चुदासी गैंग की लडकियों की चुदाई

गतांग से आगे … करीब साढे बारह बजे थे. बेडरूम कि सदक्वाली खिड़की में से नेहा की आवाज आई ” वंदनाजी; दरवाजा खोलिए मैं हूँ नेहा.” हम सभी और भी खुश हो गए नेहा के भी आने से. शीतल ने दरवाजा खोल नेहा को भीतर ले लिया. नेहा को जब रोशनी के आने का पता चला तो वो बहुत खुश हुई. उसे कमलेश के बारे में सब पहले से ही पता था. नेहा भी अब अपने सभी कपडे उतार हमारे इस खेल में शामिल हो गई. एक बजे के करीब वंदना ने मुझे कसकर पकड़ा और अपने ऊपर लेटने को कहा. मैंने वंदना के साथ संभोग करना शुरू किया. शीतल ने रोशनी को लिटाकर उसकी टांगें फैलाकर उसके चूत पर अपना चूत ले जाकर दोनों को आपस में रगड़ना शुरू किया. रोशनी के लिए यह पहला अनुभव था. उसे बहुत ही मजा आया. नेहा ने अब शीतल को लेकर अपने चूत को उसके चूत से रगडा. रोशनी को बहुत मजा आ रहा था. उसे उत्तेजना को काबू में नहीं लाना आया. उसने एक तकिये को अपनी टांगों के बीच में दबाया और इधर उधर लोटने लगी. मैंने वंदना को छोड़ा और रोशनी को ले लिया और जल्दी ही उसके गुदगुदे गीले कुंवे में मेरा लंड फंस गया. वंदना आराम कर रही थी जबकि शीतल और नेहा का खेल जारी था. रोशनी के बाद अब शीतल मेरी गिरफ्त में थी. शीतल ने अपने चूत को तीनों के चूत के साथ बहुत रगडा था इसलिए आज उसका गुदगुदा चूत आज बहुत ही गीला और रस से लबालब भरा हुआ था. मैंने बहुत तेजी से अपना कड़क हुआ लंड बहुत ही भीतर तक धकेल दिया. शीतल इस जोर के एक ही झटके में जैसे पस्त हो गई. उसे एक असीम संतोष मिला. नेहा अब रोशनी के साथ लिपट गई और दोनों के चूत आपस में एकदम करीब से सट गए. दोनों के होंठ भी एक दूसरे से सट गए. हर तरफ रंगीन और रस से भरा हुआ माहौल था. मैंने एक एक कर चारों के गाढे रस से लबालब भरे कुओं को अंतिम गहराई तक दो दो बार भेद चुका था. वे चारों पूरी तरह से पस्त पड़ी थी और मैं भी. देर रात के करीब दो बज गए थे. हम सब को नींद भी आ गई. हम सभी एक ही डबल बेड पर आपस में लिपट कर सोये हुए थे. सवेरे करीब साढे छह बजे थे कि अचानक रात भर चलती ठंडी हवाएं तेज बारिश में बदल गई. हमारे घर के पिछले वाले बगीचे और कमरे के बीच एक खुला चौक था. मैंने सभी जगा दिया. हम सभी उसी नग्नावस्था में उस चौक में आ गए. बहुत जोरों से बारिश हो रही थी. इस वक्त तक अच्छी खासी रौशनी हो जाती है लेकिन गहरे काले बादलों कि वजह से रौशनी बहुत काम थी. हम उस बारिश में नहाने लगे. एक दूसरे के ऊपर गिरकर बहनेवाले पानी को सभी आपस में चाटने लगे. बहुत मजा आ रहा था. वंदना को ना जाने क्या सुझा कि उसने उस चौक में नाली को एक कपडे बंद कर दिया. घर के ऊपर कि छत का सारा पानी भी उसी चौक में गिर रहा था. बारिश मुसलाधार थी. चौक थोडा नीचा था इसलिए उसके चारों तरफ करीब डेढ़ फुट की दीवार थी. उस चौक में अब पानी भरने लग गया. थोड़ी ही देर में पूरा चौक लबालब भर गया. शीतल और नेहा उसमे पानी उछालकर नहाने लगे. मैंने वंदना को पाने से लिपटाया और पानी के अन्दर ही सम्भोग करने लगा. अब थोड़ी रौशनी भी हो गई थी. हम सब के नंगे जिस्म साफ़ साफ़ दिख रहे थे. मुझे और वंदना को पानी से भरे तालाब में संभोग करता देख सभी को करने कि इच्छा हो गई. मैंने एक बार फिर सभी के साथ संभोग किया. पानी के अंदर हम सभी को बही गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा उससे कहीं ज्यादा आ रहा था. सभी के संभोग के बाद हम पानी में घुटनों के बल एक दूसरे से सट कट बैठ गए और बारी बारी से फ्रेंच किस करने लगे. बरसता पानी और उस पर फ्रेंच किस. उत्तेजना हद से ज्यादा बढ़ गई. नेहा ने शीतल के साथ जो फ्रेंच किस किया वो सबसे ज्यादा हॉट और सेक्सी था. शीतल ने नेहा के मुंह को पूरा खुलवाया और उसमे अपनी पूरी जीभ अन्दर ले गई और उसे अन्दर फिरा फिरा कर नेहा की जीभ के गीलेपन को चूसने लगी. नेहा ने भी यही दोहराया. अब तो सभी ने आपस में यह किस किया. आखिर में हम पाँचों ने एक दूसरे को कास कर पकड़ा. फिर एक साथ हम सभी अपनी अपनी जीभें निकाली और सभी ने आपस में टाच करा दी. मैंने अब सभी को अलग होकर अपने अपने घर जाने को कहा. एक यादगार रात और दिन बीत गया था. हम पाँचों का यह खेल लगभग दो महीने तक और चला. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक दिन कमलेश ने रोशनी को मेरे बेडरूम में आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उन दोनों का आपस में बहुत झगडा हुआ. कमलेश का मुझसे भी झगड़ा हुआ. धीरे धीरे यह बात उस पूरी कोलोनी में सब को पता चल गई. सभी हम तीनों को घृणा की नजर से देखने लगे. मैंने आनन् फानन में वो नौकरी छोड़ दी. मुझे दो दिन के अन्दर ही दमन में नौकरी मिल गई. मैं वंदना और शीतल के साथ वहां के लिए रवाना होने लगा. नेहा भरी आँखों से हमसे मिलने आई. उसने कहा ” मैं भी जानती हूँ कि जो भी हम करते रहे हैं वो गलत है और अवैध है. लेकिन हम अपनी ख़ुशी के लिए कर रहे हैं. हम आपस में मिलकर आपनी समस्या सुलझा लेते हैं तो इसमें लोगों को कोई आपत्ति क्यूँ. मैं भी आपके साथ ही रहूंगी. मेरी जरूरतें आप तीनों से ही पूरी होनी है. जिस तरह से आप रहोगे मैं भी वैसे ही आपके साथ रह लुंगी. ” वंदना ने मुझसे कहा ” शीतल जिस तरह मेरे लिए एक मनोवैज्ञानिक बन कर साथ रह रही है उसी तरह नेहा मेरी आया बनाकर मेरे साथ रह लेगी. नै जगह किसी को कोई शक नहीं होगा.” हमने नेहा को भी अपने साथ ले लिया. हम आज दमन में आज पिछले चार महीनो से रह रहे हैं. वंदना ; शीतल और नेहा आपस में मिलजुलकर रहती हैं. कभी कोई झगडा नहीं होता. मैं तीनों को पूरी तरह से संतुष्ट रखता हूँ. उनकी सारी सेक्स कि इच्छाएं पूरी करता हूँ. हमारे घर के सामने समुन्द्र का किनारा है. वहां बड़ा बाज़ार है. उस बाज़ार और हमारे घर के बीच के मसाज पार्लर है. उस पार्लर में दो लडकीयाँ हैं. नीतू और रेखा. नेहा ने उन दोनों को फिलहाल तो वंदना ; शीतल के साथ लेस्बियन गँग में शामिल कर लिया है. मैंने उन सभी को कई बार इस लेस्बियन खेल खेलते देखा है. देखें कब उनके साथ संभोग के रिश्ते बनते हैं. आपको बताता रहूंगा.

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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