गतांग से आगे …..
” मैंने बिना कोंडोम ही कविता के जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. कविता ने मुझे मना किया और कोंडोम लगा दिया. लगातार जोर लगाकर हम दोनों ने अपने को थका लिया. अब कविता ने मेरे होंठों को इतने जोर से चूसा कि मेरे लिंग से बहुत ही तेज धारा निकली और कविता के जननांग में एक सैलाब आ गया. हम दोनों ने बहुत कम समय में बहुत मजा ले लिया था. हमने कपडे पहने और मैं अपने कमरे में आकर सो गया.
सवेरे एक और मौका मिलता दिखाई दिया. कविता के पति दस बजते ही ऑफिस चला गया. मेरी ट्रेन दो घंटा देर हो गई. मैं कविता के घर पर ही रुक गया. कविता बहुत खुश हो गई. मैं और कविता एक बार फिर आपस में नंगे होकर लिपटे हुए थे. इस बार कविता की इच्छा पूरी हुई. मैंने लगातार पूरे दो घंटों तक कविता के जननांग को इतनी जोर से भेदा कि उसके आसपास गहरे लाली छा गई. कविता पूरी तरह से थककर पलंग पर लेती हुई थी. वो मुस्कुरा रही थी लेकिन उसके शरीर में कोई हलचल नहीं हो रही थी.
मेरी लंड चूसने की दीवानगी की हद
मैंने एक कोंडोम कविता से लिया और उसे अपने लिंग पर चढाते हुए कविता के ऊपर चढ़ गया. कविता का जननांग जैसे मेरे लिंग का ही इंतजार कर रहा था. मेरा लिंग एक सेकंड में उसमे घुस गया. लिंग के घुसते ही मेरे लिंग ने जैसे बौछार कर दी. कविता जोर से सिसकी और मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाकर मी मुंह में ढेर सारा लार का पानी छोड़ गई. उसके ठन्डे लार के पानी ने मुझे नशे में कर दिया. मैंने उसे चूमा और हम अलग हो गए.
जब मैं रवाना हुआ तो कविता बोली ” आज ये तय रहा कि हम हमारा ये रिश्ता जारी रखेंगे. जब भी मौका मिलेगा हम यह सब करते रहेंगे. किसी से ना कहना.”
मैं और शिल्पा शादी के बाद सेक्स का पूरा पूरा मजा लेकर जी रहे थे. शिल्पा अपने शरीर का पूरा ध्यान रखती थी. वो हर दो-तीन सप्ताह के बाद ब्यूटी पार्लर जाती और अपने शरीर को चिकना करवाकर आती. एक दिन वो ब्यूटी पार्लर गई .वो अपने साथ पर्स ले जाना भूल गई. उसने मुझे वहां से फोन किया. मैं रुपये लेकर पार्लर पहुंचा. जैसे ही मैंने पार्लर के काउंटर पर रूपये देने के लिए रखे तो सामने उसी लड़की को देखा जो मेरी शादी के दिन मेरे और कविता के साथ सेक्स में शामिल हुई थी. मैं पसीने पसीने हो गया. तभी शिल्पा बाहर आ गई. उस लड़की ने मुझे बाय कहा और मुस्कुराने लगी.
उस दिन तो मैं घर लौट आया लेकिन मन में यह डर घर कर गया कि कहीं यह लड़की शिल्पा को कुछ बता ना दे. हर समय मेरा मन इस अनजाने दर से घबराने लग गया था।
रविवार का दिन थ। मै और शिल्पा नाश्ता कर रहे थे कि डोर बेल बजी। शिल्पा ने दरवाजा खोला मैने देखा कि ब्यूटी पार्लर वाली लडकी थी। मै पसीने पसीने हो गया। वो लडकी मुस्कुराते हुए शिल्पा के साथ भीतर आ गई. शिल्पा ने मुझसे कहा ” मेरी और दीपू की अच्छी दोस्ती हो गई है. दीपू ने कहा है कि अब वो घर आकर ही सब कर देगी और मुझे इसके ब्यूटी पार्लर नहीं जाना पडेगा.” मैं समझ गया कि दीपू कोई गुल जरुर खिलाएगी. मैं सिर्फ हंस कर रह गया. दीपू चाय पीते पीते मुझे लगातार देखकर मुस्कुरा रही थी.
करीब एक सप्ताह के बाद शाम को जब मैं घर लौटा तो दरवाजा दीपू ने खोला. मैं चौंक गया. दीपू बोली ” शिल्पा मैडम का वेक्सिंग का काम चल रहा है. वे अन्दर लेटी हुई है.” मैं चुपचाप अपने कमरे में आ गया. कुछ देर के बाद शिल्पा ने मुझे आवाज दी और मैं बेडरूम में गया. शिल्पा केवल ब्रा और पैंटी में लेटी हुई थी और दीपू शिल्पा का मसाज कर रही थी. शिल्पा ने मुझे देखा और बोली ” तुम भी मसाज करवा लो. दीपू बहुत अच्छा करती है.” मैंने मना किया. दीपू ने आँख मारकर मुझे ईशारा किया. मैं समझ गया कि वो मुझे धमकी दे रही है. दीपू ने मेरी कपडे उतारने में मदद की.
मैं केवल अंडर वेअर में बिस्तर पर लेट गया. दीपू मेरा मसाज करने लगी. दीपू ने मसाज करने से पहले अपना कुर्तिदार टॉप खोल दिया. उसने अन्दर एक स्लीव लेस टॉप पहना हुआ था जिसका गला काफी नीचे तक खुला हुआ था. दीपू ने मसाज शुरू किया. वो बहुत नीचे झुक कर मसाज कर रही थी. इससे उसके सीने के उभार मुझे छु रहे थे. दीपू ने मेरे कान में धीमी आवाज में पुछा ” उस दिन वो लड़की कौन थी?”
मैंने आँख दिखाई और छुप रहने का ईशारा किया. दीपू ने अब शिल्पा के चेहरे पर मसाज कर फेसियल उतरा और कहा ” आप अपना चेहरा धो आइये.” शिल्पा जैसे ही बाथरूम में गई दीपू ने मेरे होंठ चूमे और मेरे ऊपर लेट गई. दीपू ने अपने सीने से मुझे दबाया और बोली ” एक दिन शिल्पा के साथ उस दिन की तरह हम तीनों करें क्या?” मैंने गुस्से से कहा ” बिलकुल भी मत कहना. ऐसा सोचना भी मत.” दीपू ने एक बार फिर मेरे होंठ चूमे और वापस खड़ी होकर मसाज करने लग गई.
मन्दाकिनी का संपूर्ण चोदन-1
मेरी चिंता अब बढती जा रही थी. शिल्पा इन सब से बेखबर थी. करीब एक महीने के बाद दीपू एक बार फिर रविवार के दिन घर आई. शिल्पा की उसने वेक्सिंग की और फिर उसे फेसियल लगाया. दीपू ने आज शिल्पा की आँखों पर ककड़ी के टुकड़े रख दिए. शिल्पा पलंग पर लेट गई. मैं बाहर ड्राइंग रूम में था. दीपू आई और मेरे गोद में बैठ गई. उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी अपनी मजबूरी देखते हुए दीपू को चूम लिया. मैंने दीपू के साथ एक लंबा फ्रेंच किस भी किया. तभी दीपू उठाकर शिल्पा के पास चली गई. मैंने राहत महसूस की.
एक दिन इसी तरह शनिवार के दिन दीपू घर आई हुई थी. मेरी शनिवार को आधी छुट्टी रहती है. मैं जब घर पहुंचा तो दीपू शिल्पा को सोप मसाज दे रही थी. मैं चौंक गया. मेरे दिमाग में तुरंत आया कि दीपू ने शुरुवात कर दी है. दीपू केवल ब्रा और पैंटी में थी और शिल्पा ने केवल पैंटी पहन रखी थी. शिल्पा के पूरे बदन पर ढेर सारा साबुन का झाग था. उस वक्त दीपू शिल्पा के स्तनों को झाग के साथ मसल रही थी और शिल्पा बहुत आनंद के साथ यह सब करवा रही थी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
दीपू ने जैसे ही मुझे देखा उसने आँख मारी और शिल्पा के स्तनों को मसलते मसलते अचानक उन्हें अपने होंठों से थोडा सा चूम लिया. शिल्पा ने एक बहुत ही मीठी आवाज निकाली. दीपू ने एक बार फिर शिल्पा के स्तनों को चूम लिया. शिल्पा मचल गई. दीपू ने शिल्पा की इस हालत का फायदा उठाया और शिल्पा के पास लेट गई और उसे बाहों में भर लिया. शिल्पा ने आन्ल्खें खोली. दीपू बोली ” मैडम ; आप लेटी रहिये. मैं एक अलग तरह का मसाज कर रही हूँ.” शिल्पा लेटी रही.
दीपू ने अब शिल्पा के जिस्म पर खुद को लिटा लिया और एक मर्द की तरह उसे दबाने लगी. शिल्पा को शायद बहुत ही मजा आया. उसने भी दीपू को गालों पर चूम लिया. अब शिल्पा ने भी दीपू के चुम्बनों का जवाब उसी तरह से देना शुरू किया. मैंने ईशारे से दीपू को नहीं करने के लिए कहा लेकिन दीपू लगातार मुझे आँख मार मारकर मुस्कुरा रही थी. मैं खिड़की की आड़ से उन दोनों को देख रहा था.
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