गतांग से आगे …नेहा गज़ब की मजबूत और हौसले वाली निकली. ये उसका पहला संभोग था लेकिन उसने मेरा पहली बार में ही लगातार एक घंटे तक डटकर मुकाबला किया. नेहा के बाद मैंने वंदना और शीतल के साथ भी हमेशा की तरह संभोग किया. नेहा ने इसका भी पूरा मजा उठाया. हमने इसके बाद एक और दौर किया. इसमें मैंने तीनों को लिटाकर एक के बाद एक बारी बारी से अपने लंड से भेदा. इस दौर के बाद हम फ्रेश होने के लिए नहाने लगे. नेहा ने रात को रुकने की इच्छा जाहिर की. मैंने हामी भर दी. पहले हम खाना खाने बैठे. खाने के बाद शीतल का मनपसंद इट एंड किस किया. सभी आइसक्रीम खाते खाते एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ डालकर उसकी आइसक्रीम खाते और खिलाते. इस दौरान नेहा एक बार बेकाबू हो गई. रात को भी मैंने तीनों के साथ संभोग के लम्बे लम्बे दो दौर किये. रात को कोई डर नहीं था इसलिए मैं रुक रुक कर लंड डालता , फिर निकालता और फिर डालता. इससे लम्बे समय तक आनंद मिलता रहा. नेहा की तो एक तरह से सुहागरात ही मन गई थी. देर रात तीन बजे तक हम संभोग करते रहे. इसके बाद हम एक ही बिस्तर में आपस में पूरी तरह से लिपटकर सो गए. सवेरे नेहा की आँख जल्दी खुल गई. उसने एक बार फिर मुझसे संभोग की फरमाइश की. मैंने नेहा के साथ पिछले बारह घंटे के अन्दर चौथी बार संभोग किया था. वंदना और शीतल अभी भी सो रही थी. मैं उनसे लिपटकर सो गया. नेहा ने कहा कि वो अब जा रही है. नेहा दरवाजा खोलकर बाहर निकली. उस वक्त सवेरे के आठ बज रहे थे. कमलेश ऑफिस जा रहा था. रोशनी उसे छोड़ने बाहर आई हुई थी. उसने नेहा को हमारे घर से निकलते देखा तो वो चौंक गई. उसने फिर नेहा के अस्तव्यस्त कपड़ों और बिखरे बालों तथा चेहरे के भावों से बहुत कुछ अंदाजा लगा लिया. उसने हमारे बेडरूम की खिड़की के पास आकर थोडा जोर लगाकर दरवाजे को अन्दर धकेला तो दरवाजा खुल गया. सवेरे कि रौशनी में रोशनी ने हम तीनों को पूरी तरह से नग्नावस्था में एक दूसरे से लिपटे हुए देख लिया. उसका दिमाग तेजी से दौड़ने लगा. वो कुछ देर वहीँ पर खड़ी रही. इस बीच वंदना और शीतल भी जग गए थे. मैंने एक बार फिर उन दोनों को पास पास लिताकत उन पर लेटकर संभोग करने लगा. आज रविवार होने कि वजह से छुट्टी थी और मैं पूरी तरह से मजा ले रहा था. रोशनी ने जब मुझे इस तरह वंदना और शीतल के साथ संभोग करते देखा तो उसका दिल ना जाने क्यूँ बहुत तेज धडकने लग गया. वो काफी देर तक हमें देखती रही फिर चली गई. सवेरे नाश्ते के बाद मैं बाहर अखबार पढ़ रहा था. रोशनी मेरे पास आई. हमने एक दूजे को नमस्ते किया. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रोशनी ने बड़ी ही बेशर्मी के साथ मुझसे पूछा ” नेहा रात को आपके वंदना और शीतल के साथ एक ही बिस्तर में सोई थी क्या? मैंने उसे बाहर निकलते देखा तो उसकी हालत से मुझे सब पता चल गया. फिर आपके बेडरूम की खिड़की से मैंने आपको वंदना और शीतल के साथ सब कुछ करते देख लिया. आप तो बहुत ही किस्मत वाले हो. कहाँ तो लोग एक अच्छी रात के लिए तरस जाते हैं और कहाँ एक मर्द तीन तीन औरतों के साथ लगातार बारबार संभोग करता है. मुझे आज ऐसा लग रहा है कि आपकी किस्मत में एक नहीं ; दो नहीं ; तीन नहीं बल्कि चार चार औरतों का एक साथ रात बिताने का सुख लिखा हुआ है. वो चौथी औरत मैं हूँ. मैं सबको बता दूंगी अगर आपने मुझे अपने साथ नहीं सुलाया तो. कमलेश बहुत ही ठंडा आदमी है. शादी के तीन साल के बाद भी मैं एक भी रात ऐसी नहीं गुजारी जैसी आप हर रोज गुजारते हो. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. हम सब खूब मौजमस्ती करेंगे. मेरे ख़याल से आपको कोई ऐतराज नहीं होगा.तो क्या हम आज दोपहर से ही यह खेल श्रुरू कर सकते हैं?” एक ही सांस में रोशनी कि इस बात ने मुझे कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं रखा. शीतल और वंदना ने भी रोशनी की सारी बात सुन ली थी. वंदना ने बाहर आकर रोशनी से कहा ” हमें कोई ऐतराज नहीं है राकेश. हम तो ऐसे सभी की ज़िन्दगी और सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने का काम करते हैं. तुम्हारा दोपहर को जबरदस्त स्वागत किया जाएगा.” रोशनी मुस्कुराते हुए चली गई. मैं सोचने लगा कि अब क्या चार चार को कैसे संभालूँगा. दोपहर में रोशनी आ गई. उसने आते ही एक मुस्कान मेरी तरफ फेंकी. कुछ ही देर में मैं वंदना और शीतल को लेकर रोशनी के साथ बेडरूम में था. रोशनी की मैंने भरपूर प्यास बुझाई. लगातार दो घंटे तक मेरा लंड रोशनी के चूत के अन्दर बाहर होता रहा. जब रोशनी ने अपने थक जाने का संकते किया तब वंदना और शीतल की बारी आई. रोशनी दुबारा मेरे साथ हुई लेकिन तभी उसे अपने घर के बाहर कार के रुकने कि आवाज आई. शीतल ने देखा और बताया कि कमलेश आ गया है. उस वक्त मेरा लंड रोशनी के चूत के काफी अन्दर तक गया हुआ था और रोशनी बहुत आनंद में थी. उसने मुझसे कहा ” कुछ देर तक जारी रखो. उसके पास दूसरी चाबी है. मैं थोड़ी देर के बाद चली जाऊंगी.” कमलेश दरवाजा खोल भीतर चला गया. रोशनी इसके बाद करीव आधा घंटा और मेरे संग आनंद में रही. उसके बाद कपडे पहनकर अपने घर चली गई. रोशनी के बाद हम तीनो ( मैं ; वंदना और शीतल ) संभोग में जुट गए. शाम को जब हम काफी मजा ले चुके तो अलग हो गए. करीब सात बजे नेहा आई. उसने कहा कि आज कोई फैक्ट्री से उस इलाके में गैस लीक हुई इसलिए बाजार आठ बजे से ही खुलेगा. उसे अपनी इच्छा पूरी करवानी थी. दोपहर से शाम तक करीब चार घंटे मैं रोशनी; वंदना और शीतल के साथ संभोग से पूरी तरह थक गया था. लेकिन नेहा का गठीला जिस्म भी छोड़ना नहीं चाहता था. वंदना और शीतल रात के खाने की तैय्यारी में थी. मैं नेहा के साथ सोफे पर ही शुरू हो गया. आधे घंटे तक मैंने नेहा की प्यास बुझाई. नेहा लौट गई. खाने के बाद हम तीनों थोडा टहलने के लिए घर के बाहर निकल गए. जब हम टहलने के बाद घर लौट रहे थे तो मैंने देखा कि कमलेश एक बार फिर शायद फैक्ट्री जाने के लिए गाडी में बैठ रहा है. जैसे ही कमलेश की कार रवाना हुई रोशनी हमारे साथ ही हमारे घर में आ गई. रोशनी मेरे साथ हो गई. हम एक दूजे को केवल चूम रहे थे. इसका कारण दिन भर का संभोग का खेल था. वंदना और शीतल भी आपस में लिपटे इसी तरह चूम रहे थे. हम फिर चारों एक साथ हो गए और चूमने लगे. यह काफी देर तक धीरे धेरे चलता रहा. रोशनी ने कहा कि कमलेश अब सवेरे ही लौटेगा. जैसे जैसे रात जवान होने लगी वैसे वैसे एक बार फिर हम पर नशा चढ़ने लगा था. हवा बहुत ठंडी चल रही थी मैंने बेडरूम में अँधेरा कर सारी खिड़कियाँ खोल दी. करीब ग्यारह बजे हम बिस्तर में घुस गए. हम सभी ने सारे कपडे उतार दिए. ठंडी हवाओं ने माहौल बहुत सुहावना और मदमस्त कर दिया. वंदना; शीतल और रोशनी आपस में लिपट लिपट कर इधर उधर एक दूसरे को गिराकर खेलने लगी. बरामदे की नाईट लेम्प की रौशनी में उनके इस खेल से मेरे जिस्म में भी सुरसुरी पैदा कर दी. मैं भी अब उनके साथ शामिल हो गया. मैं उनमें से किसी एक को अपने करीब लेकर नीचे बिस्तर पर धक्का देता. फिर कोई भी दूसरी उस पट गिरकर उसे चूमने लग जाती. जो गिरती वो उस दूसरी से अपने को बचाने का प्रयास करती. यह खेल हमारी दोपहर से शाम तक में हुई थकान को मिटाकर एक नै भूख और उर्जा भर रहा था.
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