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Mastram Ki Hindi Sex Stories | hindisexstories.autocamper-service.ru Ki Antarvasna Stories | मस्ताराम की हिंदी सेक्स कहानियां

बहु की पसंदीदा पोजीशन-1

प्रेषक: प्रदीप

वंदना अपने मा-बाप की एकलौती लड़की है और कानपूर मे रहती है. वंदना के पिताजी, मिस्टर. प्रदीप जी कानपूर मे ही गवर्नमेंट मे ऑफीसर थे और पछले चार साल पहले स्वरगवसी हो गये थे और वंदना की माताजी, पूजा एक हाउस वाइफ है. वंदना के और दो भाई भी है और उनकी शादी भी हो गयी है. वंदना ने पीछले साल ही ग्रेजुएशन पास किया है. वंदना का रंग बहुत गोरा है और उसकी फिगर 36-25-38 है. वो जब चलती है तो उसकी कमर एक अजीब सी बल खाती है और चलते वक़्त उसके चूतर बहुत हिलते है. उसके हिलते हुए चूतर को देख कर परोस के कयी नवजवान, और बूढ़े आदमी का दिल मचल जाता है और उनका लंड खड़ा हो जाता है. परोस के कई लड़को ने काफ़ी कोशिश की लेकिन वंदना उनके हाथ नही आई. वंदना अपनी पढ़ाई और यूनिवर्सिटी के दोस्तों मे ही मुशगूल रहती थी. थोड़े दीनो के बाद वंदना की शादी उसी सहर के रहने वाले एक पोलिस डिपार्टमेंट  में ऑफिसर से तय हो गयी.उस लड़के के नाम मनोज था और उसके पिताजी का नाम नंदू था और सब उनको नंदू जी कहकर बुलाते थे. नंदू जी अपने जवानी के दिनो मे और अपनी शादी के बाद भी हर औरत को अपनी नज़र से चोदते थे और जब कभी मौका मिलता था तो उनको अपनी लंड से भी चोदते थे. नंदू जी की पत्नी का नाम श्रुति है और वो एक लेखिका है. अब तब शीतल जी करीब 8-10 किताबे लिख चुकी है. नंदू जी बहुत चोदु है और अब तक वो अपने घर मे कई लड़की और औरतो को चोद चुके थे और अब जब कि उनका काफ़ी उमर हो गया था मौका पाते ही कोई ना कोई औरत को पटा कर अपनी बिस्तर गरम करते थे. नंदू जी का लंड की लंबाई करीब 8 1/2″ लंबा और मोटाई करीब 3 ½” है और वो जब कोई औरत की चूत मे अपना लंड डालते तो करीब 25-30 मिनट के पहले वो झड़ते नही है. इसीलिए जो औरत उनसे अपनी चूत चुदवा लेती है फिर दोबारा मौका पाते ही उनका लंड अपनी चूत मे पेलवा लेती हैं.आज वंदना का सुहागरात है. परसों ही उसकी शादी मनोज के साथ हुई थी. वंदना इस समय अपने कमरे मे सज धज कर बैठी अपनी पति का इंतजार कर रही है. उसका पति कैसे उसके साथ पेश आएगा, एह सोच सोच कर वंदना का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है. सुहागरात मे क्या क्या होता है, ये उसको उसकी भाभी और सहेलियों ने सब बता दिया था. वंदना को मालूम है कि आज रात को उसका पति कमरे मे आ कर उसको चूमेगा, उसकी चुचियो को दबाएगा, मसलेगा और फिर उसके कपड़ो को उतार कर उसको नंगी करेगा. फिर खुद अपने कपरे उतार कर नंगा हो जाएगा. इसके बाद, उसका पति अपने खड़े लंड से उसकी चूत की चटनी बनाते हुए उसको चोदेगा.वैसे तो वंदना को चुदवाने का तजुर्बा शादी के पहले से ही है. वंदना अपने कॉलेज के दिनो मे अपने क्लास के कई लड़को का लंड अपने चूत मे उतरवा चुकी है. एक लड़के ने तो वंदना को उसकी सहली के घर ले जा कर सहेली के सामने ही चोदा था और फिर सहेली की गांड भी मारी थी. एक बार वंदना अपने एक सहली के घर पर शादी मे गयी हुई थी. वहाँ उस सहली के भाई, परेश, ने उसको अकेले मे छेड़ दिया और वंदना की चूंची दबा दिया. वंदना ने सिर्फ़ मुस्कुरा दिया. फिर सहली के भाई ने आगे बढ़ कर वंदना को पकड़ लिया और चूम लिया. तब वंदना ने भी बढ़ कर सहेली के भाई को चूम लिया. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तब परेश वंदना के ब्लाउस के अंदर हाथ डाल उसकी चूंची मसलने लगा और वंदना भी गरम हो कर अपनी चूंची मसलवाने लगी और एक हाथ उसके पॅंट के ऊपर से उसके लंड पर रख दिया |

तब परेश वंदना को पकड़ कर छत पर ले गया . छत पर कोई नही था, क्योंकी सारे घर के लोग नीचे शादी मे व्यस्त थे. छत पर जा कर परेश ने वंदना को छत की दीवार से खड़ा कर दिया और वंदना से लिपट गया . परेश एक हाथ से वंदना की चूंची दबा रहा था और दूसरा हाथ सारी के अंदर डाल कर उसकी बुर को सहला रहा था.थोड़ी देर मे ही वंदना गरमा गयी और उसकी मुँह से तरह तरह की आवाज़ निकलने लगी. फिर जब परेश ने वंदना की सारी को उतारना चाहा तो वंदना ने मना कर दिया और बोली, “नही परेश हमको एकदम से नंगी मत करो. तुम मेरी सारी उठा कर, पीछे से अपना गधे जैसा लंड मेरी चूत मे पेल कर मुझे चोद दो.” लेकिन परेश ना माना और उसने वंदना को पूरी तरह नंगी करके उसको छत के मुंडेर से खड़ा करके उसके पीछे जा कर अपना लंड उसकी चूत मे पेल कर उसको खूब रगड़ रगड़ कर चोदा. चोदते समय परेश अपने हाथों से वंदना की चुचियो को भी मसल रहा था. वंदना अपनी चूत की चुदाई से बहुत मज़ा ले रही थी और परेश के हर धक्के के साथ साथ अपनी कमर हिला हिला कर परेश का लंड अपनी चूत से खा रही थी. थोड़ी देर के बाद परेश वंदना की चूत चोदते चोदते झड़ गया . परेश के झड़ते ही वंदना ने अपनी चूत से परेश का लंड निकाल दिया और खुद परेश के सामने बैठ कर उसका लंड अपने मुँह मे ले कर चाट चाट कर साफ कर दिया. थोड़ी देर के बाद वंदना और परेश दोनो छत से नीचे आ गये.आज वंदना अपनी सुहागरात की सेज पर अपनी कई बार की चूदी हुए चूत ले कर अपने पति के लिए बैठी थी. उसकी दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रही थी क्योंकी वंदना को डर था कि कहीं उसके पति ये ना पता चल जाए कि वंदना पहले ही चुदाई का आनंद ले चुकी है. थोड़ी देर के बाद कमरे का दरवाजा खुला. वंदना ने अपनी आँख तिरछी करके देखा कि उसकी ससुरजी, नंदू जी, कमरे मे आए हुए हैं. वंदना का माथा ठनका, कि सुहागरात के दिन ससुरजी का क्या काम आ गया है. खैर वंदना चुपचाप अपने आप को सिकोर बैठी रही. थोड़ी देर के बाद नंदू जी सुहाग की सेज के पास आए और वंदना के तरफ देख कर बोला,”बेटी मैं जानता हूँ कि तुम अपने पति के लिए इंतजार कर रही हो. आज की सब लड़किया अपने पति का इंतिज़ार करती है. इस दिन के लिए सब लड़कियो को बहुत दीनो से इंतिज़ार रहता है. लेकिन तुम्हारा पति, मनोज, आज तुमसे सुहागरात मनाने नही आ पाएगा. अभी अभी थाने से फोन आया था और वो अपनी यूनिफॉर्म पहन कर थाने चला गया . जाते जाते, मनोज ये कह गया कि सहर के किसी भाग मे डकैती पड़ी है और वो उसके छानबीन करने जा रहा है. लेकिन बेटी तू बिल्कुल चिंता मत करना. मैं तेरा सुहागरात खाली नही जाने दूँगा.” वंदना ने अपने ससुरजी की बात सुन तो ली पर अपने ससुर की बात उसकी दीमाग मे नही घुसी, और वंदना अपना चहेरा उठा कर अपने ससुर को देखने लगी.

नंदू जी नेआगे बढ़ कर वंदना को पलंग पर से उठा लिया और ज़मीन पर खड़ा कर दिया. तब नंदू जी मुस्कुरा कर वंदना से बोले, “घबराना नही, मैं तुम्हारी सुहागरात बेकार जाने नही दूँगा, कोई बात नही, मनोज नही तो क्या हुआ मैं तो हूँ.” इतना कह कर नंदू जी आगे बढ़ कर वंदना को अपनी बाँहों मे भर कर उसकी होठों पर चुम्मा दे दिया.जैसे ही नंदू जी ने वंदना के होठों पर चुम्मा दिया, वंदना चौंक गयी और अपने ससुरजी से बोली, “ये आप क्या कर रहें है. मैं आपके बेटे की पत्नी हूँ और उस लिहाज से मैं आप की बेटी लगती हूँ और मुझको चूम रहें है?” नंदू जी ने तब वंदना से कहा, “पागल लड़की, अरे मैं तो तुम्हारी सुहागरात बेकार ना जाए इसलिए तुमको चूमा. अरे लड़किया जब शादी के पहले जब शिव लिंग पर पानी चढ़ाती है तब वो क्या मांगती है? वो मांगती है कि शादी के बाद उसका पति उसको सुहागरात मे खूब रगड़े. समझी? वंदना ने अपना चहेरा नीचे करके पूछा, “मैं तो सब समझ गयी, लेकिन सुहागरात और रगड़ने वाली बात नही समझी.” नंदू जी मुस्कुरा कर बोले, “अरे बेटी इसमे ना समझने की क्या बात है? तू क्या नही जानती कि सुहागरात मे पति और पत्नी क्या क्या करते है? क्या तुझे ये नही मालूम की सुहागरात मे पति अपनी पत्नी को कैसे रगड़ता है?” वंदना अपना सिर को नीचे रखती हुई बोली, “हां, मालूम तो है कि पहली रात को पति और पत्नी क्या क्या करते और करवाते हैं. लेकिन, आप ऐसा क्यों कह रहें है?” तब नंदू जीने आगे बढ़ कर वंदना को अपने बाहों मे भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोले, “अरे बहू, तेरी सुहागरात खाली ना जाए, इसलिए मैं तेरे साथ वो सब काम करूँगा जो एक आदमी और औरत सुहागरात मे करते हैं.”वंदना अपने ससुर के मुँह से उनकी बात सुन कर शर्मा गयी और अपने हाथों से अपना चहेरा ढँक लिया और अपने ससुर से बोली, “हाई! ये क्या कह रहें है आप. मैं आपके बेटे की पत्नी हूँ और इस नाते से मैं आपकी बेटी समान हूँ और मुझसे क्या कह रहें है?” तब नंदू जी अपने हाथों से वंदना की चुन्चिओ को पकड़ कर दबाते हुए बोले, “हाँ मैं जानता हूँ कि तू मेरी बेटी समान है. लेकिन मैं तुझे अपनी सुहागरात मे तड़पते नही देख सकता और इसीलिए मैं तेरे पास आया हू.” तब वंदना अपने चहेरे से अपना हाथ हटा कर बोली, “ठीक है बाबूजी, आप मेरे से उमर मे बड़े हैं |

आप जो ही कह रहें है, ठीक ही कह रहें हैं. लेकिन घर मे आप और मेरे सिबा और भी तो लोग हैं.” वंदना का इशारा अपनी सासू के लिए था. तब नंदू जी ने वंदना की चूंची को अपने हाथों से ब्लाउस के उपर से मलते हुए कहा, “वंदना तुम चिंता मत करो. तुम्हारी सासू को सोने से पहले दूध पीने की आदत है, और आज मैने उनके दूध मे दो नींद की गोली मिला कर उनको पीला दिया है. अब रात भर वो आराम से सोती रहेंगी.” तब वंदना ने अपने हाथों से अपने ससुर की कमर पकड़ते हुए बोली, “अब आपको जो भी करना है कीजिए, मैं मना नही करूँगी.”तब नंदू जीने वंदना को अपनी बाहों मे भींच लिया और उसकी मुँह को बेतहाशा चूमने लगे और अपने दोनो हाथों से उसकी चुन्चेओ को पकड़ कर दबाने लगे. वंदना भी चुप नही थी. वो अपने हाथों से अपने ससुर का लंड उनके कपड़े के उपर से पकड़ कर मुठिया रही थी. नंदू जी अब रुकने के मूड मे नही थे. उन्होने वंदना को अपने से लग किया और उसकी सारी की पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दिया. पल्लू के नीचे गिरते ही वंदना की दो बड़ी बड़ी चूंची उसके ब्लाउस के उपर से गोल गोल दिखने लगी. उन चूंचियो को देखते ही नंदू जी उन पर टूट परे और अपना मुँह उस पर रगड़ने लगे. वंदना की मुँह से ओह! ओह! आह! क्या कर रहे की आवाज़े आने लगी |

थोड़ी देर के बाद नंदू जी ने वंदना की सारी उतार दी और तब वंदना अपने पेटिकोट पहने ही दौड़ कर कमरे का दरवाजा बंद कर दिया. लेकिन जब वंदना कमरे की लाइट बुझाना चाही तो नंदू जी ने मना कर दिया और बोले, “नही बत्ती मत बंद करो. पहले दिन रोशनी मे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आएगा.” वंदना शर्मा कर बोली, “ठीक है मैं बत्ती बंद नही कर ती, लेकिन आप भी मुझको बिल्कुल नंगी मत कीजिएगा.” “अरे जब थोड़ी देर के बाद तुम मेरा लंड अपनी चूत मे पेलवाओगी तब नंगी होने मे शर्म कैसी. चलो इधर मेरे पास आओ, मैं अभी तुमको नंगी कर देता हूँ. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  वंदना चुपचाप अपना सर नीचे किए अपने ससुर के पास चली आई.जैसे ही वंदना नज़दीक आई, नंदू जी ने उसको पकड़ लिया और उसके ब्लाउस के बटन खोलने लगे. बटन खुलते ही वंदना की बड़ी बड़ी गोल गोल चूंचियाँ उसके ब्रा के उपर से दिखने लगी. नंदू जी अब अपना हाथ वंदना के पीछे ले जाकर वंदना की ब्रा की हुक भी खोल दी. हुक खुलते ही वंदना की चूंची बाहर नंदू जी के मुँह के सामने झूलने लगी. नंदू जी तुरंत उन चुन्चियो को अपने मुँह मे भर लिया और उनको चूसने लगे. वंदना की चुन्चियो को चूस्ते चूस्ते उन्होने वंदना की पेटिकोट का नाडा खींच दिया और पेटिकोट वंदना के पैर से सरकते हुए वंदना के पैर के पास जा गिरा. अब वंदना अपने ससुर के सामने सिर्फ़ अपने पॅंटी पहने खड़ी थी. नंदू जी ने झट से वंदना की पॅंटी भी उतार दी और वंदना बिल्कुल नंगी हो गयी. नंगी होते ही वंदना ने अपनी चूत अपने हाथों से ढक ली और शर्मा कर अपने ससुर को कनखियो से देखने लगी. नंदू जी नंगी वंदना के सामने ज़मीन पर बैठ गये और वंदना की चूत पर अपना मुँह लगा दिया. पहले नंदू जीने अपने बहू की चूत को खूब सुघा. वंदना की चूत से निकलती सौंधी सौंधी खुश्बू नंदू जी के नाक मे भर गयी.  कहानी जारी रहेगी …

दोस्तों कहानी अभी जारी है आगे की कहानी अगले भाग में लिखुगा कहानी के बारे में अपनी राय देने के लिए मुझे ईमेल करे मेरी मेल आई डी है [email protected]

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गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें

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