प्रेषक: सन्नी सिंह
दोस्तों ये कोई सच्ची कहानी नहीं है, एक रात मैंने एक सपना देखा और सपने में जो देखा आप पढ़ लीजिये यह बात चार साल पहले की है जब मैं मास्टर डिग्री के फाइनल इयर में पढ़ रहा था। मैं पेयिंग गेस्ट रहता था। जहाँ पर रहता था, वहाँ सबसे मेरे अच्छे ताल्लुकात बन गए थे। मेरे कमरे के सामने एक युवा नवविवाहित जोड़ा रहता था।
भाभी का क्या कहना, देखने से ही तन बदन में आग सी लग जाती थी ! क्या मस्त मस्त चूचियाँ थी, मस्त मस्त चूतड़ थे ! मैं अक्सर अपनी खिड़की से उनको देख कर मुठ मारा करता था और सोचा करता था कि काश एक बार मौका मिल जा
तो जिंदगी बन जाए। मैं अकसर उनके घर शाम को चला जाता था, भैया के साथ बातचीत होती थी, तब भाभी पानी का गिलास लेकर आती थी तो उनके हाथ को छूने का मौका मिल जाता था। हुआ यों कि होली का त्योहार था, भैया को
तीन दिन पहले ऑफ़िस के काम से कही बाहर जाना पड़ गया और मेरा भी घर जाने का प्रोग्राम बन गया था तो मैं उस दिन शाम को भैया-भाभी से मिलने के लिए चला गया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तब भाभी बोली- तेरे भैया तो काम से चले गये हैं मुझे यहाँ अकेली को छोड़ कर ! तो मैंने उसी समय पॉइंट मार दिया- मैं भी बहुत अकेला महसूस करता हूँ, हर रात काटने को आती है, ना ही नींद आती है। तो भाभी फट से बोली- जब सुबह सुबह मैं काम कर रही होती हूँ तो तुम्हारी खिड़की हल्की सी खुली होती है, तुम मुझे देखते हो? मैं घबरा गया और खड़ा हो गया, मेरे छोटे उस्ताद भी अपनी पोज़िशन में खड़े थे, भाभी ना जाने कब से नोट कर रही थी मेरी हरकतों को ! मैं हकलाते हुए बोला- नहीं तो भाभी ! दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |भाभी बोली- बनो मत, मैं पागल नहीं हूँ। तो मैंने बोल दिया भाभी को- आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, आपको गले लगाने का मन करता है। तो भाभी बोली- चलो ठीक है, इस होली पर मिल लेना गले जी भर कर !मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने मौका ताड़ते हुए भाभी को बोला- एक ग्लास पानी मिलेगा? तो भाभी रसोई की तरफ चल पड़ी, मैं दरवाजे के पीछे छिप कर खड़ाअ हो गया। जब भाभी पानी लेकर आई तो मैंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और हड़बड़ाहट में भाभी घूम गई, उनके हाथ से पानी मेरे ऊपर गिर गया तो भाभी बोली- आज ही होली मन गई ये तो ! मैंने बोला- हाँ जी, तो मेरी हग? और इतना कहते ही मैं भाभी को अपने बाहों में क़ैद कर लिया, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थी तो
मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ पड़ी और मैंने उनकी गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया। शुरू में तो उन्होंने बहुत रोका पर मैं रुकने वाला कहाँ था। धीरे धीरे वो भी गर्म होने लगी और उनकी आँखें बंद होने लगी। मेरे हाथ उनके कूल्हों को सहलाने
लगे, मेरा हथियार उसकी जाँघों में घुस रहा था, भाभी उसको महसूस कर रही थी और वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी। मैं उनको अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर ले गया और उनके ब्लाऊज के ऊपर से उनके उभारों को मसलने लगा।
धीरे धीरे मैंने उसके ब्लाऊज़ के हुक खोले, ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनकी एक चूची को बार निकाला और चूसने लगा। मैं छोटे बच्चे की तरह उनके निप्पल को चूसे जा रहा था और एक हाथ से उनकी साड़ी पर से उनकी जांघें सहलाने लगा।
भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। थोड़ी देर बाद मैंने भाभी का ब्लाउज़ और ब्रा बिल्कुल उतार दी तो भाभी ने मेरी पैन्ट का हुक खोल कर जिप भी खोल दी और मेरे कच्छे में से मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया। भाभी बोली- साला पूरा
खड़ा हो गया है ! मैंने अपनी पैंट और कच्छा एकदम से उतारा और बिना कुछ कहे अपना सात इन्च का लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी। मैंने भाभी के बाकी के
सारे कपड़े उतार दिए। कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड दो इन्च अंदर
चला गया। पर मैं एकदम कराह उठा क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई थी। उनके होंटों को मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। कुछ देर में मेरा दर्द खत्म हो चुका था। मौका सम्भालते हुए मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा
का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था। और अब भाभी भी कराह रही थी। वो बोली- तुम्हारे भैया कभी कभी ही सेक्स करते हैं, आज तक मुझे प्रेगनेन्ट नहीं कर सके ! उनका घुसते ही छूट जाता है और मैं ऐसे ही रह जाती हूँ ! प्लीज़ आज मेरी
जी भरकर मारो, मेरी प्यास बुझा दो ! हम दोनों सिसकारियाँ भर रहे थे ! मैं तो चुदाई में जुटा हुआ था गरम खून है तो जिसके किए कब से तड़फ़ रहा था, उसको कैसे छोड़ता। मैं भाभी को जी भरकर प्यार कर रहा था, उनकी आँखों में आंसू थे पता
नहीं दर्द के, या आनन्द के या अपने पति से बेवफ़ाई के गम के ! कुछ देर तक मैं ऐसे ही उन्हें पेलता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा। कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का
मजा लेने लगी, जोरदार चुदाई में भाभी एक बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था। मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूँ? भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही कर दो ! और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ
झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी। उस रात मैं भाभी के पास ही रुक गया क्योंकि दोनों ही थक कर चूर हो चुके थे। फिर रात को भाभी को कई बार ठोका।उनकी बुर सूज कर मोटी हो गई थी। इस तरह हमारा से सिलसिला चार दिन
तक चलता रहा। मुझे तो जन्नत मिल गई थी। इसके बाद मैं मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बन चुकी है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।अब भाभी मुंबई जा चुकी है भैया के साथ, और यह लंड आज भी उनको याद करके
सलामी देता है, उसके बाद मुझे कभी मौका नहीं मिला कि किसी के साथ सेक्स कर पाऊँ।
दोस्तो, आपको मेरा सपना कहानी के रूप में कैसी लगा, मुझे जरूर लिखें ! ये कोई सच्ची कहानी नहीं है |