प्रेषक: प्रदीप
बहु की पसंदीदा पोजीशन-1
गतांग से आगे … बड़े चाव से वंदना की चूत को सूंघने लगे. थोड़ी देर के बाद उन्होने अपना जीव निकाल कर वंदना की चूत को चाटना सुरू कर दिया. जैसे ही उनकी जीव वंदना की चूत मे घुसी, तो वंदना जो की पलंग के सहारे खड़ी थी, पलंग पर अपने चूतर टीका दिए और अपने पैर फैला कर अपनी चूत अपने ससुर से चटवाने लगी. थोड़ी देर तक वंदना की चूत चाटने के बाद नंदू जीने अपनी जीव वंदना की चूत के अंदर डाल दी और अपनी जीव को घुमा घुमा कर चूत को चूसने लगे. अपनी चूत चटाई से वंदना बहुत गरम हो गयी और उसने अपने हाथों से अपने ससुर का सिर पकड़ कर अपनी चूत मे दबाने लगी और उसकी मुँह से सी सी की आवाज़े भी निकलने लगी. अब नंदू जीने उठ कर वंदना को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया. जैसे ही वंदना पलंग पर लेटी, नंदू जी झपट कर वंदना पर चढ़ बैठ गये और अपने दोनो हाथों से वंदना की चूंचियो को पकड़ कर मसल्ने लगे. नंदू जी अपने हाथों से वंदना की चूंची को मसल रहे थे और मुँह से बोल रहे थे, “मुझे मालूम था कि तेरी चूंची इतनी मस्त होगी. मैं जब पहली बार तुझको देखने गया था तो मेरा नज़र तेरी चूंची पर ही थी और मैने उसी दिन सोच लिया था इन चूंचियो पर मैं एक ना एक दिन ज़रूर अपना हाथ रखूँगा और इनको रगड़ रगड़ कर दाबुँगा. “हाई! आह! ओह! एह आप क्या कह रहें है? एक बाप होकर अपने लड़के के लिए लड़की देखते वक़्त आप उसकी सिर्फ़ चुन्चिओ को घूर रहे थे. छी कितने गांडे है आप” वंदना मचलती हुई बोली. तब नंदू जी वंदना को चूमते हुए बोले, “अरे मैं तो गांडा हूँ ही, लेकिन तू क्या कम गांडी है? अपने ससुर के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई है और अपनी चुचियो को ससुर से मसलवा रही है? अब बता कोन ज़्यादा गांडा है, मैं या तू?” फिर नंदू जी ने वंदना से पूछा, “अच्छा ये बात कि चुचि मसलाई से तेरा क्या हाल हो रहा है?” वंदना अपने ससुर से लिपट कर बोली, “”ऊऊहह और जोरे से हां ससुरजी और ज़ोर से दबाओ बड़ा मज़ा आरहा है मुझे, आपके हाथ औरतों के चुचियो से खेलने मे बहुत ही माहिर है. आपको पता है कि औरतों की चूंची कैसे दबाया जाता है. और ज़ोर से दबाइए, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. फिर वंदना अपने ससुर को अपने हाथों से बाँधते हुए बोली, “अब बहुत हो गया है चूंची से खेलना. आपको इसके आगे जो भी करने वाले हैं जल्दी कीजिए, कहीं मनोज ना आ जाए और मेरी भी चूत मे खुजली हो रही है.” “अभी लो, मैं अभी तुझको अपने इस मोटे लंड से चोद्ता हूँ. आज तुझको मैं ऐसा चोदुगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी” इतना कह कर नंदू जी उठकर वंदना के पैरों के बीच उकूड़ू हो कर बैठ गये. ससुरके अपने ऊप्पेर से उठते ही वंदना ने अपनी दोनो टाँगों को फैला कर ऊपर उठा लिया और उनको घुटने से मोड़ कर अपना घुटना अपनी चुन्चिओ पर लगा लिया. इससे वंदना की चूत पूरी तरह से खुल कर ऊपर आ गयी और अपने ससुर के लंड कोअपनी चूत को खिलाने के लिए तैयार हो गयी. नंदू जी भी उठ कर अपनी धोती उतार, अंडरवेर, कुर्ता और बनियान उतार कर नंगे हो गये और फिर से वंदना के खुले हुए पैरों के बीच मे आकर बैठ गये. तब वंदना नेउठ कर अपने ससुर का तन्तनाया हुआ लंड अपने नाज़ुक हाथों से पकड़ लिया और बोली, “ऊओह ससुरजी कितना मोटा और सख़्त है आपका ये.” नंदू जी वंदना के कन से अपना मुँह लगा कर बोले, “मेरा क्या? बोल ना वंदना, बोल” नंदू जी अपने हाथों से वंदना का गदराई हुई चुचियो को अपने दोनो हाथों से मसल रहे थी और वंदना अपने ससुर का लंड पकड़ कर मुट्ठी मे बाँधते हुए बोली, ” आपका ये पेनिस सस्स्शह उउउउम्म्म्म्म्म्माआह्ह्ह्ह.” नंदू जी फिरसे वंदना के कान पर धीरे से बोले, “वंदना हिन्दी मे बोलो ना इसका नाम प्लीज़”. वंदना ससुर के लंड को अपने हाथों मे भर कर अपनी नज़र नीची कर के अपने ससुर से बोली, “मैं नही जानती, आप ही बोलिए ना, हिन्दी मे इसको क्या कहते हैं.” नंदू जी ने हंस कर वंदना की चूंची के चूस्ते हुए बोले, “अरे ससुर के सामने नंगी बैठी है और ये नही जानती कि अपने हाथ मे क्या पकड़ रखी है? बोल बेटी बोल इसको हिन्दी मे क्या कहते और इससे अभी हम तेरे साथ क्या करेंगे.”तब वंदना ने शर्मा कर अपने ससुर के नगी छाती मे मुँह छुपाते हुए बोली, “ससुरजी मैने अपने हाथों से आपका खड़ा हुआ मोटा लंड पकड़ रखा है, और थोड़ी देर के बाद आप इस लंड को मेरी चूत के अंदर डाल कर मेरी चुदाई करेंगे. बस अब तो खुश हैं आप. अब मैं बिल्कुल बेशर्म होकर आपसे बात करूँगी.” इतना सुन कर नंदू जी ने तब वंदना को फिर से पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने बहू के टाँगो को अपने हाथों से खोल कर खुद उन खुली टाँगो के बीच बैठ गये. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बैठने के बाद उन्होने झुक कर वंदना की चूत पर दो तीन चुम्मा दिया और फिर अपना लंड अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बहू की चूत के दरवाजे पर दिया. चूत पर लंड रखते ही वंदना अपनी कमर उठा उठा कर अपने ससुर के लंड को अपनी चूत मे लेने की कोशिश करने लगी. वंदना की बेताबी देख कर नंदू जी अपनी बहू से बोली, “रुक छीनाल रुक, चूत के सामने लंड आते ही अपनी कमर उचका रही है. मैं अभी तेरे चूत की खुजली दूर करता हूँ.” वंदना तब अपने ससुर की छाती पर हाथ रख कर उनकी निपल को अपने उंगलियो से मसल्ते हुए बोली, “ऊऊहह ससुरजी बहुत हो गया है. आअब बर्दाश्त नहीं हो रहा है आओ ना ऊऊओ प्लीज़ ससुरजी, आओ ना, आओ और जल्दी से मुझको चोदो. अब देर मत करो अब मुझे चोदो ना अब और कितनी देर करेंगे ससुरजी. ससुर जी जल्दी से अपना ये मोटा लंड मेरी चूत मे घुसेर दीजिए. मैं अपनी चूत की खुजली से पागल हुई जा रही हूँ. जल्दी से मुझे अपने लंड से चोदिये. आह! ओह! क्या मस्त लंड है आपका.” नंदू जीने अपना लंड अपने बहू की चूत मे ठेलते हुए बोले, “बाह री मेरी छीनाल बहू, तू तो बड़ी चुड़दकर है. अपने मुँह से ही अपने ससुर के लंड की तारीफ कर रही है और अपनी चूत को मेरा लंड खिलाने के लिए अपनी कमर उचका रही है. देख मैं आज रात को तेरी चूत की क्या हालत बनाता हूँ. साली तुझको चोद चोद कर तेरी चूत को भोसरा बना दूँगा” और उन्होने एक ही झटके के साथ अपना लंड वंदना की चूत मे डाल दिया.चूत मे अपने ससुर का लंड घुसते ही वंदना की मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी और उसने अपने हाथों से अपने ससुर को पकड़ उनका सर अपनी चूंचियो से लगा दिया और बोलने लगी, “वाह! वाह ससुर जी क्या मस्त लंड है आपका. मेरी तो चूत पूरी तरह से भर गयी. अब ज़ोर ज़ोर से धक्का मार कर मेरी चूत की खुजली मिटा दो. चूत मे बहुत खुजली हो रही है.” अभी लो मेरी छीनाल चुद्दकर बहू, अभी मैं तेरी चूत की सारी की सारी खुजली अपने लंड के धक्के के साथ मिटाता हूँ” नंदू जी कमर हिला कर झटके के साथ धक्का मारते हुए बोले. वंदना भी अपने ससुर के धक्के के साथ अपनी कमर उछाल उछाल कर अपनी चूत मे अपने ससुर का लंड लेते बोली, “ओह! आह! आह! ससुरजी मज़ा आ गया . मुझे तो तारे नज़र आ रहें है. आपको वाकई मे औरत की चूत चोदने की कला आती है. चोदिए चोदिए अपने बहू की मस्त चूत मे अपना लंड डाल कर खूब चोदिए. बहुत मज़ा मिल रहा है. अब मैं तो आपसे रोज़ अपनी चूत चुदवाउन्गि. बोलिए चोदेन्गे ना मेरी चूत?” नंदू जी अपनी बहू की बात सुन कर मुस्कुरा दिए और अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना जारी रखा. वंदना अपने ससुर के लंड से अपनी चूत चुदवा कर बहाल हो रही थी और बार्बरा रही थे, “आआहह ससुरज़ीईए जोर्र्र्रर सीई. हन्णन्न् सस्र्ज़ीए ज़ूर्र्ररर ज़ूर्र्रर से धककककाअ लगिइिईईईईईई, और्र्ररर ज़ूरर्र सीई चोदिईईए अपनी बहूउऊ की चूत्त्त्त को. मुझीई बहुउत्तत्त अक्चहाअ ल्ाअगग्ग रहहाअ हाईईइ, ऊऊओह और जर से चोदो मुझे आआहह सौउउउर्र्रर्ज़ीए और ज़ोर से करो आआअहह और अंदर ज़ोर सई. ऊऊओह डीआररर ऊऊओह उउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ आआहह आआहह उउउइईई आअहह उउउउम्म्म्माआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊऊओह.” थोड़ी देर तक ज़ोर ज़ोर धक्को से अपने बहू चूत चोदने के बाद नंदू जी ने अपना धक्कों की रफ़्तार धीमी कर दी और वंदना की चुचियो को फिर से अपने हाथों मे पकड़ कर वंदना से पूछा, “बहू कैसा लग रहा अपने ससुर का लंड अपनी चूत मे पेलवा कर?” तब वंदना अपनी कमर उठा उठा कर चूत मे लंड की चोट लेती हुई बोली, “ससुरजी आपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरी चूत दोनो का हाल ही बहाल हो गया है. आप चूत चोदूनीई मे बहुत एक्षपेरत्त्तत्त हैंन्णणन् बड़ाअ मज़ा आ रहा है मुझे ससुरजी ऊओह ससुरजी आप बहुत अच्छा छोड़ते हैं आआहह उउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. ऊऊओफफफफफफफ्फ़ ससुरजी आप बहुत ही एक्सपर्ट हैं और आपको औरतों की चूत चोद कर औरतों को सुख देना बहुत अक्च्छीए तरह से आत्ता हैं. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है य्यून्न ही हां सौरझीई यूंन ही चोदो मुझे आप्प्प्प बाहुत अच्छे हो बास्स य्यूँ ही चोदै करो मेरी ऊओह खूब चोदो मुझे. नंदू जी भी वंदना की बातों को सुन कर बोले, “ले रंडी, छीनाल ले अपनी चूत मे अपने ससुर के लंड का ठोकर ले. आज देखतें है कि तू कितनी बड़ी छीनाल चुड़दकर है. आआज मैं तेरी चूत को अपने हलवी लंड से चोद चोद कर भोसरा बना दूँगा. ले मेरी चुड़ककर बहू ले मेरा लंड अपनी चूत से खा.” नंदू ने इतना कह कर फिर से वंदना की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेलने लगे और थोड़ी देर के अपना लंड जड़ तक ठोक कर अपनी बहू की चूत के अंदर झाड़ गये. वंदना भी अपने ससुर के लंड को चूतर उठा कर अपनी चूत से खाती खाती झाड़ गयी. थोड़ी देर तक दोनो ससुर और बहू अपनी चुदाई से थक कर सुस्त पड़े रहे.थोड़ी देर के बाद वंदना ने अपनी आँख खोली और अपने ससुर और खुद को नंगी देख कर शर्मा कर अपने हाथों से अपना चहेरा ढक लिया. तब नंदू जी नेउठ कर पहले बाथरूम मे जा कर अपना लंड धो कर साफ करने के बाद फिर से वंदना के पास बैठ गये और उसकी शरीर से खेलने लगे. नंदू जी ने अपने हाथों से वंदना का हाथ उसके चहेरे से हटा कर अपने बहू से पूछा, “क्यों, छीनाल चूड्दकर रंडी वंदना मज़ा आया अपने ससुर के लंड से अपनी चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लंड और उसके धक्के?” वंदना अपने हाथों से अपने ससुर को बाँध कर उनको चूमते हुए बोली, “बाबूजी आपका लंड बहुत शानदार है और इसको किसी भी औरत की चूत को चोद कर मज़ा देने की कला आती है. लेकिन, सुबसे अच्छा मुझे आपका चोदते हुए गांडी बात करना लगा. सच जब आप गांडी बात क्राते हैं और चोदते है तो बहुत अच्छा लगता है.” नंदू जी अपने हाथों से वंदना की चूंची को पकड़ कर मसल्ते हुए बोले, “अरे छीनाल, जब हम गांडा काम कर रहें हैं तो गांडी बात करने मे क्या फ़र्क पड़ता है और मुझको तो चुदाई के समय गाली बकने की आदत है. अच्छा अब बोल तुझे मेरी चुदाई कैसी लगी? मज़ा आया कि नही, चूत की खुजली मिटी की नही?” वंदना तब अपने हाथों से अपने ससुर का लंड पकड़ कर सहलाते हुए बोली, “ससुरजी आपका लंड बहुत ही शानदार है और मुझे आपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया. लगता है कि आपके लंड को भी मेरी चूत बहुत पसंद आया. देखिए ना आपका लंड फिर से खड़ा हो रहा है. क्या बातहै एक बार और मेरी चूत मे घुसना चाहता है क्या?” रसिक लाल जी तब अपने हाथ वंदना की चूत पर फेरते हुए बोले, “साली कुतिया, एक बार अपने ससुर का लंड खा कर तेरी चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लंड खाना चाहती है? ठीक है मैं तुझको अभी एक बार फिर से चोद्ता हूँ.”नंदू जी की बात सुन कर वंदना झट से उठ कर बैठ गयी और अपने ससुर के सामने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली, “बाबूजी, अब मेरी चूत मे पीछे से अपना लंड डाल कर चोदिए. मुझे पीछे से चूत मे लंड डलवाने मे बहुत मज़ा आता है.” नंदू जी ने तब अपने सामने झुकी हुई वंदना के चूतर पर हाथ फेरते हुए वंदना से बोले, “साली कुत्ती तुझको पीछे से लंड डलवाने मे बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाति है, क्या तू कुतिया है?” वंदना अपना सिर पीछे घुमा कर बोली, “हाँ मेरे चोदु ससुरजी मे कुतिआ हूँ और इस समय आप कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेन्गे. अब जल्दी भी करिए और शुरू हो जाइए जल्दी से मेरी चूत मे अपना लंड डालिए.” नंदू जी अपने लंड पर थूक लगाते हुए बोले, “ले री रंडी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत मे अपना लंड डाल कर उसकी खबर लेता हूँ. साली तू बहुत चुड़दकर है. पता नहीं मेरा बेटा तुझको शांत कर पाएगा कि नही.” और इतना कहकर नंदू जी अपनी बहू के पीछे जाकर उसकी चूत अपने उंगलिओ से फैला कर उसमे अपना लंड डाल कर चोदने लगे. चोदते चोदते कभी कभी नंदू जी अपनी उंगली वंदना की गांड मे घुसा रहें थे और वंदना अपनी कमर हिला हिला अपनी चूत मे ससुर के लंड को अंदर बाहर करवा रही थी. थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनो बहू और ससुर झाड़ गये. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तब वंदना उठ कर बाथरूम मे जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी और नंदू जी भी अपने कमरे जाकर सो गये.अगले हफ्ते मनोज और वंदना अपने हनिमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला मे रहता है, चले गये. जैसे ही मनोज और वंदना शिमला एरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि मनोज का दोस्त, विनोद और उसकी बीबी सुमन दोनो बाहर अपनी कार के साथ उनका इंतेज़ार कर रहें हैं. मनोज और विनोद आगे बढ़ कर एक दूसरे के गले लग गये. फिर दोनो ने अपनी अपनी बिबिओ से इंट्रोड्यूस करवा दिया और फिर कार मे बैठ कर घर की तरफ चल पड़े. घर पहुँच कर मनोज और विनोद ड्रॉयिंग मे बैठ कर पुरानी बातो मे मशगूल हो गये और वंदना और सुमन दूसरे कमरे मे बैठ कर बातें करने लगी. थोड़ी देर के बाद मनोज और विनोदने अपनी बीबियो को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत ज़ोर की भूक लगी है. सुमन ने फटा फॅट खाना लगा दिया और चारों डाइनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे. खाना खाते वक़्त वंदना देख रही थी कि मनोज खाना खाते वक़्त सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुस्कुरा रही है. वंदना को दाल मे कुछ काला नज़र आया. लेकिन वो कुछ नही बोली.अगले दिन सुबह विनोद नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफीस के लिए रवाना हो गया . घर पर वंदना, मनोज और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गॅप लड़ा रहे थे. वंदना नेआज सुबह भी ध्यान दिया कि मनोज अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुस्कुरा रही है. थोड़ी देर के बाद वंदना नहाने के लिए अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे गयी. करीब आधे घंटे के बाद जब वंदना बाथरूम से नहा धो कर सिर्फ़ एक तौलिया लप्पेट कर बाथरूम से निकली तो उसने देखा की सुमन सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट पहने टाँगे फैला कर कुर्सी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाउस के बटन सब के सब खुले हुए है मनोज झुक कर सुमन की एक चूंची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसरी चूंची को दबा रहा है. वंदना एह देख कर सन्न रह गयी और अपनी जगह पर खड़ी की खड़ी रहा गयी. तभी सुमन की नज़र वंदना पर पर गयी तो उसने अपनी हाथ हिला कर वंदना को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चूंची मनोज से छुड़ा कर वंदना की तरफ बढ़ा कर बोली, “लो वंदना तुम भी मेरी चूंची चूसो.” मनोज चुप चाप सुमन की चूंची चूस्ता रहा और उसने वंदना की तरफ देखा तक नही. सुमन ने फिर से वंदना से बोली, “लो वंदना तुम भी मेरी चूंची चूसो, मुझे चूंची चुसवाने मे बहुत मज़ा मिलता है तभी मैं मनोज से अपनी चूंची चुस्वा रही हूँ. कहानी जारी रहेगी …
दोस्तों कहानी अभी जारी है आगे की कहानी अगले भाग में लिखुगा कहानी के बारे में अपनी राय देने के लिए मुझे ईमेल करे मेरी मेल आई डी [email protected]