दोस्तों बात उस समय की है जब मेरी शादी को 3 साल हो गए थे और मेरी बीबी को पहला बच्चा हुआ था. वो उस समय अपने मायके एलहाबाद में ही थी. मै इलाहाबाद में पोस्टेड था. जब काफी दिन हो गए तो मै अपने आफिस से छुट्टी ले कर अपने ससुराल गया ताकि बीबी और बच्चे से मिल आऊं. अभी मेरी बीबी का इलाहाबाद आने का कोई प्रोग्राम नहीं था. क्यों कि इस समय दिसंबर का महीना चल रहा था और जाड़ा काफी अधिक पड़ रही थी. एलहाबाद जब मै अपने ससुराल गया तो मेरी खूब खातिरदारी हुई. मेरे ससुराल में मेरे ससुर, सास, 1 साला और 2 सालियाँ थी. मेरे साले की हाल ही में नौकरी हुई थी. और वो दिल्ली में पोस्टेड था. ससुरजी भी अच्छे सरकारी नौकरी में थे. 2 साल में रिटायर होने वाले थे. लेकिन अधिकतर बीमार ही रहा करते थे. मेरी सालियाँ बड़ी मस्त थीं. दोनों ही मेरी पत्नी से छोटी थीं. मेरी पत्नी से ठीक छोटी वाली का नाम रीना था. वो 23 साल की थी. उस से छोटी रेखा की उम्र 21 साल की थी. दोनों ही स्नातक कर चुकी थी. यूँ तो दोनों दिन भर मेरे से चुहलबाजी करती रहती थी लेकिन कभी बात आगे नही बढी थी. मैंने भी रीना की एक – दो बार चूची दबा दी थी. लेकिन वो हंस कर भाग जाती थी. खैर मेरी बीबी शीला खुद भी काफी सुन्दर थी. इसलिए कभी कोई ऐसी वैसी बात होने कि नौबत नही आई. इस बार मै ज्यों ही अपने ससुराल पहुंचा तो वहां एक अजब समस्या आन पड़ी थी. दोनों ही सालियों ने बी .एड करने का फॉर्म भरा था और दोनों की ही परीक्षा मेरठ में होनी थी. परीक्षा पुरे एक सप्ताह की थी. समस्या ये थी कि इन दोनों के साथ जाने वाला कोई था ही नहीं. क्यों कि मेरे साले कि अभी अभी नौकरी लगी थी और वो दिल्ली में था. मेरे ससुर जी को जोड़ों के दर्द ने इस तरह से जकड रखा था कि वो ज्यादा चल फिर नहीं पा रहे थे. सास का तो उनको छोड़ कर कहीं जाने का सवाल ही पैदा नही होता था. मेरी दोनों सालियाँ तो अकेले ही जाने के लिए तैयार थी, लेकिन जमाने को देखते हुए मेरे ससुरजी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे. इस कारण मेरी दोनों सालियाँ काफी उदास हो गयी थी. मुझे लगा कि यूँ तो मै 15 दिनों की छुट्टी ले कर आया हूँ और यहाँ 3 दिन में ही बोर हो गया हूँ क्यूँ ना मै ही चला जाऊं, लेकिन ससुरजी क्या सोचेंगे ये सोच कर मै खामोश था. अचानक मेरी सास ने ही मेरे ससुर को कहा कि क्यों नहीं दामाद जी को ही इन दोनों लड़कियों के साथ भेज दिया जाये. ससुरजी को भी इसमें कोई आपत्ति नजर नहीं आई. उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने थोड़ी टालमटोल करने के बाद मेरठ जाने के लियी हाँ कर दी. और उसी दिन शाम को ही ट्रेन पकड़ कर मेरठ के लिए रवाना हो गए. अगले दिन सुबह मेरठ पहुँच कर एक होटल में हमलोग रुके . होटल में मैंने दो रूम बुक किये. एक डबल रूम , दोनों सालियों के लिए तथा एक सिंगल रूम अपने लिए. हम लोगों ने नाश्ता – पानी किया और मैंने उन दोनों को उनके परीक्षा सेंटर पर पहुंचा दिया. हर तीसरे दिन एक परीक्षा होनी थी . 12 बजे से 2 बजे तक . उसके बाद दो दिन आराम . दोनों ने परीक्षा दे कर वापस होटल आने के क्रम में ही भोजन किया . मैंने दोनों से परीक्षा के बारे में पूछा तो दोनों ने बताया कि परीक्षा काफी अच्छी गयी है. खाना खाने के बाद हम लोग होटल चले आये . वो दोनों अपने कमरे में गयी तथा मै अपने कमरे में जा कर आराम करने लगा . करीब 5 बजे मुझे लगा कि उनलोगों को कहीं घुमने जाना है क्या? ये सोच कर मै उनके रूम में गया. रूम का दरवाज़ा रीना ने खोला . रूम में रेखा नजर नही आयी . मैंने रीना से पूछा- रेखा कहाँ है? वो बोली- बाथरूम गयी है. मैंने कहा – ओह. मैंने देखा कि रीना सिर्फ एक झीनी सी नाइटी पहने हुए है. उसके चूची साफ़ साफ़ आभास दे रही है. उसके चूची के निपल तक का पता चल रहा था. मै बिछावन पर बैठ गया और मैंने सीधे बिना किसी शर्म के ही धीरे से कहा- क्या बात है ? ब्रा नही पहनी हो? उसने कहा – यहाँ कौन है जिस से अपनी चूची को छिपाना है? सुन कर मै दंग रह गया, और कहा – क्यों , मै नहीं हूँ? वो बोली- आप से क्या शर्माना? आप तो अपने आदमी हैं. मै कहा- कभी ठीक से छूने भी नहीं देती हो और कहती हो कि आप अपने आदमी हैं . उसने मेरे गोद में बैठते हुए कहा – इसमें कुछ ख़ास थोड़े ही है जो आपको छूने नहीं दूंगी. आप छू कर देखिये. मै मना नहीं करूंगी. मैंने धीरे से उसे पीछे से पकड़ा और अपने हाथ रीना के एक चूची पर रख दिया. उसने सचमुच कुछ नहीं कहा और ना ही किसी प्रकार का प्रतिरोध किया. मै उसकी चूची को जोर जोर से दबाने लगा. उसे भी मज़ा आने लगा. जब मैंने देखा कि उसको भी मज़ा आ रहा है तो मेरा मन थोडा और बढ़ गया. और मैंने अपना हाथ उसके नाइटी के अन्दर डाला और उसके चूची को पकड़ लिया. उफ़ क्या मखमली चूची थी रीना की . मैंने तो कभी कल्पना भी नही की थी कि मेरी साली इतनी सेक्सी हो सकती है. मै कस कर के उसकी चूची दबा रहा था. वो आँख बंद कर के अपने चूची के मर्दन का आनंद ले रही थी. मेरा लंड तनतना गया. मैंने धीरे से कहा- ए, जरा नाईटी खोल के दिखा ना. रीना ने कहा- खुद ही खोल कर देख लीजिये ना. मैंने उसकी नाईटी को अचानक नीचे सरका दिया और उसकी चुचियों के नीचे लेते आया. ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त चूची थी. मैंने दोनों हाथों से से उसकी दोनों चुचियों को को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया. वो सिर्फ आँखे बंद कर के मज़े ले रही थी. उसने धीरे से कहा – जीजाजी, इसे चूसिये ना. मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और उसकी चूची को चूसने लगा. ऐसा लग रहा था मानो शहद की चासनी चूस रहा हूँ. मेरा लंड एकदम उफान पर था. . मेरा लंड पैंट के अन्दर ही अन्दर गीला हो गया था. मैंने एक झटके में उसके बदन से पूरी नाइटी उतार दी. और अपना शर्ट एवं पैंट भी. अब वो सिर्फ पेंटी में थी और मै अंडरवियर में . मैंने उसके बदन को चूमना चालु किया. चुमते चुमते अपना दाहिना हाथ उसके पेंटी के अन्दर डाल दिया. घने घने बाल साफ़ आभास दे रहे थे. थोडा और नीचे गया तो कोमल सा चूत साफ़ आभास होने लगा. पूरी गीली हो गयी थी. उसने भी मेरे लंड पर हाथ लगा दिया और कहा – इसे भी खोलो ना जीजू. मैंने बिना देर किये अपना अंडरवियर भी खोल दिया . वो मेरा लंड को अपने हाथ में ले कर सहलाने लगी . मैंने उसके होठों को कस कर दबाया हुआ था. मै उसके चूत में अपनी उंगली डालने की कोशिश करने लगा तो वो बुरी तरह से छटपटाने लगी. तभी मैंने उसकी पेंटी भी खोल दी और उसके चूत को घसने लगा. वो मछली की तरह तड़प रही थी. मैंने किसी तरह से अपनी ऊँगली उसके चूत में डाल ही दी. तभी बाथरूम के अन्दर से फ्लश की आवाज़ आयी. मै हडबडा गया क्यों कि रेखा निकलने वाली थी और रीना नंगी पड़ी हुई थी. मै झट उठ कर बैठ गया और अंडरवियर पहन लिया . . रीना ने तुरंत ही अपनी पतली सी चादर अपने अपने नंगे बदन पर ओढ़ लिया. मै सोच रहा था कि यहाँ से चला जाऊं. लेकिन तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और रेखा बाहर आ गयी. ये क्या ! उसने भी तो सिर्फ पेंटी ही पहन रखी थी. ऊपर वो पूरी तरह से नंगी थी . एक तो वो मुझे अचानक देख कर शरमा गयी और वो मुझे अंडरवियर में देख कर चौंक गयी. मेरा लंड अभी भी 8 इंच के तनाव पर था. फिर वो मुझे देख कर अपने हाथो से अपनी गोरी गोरी चूची को छिपाने का असफल प्रयास करते हुए हुए मुस्कुराई और बोली- आप कब आये? मैंने कहा -अभी थोड़ी देर पहले. मुझे पता नहीं था कि दुबली पतली सी दिखने वाली इस लड़की के चूची इतने बड़े होंगे. मै सोचने लगा – यार इसके भी तो चूची अब हाथ लगाने लायक हो ही गए हैं. अभी मै इसी विषय पर सोच ही रहा था कि रेखा ने कहा- क्यों जीजू , क्या देख रहे हो? मैंने कहा – देख रहा हूँ कि छोटी बच्ची अब जवान हो गयी है. रेखा ने कहा – आप को अभी तक पता ही नही चला था क्या? मैंने अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से कस के दबाते हुए कहा- मुझे तो अंदाजा ही नही था कि आपका नीम्बू अब खरबूज बन गया होगा. तेरी चूची तो तो तेरी बहन रीना से भी बड़ा है. तू तो उसकी बड़ी बहन लगती है. ये सुन कर रेखा बोली- धत, मेरी चूची तो अभी रीना दीदी से छोटा ही है. मैंने कहा – नहीं, तेरा बड़ा है. वो बोली- नहीं, मेरा छोटा है दीदी से. मैंने कहा- लगी शर्त? तेरा बड़ा है. अगर तेरा छोटा हुआ तो 500 रुपये तेरे. अगर बड़ा हुआ तो तू मुझे 500 रूपये देगी. बोल मंजूर है? वो बोली- हाँ , मंजूर है. दीदी जरा खोल के दिखा तो अपनी चूची. रीना तो नंगी थी ही. उसने अपना चादर हटाया. रेखा ने देखा तो कहा – अरे तू तो पहले से ही नंगी है? रीना ने कहा – जीजू , मेरे चूची का साइज़ और चूत की गहराई नाप रहे थे. अच्छा , अब तू भी खोल के दिखा. रेखा ने बिना समय दिखाए अपने हाथ नीचे कर के अपनी चूची मेरे सामने ला कर खड़ी हो गयी. यूँ तो वास्ताव में रेखा की चूची रीना के चूची से छोटी थी. लेकिन मै तो सिर्फ उसकी चूची को देखने के लिए इतना ड्रामा कर रहा था. उसकी चूची भी मस्त थी. मैंने कहा – ऐसे तो पता नहीं चल रहा है. हाथ से नाप कर ही पता चलेगा. रेखा मेरे पास आ गयी और बोली- तो ठीक है. हाथ से नाप कर ही देख लीजिये और बताइए किसकी चूची बड़ी है और किसकी छोटी ? मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और उसकी चूची को मसलने लगा. मेरे लंड का हाल बुरा हो रहा था. थोड़ी देर उसकी चूची मसलता रहा. रेखा की आँख बंद हो गई थी- उसे भी काफी आनंद आ रहा था. उसने धीरे से कहा- जीजू अब बताइए न किसकी चूची बड़ी है और किसकी छोटी? मै भी कम धूर्त ना था. मैंने कहा – अंदाज़ ही नही मिल रहा है. दोनों बहनों की चुचियों को एक साथ छूना होगा. रीना इधर आ, तू भी मेरे गोद में बैठ जा. रीना भी सिर्फ पेंटी पहन कर मेरी गोद में बैठ गयी. अब मै दोनों की चूचियां को मसलने रहा था. दोनों ही हलकी हलकी सिसकारी भर रही थी. फिर मैंने कहा – ऐसे पता नही चलेगा. मुह में चूस कर साइज़ पता चलेगा. मैंने दोनों को बिस्तर पर सटा कर लिटा दिया. और बारी बारी से दोनों की चुचीयां को चूसने लगा. दोनों को अपनी चूचियां चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने कहा – दोनों की चूची तो 19 – 20 है. अच्छा ये बता तुम दोनों में से किसके चूत पर बाल अधिक हैं? रीना ने कहा – जीजू, खुद ही मेरी पेंटी खोल के देख लो न. मैंने उस की पेंटी में हाथ डाला और उस की पेंटी खींच कर उतार डाली. दोनों अब मेरे सामने नंगी थी. दोनों के चूत पर घने बाल थे. मै दोनों के चूत को सहलाने लगा. दोनों की आँखे बंद थी. दोनों की चूत गीली हो रही थी. मैंने कहा – दोनों की चूत पर घने बाल हैं. शेव नहीं करती हो क्या? रीना ने कहा – नहीं मैंने पूछा – तुम दोनों में से मुठ अधिक कौन मरती हो? रेखा ने कहा – दीदी अधिक मारती है. दिन में दो बार वो भी बैगन से. मैंने कहा – तू मुठ नहीं मारती. रेखा ने कहा – कभी कभी.. वो भी दीदी को मुठ मारते देख कर. रीना मेरे लंड को पकड़ कर बोली – हाँ लेकिन ये इतनी डरपोक है कि पतले मोमबत्ती को चूत में डाल कर मुठ मारती है. मैंने कितनी बार इसे बैगन से मुठ मारने को कहा है लेकिन ये मानती ही नहीं.. मैंने कहा – कभी तुम दोनों ने अपनी चूत चुसवाया है? रेखा ने कहा – हाँ मैंने कहा – किस से? रीना ने कहा – हम दोनों अक्सर ही एक दुसरे की चूत चूसते हैं. मैंने कहा – अरे वाह, दोनों तो बिलकूल एक्सपर्ट हो. कहाँ से सीखा? रेखा ने कहा – बड़ी दीदी ने सिखाया. दरअसल हम तीनो बहन एक दुसरे की चूत चूसते हैं. मैंने कहा – वाव.. ये बात तो मुझे आज तक पता ही नहीं थी. रेखा ने कहा – जीजा जी, सिर्फ हमारी ही देखोगे क्या? अपनी भी दिखाओ ना. मैंने बिना कुछ कहे अपने अंडरवियर को को भी खोल दिया. मेरा लंड जो एक चूत और दो चूची को देख कर जितना बड़ा होता है आज दो दो चूत और चार चूची को देख कर डबल बड़ा हो रहा था. अनु ने मेरे लंड को देखते ही पकड़ लिया और कहा – हाय राम, जीजू आपका जूजू कितना बड़ा है. इतना बड़ा जूजू तुम दीदी के चूत में पूरा डाल देते हो? दीदी की चूत तो दर्द से बिलबिला जाती होगी. ये सुन कर रीना हँसी और कहा- धत पगली, ये जूजू थोड़े ही है, ये तो लंड है. चूत में इसे डालने से दर्द थोड़े ही होता है? बल्कि मज़ा आता है. इस को पीयेगी? सुना है बहुत मज़ा आता है. अनु ने कहा – किसने कहा? रीना- दीदी ने. मैंने कहा – दीदी तुम्हे ये सब बातें बताती है? रीना ने मेरे लंड को मुह में लिया और थोडा चूसते हुए कहा- और नहीं तो क्या? वो मुझे अपनी चुदाई कि सब बातें बताती है. मैंने कहा – सिर्फ थ्योरी से ही काम नहीं चलेगा, कुछ प्रेक्टिकल भी करना होगा. दोनों ने कहा – हाँ जीजू, कुछ प्रेक्टिकल कीजिये ना. मैंने कहा – पहले किस से साथ करूँ. रीना ने कहा – मेरे साथ, क्यों कि यहाँ मै बड़ी हूँ. रेखा ने कहा – हाँ ये ठीक है, तब तक मै देखती हूँ और जानूंगी कि कैसे क्या होता है. मैंने कहा – ठीक है. और मै रीना के बदन पर लेट गया और रेखा बगल में ही लेट कर चुचाप देख रही थी. मै रीना के नंगे मखमली बदन पर लेट कर उसके हर अंग को चाटने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने उसके बुर को चाटना चालु किया तो वो सिसकारी भरने लगी. लेकिन मै उसके बुर के रस को छोड़ भी नहीं पा रहा था. इतना नरम और रसीला बुर था मानो लग रहा था कि लीची को उसका छिलका उतार कर सिर्फ उसे चाट रहा हूँ. उसके बुर ने पानी छोड़ दिया. मै उसके बुर को छोड़ फिर उसके चूची को अपने सीने से दबाया और मैंने पूछा- अपनी चूत चुदवाओगी? रीना ने कहा- हाँ . मैंने कहाँ – ठीक है. तो तैयार हो जा प्रैक्टिकल के लिए मैंने उसके दोनों टांगो को अलग किया और चूत के छेद का मुआयना किया. उसमे उंगली डाल कर उसे फैलाया फिर अपना लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और और धीरे धीरे लंड को उसके चूत में घुसाना चालु कर दिया. ज्यों ही मैंने लंड डाला वो चीख पड़ी- आ ….. यी….आह… मैंने कहा – क्यों री. चूत में बैगन डाल के मुठ मारती हो और लंड लेने में तुझे परेशानी हो रही है. रीना ने कहा – हाय राम, आपका लंड किसी बैगन से कम मोटा नहीं है. और ये काफी सख्त भी तो है. बैगन तो नरम होता है. मैंने कहा – हाँ वो तो है. लेकिन सख्त लंड से ही तुझे मज़ा आएगा. तेरी झिल्ली फटी है कि नहीं अभी तक? रीना ने कहा — नहीं.. मैंने कहा – फाड़ दूँ तेरी झिल्ली? रीना ने कहा – अब देर ना करो जीजू. जो भी करना है जल्दी करो. मेरे चूत में अपना इतना मोटा लंड डाल कर इतने सवाल कर कर के मुझे यूँ ना सताओ. उसका चूत एकदम नया था. मैंने धीरे धीरे अपने लंड को उसके चूत में धक्के मारना शुरू किया. मेरा लंड उसके चूत के गहराई में गया तो उसकी झिल्ली फट गयी तो वो पूरी तरह चीख पड़ी- आ …..ह…जी…….जू हाय राम… मैंने कहा – क्या हुआ रीना ? रीना ने दर्द भरे स्वर में कहा – कुछ नहीं जीजा जी . तेरे लंड ने मेरी झिल्ली फाड़ डाली. आह…कितना मज़ा है इस दर्द में. . मैंने रीना को उसके दर्द कि परवाह किये बगैर जोर जोर से चोदना चालू किया. थोड़ी देर में ही उसे आनंद आने लगा. अब वो आराम से बिना किसी शर्म के जोर जोर से बोलने लगी- आह जीजा जी. हाय जीजाजी. जरा धीरे धीरे चोदिये ना. आय हाय कितना मज़ा आ रहा है. आआअ ….ह्ह्ह्ह…. वो साली ही क्या जिसने अपने जीजा के मज़े ना लूटे हों. सुन के मुझे उसके हिम्मत पर ख़ुशी हुई और आराम से उसके अंग अंग को देखते हुए चोदने लगा. वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगी- हाय…आआअह्ह्ह्ह….. ओह्ह माँ , ओह जीजू, हाय रे आःह्ह्ह …….. मै उसकी नंगे बदन पर लेट कर उसकी चुदाई कर रहा था. मैंने चुदाई करते समय रेखा कि तरफ देखा तो वो भी काफी खुश लग रही थी. मै उसे चोदता रहा. थोड़ी देर में रीना के चूत से पानी निकलने लगा. मेरे लंड ने भी पानी छोड़ देने का सिग्नल दे दिया. मैंने रीना से कहा – बोल कहाँ गिरा दूँ माल? वो बोली- मेरे मुह में. मैंने अपने लंड को उसके चूत से निकाला और अभी उसके मुह में भी नही डाला था कि मेरे लंड ने माल छोड़ना चालु कर दिया. इस वजह से मेरे लंड का आधा माल उसके मुह में और आधा माल उसके गाल और चूची पर गिर गया. फिर भी वो प्यासी कुतिया की तरह मेरा लंड चूसती रही. उसने रेखा को अपनी चूची दिखाई और कहा – रेखा ले माल को चाट. मज़ा आएगा. रेखा ने बिना देर किये रीना के चूची को चाटना शुरू कर दिया और उस पर गिरे मेरे माल को चाट चाट कर खा गयी. मुझे काफी मज़ा आ रहा था. लेकिन मैंने गौर किया कि रेखा भी काफी अंगडाई ले रही थी. इसका मतलब कि अब उसके चूत में भी खुजली हो रही थी. मैंने रीना को कहा – अब तेरी छोटी बहन की बारी है. देख तो कैसा अकड़ रही है? रीना अपनी चूत को साफ़ करती हुई बोली- इसकी तड़प को रोकने का एक ही उपाय ये है कि इसे भी अभी चोद दीजिये. .क्यों री रेखा? चुदवायेगी ना? बहुत मज़ा आएगा. रेखा बोली- लेकिन दीदी , तू तो अभी करह रही थी लग रहा था कि तुझे काफी दर्द हो रहा था . रीना – अरी पगली , वो दर्द नहीं ..मज़ा था री . तू भी चुदवा के देख ना रेखा ने कहा – लेकिन दीदी तुने ही तो एक दिन कहा था कि चूत पर पहला हक पति का होता है ? रीना – धत पगली .. साली के चूत पर पहला हक तो जीजा का ही होता है न. चल अब ये सब छोड़ . और लेट जा .. देख जीजू अभी तुझे जन्नत की सैर करायेंगे . अब मैंने रेखा को अपने नीचे लिटाया और उसकी चूची को छूने लगा. मुझे पता था कि ये लड़की अभी गरम है. इसे काबू में करना कोई मुश्किल काम नहीं है. मै उसी चूची को दबाने लगा. वो कुछ नहीं बोल रही थी सिर्फ मुस्कुरा रही थी. . मैंने एक हाथ उसकी चूत पर हाथ ले गया. ओह उसकी चूत तो बिलकूल गीली थी. मैंने अब कोई तकल्लुफ नहीं किया अब वो पूरी तरह से मेरी गिरफ्त में थी. मै उसके होठों को बेतहाशा चूमने लगा. अब वो भी मुझे जोरदार तरीके से मेरे होठों को चूमने लगी. अब वो मेरा साथ देने लगी थी. वो भी दीदी कि चुदाई देख कर मस्त हो चुकी थी. उसकी चूची तो रीना कि चूची से भी नरम थी. आखिर उसकी चूत का भी मैंने उद्धार किया और और उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया. लेकिन जैसे ही मैंने डाला वो चीखने लगी . उसकी चूत का छेद अभी छोटा था . रीना ने कहा – एक मिनट जीजू .. ये क्रीम इसकी चूत में डाल दीजिये ना . तब चोदिये . तब इसे दर्द नहीं होगा . मैंने रेखा के चूत से अपना लंड निकाल लिया . रीना ने वेसलिन क्रीम को रेखा की चूत पर अच्छी तरह से माला . रेखा चुप चाप अपने चूत पर वेसलिन लगवा रही थी . मैंने रेखा की चूची को दबाते हुए कहा – रीना , तुने तो अपनी चूत पर वेसलिन नहीं लगाया . रीना ने कहा – मुझे तो मोटे बैगन अपने चूत में डालने की आदत है ना . ये रेखा की बच्ची तो सिर्फ मोमबत्ती ही डालती है अपनी प्यारी सी चूत में. इसलिए आपका मोटा लंड इसे चुभ रहा है . लेकिन अब नहीं चुभेगा . मैंने वेसलिन डाल दिया है इसके चूत में अब आप इसके चूत में अपना लंड बेहिचक डालिए. . मैंने फिर से रेखा के चूत में अपना लंड धीरे धीरे डालना शुरू किया . इस बार भी वो थोड़ी चीखी लेकिन जल्दी ही अपने आप पर काबू पा ली. 4-5 शोट में ही उसकी भी झिल्ली फट गयी और उसके चूत से बलबला के खून निकलने लगा . लेकिन मैंने लंड के धक्के से उसकी चुदाई जारी रखी. थोड़ी देर में ही उसकी चूत भी खुल गयी. वो भी अपनी दीदी कि तरह जोश में आ गयी थी.. उसने अपने दोनों हाथो से मेरी गर्दन को लपेट कर मेरे होठो को चूमने लगी. उसकी जम कर चुदाई के बाद मेरे लंड से भरपूर माल निकला जो कि उसके चूत में ही समा गया. मै अपना लंड उसके चूत से निकाल कर उसके बगल में लेट गया. तब रीना ने रेखा की चूची को दबा कर बोली- क्यों बहना, मज़ा आया ना? रेखा ने कहा- हाँ दीदी. एक बार फिर करो ना जीजू. रीना ने कहा- नहीं पहले मेरी चूत में भी रस डालिए तब रेखा की बारी. रीना मेरे बगल में लेट कर अपने दोनों टांगो को आजु बाजू फैला कर अपनी चूत मेरे सामने पेश कर मुझे छोड़ने का न्योता देने लगी. मेरा लंड अभी थका नही था. मै तीसरी बार चूत छोड़ने के लिए तैयार था. मै झट से उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और एक ही झटके में अपना लंड उसके चूत में प्रवेश करा दिया. रीना – हाय राम.. जीजू कितना हरामी है रे तू. धीरे धीरे डाल न.. मैंने कहा – देख कुतिया.. अभी मै तेरी कैसी चुदाई करूंगा कि इस जनम में दोबारा चुदाई का नाम ना लेगी तू. मेरी बात सुन के रीना ने हँसते हुए कहा – जा रे हिजड़े.. तेरे जैसे दस लंड को मै अपननी चूत में एक साथ डाल लूं तो भी मेरी चूत को कुछ नही होने वाला. मैंने भी हँसते हुए कहा – तो ये ले… सभाल इसे. कह कर मैंने काफी जोर जोर से उसके चूत में अपना लंड आगे पीछे करने लगा. पहले तो वो सिर्फ अपने होठो को दांत में दाब कर दर्द बर्दाश्त करती रही. लेकिन थोड़ी देर में ही उसकी चीखे निकलने लगी.. वो हलके हलके स्वर में चिल्लाते हुए कहने लगी – हाय रे.. मादरचोद.. फाड़ डाला रे.. साले जीजू.. कुत्ता है तू… एक नम्बर का रंडीबाज है. आदमी का लंड है कि गधे का लंड. साले कुछ तो रहम कर मेरी नाजुक चूत पर. मुझे उसकी गालियाँ काफी प्यारी लग रही थी. उसकी गालियाँ मेरा जोश बढ़ा रही थी. मै जानता था कि उसे काफी मज़ा आ रहा है क्यों कि इतने दर्द होने के बावजूद वो अपनी चूत से मेरा लंड निकालने का प्रयास नही कर रही थी. इस बार मैंने रीना के चूत को घमासान तरीके से 20 मिनट तक चोदा. 20 मिनट कि घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड से लावा फुट पड़ा. और सारा लावा उसके चूत में ही गिराया. रीना की हालत देखने लायक थी. वो इतनी पस्त हो चुकी थी कि बिना कोई करवट लिए जैसे की तैसी लेटी लेटी ही सो गयी. रीना तो थक कर सो गयी लेकिन अब रेखा कहने लगी मेरी मुंह में भी रस पिलाईये जैसे दीदी को पिलाया था. और मेरी भी चूत चूसिये जैसे आपने दीदी की चुसी थी. मेरी भी तो अब हिम्मत नहीं हो रही थी. लेकिन मै ये लोभ छोड़ना भी नहीं चाहता था और रेखा को दुखी भी नहीं करना चाहता था. . मैंने कहा- रेखा, ये मेरा लंड आपके हवाले है. आप इसे चूस कर इस से रस निकाल लीजिये. रेखा बोली – ठीक है. मै बिस्तर पर लेट गया. रेखा मेरे बदन पर इस तरह से लेट गयी कि उसकी चूत मेरी मुह के ऊपर और वो मेरे लंड को अपने मुह में ले ली. वो मेरे लंड को चूसने लगी और मै उधर उसके चूत को चूस रहा था. जवान लड़कियों में रस की कमी नही रहती. उसके चूत से लगातार रस निकल रहा था. सचमुच अद्भुत स्वाद था. उधर मेरा लंड फिर तनतना गया. उसके चूसने का अंदाजा भी निराला था. मैंने उसे फिर से सीधा लिटाया और उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धों पर रखा. उसकी चूत को दोनों हाथ से सहलाने के बाद अपना लंड पकड़ कर उसके चूत में डाला. लेकिन मैंने रेखा को बड़े ही प्यार से धीरे धीरे चोदता रहा. वो मेरे इसी अंदाज़ पर मज़े ले रही थी. इस बार काफी देर तक उसकी चूत की चुदाई करने के बाद मेरे लंड ने चौथी बार क्रीम निकालने का सिग्नल दिया. मैंने करहाते हुए रेखा से पूछा – माल पीना है या डाल दूँ चूत में ही? रेखा ने भी दर्द भरे स्वर में कहा – मुझे पीना है. मैंने जल्दी से लंड को उसके चूत से निकाला और रेखा के मुह को खोल कर उसके मुह के पास लंड ले जा कर हाथ से 3-4 बार मुठ मारा ही था कि मेरे लंड महाराज ने चौथी बार लावा निकाल दिया . सारा लावा रेखा ने अपने मुह में गटक लिया. और बड़े ही चटखारे ले ले कर पिया.उसके चूत से भी फाइनली रस निकल गया जो सचमुच किसी जूस से कम नहीं था. उसके बाद मै भी रेखा के साथ ही उसी के बिस्तर पर ही सो गया. रात करीब दस बजे हम लोग उठे रीना और रेखा दोनों ही चल नहीं पा रही थी. मै खाने के लिए बाहर गया और उन दोनों के लिए भी भरपूर मात्रा में खाना पैक करवाया और 2 बोतल बियर और एक पैकेट सिगरेट ले लिया. वापस आने पर उन दोनों को खाना खिलाने के बाद दोनों को 2 -2 पैग बियर दिया. पहले तो दोनों मना करती रही. लेकिन जब मैंने कहा कि इस से कोई हानि नहीं होगी बल्कि तुम दोनों का बदन और चूत दर्द ठीक हो जाएगा तब दोनों ने एक बोतल बियर को पीया. फिर दोनों को एक एक सिगरेट भी पीने को दिया. पहले तो वो दोनों सिगरेट में भी ना ना करती रही लेकिन जब मै सिगरेट पी रहा था और एक कश लेने के लिए रेखा को दिया तो वो छोटी छोटी कश ले कर समूची सिगरेट ही पी गयी. उसकी देखा देखी रीना ने भी एक सिगरेट छोटी छोटी कशों में पूरी पी गयी. इस से सचमुच उन दोनों का दर्द समाप्त हो गया. शेष एक बोतल बियर और 3 सिगरेट मै अकेले ही पी गया. हम सभी इतने में फिर से मस्त हो चुके थे. इसके बाद हम तीनो में कोई पर्दा नहीं रह गया. हम तीनो नंगे हो कर रात भर सेक्स गेम खेलते रहे. रात को मैंने दोनों की गांड का भी उद्धार कर दिया. हम तीनो सुबह के सात बजे सोये. मैंने अपने लिए अलग कमरा को भी रखे रखा. जहाँ मै कभी कभी दोनों में से किसी एक को अपने कमरे में ले जा कर एकांत में भी चोदता था. कभी कभी एकांत में भी तो चुदाई होनी चाहिए ना. शेष सातों दिन हम तीनो ने साथ मिल कर चुदाई का तरह तरह का खेल खेला.
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