मेरी की चूत की आग-1

प्रेषक: आरती

दोस्तों मै बहुत सैक्सी औरत हु मेरी उम्र ४५ है , मुझे मर्दों से चुदवाने का शौक बहुत ज्यादा है।फिर वो मर्द कोई भी हो बस मेरी चूत की आग शांत कर सके वैसे तो मै अभी मुंबई में ही रहती हु | मुझे रोज नए नए लंड से चुदने की आदत है आज मै अपनी एक स्टोरी मस्तराम डॉट नेट पर भेज रही हु अगर मेरी ये कहानी प्रेषित हुयी तो लडकियों की चूत से पानी और लडको के लंड से वीर्य निकल जायेगा मै और भी अपनी चुदाई की कहानिया लिखुगी अगर आप लोग कमेंट करेगे की मेरी ये कहानी कैसी लगी सो आप मजा लीजिये मेरी कहानी का …….
आरती की उम्र ४५ वर्ष थी पर दिखने में वो ३४-३५ की ही लगती थी। उसने अच्छे खान-पान और कसरत के ज़रिए खुद को काफ़ी फिट और मेनटेन कर के रखा था। उसका ३६-२८-३६ का फ़िगर बहुत ही सैक्सी था। वो बहुत ही फैशनेबल थी और हमेशा शिफॉन या नेट की पारदर्शी साड़ियाँ और स्लीवलेस ब्लाउज़ पहनती थी। उसके नूडल स्ट्रैप ब्लाउज़ हमेशा इतने लो-कट और छोटे होते थे कि उसके सामने खड़ा कोई भी इंसान उसकी सैक्सी चूचियाँ साफ-साफ देख सकता था। आरती के तराशे हुए शरीर पे अगर कहीं माँस दिखता था तो वो था सिर्फ़ उसकी चूचियाँ और उसकी गाँड और वो इन दोनों का पूरा-पूरा फायदा उठाती थी। उसकी शादी से पहले और बाद में भी उसके अनेकों नाजायज़ सम्बंध रहे हैं। उसका पति मर्चेंट नेवी में था और साल मे एक-आधे महीने के लिए ही घर आ पाता था। इसलिए आरती के लिए किसी से भी अपनी चूत चुदवाने में कोई बाधा नहीं थी। आरती की एक २२ वर्ष की बेटी थी, पूजा। पूजा भी दिखने में बहुत ही खूबसूरत और सैक्सी थी। पूजा को देख कर कितने ही लड़के आहें भरते थी और उसके नाम की मुठ मारते थे। आरती को अपनी अय्याशियों के आगे उसकी बेटी की ज़िंदगी में कोई रुचि नहीं थी। पूजा क्या पहनती है, क्या करती है, कहाँ आती-जाती है, इस सबसे आरती कुछ सरोकार नहीं था। अपनी माँ के रोक-टोक के बगैर पूजा की भी सिर्फ़ फ़ैशन और लड़कों में ही रुचि थी। पूजा दो साल से बी.ए फ़ाईनल इयर में ही अटकी थी। दोनों माँ बेटी की स्वच्छँद ज़िंदगी थी। इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

एक दिन पूजा के कॉलेज से आरती के लिए प्रिंसिपल से मिलने के लिए फोन आया। आरती को वैसे तौ पूजा के कॉलेज और पढ़ाई-लिखाई से कोई सरोकार नहीं था पर फिर भी एक माँ होने के नाते उसने प्रिंसिपल से मिलने का फैसला किया। अगले ही दिन आरती पूजा के कॉलेज गयी। आरती ने जामुनी रंग की शिफॉन की साड़ी, नाभी से काफी नीचे बाँध कर पहनी हुई थी। उसके साथ ही उसने बहुत ही कसा हुआ लो-कट स्लीवलेस ब्लाउज़ और सफ़ेद रंग के बहुत ही ऊँची और पतली हील के सैंडल पहने थे। गले में मंगल-सुत्र था जो उसकी चूचियों की बीच की घाटी में टिका था। उसके लम्बे बाल उसके पीछे क्लिप में बँधे थे और उसके माथे पर मैचिंग बिंदी थी और माँग में हल्का सा सिंदूर भी था। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपनी बेटी के कॉलेज के प्रिंसिपल मिलने नहीं बल्कि किसी की शादी की पार्टी में आयी हो।
जब आरती कॉलेज पहूँची तो शाम के चार बज रहे थे। जब उसने चपड़ासी से प्रिंसिपल के बारे मे पूछा तो चपड़ासी ने आरती को प्रिंसिपल के ऑफिस तक ले जाने के पहले उसे सर से पाँव तक कामुक नज़रों से निहारा। चपड़ासी अंदर जा कर प्रिंसिपल, जसवंत राठौड़, को आरती के आने की खबर दी। जसवंत एक बहुत ही होशियार, ४२ वर्षिय आदमी था। वो ६ फुट ऊँचा, चौड़ी छाती और अच्छे हट्टे-कट्टे शरीर का मालिक था। उसने अपने चपड़ासी, मंगल से आरती को अंदर भेजने को कहा और साथ ही आदेश दिया कि कोई भी डिस्टर्ब ना करे क्योंकि यह बहुत ही जरूरी मीटिंग थी। मंगल ने बाहर आकर एक बार फिर आरती को ऊपर-से नीचे तक निहारा और उसे अंदर जाने को कहा। वो सोच रहा था कि इस सैक्सी औरत को देख कर जसवंत की क्या प्रतिक्रिया होगी।
आरती ने दरवाजे पे नॉक कर के थोड़ा सा खोल के पूछा, “क्या मैं अंदर आ सकती हूँ? मैं आरती, पूजा की मदर, आपने मुझे बुलाया था।”
जसवंत राठौड़ की तो इतनी सैक्सी औरत को दरवाजे पे खड़ी देख कर बोलती बँद हो गयी। जामुनी रंग की शिफॉन की साड़ी में खड़ी इतनी खूबसूरत और सैक्सी औरत की बड़ी-बड़ी कसी हुए चूचियाँ और मादक होंठ देख कर उसे विशवास ही नहीं हुआ कि वो पूजा की माँ हो सकती है। जसवंत की नज़रें आरती की चूचियों पे टिकी थी और वो आरती की सैक्सी प्रतिमा को अपनी आँखों में उतारने की कोशिश कर रहा था। जब आरती ने फिर से दरवाजे पे नॉक किया तो जसवंत असलियत में वापस होश में आया और बोला, “आइये आइये आरती जी, आप पूजा की मदर हैं? मुझे लगा आप उसकी बहन हो इसलिए ज़रा हैरान था। वैसे आरती जी, मैंने बुलाया था आपको पूजा के बारे में कुछ बात करने। आओ अंदर आओ और प्लीज़ बैठो।”
कसे हुए लो-कट ब्लाउज़ में कैद अपनी बड़ी-बड़ी गोरी चूचियाँ जसवंत को दिखाने के लिए आरती ने बैठते हुए अपना पल्लू थोड़ा सा गिरा दिया। जसवंत को अपनी चूचियों को घूरते हुए आरती ने देखा तो वो मन ही मन खुश हुई और फिर अपना पल्लू फिर से ठीक करते हुए बोली, “शुक्रिया, लेकिन हाँ मैं पूजा की मदर ही हूँ। बोलो क्या बात करनी थी आपको मेरी बेटी के बारे में सर?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!
जसवंत उसकी शिफॉन की साड़ी में से झाँक रही उसके छातियों के कटाव पे नज़रें गड़ाये हुए बोला, “आप ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दीजिए। पूजा पढ़ाई में बहुत कमज़ोर है और पिछले दो साल फेल भी हो चुकी है।”hindisexstories.autocamper-service.ru (18) ki mast chudaiआरती को जसवंत का अपनी छातियों को घूरना बिल्कुल भी नहीं अखरा बल्कि उसने थोड़ा और झुक कर अपनी बाँयी चूंची से अपना पल्लू थोड़ा खिसका दिया और बोली, “सर, वो तो पहले से कमज़ोर है पढ़ाई में, लेकिन स्पोट्‌र्स में अच्छी है। पिछले साल कबड्डी में उसकी वजह से कॉलेज को गोल्ड-मैडल मिला था… याद है ना?”
इस औरत को इतनी स्वच्छँदता से बर्ताव करते देख जसवंत खुश हुआ। वो अपनी आँखें आरती की बाँयी चूंची पे गड़ा कर बोला, “स्पोट्‌र्स में तो वो अच्छी है इसमें कोई शक नहीं आरती जी, पर वो सिर्फ़ पढ़ाई में ही कमज़ोर नहीं बल्कि वो गलत संगत की तरफ जा रही है।” यहाँ जसवंत थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला, “मेरा मतलब है कि वो उन लड़कियों के साथ घूमती है जिनका चाल चलन ठीक नहीं। मैं कुछ लड़कियों को पनिश करने वाला हूँ, और पूजा का नाम भी पनिशमेंट लिस्ट में है। मैंने उन लड़कियों के परैंट्स को भी बताया है यह सब और आज आपको बता दे रहा हूँ। आप चाहें तो उसको ठीक कर सकती हैं। मुझे ऐसी लड़कियाँ नहीं चाहिए मेरे कॉलेज में।”
जब आरती ने जसवंत को अपनी चूंची की तरफ घूरते हुए देखा तो उसे खुशी हुई। उसे भी जसवंत एक सजीला और तँदुरुस्त मर्द लगा जिससे आरती की चूत में थोड़ी सी खुजली उठी और उसके निप्पल तन गये और चूंचियाँ थोड़ी कड़क हो गयीं। आरती ने सोचा कि अगर वो चाहे तो कुछ हो सकता है। अगर वो जसवंत को पटा ले तो पूजा तो पनिश होने से बच ही जायेगी पर साथ ही आरती की चूत को भी जसवंत से चुदने को मिल जायेगा। आरती ने इस खेल को कुछ और देर जारी रखने का सोचा और अपने ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपनी चूंची को खुजलया जैसे कि उसे खुजली हो रही हो। फिर जसवंत की आँखों में गहरायी तक झाँकते हुए बोली, “अरे सर पूजा अब बच्ची थोड़ी है, अपना भला बुरा वो अच्छे से समझती है। भले वो उन लड़कियों के साथ रहती है जिनका चाल-चलन ठीक नहीं है, लेकिन मेरी बेटी का चाल-चलन तो ठीक है ना?” आरती फिर अपने दोनों हाथ टेबल पे रख के थोड़ा झुकी और अपनी चूचियों का अच्छा नज़ारा जसवंत को दिखाते हुए बोली, “मेरी बेटी ने ऐसा क्या गुनाह किया है जिसके लिए आप उसको पनिश करने वाले हो सर?”

जसवंत को आरती का आचरण देख कर लगा कि वो उसे रिझाने की कोशिश कर रही है। जसवंत एक गरम खून वाला राजपूत था जिसकी बीवी का ४ साल पहले देहाँत हो गया था। वैसे तो उसने अपनी शारीरिक इच्छाओं को काफ़ी काँट्रोल में रखा था और उसके अब तक सिर्फ़ कॉलेज की ही २-३ जवान टीचरों से सम्बंध बने थे पर कभी भी उसने किसी स्टूडेंट की माँ को चोदने की कल्पना नहीं की थी। उसके कॉलेज की टीचरों से सम्बंध भी खतम हो गये थे जब या तो वो शादी कर के नौकरी छोड़ गयीं या उन्हें कहीं और अच्छी नौकरी मिल गयी। पर अब आरती का बर्ताव देख कर उसे लगा कि उसे कोशिश करनी चाहिए। उसे लगा कि आरती जैसी खूबसूरत और सैक्सी औरत के लिए थोड़ा खतरा मोल लिया जा सकता है। जसवंत उठा और आरती के पीछे गया। आरती का ब्लाउज़ पीछे से भी बहुत गहराई तक कटा था और उसकी दूधिया सफ़ेद, गोरी पीठ और सैक्सी कमर देख कर वो और भी उत्तेजित हो गया। जसवंत आरती के बिल्कुल पीछे खड़ा हो कर बोला, “आरती जी यह पूछो कि पूजा क्या नहीं करती? क्लास बँक करके उन लड़कियों के साथ घूमती है जिनके अफेयर्स हैं और कई बार लड़कों के साथ देर तक अकेले कैंटीन के पीछे रहती है।”

आरती भी खड़ी हो कर जसवंत की तरफ घूम गयी। उसका गोरा-गोरा क्लीवेज और ब्लाउज़ के अंदर से एक चूंची साफ़-साफ़ दिख रही थी। आरती ने नीचे देखा तो जसवंत की पैंट में उभार देख कर समझ गयी कि जसवंत उसकी अदाओं की वजह से गरम हो चुका था। वे दोनों अब एक- दूसरे के बहुत नज़दीक थे। आरती थोड़ी मुस्कुराते हुए बोली, “अरे क्लास तो सभी बँक करते हैं, क्लास बँक किया तो क्या हुआ? और अगर वो लड़कों के साथ बातें करती बैठती है तो इसमे उसपे एक्शन लेने की क्या ज़रूरत है?”

आरती की मादक अदाओं को देख कर जसवंत ने मामला अपने हाथों मे लेने का निश्चय किया और आरती को बाँह से पकड़ कर सोफ़े की और ले गया। आरती ने जसवंत द्वारा अपनी बाँह पकड़े जाने का बिल्कुल विरोध नहीं किया। आरती को सोफे पे बैठा कर वो भी उसके पास बैठ गया और आरती के चेहरे के नज़दीक आ कर बोला, “यहाँ बैठो आरती जी, आप क्यों नहीं समझती कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? पूजा वो सब करती है जो गलत लड़कियाँ करती हैं। मैं अब उसको कॉलेज से निकालने वाला हूँ, फिर जो होगा वो आप और आपकी बेटी देख लेना। मेरे पास और कोई चारा नहीं है।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

आरती भी अब काफी गरम हो चुकी थी और जसवंत की जाँघ पे हाथ रख कर बोली, “सर मुझे आप यह बताना कि वो उन लड़कों के साथ ऐसा क्या गलत काम करती है? और सर आप उसको कॉलेज से मत निकालना प्लीज़।” अपना निचला होंठ दाँत से हल्के से चबाते हुए आरती आगे बोली, “जसवंत जी आप चाहो तो उसकी हरकतों की सज़ा मुझे देना। आप बोलो मैं क्या करूँ जिससे मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालेंगे आप।” इतनी सैक्सी औरत को अपने इतनी नज़दीक पा कर जसवंत के सब्र का बाँध टूटा जा रहा था। उसने आरती का चेहरा अपने हाथों में पकड़ा और बोला, “आपको क्या सज़ा दूँ? खूबसूरत औरतों को मैं कभी सज़ा नहीं देता, बल्कि उन्हें प्यार देता हूँ।” फिर अपने होंठ आरती के होठों पे रख के जसवंत ने उन्हें चूमना शुरू कर दिया। आरती को खड़ी कर के जसवंत ने उसके काँधे पर से उसका पल्लू हटा कर नीचे गिरा दिया। फिर आरती के होंठ चूमते हुए ही उसने आरती की साड़ी उसके पेटीकोट से अलग कर के दूर फेंक दी आरती को दोनों हाथों से थोड़ी दूरी पे पकड़ कर कठोरता से बोला, “लगता है साली छिनाल माँ की छिनाल बेटी है पूजा, बोल क्या सज़ा दूँ तुझे छिनाल। तू भी तेरी बेटी जैसी छिनाल है, मुझे सब खबर है।”

आरती ने बिल्कुल सोचा नहीं था कि जसवंत इतनी जल्दी यह सब करने लगेगा पर वो जसवंत की हरकतों से खुश थी। फिर भी जानबूझ कर थोड़ी शर्म दिखाते हुए अपनी छातियों को अपने दोनों हाथों से ढक कर बोली, “शी… जसवंत जी आप कितनी गंदी बात करते हैं। आप ऐसा क्यों कह रहे हैं कि पूजा एक वैसी माँ की वैसी बेटी है? मेरी बेटी भी क्या ऐसा बर्ताव करती है जसवंत जी? आप कहते हैं कि आपको सब खबर है… इसका क्या मतलब?”

जसवंत आरती के हाथ उसके सीने से हटा के आरती के निप्पलों को दोनों हाथों की अँगुलियों से मसलने लगा और आरती आहें भरते खड़ी रही। आरती के निप्पलों से खेलते हुए जसवंत ने आरती के ब्लाउज़ के सब हुक खोले और आरती के दोनों मम्मों को हल्के से मसलने लगा। दूसरे हाथ से आरती के पेटीकोट का नाड़ा खोल के जसवंत ने उसे नीचे गिरा दिया। अब आरती जसवंत के सामने सिर्फ ओपन ब्लाउज़, गुलाबी ब्रा पैंटी, और सफ़ेद रंग के पतली हाई हील के सैंडल पहने खड़ी थी। जसवंत आरती का ब्लाउज़ उतार के बोला, “अब जैसे तू बिंदास हो के मेरे हाथों नंगी हुई है वैसे ही तेरी बेटी भी उसके बॉयफ़्रैंड के सामने नंगी होती है… तो तुम माँ बेटी को छिनाल क्यों नहीं कहूँ? रही बात मेरी गँदी बातों की… तो सुन साली! तेरी जैसी औरत को गालियाँ सुनके चुदवाने में ही मज़ा आता है… यह मालूम है मुझे। मुझे खबर है तेरी बेटी उसके यार के साथ क्या-क्या करती है।” आरती भी बेशरम होके जसवंत से लिपट गयी। जसवंत उसको चूमते हुए उसके बदन को मसलने लगा। आरती खुद जसवंत के शर्ट के बटन खोलते हुए बोली, “जसवंत अब आप जो चाहे वो सज़ा दो मुझे, लेकिन मेरी बेटी को कॉलेज से मत निकालना। आप कहते हो कि मेरी बेटी भी ऐसा करती है, क्या यह सच है जसवंत जी?”

जैसे ही आरती ने जसवंत की शर्ट खोल कर उतारी, वैसे ही जसवंत ने भी आरती की ब्रा के हुक खोल कर उसकी ब्रा उतार दी। वो आरती की बड़ी-बड़ी ३६-डी साईज़ की बिना लटके हुए सिधी खड़ी चूचियों को देख कर दंग रह गया। आरती के निप्पल एक दम नोकिले और हल्के ब्राऊन रंग के थे और उनके आस-पास का घेरा २ रुपये के सिक्के के माप का था। असके निप्पलों को चूमते और चूसते हुए जसवंत बोला, “साली पूजा भी एक रंडी है और बहुत चुदवाती है… उसकी चूत देखी तो नहीं मगर मुझे पता है उसका चक्कर है लड़कों से और वो खूब ऐश करती है। सुन आरती अब जब तू इतने प्यार से मुझे समझा रही है तो तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालुँगा बल्कि तेरी जवानी से पूजा को सज़ा ना देने की पूरी कीमत वसूल करूँगा।”

आरती के मम्मे मसलते और चूमते हुए जसवंत उसकी गाँड पे हाथ फेरने लगा। आरती भी अपनी आँखें बँद करके जसवंत की पैंट खोलने लगी और उसे नीचे करके उसने जसवंत का लंड पकड़ लिया। उसे अब भी यकीन नहीं हो रहा था कि पूजा किसी लड़के से चुदवाती है। वो जसवंत का अंडरवीयर नीचे करके उसकी आँखों मै आँखें डाल के उसका नंगा लंड बिना देखे सहलाते हुए बोली, “नहीं नहीं… जसवंत मेरी बेटी ऐसी नहीं है, आप झूठ बोल रहे हो। कौन लड़का है जिससे मेरी बेटी के शारीरिक सम्बंध हैं।” जसवंत अपनी पैंट पैरों से निकाल के आरती के मम्मे मसलने लगा और आरती आहें भरते बोली, “उउफफ़फ़फ़ जसवंत आराम से मसल ना मेरे मम्मे, दर्द होता है। अब मैं पूरी कीमत दे रही हूँ तो प्यार से करो ना, दर्द क्यों दे रहे हो?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

जसवंत ने बिना कुछ बोले आरती की पैंटी उतार के उसे पूरी तरह नंगी कर दिया। अब आरती सिर्फ अपने सफेद रंग के हाई हील्ड सैंडल पहने हुए थी और जसवंत भी बिल्कुल नंगा था। आरती ने जसवंत का लंड देखा तो थोड़ी डर गयी पर खुश भी हो गयी। जसवंत का ९” लम्बा और ४” मोटा राजपुताना लंड उसे भा गया था और आरती उसका लंड सहलाने लगी। जसवंत भी आरती की बिना झाँटों वाली नंगी चूत देख के खुश हुआ। जब उसने एक अँगुली आरती की चूत में घुसाई तो आरती की गीली चूत ने जसवंत की अँगुली को दबोच लिया। जसवंत आरती की गीली चूत में अँगुली करते हुए उसके मम्मे चूसने लगा और उधर आरती जसवंत के गरम लंड को सहलाते हुए उसे प्यार करने लगी। आरती की चूत अँगुली से चोदते हुए जसवंत बोला, “साली आरती तेरी जैसी गरम माल को तो दर्द के साथ चोदना चाहिए, इससे मुझे भी मज़ा आयेगा और तुझे भी। अब तेरी रंडी बेटी की बात गयी भाड़ में… पहले मुझे पूजा की गरम माँ को जी भर के चोदने दे… बाद में तेरी बेटी की बात करेंगे राँड।”

जसवंत अब आरती को सोफ़े पे बिठा के उसके सामने खड़े होके अपना लंड आरती के चेहरे पे घुमाने लगा। आरती उसका लंड पकड़के चूमते हुए कहने लगी, “ऊफ़फ़फ़ जसवंत तेरा यह लंड तो बहुत मस्त और बड़ा और लम्बा है। मुझे दर्द तो नहीं देगा ना तू?” जसवंत अपना लंड आरती के लिप्स पे रखते बोला, “साली छिनाल! तुझे कबसे दर्द होने का डर है? क्या पहली बार इतना बड़ा लंड देख रही है तू… राँड? मुझे लगा तू बड़ी चुदक्कड़ औरत है और ऐसे बहुत लंड चूस चूकी है… क्यों? चल साली बहनचोद… चल चाट मेरा लंड हरामी।” जसवंत की गालियों से आरती की चूत और गरम हो गयी। उसने सैंकड़ों लंडों से चुदाई की थी लेकिन जसवंत जैसे किसी मर्द ने उसे इतनी गालियाँ पहले से ही देके और डॉमिनेट करके गरम नहीं किया था। आरती अब जसवंत के लंड को मुठ मार के चूसने लगी। जसवंत का लंड पूरा हलक तक लेके उसे चूसती हुई वो जसवंत की गोटियाँ भी मसलने लगी। जसवंत ने आरती का सिर पकड़के उसका मुँह अपने लंड से मस्ती में चोदते हुए बोला, “हाँ ऐसे ही चूस मेरा लंड… राँड साली… तेरी बहन को चोदूँ… छिनाल। आआआहहह चूस मेरा लंड और गोटियाँ भी मसल हरामी राँड। साली तेरी चूत बड़ी गरम लगती है… इसलिए इतनी जल्दी मुझसे चुदवाने को तैयार हो गयी तू।” जसवंत का लंड चूस के आरती उस गीले लंड को मुँह से निकाल के अपने चेहरे पे घुमाते हुए बोली, “ऊम्म्म्म्म… बड़ा मस्त लंड है तेरा जसवंत, तेरा राजपुताना लंड चूसने में मज़ा आ रहा है मुझे। हाँ जसवंत मैं बड़ी गरम औरत हूँ और तेरे जैसे गरम मर्द के सामने यह राज़ मैं छिपा नहीं सकती… मेरी चूत तो हमेशा चुदने को तैयार रहती है… मेरे राजा। तेरा यह लंड देखके मैं बड़ी खुश हुई जसवंत। दिल करता है यह लंड हमेशा चूसती और उससे चुदवाती रहूँ।”
आरती ने फिर जसवंत की गोटियों को चूसा और आरती से गोटियाँ चूसवाने में जसवंत को बहुत अच्छा लगा। जसवंत की गोटियाँ चूसने के बाद आरती ने फिर लंड मुँह में लेके उसे मस्ती से चूसते हुए अपना मुँह चुदवाने लगी। अब जसवंत से रहा नहीं गया और अपना लंड आरती के मुँह से निकल के, आरती को उठा के नीचे कारपेट पे लिटा के उसकी टाँगें खोलके और उनके बीच बैठ गया। अपना लंड आरती की गरम चूत पे रखते हुए जसवंत बोला, “बहनचोद रंडी… देख तुझे कैसे चोदता हूँ। तेरी बहन की चूत चोदूँ हरामी राँड साली… तू आज मेरा लंड लेके ज़िंदगी भर उसे याद करती रहेगी।” आरती भी बेशरम होके जसवंत का लंड अपनी चूत पे रख के बोली, “हाँ चोद डालो मेरी गरम चूत जसवंत… जबसे तुझे देखा, मेरा अपने दिल पे काबू नहीं रहा। मुझे ऐसे चोद कि मैं तेरी गुलाम बनके रहूँ राजा। ऐसे ही मेरे ऊपर आके मेरी चूत अपने तगड़े राजपुताना लंड से चोद।”
जसवंत आरती की दोनों टाँगें उठाके चूत को २ अँगुली से खोले लंड दबाने लगा। आरती की चूत उसे टाईट लगी और इसलिए लंड और ज़रा दबाके लंड की टोपी अंदर घुसा के बोला, “गाँडू साली… साली तेरी चूत तो अभी भी बड़ी टाईट है, लगता है पूजा के बाप ने तुझे ज़्यादा नहीं चोदा है।” जसवंत का मोटा लंड घुसने से आरती को ज़रा दर्द हुआ और जसवंत की कमर पकड़ के वो बोली, “जसवंत अब आराम से डाल नहीं तो मेरी चूत फटेगी। यह बात बराबर है कि मेरा पति मुझे ज्यादा नहीं चोदता है लेकिन यह बात तुझे कैसे पता चली? आआआआहह ज़…हीईई..र मेरीईईई चूऊऊऊ..त गयीईईईई। मुझे बहुत दर्द हो रहा है… मैं मर गयीईईईई मेरीईईई चूत फट गयीईईई जसवंतऽऽऽऽ।”

जसवंत ने आरती की बातों पे ध्यान दिये बिना एक धक्का और मारा और आधा लंड आरती की गरम चूत में घुसा दिया। दोनों हाथों से आरती के मम्मे मसलते हुए वो बोला, “नहीं फटेगी रानी, तेरी चूत अभी भी बड़ी टाईट और जवान है, बड़े सम्भाल कर रखी है तूने अपनी चूत।” आरती को दर्द अभी भी हो रहा था और वो अपनी कमर सोफ़े में दबा के जसवंत से दूर होने लगी तो जसवंत उसके मम्मे ज़ोर से दबा के बोला, “बहन की चूत तेरी… छिनाल नखरे मत कर साली छिनाल… ज़रा चूत उठा-उठा कर धक्के ले अंदर।” जसवंत ने आरती की गाँड के पीछे हाथ डाल के उसे उठाया और एक धक्का और मारके पूरा लंड आरती की चूत में घुसा के आरती को टाईट पकड़ के रखा जिससे दर्द होने पे आरती उसके हाथों जा नहीं सके। आरती नीचे मचल रही थी लेकिन जसवंत ने उसे टाईट पकड़ा था। इसलिए वो कुछ कर नहीं सकी। जसवंत ने ८-१० धक्के मार के आरती की चूत पूरी तरह खोल दी जिससे आरती का दर्द भी कम होने लगा। जसवंत अब आरती की चूत ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। आरती जसवंत के मुँह में अपना एक निप्पल दे के चूत उठा-उठा की चुदवाने लगी और बोली, “उउउफ्फ़्फ़्फ़ जसवंत तेरा राजपुताना लंड बड़ा तगड़ा है, मेरी तो साँस ही बँद कर डाली तूने। लेकिन अब जी भरके चोद मुझे राजा।जसवंत नीचे से आरती की गाँड उठाके पकड़के उसे चोदने लगा। आरती भी जसवंत को जकड़ के उससे चुदवाते हुए बोली, “जसवंत और चोद मुझे, मज़ा आ रहा है तेरे राजपुताना लौड़े से… ले चोद ले पूजा की माँ को और हम दोनों की हवस ठंडी कर… बोल जसवंत कैसी है तेरी स्टूडेंट पूजा की माँ की चूत… पसंद आयी तुझे राजा?” जसवंत अब मस्ती से आरती की चूत को चोदने और उसकी क्लिट को लंड से रगड़ने लगा और उसकी गोटियाँ आरती की गाँड से टकराने लगीं। आरती के मम्मे मसलते हुए वो बोला, “आरती साली… हवस बुझानी है तो दिल और गाँड खोल के चुदवा राँड…। तेरी जैसी गरम औरत को आज पहली बार चोद रह हूँ। बहनचोद बड़ी लाजवाब चूत है तेरी आरती। मुझे मेरी स्टूडेंट पूजा की माँ बहुत पसंद आयी इसलिए आज से तू पूजा कि माँ भी है और मेरी मेरी रंडी भी… समझी? बहन की चूत साली… आरती… तुझे अपनी रखैल बनाके रखूँगा।”

आरती चुदाई से मदहोश होके अपनी चूत उठा-उठा के चुदवाने लगी। उसके ज़ोरों से हिलते मम्मे जसवंत बेरहमी से मसल रहा थ। जसवंत की झाँटों में हाथ घुमाते हुए आरती कहने लगी, “ऊफ्फ्फ जसवंत मैं तेरी रंडी बनने को तैयार हूँ पर मैं तेरी रंडी कैसे बनूँगी? मैं तो एक शादी शुदा औरत हूँ। तू मुझे रंडी कैसे बनायेगा? और समझो कि अगर मैं तेरी रंडी बनी भी तो तेरी राँड बन के मैं क्या करूँगी?” जसवंत अब लम्बे-लम्बे धक्के मारते हुए आरती को चोदते हुए बोला, “बहनचोद साली… शादी शुदा हुई तो क्या हुआ, तू मेरी रखैल है। आज के बाद मैं जब चाहूँगा तुझे चोदूँगा। तुझे चाहिए तो मैं पैसे भी दूँगा और तेरे हिजड़े पति ने घर से निकाल दिया तो तुझे और तेरी बेटी को मैं सहारा दूँगा। तू हमेशा मेरी दासी बनके रहेगी और मेरा लंड तेरे नंगे बदन का मालिक होगा… यह याद रख।”
आरती जसवंत के मुँह से इतनी गंदी बात सुनके और भी मस्ती से चुदवाने लगी। उसे अच्छा लगा जब जसवंत ने उसे रखैल बनाने की बात की तो। वो जसवंत को चूमते हुए बोली, “हाँ जसवंत मैं तेरे राजपुताना लौड़े की रंडी हूँ, अब तू जब चाहे मुझे बुला और मै आके तेरे इस लंड की दासी बनके तुझसे चुदवाउँगी। रही बात मेरे पति की तो उसे मेरी इन हरकतों के बारे में कुछ पता नहीं… इसलिए तू उसके बारे में कोई चिंता मत कर। और ज़ोर से चोद मुझे… मेरे जसवंत राजा… पर एक बात याद रखना… मैं बहुत चुदास औरत हूँ और सिर्फ एक लंड के सहारे नहीं रह सकती… मैं तेरी रंडी बनूँगी पर जिससे भी चाहूँगी चुदवाउँगी।”
अब दोनों जिस्म घमसान चुदाई कर रहे थे। आरती की गरम चूत को जसवंत अपने कड़क लंड से बड़ी बेरहमी से चोदते हुए उसके निप्पल चूसके मम्मे मसल रहा था। आरती जसवंत को कसके पकड़ के चूत चुदवा रही थी। जसवंत भी जोश में उसे चोद रह था। जसवंत का लंड आरती की चूत में पूरी गहरायी तक जाके टकरा रहा था। जब जसवंत को एहसास हुआ कि वो झड़ने वाला है तो वो आरती को और कसके पकड़के चोदते हुए बोला, “आआहहह बहन चोदददद… राँडडड… यह ले सालीईईईई… राजपुताना लंड का पानीईईई। कसम से क्याआआआ… चूऊऊऊ…त है तेरीईईई…।” और आरती की चूत में जसवंत का लंड रंडी की तरह चोदते हुए झड़ने लगा। उधर आरती भी झड़ना शुरू हो गयी। कसके जसवंत को बाहों में भरके झड़ते-झड़ते वो वो चिल्लाई, “आआआआहहहह उउउफ्फ्फ्फ मज़ाआआआ आआआ….याआआआ राजाआआआ और घुसाआआ तेराआआ लंड।” जसवंत भी पूरी तरह लंड आरती की चूत में घुसाके झड़ गया और आरती की चूत जसवंत के लंड के पानी से भर गयी। वो दोनों हाँफ़ते- हाँफ़ते एक दूसरे के आगोश में लेट गये।

जसवंत और आरती नंगे ही अपनी कमर सोफे पे टिकाये कारपेट पे बैठ गये। आरती को अच्छी तरह से चोदने के बाद और उसकी चूत अपने लंड-रस से भरने के बाद जसवंत ने अपना लंड और आरती की चूत साफ की। अब आरती को सिर्फ सैंडल पहने हुए नंगे बैठने में थोड़ी शरम आ रही थी और वो अपने कपड़े पहनना चाहती थी पर जसवंत ने उसे एक कतरा भी और पहनने नहीं दिया। फिर आरती भी बेशरम हो गयी और जसवंत अपना सिर आरती कि नंगी जाँघों पे रख के लेट गया। जसवंत उसके निप्पलों पे चुटकी काटते हुए हुए खेलने लगा और उसकी चूचियों को मसलने लगा। आरती भी जसवंत के लंड को पकड़ के सहलाने लगी… इसी लंड से उसकी थोड़ी देर पहले शाही चुदाई हुई थी। दोनों ही भूल गये थे कि यह कमरा कॉलेज के प्रिंसिपल का ऑफिस है। इतनी शाम तक स्टूडेंट्स तो चले गये थे पर कर्मचारी विभाग के लोग अभी भी कॉलेज में हो सकते थे। लेकिन प्रिंसिपल होने की वजह से जसवंत को इस बात का डर नहीं था कि कोई उसकी अनुमति के बगैर उसके ऑफिस में आ सकता है।

आरती प्यार से जसवंत के बालों में हाथ घुमाते हुए दूसरे हाथ से जसवंत का लंड सहला रही थी और जसवंत अब मुड़ के आरती की चूत हल्के से किस करते हुए उसके निप्पल से खेल रहा था। आरती को जसवंत का चूत पे किस करना अच्छा लग रह था। एक हाथ से उसका लंड सहलाते और दूसरे हाथ से उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए आरती प्यार से बोली, “जसवंत डार्लिंग अब तो तू मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालेगा ना? देख तूने उसको पनिश नहीं करने की जो प्यारी सज़ा मुझे दी वो मैंने खुशी-खुशी स्वीकार की, अब मेरी बेटी को प्लीज़ पनिश मत करना।” जसवंत आरती की टाँगें फ़ैला के उसकी चूत को किस करते हुए बोला, “मेरी प्यारी रंडी चूत… अब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा पर अभी तेरी सज़ा पूरी नहीं हुई। अभी तेरी गाँड भी मारनी है… तब तेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकालूँगा… समझी?”

जसवंत अब उसकी चूत जीभ से चाटने लगा। चूत को चाटते हुए जसवंत आरती की चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा और उसकी चूत का पानी चाटके जब उसने आरती की चूत के दाने को हल्के से चबाया तो आरती उछलते हुए उसका सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ ज…स….वंत यह क्या कर रहे हो? मेरी चूत का दाना ऐसे मत काटो नहीं तो मैं फिर से गरम हो जाऊँगी।” जसवंत उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “आरती चूत… मैं भी यही चाहता हूँ कि तू फिर गरम हो ताकि अब तेरी यह मटकती गाँड मार सकूँ। तेरी बहन की चूत साली… क्या मस्त गाँड है तेरी, ऐसा लगता है लंड हमेशा तेरी गाँड में ही डालके रखूँ।”

जसवंत फिर आरती की चूत हाथों से फ़ैला के चाटने लगा और आरती उसका लंड मसलने लगी। जसवंत का हाथ अपने मम्मों पे रखते हुए आरती बेशरम होके बोली, “ठीक है, मेरी बेटी कि सज़ा माफ करवाने के लिए मैं तुझसे गाँड मरवाने को तैयार हूँ। जसवंत अगर तूने मेरी बेटी को कॉलेज से नहीं निकाला तो मैं तुझे और एक चीज़ दूँगी, लेकिन पहले मुझे यह बता कि मेरी बेटी किससे चुदाती है?”

जसवंत आरती की चूत चाटके और उसे गरम करके उठ के बैठ गया और आरती के दोनों मम्मे खींचते हुए उसे अपनी गोदी में लिटा के बोला “आ इधर लेट जा राँड। देख साली रंडी… अब सौदा करने लगी। हलकट साली… तू अब और क्या चीज़ देगी मुझे… तेरी बेटी की सज़ा माफ़ करवाने की? रही बात तेरी बेटी की तो मेरी रंडी… थोड़ा और सब्र कर, फिर तुझे सब बताऊँगा।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

आरती बेशरम होके जसवंत की जाँघों पे सिर रख के लेट गयी। फिर जसवंत का लंड थोड़ी देर चूस के वो ज़रा-सी ऊपर होके अपने मम्मों के बीच जसवंत का लंड लेके उसे मसलते हुए बोली, “जसवंत और कितना सब्र करूँ? क्यों तड़पा रहे हो मुझे, प्लीज़ बताओ ना पूजा के बारे में।” जसवंत की खुली टाँगों पे लेट के आरती अपने मम्मे उसके लंड से चुदवाने लगी। जसवंत उसकी गाँड थप-थपाते हुए बोला, “आरती तेरी बेटी को २ लड़के चोदते हैं, साली छिनाल बन गयी है तेरी बेटी। मैंने सुना है कि तेरी लड़की उन लड़कों के साथ बहुत चुदवाती है। तुझे बताऊँ वो लड़के तेरी बेटी के साथ क्या करते हैं?” मम्मों से बाहर आये लंड की टोपी चूमते हुए आरती बोली, “क्या बोलते हो जसवंत? मेरी पूजा को २-२ लड़के चोदते हैं? क्या तू सच बोल रहा है? बता मुझे मेरी बेटी को वो लड़के कैसे चोदते हैं।” आरती बेशरम हो के जसवंत से अपनी बेटी की चुदाई के बारे में बात कर रही थी। जसवंत आरती को खड़ी करके बोला, “अभी बताता हूँ कि पूजा कैसे चुदवाती है उन लोगों से। चल अब ज़रा सामने झुक जा कुत्तिया बनके रंडी… ऐसे झुक जैसे कुत्तिया झुकती है कुत्ते के सामने… ठीक है।”

आरती आगे जाके टेबल पे झुक गयी। जसवंत ने जब पीछे से आरती को अपनी हाई हील के सैंडलों में अपनी गाँड मटकाते हुए चलते देखा तो उसका लंड फुफकारने लगा। आरती ने टेबल पे झुक के अपनी गाँड बाहर उघाड़ दी और उसके मम्मे आगे झूल रहे थे। आरती अपना हाथ पीछे ले जा कर अपनी गाँड खोलते हुए बोली, “यह ले जसवंत तेरी आरती कुत्तिया बनके झुकी है तेरे सामने। लेकिन यह बता कि तू मेरी गाँड क्यों मारना चाहता है?” जसवंत ने अपना लंड आरती की खुली गाँड के छेद पे रखा और हाथ आगे बढ़ा के उसके झूलते हुए मम्मे पकड़ लिए और अपने लंड को आरती की गाँड पे दबाते हुए बोला, “वाह, तू बड़ी समझदार है रंडी… बिना बोले कुत्तिया बनके गाँड खोलके खड़ी हो गयी। तेरी गाँड इसलिए मारनी है क्योंकि मेरे राजपुताना लंड को तेरी हाई हील सैंडलों में यह टाईट मटकती गाँड भा गयी और मेरा लंड तेरी गाँड की अकड़ निकालने के लिए तड़प रहा है। तुझे नहीं पता तेरी गाँड कितनी लाजवाब है। तेरी चूत, मम्मे, होंठ, गाँड और पूरा जिस्म, सब लाजवाब है। मैं तो इन हाई हील सैंडलों में तेरी चाल देख के ही मर गया था, सोचा कि अगर हो सके तो तेरी गाँड ज़रूर लूँगा… अब देख तेरी गाँड कैसे मारता हूँ छिनाल।”

जसवंत ने फिर आरती की कमर पकड़के अपना लंड आरती के गाँड के छेद पे दबाया। आरती कि साँसें तेज़ हो गयीं और वो धड़कते दिल से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा के जसवंत के लंड के अपनी गाँड में घुसने का इंतज़ार करने लगी। क्योंकि जसवंत का लंड बड़ा तगड़ा था और आरती ने इतने बड़े लौड़े से गाँड नहीं मरवायी थी कभी। लेकिन उसे खुशी भी मिल रही थी क्योंकि उसे ऐसा बड़ा लंड मिल रहा था। हाथ पीछे करके वो जसवंत का लंड पकड़के बोली, “ओहहहह जसवंत इतनी अच्छी लगी मेरी गाँड तुझे? मैं इसिलिए तो हाई हील पहनती हूँ… मुझे पता है कि इनसे मेरी चाल सैक्सी हो जाती है और लोगों का ध्यान मेरी मटकती गाँड की तरफ खिंच जाता है… तुझे मेरी गाँड अच्छी लगी और तूने मेरी गाँड मारने की सोची… तो अब देख मैं तुझसे गाँड मरवाने जा रही हूँ और अब बार-बार तुझसे चुदवाके तुझे पूरा मज़ा दूँगी।”

आरती कि बात सुनके जसवंत खुश हुआ और एक हाथ से आरती की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड आरती की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही जसवंत का लंड आरती की गाँड में घुसा तो आरती दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आआआआआआहहहहहहह ज़अ… सवंतऽऽऽ रह…म खाआआ…. मेरीईईई गाँड गयीईईईई….। बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।” आरती यह भी भूल गयी कि वो कॉलेज में है और कोई उसका चिल्लाना सुन सकता है और वही हुआ। आरती का चिल्लाना तब मंगल ने सुना और आ के दरवाजा नॉक करते हुए बोला, “सर, क्या हुआ? वो पूजा की माँ क्यों चिल्ला रही है? कोई तकलीफ है क्या?” मंगल वैसे एक हरामी मर्द था। कॉलेज की कम्सिन लड़कियों को बड़ा छेड़ता था और कई लड़कियों को चोदा भी था उसने। आज आरती को देख के उसका भी लंड खड़ा हुआ था। उसे यह मालूम था कि जसवंत आरती को चोद रहा था, क्योंकि उसे जसवंत का रंगीन मिजाज़ मालूम था। उसने सोचा कि हो सके कि उसे भी मौका मिले आरती को चोदने का।

मंगल की आवज़ सुनके आरती डर गयी लेकिन जसवंत बिंदास था। मंगल ने दरवाज़ा खटखटाया तो जसवंत ने आरती की गाँड से लंड निकला और नंगा ही, कौन आया है देखने चला गया। गाँड से लंड निकल जाने से आरती को कुछ राहत मिली। आरती वैसे ही नंगी टेबल पकड़ के झुक के खड़ी रही। जसवंत ने नंगे ही दरवाज़ा खोल के मंगल को देखते हे उसे अंदर बुला के दरवाज़ा बँद कर दिया। मंगल ने अंदर आके देखा कि जिस औरत को उसने सज-धज के आते देखा था वो औरत अब सिर्फ सफ़ेद रंग के ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी जसवंत साहब की टेबल पे कुत्तिया जैसे झुकी खड़ी है, उसके बाल थोड़े बिखर गये हैं, बिंदी गायब है और सिंदूर भी माँग में थोड़ा फ़ैल गया है। मंगल समझ गया कि जसवंत साहब आरती की गाँड मार रहे थे और उसी दर्द से आरती चिल्ला रही थी।

आरती मंगल को देख के अपना सीना दोनों हाथों से ढकते हुए बोली, “जसवंत यह क्या है, मंगल को अंदर क्यों बुलाया तूने? प्लीज़ उसे बाहर भेजो, मुझे शरम आ रही है। जसवंत प्लीज़, ऐसे मुझे दूसरों के सामने बे- इज़्ज़त मत करो” आरती खड़े हुए बहुत शरमा रही थी बल्कि शरमाने का नाटक कर रही थी। आरती फिर आँख के इशारों से जसवंत से बोली कि मंगल को बाहर भेज दे। जसवंत ने आरती की बात पर ध्यान ना देते हुए आरती को पीछे से पकड़ कर फिर से झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड पे रख के बोला, “मंगल आजा, देख आज यह नई चूत मिली है, मै आरती की गाँड मारता हूँ… तू इसके मम्मे मसल के साली का मुँह चोद अपने लौड़े से। तू क्या समझती है साली… मैं ऐसा मौका जाने दूँगा? तू मेरी रंडी है तो जिससे चाहूँ तुझे चुदवा दूँगा… छिनाल… तु ही अकड़ के बोल रही थी ना कि एक लंड तेरे लिए बहुत नहीं है… तो ले अब दो लंड एक साथ मिल गये तुझे…। चल मंगल इस रंडी की चूचियाँ मसल।”…….और अगले भाग में पढ़िए

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