प्रेषक: मुकेश
एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-1 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-2 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-3 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-4 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-5
गतांग से आगे ….. फिर, हम बेड पर लेट गये और टीवी देखने लगे.. आंटी सिर्फ़ गाउन में थीं और मैं सिर्फ़ अपनी अंडरवियर में था और हम टीवी देख रहे थे.. रात के करीब एक बज रहे थे तो टीवी पर कुछ ख़ास नहीं आ रहा था तो मैंने टीवी बंद कर दिया.. फिर, मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और उन्हें किस करने लगा.. हम एक दूसरे को किस किए जा रहे थे और कुछ ही देर में, हमारी जीभ भी मिलने लगी थीं.. लगभग 10 मिनट बाद, हम अलग हुए और हम ज़ोर ज़ोर से हांफने लगे..
थोड़ी देर बाद, मैं अब उनके चेहरे और गाल पर किस करने लगा और उनके गाउन के ऊपर से ही, उनके मम्मे दबाने लगा.
आंटी की साँसें तेज़ हो रही थीं और मैंने उनका गाउन खोल दिया..
आंटी के छोटे छोटे निप्पल देख कर, बस मज़ा आ गया और मैंने बिना देर किए, उन्हें मुंह में लेकर चूसने लगा..
अपनी आदत से मजबूर होकर, जैसे ही मैंने निप्पल काटा तो आंटी चीखीं – मुकेश र र र र र स स स स्स…
फिर मैं उनके दूसरे मम्मे की निप्पल चूसने लगा और उसे भी काट लिया..
आंटी फिर चीखीं और बोलीं – मादर चोद… अब कटेगा तो तेरी गाण्ड में पूरा डंडा घुसा दूँगी, गान्डू…
मैं हंसने लगा और फिर उनके दोनों मम्मे दबाने लगा और आंटी सिसकारियाँ निकालने लगीं – उफ्फ फ फ फ फ फ याह: धीरे… आह आह आह आह आह आह… उन्म उन्हम्म…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर, मैं आंटी की टुंडी पे किस करने लगा और उनकी पूरे जिस्म को चूमने और चाटने लगा..
अब मैं उनके पैरों में गया और उनके पैरों को चाटने लगा और फिर धीरे धीरे उनकी जांगों को चूमा और फिर उनकी चूत पर आ गया..
मैं उसकी खुशबु से पागल हो रहा था और मैंने उस पर जैसे ही जीभ रखी आंटी सिसकारियाँ लेने लगीं और बोलने लगीं – इयाः मुकेश स स स स… मूत ना, मेरी चूत पर… अहह… उन्ह उंह…
मैंने अपना लण्ड आंटी की चूत की तरफ किया और बोला – कोशिश करता हूँ, आंटी…
आंटी बोलीं – नहीं स स स स स, कोशिश नहीं ह ह ह ह ह, मूत ना… मार अपनी गरम गरम मूत की धार मेरी चूत पर… याहह माह इसस्स… आँह… इस्स… उन्हम म्म…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने थोड़ी कोशिश की और मेरे लण्ड से मूत की धार, सीधे आंटी की चूत के छेद पर गिरने लगी..
आंटी ने अपनी चूत थोड़ी उँची की और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को रगड़ने लगीं..
मेरी पूरी मूत, उनकी चूत के अंदर जा रही थी..
अपनी टंकी खाली करते ही, आंटी ने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत में घुसा दिया और ज़ोर से सिसकारी ले कर बोलीं – चाट…
मेरा सिर आंटी ने पूरे ज़ोर से दबा रखा था और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रहीं थीं – उन्हया… माँ के लौड़े, चाट… आँह आ आ आ आ इनहया… तेरी माँ का भोसड़ा, चाट… आहह उन्ह ह ह ह ह ह… नहीं तो सब को चिल्ला कर बुला लुंगी और बताउंगी की तू मेरा रेप कर रहा है… चाट स स स स स, बहन चोद द द द द द… तेरी माँ की चूत, चाट ह ह ह ह ह… और वो मेरा सिर चूत में ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं.. पहले धीरे धीरे और फिर, सब भूल कर मैं अपनी ही मूत में सनी आंटी की चूत को खूब तेज़ी से चाटने लगा और करीब 5 मिनट चूसने के बाद, आंटी उठीं और मुझे धक्का देकर सीधा किया और सीधे मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं..
इसके पहले मैं कुछ समझ पता आंटी ने एक हाथ से मेरा मुँह खोला और सीधे मेरे मुँह के अंदर मूतने लगीं..
आंटी की मूत बहुत गरम थी और सीधे मेरे गले तक जा रही थी, मैं मुँह हिलना चाहता पर आंटी मेरे होंठों के ऊपर ही अपनी चूत लेकर बैठीं थीं..
चाह कर भी, मैं मुँह ज़रा सा भी नहीं हिला पा रहा था..
लगभग 2 मिनट तक, आंटी की गरम गरम मूत सीधे मेरे मुँह से मेरे गले तक जा रही थी..
जब आंटी की टंकी खाली हुई तो वो बहुत ज़ोर से अपनी चूत मेरे होंठों पर और मुँह पर रगड़ने लगीं और बोलीं – इयाहह… मैं आ रही हूँ… इनयः याहह ह ह ह ह ह… उन्हम म म म म म… इस्स स स स स स स स स स स सस्स स.. उन्हममम मम म म म म म म म म म म… इस्स सस स स स स स स स स स स… आह आ आ आ आहह ह ह ह ह ह आ आ आ आ आ आ आ आ आ… इन्यह ह ह ह ह ह… या या या आया आया या आ हा… ज़ोर से चूसो, मुकेश… अन्म उन्ह म्म… शाबाश… हाँ हाँ हाँ… उफ्फ फ फ फ… और चूसो… और, और ज़ोर से मुझे अपनी चूत चाटने लगीं..
जैसे ही, आंटी झड़ी तो मेरा पूरा मुंह फिर से उनके रस से भर गया..
फिर आंटी मेरे चेहरे से उठ गईं और मेरे ऊपर लेट गईं..
मुझे बड़ी मुश्किल से साँस आ रही थी..
आंटी की मूत से मेरा पूरा गला, जल सा रहा था..
पर सच कहूँ तो फिर भी मुझे मज़ा आया था..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
खैर, आंटी अब मेरे पूरे जिस्म को चाटने लगीं और कुछ ही देर में, मेरे गले से मेरे लण्ड पर आ गईं और उसे मुंह में ले लिया और खूब ज़ोर ज़ोर से चाटने लगीं और करीब 2-4 मिनट आंटी के चूसने में ही मैं झड़ गया..
आंटी ने मेरा कुछ रस मुँह में ले लिया और बाकी अपने चुचों पर मल लिया..
फिर मेरा रस अपने होंठों पर लाकर, आंटी मुझे लीप किस करने लगीं और उनके मुँह में भरा पूरा रस मेरे मुँह में उड़ेलने लगीं..
इसके बाद हम थोड़ी देर, ऐसे ही लेटे रहे और बात करते रहे..
मैंने आंटी से कहा – आंटी, ऐसा लग रहा है रेप तो आप मेरा कर रहीं थीं..
आंटी हंसने लगीं और बोलीं – क्यूँ… मज़ा नहीं आया…
फिर वो बोलीं – बच्चू, औरत अपनी पे आए तो बड़े से बड़े मर्द को पानी पीला दे… तू तो फिर भी अभी छोटा है… और, आंटी मेरे लण्ड को फिर से हिलाने लगीं..
इतनी थकान के बाद भी वो फिर खड़ा हो गया और मैं भी उनको किस करने लगा और उनके मम्मे दबाने लगा..
वो ज़ोर ज़ोर से, मेरे लण्ड को मसलने लगीं..
फिर, मैं बोला – आंटी, आज मैं भी आपकी तरह कुछ नया करता हूँ और मैं उनके पेट के ऊपर आ गया और कहा – आज, आपके मम्मे चोदता हूँ…
इस पर वो बोलीं – दो छेद कम थे, जो तीसरा खुद बना लिया…
मैं बोला – आंटी, अब आप देखती जाओ बस…
वो बोलीं – ठीक है… देखते हैं…
आंटी ने खुद ही अपने चुचों को दबा लिया और मैंने अपना लण्ड उनके मम्मे की बीच की दरार में डाला और रगड़ने लगा..
सच में यार, क्या मज़ा आ रहा था..
उनके मम्मे “आइसक्रीम” की तरह, मुलायम थे.. करीब 5-7 मिनट रगड़ने के बाद, मैं आने वाला था तो मैंने कहा – आंटी अब आप मुंह खोलो… मैं आ रहा हूँ…
लेकिन, आंटी तब तक मुँह नहीं खोल पाईं और मैंने उनके चेहरे पर अपना सारा माल गिरा दिया..
फिर आंटी उठीं और उन्होंने मेरे लण्ड ही चाट चाट कर साफ कर दिया..
हम फिर से लेट गये और आंटी उनके चेहरे पर गिरे मेरे माल से अपने चेहरे का मसाज करने लगीं..
इसके बाद, मुझ में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं बची थी..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अब मुझे चक्कर से आने लगे थे पर थोड़ी ही देर में, आंटी मेरा लण्ड सहलाने लगीं..
इस बार बहुत देर तक मेरा लण्ड खड़ा नहीं हुआ तो आंटी फिर से मेरी गाण्ड की दरार में, उंगलियाँ फिराने लगीं..
गाण्ड के छेद पर आंटी की नरम मुलायम उंगलियाँ लगते ही ना जाने क्या हुआ की मेरा लण्ड अपने आप आंटी को सलामी देने लगा और फिर मैं भी उनकी पीठ चूमने और चाटने लगा..
फिर, हम 69 की पोज़िशन में आ गये और आंटी मेरा लण्ड मुंह में लेने लगीं और मैं भी उनकी चूत में उंगली करने लगा..
अब फिर से आंटी की आवाज़े आने लगीं थीं – आँह… इस्स… उन्हम म्म…
फिर मैंने एक उंगली और डाल दी और अपनी स्पीड बढ़ा दी..
कुछ ही देर में, मैंने अपनी सारी उंगलियाँ आंटी की चूत में डाल दी और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा और एक हाथ से चूत के ऊपर सहलाने लगा..
आंटी आवाज़े निकले जा रही थीं – उफ्फ फ्फ मुकेश… मार डाल, मुझे आज… आह आह आह आह आह आह… इयाः इयह उःम उन्म हम्म म म म म म… और तेज़ मुकेश… और तेज… मर र र र र र गई ई ई ई ई ई…
थोड़ी देर बाद, आंटी झड़ गईं और मैं फिर से उनका सारा रस पी गया..
अब मैंने उनको लिटाया और उनकी चूत पे लण्ड को रगड़ने लगा तो आंटी बोलीं – मुकेश, बस अब मत तड़पा… अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है… डाल दे, यार… अब तो बदन में भी जान नहीं बची है… जल्दी कर…
मैं बोला – हाँ आंटी, अब तो मेरी हिम्मत भी जवाब दे गई है… पर लण्ड है की मानता ही नहीं…
अब वो बोलीं – चल, अब डाल दे…
मैंने अब देर ना करते हुए, पूरी ताक़त समेट कर एक ज़ोर से झटका मारा तो लण्ड एक ही झटके में अंदर था और आंटी इतनी ज़ोर से चीखीं की मुझे उनके मुंह को दबाना पड़ा..
फिर थोड़ी देर बाद जब उनका दर्द कम हुआ तो बोलीं – बहन चोद, ऐसे डालता है, कोई सांड की तरह…
मैंने सॉरी बोला और शॉट लगाने शुरू कर दिए..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सिसकारियों की रानी, मेरी आंटी चुपचाप पड़े पड़े चुदवा रहीं थीं.. बस बीच बीच में – उन्ह आ उफ़… की हल्की हल्की आवाज़ आ रही थी..
कुछ ही देर में, मैं झड़ने वाला था तो मैंने फिर अपनी स्पीड थोड़ी बड़ा दी और अपना सारा रस बिना कॉन्डम के आंटी की चूत में छोड़ दिया और उनके बगल में गिर गया.
आंटी मेरी बाहों में थीं और हम पूरे पसीने मे नहा गये थे, इतनी ठंड के बावजूद भी..
मुझे कमरे का रूम हीटर भी बंद करना पड़ा था..
आंटी के पसीने की खुश्बू में एक गजब सा “नशा” था, जो बड़ा मस्त लगता था..
हम इतने थक गये थे की पूछो ही मत..
जिस्म में, जान ही नहीं बची थी.. मैंने आंटी से कहा – आंटी, क्या मैं जिंदा हूँ…
आंटी बोलीं – पता नहीं, मुकेश… मुझे तो ये भी नहीं समझ आ रहा मैं जिंदा हूँ की नहीं…
इससे पहले मैं कुछ और बोलता, आंटी बोलीं – अब सो जाओ… सुबह के 5 बज रहे हैं…
मैं बोला – लेकिन, आंटी मेरा मन तो अभी भी नहीं भरा है…
वो बोलीं – कल पूरा दिन, हम यहीं हैं… जिंदा बचे तो कल करेंगें… गुड नाइट…
मैं बोला – गुड नाइट, आंटी… और, ना जाने हम कब सो गये..
सुबह मेरी आँख खुली तो 10 बज रहे थे..
मैं बाथरूम गया और फ्रेश हुआ, तब तक आंटी भी उठ गईं थीं..
आंटी मुझे गुड मोर्निंग कहते हुए बाथरूम में चली गईं..
थोड़ी देर में, आंटी की बाथरूम से आवाज़ आई तो मैं अंदर गया..
आंटी कमोड पर, नंगी बैठी हुई थीं..
मैंने पूछा – हाँ आंटी…
वो बोलीं – मुकेश, तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो ना…
मैंने कहा – हाँ आंटी…
आंटी ने फ्लश चलाया और कमोड से उठ गईं..
उन्होंने ना तो अपनी गाण्ड धोई ना ही उसे टाय्लेट पेपर से सॉफ किया और मेरे साथ रूम में आ गईं..
आंटी ड्रेसिंग टेबल पर दोनों हाथ रख कर खड़ी हो गईं और मुझसे बोलीं – मुकेश मेरी गाण्ड तुझे बहुत पसंद है ना… चूम ना, इसे…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं उनके पीछे गया और घुटनों के बल बैठ कर उनकी गाण्ड पर पप्पी लेने लगा..
आंटी ने अपना एक हाथ पीछे करके, मेरे सिर को पकड़ा और अपनी गाण्ड फैला कर मेरा मुँह अपने गाण्ड के छेद में चिपका लिया और बोलीं – चाट, मेरी गंदी गाण्ड…
पहले तो मुझे अजीब सा लगा पर आंटी ने अपने हाथ से मेरा सिर उनकी गाण्ड में दबाया हुआ था तो मेरे पास उनकी गंदी गाण्ड चाटने से सिवा कोई चारा नहीं था..
मैं उनकी गाण्ड चाटने लगा और आंटी सिसकारियाँ लेने लगीं और बोलने लगीं – वाह, मेरे मुकेश… मज़ा आ गया… अन्म उन्हम्म… मुकेश और…
फिर, थोड़ी देर बाद आंटी ने जब अपनी पकड़ मेरे सिर से ढीली की मैं उठा और आंटी को पलट कर उनको घुटनों पर बैठा कर, अपना लण्ड आंटी के मुंह में दिया और चुसवाने लगा..
आंटी, बड़े प्यार से चूस रही थीं..
फिर मैं आंटी को पलंग पर ले गया और आंटी की गाण्ड की नीचे एक तकिया रखा और गाण्ड के छेद पे लण्ड रखा..
आंटी बोलीं – कुछ लगा तो ले… नहीं तो दर्द होगा…
मैं बोला – नहीं होगा, आंटी… कौन सा पहली बार चोद रहा हूँ… मैंने चाट चाट कर बहुत गीली भी कर दी है…
वो बोलीं – दर्द हुआ तो तेरी गाण्ड में पूरा बाँस घुसा दूँगी…
मैं हंस और बोला – घुसा देना…
मैंने लण्ड डालने की कोशिश की पर फिसल गया…
मैंने अपने सुपाड़े पे थूक लगाया और फिर एक ज़ोर से झटका मारा तो आंटी चीख पड़ीं..
मैंने भी देर ना करते हुए, एक और ज़ोर से झटका मारा तो लण्ड पूरा गाण्ड मे समा गया..
इधर आंटी, चीखे जा रही थीं..
फिर थोड़ी देर बाद, मैंने शॉट लगाने शुरू कर दिए और ज़ोर ज़ोर से आंटी की गाण्ड चोदने लगा..
आंटी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगीं – आ आह ह आह आ आ आ ह ह ह आह आ आ आह ह ह ह… म्न्ह मन्ह मर गयइ… और चोद… और चोद मेरी गंदी गाण्ड… फाड़ दे, मेरी गाण्ड को आज… अहहहाहा आह अह आ आ अहहा… इयै याया आ आ या अय हेया… और तेज़ और तेज़… ज़ोर से, और ज़ोर से… शाबाश शाबाश शाबाश… अहहहः अएआएआएआए… फाड़ फाड़ फाड़ फाड़… चोद मेरी गंदी गाण्ड चोद चोद चोद चोद चो द द द द दहस स स स… आह आह आह आह… और तेज़…
फच फ़च की आवाज़ से, कमरा गूँज रहा था.. करीब 10 मिनट तक चोदने के बाद, मैं आंटी की गाण्ड में ही झड़ गया और उनके ऊपर लेट गया..
जब मैंने लण्ड निकाला तो देखा वो बिल्कुल गंदा था..
मैं नहाने चला गया और जब नहा के आया तो मैंने देखा आंटी अपने गाउन में बालकनी में खड़ी थीं..
मैंने अपने कपड़े पहने और उनके पास गया और उन्हें अंदर ले आया और उन्हें बाहों में ले लिया..
आंटी बोलीं – नहा धो लिया… चल अब, चाय ऑर्डर कर देती हूँ…
तो मैंने बोला – ठीक है…
फिर हमने चाय पी और बस सोचने लगे की क्या करना है, अब…
तो मैं बोला – आंटी, क्यों ना कोई मूवी देखने चलें…
आंटी बोलीं – हाँ, ये सही रहेगा…
हमने दोपहर को मूवी देखने का प्लान बनाया..
फिर हम दोनों, बेड पर ही लेट गये..
आंटी अपनी बेटी से फोन पर बात कर रही थीं और मैं टीवी देख रहा था..
फिर थोड़ी देर बाद आंटी बोलीं – मैं नाहकर तैयार होती हूँ… फिर, हम चलते हैं…
और आंटी नहाने चली गईं…
मुझे भी आंटी के संग नहाने का मन हुआ तो मैं भी बाथरूम में चला गया..
मैंने देखा आंटी बाथ टब में बैठी थीं और मस्ती कर रही थीं..
मैं भी उसमें घुस गया..
आंटी बोलीं – आ गये तुम… तुम तो नहा चुके ना…
मैं बोला – हाँ आंटी पर क्या करूँ… आपके संग नहाने का मन हो रहा था…
आंटी बोलीं – सिर्फ़ नहाना और कुछ ना करना… पर आदत से मजबूर, मैं कहाँ उनकी सुनने वाला था..
मैं फ़ौरन ही उन्हें किस करने लगा और उनके मम्मे दबाने लगा..
अब आंटी भी एंजाय करने लगीं और मेरा लण्ड मसलने लगीं..
मुझसे रहा ना गया तो मैंने उन्हें पानी में से निकाला और दीवार से टीका कर खड़ा कर दिया और उनका एक पैर अपने कंधे पर रखा और अपना लण्ड, आंटी की चूत में एक बार में पेल दिया..
आंटी चीख पड़ी – क्या कर रहे हो… और उन्होने, अपने नाख़ून मेरे कंधे में ज़ोर से घुसा दिए..
मैंने तुरन्त, शॉट लगाने शुरू कर दिए..
आंटी भी सिसकारियाँ निकालने लगीं और अपनी गाण्ड उछालने लगीं..
कुछ ही देर में, मैं झड़ गया..
हम वहीं बाथरूम में, लेट गये.. लेटे लेटे, मैंने आंटी से आख़िर आज पूछ ही लिया जो मेरे दिमाग़ में बहुत दिनों से था..
मैंने कहा – आंटी, अगर आप बुरा ना मानो तो एक बात पूछ सकता हूँ…
आंटी – हाँ… पूछ…
मैं – आंटी, आपकी एक बेटी है और आपकी शादी को भी काफ़ी वक़्त हो गया, मैं भी आपको कितने वक़्त से चोद रहा हूँ पर अभी भी आपकी चूत इतनी टाइट है… ऐसा कैसे…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
आंटी बोलीं – तेरी मूत से…
मैंने हैरानी से पूछा – मतलब…
आंटी बोलीं – देख चूत पर चुदाई के दौरान मूतवाने से, चूत बहुत टाइट रहती है…
मैंने कहा – क्या आंटी, इतना भी चुतिया मत बनाओ मुझे…
देख तूने पूछा, मैंने बता दिया… अब तू मान ना मान, तेरे ऊपर है… चुदाई के वक़्त की मूत से, बहुत से गुप्त रोग भी नहीं होते… और फिर, मैं मूठ से अपनी चूत की मालिश भी करती हूँ, जिससे मेरी चूत इतनी टाइट है… शादी के बाद अपनी बीवी की चूत की मालिश, अपने मूठ से कर दिया करना… उसकी भी ऐसे ही टाइट रहेगी… – आंटी ने आँख मारते हुए कहा..
इस पर, मैंने आंटी से पूछा – पर आंटी, आपको ये सब कैसे पता…
आंटी बोलीं – देख, चोरी करनी है तो बचने का रास्ता भी ढूँढ कर रखना पड़ता है ना…
मतलब… – मैंने कहा..
तेरे भैया मुझे ज़्यादा नहीं चोदते और बिना चुदी चूत, कुछ ही दिनों में टाइट हो जाती है… मर्दों को ये अंदाज़ा बहुत अच्छे से होता है की पत्नी की चूत कितने दिन नहीं चोदने पर कितनी कसाती है… अगर, मैं ये सब नहीं करूँगी तो मेरी चूत का चुद चुद कर भोसड़ा बन जाएगा और तेरे भैया समझ जाएँगें की मैं उनकी गैर हाज़िरी में क्या गुल खिलाती हूँ… – आंटी बोलीं..
अब मैंने कहा – पर आंटी, आपने अभी भी ये नहीं बताया आपको ये सब कैसे पता…
आंटी, थोडा गुस्से में बोलीं – तुझे क्या करना… आम खा, पेड़ मत गिन…
मुझे आंटी की बातें, कुछ अजीब तो लगीं पर सही बात थी मुझे क्या करना था..
मैं तो बस ये सोच रहा था – क्या, मेरी बीवी भी आंटी जैसी ही होगी…
खैर, थोड़ी देर बाद मैंने फिर एक बार और आंटी को चोदा और हमने साथ नहाते हुए भी मज़े लिए..
फिर हम नहा कर, तैयार हुए तो आंटी ने मस्त “अनारकली” सूट पहना..
बहुत ही गहरे गले का..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
क्या मस्त सेक्सी लग रही थीं, यार..
जब मैंने बोला – आंटी, आप तो एकदम मस्त माल लग रही हो…
तो वो बोलीं – मेरी जान, मैं हमेशा ऐसी ही लगती हूँ…
मैं हंस पड़ा और हम मूवी देखने को निकल गये..
हम वहाँ के एक माल में मूवी देखने गये..
मूवी देखते वक़्त, हम एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर बैठे थे और आंटी मेरे कंधे पर सिर रखे हुए थीं.. फिर हमने शॉपिंग की और उसके बाद आंटी बोलीं – तुम यहीं माल में थोड़ी देर घूम लो… मैं ब्यूटी पार्लर हो कर आती हूँ…
मैं बोला – पर आंटी, अचानक क्यों…
आंटी बोलीं – आज की रात, रंगीन बनानी है ना…
मैं भी हंस दिया और बोला – ठीक है, आंटी…
फिर मैं वहीं माल में, घूमने लगा..
करीब 2 घंटे बाद, आंटी आईं..
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया…
क्या पटाखा लग रही थीं, दोस्तो…
आंटी जब मेरे पास आईं, तो बोलीं – सब्र करो… मुंह मे पानी आ रहा है, तुम्हारे… साफ दिख रहा है…
फिर हमने साथ में वहीं फूड प्लाज़ा में डिनर किया और हम रात के करीब 11 बजे, होटल वापस आ गये..
मुझसे सब्र नहीं हो रही थी तो मैंने डोर लॉक किया और आंटी के हाथ से शॉपिंग बैग ले कर, बिस्तर पर फेंक दिए और उन्हें किस करने लगा..
मैं उनके बालों से खेलने लगा और हमारी जीभ आपस में मिलने लगी..
मैं उनके सूट के ऊपर से ही, मम्मे दबाने लगा था..
आंटी की साँसें तेज़ होने लगीं थीं और उन्होंने मुझे धक्का दिया और बेड पे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आ कर, मुझे किस करने लगीं..
फिर आंटी ने, मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लण्ड को जीभ से चाटने लगीं..
अब मुझसे रहा ना गया और मैंने अपना लण्ड, उनके मुंह मे डाल दिया और उनका सिर दबाने लगा..
आंटी लण्ड को, ज़ोर ज़ोर से चूसे जा रही थीं और थोड़ी देर बाद, मैं झड़ गया..
फिर, मैं आंटी के ऊपर आ गया और उन्हें किस करने लगा..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उनके चेहरे और गले पर.. और, उनके मम्मे दबाने लगा और उनका सूट उठाने लगा..
आंटी ने अपने हाथ ऊपर कर दिए तो सूट आसानी से निकल गया और मैं उनके ब्रा के ऊपर से ही, मम्मे मुंह में लेने लगा..
फिर अपना हाथ पीछे ले जा कर, उनकी ब्रा खोल दी..
एक दम से ऐसा लगा, जैसे कोई पंछी आज़ाद हो गया हो..
मैं ने उनकी ब्रा भी हटा दी और उनकी निप्पल और सर्कल पे जीभ फेरने लगा..
आंटी की साँसे बहुत तेज़ होने लगीं और आंटी आवाज़े निकालने लगीं – मुकेश ह ह ह ह ह s s s s s s s s s… आह आँह… फूह यान्ह… आ आ आ आ आ आ आ आ उंह… इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा… उफ्फ मा ह उंह आह… आराम से, मुकेश…
मैं पूरी हैवानियत से, उनके मम्मे चूसने लगा और एक मम्मे को दबाने लगा.. मैंने उनके निप्पल को काटा तो आंटी चीखी – अन्म आह इस्स… आह आह अहहहाहा आह अह आ आ अहहा… इयै याया आ आ या अय हेया… आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह… मुकेश s s s s s… आ आ आ आ स स स स स स स स स… इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह… उई माआअ…
इसके बाद, मैं उनकी टुंडी पे किस करने लगा और उनकी सलवार भी उतार दी और चूत को पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगा..
मैं उनकी चूत की खुशबु को सूंघ कर, बहुत मदहोश हो रहा था..
मुझसे रहा ना गया और मैंने उनकी पैंटी उतार दी..
मैं उनकी चूत पे किस कर ने लगा और जीभ डाल कर, खूब चूसने लगा..
आंटी ज़ोर ज़ोर से मोनिंग कर रही थीं – मुकेश र र र र र… माँ की चूत त त त त त त… उन्हम्म… और चाट मुकेश और चाट… खा जा, मेरी चूत… बहन चोद द द द द द द… और, मेरा सिर अपनी चूत मे दबा रही थीं.
मुझे मज़ा आ रहा था..
तभी आंटी बोलीं – मैं झड़ रही हूँ… और, मैं उनका पूरा रस पी गया..
थोड़ी देर बाद, हम 69 की पोज़िशन में आ गये और फिर से मैं उनकी चूत चाटने लगा..
आंटी मेरा सिर, अपनी चूत में दबाने लगीं और बिल्कुल ही मदहोश होकर, कहने लगीं – मादर चोद द द द द द स स स स स स स… ज़ोर से चाट… आह माहम… मुकेश स स स स स… हाँ हाँ हाँ… रंडी बना दे मुकेश, मुझे… छीनाल बना के चोद, मेरी चुड़दकड़ चूत को… उन्हई… या… रंडी है तेरी आंटी, मुकेश स स स… 100 से ज़्यादा लंड लिए हैं, मेरी चूत ने…
ये सब सुन कर मुझ इतना मज़ा आ रहा था की पूछो ही मत…
आंटी मेरा लण्ड, हाथ से मसल रही थीं…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इसके बाद, मैंने अपना लण्ड चूत पे रख कर धक्का लगाया तो वो फिसल गया..
आंटी की चूत इस बार काफ़ी गीली थीं..
आंटी बोलीं – चोद अपनी आंटी की चूत, जैसे “आख़िरी बार” चोद रहा हो…
मुझे जोश आ गया और मैंने जब दूसरा धक्का मारा तो मेरा सिर्फ़ आधा लण्ड अंदर गया और आंटी चीख पड़ीं – हाआआआआ… कर ले हरामी, तुझे जो करना है… सारी तमन्ना पूरी कर ले, आज… जैसे चोदना है, चोद… मैं कुछ नहीं बोलूँगी…
और, मैंने दूसरा धक्का भी पूरे ज़ोर से मारा..
लण्ड पूरा चूत के अंदर था..
आंटी चीखीं – तेरी माँ का भोसड़ा, बहन के लौड़े… अहहहाहा…
फिर आंटी बोलीं – उन्म ह ह ह ह ह… मुकेश स स स, तूने किसी और की चूत चोदी है… इस्स आइन्या आ आ आ आ आ आ…
मैंने कहा – नहीं स स स स स, आंटी स स स स स…
और फिर मैं ज़ोर ज़ोर से, शॉट लगाने लगा..
आंटी बोलीं – आह आह आह… किसी को नंगी भी नहीं देखा… और चोद… और चोद… फाड़ दे, मेरी आज.. अहहहाहा… अहहा… और तेज़… और तेज़… अहहहः आइयाह… बोल ना, भोसड़ी के…
मैंने कहा – नहीं आंटी स स स… आ ह्मः या या या… आपके सिवा, मैंने किसी को नंगा नहीं देखा… आप किस किस से चुदी हो आंटी, बताओ ना अहमह…
आंटी बोलीं – बहुतों से… आ ह आ ह आ ह आ ह ऊ ऊ ऊ ऊ… आ ह आ ह आ आ आअशह इश् इस्स इयाः म्म ह ह ह ह ह स स स स स… मुझे इन बातों में, बहुत ही मज़ा आ रहा था..
आअ हुम… अच्छे से बताओ ना, आंटी कितनों से आअ आ आ आहह… – मैंने कहा..
मर र र र र र गई ई ई ई ई ई… या ह्मह, भोसड़ी के… 100 से ज़्यादा से चुदी हूँ… अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः… एक बार में तीन तीन से चुदी हूँ… – आंटी बोलीं..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
क्या मज़ा आ रहा था, ऐसी बातों में मैं बयां नहीं कर सकता..
पूरा कमरा, “फ़च फ़च” की आवाज़ से गूँज रहा था..
मैं ये सब सुनकर, कंट्रोल नहीं कर पाया और तभी आंटी के अंदर ही बहुत ज़ोर से झड़ गया…
निढाल होकर, मैं उनके बगल में लेट गया..
जब मुझे कुछ होश आया तो मैंने आंटी से पूछा – आंटी, सही में आप एक बार में 3-3 लोगों से चुदी हो…
आंटी बोलीं – मुकेश, ये बातें चुदाई के वक़्त करने से जितना मज़ा देती है उसके बाद करने से, उतनी ही अजीब लगती हैं…
मैंने कहा – हाँ आंटी… ये बात तो आप, सही कर रही हो…
थोड़ी देर हँसी ठिठोली करने के बाद, मैं फिर से उनकी चूत चाटने लगा और आंटी भी मेरा लण्ड मुंह में लेने लगीं..
फिर, वो मेरे ऊपर आईं और मेरा लण्ड खुद ही अपनी चूत में एक ही झटके में डाल लिया और बहुत ही तेज़ी से ऊपर नीचे होने लगीं..
मैं उनके मम्मे दबाने लगा और आंटी के पूरे बदन को चाटने लगा..
आंटी सिसकारी लेने लगीं और फिर बड़बड़ाने लगीं..
फिर मैंने आंटी को सीधा किया और उनके दोनों पैर अपने कंधो पे रखे और अपना लण्ड उनकी गाण्ड पे रखा..
एक ज़ोर का धक्का दिया तो लण्ड पूरा का पूरा समा गया था, उनकी गाण्ड में…
उस रात, आंटी को मैंने 4 बार चोदा..
हम सुबह, 4 बजे सोए..
सुबह 10 बजे, हमें शिमला के लिए निकलना था..
फिर, सुबह 8 बजे, आंटी ने मुझे उठाया..
हम दोनों बेड मे ही लेटे थे, बिना कपड़ो के…
आंटी बोलीं – मुकेश उठो… हमें निकलना है…
मैं उठते ही, उनकी चूत पे हाथ फेरने लगा तो आंटी बोलीं – बस अब…
मैं बोला – बस आंटी, आख़िरी बार…
मैं आंटी को तुरंत किस करने लगा और मम्मे दबाने लगा..
फिर, मैं उनकी चूत चाटने लगा और आंटी मेरा लण्ड चूसने लगीं..
कुछ ही देर में, हम झड़ गये..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर कुछ देर बाद, मैं उठा और उनकी चूत पर लण्ड रखा और एक झटके में पूरी ताक़त से लण्ड अंदर डाल दिया..
कसम से, आंटी बहुत ज़ोर से चीखीं – अहहहाहा… अहहा…
आंटी का दर्द शांत होने पर, मैंने शॉट लगाने शुरू कर दिए और आंटी भी मेरा साथ देने लगी..
थोड़ी देर बाद, मैंने उनकी गाण्ड मारी..
फिर हम तैयार होकर, कार से वापस शिमला आ गये.. जब हम शिमला पहुंचने वाले थे, आंटी ने पूछा – कैसा लगा, मुकेश…
मैं बोला – मज़ा आ गया, आंटी…
आंटी बोलीं – आना भी चाहिए था… क्यूंकी ये आख़िरी बार था…
मैने कहा – क्यूँ आंटी…
आंटी बोलीं – क्यूँ, क्या, कैसे, इसका कोई मतलब नहीं है आंटी… तुम कभी ना कभी, मुझे ज़रूर फसा दोगे… मैने तुम्हें पहले भी बताया है की मुझे चुदाई पसंद है, बहुत ज़्यादा पसंद है पर मुझे जिंदगी अपने पति के साथ बिताना है… बुडापे में मेरा पति, मेरा परिवार, मेरी देख भाल करेगा मुकेश… तेरा लंड नहीं…
मैं – नहीं आंटी… मैं नहीं फँसाउँगा आपको…
आंटी – बहुत मौके दे चुकी मैं तुझे, मुकेश… अब इन सब बातों का कोई मतलब नहीं है…
मैं – आंटी, मैं वादा करता हूँ…
आंटी – नहीं मुकेश, मैं वादा करती हूँ की अब अगर तूने मुझे शिमला पहुंचने के बाद परेशान किया तो मैं तो मैं ना केवल तेरे भैया को बता दूँगी की तू मुझ पर गंदी नज़र रखता है, बल्कि तेरी मां को भी ये बोल दूँगी की तूने चंडीगढ़ में मेरा बलात्कार करने की कोशिश की… तू मरने का नाटक कर या तुझे जो करना है, अब कर… मुझे कोई मतलब नहीं… तेरे जाने का मुझे अफ़सोस ज़रूर रहेगा क्यूंकी तेरा लंड मुझे पसंद था पर लाख बार समझाने पर भी तू नहीं समझा… खैर… अब हमारे रास्ते अलग हैं…
इतने में हमारी गाड़ी शिमला के होटेल पहुँच गई और आंटी उतर गईं..
शिमला से वापस आने के बाद, आंटी ने आज तक मुझ से कभी दुबारा बात नहीं की..
ना जाने, आंटी ने मेरी माँ से क्या कहा की मैं अब अगर आंटी के घर के पास से भी निकल जाता हूँ तो माँ मेरी जबरदस्त पिटाई लगा देती हैं..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मोहल्ले की कोई आंटी भी अब मुझसे सीधे मुँह बात नहीं करती पर आज भी मैं, आंटी को दिल से चाहता हूँ..
समाप्त.. .. .. आप लोगो को अगर मेरी कहानी अच्छी लगी तो प्लीज अपने दोस्तों को मस्तराम डॉट नेट के बारे में जरुर बताये
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