लंड खड़ा रहेगा तो खुजली होगी ही

गतांग से आगे …. देखो ना मेरा लंड कितना फूल गया है और तुम्हारी बुर भी खुज़ला रही है प्लीज़ मुझे दिन मे अपनी बुर देखने दो ना और वैसे भी मैं अभी तो लंड तुम्हारे छेद मे डाल नही पाउन्गा मैने एक हाथ से अपने लंड को सहलाते हुए कहा और दूसरे हाथ से उसकी नंगी जाँघ को सहलाते हुए उसकी बुर के होठों को उंगलियों से खोलने लगा माँ भी शायद बहुत गरम हो गयी थी और चुदवाना चाहती थी क्योकि उसने मेरा हाथ इस बार नही हटाया, पर शायद शर्मा रही थी और अचानक बात को पलट ते हुए बोली अरे कितनी देर हो गयी खाना बनाना है और वैसे ही नाइटी बिना बंद किए हुए उठ कर किचन मे चली गयी, मैं भी तुरंत माँ के पीछे-पीछे किचन मे चला गया और मैने देखा कि नाइटी का सिर्फ़ एक दो बटन ही बंद था बाकी सारा खुला हुआ था जिस के कारण उसकी चुचियाँ बाहर निकली हुई थी और नाभि से नीचे का पूरा हिस्सा पैरों तक एकदम नंगा दिख रहा थी मैं उन्हे पीछे से पकड़ कर चिपक गया जिससे मेरा लंड माँ के चूतरों के बीच मे घुस गया और बोला “मा तुम बहुत अच्छी हो” मेरे दोनो हाथ माँ के नंगे पेट पर थे, माँ बोली “अच्छ मुझे मस्का लगा रहा है” तो मैं हँसने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ माँ के पेट को सहलाते हुए निचले हिस्से की ओर ले जाने लगा, माँ की साँसे तेज़ चल रही थी पर बोली नही, तो मेरी हिम्मत और बढ़ी और मैं ने अपना हाथ माँ की बुर के उपर हल्के से रख दिया और उंगलियो से उनकी बुर हल्के हल्के दबाने लगा, पर माँ फिर भी कुछ नही बोली, मेरा लंड उत्तेजना की वज़ह से पूरा तना हुआ था, और माँ की गांड मे घुसने की कोशिश कर रहा था, माँ की बुर की चिकनाई मुझे महसूस होरही थी और चिकना पानी उसकी बुर से निकल कर जांघों पर बह रहा था, मैं उंगलियो को और नीचे की तरफ करता जा रहा था, तभी मेरी उंगलिया माँ की बुर की पुट्तियों के टच करने लगा, माँ बोली “तू बहुत बदमाशी कर रहा है” पर मैं बिना कुछ बोले लगा रहा और फिर एक हाथ से धीरे धीरे उसकी बुर के लटकते हुए चमड़े को सहलाने और फैलाने लगा जब मैने देखा कि माँ मना नही कर रही है तो मैं धीरे से दूसरे हाथ से माँ की नाइटी को माँ की कमर के पीछे कर दिया | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जिससे माँ पेट के नीचे से एकदम नंगी हो गयी, मैं उत्तेजना के मारे पागल हो रहा था, मेरे लंड का सूपड़ा माँ की नंगी चुतरो की फांकों मे धँस गया, फिर मैं की बुर से निकले लंबे चमड़े को फैला कर बुर के छेद मे उंगली डालने की कोशिस करने लगा, माँ ने काम करना बंद कर दिया, उनकी बुर से चिकने पानी की बूंदे टपकने लगी थी, माँ भी अब मेरा साथ दे रही थी और नाइटी का बाकी बटन खोल दिया जिससे नाइटी नीचे गिर गई, अब माँ और मैं पूरी तरह नंगे हो गये थे मैं पीछे से हट कर माँ के सामने आ गया और मोढ़े पर बैठ कर माँ की बुर को फैलाते हुए उनके बुर से बाहर लटकते हुए चमड़े को मूह मे भर लिया और चूसने लगा, माँ ने मेरा सर पकड़ कर अपनी बुर से और सटा दिया उनके मूह से ओह्ह्ह आह की आवाज़े निकल रही थी, मैने अपनी जीभ माँ की बुर मे डाल दी और उन्हे तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा, उनकी बुर का सारा नमकीन पानी मेरे मूह मे भर गया, माँ ने भी मस्त हो कर अपनी जाँघो को और फैला दिया और कमर हिला-हिला कर बुर चटवाने लगी, कुछ ही देर मे माँ मेरे मूह को जाँघो से दबाते हुए झर गयी पर मेरा लंड और ज़यादा तन गया था तभी माँ मुझे खड़ा करते हुए खुद मोढ़े पर बैठ गयी और नीचे गिरी हुई नाइटी से मेरे सुपाडे को पोछ कर मेरा सूपड़ा अपने मूह मे भर लिया और मेरे चूतरो को अपने दोनो हाथों से दबाते हुए चूसने लगा और एक उंगली मेरी गांड के छेद मे डालने लगी, मैं तो जैसे सपनो की दुनिया मे पहुँच गया था, माँ ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी और मैं भी लंड को उसके मूह मे अंदर बाहर कर रहा था, तभी मैने अपना कंट्रोल खो दिया और ओह्ह करते हुए माँ के मूह मे ही झरने लगा, माँ मेरे सुपाडे को तब तक अपने मूह मे लिए रही जब तक मेरा वीर्य निकलना बंद नही हो गया, हम दोनो कुछ देर तक वैसे ही बैठे रहे, फिर माँ मुझ से प्यार करते हुए बोली “तूने आख़िर अपनी मनमानी कर ही ली” तो मैं बोला तुम्हे अच्छा लगा ना तो माँ हँसने लगी और चाइ बनाने लगी, चाइ पीकर मैं किचन से बाहर आ गया और माँ नंगी ही खाना बनाने लगी, फिर उसके बाद कुछ नही हुआ, दोपहर मे खाना खाते समय माँ मेरे लंड को देखते हुए बोली “अभी वीनू के आने का टाइम हो गया है, आब तू लूँगी लप्पेट ले वरना वीनू को अटपटा लगेगा, रात मे सोते वक़्त बेड पर फिर से लूँगी उतार कर नंगे सो जाना” हम दोनो उस समय तक नंगे ही बैठे थे, मैने माँ से कहा कि “मा कपड़े पहनने का मन नही कर रहा है, अब तो घर मे नंगा ही रहूँगा, अब तो दीदी को भी नंगे ही रहने के लिए कहो लेकिन कैसे” माँ बोली, तो मैं बोला “मुझे नही पता पर अब मैं नंगा ही रहूँगा और तुम भी नंगी रहो” माँ बोली “ठीक है पर अभी तो कुछ पहन लो फिर मैं लूँगी लप्पेट कर टीवी देखने लगा और माँ भी नाइटी पहन कर काम करने लगी, जब दोपहर मे वीनू आई तो मुझे लूँगी मे बैठे देख कर माँ से धीमी आवाज़ मे बाते करने लगी, और मैं मन ही मन उन दोनो को एक ही बिस्तर पर चोद्ने का प्लान बना रहा था. रात को मैं पूरा प्लान बना कर लूँगी उतार कर माँ का इंतजार करने लगा, , कुछ देर बाद माँ कमरे मे आई और दरवाजा बंद कर दिया फिर काम ख़तम करने के बाद बिना लाइट ऑफ किए नंगी हो कर बेड पर लेट गई और मेरी तरफ करवट कर के मुझ से पूछा अब कैसा है मैं तो पहले से ही तैयार था तुरंत बात को पकड़ते हुए पूछा क्या वही” माँ बोली, मैने कहा वही क्या इसका कोई नाम नही है क्या” “अच्छा बड़ा चतुर हो गया है तुझे नही पता क्या” और हँसने लगी, मैं बोला मुझे तो दोस्तो ने बताया है पर तुम सही नाम बताओ ना अच्छा पहले सुनू तो तेरे दोस्तो ने क्या बताया है मैने कहा लंड” ये सुनते ही माँ की ज़ोर से हँसी छूट गई, मैने माँ के जाँघो को फैलाते हुए उनकी बुर की पुट्तियों को सहलाने लगा और पूछा “अच्छा ये बताओ ये जो तुम्हारी बुर से बाहर चमड़ा निकला है इसका क्या कहते है” तो माँ बोली “तेरे दोस्त क्या कहते है” तो मैने कहा “छोड़ो ना दोस्तो को तुम बताओ इसे क्या कहते है तो माँ ने कहा कुछ भी कह ले पट्टी पंखुड़ी पुट्ती तुझे अच्छी लगती है तो मैने कहा “हां अच्छा ये बताओ जब मैं तुम्हारी गांड मे लंड डाल रहा था तो दर्द होते ही तुमने मुझे मना क्यो नही किया तो माँ ने कहा “मुझे भी गांड मरवाने का मन कर रहा था” मैने आश्चर्या से पूछा क्या तो माँ ने कहा “हां मेरी गाव मे मेरे पड़ोस की चाची और उनकी लड़की जो एक दूर के रिश्तेदारी मे मेरी चाची और चचेरी बहन लगती थी, उसने बताया कि शादी के बाद उन्हे चुदाई के बारे मे ज़्यादा नही मालूम था, और उसका पति उसकी गांड मे ही अपना लंड पेलता था, बाद मे मेरी चाची यानी उसकी माँ जो खुद भी बहुत चुड़दकड़ थी, उसने अपनी बेटी और दामाद को चुदाई के बारे मे बताया, अब अक्सर वो सब साथ मे चुदाई और गांड मरवाने का मज़ा लेते है, उसी ने मुझे गांड मे लंड लेने का तरीका और मज़े के बारे मे बताया था उसकी दो लड़कियाँ है | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जब तू बड़ा होगा तो मैं तेरी शादी उसी की बड़ी लड़की से करवाउंगी फिर हम सब भी साथ मे मज़े लेंगे अच्छा अब ये बता कि वीनू को कैसे पटाया जाए अब तो मैं भी एक भी दिन बिना तेरे लंड के नही रह सकती हूँ अब तो जब तक मेरी गांड मे तेरा लंड ना जाए मज़ा नही आए गा एक बार वीनू पट जाए तो फिर तो मैं दिन भर गांड मरवाती और चुद्वाती रहूंगी उसके बाद तू चाहे तो तो वीनू को भी चोद लें फिर उसे भी अपनी बुर हाथ से नही रगरनी पड़ेगी तो मैं बोला “मैं जैसा कहता हूँ वैसा ही करती रहना वो अपने आप खुल जाएगी वैसे भी वो तुमसे ओपन्ली बाते करती ही है ना चुद्ने भी लग जाएगी तो माँ ने कहा कि “हां हम ओपन तो है पर कभी चुदाई की बाते नही की है” तो मैने कहा कि “अच्छा कितना ओपन हो” तो माँ मेरे लंड को सहलाते हुए बोली “पहले तो सिर्फ़ MC के समय पैड लगाने तक पर अब तो हम दोनो एक दूसरे के सामने नंगे ही कपड़े बदल लेते है कभी कभी मैं उससे बाल सॉफ करने वाली क्रीम माँग लेती हूँ झांतो को सॉफ करने के लिए मैं बाथरूम मे बुर पर क्रीम नही लगा पाती हूँ और कमरे मे लगाती हूँ तो वो कई बार देख चुकी है हम दोनो का एक दूसरे की बुर देखना नॉर्मल है कई बार जब वो खेल कर आती है और थकि होती है तो मैं उसकी मालिश कर देती हूँ वो भी उसे नंगा करके उसके जाँघो और चूतरो पर भी उस समय मेरे हाथ उसकी बुर और गंद के छेद को भी छूते और मसल्ते है और वो भी कभी कभी मेरी मालिश करती है नंगा करके हां कभी-कभी जब मालिश के समय मेरी बुर खुजलाती है तो उसी के सामने मैं बुर मे उंगली करती थी तो उस समय उसने मुझे देखा है और मुझे ये भी पता है कि वो भी अपनी बुर मे उंगली डाल कर झड़ती है ना तो उसने कभी मुझे झाड़ा है और ना ही मैने बस हम दोनो को ये जानते है कि हम दोनो बुर मे उंगली करते है पर चाची और बहन की तरह बुर या गन्ड चटवाना या चुदाई की बाते नही की है तो मैने कहा “इतना काफ़ी है” और मैने अपना सारा प्लान माँ को बता दिया, अगले दिन सुबह प्लान के मुताबिक मैं लूँगी पहन कर बाहर गया तो देखा माँ और दीदी बाते कर रही थी, मुझे देख कर माँ ने दीदी से कहा “जा भाई के लिए चाइ ले आ” तो दीदी किचन मे चली गई, मैं माँ के सामने अपनी लूँगी थोड़ा फैला कर ऐसे बैठा कि दीदी को पता चल जाए कि मैं माँ को अपना लंड दिखा रहा हूँ पर दीदी को मेरा लंड ना दिखाई दे, जैसे ही दीदी आई तो मैने माँ को इशारा करते हुए अपनी जाँघो को बंद कर लिया, दीदी कभी मुझे और कभी माँ को देखती पर वो समझ गयी थी कि माँ मेरा लंड देख रही थी चाइ पीने के बाद मैने जानबूझ कर अपना लंड हाथ से पकड़ कर जिससे दीदी की जिग्यसा बढ़ जाए माँ से कहा “मैं फ्रेश होने जा रहा हूँ चलो तो माँ दीदी की तरफ देख कर बोली “हां चल मुझे भी पेशाब लगी है और देख भी लूँगी फिर बाथरूम मे आने के बाद मैं उसके बाद कुछ नही हुआ, इस तरह 2-3 दिन बीत गये और हम लोग इसी तरह दीदी को उत्तेजित करते रहे, एक दिन दोपहर मे खाना खाने के बाद प्लान के मुताबिक मैं कमरे मे आकर लूँगी से अपना लंड बाहर निकाल कर सोने का नाटक करने लगा, थोरी देर मे माँ भी आ गई और अलमारी खोल कर वही ज़मीन पर बैठ गई….

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