डेल्ही के बडे शहर मेँ अंजली अपने पति अनिल और एकमात्र 19 साल का बेटा अमर के साथ रहती थी । बडा खुशहाल परिवार था उसका । अनिल का छोटा भाई सुनीत अपनी पत्नी के साथ बाहर रहता था । एक दिन सुनीता और सुनीत अपने बडे भाई अनिल और अंजली के घर पर आये हुये थे । उस वक्त सब लोग एक हत्या की कहानी पर आधारित जो इस फिल्म देख रहे थे । आम मसाला फिल्म की तरह इस फिल्म में भी कुछ कामुक दृश्य थें । एक आवेशपूर्ण और गहन प्यार दृश्य आते ही अमर कमरें को छोड़ कर जा चुका था । अनिल और अंजली दृश्य के आते ही और लड़के के कमरा छोड़ने के कारण जम से गये थे ।
घर के ऊपर और सब सोने के कमरें थे और और शाम को जब से ये लोग आये थे, कोई भी ऊपर नहीं गया था । नौकर सामान लेकर आया था और अनिल, सुनीत शराब के पैग बना रहे थे । महिलायें भी इस वक्त उनके साथ बैठ कर पी रही थी । हालांकि परिवार को पूरी तरह से माता पिता की रूढ़िवादी चौकस निगाहों के अधीन रखा गया था । बड़ों के आसपास होने पर महिलायें सिंदूर, मंगलसूत्र और साड़ी परंपरागत तरीके से पहनती थी । सुनीत के बड़े भाई होने के नाते, सुनीता के लिए, अनिल भी बङे थे और वह अपने सिर को उनकी उपस्थिति में ढक कर रखती थी । लेकिन चूंकि, दोनों सुनीत और अनिल बड़े शहरों में और बड़ी कंपनियों में काम करने वाले है, सो उनके अपने घरों में जीवन शैली जो बड़े पैमाने पर उदार है । सुनीता और अंजली दोनो हो बङे शहरों से थी अतः उनके विचार काफी उन्मुक्त थे । लेकिन ये सब के चलते एक बहुत बडा राज छुपा हुआ था उस घर मेँ जो सिर्फ अनिल और सुनीता को ही मालुम था । दोनों महिलायें हमेशा नये फैशन के कपङे पहन कर ही यात्रा करती थी, खासकर जब घर के माता पिता साथ नहीं होते थे । हालांकि, दोनों की उम्र में दस साल का अंतर है, अंजली अपनी वरिष्ठता का उपयोग करते हुए घर में नये फैशन की सहमति बनाती थी । इस प्रकार, बिना आस्तीन के ब्लाउज, पुश ब्रा, खुली पीठ के ब्लाउज और मेकअप का उपयोग होता था । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
हालांकि, यह स्वतंत्रता केवल छुट्टीयां व्यतीत करते समय के लिये ही दी गई है । सामान्य दिनचर्या में ऐसी चीजों के लिये कोई जगह नहीं थी । वे अक्सर सेक्स जीवन की बातें आपस में बाटती थीं और यहाँ से भी दोनों में काफी समानतायें थीं । दोनों ही पुरुष बहुत प्रयोगवादी नहीं थें और सेक्स एक दिनचर्या ही था । लेकिन अगली पीढ़ी का अमर बहुत अलग था । वह एक और अधिक उदार माहौल में, भारत के बड़े शहरों में बङा हुआ था । लड़का बड़ा हो गया था और बहुत जल्द ही अब एक पुरुष होने वाला था । ये बात भी सुनीता ने इस बार नोट की थी । फिल्म में प्रेम दृश्य आने पर वह कमरा छोड़कर गया था इसी से स्पष्ट था उसें काफी कुछ मालूम था । बचपन में गर्मीयों की छुट्टी अमर सुनीता के यहां ही बिताता था । एक छोटे लड़के के रूप में सुनीता उसको स्नान भी कराती थी । कई बार सुनीत की कामोद्दीपक उपन्यास गायब हो जाते थे वह खोजने पर वह उनको अमर के कमरे में पाती थी । इस बारे में सोच कर ही वह कभी कभी उत्तेजित हो जाती थी पर अमर के एक सामान्य स्वस्थ लड़का होने के कारण वह इस बारे में चुप रही । अमर के कमरा छोडने के फौरन बाद, अनिल और सुनीत भी थकने का बहाना बना कर जा रहे थे । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सुनीता को कोई संदेह ना था कि ये क्या हो सकता है । अंजली से उसकी नजरें एक बार मिली थी । पर अंजली अपनी चेहरे पर एक शरारती मुस्कराहट भरी और सीढ़ियों पर चल दी । शराब का नशा होने के बाद भी फिल्म का असर सुनीता पर काफी अच्छा रहा था । फिल्म के उस प्रेम दृश्य में आदमी उस औरत को जानवरों की तरह चौपाया बना कर चोद रहा था । अपने कॉलेज के दिनों में सुनीता ने इस सब के बारें में के बारे में अश्लील साहित्य में पढ़ा था और कुछ अश्लील फिल्मों में देखा भी था लेकिन अपने पति के साथ कभी इस का अनुभव नहीं किया । इस विषय की चर्चा अपने पति से करना उसके लिये बहुत सहज नहीं था । उनके लिए सेक्स शरीर की एक जरूरी गतिविधि थी । सुनीता ने अपने आप को चारों ओर से उसके पल्लू से लपेट लिया । इन मादक द्रुश्य के प्रभाव से उसे एक कंपकंपी महसूस हो रही थी । इस वक्त वह सोच रही थी कि सुनीत अब कहां हैं? सुनीता को नींद आ रही थी और उसने ऊपर जाकर सोने का निर्णय लिया ।
ऊपर जाते ही न जाने कहाँ से जेठानी आ गयी, “सो, कैसा चल रहा है सब कुछ”, सुनीता ने पूछा । “क्या कैसा चल रहा है?” अंजली ने शंकित स्वर में पूछा । “वहीं सबकुछ, आपके और भाई साहब के बीच में..” सुनीता ने अंजली को कुहनी मारते हुये कहा । दोनों के बीच सालों से चलता आ रहा था इस तरह का मजाक और छेड़खानी । “आह, वो”, अंजली ने दिमाग को झटका सा दिया । “दीदी, क्या हुआ?” सुनीता के स्वर ने अंजली के विचारों को तोड़ा । “नहीं, कुछ नहीं । आओ, हॉल में बैठ कर बातें करते हैं” । साड़ी के पल्लू से अपने हाथ पोंछती हुई अंजली बाहर हॉल की तरफ़ बढ़ गई । हॉल में इस समय कोई नहीं था । दोनों मर्द अपने अपने कमरों मे सोने चले गये थे और अमर का कहीं अता पता नहीं था । अंजली सोफ़े पर पसर गई और सुनीता उसके बगल में आकर जमीन पर ही बैठ गयी ।
“आपने जवाब नहीं दिया दीदी ।” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“क्या जवाब?” अंजली झुंझला गयी । ये औरत चुप नहीं रह सकती । सुनीता के कन्धे पर दबाव बढ़ाते हुये अंजली ने कहा ।
“आपने मेरी बरसों से दबी हुई इच्छाओं को भड़का दिया है इस सिनेमा के बारे में सोचने भर से मेरी चूत में पानी भर रहा है ।” सुनीता बोली । अंजली ने सुनीता की ठोड़ी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया, बोली “उदास मत हो छोटी, आज मैँ हुं ना, आज जेठानी तेरी बुर से पानी निकालेगी । सुनीता अंजली के शब्दों से दंग रह गयी,”क्या कह रही हो दीदी? ।”
और सुनीता को हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और बाहों में भर लिया । सुनीता के हाथ अंजली की पीठ पर मचल रहे थे । जेठानी के बदन से उठती आग वो महसूस कर सकती थी । उसके हाथ अब सुनीता के स्तनों पर थे । अंगूठे से वो अपनी देवरानी के निप्पल को दबाने सहलाने लगी । अपनी बहन जैसी जेठानी से मिले इस सिग्नल के बाद तो सुनीता के जिस्म में बिजलियां सी दौड़ने लगीं । अंजली भी अपने ब्लाऊज और साड़ी के बीच नन्गी पीठ पर सुनीता के कांपते हाथों से सिहर उठी ।
अपने चेहरे को सुनीता के चेहरे से सटाते हुये अंजली ने दूसरा हाथ भी सुनीता के दूसरे स्तन पर जमा दिया । दोनों पन्जों ने सुनीता के यौवन कपोतों को मसलना शुरु कर दिया । सुनीता के स्तन आकार में अंजली के स्तनों से कहीं बड़े और भारी थे । सुनीता ने पीछे हटते हुये अंजली और अपने बीच में थोड़ी जगह बना ली ताकि अंजली आराम से उसके दुखते हुये मुम्मों को सहला सके । उसका चेहरा अंजली के गालों से रगड़ रहा था और होंठ थरथरा रहे थे । सुनीता की गर्म सांसे अंजली के चेहरे पर पड़ रहीं थीं । दोनों के होंठ एक दूसरे की और लपके और अगले ही पल दोनों औरतें प्रेमी युगल की भांति एक दूसरे को किस कर रही थीं । दोनों की अनुभवी जीभ एक दूसरे के मुहं में समाई हुई थी । “तुम्हारे मुम्मे तो मेरे मुम्मों से भी कहीं ज्यादा भरे हुये है, जी भर के चूसा होगा इनको देवर जी ने” अंजली ने अपनी स्तनों को ब्लाऊज के ऊपर से ही दबाते हुये बोली । सुनीता अंजली के मन की बात समझ गई और तुरन्त ही जेठानी की ब्लाऊज के सारे बटन खोल कर पीछे पीठ पर ब्रा के हुक भी खोल दिये अंजली के भारी भारी चूचें अपनी जामुन जैसे बड़े निप्पलों के साथ बाहर को उछल पड़े । सुनीता जीवन में पहली बार किसी दुसरी औरत के स्तनों को देख रही थी । कितने मोटे और रसीले है ये । अंजली ने दोनों हाथों में उठा कर अपने चूंचे सुनीता की तरफ़ बढ़ाये । सुनीता झुकी और तनी हुई निप्पलों पर चुम्बनों की बारिश सी कर दी । “ओह, सुनीताआआआ” अंजली आनन्द से सीत्कारी । सुनीता ने एक निप्पल अपने मुहं मे ही दबा लिया । उसकी जीभ जेठानी की तनी हुई घुंडी पर वैसे ही नाच रही थी जैसे वो रोज रात पति की गुलाबी सुपाड़े पर फ़ुदकती थी । पहली बार एक औरत के साथ । नया ही अनुभव था ये तो । अंजली खुद एक स्त्री होने के नाते वो ये जानती थी की सुनीता क्या चाहती है । सुनीता के बदन में भी अलग ही आकर्षण था । उसके शरीर में भी वही जोश और उत्तेजना थी । ये सोचते सोचते ही अंजली ने भी सुनीता के निप्पल को चबाने लगी ।
“आऊच…आह्ह्ह” सुनीता के मुहं से दबी हुई चीख भी निकली । अंजली अब उस बिचारे निप्पल पर अपने दातों का प्रयोग कर रही थी । सुनीता अपना दूसरा स्तन हाथ में भर लिया । अंजली ने सुनीता का थूक से सना निप्पल छोड़ दिया और फ़िर से सुनीता के निप्पल को मुहं में भर लिया और पहले से भी ज्यादा तीव्रता से चुसाई में जुट गयी मानो निप्पल नहीं लंड हो जो थोड़ी देर में ही अपना पानी छोड़ देगा । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“आआआह्ह्ह्ह्ह्ह॥ दीदी, प्लीज जोर से चूसो, हां हां”, सुनीता अंजली को उकसाते हुये चीखी । उसकी चूत में तो बिजली का करंट सा दौड़ रहा था । “यहां, देखो यहां घुसती है मर्द की जुबान”, सुनीता ने फ़ुर्ती के साथ अंजली कि साड़ी और पेटीकोट ऊपर कर पैन्टी की कसी हुई इलास्टिक में हाथ घुसेड़ दिया । पैन्टी को खींच कर उतारने का प्रयास किया तो सुनीता की हाथ में कोई बडे मांस पिंड जैसा चीज लगी । उसने उपर जेठानी की तरफ देखा, अंजली मुस्करा रही थी । तभी अंजली ने खुद ही साड़ी और पेटिकोट को कमर पर इकट्ठा कर उन्गली फ़सा अपनी पैन्टी नीचे जांघों तक सरका दी, सुनीता की आँखेँ एकदम खुले के खुले रह गए । पहली बार सुनीता को इतना बडा सदमा लगा । अंजली के पैन्टी निचे सरकते ही एक 8 इंच का लम्बा और मोटा लंड बाहर निकल आया, साथ मेँ बडे-बडे अंडे जैसे अंडकोष । अंजली के लंड घने काले झाँटोँ से भरे थे । क्या मनमोहक द्रुश्य था सुनीता के सामने । उसकी सगी बहन जैसी जेठानी पूरी तरह से औरत नहीँ थी । स्त्री के शरीर मेँ पुरुषांग । स्त्री और पुरुष के अद्भुतपूर्व मिश्रण थे अंजली की बदन मेँ । और अंजली के लंड के तो क्या कहने! 8 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा था अंजली की लंड । इतना बडा लंड जिन्दगी मेँ पहली बार देख रही थी सुनीता । अपनी पति सुनीत का तो अपनी भाभी के लंड का आधा ही होगा । सुनीता बडे प्यार से जेठानी की लंड को मुठ्ठी मेँ भर कर बडे-बडे अंडकोष पर जिभ फिराते हुए उपर अंजली की मुखडे को देखने लगी । अंजली की चेहरे पर मुस्कराहट था ।”ये क्या है दीदी ? और अजजययय…..कैसा….?” सुनीता लंड को चाटती हुई पुछी । “ये बहुत लम्बी कहानी है किसी दिन बैठ के बताउंगी ।” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अंजली बोली ।”फिर भी कुछ तो बताईये, दीदी । “सुनीता ने जिद पे उतर आई ।”बस इतना समझ लो कि मेरी ख्वाईशेँ, मेरी तमन्ना पूरी हुई है । पिछले पांच साल हो गए मेरी इस बदलाव को ।” “मतलब मेरी प्यारी जेठानी पांच सालोँ से साडी के निचे लंड लिए इसी घर मेँ घुम फिर रही हैँ ?” सुनीता आश्चर्य होकर पुछी ।”हां छोटी, मैँ पिछले पांच सालोँ से लंड लिए अपनी पति और बेटे के साथ जिंदगी गुजार रही हुं । तुम्हारे जेठ जी को ये मालुम है और खुशी-खुशी मुझे स्वीकारा है और अब मैँ इस बदलाव यानि की मेरी लंड का भरपुर मजा उठाना चाहती हुं ।” अंजली ने बात पूरी की ।”पर दिदी, क्या अमर को ये मालुम है कि उसकी प्यारी माँ की मर्द के जैसा लंड है, उसकी माँ बाकी महिलाओँ से अलग है ? “”नहीँ, यही डर मुझे हमेशा लगी रहती है! कि कब उसे ये बात पता लग जाएगा ।” अंजली ने शंका जाहिर करते हुए कहा ।”नहीँ दीदी, कुछ नहीँ होगा मैँ उसे मना लुंगी बस अब के सोचिए दीदी आपकी ये विशाल लंड देख कर मुझसे और रहा नहीँ जाता ।” कहती हुई सुनीता ने जेठानी की तने लंड को मुठ्ठी मेँ भर ली ।
कहानी जारी रहेगी….