नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम सैंडी है, मैं गुडगाँव में रहता हू. बात उस टाइम की ह जब म अपनी इंजीनियरिंग कर रहा था. मैं बठिंडा में रहता था.वह मेरे पापा जी की जॉब थी. हमने अपना घर लिया हुआ था.
बस मैं और मेरे पापा जी ही रहते थे. 2 रूम हमने किराए पर दिए हुए थे.वो किरायेदार में एक अंकल आंटी और उनका एक बेटा था. अंकल की आगे 45 – 48 के पास होगी और आंटी 29 की थी, उनका बेटा 10 साल का था,
अंकल हमेशा बिजी रहता था. रात को 10-11 बजे आता था. चाची हमेशा उदास रहती थी.
जब भी मैं अकेला होता तो मेरे पास आ जाती थी और हस हस कर बातें करती थी.लेकिन उनकी आँखों में हमेशा गाम रहता था |
शनिवार के दिन मेरा ऑफ रहता था.चाची मेरे पास आयी क्योंकि उनका बेटा स्कूल चला गया था.
पापा जी ऑफिस थे.वो मुझसे बातें करने लगी.
तो मैंने पूछ ही लिया कि आपकी आँखों में इतनी उदासी क्यों रहती है.
तो उनकी आँखों से आंसू आ गए.वो मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगी.
मैं उनका फिगर बताना तो भूल ही गया. उनका फिगर 36-30-36 था. चलो आगे.मैंने पूछा कि क्या हुआ? क्या बात है?
तो बोली कि मेरी शादीके 2 साल के बाद से ही मेरे पति मुझे कोई सुख नही दिया है.मैं बहुत प्यासी हूं. प्लीज मेरी प्यास बुझा दो. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैं जब से यहाँ आयी हु तुझे देखती रहती हूं. तुझे काफ़ी बार मुठ मरते भी देखा ह.क्या तुम मुझे वो सब दे सकते हो?
मैं क्या बताऊँ दोस्तों, मैं भी उन्हें चुप चुप क्र देखता था.
वो इतना ही बोलते ही मुझे किस करने लगी.मेरा लुंड तो पहले ही खड़ा हो चुका था. उसने गाउन पहना हुआ था.
वो इतनी एक्सीटेड थी कि उनसे पहले ही मेरे कपड़े उतार दिए और मेरा लुंड चूसने लगी.
मैंने तुरंत उनका गाउन उतार के फ़ेंक दिया और खुद भी फटाफट नंगा हो गया। चाची मेरे लम्बे लौड़े को देख कर बोलीं- तुम तो सच में राक्षस हो।
मैंने चाची को बिस्तर पर धकेल कर गिरा दिया।
चाची ब्रा-पैंटी में एकदम कच्ची कली लग रही थीं, उनके 36 के चूचे मेरे लण्ड को दावत दे रहे थे।
चाची बोलीं- आराम से मेरे राजा.. अब तुम चाहे जो करो.. बस मार मत डालना अपनी चाची को।
मैंने कहा- डरो मत मेरी रानी.. आज मैं तुमको कुतुबमीनार पर बैठा कर एक सेक्सी दुनिया की सैर करवाऊंगा।
उसके बाद चाची से एकदम चिपक कर खूब जम कर उनके होंठ जीभ गर्दन चूसी और उनके चूचे दबाए। उसके बाद उनकी ब्रा भी फाड़ दी।
उसके बाद उनकी पैंटी उतार कर उंगली उनकी चूत में डाल दी और निप्पल चूसने लगा।
इस तरह चाची एकदम मस्त हो गईं.. और बोलीं- अब डाल दो.. रहा नहीं जा रहा है।
मैंने उनको सीधा लिटाया और उनके ऊपर चढ़ कर लण्ड उनकी चूत पर सटा कर धीरे-धीरे अन्दर डालने लगा।
चाची ने हल्की-हल्की आवाज करते हुए मेरा पूरा लंड अपनी चूत के अन्दर ले लिया।उसके बाद तो मैं पूरे जोर-शोर से ‘हचाहच..’ पेलने लगा। पूरा कमरा ‘आआआहह.. मर गई.. आआह ओओह.. उई माँ.. मर जाउंगीं जैसी आवाजों से गूंजने लगा। आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | इससे मुझे और जोश आ रहा था।
इसके बाद चाची ने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर उछलने लगीं।
लगभग दस मिनट की सामान्य चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
मैंने पूरा माल चाची की चूत में ही डाल दिया और बेसुध हो कर उनके ऊपर ही पड़ा रहा।उस दिन के बाद से जब भी समय मिलता है.. तब मैं चाची की जोरदार चुदाई करता हूँ
फिर मैं गुडगाँव शिफ्ट हो गया. आज भी मुझे ऐसी चाची की तलाश है |
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