चुदासी गैंग की लडकियों की चुदाई

गतांग से आगे … उसका शरीर जबरदस्त गंठा हुआ था. उसके स्तन तो जैसे ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे. वो दिखने में ज्यादा खुबसूरत नहीं थी लेकिन उसके गठे हुए शरीर और साफ सुथरे कपडे से दिखने में काफी गरम लग रही थी. शीतल ने मुझसे कहा ” आप बिलकुल चिंता मत करना. मैं सब समझ गई हूँ. आपकी समस्या हल हुई समझो. मैं और आप मिलकर इस समस्या को सुलझा लेंगे. बस आप अपना सहयोग पूरा पूरा देना. समय समय पर मैं आपको इशारे से सब कुछ सम्जहती रहूंगी और कब मदद चाहिये बताती भी रहूंगी. आजकल इस तरह की समस्या बहुत कॉमन हो गई है. मैं ऐसी समस्याएँ सुलझा चुकी हूँ.” मैं खुश होता हुआ घर लौट आया. मैंने वंदना से कहा ” मैंने तुम्हारी मदद के लिए एक नौकरानी रख ली है. घर का सारा काम कर लेगी और तुम्हे भी आराम रहेगा. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता रहती है.” वंदना ने खुश होते हुए कहा ” ये तो बहुत ही अच्छी बात है. अब मैं फुर्सत में रहूंगी और घर की देखभाल ज्यादा आसानी से कर सकुंगी.” अगले दिन सवेरे ही शीतल अपने साथ एक सूटकेस लेकर आ गई. मैंने शीतल को वंदना से मिलवाया. शीतल ने सारा काम संभाल लिया. शीतल ज्यादातर ट्यूब टॉप के ऊपर फुल ज़िप्पर पहनती थी और नीचे घुटनों तक की लम्बाई की कैप्री. कुल मिलाकर वो नौकरानी नहीं बल्कि बाहर के देशो की तरह हाउस मेनेजर लगती थी. जब मैं तैयार होकर नाश्ते के लिए टेबल पर आया तो नाश्ता लगा हुआ था. वंदना बैठी थी और बहुत खुश नजर आ रही थी. तभी शीतल आ गई. उसने वंदना के सर में मालिस करनी शुरू कर दी. शीतल ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. मैंने देखा कि शीतल ने वंदना के सर की मालिश करते करते उसकी कंधे और बाहें भी दबानी शुरू कर दी थी. वंदना को यह बहुत अच्छा लगने लगा. मैं मुस्कुराते हुए फैक्ट्री चला गया. शाम को लौटने पर शीतल ने कहा धीरे धीरे योजना शुरू कर दी जायेगी. रात को खाना खाने के बाद शीतल ने वंदना से अपनी मसाज करवाने के लिए कहा. वंदना तैयार हो गई. शीतल ने मेरे सामने ही उसकी पीठ पर मसाज शुरू कर दी. शीतल के हाथ धीरे धीरे वंदना की पीठ के निचले हिस्से तक पहुँच गए. वंदना के उभरे हुए बटक्स ( चुतड ) शीतल के मसाज से हिलने लगे. शीतल के हाथ अब उसकी जाँघों तक पहुँच गए. शीतल के इशारे से मैं उठकर बाहर आ गया और खिड़की से अन्दर देखने लगा. वंदना अपनी जंगों पर मसाज से अब उत्तेजित होने लगी थी. शीतल अब और ज्यादा नीचे झुक गई. उसकी उभरी हुई छाती वंदना की पीठ को छूने लगी. वंदना थोडा कसमसाई. शीतल ने उसे अब सीधा लिटा दिया और मसाज करने लगी. पहले सर; फिर कंधे और फिर शीतल ने उसके उभारों को धीरे धीरे मसलना शुरू किया. वंदना ने शीतल को अपनी तरफ खींचा. शीतल ने अब अपने स्तन वंदना के स्तनों पर टिका दिए और अपने स्तनों से वंदना के स्तनों को हिलाने और दबाने लगी. वंदना ने शीतल को कसकर पकड़ लिया और अपने ऊपर लिटा लिया. वंदना शीतल के गालों को चूमने लगी. शीतल ने मुझे अन्दर आने का इशारा किया., मैं तुरंत अन्दर गया. शीतल ने वंदना की कुर्ती के बटन खोलकर उसे उतारना शुरू किया. वंदना ने कोई प्रतिरोध नहीं किया और जवाब में शीतल के ज़िप्पर को खोल दिया और उसे खींच कर उतार दिया. अब शीतल केवल ट्यूब टॉप में ही रह गई. शीतल का गदराया जिस्म मुझे उत्तेजित कर गया. उसकी उभरी हुई छातियाँ ट्यूब टॉप में से ऐसे झाँक रही थी जैसे कोई भारी चीज को बहुत पतले कपडे में बाँध कर लटकाया जाए. शीतल ने अब अपनी आधी नंगी छाती को वंदना की छाती से स्पर्श कराया. वंदना अब केवल ब्रा में थी. अब शीतल ने वंदना की लेग्गिंग्स उतार दी. वंदना ने भी जवाब में शीतल की कैप्री को खींच दिया. शीतल और वंदना दोनों अब केवल दो बेहद छोटे कपड़ों में थी जो उनके दोनों जरुरी हिस्सों को ढंके हुए थे. मैंने भी शीतल के इशारे पर अपने कपडे उतार दिए. अब मैं केवल अपनी अंडर वेअर में था. शीतल और वंदना एक दूसरे से लिपटे जा रहे थे. शीतल भी एकाएक नशे में आ गई. दोनों ने एक दूजे को चूमना शुरू किया. मुझे अब अपने पर काबू नहीं रहा. मैं भी पलंग पर चढ़ गया और उन दोनों के एकदम करीब बैठ गया. वंदना ने अचानक मुझे देखा और मुस्कुराई. मैंने भी मुस्कुराकर जवाब दिया. मैंने वंदना का एक हाथ पकड़ लिया. वंदना ने मुझे नीचे झुकने के लिए कहा. मैं नीचे झुका और वंदना के गालों को चूमने लगा. वंदना ने जवाब में मेरे गालों को चूम लिया. मैं बहुत खुश हुआ क्यूंकि पहला राउंड शीतल ने मुझे जितवा दिया था. अब मैं भी लेट गया और उन दोनों के साथ लिपट गया. मुझे शीतल के उभरे हुए स्तन लगातार ललचा रहे थे. लेकिन शीतल वंदना से लिपटी हुई थी. मैंने वंदना को शीतल से अलग किया और वंदना मुझसे लिपट गई. शीतल ने मुझे देखकर आँख मारी। मैंने भी जवाब में आँख मारी. वंदना अब मुझे बेतहाशा चूमे जा रही थी. शीतल वंदना के नंगे जिस्म पर हाथ से मसाज कर कर के उसे लगातार उत्तेजित रख रही थी. तभी वंदना ने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. इससे पहले की मैं जोर लगता वंदना ने तेजी से मेरे मुंह की सारी चाशनी अपने मुंह में खींच ली. फिर मैंने भी यही किया. वंदना के मुंह में गज़ब की मिठास थी. काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे और चूसते रहे. वंदना ने शीतल को एक बार फिर अपनी तरफ खींचा. शीतल अब मेरे और वंदना के बीच आ गई. वंदना मेरे दायीं तरफ और शीतल मेरे बायीं तरफ आ गई. मैंने उन दोनों को पानी तरफ खींचा और छपता लिया. शीतल की गरम गरम छाती ने मेरे जिस्म में एक बिजली दौड़ा दी. वंदना ने मेरे मुंह को शीतल की तरफ धकेलते हुए उसे चूमने का इशारा किया. शीतल ने खुद अपने गाल आगे की तरफ बढ़ा दिए. मैंने उसके गाल चूम लिए. वंदना ने फिर शीतल से मेरे गाल चुमवाये. अब हम तीनों आपस में इसी चूमा चाटी में मशगुल हो गए. लगातार दो घंटों से भी अधिक समय तक हम तीनो इसी तरह करते रहे. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | शीतल भी इतना उत्तेजित रहते इतना थक गई थी कि वो हमारे साथ ही सो गई. हम तीनों केवल अपने अंतर्वस्त्रों में एक दूसरे से लिपटे हुए सो गए. बीच बीच में हम में से कोई जागता तो अन्य दोनों दूसरों को चूम लेता. लेकिन रहे हम तीनों ही आपस में सारी रात लिपटे और एकदम सटे हुए. एक परफेक्ट थ्रीसम इन बेड का उदहारण बन गए थे आज हम तीनों.  सवेरे हब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि अभी तक शीतल और वंदना दोनों ही मुझसे लिपटकर सो रही है. सेवर को रिशनी में दोनों के जिस्म दमक रहे थे. मैं उन दोनों के अर्धनग्न जिस्मों को देखता रहा और निहारता रहा. मान ही मान मैं शीतल को धन्यवाद दे रहा था जिसके कारण वंदना एक कदम आगे बढ़ चुकी थी और मुझे उसके होंठों का रसपान करने का मौका मिला गया था. मैं तैय्या होकर फैक्ट्री के लिए चला गया. वंदना मुस्कराते हुए मुझे बाहर तक छोड़ने आई. उसने मेरी तरफ एक फ्लाईंग किस भी उड़ाया. शीतल भी खिड़की में खड़ी मुझे देख मुस्कुरा रही थी. पुर दिन मैं फैक्ट्री में बहुत खुश था. शाम होते होते मैं एक बार फिर कल्पनाओं में खोने लग गया. शाम को जब मैं घर पहुंचा तो पहले से ही माहौल बना हुआ था. वंदना और शीतल घर के पिछवाड़े कि बालकनी में बैठे चाय पी रहे थे. घर के पिछवाड़े की बालकनी से दूर दूर तक केवल हरा भरा जंगल नज़र आता है.दोनों चाय पीते पीते एक दूसरे के गाल और होंठ भी चूम रहे थे. वंदना ने भी आज शीतल की ही तरह ट्यूब टॉप के ऊपर बिना बाहों का ज़िप्पर पहन रखा था. उस दोनों के ज़िप्पर बहुत नीचे तक हले हुए थे और उनके स्तनों के ऊपर का खुला हुआ पूरा हिस्सा साफ़ साफ़ नज़र आ रहा था. वंदना आज बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही थी. मैं उन दोनों को इस तरह देखकर थोडा उतेजित हो गया. वंदना ने अचानक मुझे देख लिया और बोली ” अरे तुम आ गए. आओ ना. तुम भी हमारे साथ चाय पी लो.” मैं वहां जैसे ही बैठा शीतल मेरे लिए चाय लेने चली गई. वंदना ने मेरी तरफ देखा और बोली ” शीतल बहुत अच्छी है. मेरा बहुत ख़याल रखती है. सारा दिन मेरे साथ ही रहती है. अब तुम इसे कभी मत जाने देना.” मैं सब समझ गया और बोला ” शीतल अब हमेशा यहीं रहेगी. खुश अब तो.” मैंने इतना कहकर वंदना के होंठ चूम लिए. वंदना ने भी जवाब में मेरे होंठ चूम लिए. तभी शीतल चाय लेकर आ गई. शीतल मेरी बायीं तरफ बैठ गई. मैं अब वंदना और शीतल के बीच में था. शीतल ने मुझसे कहा ” आज सवेरे से ही वंदना बहुत ही खुश है. मुझे उन्हें खुश देखकर बहुत अच्छा लग रहा है. वंदना ने कहा है कि अब वो मुझे यहाँ से कभी भी नहीं जाने देगी.” वंदना ने शीतल का हाथ पकड़ा और फिर दोनों हाथ मेरे हाथ में रखते हुए मुझसे बोली ” तुम्हे आज ये वडा करना होगा कि शीतल को कभी भी नहीं जाने दोगे.” मैंने शीतल कि तरफ देखा और कहा ” शीतल तुम कभी मत जाना.” वंदना ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूम लिया. रात को हम तीनों ने एक साथ ही खाना खाया. फिर हम टी वी देखने लगे. वंदना ने कहा ” शीतल ने आज बहुत ही अच्छी आइसक्रीम बनाई है.” शीतल हम तीनों के लिए आइसक्रीम लेकर आ गई. शीतल ने मुझे इशारा कर दिया. मैंने आइसक्रीम खाते खाते अपनी ते शर्ट और हाफ मिनट उतार दी. शीतल ने अपने हाथ से वंदना को आइसक्रीम खिलाना शुरू किया. वंदना ने आइसक्रीम अपने मुंह में ली और फिर शीतल के गालों को चूम लिया. शीतल के गाल आइसक्रीम लगने से सफ़ेद लगने लगे. वंदना ने फिर अपनी जीभ से उस आइसक्रीम को खा लिया. अब वंदना ने मुझे आइसक्रीम खिलाई. उसने मेरे साथ भी ऐसा ही किया. फिर शीतल ने मेरे साथ और मैंने शीतल के साथ इस तरह से आइसक्रीम खाई. अब वंदना ने शीतल के और शीतल ने वंदना के कपडे उतार दिए. एक बार फिर हम तीनों अपने अंतरवस्त्रों में ही थे.. आज शीतल और वंदना ने एक ही गहरे हरे रंग की ट्यूब टॉप और पैंटीज पहन रखी थी. वंदना शीतल को लेकर सोफे पर ही लेट गई. हमारा सोफा तीन गद्दीयों वाला था. इसलिए बहुत ही गुदगुदा था. दोनों उस पर गिरी और तुरंत ही सोफे की स्प्रिंगदार गद्दीयों पर आपस में लिपटी हुई उछल कूद करने लगी. यह देखकर मैं पागल हो गया और उन दोनों के साथ सोफे पर कूद गया. अब हम तीनों एक दूसरे को सोफे पर दबा रहे थे और जो शरीर का हिसा सामने आ रहा था उसे चूम रहे थे. शीतल ने वंदना के स्तनों को मसलना शुरू किया. वंदना अब धेरे धेरे तड़पने लगी. मैंने मौका देख उसे अपनी बाहों में ले लिया. वंदना का जोश ठंडा ना पड़ जाये इसलिए शीतल ने भी उसे उसकी पीठ ले पीछे से अपनी बाहों में जकड रखा था. अब वंदना के स्तनों को मेरी कड़क चाटी ने दबा रखा था तो वहीँ पेचे से शीतल के मजबूत लेकिन गुदगुदे स्तनों ने वंदना की पीठ को दबा रखा था. मैंने वंदना को बेतहाशा चूमकर पूरे नशे में ला दिया. शीतल ने तुरंत ही वंदना के ट्यूब टॉप और पैंटी को उअतारा और मेरी भी ब्रीफ खींच कर उतार दी. वंदना ने शीतल की तरफ देखा और उसे भी अपने कपडे खोलने को कहा. शीतल को मजबूरन करना पड़ा. अब हम दोनों ने वंदना के नंगे जिस्म को आगे पीछे से पूरी तह से हमारे नग्न जिस्मों से दबा दिया था. शीतल ने अब सोफे की कुर्सी की तरफ चलने को कहा. शीतल वंदना को लेकर उस कुर्सी में धंस गई. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वंदना शीतल की गोद में थी. वंदना के बटक्स शीतल के गुदगुदे गुप्तांग पर फिट हो गए थे. अब मैं वंदना के ऊपर आ गया. इस तरह से मैंने वंदना के साथ साथ शीतल को भी दबा दिया था. वंदना अब हर तरह से चार्ज हो गई थी. मैंने मौका देखकर अपना लंड वंदना के चूत की तरफ बढ़ा दिया. मेरा गुप्तांग उसके चूत को छु गया. वंदना के मुंह से एक जोर की आह निकली. मैं अब पूरी तरह वंदना पर झुक गया था. वंदना और मेरे गले लेन से मेरा मुंह शीतल के मुंह के एक दम सामने आ गया था. मैं जब जब वंदना के चूत की तरफ अपना लंड धकेलते हुए वंदना को दबाता टब टब मेरा मुंह शीतल के बहुत करीब आ जाता और मेरे गाल उसके गालों को छु जाते. यह स्पर्श हम दोनों को ही अच्छा लगा. अब शीतल ने मुझे चूमना शुरू किया. मैं भी शीतल को चूमने लगा. वंदना मेरे गरदन के नीचे वाले हिस्से को अपने गीले गीले होंठों से चूम रही थी और पूरे आनंद में थी. अचानक से मेरा लंड पहली बार वंदना के चूत में प्रवेश कर गया. वंदना के मुंह से एक जोर की आह और चीख निकल गई. मैंने वंदना के होंठ अपने होठों से सी दिए. शीतल ने भी वंदना को अपने उभरे हुए स्तनों से दबाये रखा. वंदना के चेहरे पर अब एक संतोष भरी मुस्कान थी. मैं और शीतल भी बहुत खुश हो गए थे. यह सब शीतल की वजह से हुआ था. हम तीनों कुछ देर तक इसी अवस्था में लेटे रहे और फिर बाद में अलग हो गए. वंदना ने भी शीतल को कहा ” अगर तुम ना होती तो शायद मेरी जिन्दगी में ये दिन बहुत ही मुश्किल से आ पाता. ” शीतल ने एक विजयी मुस्कान अपने चेहरे पर लाई . शीतल ने मेरी तरफ देखा और बोली ” आपका कितना बड़ा काम मैंने किया है मेरा इनाम!!” मैंने शीतल को अपनी तरफ लिया और उसके गालों पर एक किस कर दिया. वंदना ने मेरी तरफ देखा और बनावती गुस्से से बोली ” इतने बड़े काम के लिए बस इतना सा इनाम. शर्म आनी चाहिये! चलो शीतल के होंठों पर पहले एक किस करो.” मैंने शीतल के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी शीतल ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. वंदना ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब वंदना ने मुझसे कहा ” अब तुम शीतल को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो.” इसके बाद हम वंदना के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए. अगले दिन मैं बहुत ज्यादा खुश था और रात का फिर इंतज़ार कर रहा था. मेरे बदन में एक अलग तरह का रोमांच बार बार आ रहा था. मैंने वंदना और शीतल को सरप्राइज देने के हिसाब से उन्हें बिना बताये मैं बहुत जल्दी घर आ गया. उस समय केवल चार बजे थे. मैं चुपचाप घर में दाखिल हुआ. अपने कमरे में जाकर जल्दी नहाया और कपडे बदले. फिर मैं घर के पिछवाड़े आ गया. बादल हो रहे थे और बारिश होने की पूरी संभावना लग रही थी. थोड़ी थोड़ी बूंदा बंदी हो भी रही थी. मैं जैसे ही पिछवाड़े की बालकनी में आया. मैंने देखा की बालकनी के आड़े के छोटे से खुले आँगन में ; जहाँ पर बहुत हरी हरी घास उगी हुई है , वंदना और शीतल एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े हैं और छोटी छोटी पानी की बूंदों में भीगने की कोशिश कर रहे हैं.अचानक बारिश तेज हो गई. दोनों बालकनी में लौट आई. मैंने अपने कपडे खोले और केवल अंडर वेअर में बारिश में नहाने चला गया. वंदना और शीतल ने मुझे भीगते हुए देखा तो उन्हों ने भी आपस में इशारा किया और केवल ट्यूब टॉप और पैंटी में मेरे साथ भीगने के लिए आ गई. हम तीनों आपस में लिप्त रहे थे ; एक दूसरे को चूम रहे थे. एक दूजे के बदन पर गिरने वाले पानी को भी हम चूम चूमकर पी रहे थे. धीरे धीरे नशा बढ़ता गया और हम तीनों आपस में लिपट कर नहाने लगे. अब बारिश और भी ज्यादा तेज हो गई थी और तेज हवा के कारण धुंआ धुंआ सा हो रहा था. वंदना ने शीतल को नीचे लेटने को कहा. शीतल के नीचे लेटते ही वंदना उस पर लेट गई. अब वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगी थी. उन दोनों के जिस्म जब आपस में लिपटने से रगड़ खा रहे थे तो उन्हें देखकर मेरा सब्र जवाब दे रहा था. वंदना शीतल के ऊपर लेटकर अपने जसम को उससे एकदम सटकर उसे दबाते हुए उसे जगह जगह पर चूम रही थी. हरी हरी घास ; उस पर तेज बरसता हुआ पानी तथा इस बरसते पानी में घास पर आपस में लिपटे हुए दो बहुत ही खूबसरत हसीनाओं के भरे बदन . इन सबे ने मुझे ऐसा मदहोश किया की मैं भी उनके साथ शामिल हो गया. वंदना और शीतल ने मेरे आते ही मुझे भी अपने साथ ले लिया. हम सभी एक दूजे को चूमने लगे. तेज पानी की बौछारें आग में घी का काम रही थी. बहुत ही काम समय में माहौल एक दम गरम हो गया. मैंने अब वंदना और शीतल के सभी कपडे उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया. शीतल ने एक बार फिर वंदना को उत्तेजित करना शुरू किया. आज वंदना बहुत जल्दी उत्तेजित हो गई. मैंने भी तुरंत उसके चूत में अपना लंड घुसेड दिया.
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