गतांग से आगे ….
मैं क्या कोई जोकर हूँ इतना हँसे जा रही है मेरे को देख के ?” और फिर और जोरों से अपने हाथ उनके घुटनों पर दबाए जवाब रश्मि ने ही दिया लो अब हँसी पर भी कोई रोक है भाई ? ऊऊउउ भाई अपना हाथ तो हटाओ ना गुदगुदी होती है और फिर उनकी हँसी ने और ज़ोर पकड़ लीआ अब मैने अपना हाथ घुटने से उपर ले जाते हुए उनकी जाँघ पर रखा और फिर दबाया उफ़फ्फ़ क्या महसूस था जैसे किसी पाव भाजी वाला पॉ(ब्रेड) मेरी मुट्ठी में हो तू बता पहले क्या बात है फिर हाथ हटाउंगा मैने कहा इस बात पर दोनो की हँसी तो रुकी पर दोनो एक दूसरे को देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी अभी भी पर मेरा हाथ अभी भी वहीं के वहीं था चल जल्दी बोल वरना मेरा हाथ अभी और भी आगे और उपर जाएगा मैने सीरीयस होते हुए कहा वंदु ने मौके की नज़ाकत समझते हुए कहा अछा बाबा बताती हूँ पर तू हाथ हटा ना भाई ऐसे भी कोई भाई अपनी बहनो को दबाता है क्क्या ??” वंदु की इस बात पर मैं थोड़ा झेंप गया अछा ले हटा दिया अब बोल ” आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“अरे बाबा चाय पीनी है के नहीं पहले चाय तो पी लो भाई, फिर बातें करेंगे मैं चाय लाती हूँ और रश्मि बोलते हुए उठी और चाय लाने झोपड़ी के कोने की ओर चल दी मैं उठा और रश्मि के जगह वंदु से सॅट कर बैठ गया और वंदु के चेहरे को अपनी ओर खिचा और पूछा बोल ना रे क्या बात है ?” अरे कुछ नहीं भाई कल से जाने क्यूँ तुम हमें बहुत अच्छे लग रहे हो रात को तू ने आई को कितने अच्छे से संभाला और हम दोनो को भी कितने प्यार से सुलाया हम दोनो येई सब बातें कर रहे थे ” तब तक रश्मि भी आ गयी थाली पर तीन ग्लास चाय लिए हां भाई दीदी ठीक ही तो बोल रही है पहले तुम कितने चुप रहते थे ” मैने चाय का ग्लास लिया, एक घूँट लिया और कहा हां रे बात तो सही है लगता है बापू के जाने से घर का माहौल काफ़ी खुला खुला हो गया है पहले साला कितना टेन्षन रहता था जब देखो गाली गलौज़ और लड़ाई झगड़ा ” रश्मि मेरे बगल बैठ गयी मैं दोनो के बीच था पर तुम दोनो को हँसी क्यूँ आई मुझे देख ये तो बता ??
मैने फिर से पूछा वंदु थोड़ा शर्मा गयी उसके गाल लाल हो गये उस ने रश्मि को देखा अरे तू ही बता दे ना रे रश्मि लगता है भाई आज मानेगा नहीं ” रश्मि ने भी चाय की एक घूँट अंदर ली मुझे बड़ी शरारती आँखों से देखा और कहा भाई आज सुबह सुबह तुम्हारे को क्या हुआ था ??” क्या हुआ था ? कुछ भी तो नहीं मैने बौखलाते हुए कहा पर तेरे टाँगों के बीच कुछ लंबा सा उभरा उभरा क्या था ?” ह्म्म्म्मम तो ये बात है अरे बाबा जब तुम दोनो की तरह प्यारी और खूबसूरत लड़कियाँ मेरे दोनो ओर लेटी हों तो अगर मेरी टाँगों के बीच हरकत ना हो ये तो तुम दोनो के लिए डूब मरने वाली बात हुई ना ऐसा बोलते हुए मैने रश्मि को उसे कंधे से जकड़ते हुए अपने पास खिच लिया मेरा जवाब सुन कर वंदु के गाल तो लाल हो गये पर रश्मि पर फिर से हँसी का दौर चढ़ बैठा मैं समझ गया दोनो बहनें क्या चाहती थीं ग़रीबी के कुछ फ़ायदे भी होते हैं इतने दिनों से हम सब एक ही कमरे में सोते हैं मेरा बाप मेरी मा की चुदाई भी किसी कोने में वहीं करता था वंदु और रश्मि इन सब बातों को देखते परखते ही जवान हो गयी थीं उनमें भी उबाल आना शुरू हो गया था और अब ये उबाल बाहर आने की कोशिश में था मैं भी आख़िर गबरू जवान था तीन तीन हसीन औरतों के बीच मेरी भी जवानी फॅट पड़ने की कगार पर पहून्च चूकी थी और आज सुबह मा के साथ वाली बात ने आग में घी का काम कर दिया था और अब वंदु और रश्मि की बातों से आग से लपट निकल्ने शुरू हो गये थे |
ये भी पढ़े : कार में मिली आंटी की चूत चुदाई का मौका
मैने रश्मि और वंदु दोनो को अपने सीने से लगा लिया उनके माथे और गालों को चूमता हुआ कहा वो तुम दोनो के लिए मेरे प्यार का इज़हार था मेरी बहनों मैने भर्राये गले से कहा अब रश्मि भी सीरीयस हो गयी थी और अपना चेहरा मेरे सीने से लगाए चुप चाप बैठी थी दोनो बहने मेरे से लगे चुपचाप अपने भाई के चौड़े सीने में अपने आप को बहुत महफूज़ समझ रही थी बहुत सुकून था उनके चेहरे पर आज तक उन्हें अपने बाप से ऐसा प्यार और सुकून नहीं मिला मर्द का साया और मर्दानगी उनसे अब तक दूर थी वो सब उन्हें मुझ से मिल रहा था हम तीनों चुप थे और एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे का साथ और प्यार में खोए वंदु ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा हां भाई हम समझते हैं तुम बहुत प्यार करते हो हम तीनों से है ना ??वंदु ने कहा मैने वंदु को अपने और करीब खिच लिया उसे अपनी छाती से लगाया रश्मि भी और चिपक गयी हां मेरी बहनो मेरे लिए तुम दोनो बहनें और मेरी मा के सिवा और कोई नहीं तुम सब मेरी जान हो मेरी जान मैं तुम सब के लिए अपनी जान दे सकता हूँ ”
रश्मि ने झट अपने हाथ मेरे मुँह पर रखा और कहा भाई जान देनेवाली बात फिर मत करना और अब तक मेरी टाँगों के बीच फिर से कड़क उभार आ गयी थी रश्मि ने उसे अपने हाथों से जाकड़ लिया अगर देना है तो हमें तुम्हारा ये लंबा हथियार दे दो और हमारी जान ले लो हैं ना दीदी देखो ना कैसा हिल रहा है हमारे प्यार में ” उस ने मेरे लंड को थामते हुए वंदु को दिखाया वंदु ने भी उसे थाम लिया पर थोड़ा हिचकिचाते हुए थोड़ा शरमाते हुए रश्मि की पकड़ में सख्ती थी और वंदु की पकड़ में थोड़ी हिचकिचाहट और नर्मी और मैं आँखें बंद किए अपनी दोनो बहनो के अनोखे अंदाज़ के मज़े में खोया था कांप रहा था तभी वंदु ने एक झटके में अपना हाथ हटा लिया और पीछे हट गयी जैसे किसी गहरी नींद से अचानक जाग गयी हो अरे बेशरम रश्मि कुछ तो शरम कर ये तेरा अपना भाई है रे सगा भाई ”
ये भी पढ़े : धीरे धीरे घुसाना अभी मेरा छेद छोटा हैं
हां हां अभी तक तो तू भी मज़े से थामी थी क्यूँ ? आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मज़ा नहीं आया और अब भाई की दुहाई दे रही है चल नाटक बंद कर मैं जानती हूँ तेरे को तू मुझ से भी ज़्यादा चाहती है पर बोलती नहीं मैं जानती हूँ और उस ने मेरे लंड को उपर नीचे करना शुरू कर दिया और कहती भी जाती अरे ऐसा भाई और ऐसा हथियार किस्मत वालों को ही नसीब होता है देख ना रे वंदु कितना फुंफ़कार रहा है
चल आ जा आज काम की छूट्टी करते हैं ” वंदु ने बड़े प्यार से एक चपत लगाई रश्मि के गाल पर साली बड़ी बड़ी बातें करती है कहाँ से सीखी रे जा तू भी क्या नाम लेगी तू मज़े ले मैं जाती हूँ काम पर पर कल की बारी मेरी रहेगी और हां भाई ज़रा संभाल के हम दोनो अभी भी बिल्कुल अछूते हैं तुम्हारे लिए ही संभाल के रखा है हम दोनो ने जाने कब से ” और वंदु ने मुझे भी एक चूम्मी दी मेरे गाल पर अपने कपड़े ठीक किए और बाहर निकल गयी |
कहानी जारी है .. आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए |