मित्रो मेरी साली की लड़की के शादी में गाँव गया हुआ था ठंडी के मौसम में करीब एक साल बाद मेरे गाँव के पास ही साली भी ब्याही है करीब 1 किलोमीटर कि दुरी पर | फरवरी का महीना था हलकी हलकी ठंडी पड़ रही थी, जिस दिन से गाँव गया उसी दिन से पत्नी जी अपनी बहन के घर चली गई और 10 दिन तक बहन के घर में ही रही मैं घर में बिना बीबी के साथ रहा जब कभी साली के घर जाता तो पत्नी से मुलाकात होती नहीं तो मैं घर में अकेला ही माँ और बड़ी भाभी के साथ रहता बड़े भाई तो दिन भर खेती के काम से घर से बाहर ही रहते,मेरी आदत कुछ ऐसी पड़ गई कि जब तक बीबी कि ठुकाई -चुदाई नही कर दू तब तक नींद नहीं आती है इस 45 साल कि उम्र में भी पर बीबी है कि शादी में ब्यस्त हो गई मुझे चुदाई करने का मौका ही नहीं मिलता लण्ड रोज रोज खड़ा होता क्योकि मैं मैं रोज सुबह साम शिलाजीत की कैप्सूल जो लेता हु दूध के साथ इस कारण लण्ड बहुत खड़ा होता है इस उम्र में भी |
10 फरवरी के दिन मैं बाहर सुबह 8 बजे धुप ले रहा था घर के सामने खुली जगह में तभी ”अहिरिन दाई ” [ गाँव में बरतन धोने वाली दाई ] के साथ एक 10-12 साल कि लड़की दिखी सुन्दर सा चौकोर चेहरा, गोरा रंग ,बड़ी बड़ी आँखे ,ऊपर के पतले -पतले और नीचे के हलके से मोटे लाल लाल रशीले होठ, बड़े नीबू के आकार में गोलाई लिए हुए चुचिया मैं उस लड़की कि सुंदरता को निहारता ही रहा गया मैं आंगन में जाकर उसे पास से देखा तो बहुत ही सुन्दर लग रही थी मैं उसे पहचानने कि कोशिस कर रहा था कि गाँव में कौन इतनी सुन्दर औरत है जिसकी ये लड़की है पर कुछ याद नहीं आया तो बड़ी भाभी से पूछ ही लिया कि किसकी लड़की है तो भाभी ने बताया कि ”बेचू अहीर ” कि लड़की है ,तब मैंने भाभी से कहा कि उसकी तो एक ही लड़की है जिसकी शादी हो गई है तो भाभी ने बताया कि ये बेचू कि दूसरी औरत कि लड़की है तो मैंने भाभी से पूछा कि बेचू ने 50 कि उम्र में दुसरी शादी किया क्या ,तो भाभी ने बताया कि पहली वाली उसकी औरत मर गई तो दुसरी ले आया तब मैं कुछ नहीं बोला और बाहर आ गया और मेरी नज़रे बेचू कि औरत को तलासने लगी मैं कुछ देर बार घर की छत पर चढ़ गया और बेचू के घर कि तरफ देखने लगा जो मेरे घर के बगल में ही कच्चा घर है पर ओ दिखी नहीं , मैं दिन में कई बार छत पर गया कि सायद दिख जाए पर दिखी नहीं | अगले दिन सुबह करीब 10 मैं घर के पास वाले खेतो के रस्ते अपने खेत कि तरफजा रहा था तो मगलिया मिल गया और” दादू साहब जय राम जी ” कहा तब मैंने जैराम जी का जबाब दिया और बोला कैसे हो हरखू दादा तो ओ बोला टीक हु हुजूर[बेचू निहायत सीधा -साधा है 50 कि उम्र में 60 लगता है गरीबी ने समय के पहले बूढ़ा कर दिया] बेचू के साथ उसकी नई -नवेली औरत भी हाथ में कुछ लिए हुए लंबा सा घुघट निकाले मैं बेचू कि औरत कि तरफ तिरक्षी निगाहो से देखा | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसके गोर गोर हाथ और साडी के नीचे बड़े बड़े बूब्स के सिवा कुछ नहीं दिखाई दे रहा था, जिस्म मस्त कठोर मोटापा लिए हुए है जब दोनों जाने लागे तो मैं बेचू कि औरत को देखने लगा जो बेचू के पीछे पीछे जा रही थी ,क्या सुन्दर जिस्म था बेचू कि औरत का बड़े बड़े कसे हुए चूतड़ जब ओ चलती तो चुड़त हिलते तो बहुत सेक्सी लगती मैं उसे कुछ देर तक देखते रहा, कुछ दूर जाने के बाद बेचू कि औरत मेरी तरफ देखी घुघट को उठा कर ,जब ओ मेरी तरफ देखी तो मैं उसे देखकर दंग रहा गया क्या बला कि खूबसूरती थी उसके चेहरे में बिलकुल स्मिता पाटिल कि तरह उसका चेहरा था मैं उसकी तरफ अपलक देखे जा रहा था मैंने देखा कि उसने बेचू से कुछ कहा जो सुनाई नहीं दिया मुझे और फिर ओ अरहर के खेत के घुस गई ,बेचू चला गया तो मैं जल्दी से उसके पास पहुच गया तो देखा कि ओ खेत से पेसाब करके बाहर निकल रही था मैं पास पहुंचा और नमस्ते ”भौजी जी ” कहा तो जबाब में उसने ”गुड मॉर्निंग ” लाल साहब कहा तो मैं चौक गया उसकी अंग्रेजी अभिवादन सुन कर मैं समझ गया इसे इंग्लिश भी आती होगी थोड़ी बहुत तभी इसने ‘गुड मॉर्निंग’ कहा मैंने बोला बहुत सुन्दर हो भौजी जी आप तो पलट कर बोली कि आप भी तो गबरू सुन्दर जवान है , तब मैंने पूंछा कि जानती हो मुझे तो बोली कि हां जानती हु आप कोठी वाली ठाकुर साहब के भाई है ना ,तो मैं बोला हां ,पर आप कैसे जानती हो तो बोली कि आप उस दिन छत पर घूम रहे थे तो देखा था तभी मैं समझ गई थी कि आप बड़े ठाकुर के भाई होगे फिर ज्यादा कुछ बात नहीं हुई और ओ हाथ हिलाकर बाय बाय किया और चली गई हलकी से मुस्कान छोड़कर लम्बे लम्बे कदम बढ़ाते हुए जल्दी जल्दी जब ओ जाने लगी तो मैंने बोला नाम तो बताती जाओ तो बोली ”निशा ” और जबाब का इन्तजार किये बिना चली गई | निशा कि उम्र करीब 32 साल के आस पास होगी हाइट करीब 5 फिट 4 इंच के आसपास होगी ,निशा बेचू से लम्बी दिखाई देती है क्योकि गाँव में दूसरी तरफ हरियाली लिए हुए खेत है
बेचू कि हाइट ज्यादा नहीं है, मैं मन ही मन प्लान बनाने लगा कि निशा कि चुदाई कैसे करू ,निशा पट तो जायेगी क्योकि निशा चंचल स्वभाव कि लगती है येही प्लान बनाते बनाते मैं खेतो कि तरफ से घूम कर घर वापस आ गया और बाहर बैठ गया ,मैं कुछ देर बाद उठा और घर के सामने बनी पानी कि टंकी के पास बाथरूम में नहाने लगा तो कुछ ही देर मैं निशा बाल्टी लिए हुए बाथरूम में घुस आई पर मुझे देख कर जल्दी से वापस चली गई तो मैं उठकर देखा तो निशा पानी कि टंकी में लगे बाहर के नल से पानी भर रही थी मैंने इसारा करके बुलाया तो पास आई तो मैंने बोला ”क्या हुआ इतना डर गई मुझे देखकर” तो बोली”नहीं लाल साहब आप नहा रहे थे इस लिए बाहर के नल से पानी ले लिया रोज इसी नल से भर्ती थी पानी” तो मैं बोला ”आज भी भर लो” तो बोली कि ”नहीं आप नहा लो बाद में भर लुंगी पानी” इतने में निशा कि बाल्टी भरा गई पानी से तो ओ चली गई तब मैं नहा कर चढ्ढी पहन कर टावेल लगाकर नंगे बदन बाहर धुप लेने लगा इतने में निशा फिर से आई और बाथरूम वाले नल से पानी लेने लगी ,मैं नहाते समय मेरी गीली चढ्ढी बाथरूम में ही छोड़ दिया था जिसे निशा ने साबुन लगाकर धो दिया और बाहर के तार में फैला दिया तो मैंने आकर बोला ”क्यों धोया मेरी चढ्ढी ” तो निशा बोली ”छोटी नहीं हो जाउगी आपकी चढ्ढी धोने से ,बड़ी बहु और माँ जी कि कपडे भी धोती हु ” तब मैंने बोला कि. ”मुझे अच्छा नहीं लगता” तो निशा कुछ नहीं बोली और मेरी सरीर कि तरफ बड़ी ललचाई निगाहो से देखने लगी ,मैं बाहर धूप लेता रहा और निशा 6 बार पानी लेने आई और मुझे देखते हुए चली जाती जब निशा ने आना बन्द कर दिया तब मैं अंदर चला गया अपने कमरे में दोपहर में खाना खाया और सो गया 4 बजे नींद खुली तो फ्रेश होकर साली के घर जाने के लिए तैयार हुआ और बाहर खड़े होकर बड़े भाई का इन्तजार करने लगा कि आ जाए तो बाइक लेकर जाउ कुछ ही देर में निशा आई और घर के अंदर चली गई फिर कुछ समय में भाभी बाहर आई और मुझे बोली कि आपके पास 50 रुपये हो तो दे दीजिये इसे मेरे पास खुल्ले नहीं है [निशा कि तरफ इसारा किया] तो मैं बोला टीक है और भाभी ने निशा को मेरे पास भेज दिया और भाभी अंदर चली गई माँ ने आवाज लगाया तो तब मैंने पर्श में से 500 कि नोट निकाला और निशा कि तरफ बढ़ा दिया तो निशा ने बोला 50 रुपये चाहिए 500 नहीं तो मैंने बोला रख लो ”भौजाई साहब ” खुल्ला करवा कर बाकी वापस कर देना तो निशा ने रख लिया 500 कि नोट और मुस्कुरा कर बोली कि आप मुझे साहब मत बोलिये तो मैंने बोला आप मेरी भौजाई साहब हो तब निशा ने कहा कि ”ओ तो हु” और फिर निशा चली गई जब गेट के पास पहुची तो मेरी तरफ पलट कर एक बार देखा और नजरो से ओलझ हो गई | कुछ देर में भैया आ गए और मैं मोटर साइकल लेकर साली के गाव चला गया और फिर वहा बहुत देर तक रहा साम को 8 बजे वापस आने लगा तो पत्नी को बोला कि चलो तो ओ बोली जब तक शादी नहीं हो जाती यही रहूगी काम बहुत है यहाँ तो मैंने बीबी के कण में धीरे से कहा कि आज चलो यार कई दिन हो गए तो मुस्कुराई और बोली इन्तजार करिये कही भाग नहीं रही हु आपके पास ही आउगी और मैं निरास हो गया और वापस आ गया कुछ देर तक बड़े भाई के पास बैठा बाते किया और अपने कमरे में जाकर सो गया रात में 9 बजे तक |
अगले दिन 11 फरवरी को सुबह 7 बजे नींद खुली और बाहर आकर आग तापने लगा करीब 7 बजकर 20 मिनट पर निशा अपनी लड़की के साथ आई इस भयंकर ठंडी में भी पुष्प और उसकी लड़की के वदन में कोई साल या स्वेटर नहीं था दोनों कांपते हुए घर के अंदर घुसी और किचेन से बर्तन समेटने कि आवाज आने लगी मुझे कुछ देर में माँ बेटी दोनों बर्तन लेकर बाहर निकली और बर्तन रखकर साफ़ करने लगी निशा काप रही थी उसकी लड़की दौड़ कर आई और जहा पर मैं आग ताप रहा था वही खड़ी हो गई तो मैं उससे बाते करने लगा नाम पूछा तो बताया ”शीतल ” जब मैंने पूछा कि स्वेटर क्यों पहन कर नहीं आई तो बोली कि नहीं है ,बहुत दया आई मुझे उन दोनों पर भगवान् भी कितना निष्टुर है ये सोचता रहा इतने में निशा ने आवाज लगाया तो ” शीतल ” दौड़ कर उसके पास चली गई फिर कम करके शीतल आग के पास आ गई निशा उस ठंडी में बर्तन साफ़ करके अंदर रखकर और आग के पास आकर खड़ी हो गई कुछ दूर तो मैंने बोला कि ”भौजी साहब” आप इतनी दूर क्यों खड़ी हो पास आकर हाथ सेक लो ठन्डे हो गए होगे तो निशा मेरी तरफ देखी और बिना कुछ बोले आग के पास आकर खड़ी हो गई तो मैं बोला कि बैठ जाओ कब तक खड़ी रहोगी हाथ गरम कर लो बैठकर तो निशा पास आकर बैठ गई और हाथ को आग के पास ले जाकर सेकने लगी तो मैं निशा से बोला कि ”इस ठंडी में स्वेटर क्यों नहीं पहनती ” तो पहले निशा ने कुछ नहीं बोला जब फिर से बोला तो निशा ने कहा कि ”स्वेटर नहीं है ” तब मैंने निशा से कहा कि जो रुपये दिया था ओ मुझे वापस नहीं करना उसी से स्वेटर ले आना कल दूकान से तो निशा कुछ नहीं बोली और मेरी तरफ प्यार से देखने लगी और बोली ”आप कितने दयालु है लाल साहब ” तब मैंने कुछ नहीं कहा और निशा कि तरफ देखने लगा ,निशा जब आग के सामने हाथ सेक रही थी तो निशा कि साडी का पल्लू कुछ नीचे खिसक गया और निशा के बड़े बड़े बूब्स दिखने लगे मैं निशा के बूब्स को देखने लगा तो ओ सर्मा गई और पल्लू कि टीक कर लिया और मेरी तरफ देख कर हलके से होठ को दबाकर मुस्कुरा दिया तब मैं निशा को देखकर एक आँख को हलके से दबा दिया तो जबाब में निशा ने फिर से होठो को दबाया दात से और मुस्कुरा दिया और कुछ देर बाद चली गई मैं निशा को जाते हुए देखते रहा निशा जब चलती तो उसके बड़े बड़े चूतड़ हिलते तो बहुत ही आकर्षक लगती मैं मन मसोस कर रह गया कि कब मिलेगी ये चोदने के लिए | यही सोचते हुए बैठा रहा कि कुछ देर में निशा कि लड़की चाय लेकर आई तब मैं उसके हाथ से चाय ले लिया और उसे पास में बिठा लिया और प्यार से बाते करने लगा जब चाय पी लिया तो शीतल कप लेकर चली गई | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं 10 बजे के आसपास घर कि बाउंड्री के गेट के पास खड़ा था तो देखा कि निशा हाथ में एक छोटा से पानी का डिब्बा लिए लेट्रीन करने के लिए जा रही थी निशा जब पास से निकली तो मेरी तरफ देखी और मुस्कुराई और अरहर के खेत कि तरफ जाने लगी जब रोड को छोड़कर खेत कि तरफ वाली गली में घुसी तो फिर से मेरी तरफ पलट कर देखी तो मैं भी इधर उधर देखा जब कोई नहीं दिखा पास तो मैं भी निशा के पीछे पीछे चल दिया कुछ दूर जाने के बाद निशा अरहर के खेत में घुस गई ,अरहर के खेत में करीब 6 फिट से भी ज्यादा उचाई कि अरहर के घने पेड़ है जंगल कि तरह कोई अंदर घुस जाए तो कुछ दिखाई नहीं देता ,मैं जल्दी जल्दी खेत कि तरफ चलने लगा जब तक मैं पहुचा तब तक निशा खेत में घुस गई और मुझे नहीं दिखाई दिया तो मैं खेत कि
गली में खड़े हो कर निशा के निकलने का इन्तजार करने लगा तब तक खेत से चूड़ी खनकने कि आवाज आई और खेत में एक तरफ निशा भाभी की चुचिया १००% ऐसी है अरहर के कुछ पेड़ हिल रहे थे तो मैं खेत में नीचे कि तरफ झुककर देखा तो निशा खेत के काफी अंदर खड़ी थी मैं खेत के अंदर निशा के पास पहुच गया तो निशा मुझे देख कर मुस्कुराई और धीरे से बोली ” किसी ने आपको आते हुए देखा तो नहीं ” तो मैंने बोला कि नहीं और इतना कह कर निशा को पकड़ के किस कर लिया और निशा के बूब्स को दबा दिया निशा भी लिपट गई मेरे से और मेरे गालो को किस करने लगी जोर जोर से मैंने निशा कि साड़ी के पल्लू को स्तनो के ऊपर से हटा दिया और ब्लाउज के हुक खोलने लगा तो निशा ने हाथ पकड़ लिया और बोली नहीं यहाँ नहीं और कही करेगे तो मैं बोला कि नहीं अब मैं रुक नहीं सकता हु बहुत तड़पा तुम्हे देख देख कर और निशा के हाथ को खिसकाते हुए हुक खोल दिया ,निशा ने ब्रा नहीं पहन रखा था इस कारण निशा के बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज से आजाद होते ही लटक कर बाहर दिखाई देने लगे तो मैं झुक कर दाए बूब्स को मुह में डाल कर चूसने लगा और एक हाथ से के बूब्स को दबाने लगा ,निशा कि बूब्स बड़े बड़े होने के कारण लटके हुए है पर है बहुत टाइट मैंने बूब्स कि तारीफ करते हुए निशा को कहा कि बहुत टाइट है बूब्स आपके तो निशा बोली जब कोई मसलेगा नहीं तो टाइट ही रहेगे तो मैंने बोला क्यों ”हरखू दादा” नहीं दबाते क्या तो बोली एक साल होने को आ गए साथ रहते अभी तक सिर्फ 4 बार ही मेरे साथ सोये है ओ भी आधा -अधूरा तो मैंने धीरे से पूछा कि ‘आधा -अधूरा’ का मतलब तो निशा ने कान में धीरे से कहा कि डालते ही फुस्स हो जाते है पानी कि तरह बहने लगता है उनका रुक नहीं पाते और इतना कहते हुए निशा ने मेरे लण्ड को लोवर के ऊपर से पकड़ लिया , लण्ड पुरे सबाब में तन कर लोवर के अंदर खड़ा था मैं निशा के बूब्स को चूसने लगा तो निशा भी गर्म पड गई और लोवर के अंदर हाथ डालकर लण्ड को पकड़ लिया और बोली लाल साहब बहुत मस्त है आपका और इतना कहते हुए लोवर को खिसका दिया तो मेरा 10 इंच लंबा और मोटा लण्ड ऊपर कि तरफ 40 डिग्री में खड़ा लण्ड बाहर निकल गया तो निशा घुटने के बल खड़ी हो गई जमीन पर और लैंड को चूमने लगी तो मैंने निशा कि साड़ी को खीचते हए वदन से अलग कर दिया और अरहर के कई पेड़ को पाँव से दबा दबा कर लेटने लायक जगह बना लिया |
कहानी जारी है आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ….