मैं रीता अपने पति युवराज के साथ मनाली में पिछले दो सालों से हूँ. मेरे पति यहाँ एक 3 स्टार होटल में मेनेजर हैं. हम दोनों आपस में बहुत प्यार करते हैं. हमारी सेक्स लाइफ भी पूरी तरह से संतुष्ट है. मैं तो इतनी ज्यादा रोमांटिक हूँ कि युवराज के घर आने के बाद केवल ब्रा और पैंटी में ही उसके सामने रहती हूँ. उसे हर वक्त मुझसे छिपते रहने को ललचाती रहती हूँ. अब धीरे धीरे युवराज भी ऐसे ही हो गया है. वो भी केवल शोर्ट में रहता है.
एक दिन मुझे पता चला कि मेरी छोटी बहन रिया का मनाली के एक होटल में मेनेजर की पोस्ट पर सेलेक्शन हो गया है और वो यहीं आ रही है. मैं बहुत खुश हो गई. रिया हमारे साथ रहने आ गई. सौम्य मुझसे केवल दो साल छोटी है. वो भी मेरी तरह बेहद खुबसूरत है. कुछ दिन तो मुझे सौम्य के आने से बहुत अच्छा लगा लेकिन धीरे धीरे मुझे और युवराज दोनों को ये लगने लगा कि हमारे आज़ादी ख़त्म हो गई है. अब हम उस तरह से हमारी सेक्स लाइफ एन्जॉय नहीं कर पा रहे हैं जैसी पहले करते रहे हैं. अब केवल रात को मौका मिलता और वो भी आधी रात के बाद क्यूंकि सौम्य देर रात तक जागती और हमारे साथ कभी ती वी देखने कि जिद करती कभी गप्पें लड़ाती. मैं रिया के इस व्यवहार से परेशान होने लगी थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक दिन सौम्य को लगातार चौबीस घंटे की ड्यूटी मिली. हम दोनों बहुत खुश हो गए. युवराज उस दिन शाम को जल्दी आ गया. मैं और युवराज शाम से ही हमबिस्तर हो गए. रात को खाना खाया और इसके बाद फिर युवराज मेरे जननांग को अपने लिंग से लगातार गरम किये जा रहा था. एक लम्बे अरसे के बाद मेरे जननांग को इतनी गर्मी मिली थी. युवराज जब भी अलग होने की कोशिश करता मैं उसके होंठों को चूम लेती और वो पिघलकर फिर मुझसे लिपट जाता. मुझे लग रहा था कि काश आज की रात ख़त्म ही ना हो.
रात के करीब एक बजे थे. मुझे लगा जैसे कोई आहट हुई है. लेकिन फिर वापस क आत नहीं हुई तो मैंने सोचा ये मेरा भ्रम होगा. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब मैं और युवराज जमीन पर लेटे सेक्स कर रहे थे. युवराज बार बार मेरी कमर के आस पास चूम रहा था. मैं मछली की तरह इधर उधर मचल रही थी. वो आहट मेरा भ्रम नहीं थी. रिया आई थी. वो अपने कमरे में गई ; उसने कपडे बदले और रसोई में शायद पानी पीने गई. जाते जाते उसने एक निगाह हमारे कमरे में डाली. दरवाजा खुला था. उसने मुझे और युवराज को कमरे में जमीन पर लोटपोट होते और सेक्स करते देख लिया. रिया की अभी शादी नहीं ही थी. हर लडकी के अपने अरमां तो होते ही हैं. उसे यह सब बहुत अच्छा लगा.वो एक दुरी बनाकर हमें देखने लगी. काफी देर तक हमें बिलकुल पता नहीं चला. बाद में अचानक मेरी निगाह उस पड़ी. मैंने नजर बचाकर उसे देखा. वो लगातार हमें देखे जा रही थी मैंने बड़ी चालाकी से युवराज और मुझे दरवाजे के सामने से हटाया और दूसरी तरफ आ गए.
सवेरे जब हम चाय पी रहे थे तो रिया ने मुझसे धीरे से कहा ” कल रात को तो बड़ा मजा किया तुमने जीजू के साथ! मैंने बहुत कुछ देखा .” मैंने रिया की बेशरमी पर उसे डांटते हुए कहा ” ये क्या तरीका है बात करने का.” रिया बोली ” तुम भी रीता क्या शर्मातो हो? अरे मजा ही तो किया था. मैंने देख लिया तो क्या बुरा किया. बस यही समझो कि मैंने कोई ब्लू फिल्म देख ली थी.” रिया ने अचानक मेरी कमर पर अपना हाथ रखा और बोली ” हाय; अभी तक बदन में गर्मी है. कुछ भी कहो रीता. जीजू हैं बड़े गरम.” मैंने रिया के तरफ शरारत भरी नजर से देखा और हम दोनों एक साथ हंसने लगे. बस मेरी यह हंसी ही हमारे घर में एक नया माहौल पैदा कर गई. रात को मैं बालकनी में खड़ी थी. रिया मेरे पास आई और बोली ” रीता; क्याज भी तुम जीजू के साथ ….” मैंने उसकी तरफ देखा और बोली ” तुम अचानक ऐसा व्यवहार कैसे करने लगी हो सोमू.” रिया बोली ” सच कहूँ तो उस रात से मेरा दिल डोल गया है. तुम दोनों आपस में लिपटे हुए बड़े अच्छे लग रहे थे.” मुझे रिया का व्यवहार समझ नहीं आया. मैंने ये सब युवराज को बताया. युवराज ने कहा कि ये सभ स्वाभाविक बातें हैं. हर लड़के और लडकी के सेक्स जीवन की शुरुआत ऐसे ही किसी घटना से होती है. अगर रिया हमें देखे तो देखने दो. हमें क्या फर्क पड़ता है. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | युवराज की बात सुन मेरा दिल थोडा हल्का हुआ लेकिन मैं यह सोचने लगी कि एक बार सही है लेकिन अगर रिया हर बार ऐसी ही जिद कने लगी तो मैं क्या करुँगी? रात को मैं और युवराज पलंग में हमबिस्तर थे. रिया खिड़की से झांकर हमें देखे जा रही थी. मुझे शुरू शुरू में बड़ी शर्म आई लेकिन युवराज ने जोश दिलाया तो मैं भी सहज होकर युवराज से संभोग कराने लगी. लगातार तीन रात रिया ने हमें इसी तरह से देखा. अब मुझे भी यह अच्छा लगने लगा. रिया अब हमारे कमरे में आने लगी और सोफे पर बैठकर हम दोनों को बहुत ही करीब से देखने लगी. कभी कभी वो मुझे छु लेती. रविवार को युवराज और रिया दोनों की ही छुट्टी थी. मैंने रिया के कमरे के बाहर से निकली. मैंने देखा रिया बिना कपड़ों के बिस्तर पर लेटी हुई है और तकिये को दबाकर तड़प रही है. मैं उसकी इस हालत को मेरे और युवराज का सेक्स देखने का परिणाम समझी और यही सच था. सौमा बार बार तकिये को दबाती और कभी कभी अपने स्तनों को दबाने लग जाती. उसका बदन पसीने पसीने हो चुका था. मैंने युवराज को बुलाया. युवराज औ मैं रिया को देखने लगे. कुछ देर के बाद रिया पलंग पर उसी अवस्था में लेट गई.
मैंने रिया को अब लगभग हर दिन कभी ना कभी इस अवस्था में देखती. ना जाने क्यूँ मुझे उस पर दया आ गई. मैंने युवराज से कहा. युवराज हैरान हो गया. उसने मुझे खूब डांटा. मैंने उसे बार बार समझाया. लेकिन युवराज नहीं मना.
मैंने रिया को युवराज वाली बात बताई. रिया को मैंने अपनी योजना समझाई. रिया तैयार हो गई. युवराज नहाने चला गया. मैं और रिया रसोई में नाश्ता बनाने लगी.हमने अपनी योजना के मुताबिक हॉट शोर्ट्स पहन ली और ऊपर स्पोर्ट्स ब्रा. युवराज नाश्ते के लिए जैसे ही रसोई में आया तो हम दोनों को देखकर चौंक गया. हम दोनों उसे देखकर मुस्कुराने लगी. युवराज सब समझ गया कि मैंने अपनी जिद छोड़ी नहीं है. आखिर युवराज भी तो मर्द ही था. वो आखिर में पिघल गया. रिया ने एक प्लेट में नाश्ता लिया और युवराज के सामने रखते हुए उसकी गोद में बैठ गई. युवराज कुछ समझे रिया ने उसे गालों पर चूम लिया. मैंने कुछ फल काट कर रखे थे. मैंने केले का एक छोटा टुकडा अपने मुंह में डाल और युवराज के मुंह को खोलकर उसे खिलाने लगी. हम दोनों के मुंह में केले का गुदा भर गया. रिया ने भी अपना मुंह हम दोनों के मुंह के साथ मिला लिया और हम तीनों इसके बाद केले के और भी टुकड़े लेने लगी और लगातार खाने लगी. रिया का पहला ही अनुभव कामयाब और यादगार बनता जा रहा था. युवराज ने अब पकौड़े भी इसी तरह से खाने को कहा. हम तीनों ने पूरा नाश्ता ऐसे ही किया. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दोपहर का खाना भी ऐसे ही खाने की रिया ने जिद की. उसकी यह जिद भी पूरी की. इसके बाद युवराज सोने चला गया. मैं और रिया युवराज के दायें और बाएं जाकर लेट गई. युवराज अब समझ गया कि आगे क्या होना है. मैंने और रिया ने युवराज को चूमना आरम्भ किया . युवराज ने भी गर्मजोशी से जवाब दिया. अब हम तीनों आपस में लगातार चुम्बनों का दौर जारे रखे हुए थे. जब उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई तब मैंने रिया को युवराज के सामने कर दिया. युवराज ने उसके सभी कपडे खोल दिए. मैंने भी अपने सभी कपडे उतार दिए. अब हम तीनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे..युवराज ने रिया को पूरी तरह से उत्तेजित किया और फिर कंडोम से कवर किया हुआ लिंग उसके जननांग में घुसा दिया. रिया के मुंह से एक जोर के चीख निकल गई. इसके बाद मैंने युवराज को अपनी तरफ खींचा और उसके लिंग को अपने जननांग में घुसा दिया. युवराज तो जैसे निहाल हो गया. उसीक साथ दो दो जननांग मिल गए थे. देर रात तक हम तीनों रुक रुक कर सेक्स करते रहे. अब लगभग हर दिन हम तीनों इसी तरह सेक्स करते. कभी मेर अमूद नहीं होता तो रिया अकेली ही युवराज के साथ लेट जाती. यह सिलसिला लगातार पांच महीनों तक चला. एक दिन मेरी मां का फोन आया कि उन्होंने रिया की सगाई दिल्ली के एक लड़के एक साथ तय कर दी है. हमने रिया को जब यह खबर सुनाई तो उसने सगाई और शादी से साफ़ इनकार कर दिया. उसने कहा कि वो हमेशा हमारे साथ ही रहेगी. मैं यौर युवराज ने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानी ही नहीं. मैं परेशान रहने लगी. युवराज ने मुझे समझाया कि धीरे धीरे रिया को समझा बुझा कर घर वास भेज देंगे . हम तीनों अपनी सामान्य जिन्दगी में आ गए. फिर से रातें रंगीन होने लगी. मैंने देखा कि अब रिया युवराज को बहुत ही ज्यादा उत्तेजित करने लगी थी. लेकिन मेरे साथ उसका व्यवहार पूरी तरह से सामान्य था. इस तरह से एक महीना बीत गया. एक दिन अचानक मेरी मां और पिताजी आ गए. उन्होंने रिया की शादी की तारीख पक्की करने के बात कही तो रिया ने सगाई ही तोड़ दी. मां और पिताजी हारकर घर वापस लौट गए.
अब मेरी परेशानी और भी बढ़ गई है. युवराज ने भी मुझे कह दिया है कि अगर रिया को हमारे दोनों के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है तो फिर हमें भी उसे अपने साथ रख लेना चाहिये. उसने मुझे कहा कि रिया हम दोनों के बिना जी ही नहीं सकेगी. मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करती हूँ. मैं उसकी ज़िन्द्गे बर्बाद होते नहीं देखना चाहती. लेकिन मुझे यह भी डर है कि युवराज और मुझमे कोई दूरी नहीं हो जाए उसकी वजह से. युवराज अपनी खुद की काम कहकर कह चुका है कि वो मुझे कभी धोखा नहीं देगा. मैं भी कच्चे मन से यह चाहती हूँ कि रिया रहेगी तो कोई गलत नहीं होगा. लेकिन फिर भी दिल घबरा उठता है.
अब मैं क्या करूँ?