प्रेषक: राहुल
दोस्तों मेरी बीवी और उसकी सहेली पार्ट 1 में अभी तक अपने पढ़ा की मैंने रुकसाना को कुत्ते की तरह चुदाई स्टार्ट की और अब आगे …… करीब दस मिनट के बाद रुखसाना फिर से मुझको अपने हाथों से बाँध कर मुझको चूमने लगी और थोड़ी-थोड़ी देर के बाद मेरे कान पर अपने दाँत से हल्के-हल्के काटने लगी। फिर वोह मुझसे बोली, “हाय मेरे चोदू सनम, आज तक किसी ने चुदाई में मुझे इस तरह खुश नहीं किया है। मुझे तुम्हारा चुदाई का औजार और तुम्हारा चुदाई का तरीका बेहद पसंद आया और सबसे अच्छी बात चुदाई के दौरान गंदी-गंदी बात करना अच्छा लगा। चूत मरवाते वक्त मुझे गंदी-गंदी बात सुनने और गंदी-गंदी बात करने में बहुत मज़ा आता है… लेकिन मेरा शौहर इमरान कभी भी मुझे चोदते समय गंदी-गंदी बात नहीं करता है। वो तो बस सोने के पहले लाईट ऑफ करके मेरी नाईटी उठा कर मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल कर दस-पंद्रह धक्के मारता है और झड़ जाता है। मैं तब तक गरम भी नहीं होती हूँ। फिर रात भर वो मेरी तरफ अपनी गाँड करके सोता रहता है और मैं अपनी अँगुली से अपनी चूत का पानी निकालती हूँ।”
मैंने तब रुखसाना की चूंची को मसलते हुए कहा, “तुम भी तो चुदाई के दौरान खूब गंदी-गंदी बात करती हो और यह मुझे बहुत पसंद आया… अपने हसबैंड के अलावा और कितने लंड लिये हैं तुमने अपनी चूत में… काफी खेली-खायी लगती हो तुम।”
“मुझे मौका ही कहाँ मिलता है…. शादी से पहले तो मैं कॉलेज में खूब चुदवाती थी पर शादी के बाद से तो बस कभी कभार ही किसी और से चुदवाने का मौका मिलता है… पर जब भी बगैर खतरा उठाये चुदवाने का मौका मिलता है मैं छोड़ती नहीं हूँ।” यह कहकर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मैंने उसकी जीभ चूसते हुए उसके मुँह में अपना थूक डाल दिया। इसके साथ मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और वो रुखसाना की चूत में उछलने लगा।
फिर रुखसाना ने अपनी सैक्सी आवाज में मुझसे पूछा, “क्या तुम मुझसे और गंदी बातें सुनना चाहोगे?”
मैंने उसकी चूंची को जोर से मसलते हुए कहा, “क्यों नहीं, जरूर। चलो शुरू हो जाओ गंदी-गंदी बात करना।”
तब रुखसाना मेरे सीने में अपना मुँह छिपाती हुई बोली, “आज तुम मेरी गाँड मारो। मैं तुम्हारा लंबा और मोटा लंड अपनी गाँड को खिलाना चाहती हूँ। मुझे तुम्हारा लौड़ा अपनी गाँड के अंदर लेना है।”
मैं उसकी बात सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर उछलना शुरू हो गया। मैंने उसके होठों को चूमते हुए उससे कहा, “हाँ, मुझे भी औरतों की गाँड में लंड पेलने में मजा आता है। मुझे तुम्हारी मोटी-मोटी गाँड के अंदर लंड डाल कर चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।”
फिर रुखसाना बोली, “मैंने कईं दफा अपने हसबैंड से मेरी गाँड मारने के लिये कहा, मगर मेरा हसबैंड मेरी गाँड नहीं मारना चाहता है। उसको बस मेरी चूत के अंदर लंड पेलने में ही मज़ा आता है।” वो आगे बोली, “मेरी बहुत सी सहेलियों को भी गाँड मरवाने का शौक है लेकिन उनके शौहर भी उनकी गाँड नहीं चोदते।”
मैंने तब अपना लंड रुखसाना की चूत से निकाला। मेरा लंड इस समय रुखसाना की चूत के रस से सना हुआ था और इस लिये वो चमक रहा था। रुखसाना ने मेरे लंड को देखते ही उसे अपने मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगी। जब तक रुखसाना मेरा लंड चूस रही थी मैं अपनी एक अँगुली से उसकी गाँड खोदता रहा।
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद रुखसाना कुत्तिया की तरह पलंग पर अपने हाथों और घुटनों के बल झुक गयी और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ों की फाँक को खींच कर अपनी गाँड मेरे सामने खोल दी। फिर वोह मुझसे अपने लंड को उसके मुँह के सामने लाने के लिये बोली। मैंने जैसे ही अपना लंड रुखसाना के मुँह के सामने किया तो रुखसाना ने उस पर अपने मुँह से ढेर सारा थूक निकाल कर मेरे लौड़े पर अच्छी तरह से लगाया। मेरा लंड तो पहले से ही उसकी चूत के पानी से लसलसा रहा था। तब रुखसाना मुझसे बोली, “आओ मेरी चूत के सरताज़, अब तक तुमने मेरी चूत का लुत्फ़ लिया अब तुम मेरी गाँड मार कर मुझे गाँड से लंड खाने का मज़ा दो। आज मेरी बहुत दिनों की गाँड चुदवाने की तमन्ना पूरी होने जा रही है। अगर तुमने मेरी गाँड मार कर मुझे खुश कर दिया तो मैं अपनी और सहेलियों की चूत और गाँड तुमसे चुदवाऊँगी। मेरी बहुत सी सहेलियाँ शादी के पहले से गाँड मरवा कर गाँडू बन गयी हैं। चलो अब तुम पहले मेरी गाँड चोदो,सहेलियों की बात बाद में होगी।”
रुखसाना की इन सब बातों से मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसके पीछे अपना खड़ा लंड ले कर बैठ गया। रुखसाना ने अपना चेहरा तकिये में छिपा लिया और अपने हाथों से अपने चूत्तड़ पकड़ कर मेरे सामने अपनी गाँड का छेद पूरी तरह से खोल दिया। मैंने उसकी गाँड के छेद पर अपने मुँह से थोड़ा थूक लगाया और अपने लंड को उसकी गाँड के छेद पर रख कर रगड़ने लगा। रुखसाना मेरी तरफ अपना चेहरा घुमा कर बोली, “देखो, अपनी शादी के बाद से आज मैं मैंने इतने सालों में पहली बार अपनी गाँड को लंड खिला रही हूँ। मेरी गाँड काफी टाईट है… इसलिये पहले बहुत धीरे-धीरे मेरी गाँड मारना… नहीं तो मेरी गाँड फट जायेगी और मुझको बहुत दर्द होगा।”
करीब पाँच मिनट तक रगड़ने के बाद मैंने अपना लंड रुखसाना की गाँड के छेद में घुसेड़ना चाहा, लेकिन उसकी गाँड काफी टाईट थी और मुझको अपना लंड घुसेड़ने में काफी तकलीफ महसूस होने लगी। फिर मैंने अपने दाहिने हाथ से अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर लगा कर अपने बाँये हाथ से उसके एक निप्पल को जोर से मसल दिया। निप्पल मसले जाने से रुखसाना जोर से चींखी “ऊऊई” और उसने अपनी गाँड को ढील छोड़ दिया और मैंने अपने लंड क सुपाड़ा एक जोरदार धक्के से उसकी गाँड के छेद के अंदर घुसेड़ दिया। रुखसाना ने अपनी गाँड को फिर से टाईट करना चाही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रुखसाना बोली, “नो… नहींईंईं… प्लीज़।”
चूँकि रुखसाना की गाँड और मेरा लंड थूक से बहुत चीकना हो गया था, मेरा सुपाड़ा उसकी गाँड में धँस चुका था और मैंने उसकी दोनों चूंची कस कर पकड़ कर एक धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी कसी हुई गाँड के अंदर उतार दिया। मेरा पूरा का पूरा लंड रुखसाना की गाँड में एक झटके के साथ घुस गया। रुखसाना जोर से चींखी, “ऊऊऊईईईईईई ओ ओ ऊईईईईईई ओह ओह ऊई अल्लाहहह! मैं मर गयी। ऊईई मेरी गाँड फट गयी ऊऊऊऊ हाय अल्लाहहह ओई मेरी गाँड फट गयी। प्लीज़ बाहर निकाल लो।”
रुखसाना इतनी जोर से चींखी थी कि मुझको डर लगने लगा कि कोई सुन ना ले। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखना चाहा, लेकिन रुखसाना ने अपना मुँह तकिये में घुसा दिया। वो अब भी मारे दर्द से सुबक रही थी और बोल रही थी, “मेरी गाँड फाड़ दी, ऊईई मेरी गाँड फट गयी, बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”
मैं उसकी चूंचियों को फिर से अपने हाथों से पकड़ कर मसलने लगा। रुखसाना फिर मुझसे बोली, “प्लीज़ बाहर निकालो वरना मैं मर जाऊँगी।”
मैंने उसकी चूंचियों को थोड़ा जोर दे कर दबाया और उससे कहा, “मैं तुम्हें मरने नहीं दुँगा, बस थोड़ी देर में ठीक हो जायेगा।”
रुखसाना अपना बाँया हाथ अपनी गाँड पर लायी और मेरे लौड़े को छू कर बोली, “उफफ ये बेहद मोटा है, इसने मेरी गाँड फाड़ दी… हाय।”
मैंने उसकी चूंचियों को और थोड़ा जोर देकर मसला और पूछा, “क्या बहुत मोटा है?”
रुखसाना बोली, “यह जैसे तुमने मेरे अंदर मूसल डाल दिया है।”
मैंने फिर से पूछा, “यह क्या है, इस को क्या कहते हैं?”
रुखसाना मेरे आँडों को छूते हुए बोली, “मुझे नहीं पता, तुम्हें पता होगा।”
मैंने अपना लंड उसकी गाँड में और अंदर तक धँसाते हुए कहा, “तुम्हें पता है… थोड़ी देर पहले तो खुल कर इसका नाम ले रही थी और अब क्यों नखरा कर रही है?”
“ओह नहीं बिल्कुल मत हिलो, नहीं… मुझे दर्द हो रहा है… बस आराम से अंदर डाल कर पड़े रहो।”
मैंने फिर से रुखसाना से कहा, “पहले इसका नाम ले कर बोलो जैसे चूत चुदाई के वक्त बोल रही थी!”
रुखसाना मेरे आँडों को अपने हाथों से दबाती हुई बोली, “तुम बहुत बेहया हो, मुझसे गंदी बातें करवाना चाहते हो।”
मैंने कहा, “हाँ मैं तुमसे गंदी बातें करना चाहता हूँ, तुम ही तो कह रही थीं कि तुम्हें गंदी बातें करना और सुनना अच्छा लगता है… तो फिर बेशर्म हो जाओ और खुल कर गंदी बातें करो।”
रुखसाना ने अपना चेहरा मेरी तरफ घुमाया और अपने दाँये हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी। उसने मेरे कान पर चुम्मा दिया और मेरे कान मैं फुसफुसा कर बोली, “साले तेरा इतना मोटा लंड अपनी गाँड में ले कर बेहया बनी हुई तो हूँ, और क्या चाहता है तू।”
वोह फिर से मेरे लंड को छू कर बोली, “तेरा लंड बेहद मोटा ओर लंबा है, इमरान का इतना बड़ा नहीं है।”
उसके मुँह से गंदी बातें सुन कर मैं बहुत गरम हो गया और उसकी गाँड में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। रुखसाना की गाँड इतनी टाईट थी कि लंड को अंदर-बाहर करने में काफी जोर लगाना पड़ रहा था। बीवी की सहेली रुख़साना
रुखसाना फिर चींखी और बोली, “ननन नहीं प्लीज़ हिलना नहीं, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, अभी ऐसे ही रहो… जब मेरी गाँड की तुम्हारे लंड से दोस्ती हो जाये तो फिर हिलना।”
मैंने अपना हाथ उसके पेट के नीचे ले जा कर उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं रुखसाना की गाँड धीरे-धीरे चोदने की कोशिश करने लगा। वो चिल्ला रही थी, “ऊऊऊईईईईईई….. नहीं मैं मर जाऊँगी। मेरी गाँड फट जायेगी, प्लीज़ अभी अपने लंड को नहीं हिलाओ!”
लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और उसकी गाँड जोर जोर से चोदने लगा। रुखसाना मुझको गाली देने लगी, “भोँसड़ी के, बहनचोद, गैर औरत की गाँड मुफ्त में मारने को मिल गयी है… इसलिये मेरी गाँड फाड़ रहा है!”
मैं उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसकी गाँड में अपना लंड पेल-पेल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद रुखसाना को भी मज़ा आने लगा और अपनी गाँड मेरे लंड के धक्कों के साथ आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर उसकी गाँड चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा वीर्य छूटने वाला है। मैंने उसके चूत्तड़ पकड़ कर अपने और पास खींचते हुए कहा, “ओह जानू, मैं अब छूटने वाला हूँ।”
तब रुखसाना अपनी कमर को मेरे और पास ला कर लंड को अपनी गाँड के और अंदर लेती हुई बोली, “अब मज़ा आ रहा है, अपने लंड को मेरी गाँड के अंदर छूटने दो और मेरी गाँड को अपने लंड की मलाई से भर दो!”
इसके साथ ही मैंने दो चार और तेज़-तेज़ धक्के मार कर उसकी गाँड के अंदर अपने लंड की पिचकारी छोड़ दी। रुखसाना ने भी मेरे झड़ने के साथ ही अपनी चूत का पानी छोड़ दिया। मैं थोड़ी देर तक उसकी पीठ के ऊपर पड़ा रहा और फिर उसकी गाँड में से अपना लंड निकाला। मेरा लंड उसकी गाँड में से “पुच” की आवाज से बाहर निकल आया। रुखसाना जल्दी से उठ कर बाथरूम की तरफ़ अपनी सैंडल खटपटाती हुई भागी और थोड़ी देर के बाद मैं भी बाथरूम में चला गया। रुखसाना मेरे लंड को देखती हुई बोली, “देखो साला मेरी गाँड मार के कैसे मरे चूहे जैसा हो गया है।”
मैंने कहा, “कोई बात नहीं… मैं इस को फिर तैयार कर लेता हूँ।”
अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था। रुखसाना मेरे पास आयी और मुझको अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे होठों पर चुम्मा दे कर बोली, “मैं तुम्हें बताती हूँ की मैं कितनी बेहया और गंदी हूँ!”
फिर मुझको मेरे कँधों से पकड़ कर मुझको कमोड पर बैठने के लिये बोली। मैं उसकी बात मानते हुए कमोड पर बैठ गया। रुखसाना तब मेरी जाँघों पर मेरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी। मेरा लंड इस समय उसकी चूत के छेद पर अपना सिर मार रहा था। उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे मुँह को चूमते हुए मेरे मुँह में अपनी जीभ घुसेड़ दी और मेरे लंड पर पेशाब करने लगी। मुझको रुखसाना का यह अंदाज़ बहुत पसंद आया। उसके गरम-गरम पेशाब से मेरा लंड धुल रहा था। हम लोग इसी तरह कमोड पर बैठे रहे और जब रुखसाना का पेशाब पूरा हो गया तो वो बोली, “मैंने तुम्हारा लंड गंदा किया था और अब मैंने इसको धो दिया है।”
मैंने उसको चूमते हुए कहा, “तुम वाकय बहुत बेशर्म हो।”
उसने उत्तर दिया, “तुमने बना दिया है।”
मैंने तब रुखसाना से कहा, “उठो और अब तुम घोड़ी बनो… मैं अपने लंड से तुम्हारी गाँड धोता हूँ।”
रुखसाना तब उत्तेजित होकर बोली, “हाँ, बेहद मज़ा आयेगा… पर पहले मैं तुम्हारे लंड को सुखा तो दूँ!”
हम दोनों खड़े हो गये और रुख़साना झट से झुक कर मेरा लंड पकड़ कर अपनी जीभ उस पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मेरे लंड से अपना पेशाब चाटने के बाद वो घोड़ी बन कर कमोड पकड़ के अपनी गाँड ऊपर कर के खड़ी हो गयी। मैंने उसके चूत्तड़ों की फाँकों को अलग करते हुए अपना लंड उसकी गाँड के छेद के सामने रखा। अपना लंड उसकी गाँड के सामने रखते हुए मैंने अपनी पेशाब की धार उसकी गाँड के छेद पर मारनी शुरू कर दी। जैसे ही मेरा गरम-गरम पेशाब उसकी गाँड के छेद पर पड़ा, रुख़साना उत्तेजित हो कर बोली, “ओह जानू… बहुत मज़ा आ रहा है… मुझे आज से पहले चुदाने का इतना मज़ा नहीं आया। तुम भी मेरी तरह बेहद बेहया और गंदे हो, मुझे तुम्हारे जैसा मर्द ही चाहिये था जिस के साथ मैं भी इसी तरह खुल कर बेहयाई कर सकूँ।”
उसके बाद हम दोनों एक साथ शॉवर के नीचे खड़े हो कर नहाए। रुखसाना ने अभी भी अपने सैंडल पहने हुए थे। रुखसाना ने मुझे और मैंने रुख़साना को साबुन लगाया। फिर अपने अपने बदन तौलिये से पोंछ कर हम लोग बेडरूम में आ गये और फिर से एक दूसरे को चूमने-चाटने लगे। करीब दस मिनट तक एक दूसरे को चूमने और चाटने के बाद मैं उसकी चूंची पर अपना मुँह लगा कर फिर से उसकी चूंची पीने लगा।
मैं धीरे-धीरे रुखसाना के पेट को चूमते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह ले गया। चूत पर मेरा मुँह लगते ही रुखसाना ने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर कसकर दबाने लगी। थोड़ी देर तक मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा और चूसा। मेरे द्वारा चूत चटाई से रुखसाना बहुत गरम हो गयी और बैठे-बैठे ही अपनी कमर उचकाने लगी। फिर वो मेरा चेहरा अपने हाथों से पकड़ कर अपने चेहरे के पास ले आयी और बोली, “मेरी जान, हम लोगों का रिश्ता क्या है।”
मैंने उसकी चूंची को मसलते हुए कहा, “हम पड़ोसी हैं और तुम मेरी बीवी की सहेली हो… और आज से मेरी महबूबा हो।”
तब रुखसाना मेरे होठों को चूमते हुए बोली, “तुम मुझको भाभी-जान कह कर पुकारो। मुझे तुम्हारी भाभी बन कर चुदवाने में बेहद मजा मिलेगा। चलो मुझको भाभी-जान कह कर पुकारो और मुझे चोदो।”
उसकी यह बात सुन कर मैंने उसकी चूंची मसलते हुए कहा, “भाभी-जान तुम बहुत ही सैक्सी और चुदक्कड़ हो। तुम्हारी चूत बहुत ही गरम है और चुदास से भरी है। मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसने के लिये खड़ा होकर झूम रहा है। भाभी-जान मुझको तुमसे प्यार हो गया है।”
मेरी बात सुन कर रुखसाना बिस्तर पे अपने चूत्तड़ों के नीचे तकिया लगा कर मेरे सामने चित हो अपने पैर फ़ैला कर लेट गयी। मैं उसकी चूंची को पकड़ कर उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू बहुत ही अच्छी थी। करीब पाँच मिनट के बाद रुखसाना ने मेरे कँधों को पकड़ कर मुझको अपने ऊपर से उठाया और बोली, “तुम अपने पैर मेरी तरफ कर लो… मुझको तुम्हारा लंड चूसना है।”
हम लोग जल्दी से सिक्स्टी-नाइन की पोज़िशन में लेट गये और अपना अपना काम शुरू कर दिया। रुखसाना बहुत अच्छी तरह से मज़े लेकर मेरा लंड चूस रही थी। हम लोग एक दूसरे के चूत और लंड करीब पाँच मिनट तक चूसते रहे। मैंने फिर रुखसाना को उसकी टाँगें फ़ैला कर लेटने को कहा और उसके पैर अपने कँधों पर रख लिये। मैंने उसकी टाँगों को और फ़ैला कर उसके घुटनों से उसकी टाँगों को मोड़ दिया।
अब रुखसाना की सैक्सी चूत मेरी आँखों के सामने खुली हुई थी। मैंने लंड पर थूक निकाल कर मला और लंड को रुखसाना की चूत पर रख कर एक ही धक्के के साथ उसकी चूत के अंदर कर दिया। इसके बाद मैं उसकी चूंचियों को पकड़ कर उसकी चूत में अपना लंड पहले धीरे-धीरे और बाद में जोर-जोर से पेलने लगा। रुखसाना भी अब नीचे से अपनी कमर उछाल कर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी और मुझको अपनी बाँहों में भर कर चूम रही थी।
थोड़ी देर के बाद रुखसाना अपनी एक चूंची मेरे मुँह पे लगाती हुई बोली, “मेरे चोदू सनम… मेरी चूत की चुदाई के साथ-साथ मेरी चूंची भी पियो… इसमें बेहद मज़ा मिलेगा और मेरी चूत भी और गरम हो जायेगी।”
मैंने भी उसकी चूंची को चूसते हुए थोड़ी देर तक उसको चोदा और फिर रुक गया। मेरे रुकते ही रुखसाना ने मुझे चूमते हुए कहा, “शाबाश, तुम बहुत ही बेहतरीन तरीके से चोदते हो। मैं तुम्हें बहुत पहले से चाहती हूँ लकिन मैं तुमसे दूर रहती थी कि कहीं तुम्हारी बीवी को मेरे इरादों का पता न चल जाये।”
मैंने कहा, “तो फिर आज क्यों मेरा लंड अपनी चूत में लिया हुआ है।”
रुखसाना ने उत्तर दिया, “अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा था, मुझे इमरान से तसल्ली नहीं हो रही थी… वो ना तो तुम्हारी तरह मुझे चूदता है और ना ही वो मेरी चूत पे किस करता है और ना ही मेरी गाँड मारता है… मुझे गाँड मरवाने का बहुत शौक था…. साथ ही कईं दिनों से किसी और से चुदवाने का मौका भी नहीं मिला… करीब दो महीने पहले तक ऑफिस का एक चपड़ासी मुझे चोदता था पर वोह भी नौकरी छोड़ कर चला गया।”
उसने अपनी कमर को अब फिर से धीरे-धीरे चलाना शुरू किया और अपनी चूत से मेरा लंड पकड़ने की कोशिश करती हुई बोली, “मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पहली दफा चुद रही हूँ… तुम बहुत मज़े के साथ चोदते हो… अब धीरे-धीरे मेरी चूत चोदो।”
मैं फिर से उसको धीरे-धीरे चोदने लगा और उससे बोला, “तुम भी मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो… मैं भी हर वक्त तुम्हें चोदने के बारे में सोचता रहता था… मुझे भी तुम्हारी चूत और गाँड ने बहुत मज़ा दिया है… मैंने पहली बार गाँड मारी है… तुम्हारी गाँड इतनी टाईट थी कि लग रहा था कि किस्सी कुँवारी लड़की की चूत हो।”
तब रुखसाना बोली, “तुम्हारा मोटा लंड और मेरी टाईट चूत हम दोनों को बेहद मज़ा दे रहे हैं… अब मैं बहुत गरम हो गयी हूँ… अब मेरी चूत जोर-जोर से चोदो।”
मैं भी अब तक उससे चुदाई की बातें करके बहुत गरम हो चुका था और उसे दनादन चोदने लगा। तब वो बोली, “अपना थूक मेरे मुँह में डालो… यह बहुत मज़े का है।”
मैंने भी तब रुखसाना को चूमते हुए उसके मुँह में अपना ढेर सारा थूक डाल दिया। रुखसाना अपनी चुदाई से मस्त हो कर बड़बड़ाने लगी, “आहह, ओह मज़ा आ गया और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत चोदो… पूरा-पूरा लंड डाल कर चोदो… मैं तो अब तुम्हारे लंड की दीवानी हो गयी… अब तुम जब भी कहोगे मैं तुम्हारे लंड को अपनी चूत के अंदर ले लुँगी। चोदो… चोदो… ज़ोर-ज़ोर से चोदो… बहुत मज़ा आ रहा है। आज मेरी चूत की सारी खुजली मिटा दो… मेरी चूत फाड़ कर उसके चिथड़े-चिथड़े कर दो। बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते रहो। अल्लाह करे आज का वक्त रुक जाये और तुम मेरी चूत ऐसे ही चोदते रहो। हाय तुम्हारा लंड मेरी चूत में अंदर तक ठोकर मार रहा है और मुझको बेइंतेहा मज़ा मिल रहा है।”
थोड़ी देर के बाद मेरा पानी छूटने को हुआ और मैंने रुखसाना से कहा, “मेरी जान… मेरा लंड अब उल्टी करने वाला है… क्या मैं अपना लंड निकाल लूँ?”
रुखसाना अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए अपनी कमर उचका कर बोली, “जान से मार दूँगी अगर अपना लंड बाहर निकाला… अपना लंड मेरी चूत में इखराज़ कर दो… जो होगा फिर देख लेंगे।”
मैं तब उसकी चूत पर पिल पड़ा और उसकी चूत में अपना लंड पागलों की तरह अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं उसकी चूत के अंदर झड़ गया। मेरे झड़ने के साथ ही रुखसाना ने अपनी चूत से मेरे लंड को निचोड़ लिया और वो भी झड़ गयी। मेरे लंड को उसने अपनी चूत के रस से नहला दिया और बोली, “ओह जानू… मज़ा आ गया… आज से पहले इस कदर मज़ा नहीं आया था… मेरी चूत को तुम्हारा लंड बेहद पसंद आया है।” अपनी लंबी चुदाई से हम दोनों अब तक बहुत थक चुके थे और इसलिये हम दोनों एक दूसरे को अपनी बाँहों से जकड़ कर सो गये। करीब एक बजे हम लोगों की आँख खुली। हम दोनों नंगे ही सो रहे थे और रुखसाना ने अभी भी अपने हाई हील सैंडल पहने हुए थे। आँख खुलते ही मेरा लंड फिर से रुखसाना की चूत में घुसने के लिये खड़ा होने लगा। हम लोगों ने एक बार फिर से जम कर चुदाई की, और फिर रुखसाना ने नंगी ही उठ कर किचन में जाकर हम लोगों के लिये लंच तैयार किया। लंच तैयार होने के बाद हम लोगों ने नंगे ही डाइनिंग टेबल पर बैठ कर लंच लिया। अब तक करीब साढ़े तीन बज रहे थे। रुखसाना बोली, “मेरी जान… जाने का तो मन नहीं है, लेकिन क्या करूँ जाना पड़ेगा। मेरा बेटा अभी स्कूल से आता ही होगा।” मैंने कहा, “ठीक है… अभी अपने घर जाओ, लेकिन कल इमरान और बेटे के जाते ही मेरे घर अपनी चूत और गाँड ले आना। मैं फिर तुम्हारी चूत और गाँड को लंड खिलाऊँगा। आओगी ना लंड खाने?”
रुखसाना बोली, “जरूर मेरे चोदू सनम, कल मैं फिर से तुम्हारा प्यारा लंड अपनी चूत और गाँड को खिलवाऊँगी!” और इतना कह कर रुखसाना अपने घर अपनी चुदी चूत और गाँड ले कर चली गयी।
!!! समाप्त !!!
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