अब दुल्हन की बुर में अंगुली – Adult Jokes

हमारे आफिस में एक डब्बू किश्म का आदमी काम करता था, बड़ा ही शर्मीला। आफिस की लड़कियों से अक्सर आँखें चुराता रहता था। एक दिन उसने बताया की उसकी मांगनी हो गयी है, लड्डू बाँट रहा था। साथ में एक तस्वीर भी लाया था दुल्हन की। मैं देखते ही दुल्हन पर फिदा हो गया, गजब की खूबसूरत थी, बला की सेक्सी आँखें थी, चौड़े चूतड़, बड़ी-बड़ी छातियां, सभी कुछ था उसमें जो एक सेक्सी लड़की में होनी चाहिए। मैं प्लान बनाने लगा की इसकी दुल्हन को इससे पहले कैसे चोदा जाए।

मैंने कहा- यार, लड़की तो बड़ी अच्छी है और बहुत सेक्सी भी। लेकिन तू ने कभी किसी लड़की को चोदा भी है?

उसने शर्मा कर कहा- छीः कैसी बात कहते हो, शादी से पहले?

मैंने कहा- फिर तो तुम्हें सुहागरात के दिन बड़ी मुश्किल होगी।

उसने पूछा- क्यों?

मैंने कहा- “यार, यह लड़की बहुत ज्यादा सेक्सी लगती है। इसे ढंग से नहीं चोदा तो तू ज़िंदगी भर के लिए हिजड़ा बन सकता है। तेरे लण्ड की नसें फट सकती हैं। मेरा एक दोस्त पछता रहा है। दो बार आपरेशन हो चुका है उसका…”

फिर क्या करूँ?

मैं- “सुहागरात के दिन सिर्फ़ ऊपर-ऊपर हाथ फेरना उसके कपड़े मत उतारना। दूसरे दिन किस करना, तीसरे दिन से तीन दिन तक सिर्फ़ उसकी बुर में एक उंगली…”

“छीः तुम क्या गंदी-गंदी बातें कर रहे हो?”

मैंने हथौड़ा चला दिया- “यह बातें तुम्हें गंदी लगती हैं? तो ठीक है मुझे बुला लेना दोनों को बता दूँगा…” मैं उसकी बात सुनने के लिए रुक गया।

उसने कहा- “ठीक है, अगर कोई गड़बड़ हुई तो बताऊँगा…”

मैंने कहा- “गड़बड़ होने से पहले बुलाया तो फायेदा होगा, गड़बड़ होने के बाद बुलाने से क्या फायेदा…”

वो बोला- “ठीक है…”

उसकी शादी हुई। मैं भी शादी में शामिल था। सब चले गये। मैंने उसे रूम के अंदर यह बोलकर धकेला की घबराना नहीं… मैं यहीं हूँ, बुला लेना।

वो अंदर गया, दरवाजा बंद किया, कुछ ही देर बाद बाहर आ गया। माथे पर पशीना था। उसने कहा- “दोस्त चलो अंदर…”

मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। वो लड़की गजब थी। अब उसे चोदने से मुझे कोई नहीं रोक सकता था। मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- मैं अंदर गया। दुल्हन को तुम्हारी सारी बातें बता दी…”

तो उसने कहा- “तो फिर उन्हें बुला लो, रिस्क क्यों लेना…”

मैं अंदर गया। सलीम ने मेरा तारूफ दुल्हन से करवाया, कहा- यह मेरे दोस्त हैं। इनकी शादी को पाँच साल हो चुके हैं। सभी इनसे मशवेरा करते हैं।

मैंने कहा- भाभीजी आपकी इजाजत हो तो मैं बताना शुरू करूँ।

दुल्हन ने सर हिलाकर हाँ कहा। उसका चेहरा अब भी घूँघट के अंदर था।

मैंने सलीम से कहा- घूँघट उठा दो।

सलीम ने दुपट्टा उठा दिया।

मैंने कहा- ऐसे नहीं, मैंने घूँघट फिर डालकर धीरे से घूँघट दुल्हन के माथे पर रख दिया और कहा- अब तुम एक चेयर डालकर बेड के पास बैठ जाओ, और देखो…”

मैं बेड पर चढ़ गया। वो चेयर लाकर सामने बैठ गया। मैं दुल्हन के साइड पर जा बैठा।, और बोला- “देखो, दुल्हन के कंधे पर धीरे से हाथ रखो। मैंने दुल्हन के कंधे पर हाथ रख दिया। उसे अपने करीब लाओ। फिर उसकी पेशानी को चूमो। मैं जो कह रहा था वोही कर भी रहा था। फिर गालों पर बोसा दो। मैंने दुल्हन के दोनों गालों को धीरे से चूमा। दुल्हन से बोला- तुमको कोई एतेराज तो नहीं?

उसने नहीं में सर हिला दिया। मुझे लाइसेंस मिल गया। अब मैं अपना हाथ उसके बगल में डाल चुका था उसे अपने से सटा चुका था। फिर दुल्हन के होंठ चूमना है। सुनते ही दुल्हन ने अपने हाथों से चेहरा ढँक लिया। मैंने उसके हाथों को चूमना शुरू किया। मैंने बोला- “इस तरह उसके हाथों पर बोसा देते रहना, जबरदस्ती उसके हाथ नहीं हटाना जब तक की वो खुद हाथ ना हटा ले…”

मैं उसके हाथ के पंजों से कोहनी तक चूमता रहा। आखिर उसने चेहरे से हाथ हटा लिया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, लंबी किस ली और कहा- “देखा इस तरह पहली रात गुजार देना। सुहागरात 15 दिनों का कोर्स है मैं बार-बार नहीं आऊँगा। आज 7 दिन का बताऊँ या 15 दिनों का पूरा कोर्स?”

सलीम बोला- पूरा बता दो।

मैंने कहा- ठीक है। तो सबर से देखो। गरम हो जाओ तो मूठ मार लेना। मूठ मारनी तो आती है ना की वो भी बताना पड़ेगा?

सलीम बोला- नहीं आती है।

फिर मैंने कहा- “अब होंठ पर होंठ रखो और एक हाथ दुल्हन की एक छाती पर रखो अभी दबाना नहीं (मैंने ‘दबाना नहीं’ चूची दबाकर ही बताया), सिर्फ़ हल्के-हल्के सहलाना है…”

चूचियां कच्चे आम की तरह सख़्त थी मुझे सलीम की पसंद और किश्मत पर जलन हो रही थी।

मैंने दो-दो शादी की लेकिन दोनों पक्की रंडी निकलीं। पहली वाली की जब मैंने चूचियां खोलीं तो रोने को दिल किया, चूचियां लटक गयीं। मैं समझ गया कि कितना मसला गया था उसे। खैर… मुझे आज पहली बार इतनी सख़्त चूचियां दबाने को मिली थीं। मैंने कहा- “एक ही चूची सहलाते रहना, धीरे-धीरे दबाना शुरू कर देना। दुल्हन अपनी बाहें तुम्हारे गले में डाल देगी…”

दुल्हन ने सचमुच मेरे गले में बाहें डाल दिया।

मैंने कहा- “अब चूची जोर-जोर दबाना शुरू कर देना, और होंठ चूसते रहना। दूसरी चूची तब तक नहीं छूना जब तक दुल्हन खुद तुम्हारा हाथ अपनी दूसरे चूची पर ना रख दे…”

दुल्हन ने मेरे हाथ को उसकी दूसरे चूची पर रख दिया। अब बारी-बारी से दुल्हन की दोनों चूचियों मसलना शुरू कर देना। दुल्हन के मुँह से अया… उउउह्ह… की आवाज़ें निकलेंगी। अब दुल्हन को धीरे से बेड पर लिटा देना, और उसकी कुरती उतारने की कोशिश करना, जबरदस्ती मत करना। दुल्हन ऐतराज करे तो छोड़ देना। अब मैंने दुल्हन की कुरती उतार दिए। इतना दूसरे दिन के लिए काफी है।

फिर मैंने कहा- “अब दुल्हन को धीरे से बिस्तर पर लिटा देना। फिर दुल्हन के निपल चूसना…” कहते हुए मैं दुल्हन के निपल चूसने लगा। बारी-बारी से एक निपल चूस रहा था तो दूसरी निपल को चुटकी से मरोड़ रहा था। दिल में जलन भी थी कि इसे इतनी फ्रेश दुल्हन क्यों मिली? मुझे तो ढीली-ढाली मिली थी। अपना गुस्सा दुल्हन के निपल पर निकाल रहा था। निपल बेदर्दी से मरोड़ रहा था।

दुल्हन ने कान में धीरे से बोला- “लग रहा है…”

भाभी मैं खिलाड़ी होने के बावजूद आपको दर्द हो रहा है तो यह अनाड़ी करता तो सोचो आपका क्या हाल होता? मैंने फिर उसके होंठ चूसे और एक हाथ उसकी बुर पर ले गया। धीरे से बोला- “अब दुल्हन की बुर को कपड़ों के ऊपर से सहलाओ। जब वो छटपटाने लगे तो नाड़ा खोल दो…” मैंने दुल्हन की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी चिकनी बुर को सहलाने लगा। बुर के मुँह में पानी आ चुका था।

मैंने एक उंगली बुर में डाल दी तो दुल्हन के मुँह से आ निकला।

मैंने कहा- “अब एक उंगली बुर में डाल दो और अंदर-बाहर करो। जब बुर गीली हो जाए तो दो उंगली डालो, दुल्हन तड़पने लगेगी आअह्ह… आअह्ह…” मैंने दुल्हन से कहा- “जरा बर्दास्त कर लो, आगे बहुत मजा आने वाला है। इसी मजे के लिए तो शादी करते हैं…” मैं कभी उसके निपल चूस रहा था तो कभी होंठ चूस रहा था।

दोस्त अब अपना लण्ड निकालकर मूठ मार रहा था।

मैंने उससे कहा- जरा इसकी सलवार उतार दो।

वो उठा और दुल्हन की सलवार खींच दिया।

मैंने कहा- “शाबास… अब बैठ के मूठ मारो और देखो। अब अपना लण्ड बाहर निकालो…”

मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और दुल्हन के हाथ में पकड़ा दिया और कहा- “इसे सहलाओ और देखो, पहले कभी लण्ड पकड़ा है?”

दुल्हन ने कहा- नहीं।

मैंने कहा- “यही तुम्हारा शौहर है, यही तुम्हें मजा देगा, यही तुम्हें माँ बनाएगा। प्यार से सहलाओ…”

वो सहलाती रही मेरा लण्ड नयी बुर पाने की खुशी में फूलता गया। मैं खुद परेशान था- यह तो आज कुछ ज्यादा ही मोटा हो रहा था। डर भी रहा था कि कहीं बुर को फाड़ ना दे। अब मैं नीचे सरकने लगा और बोला- “अब दुल्हन की बुर को चाट-चाटकर गीला करना है। गलती से भी सूखी बुर में लण्ड मत डालना…”

मैं बुर चाटने लगा, बुर की फांकें खोलकर जबान अंदर डालने लगा। दुल्हन मेरे सर को बुर में दबा रही थी। फिर मैं उठा और दुल्हन से बोला- “देखो जिस तरह बुर को चाटकर गीला करना जरूरी है उसी तरह लण्ड को चूसकर गीला करना भी जरूरी है। अब तुम लण्ड को मुँह में लेकर गीला करो…” और अपना लण्ड दुल्हन के मुँह पर रख दिया।

और दुल्हन ने उसे अंदर ले लिया और चूसने लगी। मैंने अपने अंडे उससे चटवाए और फिर उसकी टाँगों को खोल दिया, और पोजीशन लेकर लण्ड को बुर के मुँह पर रखा और दोस्त से बोला- “देखो गौर से, लण्ड धीरे-धीरे अंदर डालना। बुर बहुत नाजुक जगह है, पूरा लण्ड एक साथ अंदर मत डालना। तीसरे दिन आधा लण्ड ही डालना…” मैंने लण्ड अंदर डालना शुरू किया और आधा लण्ड अंदर डालने के बाद अंदरा बाहर करने लगा। फिर धीरे धीरे पूरा लण्ड अंदर डाल दिया।

दुल्हन को कोई दर्द नहीं हुआ। इसका मतलब मैं समझ गया की दुल्हन चुदी हुई है। मुझे फिर गुस्सा आ गया और मैं लण्ड अब जोर-जोर अंदर-बाहर करने लगा। दुल्हन मुझे अपने ऊपर खींच रही थी, वो पूरी तरह मस्ती में थी। अब बुर और लण्ड की जंग शुरू हो चुकी थी।

दोस्त बोला- “तुमने तो पूरा घुसा दिया…”

मैं हाँफते हुए बोला- “मुझ अनुभव है ना… तुम ऐसा मत करना, चार दिन बाद पूरा लण्ड डालना। देखो चोदने के कई तरीके हैं। पहला जिस तरह मैं अभी चोद रहा हूँ। दूसरा दुल्हन की टाँगों को कंधे पर रखो फिर धक्के मारो। तीसरा टाँगों को नीचे दबाओ, जिससे दुल्हन की गाण्ड ऊपर उठा जाएगी फिर धक्के मारो। चौथा दुल्हन की एक टांग को नीचे फैला दो, एक टांग को आसमान की तरफ खड़ा कर दो फिर चोदो। जितना अलग-अलग तरह से चोदोगे, उतना मजा तुम्हें भी आएगा और दुल्हन को भी। लेकिन यह सब पाँचवे और छठे दिन में। सातवें दिन दुल्हन की शरम खतम हो जाए तो खुद नीचे लेट जाना फिर दुल्हन को बोलना कि वो लण्ड की सवारी करे…”

मैं नीचे लेटकर दुल्हन को मेरे लण्ड की सवारी करने को बोला, जो वो बखूबी करने लगी।

दोस्त बोला- “वाह दोस्त, तुमने बहुत कुछ सिखा दिया। मैं तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भुला पाऊँगा…”

मैंने कहा- यह तो कुछ भी नहीं। तुम सात दिन तक यह सब ठीक से कर लो फिर मैं तुम्हें खड़े-खड़े चोदना, दीवार पे सटाकर चोदना, गोद में उठाकर चोदना और गाण्ड मारना सिखा जाऊँगा। आज मुझे यहीं सोना पड़ेगा, तुम्हारा दुल्हन के पास सोना ठीक नहीं होगा। उसने पहली बार लण्ड लिया है। अभी उसकी बुर कम से कम दो-तीन बार और गरम होगी, मुझे ही उसे चोद-चोदकर ठंडा करना होगा। तुम नीचे बिस्तर लगाकर सो जाओ।

दोस्त नीचे बिस्तर लगाकर सो गया और मैं उसकी दुल्हन को रात भर जी भरकर चोदता रहा।
दोस्तों,

आज के लिये बस इतना ही, मेरी तरफ से।

अब आपके चूतकुलों का इंतेजार है??

मज़ा लीजिये, हँसिये और सेहत बनाइये।

धन्यवाद।



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