दो बूढ़ो ने मेरी चूत का कचुमड निकल दिया

प्रेषिका : आकृति

प्यारे दोस्तों जिंदगी में कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसमे आदमी अपने आप खींचता चला जाता है. चाहे वो चाहे चाहे ना चाहे. आदमी कितना भी समझदार हो लेकिन कभी कभी उसकी समझदारी उसे ले डूबती है. ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई थी. जिसे आज तक मेरे अलावा कोई नही जानता है. आज मैं यही बात आपसे शेर करती हूँ. मैं आकृति, वाइफ ऑफ आईसेक जोसेफ, एज ३३ कोलाबा मे रहती हूँ. मेरे पति एक मल्टीनेशनल कंपनी मे काम करते हैं. मैं भी एक छोटी सी सॉफ्टवेर कंपनी मे काम करती हूँ. ये बात काफ़ी साल पहले की है तब हम शहर से दूर गोरेगांव के पास एक फ्लॅट मे रहते थे. हमारी शादी उसी फ्लॅट मे हुई थी. पति पत्नी अकेले ही उस फ्लॅट मे रहते थे. उस फ्लॅट मे हमसे ऊपर एक फॅमिली रहता था. उस फॅमिली मे एक जवान कपल थे नाम था शीला और दीपेश. उनके कोई बच्चा नही था. साथ मे उनके ससुर जी भी रहते थे. उनकी उम्र कोई ५९ साल के आस पास थी उनका नाम सूरज सिंह था मैं शीला से बहुत जल्दी काफ़ी घुल मिल गयी. अक्सर वो हमारे घर आती या मैं उसके घर चली जाती थी. मैं अक्सर घर मे स्कर्ट और टी शर्ट मे रहती थी. मैं स्कर्ट के नीच छोटी सी एक पैंटी पहनती थी. मगर टी शर्ट के नीचे कुछ नही पहनती थी. इससे मेरे बड़े बड़े बूब्स हल्की हरकत से भी उच्छल उच्छल जाते थे. मेरे निपल्स टी शर्ट के बाहर से ही सॉफ सॉफ नज़र आते थे. शीला के ससुर का नाम मैं जानती थी. उन्हे बस सिंघम अंकल कहती थी थी. मैने महसूस किया सिंघम अंकल मुझमे कुछ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेते थे. जब भी मैं उनके सामने होती उनकी नज़रें मेरे बदन पर फिरती रहती थी. मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था. मैं उनकी बहू की उम्र की थी मगर फिर भी वो मुझ पर गंदी नियत रखते थे. लेकिन उनका हँसमुख और लापरवाह स्वाभाव धीरे धीरे मुझ पर असर करने लगा. धीरे धीरे मैं उनकी नज़रों से वाकिफ़ होती गयी. अब उनका मेरे बदन को घूर्ना अच्च्छा लगने लगा. मैं उनकी नज़रों को अपनी चूचियो पर या अपने स्कर्ट के नीचे से झाँकती नग्न टाँगों पर पाकर मुस्कुरा देती थी शीला थोड़ी आलसी मक़ीला थी इसलिए कहीं से कुछ भी मंगवाना हो तो अक्सर अपने ससुर जी को ही भेजती थी. मेरे घर भी अक्सर उसके ससुर जी ही आते थे. वो हमेशा मेरे संग ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारने की कोशिश मे रहते थे. उनकी नज़रे हमेशा मेरी टी शर्ट के गले से झाँकते बूब्स पर रहती थी. मैं पहनावे के मामले मे थोड़ा बेफ़िक्र ही रहती थी. अब जब जीसस ने इतना सेक्सी शरीर दिया है तो थोड़ा बहुत एक्सपोज़ करने मे क्या हर्ज़ है. वो मुझे अक्सर छुने की भी कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हे ज़्यादा लिफ्ट नही देती थी. अब असल घटना पर आया जाय. अचानक खबर आई कि मम्मी की तबीयत खराब है. मैं अपने मैके ईन्दोर चली आई. उन दिनो मोबाइल नही था और टेलिफोन भी बहुत कम लोगों के पास होते थे. कुछ दिन रह कर मैं वापस मुंबई आ गयी. मैने आईसेक को पहले से कोई सूचना नही दी थी क्योंकि हमारे घर मे टेलिफोन नही था. मैं शाम को अपने फ्लॅट मे पहुँची तो पाया की दरवाजे पर ताला लगा हुआ है. वहीं दरवाजे के बाहर समान रख कर आईसेक का इंतेज़ार करने लगी. आईसेक शाम 8.0 बजे तक घर आ जाता था. लेकिन जब 9.0 हो गये तो मुझे चिंता सताने लगी. फ्लॅट मे ज़्यादा किसी से जान पहचान नही थी. मैने शीला से पूच्छने का विचार किया. मैने उपर जा कर शीला के घर की कल्लबेल्ल बजाई. अंदर से टी.वी. चलने की आवाज़ आ रही थी. कुछ देर बाद दरवाजा खुला. मैने देखा सामने सिंघम जी खड़े हैं. ” नमस्ते….वो.. शीला है क्या?” मैने पूछा. ” शीला तो दीपेश के साथ हफ्ते भर के लिए मनाली गयी है घूमने. वैसे तुम कब आई?” ” जी अभी कुछ देर पहले. घर पर ताला लगा है आईसेक…?” ” आईसेक तो गुजरात गया है अफीशियल काम से कल तक आएगा.” उन्हों ने मुझे मुस्कुरा कर देखा ” तुम्हे बताया नही” ” नही अंकल उनसे मेरी कोई बात ही नही हुई. वैसे मेरी प्लॅनिंग कुछ दिनो बाद आने की थी.” “तुम अंदर तो आओ” उन्हों ने कहा मैं असमंजस सी अपनी जगह पर खड़ी रही. “शीला नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ. तुम अंदर तो आओ.” कहकर उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींचा. मैं कमरे मे आ गयी. उन्हों ने आगे बढ़ कर दरवाजे को बंद करके कुण्डी लगा दी. मैने झिझकते हुए ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखा. जैसे ही सेंटर टेबल पर नज़र पड़ी मैं थम गयी. सेंटर टेबल पर बियर की बॉटल्स रखी हुई थी. आस पास स्नॅक्स बिखरे पड़े थे. एक सिंगल सोफे पर कामदार अंकल बैठे हुए थे. उनके एक हाथ मे बियर का ग्लास था. जिसमे से वो हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहे थे. मैं उस महॉल को देख कर चौंक गयी. सिंघम अंकल ने मेरी झिझक को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ” अरे घबराने की क्या बात है. आज इंडिया- साऊथ अफ्रीका मॅच चल रहा है ना. सो हम दोनो दोस्त मॅच को एंजाय कर रहे थे.” मैने सामने देखा टीवी पर इंडिया साऊथ अफ्रीका का मॅच चल रहा था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि मेरा क्या करना उचित होगा. यहाँ इनके बीच बैठना या किसी होटेल मे जाकर ठहरना. घर के दरवाजे पर इंटरलॉक था इसलिए तोडा भी नही जा सकता था. मैं वहीं सोफे पर बैठ गयी. मैने सोचा मेरे अलावा दोनो आदमी बुजुर्ग हैं इनसे डरने की क्या ज़रूरत है. लेकिन रात भर रुकने की बात जहाँ आती है तो एक बार सोचना ही पड़ता है. मैं इन्ही विचारों मे गुम्सुम बैठी थी लेकिन उन्हों ने मानो मेरे मन मे चल रहे उथल पुथल को भाँप लिया था. “क्या सोच रही हो? कहीं और रुकने से अच्च्छा है रात को तुम यहीं रुक जाओ. तुम शीला और दीपेश के बेड रूम मे रुक जाना मैं अपने कमरे मे सो जाउन्गा. भाई मैं तुम्हे काट नही लूँगा. अब तो बूढ़ा हो गया हूँ. हाहाहा..” उनके इस तरह बोलने से महॉल थोड़ा हल्का हुआ. मैने भी सोचा कि मैं बेवजह एक बुजुर्ग आदमी पर शक कर रही हूँ. मैं उनके साथ बैठ कर मॅच देखने लगी. साऊथ अफ्रीका बॅटिंग कर रही थी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  खेल काफ़ी काँटे का था इसलिए रोमांच पूरा था. मैने देखा दोनो बीच बीच मे कनखियों से स्कर्ट से बाहर झाँकति मेरी गोरी टाँगों को और टी शर्ट से उभरे हुए मेरे बूब्स पर नज़र डाल रहे थे. पहले पहले मुझे कुछ शर्म आई लेकिन फिर मैने इस ओर गौर करना छोड़ दिया. मैं सामने टीवी पर चल रहे खेल का मज़ा ले रही थी. जैसे ही कोई आउत होता हम सब खुशी से उछल पड़ते और हर शॉट पर गलियाँ देने लगते. ये सब इंडिया साऊथ अफ्रीका मॅच का एक कामन सीन रहता है. हर बॉल के साथ लगता है सारे हिन्दुस्तानी खेल रहे हों. कुछ देर बाद सिंघम अंकल ने पूचछा, “आकृति तुम कुछ लोगि? बियर या जिन…?” मैने ना मे सिर हिलाया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने पर मैने कहा, “बियर चल जाएगी लागर” उन्हों ने एक बॉटल ओपन कर के मेरे लिए भी एक ग्लास भरा फिर हम “चियर्स” बोल कर अपने अपने ग्लास से सीप करने लगे. सिंघम अंकल ने दीवार पर लगी घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा” अब कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम किया जाय”उन्होने मेरे चेहरे पर निगाह गढ़ाते हुए कहा ” तुमने शाम को कुछ खाया या नही?” मैं उनके इस प्रश्न पर हड़बड़ा गयी, ” हां मैने खा लिया था.” ” तुम जब झूठ बोलती हो तो बहुत अच्छी लगती हो. रधु पास के संदीप होटेल से तीन खाने का ऑर्डर देदे और बोल कि जल्दी भेज देगा” रधु अंकल ने फोन करके. खाना मंगवा लिया. एक ग्लास के बाद दूसरा ग्लास भरते गये और मैं उन्हे सीप कर कर के ख़तम करती गयी. धीरे धीरे बियर का नशा नज़र आने लगा. मैं भी उन लोगों के साथ ही चीख चिल्ला रही थी, तालियाँ बजा रही थी. कुछ देर बाद खाना आ गया . हमने उठकर खाना खाया फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गये. सिंघम अंकल और कामदार अंकल अब बड़े वाले सोफे पर बैठे. वो सोफा टीवी के ठीक सामने रखा हुआ था. मैं दूसरे सोफे पर बैठने लगी तो सिंघम अंकल ने मुझे रोक दिया “अरे वहाँ क्यों बैठ रही हो. यहीं पर आजा यहाँ से अच्च्छा दिखेगा. दोनो सोफे के दोनो किनारों पर सरक कर मेरे लिए बीच मे जगह बना दिए. मैं दोनो के बीच आकर बैठ गयी. फिर हम मॅच देखने लगे. वो दोनो वापस बियर लेने लगे. मैं बस उनका साथ दे रही थी. बातों बातों मे आज मैने ज़्यादा ले लिया था इसलिए अब मैं कंट्रोल कर रही थी जिससे कहीं बहक ना जाउ. आप सब तो जानते ही होंगे कि इंडिया-साऊथ अफ्रीका के बीच मॅच हो तो कैसा महॉल रहता है. शारजाह के मैदान मे मॅच हो रहा था. इंडियन कॅप्टन था अज़हरुद्दीन. ” आज इंडियन्स जीतना ही नही चाहते हैं.” सिंघम जी ने कहा ” ये ऐसे खेल रहे हैं जैसे पहले से सट्टेबाज़ी कर रखी हो.” रधु अंकल ने कहा. “आप लोग इस तरह क्यों बोल रहे हैं? देखना इंडिया जीतेगी.” मैने कहा ” हो ही नही सकता. शर्त लगा लो इंडिया हार कर रहेगी” सिंघम अंकल ने कहा. तभी एक और छक्का लगा. ” देखा…देखा….. ” सिंघम अंकल ने मेरी पीठ पर एक हल्के से धौल जमाया ” मेरी बात मानो ये सब मिले हुए हैं.” खेल आगे बढ़ने लगा. तभी एक विकेट गिरा तो हम तीनो उच्छल पड़े. मैं खुशी से सिंघम अंकल की जाँघ पर एक ज़ोर की थपकी दे कर बोली “देखा अंकल? आज इनको कोई नही बचा सकता. इनसे ये स्कोर बन ही नही सकता.” मैं इसके बाद वापस खेल देखने मे बिज़ी हो गयी. मैं भूल गयी थी कि मेरा हाथ अभी भी सिंघम अंकल की जांघों पर ही पड़ा हुआ है. सिंघम अंकल की निगाहें बार बार मेरी हथेली पर पड़ रही थी. उन्हों ने सोचा शायद मैं जान बूझ कर ऐसा कर रही हूँ. उन्हों ने भी बात करते करते अपना एक हाथ मेरा स्कर्ट जहाँ ख़त्म हो रहा था वहाँ पर मेरी नग्न टांग पर रख दिया. मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मैने जल्दी से अपना हाथ उनकी जांघों पर से हटा दिया. उनका हाथ मेरी टाँगों पर रखा हुआ था. कंदार अंकल ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख दी. मुझे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा. अब लास्ट तीन ओवर बचे हुए थे. खेल काफ़ी टक्कर का हो गया था. एक तरफ जावेद मियाँदाद खेल रहा था. लेकिन उसे भी जैसे इंडियन बौलर्स ने बाँध कर रख दिया. खेल के हर बॉल के साथ हम उच्छल पड़ते. या तो खुशियाँ मानते या बेबसी मे साँसें छोड़ते हुए. उच्छल कूद मे कई बार उनकी कोहनियाँ मेरे बूब्स से टकराई. पहले तो मैने सोचा शायद ग़लती से उनकी कोहनी मेरे बूब्स को च्छू गयी होगी लेकिन जब ये ग़लती बार बार होने लगी तो उनके ग़लत इरादे की भनक लगी. आख़िरी ओवर आ गया अज़हर ने बॉल चेतन सिंघम को पकड़ाई. ” इसको लास्ट ओवर काफ़ी सोच समझ कर करना होगा सामने मियाँदाद खेल रहा है.” ” अरे अंकल देखना ये मियाँदाद की हालत कैसे खराब करता है.” मैने कहा “नही जीत सकती इंडिया की टीम नही जीत सकती लिख के लेलो मुझसे. आज साऊथ अफ्रीका के जीतने पर मैं शर्त लगा सकता हूँ.” सिंघम अंकल ने कहा. ” और मैं भी शर्त लगा सकती हूँ की इंडिया ही जीतेगी” मैने कहा. आख़िरी दो बॉल बचने थे खेल पूरी तरह इंडिया के फेवर मे चला गया था. “मियाँदाद कुछ भी कर सकता है. कुछ भी. इसे आउट नही कर सके तो कुछ भी हो सकता है.” सिंघम अंकल ने फिर जोश मे कहा.  अब तो मियाँदाद तो क्या उसके फरिश्ते भी आ जाएँ ना तो भी इनको हारने से नही बचा सकते.” “चलो शर्त हो जाए.” सिंघम अंकल ने कहा. ” हां हां हो जाए..” रधु अंकल ने भी उनका साथ दिया. मैने पीछे हटने को अपनी हर मानी और वैसे भी इंडिया की जीत तो पक्की थी…

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