मौसी की गांड का मज़ा लिया

हेल्लो दोस्तों आज मै फिर से लौट आया हूँ अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों अभी तक जिसने पिछली कहानी बुरचोदी मौसी के साथ रंगरेलिया और मौसी के साथ मौसी की नौकरानी की भी चुत मारी नहीं पढ़ी है उसे पढ़ ले तभी कहानी का असली रस मिलेगा | तो चलिए अब आगे की कहानी की सुरुवात करता हूँ |..  फिर एक साड़ी सफेद साड़ी और लंबे बाहों का अम्मा स्टाइल का ब्लओज़ पहना मेकअप बिल्कुल नहीं किया पर माथे पर एक बड़ी बिंदी लगाई अपने घने बाल जूडे में बाँधे और उसमें गजरा पहना आख़िर में अपनी कलाई में बहुत सी चूड़ियाँ पहन लीं; अब वह एक आकर्षक मध्यम आयु की असली भारतीया नारी लग रही थी मैं समझ गया कि ऐसा उसने नताशा की माँ की चाहत को पूरा करने के लिए किया है

तभी डोरबेल बजी ओर मेरी ओर देख कर मुस्करा कर मौसी ने मुझे आँख मारी कि तैयार रह तमाशा देखने के लिए और कमरे के बाहर चली गई, दरवाजा खोलने के लिए मुझे हँसने और खिलखिलाने की आवाज़ें आईं और साथ ही पटापट खूब चुंबन लिए जाने के स्वर भी सुनाई दिए कुछ ही देर में एक जवान युवती से लिपटी मौसी कमरे में आई वह युवती इतने ज़ोर ज़ोर से मौसी को चूम रही थी कि मौसी चलते चलते लडखडा जाती थी “अरे बस बस, कितना चूमेगी, ज़रा साँस तो लेने दे” मौसी ने भी नताशा को चूमते हुए कहा पर वह तो मौसी के होंठों पर अपने होंठ दबाए बेतहाशा उसके चुंबन लेती रही रवीना मौसी ने किसी तरह से दरवाजा लगाया और फिर तो नताशा मौसी पर किसी वासना की प्यासी औरत जैसी झपट पडी और मौसी के कपड़े नोचने लगी नताशा को मैंने अब मन भर कर देखा वह एक लंबी छरहरे बदन की गोरी सुंदर लड़की थी

और जीन और एक टीशर्ट पहने हुए थी अपने रेशमी बॉबी कट बाल उसने कंधे पर खुले छोड़ रखे थे टाइट टीशर्ट में से उसके कसे जवान उरोजो का उभार सॉफ दिख रहा था उसने मौसी की एक ना सुनी और उसकी साड़ी और ब्लओज़ उतारने में लग गयी रवीना मौसी ने खिलखिलाते हुए कहा “अरे ज़रा ठीक से कपड़े तो उतारने दे बेटी और तू भी उतार ले” नताशा को बिलकुल धीर नहीं था |

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“मामी, पहले अपनी चूत चुसाओ, फिर बाकी बातें होंगी” ऐसा कहते हुए उसने मौसी को पलंग पर धकेला और फिर मौसी की साड़ी उपर करके खींच कर उसकी चड्डी उतार दी “क्या दीदी, पैंटी क्यों पहनी, मेरा एक मिनट और गया” कहकर उसने मौसी की टाँगों के बीच अपना सिर घुसेड दिया जल्दी ही चूसने और चाटने की आवाज़ें आने लगीं मौसी सिसकारी भरते हुए बोली “अरी पगली, मेरी प्यारी बेटी, तेरी मनपसंद काली ब्रा और पैंटी पहनी है, सोचा था कि धीरे धीरे कपड़े उतारकर तुझे मस्त करूँगी पर तू तो लगता है कब की भूखी है”

नताशा का सिर अब मौसी की मोटी मोटी गोरी जांघों के बीच जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रहा और मौसी उसे हाथों में पकड़ कर नताशा के रेशमी बाल सहलाती हुई अपनी टाँगें फटकार रही थी दस मिनट यह कार्यक्रम चला और फिर मौसी तडप कर झड गई नताशा ने अपना मुँह जमा कर बुर चूसना शुरू कर दिया और पाँच मिनट बाद तृप्त होकर अपने होंठ पोंछते हुए उठ बैठी वह अब किसी बिल्ली की तरह मुस्करा रही थी जिसे की मनपसंद चीज़ खाने को मिल गई हो वह वासना की मारी युवती अब उठ कर अपने कपड़े उतारने लगी |

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उसने जब जींस और टीशर्ट उतार फेका तो मेरा लंड मस्ती से उछल पड़ा नताशा ने एक गुलाबी रंग की लेस वाली बड़ी प्यारी ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी जो उसके गोरे चिकने बदन पर खूब खिल रही थी नताशा ने अब मौसी की साड़ी और ब्लओज़ निकाले और फिर ब्रा के हुक खोल कर खींच कर वह काली ब्रा भी अलग कर दी तब तक मौसी ने भी नताशा की ब्रेसियर और पैंटी उतार दी थी दोनों औरतें अब एकदम नग्न थीं मौसी के मस्त मांसल बदन के जवाब में नताशा का छरहरा यौवन था

मौसी की घनी काली झांतें थीं और उसके ठीक विपरीत नताशा की चिकनी बुर पर एक भी बाल नहीं था पूरी शेव की हुई बुर थी पहले तो खिलखिलाते हुए वे एक दूसरे से लिपट गईं और चूमा चाटी करने लगीं फिर पलंग पर चढ कर उन्होंने आगे की कामक्रीडा शुरू की नताशा ने मौसी को पलंग पर लिटाया और खुद उसकी छाती के दोनों ओर घुटने टेक कर झुक कर तैयार हुई फिर सीधा अपनी बुर को मौसी के मुँह पर जमा कर वह बैठ गई और उछल उछल कर मौसी का मुँह चोदते हुए अपनी बुर चुसवाने लगी “माँ, मेरी मामी, अपनी बेटी की बुर चूस लो, दिन भर से चू रही है हाय माँ हाय दीदी जीभ घुसेडो ना जैसे हमेशा करती हो” कहते हुए नताशा मदहोश होकर मौसी के सिर को अपनी मजबूत जांघों में जकडकर उसके होंठों पर हस्तमैथुन करने लगी |

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मौसी ने भी शायद उसे बड़ी खूबी से चूसा होगा क्योंकि पाँच ही मिनट में नताशा एक हल्की चीख के साथ स्खलित हो गई और लस्त होकर मौसी के शरीर पर ही पीछे लुढक गई पर मौसी ने उसे नहीं छोड़ा और उसकी टाँगें पकडकर नताशा की बुर चाटती रही झडी हुई नताशा को यह सहना नहीं हुआ और वह सिसक सिसक कर पैर फटकारती हुई छूटने की कोशिश करने लगी पर मेरी कामुक अनुभवी मौसी के सामने उसकी क्या चलती आख़िर जब वह दूसरी बार झडी और हाथ पैर पटकने लगी |

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तब मौसी ने उसे छोड़ा नताशा पडी पडी हाँफती रही और रवीना मौसी ने बड़े प्यार से उसकी जांघें और बुर पर बह आए रस को चाट कर उन्हें बिलकुल सॉफ कर दिया फिर नताशा को बाँहों में भर कर प्यार करते हुए आराम से वह बिस्तर पर लेट गई “लगता है, बहुत दिन से भूखी थी मेरी लाडली बेटी, तभी तो ऐसे मचल रही थी, और रस भी कितना निकला तेरी बुर से !” मौसी ने लाड से कहा “हाँ दीदी, एक महना हो गया तुम से मिले उसके बाद सिर्फ़ रोज हस्तमैथुन से संतोष कर रही हूँ तुम्हारी बुर का रस पीने के लिए मरी जा रही थी कब से” मौसी ने हँसकर बड़े दुलार से नताशा को चुम्मा लिया और नताशा ने भी बड़े प्यार से मौसी का चुम्मा लौटाया मौसी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गई और नताशा को गोद में लेकर प्यार करने लगी बिलकुल ऐसा नज़ारा था जैसे हमेशा माँ बेटी के बीच दिखता है |

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फ़र्क यही था कि यहाँ बेटी छोटी बच्ची ना होकर एक युवती थी और माँ बेटी दोनों नंगी और उत्तेजित थीं मौसी ने बड़े प्यार से हौले हौले नताशा के गाल, नाक, आँखें और होंठ चूमे और उससे पूछा “नताशा बेटी, अपनी माँ को अपना मीठा प्यारा मुँह चूमने नहीं देगी? ठीक से, पूरे रस के साथ?” नताशा ने सिसककर अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने रसीले गुलाबी होंठ खोल कर अपनी लाल लाल लोलीपोप जैसी जीभ बाहर निकाल दी रवीना मौसी के होंठ खुले और उसकी जीभ निकालकर नताशा की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी आख़िर मौसी ने अपनी जीभ से धकेलकर नताशा की जीभ वापस उसके मुँह में डाल दी और फिर अपनी जीभ भी उस युवती के मुँह में घुसेड दी नताशा ने अपने होंठ बंद कारा के मौसी की जीभ अपने मुँह में पकड़ ली और चॉकलेट जैसे चूसने लगी यह चुंबन तो ऐसा था |

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जैसे वे एक दूसरे को खाने की कोशिश कर रही हों पूरे दस मिनट बिना मुँह हटाए वे एक दूसरे के मुखरस का पान करती रहीं मैंने ऐसा चुंबन कभी नहीं देखा था और मेरा लंड ऐसा तन्नाया कि लगता था वासना से फट जाएगा मौसी का हाथ सरककर धीरे धीरे नताशा की जांघों के बीच पहुँच गया अपनी दो उंगलियाँ मौसी ने नताशा की बुर में डाल दीं और अंदर बाहर करने लगी दूसरे हाथ से वह नताशा की ठोस कड़ी चूची दबाने लगी नताशा ने भी ऐसा ही किया और मौसी की बुर को अपनी उंगलियों से चोदने लगी अगले बीस पच्चीस मिनट चुपचाप उन दोनों सुंदर मादक औरतों का यह प्रणय चलता रहा आख़िर तृप्त होकर दोनों शिथिल पड गईं और अलग होकर सुस्ताने लगीं मौसी ने अपनी उंगलियाँ चाटी और प्यार से नताशा को कहा “तेरा स्वाद तो दिन-बा-दिन मस्त होता जा रहा है

मेरी जान, चल मुझे ठीक से तेरी बुर चूसने दे” अपनी टाँगें खोल कर मौसी एक करवट पर लेट गई और नताशा ने उलटी तरफ से उसकी जांघों में सिर छुपा लिया दोनों का मनपसंद सिक्सटी-नाइन आसन शुरू हो गया मौसी ने अपने हाथों में नताशा के गोल चिकने नितंब पकड़े और उसकी बुर को अपने मुँह पर सटाकर चूसने लगी नताशा के काले बाल मौसी की गोरी जांघों पर फैले हुए थे उधर मौसी ने नताशा का सिर अपनी गुदाज जांघों में जकड रखा था और उसे अपनी बुर चुसवाते हुए उसके लाल होंठों पर मुठ्ठ मार रही थी एक दूसरे के गुप्तांगों के रस का पान करते हुए वे अपनी साथिन के चुतड भी मसल और दबा रही थीं

लगता है कि यहा दोनों का प्रिय आसन था क्योंकि बिना रुके घंटे भर यह बुर चूसने की कामक्रीडा चलती रही जब दोनों आख़िर तृप्त होकर उठीं तो शाम होने को थी नताशा के जाने का समय हो गया था कुछ देर वह रवीना मौसी से लिपट कर उसकी मोटी मोटी लटकती छातियों में मुँह छुपाकर उनसे बच्चे जैसी खेलती हुई बैठी रही मौसी ने भी प्यार से अपना एक निपल उसके मुँह में दे दिया नताशा छोटी बच्ची जैसे आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रही थी और मौसी प्यार से बार बार उसकी आँखों की पलकों को चूम रही थी बड़ा ही मादक और भावनात्मक दृश्य था क्योंकि यह सॉफ था कि एक दूसरे के शरीर को वासना से भोगने के साथ साथ दोनों औरतें सच में एक दूसरे को बहुत प्यार करती थीं आख़िर मन मार कर नताशा उठी और कपड़े पहनने लगी बाल सँवार कर और जींस तथा टीशर्ट ठीकठाक कर जब वह निकलने लगी तो मौसी ने उसका चुम्मा लेते हुए पूछा”अब कब आएगी नताशा बेटी?

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फिर इतनी देर तो नहीं करेगी मेरी रानी?” नताशा ने मौसी से वायदा किया “नहीं मम्मी, बस अगले महने से मैं यहीं वापस आ रही हूँ, फिर एक महने की छुट्टियाँ ले लूँगी जब तेरे पति यहाँ नहीं होंगे फिर बोलो तो तेरे पास आकर ही रहूंगी” मौसी ने मज़ाक में पूछा “क्यों रानी, कहो तो अपनी नौकरानी अनामिका बाई को भी बुला लूँ रहने को?” और फिर हँसने लगी नताशा ने कानों को हाथ लगाते हुए कहा “माफ़ करो दीदी, तुम्हारी नौकरानी तुम्हे ही मुबारक, दुक्के पर तिक्का मत करो, मुझे तो बस तुम्हारी छातियों और जांघों में जगह दे दो, मुझे और कोई नहीं चाहिए” मुझे अनामिका बाई का जोक कुछ समझ में नहीं आया पर बाद में सब पता चल गया यह भी बड़ी मीठी कहानी है, फिर कभी बताऊन्गा नताशा चली गई और मौसी दरवाजा बंद कर के आ गई वह अभी भी पूरी नंगी थी

मैं अब तक वासना से ऐसे तडप रहा था जैसे बिन पानी मछली मुँह से गोंगिया रहा था कहने की कोशिश कर रहा था कि मौसी अब दया कर मौसी ने जब मेरा हाल देखा तो बिना कुछ और कहे मेरे बंधन खोल दिए और मुँह खोल कर अपनी ब्रा और पैंटी निकाल ली उसे मैंने चूस चूस कर ऐसा सॉफ कर दिया था कि धुली सी लग रही थी |

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मौसी ने अब मेरे उपर एक और बड़ी दया की चुपचाप जाकर ओन्धे मुँह पलंग पर पट लेट गई और आँखें बंद कर लीं वह काफ़ी थकी हुई थी और उसकी बुर भी चूस चूस कर बिलकुल ठम्डी हो गई थी इसलिए आँखें बंद किए किए ही मौसी बोली “राहुल बेटे, तू ने बड़ी देर राह देखी है, आ, मेरी गान्ड मार ले मन भर के जो चाहे कर ले मेरे चुतडो से, बस मेरी बुर को छोड़ दे, मैं सोती हूँ, पर तू मन भर के मेरे शरीर को भोग ले” यह तो मानों मेरे लिए वरदान जैसा था और मैंने उसका पूरा फ़ायदा उठाया मौसी पर चढ कर उसकी गान्ड मारने लगा पहली बार तो मैं पाँच मिनट में ही झड गया पर फिर भी मौसी पर चढा रहा दूसरी बार मज़े ले लेकर आधा घंटे तक उसकी गान्ड मारी और तब झडा झडने के बाद देखा तो मौसी सो गई थी और खर्ऱाटे ले रही थी पर मैंने और मज़ा लेने की सोची और तीसरी बार हचक हचक कर रुक रुक कर घंटे भर मौसी की गान्ड चोदी तब जाकर मेरी वासना शांत हुई गान्ड मारते हुए मैंने मौसी की चुचियाँ भी मन भर कर जैसा मेरा मन चाहा दबाई और मसली मौसी सोती ही रही आख़िर आधीरात को मैं अपना पूरा वीर्य उसके गुदा में निकालकर फिर ही सोया मौसी के साथ गर्मी की छुट्टियो में मैंने अकेले में मस्त चुदाई शुरू कर दी थी मौसाजी तब दौरे पर थे मैंने मौसी से पूछा कि उसके और नताशा के बारे में क्या मौसाजी को मालूम है?

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उसने हाँ कहा और पूरी बात बता दी “अरे तेरे मौसाजी भी कम नहीं हैं दूसरे शहर में उनके भी एक दो यार हैं जिनके साथ वे खूब मज़ा करते हैं हाँ सब पुरुष हैं किसी और औरत के साथ उनका संबंध नहीं है इसी तरह तेरे अलावा मैंने किसी और पुरुष से नहीं चुदवाया हाँ नताशा जैसी गर्ल फ्रेन्ड ज़रूर बना ली असल में हम दोनों बाई-सेक्सुअल हैं इसीलिए हमने शादी की और एक दूसरे पर कोई बंधन नहीं रखा है वैसे उन्हें यह भी मालूम है कि मैं तेरे साथ क्या कर रही हूँ मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था वे भी बोले की हाँ घर का ही प्यारा लड़का है, मैं जो चाहे कर लूँ” सुनकर मुझे बड़ा मज़ा आया पर जब मौसाजी वापस आए तो मैं ज़रा उदास हो गया मुझे लगा कि अब मौसी के गदराए शरीर का भोग करना मेरे नसीब में नहीं है पर हुआ बिल्कुल उल्टा तीन शरीरों की जुगलबंदी शुरू हो गई हुआ यह कि जब मौसाजी वापस आए तो उन्होंने ज़रा भी जाहिर नहीं किया कि उन्हें मेरे और मौसी के संबंध के बारे में मालूम है मैं भी चुप रहा उस रात मैं एक दूसरे कमरे में सोया बड़ी रात तक सोने की कोशिश कर रहा था रात को मौसी से संभोग की आदत हो जाने से मुझे अकेले नींद नहीं आ रही थी |

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और इसलिए एक चुदाई की किताब पढ़ रहा था मौसाजी और मौसी अपने कमरे में थे वहाँ से हँसने खेलने की आवाज़ें आ रही थीं अंत में लंड बुरी की तरह खड़ा हो गया मैं बस बत्ती बुझा कर मुठ्ठ मार कर सोने ही वाला था कि मौसी ने मुझे आवाज़ दी “राहुल, अकेला क्या कर रहा है बेटा? यहाँ आ जा” मुझे समझ में नहीं आया कि आज की रात तो मौसी अपने पति की बाँहों मैं है तो मुझे क्यों कबाब में हड्डी बनाने को बुला रही है मैंने दरवाजा खटखटाया मौसी चिल्लाई “आ जा बेटे, दरवाजा खुला है”

मैं अंदर आया तो देखता ही रह गया आँखें फटी रहा गयीं और लंड और खड़ा हो गया अजित अंकल आराम कुर्सी में बैठे थे और मौसी उनकी गोद में बैठी थी दोनों मादरजात नंगे थे मौसी की टाँगें पसरी हुई थीं और मौसाजी का मोटा लंड मौसी की गुदा में जड तक धँसा हुआ था मौसाजी का एक हाथ अपनी पत्नी की बुर में दो उंगलियाँ अंदर बाहर कर रहा था और दूसरे हाथ से वे मौसी के मम्मे दबा रहे थे आपस में चूमा चाटी भी चल रही थी

मौसी मेरी ओर देख कर बोली “तुझे क्या लगा बेटे, तेरे को अकेले तडपते हुए छोड़ देंगे हम?” अंकल भी मुझे आँख मार कर बोले “राहुल, तेरी मौसी की चूत को तेरे मुँह की बहुत याद आ रही है देख कितना रस बहा रही है तेरे लिए तेरी मौसी भी अडी है, बोली बुर का रस पिलाऊन्गि तो सिर्फ़ अपने प्यारे भांजे को!” मौसी ने अपनी जांघें और फैला दीं और बाँहें पसार कर मुझे पास बुलाया “राहुल, नंगा हो जा और जल्दी से मौसी की जांघों में समा जा बेटे, चूस ले अपनी मौसी की बुर तुझे रस पिलाए बिना यह बुर ठंडी नहीं होगी” मैंने काँपते हाथों से कपड़े उतारे और दौड कर मौसी के सामने उसकी जांघों के बीच बैठ कर मौसी की टपकती बुर में मुँह डाल दिया मौसी की गान्ड का छेद मेरे मुँह से बस दो तीन इंच दूर था और मौसी का तनकर खुला गुदाद्वार और उसमें फंसा मोटा ताज़ा लंड देखकर मैं और उत्तेजित हो रहा था

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