जवान और कुँवारी बेटी की चूत का मज़ा

मैं ममता, उम्र ३३ साल शादीशुदा औरत हूँ, और घर में मेरी एक ९ साल की बेटी नेहा, ५६ साल के ससुर रजनीश, नयना मेरी ५२ साल की सास, २७ साल की तलाक़शुदा ननद, शीतल है. मेरा पति ओमान में काम करता है और तीन साल के बाद छुट्टी पर आता है वो भी एक महीने की. मेरे पति का नाम रमेश है.. मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी है, मेरे बूब्स २८ इंच, हिप्स ३४ इंच और कमर ३२ इंच हैं, रंग गोरा. मेरे चूतर बड़े ही मस्त हैं और मेरे अंदर सेक्स की भूख ज्यादा ही है. लोग कहते हैं कि मैं अपनी मा की तरह चुदक्कड हूँ. मेरी मा रंजना देवी आज भी अपनी चूत में लंड लेने से नहीं हिचकिचाती जबकि उस की उमर ५३ साल की हो चुकी है. जैसा के आप जानते ही हैं, पति ओमान में होने के कारण मुझे चुदाई नसीब नहीं हो पाती. मैं लंड को तड़पती रहती हूँ, मेरी ननद शीतल का तलाक़ हो गया क्योंकी उसका पति साला नमार्द था. भोसड़ी का मेरी शीतल को दोष देता रहता था कि वो बांझ है जब कि वो शीतल को अच्छी तरह से चोद नहीं सकता था. खैर हम दोनो भाभी ननद लंड की कमी के कारण एक दूसरे के साथ लेस्बियन संबंध बना चुकी थी. शीतल को मेरी चूत का नशा सा था.. वो जब भी मौका मिलता, मेरे कमरे में आ कर मेरी चुचि चूसने लगती, कभी चूत में उंगली करती और कभी अपनी मादक चूत को मेरे हवाले कर देती. शीतल का खिला हुआ यौवन, बड़ी बड़ी 38 इंच की चुचि, गांड भी कम से कम 38 की ही होगी. उसके चुत्तेर खूब मस्त थे. मैं अपने हाथ उसके चूतरो से दूर नहीं रख पाती. लेज़्बीयन संबंध तक तो ठीक है लेकिन जब मेरी ननद जोश में आ जाती तो उसकी कामवासना पर काबू पाना मुश्किल हो जाता और शीतल क़िस्सी भी कीमत पर लंड पाने के लिए बेताब हो जाती. एक दिन उसने मुझे पूछा कि मेरा पति (यानी की उसका भाई) कैसी चुदाई करता है और उसका लंड कितना बड़ा है. मैने उससे बताया के उसके भैया का लंड 9 इंच का है और ग़ज़ब का कड़क है. जब वो चोद्ता है तो चूत को तारे नज़र आने लगते हैं. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | “साला एसे पेलता है के चूत की भोसड़ी बना देगा, ऐसी चूत चूसता है के सारा पानी निकाल देता है, वो कहता है के अगर उसे कामवासना का बुखार चढ़ा हो तो अपनी मा या बहन को भी चोद डाले, लेकिन मेरी बन्नो मेरी किस्मत ही ऐसी है के वो तीन साल में एक महीने के लिए ही मुझे चोद सकता है और मेरी चुदास चूत को लंड रोज़ चाहिए, शीतल, साली तू ही कोई प्लान बना ता कि हम दोनो ही रोज़ लंड के मज़े ले सकें,” मैं बोली. शीतल ने कहा’ भाभी, तुझे तो तीन साल में एक महीने तो लंड मिल जाता है, मुझे तो अभी तक चुदाई का असली मज़ा नहीं आया, मेरे उस नमार्द पति का तो खड़ा ही नहीं हुआ, बेह्न्चोद चूत पर रगड़ता था और झड़ जाता था और मेरी चूत तड़प तड़प कर आग में जलती रहती, भाभी मैं क्या प्लान करूँ, यह तो तुम्हें ही कोई प्रबंध करना पड़ेगा, मेरी चूत को भी शांत करवा दो, अगर तेरा कोई यार है या कोई कज़िन है तो उस से ही चुदवा दो मुझे, देखो भाभी मेरी चूत कैसे दहक्ति है लंड के बिना,’ मैने कहा चलो देखते हैं की क्या हो सकता है. अगले दिन मैं बाज़ार जा रही थी तो मैने अपने ससुर से पूछा” बाबू जी आपको क्या मंगवाना है बाज़ार से? जो चाहिए, मैं ला दूँगी, ‘ मेरे ससुर ने मुझे ध्यान से देखा और कहा ” बहू तुम शिलाजीत ले आना और साथ में छुआरे भी लेते आना,” मैने पूछा” ठीक है लेकिन आपको क्या करनी है यह चीज़ें बाबू जी,’ बाबू जी बोले,” बेटी तेरा पति तो ओमान में बैठा है, लेकिन मुझे तो पति का काम करना पड़ता है ना, तेरी सासू को खुश करने के लिए यह चीज़ें चाहिए, इन से मर्दानगी बढ़ती है, ताक़त आती है बेटी,’ कहते हुए बाबूजी ने मुझे अजीब नज़रों से देखा, और मुझे लगा के वो मेरी चूचियो को घूर रहे हैं. जब मैं बाज़ार जा रही थी तो मुझे बाबूजी की नज़रें मेरे चूतरो का पीछा करती हुई महसूस हुई. मेरे शरीर में एक सिरहन सी दौर गयी और मेरी चूत में पानी भर गया. मैं सारी चीज़ें लेकर आई और बाबूजी की चीज़ें उनको देने गयी. जब बाबू जी ने चीज़ें पकड़ी तो मेरे हाथों से उनका हाथ अचानक ही छू गया, मेरा पैर फिसल गया और मेरे ससुर ने मुझे अपनी मज़बूत बाहों में लेकर संभाल लिया. में उनकी चौड़ी छाती के साथ सॅट गयी. मेरी चुचि उनकी छाती में धस गयी और मेरे जिस्म में आग दहकने लगी. उनका हाथ बरबस ही मेरे कुल्हों पर रेंग गया और मैं शर्मा गयी. ‘ माफ़ करना बाबूजी मेरा पैर फिसल गया था, आप मुझे ना थाम लेते तो मैं तो गिर ही जाती.’ मैने कहा. वो बोले,’ बेटी मैं किस लिए हूँ, अगर क़िस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो बेझिझक मेरे पास आना, मैं अपने परिवार के लिए सब कुछ करने को तैयार हूँ, मुझ से कभी भी शरमाना नहीं, मेरी बेटी,’ मैने गौर से देखा के उनके पाजामे में उनका लंड सलामी दे रहा था, मैं मुस्कुराइ और अपने आप से बोली, साली, तू बाहर क्या ढूड़ रही है, महा लंड तो घर में ही विराजमान हैं, यह साला ससुर मेरे ऊपर ही नज़रें लगा कर बैठा है, और मुझे भी तो लंड चाहिए, लेकिन अब साला बूढ़ा नहीं जानता कि मैं उस के साथ चुदाई तो करूँ गी पर इसकी बेटी को भी इसके लंड से चुदवाउन्गि. मैं सारी रात अपनी और शीतल की चुदाई का प्लान बनाती रही. जब मैं सारा काम ख़त्म कर के अपने कमरे में शीतल के पास जा रही थी तो बाबूजी के कमरे से आवाज़ आ रही थी,’ अह्ह्ह्ह मार डाला मेरे राजा, आज क्या खा कर आए हो, मेरी चूत की धज़ियाँ ही उड़ा डालीं, आज तेरा लंड कुछ ज़यादा ही ज़ोर मार रहा है, ऐसा लगता है जैसे क़िस्सी जवान औरत की कल्पना करके मुझे चोद रहे हो, मेरे स्वामी मैं आपके हल्लाबी लंड के सामने नहीं टिक सकती, ये मैं नहीं झेल सकती, जब कल मैं अपने मायके चली जाउन्गि तो शूकर हो गा कम से कम दो महीने तो आराम से काट लूँगी, और तुम मूठ मार मार के करना गुज़ारा, ओह्ह्ह्ह मैं झड़ी मेरी चूत का रस निकल गया, निकाल लो अपना लौड़ा मेरी बुर में से मैं तो थक गयी,’ बाबूजी बोले” साली मेरा तो झड़ दे, चूस के, मूठ मार के या फिर अपनी गांड मे चुदवा के, मैं इस खंबे जैसे लंड को ले कर कहा जाउ, बेह्न्चोद मेरा तो पानी निकाल दो” सासू मा बोली” अपना पानी आप ही निकाल लो मैं तो सोने लगी हूँ.’ मेरा दिल किया मै दौड़ के बाबूजी का लंड अपनी चूत में लेकर मस्त हो जाउ पर एस्सा कर ना सकी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  लेकिन एस्सा कुछ ना कर सकी और अपने कमरे जाकर सारी रात बाबूजी के लंड के सपने देखते हुए जाग कर निकाल दी सुबह जब मैं उठी तो शीतल मेरे साथ लिपटी हुई थी, उस्केहाथ मेरे मम्मों पर थे जिन्हे वो दबा रही थी. मैं उठ कर बाथरूम होकर आई तो मेरी ननद अपनी चूत खुज़ला कर बोली,”भाभी अगर तुमने क़िस्सी लंड का इंतज़ाम नहीं किया तो मैं मर जाउन्गि, मुझे बचा लो मेरी प्यारी भाभी,” मैने मुस्कुरा कर पूछा, क़िसका लंड चाहिए. उसने जवाब दिया लंड किसी का भी हो, चलेगा, अब तो चूत इतनी बेसबरी हो चुकी है कि अगर मेरे बाप का भी मिल जाए तो इसकी आग ठंडी करने के लिए ले लूँगी” मैने कहा” ठीक है अब मुकर मत जाना क्योंकी तुझे आज बाबूजी का लंड ही मिलने वाला है, तू बस ऐसा ही करना जैसे मैं कहती हूँ,” वो मान गयी. जब वो तय्यार होने चली गयी तो मैं बाबूजी की चाइ लेकर उनके रूम में चली गयी. मैने जानबूझ कर सारी का पल्लू नीचे गिरा रखा था, जिस कारण मेरे वक्ष आधे से अधिक नंगे हो रहे थे. सासू मा अपने मायके जाने के लिए तय्यार हो रही थी. मैने आगे झुक कर चाइ बाबूजी को दी और अपने कूल्हे इनके हाथ से रगड़ दिए. मैने देखा कि उनका लंड उठक बैठक करने लगा है. मैने जान बुझ कर उनसे कहा” बाबूजी, देखो मेरा हाथ दुख रहा है, क्या ये सूज गया है, देखो तो सही,” इतना कह कर अपना हाथ उनके हाथ में दे दिया, उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मलने लगे, मैं उनसे साथ कर बैठ गयी. मैने नोट किया की बाबूजी मेरा हाथ सहलाने लगे और उनका लंड पाजामे के अंदर सर उठाने लगा. मैने उनको पूरी तरह उतेज़ित कर डाला. जब वो मेरे कंधे पर हाथ रखने लगे तो मैं जान बुझ कर बोली, ” अब मैं चलती हूँ माजी का नाश्ता बनाना है,’ मैने हाथ छुड़ाया और चली गयी लेकिन बाबूजी का बुरा हाल था, वो अपने लंड को मसल रहे थे. मैने शीतल को कहा,’ तुम माजी के जाने के बाद, कमर मैं दर्द का नाटक करना, और बाबूजी को कमर पर इयोडीक्स लगाने के लिए कहना, और धीरे धीरे नीचे तक उनका हाथ ले जाना, लेकिन ये सब उस वक्त करना जब मैं माजी को बस स्टॅंड पर छोड़ने जाउ और घर मैं कोई ना हो. देखना वो तेरे को चोदने को तय्यार हो जाएँगे, मैने उनकी चाइ में शिलाजीत मिला दी थी, आज तेरी चुदाई पक्की हो जाएगी मेरी बन्नो, तुम यह निकर और टीशर्ट पहन लो और ब्रा और पॅंटी मत पहनना, तेरा बाप आज क़िस्सी को भी चोदने को तैयार हो जाए गा, तुम उस पर अपनी जवानी का जादू चला दो मेरी रानी उसके बाद हम दोनो उसके लंड के मज़े लेंगे, वो भी चूत का भूखा है मेरी जान’ वो हैरान हो कर मेरी तरफ देखने लगी. मैं फिर बाबू जी के कमरे में गयी और उनकी जांघों पर हाथ रख कर बातें करने लगी, और उनके लंड को भी च्छू लिया. वो बेचैन होने लगे और मैं मुस्कुरा कर बाहर आ गयी. मैं थोड़ी देर में वापिस आ गई और शीतल के कमरे में झाँकने लगी. शीतल ने आवाज़ लगाई” पप्पा ज़रा मेरी कमर पर बॉम लगा देना, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,’ उसने ये कहते हुए अपनी टीशर्ट ऊपर उठा डाली और उस का गोरा पेट नंगा हो गया, और जब उसने अपनी नाइकर्स को नीचे कर दिया तो उसकी जाँघ नज़र आने लगी. मेरी आँख ने देखा कि बाबूजी की नज़र में वासना की चमक उभर आई. उनकी आँखों में एक लाली नज़र आने लगी. वो अपनी बेटी के नज़दीक आ गये और वासनात्मक नज़रों से देखते हुए बोले” बेटी क्या हुया, दर्द कहाँ हो रहा है, और उनका हाथ अपनी बेटी की कमर पर चला गया और उसकी कमर को सहलाने लगा. मैने देखा कि अब बाबू जी नहीं बल्कि उनका लंड बोल रहा था. उनकी आवाज़ से साफ ज़ाहिर था के काम वासना में वो बाप बेटी के रिश्ते की पवित्रता को भूल गये थे. अब कमरे में सिर्फ़ चूत और लंड के मिलन का सीन बना हुआ था.

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