खोलो यह साड़ी जरा नंगी हो दिखाओ यह चारुदत्त शर्मा के द्वारा लिखी गयी एक मजेदार शायरी है यह आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है हिंदी सेक्सी शायरी मजेदार शायरी
Category: शेरो शायरी
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शेरो शायरी: रस आल्हा खंड
विकटनितंबा जंघाचपला चक्रव्यूह फिरकी फिरकाय | लंड-दंड -मंडल में घेरा ”चूत” को तक्षक-दंश डंसाय | लंडकोश से अंडकोश तक घुड़दौड़ा घोड़ी धड़काय | रगड़ी चमड़ी नस-नस, सिसके लज्जागौरी गांड मराय |
शेरो शायरी : कांगड़ा की छोरियाँ
चीकू -फांक सी चूत की बुलबुल, बिटिया मुन्नी लल्ली | आम- फांक सी लोली गुड़िया, फुद्दी छबक -छबल्ली | लंड फंसाया दब, दोनों की चूत गरम गदराई
हुई चुदाई भड़क भोसकी भुस भोसड़ी सुहाई | अगर मेरी शायरी अच्छी लगे तो शेयर करना ना भुले |
शेरो शायरी: रिश्तों में चुदाई
पारुल प्यारी बीबी न्यारी– पतिव्रता, बलिहारी ! करवा चौथ की रात मज़ा ले, पर-पति करे सवारी ! छैल-भँवर रँगरेली मारे छैलछबीली खेले ! चूत तिकोनी उचका बोले ‘लंड’ लगाकर ले-ले
शेरो शायरी : चोदहि मस्ताराम गुरु ज्ञानी
हेल्लो मै चारुदत्त शर्मा आज फिर से हाजिर हूँ एक नयी शेरो शायरी के साथ जिसका नाम है शेरो शायरी : चोदहि मस्ताराम गुरु ज्ञानी तो लीजिये मज़ा और शेयर कीजिये अपने दोस्तों के साथ |
चूंची की नोंक लाला कुतर-कुतर – शेरो शायरी
सेठजी की तोंद पर मुन्नी कबूतर | चूंची की नोंक लाला कुतर-कुतर | मम्मों में मुंह मार ; दाँत दे गड़ा | सेठ, तेरी धोती में लंड हुआ खड़ा |
पेट पे लिटा के छोरी कर गांड अंगुल | गांड के छेद में मस्त मचा दंगल |
शेरो शायरी : भारत दर्शन
यह सलवार और कुरती में चुन्नी खोले बुलबुल | देख के मुंह में मिश्री घुलती, चंचल चाल है चुलबुल | वाह मुन्नी पंजाबिन ! पूरा पढ़े भारत में लड़कियों की चुत की प्रजातियाँ अगर आप लड़की है तो इसे पढ़ कर कमेंट करना ना भूले | क्या यह सच है ?
दि कपिल शर्मा एडल्ट शो – मस्ताराम की स्टाइल में
फिर सलमान और अजय सर और अक्षय ने मेरे मुँह को दो घंटे चोदा और मेरे गले में सारा पानी उतारा और मुझे पीने के लिए मजबूर किया। फिर जल्दी से मेकप करके मैं स्टेज पे गई, और दो साल तक हर अवार्ड पर यही सब होता रहा। कभी गाण्ड फाड़ते तो कभी मुँह चोदते।
वैश्या अलंकार हरण – शेरो शायरी
रात की रानी, काली चदरिया झाग-सा उफने पानी का दरिया रह-रह, झिप-झिप बिजली कौंधे नंगा जोबन, बाली उमरिया सेठ पचास-का ठक-ठक ठोंके हड्डी -हड्डी तोड़ कमरिया धरमतले में बिक गई बुलबुल पूछूं नहीं, ऐसे ही सवालों की कसम ..
बंबई का बाबू गुजराती छोरी लायो रे
बंबई का बाबू गुजराती छोरी लायो रे | कच्चे उसके ताल-कटोरे, खोल के देखा उसने चोली | मसल के गूँधा, गूँध के मसला मुंह में भर ली मीठी निंबोली | कसी हुई सँकरी खटिया पर मचक-मचक मचकायो रे |