बुरचोदी मौसी के साथ रंगरेलिया

दोस्तों ये कहानी एक पारिवारिक चुदाई की कहानी है दोस्तों वैसे तो आप लोगो ने मस्ताराम डॉट नेट और गुरु मस्ताराम डॉट कॉम पर बहुत पढ़ी होगी पर आज की कहानी पढ़ के मज़ा आयेगा दोस्तों ये कहानी मेरी जवानी के दिनों से सुरु होती है जब मेरा यौन जीवन शुरू हुआ और वह भी मेरी सगी मौसी के साथ, तब मैं एक जवान लड़का था अब मैं एक बड़ी कंपनी में उँचे ओहदे पर हू और हर तरह का मनचाहा संभोग कर सकने की स्थिति में हू मुझमें सेक्स के प्रति इतनी आस्था और चाहत जगाने का श्रेय मेरी प्यारी रवीना मौसी को जाता है और बाद में यह मीठी आग हमारे पूरे परिवार में लगी उसका कारण भी रवीना मौसी से सेक्स के बाद मैं ही बना अपने बारे में कुछ बता दूं मैं बचपन में एक दुबला पतला, छरहरा, गोरा चिकना किशोर था मेरे गोरे चिकने छरहरे रूप को देख कर सभी यह कहते कि ग़लती से लड़का बन गया

इसे तो लड़की होना चाहिए था! मुझे बाद में मौसी ने बताया कि मैं ऐसा प्यारा लगता था कि किसी को भी मुझे बाँहों में भर कर चूम लेने की इच्छा होती थी ख़ास कर औरतों को इसीलिए शायद मेरे रिश्ते की सब बड़ी औरतें मुझे देखकर ही बड़ी ममता से मुझे पास लेकर अक्सर प्यार से बाँहों में ले लेती थीं मुझे तो इस की आदत हो गयी थी बाद में मौसी से यह भी पता चला कि सिर्फ़ ममता ही नहीं, कुछ वासना का भी उसमें पुट था और मैं सिर्फ़ औरतों को ही नहीं, कुछ मतवाले मर्दों को भी अच्छा लगता था! मेरी माँ की छोटी बहन रवीना मौसी मुझे बचपन से बहुत अच्छी लगती थी माँ के बजाय मैं उसी से लिपटा रहता था उसकी शादी के बाद मिलना कम हो गया था

बस साल में एक दो बार मिलते पर यहा बचपन का प्यार बिलकुल भोला भाला था मौसी थी भी खूबसूरत गोरी और उँची पूरी, काली कजरारी आँखें, लंबे बाल जिन्हें वह अक्सर उस समय के फैशन में याने दो वेनियों में गुंठती थी, और एक स्वस्थ कसा शरीर अब मैं किशोर हो गया था तो स्त्रियों के प्रति मेरा आकर्षण जाग उठा था ख़ास कर उम्र में बड़ी नारियों के प्रति मेरी कुछ टीचर्स और कुछ मित्रों की माओं के प्रति मैं अब बहुत आकर्षित होने लगा था अकेले में उनके सपने देखते हुए हस्तमैथुन करने की भी आदत लग गयी थी रवीना मौसी के प्रति मेरा यौन आकर्षण अचानक पैदा हुआ एक शादी के लिए सारे रिश्तेदार जमा हुए थे सिर्फ़ अजित अंकल याने रवीना मौसी के पति, मेरे मौसाजी, नहीं आए थे रवीना मौसी से एक साल बाद मिल रहा था वे अब ३७-३८ साल की थीं और उसी उम्र की औरतें मुझे अब बहुत अच्छी लगती थीं शादी के माहौल में बड़ी भीड़ थी और कपड़े बदलने के लिए एक ही कमरा था जल्दी तैयार होकर सब चले गये और सिर्फ़ मैं और रवीना मौसी बचे रवीना मौसी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा पहने टावल लपेटकर बाथरूम में से बाहर आई मुझे तो वह बेटे जैसा मानती थी

इसलिए बेझिझक टावल निकालकर कपड़े पहनने लगी मैंने जब काली ब्रा में लिपटे उनके फूले उरोज और नंगी चिकनी पीठ देखी तो सहसा मुझे महसूस हुआ कि चालीस के करीब की उम्र के बावजूद मौसी बड़ी आकर्षक और जवान लगती थी टाइट ब्रा के पत्ते उनके गोरे मांसल बदन में चुभ रहे थे और उनके दोनों ओर का माँस बड़े आकर्षक ढंग से फूल गया था |

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मेरे देखने का ढंग ही उसकी इस मादक सुंदरता से बदल गया और सहसा मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा हो गया है झेंप कर मैं मुड गया जिससे मेरी पैम्ट में से मौसी को लंड का उभार ना दिख जाए मैं भी तैयार हुआ और हम शादी के मंडप की ओर चले इसके बाद उन दो दिनों में मैं छुप छुप कर मौसी को घुरता और अपने लंड को सहलाता हुआ उसके शरीर के बारे में सोचता रात को मैंने हाल में सोते समय चादर ओढ कर मौसी के नग्न शरीर की कल्पना करते हुए पहली बार मुठ्ठ मारी मुझे लगा कि उसे मेरी इस वासना के बारे में पता नहीं चलेगा पर बाद में पता चला कि मौसी ने उसी दिन सब भाँप लिया था आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | और इसलिए बाद में खुद ही पहल करके मुझे प्रोत्साहित किया वह भी मेरी तरफ बहुत आकर्षित थी शादी के बाद भी रिश्तेदारों की बहुत भीड़ थी जो अब हमारे घर में आ गयी सोने का इंतजामा करना मुश्किल हो गया

एक बिस्तर पर दो को सोना पड़ा मौसी ने प्यार से कहा कि मैं उसके पास सो जाऊ मेरा दिल धडकने लगा थोड़ी डर भी लगा कि मौसी के पास सोने से उसे मेरे नाजायज़ आकर्षण के बारे में पता तो नहीं चलेगा पर मैं इतना थका हुआ था कि दस बजे ही मच्छरदानी लगाकर रज़ाई लेकर सो गया पास ही एक दूसरे पलंग पर भी दो संबंधी सो रहे थे मौसी आधी रात के बाद गप्पें खतम होने के बाद आई और रज़ाई में मेरे साथ घुस गई मच्छरदानी लगी होने से अंधेरे में किसी को कुछ दिखने वाला नहीं था और मौसी ने इस मौके का फ़ायदा उठा लिया किसी के स्पर्ष से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मौसी ने प्यार से मुझे बाँहों में समेट लिया है |

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पास से उसके जिस्म की खुशबू और नरम नरम उरोजो के दबाव से मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया मैंने घबराकर अपने आप को छुड़ाने का प्रयास किया कि करवट बदल लूँ; कहीं पोल ना खुल जाए |

पर मौसी भी बड़ी चालू निकली मेरे खड़े लंड का दबाव अपने शरीर पर महसूस करके उसने मुझे और ज़ोर से भींच लिया और एक टाँग उठाकर मेरे शरीर पर रख दी रज़ाई पूरी ओढ ली और फिर कान में फुसफुसा कर बोली “राहुल, तू इतना बदमाश होगा मुझे पता नहीं था, अपनी सग़ी मौसी को देख कर ही एक्साइट हो गया? परसों से देख रही हू कि तू मेरी ओर घूर घूऱ कर देखता रहता है! और यह तेरा शिश्न देख कैसा खड़ा है!” मैं घबरा कर बोला “सॉरी मौसी, अब नहीं करूँगा पर तुम इतनी सुंदर दिखती हो, मेरा बस नहीं रहा अपने आप पर” मेरे आश्चर्य और खुशी का ठिकाना ना रहा जब वह प्यार से बोली “अरे इसमें सॉरी की क्या बात है?

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