प्रेषक: राहुल
आपके जैसी चुदाई कोई नही करता -1
गतांग से आगे …उनका दायां हाथ जो अब तक मेरे बाएँ मुममे को मसले जा रहा था, तेज़ी से नीचे खिसका और कुर्ते के अंत तक पहुँच कर उस के नीचे घुसा और वापस उपर आ गया. आप को ये पढ़ने मे जितना वक्त लगा , उस से भी कम समय मे एक ही आक्षन मे ये सारा मूव्मेंट हो गया. अब उनका दायां हाथ कुर्ते के अंदर मेरे बाएँ स्तन पर सीधा स्पर्श कर रहा था. पहली बार मेरे मुममे को किसी मर्द ने च्छुआ था. वो तेज़ी से मसालने लगे उसे. अच्च्छा तो लग रहा था, पर कब से ये बायां मुममे ही मसला जा रहा था…. तो मेरे दाएँ मुममे मे भी एक कसक उठी, वो भी दबावाने के लिए बेताब हो उठा.
मैने शर्म छोड़ कर उनका बायां हाथ थमा और उसे मेरे दाए मुममे पर ले गयी. वो समझे, और मुस्कराते हुए दोनो हाथ नीचे ले गये, और कुर्ता उपर की और उठाया. मैं भी सर के बाल हल्की सी उपर हुई और उन्हों ने कुर्ता मेरे गले तक खिसका लिया. मैने बदन नीचा किया और मुण्डी उपर उठाई, उन्होने कुर्ता पूरा बाहर निकल दिया और फैंक दिया एक कोने मे. लूँगी तो पहले ही खुल के घुटनो तक उतार चुकी थी. उन्हों ने पावं उपर ले के उस मे उसे फसा के पावं जो नीचे किया तो वो भी मेरे सहयोग के साथ बाहर हो गयी.
अब मैं पूरी नंगी थी और उनके नीचे दबी हुई थी. वापस फेस पर किस करते हुए अब वो दोनो हाथो से मेरे दोनो स्तनों को मसल रहे थे. ऐसा लग रहा था, जीवन भर कोई ऐसे ही मसला करे इन्हे. ! लेकिन थोड़ी ही देर मे मैं बेचैन हो उठी…..!!!
पहले स्तनों को सहलाए जाने का मज़ा लिया, लेकिन फिर दबावाने की इच्च्छा हो रही थी, दबाए गये तो मसले जाने की कसक उठी, अब मसले गये तो चूसाए जाने की चाह उठी. और उसी चाह ने मुझे बेचैन कर दिया था… मैने उनका मुँह – जो मेरे फेस पर किस करने मे लगा हुआ था – पिच्चे से बालों से पकड़ के हल्के से नीचे मेरे स्तनों की और खींचा.
वो तो अनुभवी थे, इशारा समझे और नीचे उतार बाएँ मुममे की और लपके. पर मेरा तो डायन मुम्मा कब से भूखा था. मैने फिर बालों से मुँह को दाएँ मुममे की और खींचा. वो उसको चारो साइड से चूमने लगे. इस खेल के मंजे हुए खिलाड़ी जो थे ! निपल को केन्द्रा बना कर पुर मुममे पर निपल से डोर सर्क्युलर मोशन मे चूम रहे थे. धीरे धीरे सर्कल छ्होटा करते जा रहे थे. मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. निपल मर्द के मुँह मे जाने के लिए उतावला हो रहा था. एक दो बार तो मैने उनका फेस निपल की और घसीटना चाहा. पर वो तो अपनी स्टाइल से ही चूमते रहे. मुझे टीज़ जो कर रहे थे. निपल मोटा और कड़क होता जा रहा था. सर्कल एकदम छ्होटा हो गया तब तो निपल से उनकी गर्म साँसे टकराने लगी, लेकिन उसे तो उनके मुँह का इंतेजार था. जब एकदम छ्होटा हो गया तो उन्हों ने जीभ निकली और अब तक कड़क हो चुके निपल पर टकराई. मेरे मुँह से आ निकल गई.
शरारती नज़र से मेरी और देखते हुए उन्हों ने जीभ झड़प से निपल की चारो और फिरा दी… और फिर लपक के निपल मुँह मे ले ली. मेरी धड़कन तेझ हो गई. जिस के लिए काब्से निपल बेताब हुए जा रहा था, वो अनुभव होना शुरू हो गया. वो मस्ती से उसे चूस रहे थे. आहा ! क्या फीलिंग थी !! निपल से जैसे करेंट बह रहा था और पुर बदन मे फैल रहा था……एक नशा सा च्छा रहा था ! कितना आनंदप्रद अनुभव होता है ये !! (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
यही सब दूसरे मुममे के साथ भी किया गया. बड़े आराम से वो लगे रहे, दोनो स्तनों पर. एक चूसाते थे तो डुअसरे को मसलते थे. मैं नारी तो जन्मा से थी लेकिन नारितवा आज महसूस कर रही थी. एक अरसे के बाद नशा तोड़ा कम हुआ तो मैने उनकी खुली पीठ पर रखे अपने दोनो हाथ से उन्हे अपनी और दबाते हुए एक आलिंगन दिया. उन्होने भी अपने हाथ मेरे स्तनों से हटा के साइड से होते हुए, मुझे हल्का सा उठाते हुए, मेरे बदन के नीचे पहुँचा दिए.. और आलिंगन दिया. मुझे साथ ले कर रोल ओवर हो के मेरी साइड मे आ गये और आलिंगन पर बड़ा ज़ोर दिया. आहहाअ……. मैं उनकी बाहों मे क्रश हो गयी…… बड़ा सुकून मिल रहा था……… लगता था वक़्त ठहर जाए तो कितना अच्च्छा होता.
उन्हों ने पकड़ ढीली कर के एक हाथ नीचे अपनी एलास्टिक शॉर्ट्स मे सरकया, और उसे नीचे खींचा. मैने देखा तो मैने भी शॉर्ट्स मे पावं फसा के उसे नीचे उतार दिया. पता नही मैने ये क्यों किया. उनका लंड बाहर निकल आया. फिर मुझे आलिंगन मे क्रश कर के वो रोल ओवर होते हुए वो मुझ पर आ गये. लेकिन अब दोनो बिल्कुल नंगे थे. वो पूरी तरह तैयार हो चुके थे. उन्हों ने अपने हिप्स उठाए और लंड को मेरी चूत के मूह पर ले आए. तब मुझे ख़याल आया , क्या होने जा रहा है. एक पल के लिए मैं सहमी और उनको कहा, सर, अब आगे नही. किसी भी मर्द को इस मौके पर रुकावट पसंद नही. वो भी चिड़े हुए स्वर मे बोले
” क्या है”. मैने खुलासा किया,
” मैं अभी तक कुँवारी हूँ, सर”. झट से जवाब आया,
” हर लऱ’की पह’ले कुँवारी ही होती है और तब तक रह’ती है जब तक कोई मर्द उसे औरत न बना दे. ” और बिना मेरे जवाब की दरकार किए , उन्हो ने अपना लंड अंदर घूसा दिया. आगे वही हुआ जो सब जानते है. कुच्छ ही पल मे मैं लड़की से औरत बन गयी. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
जब मुझे आहेसास हुआ की क्या हो गया है तो इस तरह अपना कौमार्या खोने पर मैं थोड़ी उदास हो गयी. वो भी मेरे मूड को समझे. शाम हो रही थी. मुझे कहा ,
मैं ज़रा बाहर हो आता हूँ. उनके जाने के बाद मैं गुम सूम लेटी रही और अपने जीवन का मुआयना करती रही. घंटे भर मे वो वापस आए, एक थैली मुझे दी और कहा ये ले, तैयार हो जा. मैने देखा तो अंदर नया ड्रेस था. चावी वाले पुतले की तरह, बिना कोई भाव’ना के, मैं उठी और ड्रसस पहां लिया. वो मुझे साथ लिए बाहर चल दिए. गाड़ी रुकी तो वो एक सुना मंदिर था. वो दर्शन करने गये, तो मैं भी गयी. दर्शन कर के आँखे खोली तो, ….. आश्चर्य चकित हो गयी. वो हाथ मे मंगल सट्रा लिए खड़े थे. मुझे भीने स्वर मे कहा,
“भगवान को साक्चि मान कर, मैं तुझे अपनी पत्नी स्वीकार करता हूँ”. मैं देखती ही रह गयी… कहीं ये सपना तो नही?? उन्हो ने मेरे गले मे वो मंगल सट्रा पहांा दिया. मैं खुश हो गयी. उस रात मैने बेड पर तूफान मचा दिया. वो भी पूरी तरह से खिले थे. ना जाने रात भर मे कितनी बार चुदाई हुई. सुबह होते होते नींद लगी और दोपहर को खुली. फिर एक बार हम’ने कामसुख भोगा. जब वापस चले तो हम दोनो पूर्णा टाइया तृप्त थे. मुझे लगा वो बादल है और मैं धरती. बादल रत भर बरसा और पानी बनकर धरती मे समा गया. खुद खाली हो गया और धरती को तृप्त कर दिया. मैं अपने आप को मिसिज. कार्तिक समझने लगी थी. सुस्मिता के बाद मेरा ही तो है सब.
वापस लौट के आने के बाद उन्हों ने मेरे लिए एक फ्लॅट ले लिया और मुझे वहाँ ठहरा दिया. डॉक्टर ने भले ही सुस्मिता को 20-25 दिन की मेहमान होने का कहा था, उस की तबीयत कुच्छ सुध’री और हॉस्पिटल मे ही उसने चार महीने और खींचे. तब तक रोज, कार्तिक सर मेरे फ्लॅट पर आते थे , मुझे भोगते थे और चले जाते थे. मैं कुछ बोल भी नही सकती थी. एक बार आत्म-समर्पण जो कर चुकी थी और उनकी पत्नी बनने के सपने भी देखती थी. सुस्मिता की डेत के बाद वो बोले, हमारे घर्मे एक साल का शोक मानते है. तो एक साल शादी की बात फिर ताल गयी. साल भी बीत गया और दूसरा साल भी आ गया. कार्तिक सर कोई ना कोई बहाना बना कर शादी टाल देते थे, पर मुझे चोदना नही भुलाते थे. मेरी जवानी का और सुंदरता का पूरा पूरा लुत्फ़ (आनंद) उठाया, मज़ा लिया. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
मैं भी समझने लगी थी,… की .. पत्नी बनने के चक्कर मे मैं उनकी रखैल बन चुकी हूँ!! फिर अपना बॅकग्राउंड देख कर और जॉब ढूँढने के समय के अनुभवों को याद कर, मान को मनाती रही ; रखैल भी बन गयी तो ठीक ही है. फिर एक दिन एक नई बात बनी. उस रात ऑफीस की और से पार्टी थी. मैं भी तैयार हो के गयी थी और मेहमानों की देख भाल देख रही थी. ये सब मैं पहले भी कई बार कर चुकी थी. सारी व्यवस्था पर नज़र रख रही थी. जब पार्टी ख़त्म होने मे थोड़ी देर बाकी थी, तो कार्तिक सर आए और मुझे एक कोने मे ले जा के प्यार भरे सुर मे कहा,
” रूचि, वो ब्राउन सूट मे मिस्टर. शरमा खड़े है, देख रही हो ?” मैने हामी भारी. आवाज़ और धीमी और गंभीर करते हुए कहा.
“हमारे लिए बहोट इंपॉर्टेंट गेस्ट है. उनसे हमे 25 करोर का कांट्रॅक्ट मिल सकता है. बड़े रंगीन मिज़ाज आदमी है. कांट्रॅक्ट पेपर्स को लड़की के खुले स्तन पर रख के साइन करने का शौक रखते है. तू ही इनको संभाल सकती है. उन को ओबेरोई मे ड्रॉप करने जा और खुश कर के सुबह लौटना, समझी ??” और मेरे जवाब की परवाह किए बिना ही मुझे ले चले और मिस्टर. अजय से इंट्रोडक्षन करवा दिया,
“सर, यह है हमारी हॉट ब्यूटी क्वीन, रूचि.” आँख विंक करते हुए आड किया,
“`हर काम’ मे माहिर है. आप को होटेल पर छोड़ने आ रही है. आप कांट्रॅक्ट पर दस्तख़त ज़रूर कर देना.” अजय ने लोलुप नज़रों से मेरे स्तनों को देखा और बोला,
“साइन करने की जगह तो सही है” और गंदी तरह से हंस पड़ा. कार्तिक सर भी उसकी हँसी मे शामिल हो गये और मुझे उसकी और पुश करते हुए कहा,
“गुड नाइट तो बोत ऑफ योउ”. सब कुच्छ इतना फास्ट हो गया, की बिना कोई प्रतिक्रिया किए मैं ओबेरोई मे अजय की बेड पर पहुँच गयी. . मैने सोचा, अब आ ही गयी हूँ तो काम पूरा कर दूं. .. और मैने अजय को खुश कर दिया…. सुबह होते उसने कांट्रॅक्ट पेपर्स निकले और मेरे नंगे स्तनों पर रख कर साइन कर दिया. वापस आ के पेपर्स कार्तिक सर को दिए तो बहोट खुश होते हुए कह उठे, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
“मैं जनता था, तुम ये काम ज़रूर कर सकती हो”. उस के बाद तो ये सिलसिला ही बन गया. मैं रखैल से कब रंडी बन गयी पता ही नही चला. धीरे धीरे कार्तिक सर का मेरे फ्लॅट पर आना कम हो गया. और एक दिन देखा की उन्हों ने ऑफीस मे एक नई प. ए. भी रख ली थी. अब मेरा ऑफीस मे पहले जैसा रेस्पेक्ट भी नही रहा था. मुझे कहीं भी कुच्छ भी अच्च्छा नही लग रहा था. तो मैने कार्तिक सर को एक दिन अपने फ्लॅट पर बुला लिया. वो आए. मैं साज धज के तैयार हुई थी, उन्हे आकर्षित करने के लिए. उन्हों ने जाम के मेरी चुदाई भी की. जब लगा मुझे की वी संतुस्ट है तो मैने बात निकली और जो हो रहा था उसके प्रति नाराज़’गी व्यक्त करते हुए कहा,
” सर, आप ने तो मुझे मंदिर मे भगवान को साक्षी मान कर पत्नी बनाया था, फिर आपने पत्नी की जगह रखैल बना दिया, मैने वो भी सह लिया, लेकिन अब तो आपने मुझे रंडी बना दिया है, क्या ये ठीक है?” वो हंसते हुए बोले,
“छोटी बच्ची थोड़ी हो की मैं काहु और तुम चली जाओ किसी के साथ सोने के लिए ? तुम्हे भी तो खुजली थी अजय से चुदाने की.” अब आवाज़ तीखी हुई,
” एक तो रहांे को आलीशान फ्लॅट दिया है, पैसे की तकलीफ़ नही है, तुम्हे रोज नई वेराइटी मिलती है, फिर भी नखरे दिखती है ? और तुम्हे क्या फ़र्क पड़ता है, मैं चोदु या कोई और चोदे ? चुदाई तो चुदाई ही है ना ? समाज ले अपना शरीर मुझे ही दिया है.”
उनका ये रूप देख कर मैं तो हक्का बक्का रह गयी. थोड़ी देर तो क्या बोलना है, कुच्छ सूझा ही नही. फिर जब संभाली तो मैने भी कसर नही छोड़ी. दोनो गुस्से मे आ गये. बात बिगड़ती गई. बड़ा झगड़ा हो गया. मैने कह दिया,
“कार्तिक, तूने मुझे धोखा दिया है. मैं तुझे नही छोड़ूँगी. देख लूँगी. ” इस पर तो वो लाल-पीला हो गया. बड़ी हस्ती थी. उसे कोई ऐसा कह जाए तो कैसे सुन लेता ? वो भी बिगड़ा, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
“तू ? तू मुझे देख लेगी ? तेरी हैसियत ही क्या है ? मेरे सामने तेरा क्या वजूद है ? मेरे पास पैसे की ताक़त है, सोशियल स्टेटस है, पोलिटिकल कॉंटॅक्ट है, बड़े बड़े नेता से संबंध है, पोलीस और अंडरवर्ल्ड मे पहेचन है. और तू ? एक रंडी मात्रा !! तेरी क्या औकात है की मुझे देख लेगी ? चल खाली कर ये घर अभी का अभी !!” मेरे पास कोई चारा नही था. लेकिन घर छोड़ते हुए मैने अपनी सारी भादश निकल दी,
“कार्तिक, तू देखना , इन सब के बावजूद मैं तुझे हरा दूँगी, मॅट दे दूँगी !! तुझे ये रंडी शिकस्त देगी, शिकस्त !!! ” घर तो छोड़ दिया, पर जिए कैसे… कहाँ जाए…. ये सारे प्रश्ना सामने आ गये. मैने फिर एक बार शहर छोड़ दिया. लेकिन जल्द ही भूख-प्यास से मैं उब गई. रातों को हाइवे पर खड़ी रह के ट्रक द्रिवेरोन के साथ सोई और खनेका पैसा जुटाया. एक भले ड्राइवर ने बताया ,
“देल्ही जितना सेक्स का व्यवसाय कहीं नही होगा अपने देश मे. तू सुंदर है. वहाँ तेरी कदर होगी. मैं देल्ही जा रहा हूँ ये ट्रक ले के, मैं वहाँ कोठे भी जानता हूँ, बैठ जा, तुझे वहाँ पहुँचा दूँगा.” इस तरह नसीब मुझे देल्ही ले आया. मजबूरी मे मुझे वाकई रंडी ही बनना पड़ा. मैने भी वो कोठा पकड़ लिया. सुंदर तो मैं थी ही. मेरा काम चल पड़ा. बहोट कस्टमर आते थे. एक रात मे दस कस्टमर्स को बैठा लेती थी. कोठे की मेडम भी खुश और मैं भी. अब रहांे की और खनेकी चिंता तो ना रही. कुच्छ कस्टमर तो खाश हो गये.
यूँ दिन बीत रहे थे…. कुच्छ साल भी बीत गये. अब पैसे भी बन गये थे. लेकिन मैं कार्तिक को नहीं भूली थी. कैसे उस से बदला लूँ, ये सोचती रहती थी.
[दोस्तों, रूचि की ज़िंदगी मे फिर कुच्छ ऐसी बात बनी , जो कहानी के रस को ध्यान मे रखते हुए मैं आगे बताऊँगा. ]
फिर एक दिन कुच्छ ऐसी बात हुई की मुझे मेरा हथियार मिल गय….ऱजन को हराने के लिए. और मैं चल पड़ी वापस मुंबई की और. मुंबई आ के दो महीने तक मैं उस’से नही मिल पाई, क्यों की वो विदेश गया हुआ था. लेकिन उस समय मे मैने अपना काफ़ी काम कर लिया. अब अंतिम वार करने का समय आ गया. कार्तिक के लौटते ही मैं उसे मिली. सेक्सी ड्रेस मे साज धज के गयी थी. मुझे देख के उसे आश्चर्या हुआ. मुहे उपर से नीचे तक देखते हुए बोला,
“थोड़ी फीकी पद गयी हो” मैने कहा, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
“हां, आप के बिना ये हाल हो गया मेरा.” उसके चेहरे पर अभिमान भारी मुस्कान च्चाई,
“तो अब तेरी अककाल ठिकाने आ गयी ! चली थी मुझे हराने की चॅलेंज दे कर !! कहाँ पिघल गया तेरा वो सब गुमान ?” विनती भारी आवाज़ मे मैं ने कहा,
” अब भूल भी जाइए वो सब, सर ! मैं लौट आई हूँ हमेशा के लिए आप की होने के लिए. आप जो कहेंगे वो सब मैं करूँगी.” गंदा हास्या करते हुए वो बोला,
“तो अब घर, पैसा और सुविधा के लिए तू रंडी बनने को भी तैयार हो गयी.” मैं ने एक सेक्सी आवाज़ मे कहा,
“वो तो है ही, पर एक बात और भी है, सर,… जिसने मुझे मजबूर किया है.” आचरजभरी निगाह से वो मुझे देखता रह गया, लेकिन जब बात समझ मे नही आई तो पुच्छ बैठा,
” और वो क्या है ? ” मैं ने एक सेक्सी अंगड़ाई ली और ड्रेस की स्लिट से पूरी जाँघ उसे दिखाते हुए बोली,
“आप की जैसी चुदाई भी तो कोई नही करता, ना !!, आप मुझे रंडी बनके चाहे जिस’के पास भेजे, लेकिन आप को भी मुझे रोज चोदना होगा ! ” वो घमंड से फूला ना समाया. वैसे भी सारे मर्द को यही लगता है की उसके जैसी हार्ड चुदाई कोई नही करता. वह भी खुशी भरा चेहरा ले कर बोला,
” तो ये बात है ! ठीक है, तेरे साथ एक प्रोग्राम बनता हूँ” मैं जा के उसके लॅप मे बैठी और उसके गले मे हाथ डालते हुए कहा,
” मुझे वहीं ले चलो, जहाँ पहली बार चोदा था.” उसे सब याद था, बोल पड़ा,
“तो ‘डूक्स’ खंडाला मे जाने का इरादा है मेडम का !” मैने मुण्डी हिला के हां कही और उसके रलोब पर एक गरम किस और बीते दे दी. उसने वीकेंड का प्रोग्रामे बना लिया… और दूसरे दिन शनिवार की दोपहर हम वही सूट मे पहुँच गये…. जहाँ मैने अपना कौमार्या खोया था ! अंदर पहॉंच के मैं उस’से लिपट गयी और उसके गले मे बाहें डालते हुए मेरे होठ उसके होठ पर रख दिए. वो भी शुरू हो गया. (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
तुरत ही दोनो की जीभ एक दूसरे के मूह मे फिर रही थी… मैने ये चुंबन बहोट लंबा चलाया ..और दोनो के मूह की लार एक दूसरे मे घुलमिल गयी. थोड़ी ही देर मे जब दोनो नंगे हो गये और वो बेड पर लेत तो मैं उसके मूह पर जा के इस तरह बैठी की मेरी चूत उसके होत पर आ जाए. वो उसे चूमने लगा. मैने सेक्सी आआहएं भारी तो समझा मुझे मज़ा आ रहा है, और चूत को फैला के जीभ अंदर डाल के चाटने लगा. मैं यहाँ भी लंबे समय तक लगी रही. उसे भी मैने पूरा गरम किया और उसने मुझे जाम के चोदा. थोड़ी ही देर मे मैं फिर उठी और उसे कहा, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
चलो आज साथ नहाते है. बाथरूम मे फिर एक और रौंद हो गया. रात भर मैं लगी रही. (देल्ही मे दस दस को बैठा के मेरी केपॅसिटी भी तो बन चुकी थी !) सुबह तक में तो मैने उसे निचोड़ ही डाला. सनडे का दिन और रात भी ऐसे ही तूफान भरे बिताए. उसे भी बड़ा असचर्या हो रहा था, मेरा ये रूप देख कर. कुच्छ अजीब भी लग रहा था उसे, मेरा इस तरह अचानक आना और उसे यहाँ ले आना, और उसके बाद इस तरह से चुदते रहांा…. पर समझ नही पा रहा था. मंडे की सुबह को लौटने से पहले जब मैने उसे फिर एक बार उकसाया तो आखरी चुदाई करते हुए बोल ही पड़ा,
“रूचि, तुम किस बात पर उतार आई हो, समझ मे नही आता !!! ऐसा लग रहा है, कोई राज है !!!” मैने रंग बदलते तीखी आवज़ मे कहा, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
“तो मैं समझा देती हू…. की… मैं किस बात पर उतार आई हू ! तू सही कहता है, एक राज है, और ले, वो राज भी मैं खोल देती हू.” उसे धक्का दे कर मेरे उपर से हटाया और मेरी पर्स से एक एन्वेलप निकलके उसकी और फैंकते हुए मैने कहा,
” पढ़ इसे, ये तेरी मौत का परवाना है !” वो बिना कुच्छ समझे मेरा मूह ताक’ता रहा. मैने आवाज़ मे सारी नफ़रत घोलते हुए कहा, (दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |)
” कार्तिक, मुझे एड्स हुआ है !!!!! उसका रिपोर्ट है उस एन्वेलप मे . इतना ही नही, और एक फटल एस टी डी (सेक्षुयली ट्रॅन्स्मिटेड डेसीज़) का भी मैं शिकार हो गयी हू, जो बहोत बहोत ही चेपी (कंटेजियस) है . जो मेरे साथ एक बार भी सोएगा , उसका शिकार हो जाएगा. .डॉक्टर्स ने हाथ उठा लिए है !!! मैं इस धरती पर अब कुच्छ ही महीनों की मेहमान हू !!! और मैने ये दो दिन मे तुझे भी ये रोग लगा दिया है. अब तू भी कुच्छ ही महीने का मेहमान है. इतना ही नही….. जब तुम पिच्छाले दो महीने से विदेश मे था, मैने तेरे तीनो बिटो को भी ये रोग पूरी तरह लगा दिया है. अब तो बड़े लड़’के की पत्नी (एक बेटे की शादी इस दौरान हो गयी थी) भी इसका शिकार हो गयी होगी.” दुख, घृणा, संतोष और आनंद मिश्रित स्वर मे मैने कहा,
” कार्तिक, मैने सर्फ़ तुझे ही नही तेरे सारे खानदान को सत्यानाश कर दिया है !!!!!! अब लगा ले अपनी पैसों की ताक़त ! कर ले उपयोग अपने सोशियल स्टेटस का !! इस्तेमाल कर अपने पोलिटिकल कॉंटॅक्ट्स !!! बुला उन सारे बड़े बड़े नेताजी को !!!! बुला तेरे वो पोलीस वालों को और अंडरवर्ल्ड वालों को !!!!!! किसी तरह बचा ले तुझे !!!!!!!! कार्तिक, इस अकेली औरत ने तेरी उन सारी ताकतों के बावजूद तुझे हरा दिया !!!!!!!! बेवकूफ़, ये दो दिन से तू मुझे यहाँ चोद नही रहा था !!!!!! समाप्त |
दोस्तों अपने अपने कमेंट निचे कमेंट बॉक्स में जरुर लिख्रना |