प्रेषक: सुभास
दोस्तो कहानी लिखने से पहले थोड़ा सा अपने बारे में भी बता देता हूँ दोस्तो मेरा नाम सुभास है। मेरी उम्र, 32 साल की है और मैं एक गठीले बदन का मालिक हूँ.. मेरी लंबाई ५.९ फीट है और वजन है, करीब ७५ किलो.. मेरा लौड़ा, काले रंग का है.. बहुत लंबा तो नहीं है पर सामान्य से बड़ा ही है.. लेकिन, मोटा बहुत ज़्यादा है.. शेप में, थोड़ा टेडा भी है.. जब ढीला होता है तो करीब ५ इंच लंबा होता है और करीब ४ इंच मोटा होता है.. लेकिन, जब फन फ़ना कर खड़ा हो जाता है तो पूरा ९ इंच लंबा हो जाता है और लण्ड की मोटाई भी ४ इंच से बढ़ कर ६ इंच हो जाती है..
मेरी बीवी भी कहती है की मेरे लण्ड की मोटाई कुछ ज़्यादा ही है और उसकी चूत में मेरा लण्ड मोटा होने की वजह से ही, उसकी चूत का चुद चुद कर भोसड़ा बन गया है। दोस्तो, मुझे सेक्स में बहुत मज़ा आता है। शादी से पहले, मैं बहुत मूठ मारता था इसलिए मेरा लौड़ा लंबा और मोटा होता चला गया। मेरी शादी, जब मैं 22 साल का था तब हुई थी।
मेरी वाइफ का नाम, शीतल है। शीतल की लंबाई, ५ फीट ५ इंच है और काफ़ी सुडौल और मांसल बदन की औरत है।
शीतल की उम्र, अभी २८ साल की है और उसका रंग सांवला है.. उसकी चूचियाँ का साइज़ “36 सी” है.. उसके चूतड़ काफ़ी मांसल और बड़े है.. शीतल भी बहुत सेक्सी है और सेक्स में बहुत रूचि लेती है |
सेक्स करते वक़्त, शीतल बहुत ज़्यादा उत्तेजित रहती है और बेहद गंदी और अश्लील बातें करना बहुत पसंद करती है।
शीतल कहती है की सेक्स करते वक़्त गंदी बातें करने से, एक दूसरे को माँ-बहन की गलियाँ बकने से, दूसरे मर्द के लण्ड के बारे में सोचने से और शादी से पहले मेरी गर्ल फ्रेंड की चुदाई के बारे में सुनने से, उसे बहुत अच्छा ओर्गाझम होता है। मैंने भी उसको बहुत सी ब्लू फिल्म में दूसरे मर्द के लण्ड दिखाए हैं। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | वैसे, मैं जानता हूँ की उसने हक़ीकत में भी शादी के पहले और बाद में भी बहुत से लण्ड देखे हैं |
खैर, मैंने उसको कहा है की जब भी मौका लगे तो किसी दूसरे मर्द के लण्ड का भी टेस्ट ले कर देख सकती है.. जिसके लिए, मैंने उसको पूरी पर्मिशन दे रखी है.. अब मना करने से, वो “सतीत का व्रत” तो ले नहीं लेगी.. तो बेहतर है, रिश्ते में पारदर्शिता हो.. मैं जानता हूँ की बहुत से मर्द, मेरे बारे में क्या राय बना रहे होंगे.. पर, क्या एक भी मर्द सीना ठोंक कर, ये कह सकता है कि उसकी पत्नी शादी से पहले या उसके पीठ पीछे, किसी से नहीं चुदी |
चलिए, वो सब लोग मुझे “शुभा” कह सकते हैं जिनकी पत्नी सुहागरात के दिन, कुँवारी थी और उनका लण्ड खून से सना था। मैं ये भी जानता हूँ, इतना पारदर्शी और खुला शादीशुदा जीवन जीने के बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है की मेरी बीवी पूरी तरह मेरे साथ ईमानदार ही होगी पर फिर भी संजैनब, कुछ तो कम होती ही है।
खैर, अब वापस आते हैं कहानी पर… शीतल, एक सेकेंडरी स्कूल टीचर है और मुंबई में एक स्कूल में पढ़ाती है।
हमारा एक 2 साल का बच्चा है, जो मेरी सास यानी शीतल की मम्मी के पास गाडरवारा में भेज रखा है।
एक तो दोनों की व्यस्तता के चलते और दूसरा हमारे सास ससुर के अकेले होने के कारण।
शीतल, उनकी अकेली बेटी है। इधर, मैं भी सरकारी नौकरी में हूँ। बदक़िस्मती से, मेरी पोस्टिंग पिछले दो साल से जबलपुर में है.. इसलिए, मैं और शीतल साथ साथ नहीं रह पाते.. जब छुट्टियाँ होती हैं तो या तो मैं मुंबई 2-3 दिन के लिए, चला जाता हूँ या शीतल 2-3 दिन के लिए, जबलपुर आ जाती है। मैं जबलपुर में, सरकारी घर में रहता हूँ.. उधर, शीतल ने भी मुंबई में एक कमरा किराए पर ले रखा है.. जैसा आप समझ ही गये हैं मैं और शीतल, सेक्स के मामले में पूरी तरह खुले हुए हैं इसलिए शीतल ने यहाँ जबलपुर में मेरे लिए एक 25-26 साल की विधवा बाई रखवा दी.. जो, सुबह बहुत जल्दी आ जाती है और रात का खाना बना कर मुझे खिलाने के बाद ही, वापस जाती है..
बाई का नाम – सुमन है।
सुमन बहुत गोरी है, लेकिन थोड़ी मोटी है।
शीतल ने बाई रखने के बाद, मुझ से हंसते हुए कहा था – सुभास, तुम्हारा तो टेम्पररी इंतेज़ाम मैंने कर दिया… अब, मेरा क्या… ??
मैंने भी शीतल को तुरंत हंसते हुए जवाब दिया – ऐसा भी क्या है शीतल, मेरी जान… तुम अपने लिए मुंबई में भी कोई टेम्पररी इंतेज़ाम कर लो… ढूँढ लो, कोई मूसल सा लण्ड, जो तुम्हारी चूत की सर्विसिंग करता रहे… तुम तो जानती हो, मुझे तो कोई परेशानी नहीं है… बस, शर्त यही है, मुझे विस्तार से सब बताना होगा… हो सके तो, एक आध फोटो भी ले लेना… आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | खैर, मुझे नहीं मालूम इधर शीतल ने सुमन से क्या बातें की इस बारे में। मैं रोज लूँगी पहन कर सोता हूँ और लूँगी के नीचे चड्डी नहीं पहनता।
रोज सवेरे, सुमन मुझे चाय देती है और फिर झाड़ू पोंछ करती है और मैं चाय के साथ ही न्यूज़ पेपर पढ़ता हूँ।
दो तीन दिन तक, मैंने नोटीस किया की सुमन मेरे पैरों की तरफ फ्लोर पर बैठी हुई काफ़ी देर तक पोंछ लगाती रहती थी और कनखियों से मेरी लूँगी के भीतर देखती रहती थी.. जिसमें से, मेरे पैर पर पैर रखने से मेरा लटका हुआ लिंग उसे साफ़ साफ़ दिखता था.. |
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