मित्रो मेरी इस कहानी का भाग १ आपलोगों ने खूब सराहा मुझे बहुत ख़ुशी हुयी आज मै अगला भाग भी भेज रहा हूँ आशा करता हूँ आप लोग इसे भी खूब पसंद करेगे |.. अब गतांग से आगे …. इस पर मोनिका ने कहा की जब तक हम लोग तुम्हारे मामाजी के गाँव नहीं जाते तब तक तो आप हमारी चूत को शाँत कर सकते हो? मैंने कहा- क्यों नहीं? उसके तुरंत बाद ही शिखा ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लोलीपोप की तरह चूसने लगी| मोनिका ने अपनी चूची मेरे मुँह में डाल दी|मैं बारी बारी से शालू, शांती और मोनिका की चूची चूसने लगा| कुछ देर के बाद मैं धीरे धीरे कान के पीछे चूमते हुए उन सभी की टुंडी में जीभ डालकर सहलाने लगा जैसे ही मैंने शालू की टुंडी में अपनी जीभ लगाई वैसे ही शालू एकदम से ऐसे उछली जैसे की कोई 1000 वाट का करंट लगा हो| करीब 20 मिनट तक मैं उन चारों की टुंडी चाटता रहा फिर धीरे धीरे मैं उन लोगों चूत चाटने लगा| वो चारों भी लगातार मेरा लंड चूस रही थीं|करीब 25 मिनट तक मैं शालू, शिखा, मोनिका एवं शांती की चूत चाटता रहा तो शांती ने मुझसे कह ही दिया की जीजू मेरा पानी निकलने वाला है इसलिए हमें जल्दी से चोद दो|मैंने शाम के 07:30 बजे तक चारों को जी भर के चोदा और एक एक बार गाँड भी मारी| उसके बाद मामाजी के गाँव जाने तक मैंने क्लाइंट्स के साथ साथ शिखा को सबसे ज्यादा चोदा क्योंकि उसको मेरा लंड और उस से होने वाली चुदाई बहुत पसंद थी|उसके बाद हम सबने शादी में जाने के लिए जी भरके शौपिंग की और शादी में जाने के एक टैक्सी की बुकिंग भी की|अगले दिन सुबह ही शिखा ने मुझे मेरा लंड चूसकर जगाया फिर शालू और शांती ने मेरे लंड की जैतून के तेल से मालिश की और शिखा और मोनिका ने मुझे नहलाया| उसके बाद सुबह करीब 09:30 पर टैक्सी वाला टैक्सी लेकर आ गया और हम सभी अपने अपने बैग्स लेकर टैक्सी में बैठ गए और करीब 4 घंटे के सफ़र के बाद हम लोग मामाजी के गाँव पहुँच गए|वहाँ पर सभी लोग हमें देखकर बहुत खुश हुए|कुछ देर बाद मैंने पूरा घर घूम कर देखा तो मुझे परी दीदी कहीं दिखाई नहीं दी तो मैंने मामीजी से पूछा की मामाजी परी दीदी कहीं दिखाई नहीं दे रही तो मामीजी ने बताया की वो आज 04:00 बजे की ट्रेन से अपनी कुछ सहेलियों के साथ आ रही है| मैंने अपनी घड़ी की तरफ देखा तो उस समय तीन बज रहे थे | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैं और अज्जू भईया दोनों अपनी अपनी कार लेकर स्टेशन की तरफ निकल गए जो गाँव से करीब साढे छै किलोमीटर था|मैं और अज्जू भैया ट्रेन आने से करीब आधा घंटा पहले पहुँच गए लेकिन ट्रेन करीब दो घंटे लेट थी| सर्दी के दिन होने के कारण अँधेरा हो गया था|जैसे ही करीब 06:15 पर ट्रेन आई तो उसमें से परी दीदी के साथ साथ करीब आठ लड़कियाँ उतरी|जिनका परी दीदी ने अज्जू भैया और मुझसे हाथ मिलाकर परिचय करवाया जैसे ही मैंने उनके मुलायम हाथों को स्पर्श किया वैसे ही मेरा लंड पेंट के अंदर हिचकोले खाने लगा और कुछ ही देर में लोहे की गरम रॉड की तरह तन गया लेकिन मैंने अपने आप पर कंट्रोल करते हुए खुद को संभाला और उन लोगों के बैग्स लेकर गाड़ी में चार चार लोगों को बिठाया और घर आ गए फिर सभी खाना खाकर बातचीत करते हुए सो गए लेकिन उन लड़कियों को देखने के बाद मेरी आँखों में नींद नहीं थी | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैं उन लड़कियों को चोदने की प्लानिंग करने लगा और उनके नाम की मुट्ठ मार कर सो गया|सुबह सोकर उठा तो सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे|मैं फ्रेश होकर नहाने के लिए जाने से पहले मैंने शालू को आवाज़ दी और अपने कपडे निकलने के कहा तो शालू ने शिखा को मेरे कपडे लेकर भेजा|जैसा की आप जानते हैं की मैं अंडरवियर नहीं पहनता हूँ|जैसे ही मैंने तौलिया लपेट करे अपनी पेंट उतारी वैसे ही वहाँ परी दीदी की सहेली नहाने के लिए आई|तो मैंने उनसे कहा की आप कोई दूसरा बाथरूम लेलो यहाँ पर तो मैं नहाऊंगा तो वो बोली की कोई भी बाथरूम खाली नहीं है|इसलिए मुझे आपका बाथरूम लेना है| मैंने कहा की मुझे पेस्ट करना है और नहाना है इसलिए मुझे आप 30 मिनट का समय दो तो वो बोली की मैं केवल 15 मिनट में ही निकल आउंगी| मैंने ओके कहा और उसे बाथरूम दे दिया|जैसे ही मैंने उसे ओके कहा पता नहीं उसी समय मेरा तौलिया खुल गया और मैं पूरी तरह से नंगा हो गया|झटपट मैंने अपना तौलिया संभाला तब तक उसने मेरा 9 इंच का लंड देख लिया| उसके बाद मैं और वो नॉर्मल हो गए| उसके बाद वो बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई और मैं अपने लैपटॉप पर अपनी मेल चेक करने के लिए एक कुर्सी लेकर बैठ गया| तौलिया छोटा होने के कारण मेरा लंड उसमें से बाहर झाँक रहा था|मैंने बाथरूम के किनारे नाली पर बैठकर मुट्ठ मारकर अपने लंड को शाँत करने वाला ही था की वो लड़की बाथरूम से बाहर निकल आई और मुझसे बोली की अपने बीज को यूँ ही बर्बाद मत करो इसे मुझे पिला दो| मुझे बीज पीना बहुत पसंद है और उसने मेरा लंड मुँह में लेने की कोशिश करने लगी लेकिन लंड मोटा होने के कारण मुँह में नहीं जा पा रहा था तो उसने मेरे सुपाड़े की खाल को पीछे की ओर धकेला और सुपाड़े के छेद पर अपनी जीभ फिराने लगी जिससे मेरा लंड और ज्यादा कड़क होकर फूल गया और धीरे धीरे वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी| अपने लंड पर उसके होठों का स्पर्श पाकर मुझे भी जोश आने लगा और मैं भी उसके मुँह को चूत समझ कर धक्के लगाने लगा | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैंने करीब 15 मिनट ही धक्के लगाये होंगे की उसका मुँह दर्द करने लगा और वो गूँ गूँ की आवाज़ करने लगी मुझे ज्यादा जोश आने के कारण करीब 25 मिनट बाद ही मेरे लंड ने उसके मुँह में पिचकारी छोड़नी शुरू कर दी और बड़ी मात्रा में बीज का फुब्बारा छोड़ दिया जिससे उसका पूरा मुँह भर गया| वो मेरा सारा बीज पी गई और उसने मेरे लंड को अपने मुँह से तब तक नहीं निकाला जब तक की वो सिकुड़ नहीं गया | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसके बाद वह दुबारा नहाने के लिए बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई और मैं अपनी मेल चेक करने में लग गया|कुछ देर बाद वो लड़की बाथरूम से निकली उसके बाद मैंने पेस्ट किया और नहाया| नहा धोकर मैंने सभी के साथ नाश्ता किया तो परी दीदी ने मुझसे कहा की विशु मेरी सहेलियों को खेत की तरफ घुमा लाओ और वहाँ इन्हें ताज़ी गन्ने और मटर तोड़कर खिला देना|मेरी तो जैसे लॉटरी लग गई क्योंकि मैं भी उन सभी का साथ चाहता था सो नाश्ता करने के बाद मैं उन सभी को और मेरे साथ गई चारों लड़कियो को लेकर खेत की ओर लेकर चल दिया|रास्ते में उनकी जवानी देखकर मेरा लंड पेंट को तम्बू बनाने लगा जिसे देखकर वो लड़कियाँ हँसने लगी तो मैंने शिखा से पूछा तो उसने इशारे से कहा ये तुम्हारे खड़े लंड को देखकर हँस रही हैं| लंड को काबू में रखो नहीं तो हम 12 लड़कियों को कैसे चोद पाओगे? शिखा मुझसे इशारों में कह ही रही थी की उस बाथरूम वाली लड़की ने अपनी सभी सहेलियों को बता दिया की मैं विशु का बीज पी चुकी हूँ|इतनी देर में खेत आ गया| खेत पर पहुँचते ही मैं और शालू गन्ने तोड़ने के लिए कहे में घुस गए और कुछ गन्ने तोड़कर सभी को दिए सभी ने गन्ने खाये लेकिन उस बाथरूम वाली लड़की ने गन्ना नहीं खाया|तो उसकी सहेलियों ने पूछा की तू गन्ना क्यों नहीं खा रही है तो उसने कहा की मुझे विशु का गन्ना खाना है तो उन सभी लड़कियों ने उसे मेरे पास गन्ने के खेत में भेज दिया| उस लड़की ने शालू के सामने ही मेरी पेंट की ज़िप खोलकर मेरा लंड निकाल लिया और उसे मुँह में लेकर चूसने लगी| उसे देखकर शालू शर्म के मारे वहाँ से चली गई लेकिन वो लड़की बेशर्म होकर मेरा लंड चूसने में लगी रही|थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उससे ट्यूबवैल वाले कमरे में चलने के लिए कहा तो वह तुरंत ही तैयार हो गई| जैसे ही मैं उस लड़की को लेकर वहाँ पहुंचा वैसे ही मोनिका ने बाहर से ताला लगा दिया| उसके बाद मैंने करीब 50 मिनट तक उसको चोदा और एक बार गांड भी मारी| उसके बाद हम दोनों ने कपडे पहने और बाहर आ गए और फिर हम सभी मटर के खेत में जाकर मटर तोड़ कर खाई| करीब आधा घंटे बाद मेरा लंड फिर से तन गया तो मैंने परी दीदी की दूसरी सहेली को उसी ट्यूबवैल वाले कमरे में जी भरके चोदा|उसके बाद हम दोनों ने कपडे पहनकर हम बाहर आ गए और इधर उधर खेत पर घूमते रहे | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | उसके बाद शाम होने पर हम सभी घर वापस आ गए|इसी तरह से हम लोग रोज़ाना खेत पर जाते और मैं दो लड़कियों की चुदाई हर एक घंटे के ब्रेक के बाद करता था सिवाय एक लड़की तृप्ती जो परी दीदी की पक्की सहेली थी और परी दीदी के साथ ही पढ़ती थी| उसकी चुदाई मैंने कुछ अलग तरह से की थी|बारात आने से दो दिन पहले हम सभी लोग जमीन पर गद्दे बिछाकर सोते थे तो रात को मेरी दोनों टाँगों के बीच बरमुडे के ऊपर से कुछ रेंगता सा महसूस हुआ| उसी समय मेरी आँख खुल गई लेकिन कमरे में अँधेरा होने के कारण मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया लेकिन मैंने ऐसा बिहेव किया जैसे मैं गहरी नींद में सोया हूँ| कुछ देर बाद जब बगल वाले कमरे में उजाला हुआ तो पता चला की शिखा मेरा लंड सहलाकर खड़ा करने की कोशिश कर रही है| कमरे में बांये हाथ पर कोने में मैं, उसके बाद शिखा, फिर तृप्ती, उसके बाद पायल और परी दीदी फिर शांती, मोनिका और परी दीदी की अन्य सहेलियाँ सोई हुई थी|कुछ देर बाद शिखा ने मेरा बरमूडा नीचे खिसकाकर पूरा उतार दिया और मेरा लंड चूसने लगी| करीब 20 मिनट बाद तृप्ती पेशाब करने के लिए उठी तो शिखा ने स्थिती को भाँपते हुए मेरे लंड को छोड़कर ऐसे हो गई जैसे उसने कुछ किया ही न हो|मेरा बरमूडा मुझसे करीब 10 फुट की दूरी पर पड़ा हुआ था जिसे उठाकर पहनना मेरे लिए मुमकिन नहीं था|जैसे ही तृप्ती ने कमरे की लाइट जलाई और वो मुझे देखे बिना पेशाब करने कमरे से अटेच बाथरूम में घुस गई और उसमें कॉक्रॉच होने के कारण वो तुरंत ही वापस आ गई| मुझे मेरा बरमूडा उठाकर पहनने का मौका नहीं मिला और मैं वैसे ही पड़ा रहा|लौटकर जब तृप्ती ने मुझे नीचे से नंगा देखा तो वो मेरा खड़ा लंड जो शिखा के चूसने के कारण कुछ गीला भी था तो दंग रह गई| करीब 5 मिनट तक वो मेरा लंड देखती रही और फिर कमरे के बाहर छत पर बनी नाली पर बैठकर मूतने लगी| और मूतते समय भी वो एकटक मेरे लंड को देखती रही|इस नज़ारे को मैंने और शिखा ने देखा| फिर तृप्ती ने कमरे की लाइट बंद की और सोने की कोशिश करने लगी| लेकिन मेरे लंबे और मोटे लंड को देखकर उसकी आँखों से नींद गायब थी लेकिन वो लेट गई और सोने की कोशिश करने लगी| कुछ देर बाद वो उठी और आकर मेरी रजाई में घुस गई और उसने मेरे लंड पर अपना हाथ धीरे धीरे चलानेे लगी और कुछ देर बाद उसने अपने कुर्ती को उतारा और मेरे नंगे लंड को सहलाने लगी फिर कुछ देर बाद उसने अपनी सलवार भी उतार दी| अब वो केवल ब्रा और पैंटी में ही मुझसे चिपक कर मेरे लंड को मुट्ठ मारकर धीरे धीरे सहलाने लगी| उसके नाज़ुक और मुलायम हाथों का स्पर्श पाकर मेरे लंड का सुपाड़ा एक बड़े मशरूम की तरह फूल गया| जैसे ही मेरा लंड लोहे की गरम रॉड की तरह गया वैसे ही तृप्ती ने अपनी ब्रा का हुक खोलकर अपने कबूतर आज़ाद कर दीये और फिर से मेरे लंड को ऊपर नीचे करके सहलाने लगी| उसके हाथों की हरकत से मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर सका और उसके मुँह की ओर करवट ली और उसे अपने बाहों में भरकर चूमने लगा| इधर शिखा हमारी हरकतों को देख रही थी और हमें देखकर इतनी गर्म हो गई थी की वो अपनी ऊँगली से अपनी चूत के दाने को मसलने लगी और जोर जोर से सिसकारियाँ भरने लगी| जैसा की आप जानते हैं की रात के सन्नाटे में यदी एक सुई भी गिर जाये तो उसकी आवाज़ भी साफ़ सुनाई देती है तो भला सेक्सी सिसकारियों की आवाज़ कैसे सुनाई नहीं देंगी| शिखा की सिसकारियों से ही हम दोनों डर गए और उसी रजाई में एक दम चुपचाप लेटे रहे और मैंने जल्दी से शिखा के मुंह पर अपना हाथ रखकर चुप कराने की कोशिश की तो मेरे हाथ का इशारा समझ गई और उसके साथ ही शिखा झड़ गई|फिर से मैं तृप्ती को अपने आगोश में लेकर चूम चाटकर सहलाने लगा| कुछ देर बाद हमने 69 की पोजीशन ले ली मतलब मैं पैंटी के ऊपर से उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरा लंड चाटने की कोशिश करने लगी लेकिन मेरा लंड काफी मोटा होने के कारण उसके मुँह में नहीं जा पा रहा था तो वो मेरे लंड के सुपाड़े को जीभ से चाटने लगी फिर मैंने धीरे से उसकी पैंटी को भी उसकी चूत से अलग करके उतार दी| उसकी चूत चाटने पर ही तृप्ती जोर जोर से सिसकारने लगी| उसकी सिसकारी सुनकर परी दीदी की आँख खुल गई और उन्होंने कमरे की लाइट जलाकर अपने बिस्तर से ही पूछा की तृप्ती क्या हुआ? तो तृप्ती ने परी दीदी से कहा कुछ नहीं एक चूहा शायद मेरे पैर पर होकर गुजरा है| परी दीदी ने तृप्ती की बात को नॉर्मली लेते हुए वो सोने की कोशिश करने लगी| इस बीच हम दोनों ही फिर से स्तब्ध हो गए और कुछ देर ऐसे ही रहे फिर मैंने तृप्ती के कान में कहा की सिसकारी ज्यादा मत लो वरना कोई न कोई फिर से जग जायेगा और हम चुदाई का मज़ा नहीं ले पायेंगे| इस बात को तृप्ती ने हाँ कहकर अपनी सहमती दी| इधर हम समझ रहे थे परी दीदी सो चुकी हैं लेकिन वो अपने बिस्तर पर आँखे बंद करके रजाई में लेटी हुई थी| करीब 10 मिनट बाद तृप्ती जो बिलकुल नंगी थी ने उठ कर परी दीदी के पास जाकर देखा तो तृप्ती को एकदम नंगी देखकर अचंभित रह गई लेकिन उन्होंने उस समय कुछ कहा नहीं और उन्होंने ऐसे बिहेव किया जैसे की बहुत गहरी नींद में हो| खैर तृप्ती ने समझा की परी दीदी सो चुकी हैं तो उसने लौटकर आव देखा न ताव सीधे मेरा लंड पकड़ा और उस उस पर अपनी जीभ फिराने लगी| मैं उत्तेजना के कारण सिसकारी भरने लगा| मेरी सिसकारी भरने से परी दीदी भी हमें चोर नज़रों से अपनी रजाई में से देख रही थी और अपनी सलवार खोलकर उंगली से अपनी चूत सहला रही थी|परी दीदी के चूत सहलाने की वजह से बगल में सो रही पायल को परी दीदी के हाथ टकराने की वजह से पायल भी जाग गई| जब उसने अपनी बड़ी बहन की नीचे से नंगा देखा तो पायल ने कुछ कहना चाहा तो परी दीदी ने उसके मुँह पर हाथ रखकर मेरी और तृप्ती की ओर हाथ से इशारा किया तो पायल अपनी बहन को छोड़कर अपनी रजाई में से हमारी तरफ करवट लेकर लेट गई और हमारी ओरल सेक्स की लाइव टेलीकास्ट देखने लगी और उसने भी अपनी सलवार खोलकर ऊँगली से अपनी चूत सहलाने लगी| तब तक मैं और तृप्ती 69 की पोजीशन में आ चुके थे मतलब मैं तृप्ती की चूत चाट रहा था और तृप्ती मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी जीभ से चाट रही थी| तृप्ती की जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर लगने के कारण मेरे लंड का सुपाड़ा एक बड़े मशरूम की तरह फूल गया जिसे देखकर परी दीदी और पायल इतनी उत्तेजित हो गई की वो दोनों आपस में एक दूसरे की चूत में ऊँगली करने लगी| आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | इधर तृप्ती मुझसे कहने लगी की विशु अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा है तू जल्दी से अपना मूसल मेरे अंदर डाल दे| मैंने भी मौके की नज़ाकत को देखते हुए तृप्ती टाँगो के बीच आ गया और उसकी चूत जो मेरे चाटने से काफी हद तक गीली हो चुकी थी पर अपने लंड को रगड़ने लगा| लेकिन तृप्ती के जीभ से चाटने की वजह से मेरा लंड और मेरे चाटने की वजह से तृप्ती की चूत दोनों ही थूक से गीले होने के कारण मेरा लंड बार बार फिसल रहा था तो तृप्ती ने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़कर चूत के छेद पर लगाया और मैंने पूरी ताकत के साथ एक कस कर धक्का लगा दिया जिस कारण तृप्ती की एक जोरदार चीख निकल गई| तृप्ती के चीखने के कारण परी दीदी और पायल जो अपनी काम वासना को शाँत करने में लगी हुई थी को छोड़कर हमारी तरफ देखने लगी| मेरे जोरदार धक्के से मेरा लंड तृप्ती की चूत में करीब 2.5 इंच तक घुस गया था जिससे तृप्ती दर्द के कारण तड़पकर बोली की विशु बाहर निकाल ले अपना लंड, मुझे नहीं चुदना लेकिन मैंने तृप्ती के कहने का कोई भी असर नहीं हुआ और फिर मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचकर एक और जोरदार दूसरा धक्का लगा दिया और इस बार मैंने दूसरा धक्का लगाने से पहले तृप्ती के होठों पर अपने होंठ रख दिए जिसके कारण तृप्ती की चीख तो नहीं निकल पाई लेकिन दर्द की वजह से उसकी आँखे जरूर बाहर की तरफ आ गई थी लेकिन मैंने तृप्ती पर कोई रहम न करते हुए तीसरा और आखरी जोरदार धक्का लगा दिया जिससे मेरा 9 इंच का लंड पूरा तृप्ती की चूत में घुस चुका था लेकिन तृप्ती दर्द के कारण बिना पानी की मछली की तरह तड़प रही थी तो मैं थोड़ी देर के रुक गया और उसके होठों को छोड़कर उसकी चूचियों के निप्पल चूसने लगा जिससे तृप्ती का कुछ दर्द कम हुआ| फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू किया| जिससे तृप्ती को कुछ देर बाद मजा आने लगा और वो अपनी कमर को नीचे से उचकाने लगी और साथ साथ मदहोशी के साथ बड़बड़ाने लगी की हाय विशु बहुत मजा आ रहा है| फाड़ दो मेरी चूत को और इसका भोसड़ा बना दो| फाड़ दो विशु फाड़ दो कम फ़ास्ट| थोडा जोर से पेलो विशु और जोर से मुझे बहुत मज़ा आ रहा है और तेज और तेज हाँ ऐसे ही और तेज| उसके बड़बड़ाने से मुझे जोश आ गया और मैं जोर जोर से धक्के देने लगा|इसके साथ ही तृप्ती झड़ गई और शाँत हो गई लेकिन मैं नहीं झड़ा थी इस्लिये मैं लगातार धक्के लगाता रहा| इसी तरह से करीब 50 मिनट तक अलग अलग आसनों में तृप्ती को चोदा| जब मैंने तृप्ती से कहा की मैं भी झड़ने वाला हूँ तो उसने कहा की मुझे कोई खतरा नहीं है इस्लिये बीज मेरी चूत में ही दाल दो और मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो|करीब 10 मिनट तक मैं तृप्ती को लगातार चोदता रहा तब कहीं जाकर मेरे लंड से पिचकारी निकली और मेरे बीज से तृप्ती की चूत लबालब भर गई| और मैं थककर तृप्ती के ऊपर ही लुढक कर गिर गया| जब मैं तृप्ती को चोदकर जैसे ही उसके ऊपर से उठा वैसे ही तृप्ती की नज़र मेरे सुकड़े हुए लंड पर गई जो मेरे बीज, तृप्ती के रज और झिल्ली के फटने पर निकला खून से सना हुआ था| मेरे लंड पर खून लगा देखकर वो एक दम से डर गई| और फिर बारी बारी से अपनी चूत और मेरे लंड को देखने लगी| कुछ देर बाद उसकी नज़र उस बेडशीट पर गई जिस पर लेटकर मैंने तृप्ती की चुदाई की थी वो एक बड़े गोल घेरे में खून से लाल हो चुकी थी| जैसे ही मैं तृप्ती को चोदकर चुका था वैसे ही परी दीदी और पायल भी एकदम नंगी होकर आ गई और मुझसे परी दीदी ने कहा की विशु हमें भी चोद दे| उन दोनों को नंगी देखकर मैं दंग रह गया और मैंने परी दीदी से कहा की आप तो मेरी बड़ी बहन हो, मैं भला आपके साथ ये हरकत कैसे कर सकता हूँ तो पायल ने तपाक से कहा की उंगली से चूत की आग ठंडी नहीं होती | चूत की आग हमेशा लंड से ठंडी होती है और तुम्हारा लंड तो किसी नसीब वाली लड़की को मिलता है और फिर हम खुद तुम्हारा लंड अपनी चूत में माँग रही हैं तो तुम्हे हमारी चुदाई करने में क्या दिक्कत है इसलिए शर्म छोड़कर हमारी चुदाई करो | काफी समझाने बुझाने के बाद भी वो दोनों नहीं मानी तो मजबूरन मुझे परी दीदी और पायल की सील तोड़नी पड़ी | तो दोस्तों परी दीदी और पायल की सील तोड़ने की कहानी फिर कभी आगे लिखुंगा यदी आप लोग मुझे अपना प्यार दोगे |
कृपया आप लोग मुझे अपनी राय नीचे लिखी इ-मेल आई0 डी0 पर भेजें [email protected]