प्रेषक: राज
मित्रो आप लोगो ने नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा पार्ट 7 में जो पढ़ा अब उसके आगे लिख रहा हु : ठीक आठ बजे एम-डी और महेश पहुँच गये। “वेलकम सर, हैव अ सीट”, मैंने उन दोनों का स्वागत किया।
“नमस्ते सर!” प्रीती ने भी स्वागत किया।
“हेलो राज! हेलो प्रीती! आज तो तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर दिख रही हो”, एम-डी ने जवाब दिया।
प्रीती ने लाइट ब्लू रंग की साड़ी और उसके ही मैचिंग का टाइट ब्लाऊज़ पहन रखा था। साथ ही उसने सफ़ेद रंग के पेंसिल हाई-हील के सैंडल पहने हुए थे और वो बहुत ही सुंदर लग रही थी।
“थैंक यू सर, आइये बैठिये, मैं कुछ खाने को लाती हूँ”, प्रीती ने किचन कि ओर जाते हुए कहा।
“कोई जल्दी नहीं है, आओ हमारे साथ बैठो”, एम-डी ने कहा।
प्रीती भी मेरे साथ उनके सामने बैठ गयी। मैंने स्कॉच के पैग बनाये और एम-डी और महेश को पकड़ा दिये।
“तुम भी कुछ क्यों नहीं लेती?” एम-डी ने प्रीती से कहा।
“सर! मैं शराब नहीं पीती, हाँ! मैं एक कोक ले लूँगी।” मैंने प्रीती को वो स्पेशल कोक पकड़ा दिया।
प्रीती ने चीयर्स कहकर उस कोक में से एक घूँट भरा। मैं कुछ नाश्ता ले कर आती हूँ, कहकर किचन की ओर चली गयी।
“राज तुमने उसे सब बता दिया?” एम-डी ने पूछा।
“नहीं सर! अभी तक नहीं, पर आप चिंता ना करें मैं उसे तैयार कर लूँगा”, मैंने समझाया।
थोड़ी देर में वो नाश्ते की प्लेट टेबल पर सजाने लगी। नीचे झुकते वक्त उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसकी छाती की गहरायी दिखने लगी। एम-डी और महेश उसके भरे भरे मम्मों को घुरे जा रहे थे। प्रीती को जब एहसास हुआ तो उसने खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक कर ली।
“ओह आज कितनी गर्मी है”, कहकर उसने अपना कोक एक ही साँस में खाली कर दिया।
हम तीनों उस पर कोक का असर होते देख रहे थे। उसकी हालत खराब हो रही थी, “एक्सक्यूज़ में, मैं अभी आयी”, कहकर वो किचन की और बढ़ गयी।
थोड़ी देर बाद उसकी आवाज़ आयी, “राज! जरा यहाँ आना।”
“राज! तुमने मेरे कोक में क्या मिलाया?” उसने अपनी हालत को संभालते हुए पूछा।
“मैंने कहाँ कुछ मिलाया है?” मैंने अंजान बनते हुए कहा।
“मेरे सिर पर कसम खाकर कहो तुमने कुछ नहीं मिलाया, और सच-सच बताओ क्या बात है, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो”, उसने अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।
अब समय आ गया था कि मैं प्रीती को सब कुछ सच सच बता दूँ। “ठीक है सुनो! मैं तुम्हें बताता हूँ। तुम्हें याद है लास्ट संडे जब मैं कंपनी की मीटिंग में गया था।” ये कहकर मैंने उसे शुरू से आखिर तक सब बता दिया सिवाय उन तसवीरों के।
“और तुम मान गये, अपनी बीवी को उनसे चुदवाने के लिये?” उसने नाराज़ होते हुए कहा।
“क्या करता मेरे पास कोई चारा नहीं था, इन्होंने मुझे गबन के इल्ज़ाम में जेल जाने की धमकी दे दी थी। तुम ही बताओ मैं क्या करता?”
“मैं जेल नहीं जाना चाहता प्रीती! प्लीज़ मान जाओ और साथ दो”, मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“नहीं मैं नहीं मानुँगी! क्या तुमने मुझे रंडी समझ रखा है?” कहकर वो अपनी चूत जोरों से खुजलाने लगी।
कोक का असर उस पर चढ़ता जा रहा था। “ठीक है! मत मानो, मैं जेल चला जाऊँगा और तुम आराम करना। पर याद रखना मेरे जेल जाने की वजह तुम ही होगी। अच्छा पत्नी धर्म निभा रही हो तुम। मैं अभी जा कर उनसे कह देता हूँ”, कहकर मैं किचन के बाहर जाने लगा।
उसने मुझे रोका, “ठहरो! तुम यही चाहते हो ना कि मैं रंडी बन जाऊँ? तो ठीक है मैं रंडी बनुँगी और तुम्हारे बॉस से ऐसे चुदवाऊँगी कि वो भी ज़िंदगी भर याद रखेंगे। लेकिन हाँ! मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, कि, मैं रंडी तुम्हारी वजह से बन रही हूँ”, ये कहकर वो अपने ब्लाऊज़ के बटन खोलने लगी।
मैं मन ही मन खुश हुआ कि चलो मान तो गयी। क्या करेगी? थोड़े दिनों में सब भूल जायेगी। “ठीक है! मैं उन्हें जा कर बताता हूँ कि तुम तैयार हो गयी हो।”
“नहीं!!! मैं खुद बताऊँगी! तुम जाओ”, उसने कहा।
मैंने कमरे में आकर उन्हें इशारे से बताया कि प्रीती राज़ी हो गयी है। दोनों ही खुश हुए और अपने ड्रिंक्स लेने लगे। दोनों ही बेसब्र नज़र आ रहे थे।
“कितनी देर में आयेगी राज? अब नहीं रहा जाता”, एम-डी ने पूछा।
“सर इंतज़ार करें, अभी पाँच मिनट में आयेगी”, मैंने जवाब दिया।
ठीक पाँच मिनट बाद प्रीती कमरे में दाखिल हुई। उसकी आँखें सुर्ख लाल हो गयी थी। मैं समझ गया कि वो रोती रही थी। वो उनके सामने आकर चेयर पर बैठ गयी और खुद के लिये ग्लास में कोक लिया और उसमें स्कॉच मिलाकर एक ही झटके में पी गयी। मैं प्रीती को शराब पीते देख भौंचक्का रह गया क्योंकि उसे शराब से नफरत थी।
उसका पल्लू नीचे गिर पड़ा मगर उसने उसे वैसे ही रहने दिया। उसके मम्मे नज़र आ रहे थे। एम-डी और महेश की नज़रें उसके मम्मों पर ही गड़ी हुई थीं। उसके ब्लाऊज़ के दो बटन खुले हुए थे।
प्रीती उनकी आँखों में देख कर बोली, “अच्छा तुम दोनों हरामी आज मुझे चोदने आये हो!! तो इंतज़ार किस बात का कर रहे हो? चलो दोनों शुरू हो जाओ।”
वो दोनों चौंक कर मेरी तरफ देखने लगे। मैं भी प्रीती का ऐसा कहते सुनकर चौंक पड़ा था। मुझे नहीं मालूम था कि प्रीती इस भाषा में उनसे बात करेगी।
प्रीती की बात सुनकर एम-डी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और अपनी बाँहों में जकड़ लिया। मैंने म्यूज़िक लगा दिया। अब एम-डी प्रीती को अपनी बाँहों में भर कर गाने की ट्यून पर थिरक रहा था। जब एम-डी ने उसे किस करना चाहा तो पहले तो उसने ऐतराज़ दिखाया पर बाद में अपने होंठ एम-डी के होंठों पर रख कर चूसने लगी। एम-डी भी उसे-जोर से भींच रहा था। प्रीती की साड़ी खुलती जा रही थी। मेरे मन में जलान की भावना उठी, पर इस कुरबानी के बदले मुझे जो मिलने वाला था, ये सोच कर मैं खुश हो रहा था।
“अब मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर महेश प्रीती के दोनों मम्मे अपने हाथों में पकड़ कर भींचने लगा और अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ने लगा। महेश प्रीती की नंगी गर्दन और पीठ पर चुम्मे ले रहा था।
नाचते हुए जैसे ही वो मेरे पास से गुजरे, मैंने प्रीती के पेटीकोट के नाड़े को पकड़ा और उसका पेटीकोट खुल गया और उसके साथ ही उसकी साड़ी। उधर महेश ने उसके ब्लाऊज़ के बाकी के बटन खोल कर उसकी ब्रा भी उतार दी।
दोनों ही काफी उत्तेजित हो चुके थे। उन्होंने अपनी पैंटें उतार दी और अपने अंडरवीयर भी उतार दिये। एम-डी का लंड इतना मोटा और लंबा नहीं था पर महेश का लंड काफी लंबा और मोटा था पर मेरे लंड से ज्यादा नहीं। मैंने प्रीती की पैंटी में अपनी अँगुली फँसा कर उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो उन दोनों के बीच में सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई-हील सैंडल पहने बिल्कुल नंगी थी।
उसके मम्मे दबाते हुए महेश अपना लंड प्रीती की गाँड पर रगड़ रहा था और एम-डी अपना लंड उसकी चूत पर घिस रहा था।
“मममम… कितना अच्छा लग रहा है”, कहकर प्रीती ने अपने दोनों हाथों से दोनों लंड पकड़ लिये। अब वो उन्हें धीरे-धीरे हिला रही थी।
“महेश मुझसे अब रहा नहीं जाता, मैं अब इसे चोदना चाहता हूँ”, एम-डी ने सिसकरी भरते हुए कहा।
एम-डी ने प्रीती को गोद में उठाकर बिस्तर पे लिटा दिया। और खुद उस पर लेट कर पहले उसके मम्मे चूसने लगा और निप्पल पर अपने दाँत गड़ाने लगा। फिर नीचे की ओर खिसक कर उसकी चूत को चाटने लगा।
“ये आप क्या कर रहे हैं सर! मैंने आज तक किसी की चूत नहीं चाटी।” महेश ने आश्चर्य में कहा।
“तुम्हें नहीं पता तुम आज तक क्या मिस करते आये हो”, ये कहकर एम-डी जोर जोर से प्रीती की चूत चाटने लगा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा कर उसे चोदने लगा।
महेश ने प्रीती के मम्मे खाली देखे तो उन्हें पीने लगा और जोर से भींचने लगा। प्रीती ने दोनों के सिर पर दबाव बढ़ाते हुए कहा, “हाँ इसी तरह मेरी चूत चाटो, पियो मेरे मम्मों को…, भींच डालो मेरी चूचियों को।”
“ओहहहहहह कितना अच्छा लग रहा है हाँआँआँ इसी तरह चोदो… ओहहहहहह गॉड!!!! हाँआआआआआँ और अंदर तक अपनी जीभ डाल दो और जोर से चोदो…. ऊऊऊऊहहहहह मेरा छूटने वाला है…. हाँ और जोर से”, कहकर प्रीती की चूत ने अपना पानी एम-डी के मुँह पर छोड़ दिया।
मगर एम-डी ने उसकी चूत को चाटना बंद नहीं किया बल्कि और तेजी से चाटने लगा। प्रीती में फिर गर्मी बढ़ने लगी। उसने महेश के बाल पकड़ कर अपने मम्मों पर से हटाया और एम-डी के बाल पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, “अब मुझे चोदो, मुझसे रहा नहीं जा रहा।”
उसकी टाँगें चौड़ी कर के एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसेड़ दिया। “महेश क्या शानदार चूत है, काफी टाइट भी लग रही है”, प्रीती की चूत को निहारते हुए एम-डी बोला।
“अरे सालों!!!! ये तुम्हें क्या हो गया है”, प्रीती ने अपनी टाँगें उछालते हुए उत्तेजना में कहा, “क्या अब तुम्हारी माँ आकर बतायेगी मादरचोद!!!!! की चूत में लंड डालने के बाद क्या करना चाहिये, लंड घुसाया है तो चोदो भी।”
प्रीती की बातें सुन कर एम-डी ने उसे चोदना शुरु कर दिया। काफी दिलकश नज़ारा था। मैंने पहले कभी प्रीती का ये रूप नहीं देखा था।
उत्तेजना में महेश से रहा नहीं जा रहा था। उसने अपना लंड प्रीती के मुँह में देने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को हटाते हुए कहा, “थोड़ा सब्र करो… तुम्हारा भी नंबर आयेगा पहले इसके लंड को तो देख लूँ।”
लेकिन महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और फिर अपना लंड उसके मुँह में घुसाने की कोशिश की तो प्रीती ने उसके लंड को जोर से दबाते हुए कहा, “साले हरामी! एक बार बोला तो समझ में नहीं आता क्या? अबकी बार किया तो तेरे लंड को चबा कर नाश्ता समझ कर खा जाऊँगी।”
घबरा कर महेश पीछे हट गया और फिर एम-डी के पीछे प्रीती के पैरों के पास आकर उसके सैंडल के तलवे पर अपना लंड घिसने लगा। एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था। उसका लंड प्रीती की चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। ये देख मुझ में भी गर्मी आने लगी। प्रीती का ये रूप मेरे लिये भी आश्चर्य भरा था। मैं भी अपना लंड बाहर निकाल कर उसे सहला रहा था।
“हूँ… हाँ…” करते हुए एम-डी प्रीती को चोदे जा रहा था।
“हाँ!! इसी तरह चोदो… थोड़ा और जोर से”, प्रीती के मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी।
एम-डी जोर-जोर से अपने लंड को पिस्टन की तरह प्रीती की चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। प्रीती उन्माद के सागर में डूबी हुई थी और अपनी कमर उछाल कर एम-डी की हर थाप का जवाब अपनी थाप से दे रही थी।
“हाँ बहुत मज़ा आ रहा है, और तेजी से इसी तरह चोदते रहो, रुकना नहीं!!!” प्रीती अपनी टाँगें उछालते हुए कह रही थी।
एम-डी की रफ़्तार थोड़ी धीरे पड़ी…
“साले रुकना नहीं, मेरा छूटने वाला है… हाँ!!! चोदते रहो!!! लगता है तुम्हारा छूट गया।”
एम-डी का पानी छूट चुका था पर वो अपना लंड प्रीती की चूत के अंदर बाहर करने की पूरी कोशिश कर रहा था।
“हाँ!! इसी तरह चोदते रहो, मेरा छूटने वाला है अगर रुके तो जान से मार दूँगी… दो तीन धक्कों की बात है… हाँ इसी तरह ऊऊऊऊऊहहहहह….. मेरा छूट गया”, अपना पानी छोड़ कर प्रीती बिस्तर पर निढाल पड़ गयी।
प्रीती एम-डी का चेहरा अपने हाथों में ले कर उसे किस करने लगी। जैसे ही एम-डी उस पर से उठा तो मैंने देखा कि मुट्ठी भर पानी प्रीती की चूत से निकल कर बिस्तर पर गिर पड़ा। प्रीती ने एम-डी को परे ढकेल दिया और अपनी उखड़ी साँसों पर काबू पाने लगी।
एम-डी ने भी अपनी साँसें संभालते हुए कहा, “महेश अब तुम इसे चोदो! सच कहता हूँ, आज तक इतनी मस्त चूत नहीं चोदी।”
“हाँ सर! चोदूँगा, पर मैं पहले इसकी गाँड मारना चाहता हूँ, इसकी गाँड ने मुझे पहले दिन से ही दीवाना बना कर रखा हुआ है”, जवाब देते हुए महेश ने पलट कर प्रीती से कहा, “रंडी पलट कर लेट!!! अब मैं अपना लंड तेरी गाँड में घुसाऊँगा।”
मुझे आश्चर्य हुआ जब प्रीती बिना किसी आनाकानी के घोड़ी बन गयी। महेश ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसाना शुरू किया, “ओईईई माँआआआ!!!!, प्रीती जोर से दर्द के मारे चिल्लायी, हरामजादे!!!! क्या मुझे मार डालेगा???? पहले इस पर कुछ लगा तो ले।” महेश ने उसकी गाँड पर थूक कर एक जोर का धक्का दिया और अपना पूरा लंड उसकी गाँड में समा दिया। “ओयीईईईईईईई माँआआआआआ बहुत दर्द हो रहा है”, प्रीती चिल्लायी, “साले हरामी!!!!”
महेश थोड़ी देर के लिये रुक गया, “सर! आप भी इसकी गाँड मार के देखिये, मैं सच कहता हूँ इसकी गाँड इसकी चूत से ज्यादा टाइट और मस्त है, लगता है राज इसकी गाँड इतनी नहीं मारता”, महेश ने एम-डी से कहा।
“चुप करो हरामजादों!!! तुम लोग कोई कंपनी की मीटिंग में नहीं हो, दर्द दिया है तो मज़ा भी देना सीखो”, इतना कहकर प्रीती पीछे की और धक्के लगाने लगी, “साले!!! अब मेरी गाँड को चोदना शुरू कर।”
प्रीती की बातें सुन महेश ने अपना लंड जोर से उसकी गाँड में घुसा दिया। “हरामजादी! मुझे हरामी कह रही थी, ले! कितना चुदवाना चाहती है”, महेश अब जोर-जोर से उसकी गाँड को रौंद रहा था, “साली!! आज तेरी गाँड का भुर्ता ना बना दिया तो मुझे कहना।”
करीब पाँच मिनट के बाद प्रीती चिल्लायी, “हाँ!!! ऐसे ही चोदते जाओ, मेरी चूत को रगड़ो…. चूत को रगड़ो।”
प्रीती की बातों को अनसुना कर महेश अपना लंड उसकी गाँड के अंदर-बाहर कर रहा था। उन्हें देख कर मैं भी लंड को हिला रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो रही थी।
“मेरी चूत को रगड़ो ना!!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।
महेश ने उसकी बात नहीं सुनी और जोर से उसे चोदने लगा। उसकी हरकत से लग रहा था कि उसका पानी छूटने वाला है। फिर एक झटके में अपना लंड अंदर तक दबा कर वो ढीला पड़ गया।
प्रीती ने देखा कि जब उसकी बात कोई नहीं सुन रहा है तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया और अपनी अँगुली चूत के अंदर बाहर करने लगी। उसके मुँह से सिसकरियाँ निकल रही थी, “हाँआआआआआँ ऐसे ही चोदो……, हाँआआआआआआँ…. बहुत मज़ा आ रहा है”, कहकर वो शाँत हो गयी।
महेश ने अपना मुरझाया हुआ लंड प्रीती की गाँड से बाहर निकाला। प्रीती की गाँड और चूत से पानी टपक रहा था। ये देख कर मैंने भी अपना वीर्य वहीं ज़मीन पर छोड़ दिया।
“सर! क्या गाँड थी, बहुत मज़ा आया”, महेश ने एम-डी से कहा।
इनकी चुदाई देख कर एम-डी का लंड फिर से तन गया था। महेश के हटते ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की गाँड में घुसा दिया। “हाँ चोदो!! मेरी गाँड को चोदो, फाड़ दो इसे आज!!” प्रीती जोर से चिल्लायी।
अगले दो घंटे तक एम-डी और महेश प्रीती को अलग-अलग तरह से चोदते रहे। दोनों थक कर चूर हो चुके थे।
“क्या हो गया है तुम दोनों को? अपना लंड खड़ा करो, अभी मेरा मन नहीं भरा… मैं अभी और चुदवाना चाहती हूँ”, प्रीती उनके लंड को हिलाते हुए कह रही थी।
“लगता है…. अब हमारा लंड खड़ा नहीं होगा”, एम-डी ने कहा।
“मैं देखती हूँ… मैं क्या कर सकती हूँ”, कहकर प्रीती ने एम-डी का लंड अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसना शुरू किया।
थोड़ी देर में ही एम-डी का लंड फिर से खड़ा हो गया। “आओ!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती ने अपनी टाँगें चौड़ी करते हुए कहा।
जैसे ही एम-डी ने अपना लंड प्रीती की चूत में डाला, महेश ने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। थोड़ी ही देर में एम-डी और प्रीती झड़ कर अपनी साँसों को संभाल रहे थे।
एम-डी के हटते ही प्रीती ने महेश से कहा, “महेश अब तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदो।”
महेश, प्रीती के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा।
“ओहहहहह महेश तुम कितनी अच्छी तरह से चोदते हो!!!!! आआआआआहहहह ओहहहहह।” प्रीती मज़े लेते हुए बोल रही थी।
उसकी उत्तेजनात्मक बातों को सुन कर महेश में और जोश आ गया। वो जोर-जोर से उसे चोद रहा था।
“हाँआआआआ इसी तरह से चोदते जाओ आआआ और जोर से हाँआँआँआआआ, अपना लंड अंदर तक डाल दो…. खूब मज़ा आ रहा है”, अपनी टाँगें उछाल कर प्रीती महेश के धक्कों का साथ दे रही थी।
अचानक प्रीती चिल्लायी, “साले ये क्या कर रहा है…. मुझे बीच में छोड़ कर मत जाना!!! मेरा भी छूटने वाला है!!!!!”
पर बेचारा महेश क्या करता। उसके लंड ने पानी छोड़ दिया था और मुर्झा कर प्रीती की चूत से बाहर निकल पड़ा।
“साले हरामी!!!! तू इस तरह मुहे बीच में छोड़ के नहीं जा सकता”, प्रीती चिल्लायी, “अगर लंड से नहीं चोद सकता तो इसे अपनी जीभ से चाटकर मेरा पानी छुड़ा।”
प्रीती की हालत देख कर महेश प्रीती की टाँगों बीच आ गया और अपनी जीभ से प्रीती की चूत को जोर-जोर से चाटने लगा।
“हाँ इसी तरह चाटते जाओ!!! अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो… हाँ अब अच्छा लग रहा है…. चाटते जाओ आआआआहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह”, चिल्लाते हुए प्रीती की चूत ने पानी छोड़ दिया।
अपनी साँसों को संभालते हुए प्रीती दोनों से बोली, “अब मुझे कौन चोदेगा?”
“मुझ में तो और ताकत नहीं है…” एम-डी ने कहा।
“…और मुझे भी नहीं लगता कि मेरा लंड फिर खड़ा हो पायेगा”, महेश बोला।
“अगर अब और नहीं चोद सकते तो अपने घर जाओ” प्रीती ने उन दोनों को बेड पेर से धक्का देते हुए कहा, “हाँ जाते हुए अपनी ऐय्याशी की कीमत चुकाना नहीं भूलना!”
क्या नज़ारा था ये। मैंने आज से पहले प्रीती को इस तरह बोलते और गर्माते नहीं देखा था। मेरा खुद का पानी तीन बार छूट चुका था।
जब एम-डी घर जाने को तैयार हुआ तो उसने मुझे नियापेनसिआ रोड के फ्लैट की चाबी देते हुए कहा, “राज, प्रीती वाकय शानदार और कमाल की है, आज से पहले मुझे चुदाई में इतना मज़ा कभी नहीं आया, जब उसकी गंदी-गंदी बातें सुनता था तो मुझ में दुगना जोश चढ़ जाता था।”
मैंने प्रीती की ओर देखा। वो अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थी और छत को बेजान आँखों से घूर रही थी। उसकी हालत को देख कर मैं डर रहा था।
“हाँ राज! प्रीती वाकय में दमदार औरत है, कईंयों को चोदा पर प्रीती जैसी कोई नहीं थी”, कहकर महेश ने मुझे वो तस्वीरों वाला लिफाफा पकड़ा दिया, “लो राज!! आज तुमने ये सब कमा लिया है।”
“हाँ! प्रीती कुछ अलग ही है, आज पहली बार इसने महेश को चूत चाटने पर मजबूर कर दिया”, एम-डी ने हँसते हुए कहा।
महेश ने हँसते हुए कहा, “सर!! अब चलिये… देर हो रही है।”
“चलिये सर! मैं आप लोगों को कार तक छोड़ आता हूँ”, मैं उनके साथ बाहर की ओर बढ़ा, “सर! प्रीती ठीक हो जायेगी ना?”
“चिंता मत करो राज। बीते वक्त के साथ सब ठीक हो जाती हैं, तुम परेशान मत हो”, एम-डी ने मुझे आशवासन दिया।
तस्वीरों को अपनी मोटर-साइकल की डिक्की में छुपाने के बाद मैं घर में घुसा तो देखा प्रीती बिस्तर पर नहीं थी। मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुनी तो वहीं बैठ गया और प्रीती के बाहर आने का इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर बाद प्रीती नहाकर बाथरूम से बाहर निकली। उसने पारदर्शी नाइट गाऊन पहन रखा था।
“प्रीती तुम कमाल की थी…. एम-डी और महेश दोनों खुश थे”, मैंने खुश होते हुए कहा।
मेरी बात को नज़र अंदाज़ करते हुए उसने कहा, “ओह गॉड! इतना रगड़-रगड़ कर नहाने के बाद भी मुझे लगता है कि मेरे शरीर का मैल नहीं धुला है।”
“फिक्र मत करो डार्लिंग!! थोड़े दिनों में सब ठीक हो जायेगा”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।
“रुक जाओ!!! मुझे हाथ लगाने की कोशिश भी मत करना”, वो बिफ़रते हुए बोली।
उसका गुस्से से भरा चेहरा और उसका बदला रूप देख कर मैं मन ही मन घबरा गया और चुप हो गया।
संभोग की सलवटों और वीर्य के धब्बों से भरी चादर को देख कर वो रोते हुए बोली, “ओह गॉड! मैं तो इस बेड पर आज के बाद सो नहीं पाऊँगी”, और वो रोने लगी।
“लाओ!!! मैं ये चादर बदल देता हूँ”, मैंने उसे कहा।
“कोई जरूरत नहीं!!! आज के बाद हर रात तुम इस बिस्तर पर सोगे और मैं वहाँ सोफ़े पर”, कहकर वो तकिया और नयी चादर ले कर सोफ़े पर चली गयी।
मैं कुछ और कर नहीं सकता था। जो होना था वो हो चुका था। शायद समय प्रीती के घावों को भर दे। मेरा मन दुखी था पर क्या कर सकता था। इन ही सब विचारों में घिरा मैं सो गया। सुबह मैंने देखा कि प्रीती हाथ में चाय का कप लिये मुझे उठा रही थी, “उठो! कितनी सुबह हो गयी है, क्या ऑफिस नहीं जाना है?” उसे देख कर ऐसा लग रहा था कि उसने हालात से समझौता कर लिया था। कल रात के किस्से को उसने अपना लिया था। मैं मन ही मन खुश हुआ पर ये मेरी खुशी कितनी गलत थी ये मुझे बाद में पता चला।
मैंने उसे काफी समझाने की कोशिश की पर मेरी हर कोशिश के बावजूद उसने मेरे साथ सोने से साफ इनकार कर दिया।
हम लोग हमारे नये नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में शिफ़्ट हो गये। घर काफी बड़ा था। एक दिन ऑफिस से घर लौटते हुए मैंने देखा कि एक ३०-३५ साल का आदमी घर से बाहर निकल रहा है।
घर में घुस कर मैंने देखा कि प्रीती नाइटी पहने हुए है और बिस्तर काफी सलवटों से भरा पड़ा था।
“वो आदमी कौन था जो अभी यहाँ से गया?” मैंने पूछा।
“अरे वो? वो हमारा बनिया था”, प्रीती ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा।
“वो हमारा बनिया तो था पर वो हमारे घर में क्या कर रहा था, और ये बिस्तर ऐसा क्यों हुआ पड़ा है?” मैंने गुस्से में कहा।
“मुझे उसे तीन महीने का बिल देना था, और मैं उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकती थी।”
“तो?” मैंने पूछा।
“तो क्या? मैंने उसका हिसाब अपनी चूत देकर चुक्ता कर दिया”, प्रीती ने एक बदमाशी भरी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
“तुमने क्या किया?” मैं जोर से चिल्लाया।
“राज! चिल्लाने की जरूरत नहीं है, तुम ही हमेशा कहा करते थे कि पैसा संभाल कर खर्चा करा करो, देखो मैंने अपनी चूत से तुम्हारे कितने पैसे बचा दिये।”
पहली बार मुझे अपने आप पर अफ़सोस हो रहा था कि मैंने उसे एम-डी के साथ क्यों सोने दिया।
जो होना था वो हो गया। अब मुझे इस नयी प्रीती के साथ ही निभाना पड़ेगा। ज़िंदगी रूटीन की तरह चल पड़ी। प्रीती आज भी मुझे उसे चोदने नहीं देती थी, पर हाँ! मेरी तीनों एसिस्टेंट्स मुझसे बराबर चुदवाती रहती थी।
एक दिन शाम को महेश ने मुझे अपने केबिन में बुलाया और मेरी तरफ एक प्रिंटेड फोर्म बढ़ाते हुए कहा कि “राज! इस भर के दे दो।”
“सर ये क्या है? ये तो नेशनल क्लब का एपलीकेशन फोर्म है”, मैंने आश्चर्य में कहा।
“हाँ! हमारे एम-डी तुम्हारे काम से बहुत खुश हैं, इसलिये वो चाहते है कि तुम इस क्लब के मेंबर बन जाओ।”
मैंने खुश होते हुए फोर्म भर के दे दिया।
करीब एक महीने बाद महेश मुझसे बोला, “राज तुम्हारी क्लब की एपलीकेशन मंजूर हो गयी है और अब तुम उस क्लब के मेंबर हो। और क्लब की परंपरा के अनुसार नये मेंबर्स को एक गेट-टू-गेदर में बुलाया जाता है…. जहाँ उनका सबसे परिचय कराया जाता है। तुम शनिवार को शाम को क्लब पहुँच जाना और प्रीती को लान ना भूलना। पार्टी शाम आठ बजे है।”
मैंने घर पहुँच कर ये खबर प्रीती को सुनायी और पूछा, “क्या तुम चलोगी?”
“क्यों नहीं चलुँगी?” उसने जवाब दिया।
शनिवार को हम लोग पार्टी में पहुँचे, जहाँ एम-डी ने हमारा परिचय सबसे कराया। वहाँ उनकी वाइफ, ’मिसेज मिली’ और हमारे एक्स एम-डी की वाइफ ’मिसेज योगिता’ भी थी। एम-डी और प्रीती काफी घुल मिल कर बातें कर रहे थे और प्रीती ड्रिंक्स में एम-डी का पूरा साथ दे रही थी। पार्टी में बहुत मज़ा आया।
घर लौटते वक्त मैंने प्रीती से पूछा, “पार्टी कैसी लगी?”
“अच्छी थी!” उसने जवाब दिया।
एक दिन महेश ने मुझसे कहा, “राज! इस शनिवार को प्रीती को ठीक आठ बजे क्लब भेज देना। मैं कार भेज दूँगा।”
मैंने प्रीती को बताया और कहा, “प्रीती तुम्हें वहाँ नहीं जाना चाहिये।”
“क्यों नहीं जाना चाहिये? अब मैं बड़ी हो गयी हूँ! एम-डी से कहना, मैं पहुँच जाऊँगी।”
मित्रो और आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए और कमेंट कर के हमें बताईये आपको ये कहानी कैसी लगी |