह मेरी तारणहार, मेरी विनाशक दोनों ही थी। अमरीका में उसने जो मेरे साथ कराया, वह क्या कम शर्मनाक था? दोस्तों कहानी पढने के बाद कमेंट करना बहुत जरुरी होता है | सो कहानी पढने के बाद कमेंट जरुर करना |