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Mastram Ki Hindi Sex Stories | hindisexstories.autocamper-service.ru Ki Antarvasna Stories | मस्ताराम की हिंदी सेक्स कहानियां

मैं तुम्हारी भी सील तोड़ना चाहता हूँ-1

मेरा नाम मोहित है, मैं नोयडा में रहता हूँ, मेरी आयु ३४ वर्ष है, मैं सेहत में ठीक हूँ और स्मार्ट भी हूँ ! मैं आप सभी को अपने चाचा की लड़की की चुदाई और सील तोड़ने की एकदम सही अनुभव बता रहा हूँ।
मेरे एक चाचा मेरे साथ ही रहते हैं, उनकी एक लड़की है, उसका नाम अंकिता है, मेरी चाची की मृत्यु हो चुकी है। मेरी बहन १९ वर्ष की है परन्तु उसका बदन काफी भरा हुआ है और वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी है, हालांकि मेरी शादी हो गई है, पर उसको देख कर दिल में कुछ होने लगता था, जब मैं उसको खेलते हुए देखता, खेलने के दौरान उसके उभरते हुए दूध देखता तो मेरे दिल में सनसनी फ़ैल जाती थी, दौड़ने के दौरान जब गोल गोल चुनमूनियाँड़ ऊपर-नीचे होते तो मेरा लण्ड पैंट के अन्दर मचल उठता था और उसके साथ खेलने (सेक्स का खेल) के लिए परेशान करने लगता था।
क्या कमसिन खिलती हुई जवानी है इसकी ! मुझे अपनी पाँच वर्ष पुरानी बीवी तो बूढ़ी लगने लगती थी।
मैं तो जब भी अपनी बीवी को चोदता तो मुझे अपनी बहन का ही चेहरा नजर आने लगता था। हालांकि मेरी बहन मुझसे करीब १८ वर्ष छोटी है, परन्तु मैं अपनी सेक्स भावनाओं पर काबू पाने में असमर्थ था।
चूंकि हम लोगों का सम्मिलित परिवार है इसलिए सब एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे और एक ही घर में रहने के कारण कभी कभार कुछ ऐसा दिख जाता था कि…
एक दिन मुझे अपनी बहन को नहाते हुए देखने का मौका मिल गया।
हुआ यूँ कि मैं किसी काम से अपने चाचा के घर में गया, मैंने चाचा को आवाज़ दी पर कोई उत्तर न मिलने के कारण मैं अन्दर चलता चला गया, मुझे कोई दिखाई नहीं दिया। तभी मुझे स्नानघर से पानी गिरने की आवाज़ आई।
मैंने फिर से चाचा को आवाज़ दी तो स्नानघर से अंकिता की आवाज़ आई- भैया, पापा तो ऑफिस चले गए हैं।
मैंने कहा- अच्छा !   
और वापस आने के लिए मुड़ गया किन्तु तभी मेरे मन में बसी वासना ने जोर मारा, मैंने सोचा कि अंकिता कैसे नहा रही है, आज देख सकता हूँ क्योंकि चाचा के यहाँ कोई नहीं था और मौका भी अच्छा है।
मैंने स्नानघर की तरफ रुख किया और कोई सुराख ढूढने की कोशिश करने लगा, जल्दी ही मुझे सफलता मिल गई, मुझे दरवाजे में एक छेद नजर आ गया मैंने अपनी आँख वहाँ जमा दी।
अन्दर का नजारा देख कर मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, अन्दर अंकिता पूरी नंगी होकर फव्वारे का आनंद ले रही थी।
हे भगवान ! क्या फिगर है इसका ! बिल्कुल मखमली बदन, काले तथा लम्बे बाल, उभरती हुई चूचियाँ, बड़ी बड़ी आँखें, बिल्कुल गुलाबी होंठ और उसकी चुनमूनियाँ तो उफ़…. उभरी हुए फांकें और उसके आसपास हल्के हलके रोयें ! उसकी गाण्ड एकदम गोल और सुडौल ! भरी हुई जांघें !
इतना दखने के बाद मेरा तो बुरा हाल हो गया था, जब फव्वारे से उसके शरीर पर पानी गिर रहा था तो मोतियों की बूंदें ऐसे लग रही थी, मेरा तो हाल बुरा हो गया, मैंने बहुत कुंवारी लड़कियों को चोदा था पर इतनी मस्त लौंडिया मैंने कभी नहीं देखी थी।
तभी मैंने देखा कि अंकिता अपनी चुनमूनियाँ और चूचियों में साबुन लगा रही है, इस दौरान वो अपनी चुनमूनियाँ में अपनी ऊँगली डालने की कोशिश कर रही थी।
मेरा लण्ड तो कठोर होकर पैंट के अन्दर छटपटा रहा था, मन में भी यही आ रहा था कि कैसे भी हो अंकिता को अभी जाकर चोद दूँ। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  क्योंकि आज के पहले जब मैं उसको कपड़ो में देख कर चोदने के सपने देखता था और आज नंगी देखने के बाद तो काबू कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था।
तभी मेरा मोबाइल बज गया, यह तो अच्छा हुआ कि मोबाइल वाईब्रेशन मोड में था और घंटी नहीं बजी।
खैर मोबाइल की वजह से मैं धरती पर वापस आ गया और चूंकि यह फ़ोन चाचा का ही था तो मुझे वहाँ से हटना पड़ा।
बाहर आकर मैंने फ़ोन उठाया, तो उधर से चाचा ने पूछा- तुम कहाँ हो?
मैंने कहा- अपने कमरे में हूँ।    
तो बोले- मोहित, एक काम है।
मैंने कहा- बताइये !
तो वे बोले- आज मुझे ऑफिस से आने में देर हो जायेगी और अंकिता को आज मैंने वादा किया था कि कुछ कपड़े दिलाने बाज़ार ले जाऊँगा, क्या तुम मेरा यह काम कर सकते हो?
मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई थी, मैंने तुरंत कहा- चाचा जी आप परेशान न हों, मैं प्रिय को कपड़े दिला दूँगा।
और उधर से उन्होंने थैंक्स कह कर फ़ोन काट दिया।
इतने में मुझे बाथरूम का दरवाजा खुलने का अहसास हुआ, मैं तुरंत वहां से हट कर अपने कमरे में आ गया। मेरे दिमाग में योजना बननी शुरू हो गई कि कैसे मौके का फायदा उठाया जाए।
फिर मैं थोड़ी देर बाद अंकिता के कमरे में गया, वो अपने बाल सुखा रही थी पंखे के सामने बैठ कर।
मुझे देखते ही तुरंत खड़ी हो गई।
मैंने कहा- अंकिता कैसी हो?
वो बोली- ठीक हूँ भैया।
मैंने कहा- अभी चाचा जी का फ़ोन आया था, कर रहे थे कि आज तुमको शॉपिंग ले जाना था परन्तु आफिस में काम ज्यादा है, उन्हें देर हो जायेगी और तुमको शापिंग मैं करवा लाऊँ। उसने कहा- ठीक है भैया, कितने बजे चलेंगे?
मैंने कहा- तुम तैयार हो जाओ, हम लोग अभी निकलेंगे और दोपहर का खाना भी बाहर खायेंगे क्योंकि मेरी मम्मी बुआ के घर गई हैं और तुम्हारी भाभी (मेरी पत्नी चूंकि टीचर है) तो शाम तक आएँगी, आज मैं शॉपिंग के साथ तुमको पार्टी भी दूँगा।
उसके चेहरे पर चमक आ गई। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  खैर मैंने 11 बजे के करीब उसको अपने स्कूटर पर बैठाया और निकल पड़ा बाजार जाने को !
मैंने स्कूटर एक बड़े मॉल में जाकर रोका, तो अंकिता चौंक कर बोली- भैया, यहाँ तो बड़े महंगे कपडे मिलेंगे?
मैंने उससे कहा- तो क्या हुआ, महँगे कपड़े अच्छे भी तो होते हैं ! और फिर तुम इतनी सुन्दर हो, अच्छे कपड़ों में और ज्यादा सुन्दर लगोगी। तो उसका चेहरा लाल हो गया।
मॉल के अन्दर जाकर कपड़े पसन्द करते समय वो मुझसे बार-बार पूछती रही- भैया, यह कैसा लग रहा है? वो कैसा है?
खैर चार जोड़ी कपड़े चुन करके वो ट्राई रूम में गई। ट्राई रूम थोड़ा किनारे बना था और उस समय माल में ज्यादा लोग थे भी नहीं, मैं ट्राईरूम के बाहर ही खड़ा हो गया।
वो पहन कर आती और मुझसे पूछती- यह कैसा लग रहा है? ठीक है या नहीं?
उसने वो चारों जोड़ी कपड़े पसन्द कर लिए।
उसके बाद मैंने पूछा- अंकिता, और कुछ लेना है?
तो वो बोली- हाँ, मगर वो मैं अकेले ही ले लूंगी।मैंने सोचा ऐसा क्या है, खैर मैंने देखा कि वो महिला सेक्शन में जा रही थी।
उसने कुछ अंडर गारमेंट लिए और जल्दी से पैक करा लिए जब वो लौट कर मेरे पास आई तो मैंने कहा- मैंने तो देख लिया है।
तो वो शर्मा गई।    
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- तुम इनका ट्रायल नहीं दिखाओगी क्या?
तो वो और शरमा गई।
मैंने माहौल को सामान्य करते हुए कहा- मैं तो इसलिए कहा रहा था कि तुम्हारी भाभी को तो यह सब मैं ही ला कर देता हूँ, अगर तुम इसके लिए भी मुझसे कहती तो मैं तुमको अच्छी चीज दिला देता।
बात उसकी समझ में आ गई, वो बोली- भैया गलती हो गई।
मैंने कहा- चलो अभी चलते हैं।
मैं उसको महिला विभाग में ले गया और सेल्स गर्ल से विदेशी अंतर्वस्त्र दिखाने को कहा।
चूंकि अंकिता थोड़ी देर पहले ही उससे कुछ अंतर्वस्त्र लाई थी, अतः उसने उसी नाप के अंतर्वस्त्र दिखाने लगी।
उन अंतर्वस्त्रों को देख कर अंकिता के अन्दर की ख़ुशी मैंने उसके चेहरे से पढ़ ली, मैंने कहा- चलो जाओ और ट्राई करलो !
तो वो चेहरा घुमा कर हंसने लगी।
उसके बाद मैंने उसको मुख-शृंगार का सामान भी दिलवाया अपनी पसंद से !
हालांकि वो मना कर रही थी पर मैंने कहा- यह मेरी तरफ से है।
यह सब खरीदने के बाद हम लोग वहीं एक रेस्तरां में गए। मुझे पता था कि इस समय रेस्तरां में ज्यादातर प्रेमी प्रेमिका ही आकर बैठते थे। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  मैंने एक किनारे की सीट चुनी और हम दोनों उसी पर जाकर बैठ गए।
मैंने उससे पूछा- तुम क्या खाओगी?
तो वो बोली- जो आप मंगा लेंगें वही मैं भी खा लूंगी।
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- अंतर्वस्त्र लेते समय तो यह ख्याल नहीं किया? और फिर मेरे कहने पर ट्राई भी नहीं किया?
तो वो शरमा गई और बोली- क्या भाभी आपकी पसंद से लेती हैं? और वो यहाँ पर ट्राई करके दिखाती हैं?
तो मैंने कहा- हाँ ! पसंद तो मेरी ही होती है पर ट्राई करके वो घर पर दिखाती है। क्या तुम मुझे घर पर दिखाओगी?
उसको कोई जवाब नहीं सूझा तो वो मेरा चेहरा देखते हुए बोली- हाँ दिखा दूँगी।
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। तभी वेटर आ गया और खाने का आर्डर ले गया।
खाना ख़त्म कर हम लोग करीब दो बजे घर आ गए, अंकिता बहुत खुश लग रही थी क्योंकि उसको मेरे साथ शॉपिंग में कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा।    
शाम को उसने अपनी शॉपिंग का सामान मेरी माँ और बीवी को भी दिखाया पर अंतर्वस्त्र और शृंगार का सामान नहीं दिखाया। दूसरे दिन सुबह मेरी माता जी को कुछ काम से बाजार जाना था, मेरी बीवी स्कूल चली गई थी, मैं कल वाले समय पर ही चाचा जी के कमरे की तरफ चला गया और मैंने आज पहले ही निश्चय कर लिया था कि आज अपनी प्यारी सेक्सी बहना की कुँवारी चुनमूनियाँ की सील तोड़नी हैं।
इसलिए मैं केवल एक तौलिया बांधे था, मेरा अनुमान सही था, चाचा जी ऑफिस जा चुके थे और अंकिता बाथरूम में नहा रही थी।
मैंने फिर से कल वाली पोजिशन ले ली, मैंने देखा कि आज अंकिता की चुनमूनियाँ बिल्कुल चिकनी है, शायद उसने अपनी झांटें साफ़ की हैं नहाने से पहले। आज वो अपनी चुनमूनियाँ पर हाथ ज्यादा चला रही थी, उसकी चूचियाँ कड़ी कड़ी लग रहीं थी और आँखें बंद थी।
मेरा लण्ड अंकिता की चुनमूनियाँ में घुसने के लिए मचला जा रहा था।
कुछ सोच कर मैं वहाँ से हट कर अंकिता के कमरे में चला गया और ऐसी जगह बैठ गया कि वो मुझे कमरे में घुसते ही न देख पाए।

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गुरु मस्तराम

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