राघव ने अब तक जितनी भी लड़कियों को कोचिंग पढ़ाया था काजल उन सबसे सेक्सी और चुदाई के लिए पकी हुई थी. इंजिनियरिंग के सेकेंड एअर में पढ़ रहे राघव ने इससे पहले केवल 7th – 8th के स्टूडेंट्स को कोचिंग पढ़ाया था… उस उम्र में कुछ लड़कियों के स्तन उभर तो आते हैं पर जो आकार और गोलाई 11th में पढ़ रही काजल की चुचियों में था वो उनमे में नही था. और उस समय राघव भी कहाँ केयर करता था. इंजिनियरिंग कॉलेज में आने के बाद ये तीसरी लड़की है जिसे राघव कोचिंग पढ़ा रहा था. इससे पहले उसने सोनाली और गुंजन को पढ़ाया था. सोनाली तो दुबली पतली थी और उसकी चुचियाँ अभी तक विकसित नही हुई थी. हां गुंजन सेक्सी थी और इसे लाइन भी दे रही थी पर राघव को कभी हिम्मत ही नही हुई पहल करने की. छोटे सहर के संस्कारी वातावरण से आए राघव के लिए ये समझना बहुत कठिन था कि गुंजन जान बूझ कर अपने ब्रा और चुचियाँ उसे दिखा रही है या बस ग़लती से उसे दिख जा रहा है. अपनी ग़लती का एह्शास तो उसे तब हुआ जब एग्ज़ॅम से पहले वो गुंजन को बेस्ट ऑफ लक विश करने गया था तो घर में अकेली गुंजन ने उससे लिपट कर उसकी छाती पर अपनी चुचियाँ दबा दी थी. जब राघव के उम्मीद से अधिक देर तक और अधिक ज़ोर से गुंजन उससे लिपटी रही तो राघव की पैंट में कुछ गतिविधि हुई और उसका हाथ गुंजन की छोटी सी स्कर्ट में छिपी गोल कोमल गांड पर गया. गुंजन ने अपने पैर उपर उठा राघव की पैंट में उभड़ रहे पर्वत को उसके अनुकूल स्थान के निकट ला दिया. राघव के हाथों का ज़ोर बढ़ा और उसने गुंजन को बगल की दीवार की ओर धकेल कर उसके बदन को अपने बदन से मसल्ने लगा. गुंजन ने आँखे बंद कर अपने चेहरे को उपर की तरफ उठाया, राघव ने आमंत्रण स्वीकार करते हुए उसके गुलाब के पंखुरियों समान नशीले होंठों पर चुंबन जड़ दिया. गुंजन ने अपने मुँह को खोल राघव की जीभ को उकसाया. सिर्फ़ राघव की जीभ गुंजन के मुँह में नही गयी, उसका हाथ भी गुंजन की शर्ट में घुस उसकी ब्रा में दबी रसगुल्ले जैसी चुचियों को मसल्ने लगा था. गुंजन के संपूर्णा समर्पण से प्रोत्साहित हो राघव उसकी शर्ट के बटन को खोल काले ब्रा में आधी धकी हुई सफेद चुचियों के गुलाबी निपल को चूसने लगा. राक कॉन्सर्ट के ड्रम की तरह धड़कते दिल, धड़कन के साथ लयबद्ध हो फूलती चुचियाँ, और वॅक्यूम क्लीनर की तरह चलती साँसों के साथ दीवार से अटकी गुंजन अपनी आँखे बंद सबकुछ लुटाने को तैयार खड़ी थी. उसकी चुचियों से सारे रस को निचोड़ लेने के बाद राघव अपने लक्ष्या की तरफ बढ़ा, स्कर्ट खोल कर नीचे गिरने और स्कर्ट सरका कर रेशमी बालों के बीच सुगंध बिखेरती अमृत टपकाती गुंजन की गुलाबी चूत को प्रकाशमान करने में राघव को अधिक वक़्त नही लगा. चूत को पहली बार आँखों के सामने प्रत्यक्ष देख कर राघव के मुँह और लंड दोनो से लार टपक पड़ी. अपनी उंगलियों के नाख़ून को अपनी हथेली में दबाती हुई, अपने निचले होंठ को दांतो तले दबा, आँखों को बंद कर बढ़ती धड़कन और तेज़ होती साँसों के साथ गुंजन मुर्तिवत खड़ी हो अपनी पंखुरियों के खुलने और भवरे द्वारा रस को चूसने का इंतेज़ार कर रही थी. थोड़ी देर रेशमी झाड़ियों से खेलने के बाद राघव की उंगलियाँ शबनम से गीली हो चुकी गुलाबी पंखुरियों के बीच जा पहुँची. उन पंखुरियों के गीलेपन, चिकनाई और गर्मी का एह्शास करते हुए उसकी उंगली प्रेम की गहराइयों में जा घुसी. गुंजन मचल उठी, उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल गयी. सिसकारियो ने राघव को भी जोश में ला दिया और राघव की उंगलियाँ गहराई में जा उस कच्ची कली की सिंचाई करने लगी. उंगलियों से सिंचाई कर कली को फूल बनाने की पूरी तैयारी कर राघव कली को फूल बनाने के लिए बिस्तर पर ले गया और अपनी पैंट की ज़िप को खोल जल से भरे ट्यूबिवेल को बाहर निकाला. तभी किसी के आने की आहट सुनाई दी. गुंजन स्प्रिंग की तरह उच्छल कर अपने स्कर्ट की ओर लपकी और अपने कपड़े ठीक करने लगी. राघव ने भी जल्दी से अपने हथियार को अंदर डाला और गुंजन के कमरे से निकल कर भागा. आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इसके बाद तो एग्ज़ॅम हुए, फिर कोचिंग बंद और फिर दोनो को कभी मिलने का मौका नही मिला. चुदाई के इतने नज़दीक पहुँच कर मिस कर जाने पर राघव पागल हो उठा था. उस दिन की घटना को, गुंजन के नंगे बदन को याद कर कर राघव ना जाने कितनी ही बार हिला चुका था. पर जो मज़ा असली चुदाई का है वो हाथ में कहाँ. काजल को पहली बार देख कर राघव का लंड अपनी अधिकतम लंबाई पर पहुँच गया था. उसने उस रात तीन बार हिलाया. काजल गुंजन से ठीक उल्टी थी. वो गाओं से पहली बार 11थ की पढ़ाई करने आई थी. उसके पिताजी किसान थे और सबलॉग गाओं के संस्कारों के पुजारी थे जहाँ गुरु को भगवान से भी उँचा दर्जा दिया जाता है. राघव के घर पहुँचने पर काजल की मा हाथ जोड़ कर राघव को प्रणाम करती और काजल पावं च्छू कर प्रणाम करती. दूसरे माले पर काजल का बेडरूम था, कोचिंग वहीं चलता और बस एक कप चाइ देने के लिए काजल की मा उपर आती, इसके अलावा उपर कोई देखने नही आता. काजल नज़र उठा कर भी राघव की तरफ नही देखती. वो तो बेचारी ठीक से कुछ बोल ही नही पाती. बस सर हिला कर राघव के सवालों का जवाब देती. राघव इस मौके का खूब फायेदा उठाता और काजल के समीज़ से अंदर और समीज़ के उपर से काजल के पर्वतों को इतना घूरता कि उसकी पैंट पर पर्वत खड़ा हो जाता. काजल का जिश्म जितना विकसित था, मस्तिष्क उतना ही अविकसित. वो अपने आदरणीय गुरुजी को प्रसन्न रखने का प्रयास तो बहुत करती पर मैथ और फिज़िक्स उसके दीमाग में घुसता ही नही था. केयी बार तो उसकी मंद बुद्धि से राघव क्रोध में आ उसे डाँट देता और तब उसका गोरा चेहरा लाल हो जाता जो काजल को और भी मादक बना देता था.
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