मेरा पहला एहसास केले के साथ

गतांग से आगे …..

मिस पिहू, आपसे तो ऐसी उम्मीद नहीं थी। आप तो बड़ी सुशील, मर्यादित और सो कॉल्ड क्या क्या हैं? उसकी हँसी बढ़ने लगी। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मुझे गुस्सा आ गया- बेदर्द लड़की | मैं इतनी बड़ी मुश्किल में हूँ और तुम हँस रही हो?
हँसूं न तो क्या करूँ? मुझसे तो बड़ी बड़ी बातें कहती हो, खुद ऐसा कैसे कर लिया?
मैंने शर्म और गुस्से से मुँह फेर लिया। अब क्या करूँ? बेहद डर लग रहा था। देखना चाहती थी कितना अन्दर फँसा हुआ है, निकल सकता है कि नहीं। कहीं डॉक्टर बुलाना पड़ गया तो? सोचकर ही रोंगटे खड़े हो गए। कैसी किरकिरी होगी |
मैंने आँख पोछी और हिम्मत करके कमरे से बाहर निकली। कोशिश करके सामान्य चाल से चली, गलियारे में कोई देखे तो शक न करे। बाथरूम में आकर दरवाजा बंद किया और नाइटी उठाकर बैठकर नीचे देखा। दिख नहीं रहा था। काश, आइना लेकर आती। हाथ से महसूस किया। केले का सिरा हाथ से टकरा रहा था। बेहद चिकना। नाखून गड़ाकर खींचना चाहा तो गूदा खुदकर बाहर चला आया।
और खोदा।
उसके बाद उंगली से टकराने लगा और नाखून गड़ाने पर भीतर धँसने लगा।
मैंने उछल कर देखा, शायद झटके से गिर जाए। डर भी लग रहा था कि कहीं कोई पकड़ न ले।
कई बार कूदी। बैठे बैठे और खड़े होकर भी। कोई फायदा नहीं। कूदने से कुछ होने की उम्मीद करना आकाश कुसुम था।
फँस गई। कैसे निकलेगा? कुछ देर किंकर्तव्यविमूढ़ बैठी रही। फिर निकलना पड़ा। चलना और कठिन लग रहा था। यही केला कुछ क्षणों पहले अन्दर कितना सुखद लग रहा था |
कमरे के अन्दर आते ही नीमा ने सवाल किया,निकला?
मैंने सिर हिलाया। हमारे बीच चुप्पी छाई रही। परिस्थिति भयावह थी।
मैं देखूँ?
हे भगवान, यह अवस्था | मेरी दुर्दशा की शुरुआत हो चुकी थी। मैं बिस्तर पर बैठ गई।
नीमा ने मुझे पीछे तकिए पर झुकाया और मेरे पाँवों के पास बैठ गई। मेरी नाइटी उठाकर मेरे घुटनों को मोड़ी और उन्हें धीरे धीरे फैला दी। बालों की चमचमाती काली फसल………. पहली बार उस पर बाहर की नजर पड़ रही थी। नीमा ने होंठों को फैलाकर अन्दर देखा। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | हे भगवान कोई रास्ता निकल आए | उसने उंगलियों से होंठों के अन्दर, अगल बगल टटोला, महसूस किया। बाएँ दाएँ, ऊपर नीचे। नाखून से खींचने की असफल कोशिश की, भगांकुर को सहलाया। ये क्यों? मन में सवाल उठा, क्या यह अभी भी तनी अवस्था में है? नीमा ने गुदा में भी उंगली कोंची, दो गाँठ अन्दर भी घुसा दी। घुसाकर दाएं बाएँ घुमाया भी।
मैं कुनमुनाई। यह क्या कर रही है?
पलकों की झिरी से उसे देखा, उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। कहीं वह मुझसे खेल तो नहीं रही है?
ओ गॉड, यह तो भीतर घुस गया है। उसके स्वर में वास्तविक चिंता थी, क्या करोगी?
डॉक्टर को बुलाओगी? वार्डन को बोलना पड़ेगा। हॉस्टल सुपरिंटेंडेंट जानेगी, फिर सारी टीचर्स, … ना ना…. बात सब जगह फैल जाएगी।
ना ना ना…. मैंने उसी की बात प्रतिध्वनित की।
कुछ देर हम सोचते रहे। समय नहीं है, जल्दी करना पड़ेगा, इन्फेक्शंन का खतरा है।
…………. मैं क्या कहूँ।
एक बात कहूँ, इफ यू डोंट माइंड?
…………. मैं कुछ सोच नहीं पा रही।
करण को बुलाऊँ? एमबीबीएस कर रहा है। कोई राह निकाल सकता है। सबके जानने से तो बेहतर है एक आदमी जानेगा।
बाप रे | एक लड़का। वह भी सीधे मेरी टांगों के बीच | ना ना….
पिहू, और कोई रास्ता नहीं है। थिंक इट। यही एक संभावना है।
कैसे हाँ बोलूँ। अब तक किसी ने मेरे शरीर को देखा भी नहीं था। यह तो उससे भी आगे……. मैं चुप रही।
जल्दी बोलो पिहू। यू आर इन डैंजर। अन्दर बॉडी हीट से सड़ने लगेगा। फिर तो निकालने के बाद भी डॉक्टर के पास जाना पड़ेगा। लोगों को पता चल जाएगा।
इतना असहाय जिंदगी में मैंने कभी नहीं महसूस किया था,ओके ….
तुम चिंता न करो। ही इज ए वेरी गुड फ्रेड ऑव मी (वह मेरा बहुत ही अच्छा दोस्त है।) उसने आँख मारी, हर तरह की मदद करता है।
गजब है यह लड़की। इस अवस्था में भी मुझसे मजाक कर रही है।
उसने करण को फोन लगाया, करण, क्या कर रहे हो….. नाश्ता कर लिया?… नहीं?… तुम्हारे लिए यहाँ बहुत अच्छा नाश्ता है। खाना चाहोगे? सोच लो… इटस ए लाइफटाइम चांस… नाश्ते से अधिक उसकी प्लेट मजेदार … नहीं बताऊँगी…. अब मजाक छोड़ती हूँ। तुम तुरंत आ जाओ। माइ रूममेट इज इन अ बिग प्राब्लम। मुझे लगता है तुम कुछ मदद कर सकते हो… नहीं नहीं.. फोन पर नहीं कह सकती। इट्स अर्जेंट… बस तुरंत आ जाओ।
मुझे गुस्सा आ रहा था। ये नाश्ता-वाश्ता क्या बक रही थी?
गलत बोल रही थी?
उसे कुछ ध्यान आया, उसने दुबारा फोन लगाया, करण , प्लीज अपना शेविंग सेट ले लेना। मुझे लगता है उसकी जरूरत पड़ेगी।
शेविंग सेट| क्या बोल रही है?….. अचानक मेरे दिमाग में एकदम से साफ हो गया … क्या वहाँ के बाल मूंडेगी? हाय राम|||
कुछ ही देर में दरवाजे पर दस्तक हुई।
हाय पिहू | करण ने भीतर आकर मुझे विश किया और समय में मैं बस एक ठंडी ‘हाय’ कर देती थी, इस वक्त मुस्कुराना पड़ा।
क्या प्राब्लम है?
नीमा ने मेरी ओर देखा, मैं कुछ नहीं बोली।
इसने केला खाया है।
तो?
वो इसके गले में अटक गया है।
उसके चेहरे पर उलझन के भाव उभरे,ऐसा कैसे हो सकता है?
मुँह खोलो |
नीमा हँसी रोकती हुई बोली, उस मुँह में नहीं….. बुद्धू…. दूसरे में… उसमें। उसने उंगली से नीचे की ओर इशारा किया।
करण के चेहरे पर हैरानी, फिर हँसी | फिर गंभीरता…..
हे भगवान, धरती फट जाए, मैं समा जाऊँ।
यह देखो, नीमा ने उसे छिलका दिखाया, टूटकर अन्दर रह गया है।
यह तो सीरियस है। करण सोचता हुआ बोला।
बहुत कोशिश की, नहीं निकल रहा। तुम कुछ उपाय कर सकते हो?
करण विचारमग्न था। बोला, देखना पड़ेगा।
मैंने स्वाचालित-सा पैरों को आपस में दबा लिया।
पिहू….
मैं कुछ नहीं सुन पा रही थी, कुछ नहीं समझ पा रही थी। कानों में यंत्रवत आवाज आ रही थी, पिहू… बी ब्रेव…| यह सिर्फ हम तीनों के बीच रहेगा…..|
मेरी आँखों के आगे अंधेरा छाया हुआ है। मुझे पीछे ठेलकर तकिए पर लिटा रही है। मेरी नाइटी ऊपर खिंच रही है…. मेरे पैर, घुटने, जांघें… पेड़ू…. कमर….प्रकट हो रहे हैं। मेरी आत्मा पर से भी खाल खींचकर कोई मुझे नंगा कर रहा है। पैरों को घुटनों से मोड़ा जा रहा है……. दोनों घुटनों को फैलाया जा रहा है। मेरा बेबस, असहाय, असफल विरोध…. मर्म के अन्दर तक छेद करती पराई नजरें … स्त्री की अंतरंगता के चिथड़े चिथड़े करती….
जांघों पर, पेड़ू पर घूमते हाथ …. बीच के बालों को सरकाते हुए… होंठों को अलग करने का खिंचाव…।
साफ से देख नहीं पा रहा, जरा उठाओ।
मेरे सिर के नीचे से एक तकिया खींचा है। मेरे नितंबों के नीचे हाथ डालकर उठाकर तकिया लगाया जा रहा है…. मेरे पैरों को उठाकर घुटनों को छाती तक लाकर फैला दिया गया है… सब कुछ उनके सामने खुल गया है। गुदा पर ठंडी हवा का स्पर्श महसूस हो रहा है…
ॐ भूर्भुव: ………………………… धीमहि ….. पता नहीं क्यों गायत्री मंत्र का स्मरण हो रहा है। माता रक्षा करो…
केले की ऊपरी सतह दिख रही है। योनि के छेद को फैलाए हुए। काले बालों के के फ्रेम में लाल गुलाबी फाँक … बीच में गोल सफेदी… उसमें नाखून के गड्ढे…
कुछ देर की जांच-परख के बाद मेरा पैर बिस्तर पर रख दिया जाता है। मैं नाइटी खींचकर ढकना चाहती हूँ, पर….
एक कोशिश कर सकती है। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | क्या?
मास्टरबेट (हस्तेमैथुन) करके देखे। हो सकता है ऑर्गेज्म(स्खलन) के झटके और रिलीज(रस छूटने) की चिकनाई से बाहर निकल जाए।
नीमा सोचती है।
पिहू|
मैं कुछ नहीं बोलती। उन लोगों के सामने हस्तमैथुन करना | स्खलित भी होना||| ओ माँ |
पिहू, इस बार नीमा का स्वर कठोर है,बोलो…..
क्या बोलूँ मैं। मेरी जुबान नहीं खुलती।
खुद करोगी या मुझे करना पड़ेगा?
वह मेरा हाथ खींचकर वहाँ पर लगा देती है,करो।
मेरा हाथ पड़ा रहता है।
डू इट यार |
मैं कोई हरकत नहीं करती, मर जाना बेहतर है।
लेट अस डू इट फॉर हर (चलो हम इसका करते हैं)।
मैं हल्के से बाँह उठाकर पलकों को झिरी से देखती हूँ। करण सकुचाता हुआ खड़ा है। बस मेरे उस स्थल को देख रहा है।
नीमा की हँसी,सुंदर है ना?
शर्म की एक लहर आग-सी जलाती मेरे ऊपर से नीचे निकल जाती है, बेशर्म लड़की…|
क्या सोच रहे हो?
करण दुविधा में है, इजाजत के बगैर किसी लड़की का जननांग छूना | भलामानुस है।
तनाव के क्षण में नीमा का हँसी-मजाक का कीड़ा जाग जाता है,जिस चीज की झलक भर पाने के लिए ऋषि-मुनि तरसते हैं, वह तुम्हें यूँ ही मिल रही है, क्या किस्मत है तुम्हारी |
मैं पलकें भींच लेती हूँ। साँस रोके इंतजार कर रही हूँ | टांगें खोले।
कम ऑन, लेट्स डू इट…
बिस्तर पर मेरे दोनों तरफ वजन पड़ता है, एक कोमल और एक कठोर हाथ मेरे उभार पर आ बैठते हैं, बालों पर उंगलियाँ फेरने से गुदगुदी लग रही है, कोमल उंगलियाँ मेरे होंठों को खोलती हैं अन्दर का जायजा लेती हैं, भगनासा का कोमल पिंड तनाव में आ जाता है, छू जाने से ही बगावत करता है, कभी कोमल, कभी कठोर उंगलियाँ उसे पीड़ित करती हैं, उसके सिर को कुचलती, मसलती हैं, गुस्से में वह चिनगारियाँ सी छोड़ता है। मेरी जांघें थरथराती हैं, हिलना-डुलना चाहती हैं, पर दोनों तरफ से एक एक हाथ उन्हें पकड़े है, न तो परिस्थिति, न ही शरीर मेरे वश में है।
यस … ऐसे ही… नीमा मेरा हाथ थपथपाती है तब मुझे पता चलता है कि वह मेरे स्तनों पर घूम रहा था। शर्म से भरकर हाथ खींच लेती हूँ।
नीमा हँसती है,अब यह भी हमीं करें? ओके…
दो असमान हथेलियाँ मेरे स्तनों पर घूमने लगती हैं। नाइटी के ऊपर से। मेरी छातियाँ परेशान दाएं-बाएँ, ऊपर-नीचे लचककर हमले से बचना चाह रही हैं पर उनकी कुछ नहीं चलती। जल्दी भी उन पर से बचाव का, कुछ नहीं-सा, झीना परदा भी खींच लिया जाता है, घोंसला उजाड़कर निकाल लिए गए दो सहमे कबूतर … डरे हुए | उनका गला दबाया जाता है, उन्हें दबा दबाकर उनके मांस को मुलायम बनाया जा रहा है- मजे लेकर खाए जाने के लिए शायद।
उनकी चोंचें एक साथ इतनी जोर खींची जाती है कि दर्द करती हैं, कभी दोनों को एक साथ इतनी जोर से मसला जाता है कि कराह निकल जाती है। मैं अपनी ही तेज तेज साँसों की आवाज सुन रही हूँ। नीचे टांगों के केन्द्र में लगातार घर्षण, लगातार प्रहार, कोमल उंगलियों की नाखून की चुभन… कठोर उंगलियों की ताकतवर रगड़ | कोमल कली कुचलकर लुंज-पुंज हो गई है। दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | सारे मोर्चों पर एक साथ हमला… सब कुछ एक साथ… | ओह… ओह… साँस तो लेने दो…
हाँ… लगता है अब गर्म हो गई है। एक उंगली मेरी गुदा की टोह ले रही है।
मैं अकबका कर उन्हें अपने पर से हटाना चाहती हूँ, दोनों मेरे हाथ पकड़ लेते हैं, उसके साथ ही मेरे दोनों चूचुकों पर दो होंठ कस जाते हैं, एक साथ उन्हें चूसते हैं |
मेरे कबूतर बेचारे |जैसे बिल्ली मुँह में उनका सिर दबाए कुचल रही हो। दोनों चोंचें उठाकर उनके मुख में घुसे जा रहे हैं।
हरकतें तेज हो जाती हैं।
यह बहुत अकड़ती थी। आज भगवान ने खुद ही इसे मुझे गिफ्ट कर दिया। नीमा की आवाज…. मीठी… जहर बुझी….
तुम इसके साथ?
मैं कब से इसका सपना देख रही थी।
क्या कहती हो?
बहुत सुन्दर है ना यह | कहती हुई वह मेरे स्तनों को मसलती है, उन्हें चूसती है। मैं अपने हाँफते साँसों की आवाज खुद सुन रही हूँ। कोई बड़ी लहर मरोड़ती सी आ रही है….
पिहू, जोर लगाओ, अन्दर से ठेलो। करण की आवाज में पहली बार मेरा नाम… नीमा की आवाज के साथ मिली। गुदा के मुँह पर उंगली अन्दर घुसने के लिए जोर लगाती है।
यह उंगली किसकी है?
मैं कसमसा रही हूँ, दोनों ने मेरे हाथ-पैर जकड़ रखे हैं,जोर से …. ठेलो।
मैं जोर लगाती हूँ। कोई चीज मेरे अन्दर से रह रहकर गोली की तरह छूट रही है……. रस से चिकनी उंगली सट से गुदा के अन्दर दाखिल हो जाती है। मथानी की तरह दाएँ-बाएँ घूमती है।
आआआआह………. आआआआह………. आआआआह……….
यस यस, डू इट…….| नीमा की प्रेरित करती आवाज, करण भी कह रहा है। दोनों की हरकतें तेज हो जाती हैं, गुदा के अन्दर उंगली की भी। भगनासा पर आनन्द उठाती मसलन दर्द की हद तक बढ़ जाती है।
ओ ओ ओ ओ ओ ह…………… खुद को शर्म में भिगोती एक बड़ी लहर, रोशनी के अनार की फुलझड़ी ……….. आह.. दोस्तों आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | एक चौंधभरे अंधेरे में चेतना गुम हो जाती है।
यह तो नहीं हुआ? वैसे ही अन्दर है |… मेरी चेतना लौट रही है, अब क्या करोगी?
कुछ देर की चुप्पी | निराशा और भयावहता से मैं रो रही हूँ।
रोओ मत | करण मुझे सहला रहा है, इतनी क्रिया के बाद वह भी थोड़ा-थोड़ा मुझ पर अधिकार समझने लगा है, वह मेरे आँसू पोंछता है,इतनी जल्दी निराश मत होओ। उसकी सहानुभूति बुरी नहीं लगती। कुछ देर सोचकर वह एक आइडिया निकालता है। उसे लगता है उससे सफलता मिल जाएगी।
तुम मजाक तो नहीं कर रहे, आर यू सीरियस? नीमा संदेह करती है।
देखो, वेजीना और एनस के छिद्र अगल-बगल हैं, दोनों के बीच पतली-सी दीवार है। जब मैंने इसकी गुदा में उंगली घुसाई तो वह केले के दवाब से बहुत कसी लग रही थी।
अब मुझे पता चला कि वह उंगली करण की थी। मैं उसे नीमा की शरारत समझ रही थी।
तुम बुद्धिमान हो। नीमा हँसती है, मैंने तुम्हें बुलाकर गलती नहीं की।
तो यह बहाने से मेरी ‘वो’ मारना चाह रहा है। गंदा लड़का। मुझे एक ब्लू फिल्म में देखा गुदा मैथुन का दृश्य याद हो आया। वह मुझे बड़ा गंदा लेकिन रोमांचक भी लगा था- गुदा के छेद में तनाव। कहीं करण ने मेरी यह कमजोरी तो नहीं पकड़ ली? ओ गॉड।
एक और बात है | करण नीमा की तारीफ से खुश होकर बोल रहा था,शी इज सेंसिटिव देयर। जब मैंने उसमें उंगली की तो यह जल्दी ही झड़ गई।
उफ || मेरे बारे में इस तरह से बात कर रहे हैं जैसे कसाई मुर्गे के बारे में बात कर रहा हो।
तो तुम्हें लगता है शी विल इंजॉय इट।
उसी से पूछ लो।
नीमा खिलखिला पड़ी,पिहू, बोलो, तुम्हें मजा आएगा?
वह मेरी हँसी उड़ाने का मौका छोड़ने वाली नहीं थी। पर वही मेरी सबसे बड़ी मददगार भी थी।
चुप्पी के आवरण में मैं अपनी शर्म बचा रही थी। लेकिन केला मुझे विवश किए था। मुझे सहायता की जरूरत थी। मेरा हस्तमैथुन करके उन दोनों की हिम्मत बढ़ गई थी। आश्चर्य था मैंने उसे अपने साथ होने दिया। अब तो मेरी गाण्ड मारने की ही बात हो रही थी।

कहानी जारी है ……. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे …!

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