डर से लंड कद्दू से मिर्च हो गया

“पर कल तो आपने फिज़िक्स में कोई काम नही दिया था” काजल राघव को और सताने के मूड में थी.
“परसो तो दिया था?”
“हां, वो मैने बना लिया है”
“दिखाओ” अब राघव चिढ़ रहा था. काजल ने अपनी कॉपी दिखाई. राघव ने बिना कॉपी पर देखे ही कहा “ये कैसे बनाई हो, मैने ऐसे थोड़े ही बतायाथा. तुम्हारा पढ़ाई लिखाई में बिल्कुल ध्यान नही लगता. चुप चाप यहाँ झुक कर खड़ी हो जाओ”
“पर सर ये तो आपने लिखा था, मैने इसके बाद वाले से बनाया है” काजल ने मुश्कूराते हुए कहा, उसकी आँखों में शरारत भरी थी.
“मुझसे ज़बान लड़ती है. बदतमीज़! जो कहता हूँ चुप चाप करो” राघव पूरी तरह चिढ़ चुका था. काजल भी राघव की पूरी खिचाई कर चुकी थी. अब उसे भी राघव का मज़ा लेना था. वो चुप चाप बेड से उतर झुक कर खड़ी हो गयी. राघव फिर उसकी गांड पर लंड को दबा खड़ा हो गया और कमीज़ केउपर से उसके चुचियों को मसल्ने लगा. जिस चीज़ के लिए राघव पिछले दो महीनो से तड़प रहा था, वो हाथ में आने के बाद अब राघव के लिए खुद पर काबू रखना मुश्किल हो रहा था. उसने काजल की गांड पर अपने लंड का दबाव और उसकी चुचि पर अपने हाथ का दवाब बढ़ाया. जोश और बढ़ा तो वो काजल के कमीज़ के बटन खोलने लगा.
“मा आ गयी तो?” काजल ने पूछा
“दरवाज़ा बंद है” राघव ने अस्वासन देना चाहा
“अगर मा ने पूछा दरवाज़ा क्यूँ बंद है?”
“बोल देना कि हवा पढ़ाई में डिस्टर्ब कर रही थी”  आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
काजल के कमीज़ के सारे बटन खुल चुके थे और राघव के हाथ कमीज़ में घुस कर रसगुल्ले की तरह काजल की दोनो चुचियों का रस निचोड़ने लगे. काजल के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. राघव का जोश और बढ़ा और उसने काजल की गांड पर ज़ोर का झटका दिया. काजल फिसल कर बेड पर गिर गयी. राघव उसके उपर गिरा और उसकी चुचियों को भींचते हुए उसकी गांड पर अपना लंड मसल्ने लगा. वो अपना होश पूरी तरह से खो चुकाथा, उसे कोई परवाह नही थी कि कोई आ जाएगा. उसे तो ये भी ध्यान नही था कि उसने अभी तक पैंट पहना हुआ है. वो तो बस काजल के दोनो संतरों से रस को निचोड़ते हुए कुत्ते की तरह उसकी कोमल गांड पर अपना लोहे जैसा लंड मसले जा रहा था. जब वो आनंद की शिखर पर पहुँचा तो उसे ध्यान आया कि उसका लंड अभी भी पैंट के अंदर है. उसने जल्दी से पैंट की ज़िप को खोल कर लंड बाहर निकालना चाहा, पर बहुत देर हो चुकी थी. विशफोट उसकी पैंट के अंदर ही हुआ. क्या हुआ जो उसने कपड़े के उपर से गांड पर ही लंड मसला था, जिश्म तो लड़की का था. 80% सेक्स मस्तिष्क में होता है. ये एहसास कि वो किसी लड़की के बदन पर है ही उसके आनंद को बढ़ाने के लिए प्रयाप्त था. उसके लंड से प्रेमरस की जो मात्रा आज बही वो पहले कभी नही बही थी. कुछ ही देर में उसके अंडरवेर को गीला करती हुई प्रेमरस रिस्ते हुए पैंट पर आ पहुँचा. उसके लंड के पास एक बड़े क्षेत्र में उसकी पैंट पर गीलेपन का निशान था और उसके प्रेमरस की खुसबू उसके पैंट से उड़ते हुए सीधे काजल की नाक में जा रही थी. झाड़ जाने के बाद वो होश में आ चुका था, वो काजल के उपर से उठ दरवाजे को खोल फिर से अपने कुर्शी पर बैठ चुका था, काजल अपनी कमीज़ को ठीक कर सभ्य विद्यार्थी की तरह अपने स्थान पर पूर्ववत विराजमान थी. काजल अब भी नशे में थी और राघव के प्रेमरस की खुसबू उसके नशे को कम नही होने दे रही थी. ये पहली बार था जब उसने ऐसी मदहोश कर देने वाली खुसबू को सूँघा था. उसके मुँह और चूत दोनो में पानी आ रहा था. जब राघव के जाने का समय आया तो राघव बड़ी मुस्किल में था. कहीं काजल की मम्मी ने उसकी पैंट पर उस दाग को देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी. वो अपने शर्ट को पैंट से बाहर निकाल कर उससे धक लेने की बात से भी संतुष्ट नही था. हमेशा उसका शर्ट उसके पैंट के अंदर होता है. अगर आज बाहर होगा तो काजल की मम्मी को संदेह हो जाएगा. उसने काजल से कहा “काजल तुम पहले निकलो और देखो तुम्हारी मम्मी नीचे ड्रॉयिंग रूम में तो नही है?” काजल ने राघव को चिढ़ाते हुए काफ़ी माशूमियत से पूछा “क्यूँ?”. राघव ने पैंट की तरफ इशारा करते हुए कहा “इस पोज़िशन में उनके सामने कैसे जाउ?” काजल अपनी आँखों में शरारत भरे दबी आवाज़ में हँसने लगी. काजल की मा किचन में थी. काजल नीचे उतर राघव को इशारे से नीचे आने को कहा. नीचे उतर राघव जैसे ही दरवाजे तक पहुँचा पीछे से काजल की मा किचन से निकल कर बोली “सर जी, पढ़ाई ख़तम हो गयी?” आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
राघव की तो जैसे जान ही निकल गयी. उसने बिना पीछे मुड़े हुए कहा – “जी आंटी जी”
“अब कैसी पढ़ाई कर रही है. कुछ सुधार हुआ है या अभी भी उसे मंन नही लगता. मैं तो कभी इसे पढ़ते देखती ही नही हूँ. दिन भर टीवी के सामने बैठी रहती है” जितना राघव को वहाँ से भागने की जल्दी थी उतनी ही आंटी जी को बात करने का मंन था.
“पहले से तो इंप्रूव हुई है. कुछ दिनो में लाइन पर आ जाएगी” राघव ने बात ख़त्म करने के अंदाज़ में कहा.
“नाश्ता करके जाइए” काजल की मा ने दूसरा पाश फेंका.
“नही आंटी जी, फिर कभी. कल कॉलेज में असाइनमेंट जमा करना है. बहुत काम बांकी है. मुझे हॉस्टिल जल्दी पहुँच काम करना है”  आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“ठीक है. प्रणाम”
“प्रणाम आंटी” बिना पीछे घूमे ही इतना कह कर वो वहाँ से ऐसे भागा जैसे पीछे कोई कुत्ता दौड़ रहा हो. राघव के निकल जाने के बाद सीढ़ी के पास साँस रोके खड़ी काजल के जान में जान आई.
अगले दिन की सज़ा में राघव कुछ और आगे बढ़ा. बेड पर हाथ रख झुक कर खड़ी काजल की सलवार का नाडा उसने खीच कर खोल दिया. उसकी सलवार खुल कर नीचे गिर गयी. “दरवाज़ा खुला है” काजल ने कहा. “रहने दो, तुम्हारी मम्मी चाय देने के बाद कभी उपर नही आती” राघव उसकी चिकनी गांड को सहला रहा था. कुछ ही देर में काजल की पैंटी भी नीचे सरक चुकी थी और राघव की उंगली उसकी गीली चूत के आस पास भ्रमण कर रही थी. पहली बार अपनी नंगी चूत पर किसी का स्पर्श पा काजल बहुत उत्तेजित थी. उसकी चूत से लार की धारा और उसके मुँह से सिसकारियाँ फूट रही थी. राघव ने अपनी पैंट की ज़िप खोल अपने खड़े लंड को बाहर निकाला और उसकी गीली चूत के दरवाजे पर रगड़ने लगा. आज पहली बार राघव के लंड ने चूत और काजल के चूत ने लंड का स्पर्श किया था. दोनो इस स्पर्श और उससे कहीं अधिक इस विचार से कि लंड चूत के अंदर घुसने वाला है, अत्यधिक उत्तेजित थे. तभी सीढ़ियों पर कदमो की आहट सुनाई दी. काजल अपनी सलवार समेत झट से बेड पर जा बैठी. राघव भी तुरंत कुर्शी पर बैठ गया. काजल झुक कर कॉपी पर कुछ कुछ लिखने लगी. ये सारी घटना इतनी जल्दी हुई कि ना तो काजल को ठीक से अपनी सलवार ही समेटने का वक़्त मिला और ना ही राघव को अपने हथियार को पैंट के अंदर करने का. काजल पीछे से पूरी तरह नंगी थी. पूरी सलवार को सामने की तरफ समेट कर उसने अपनी कमीज़ से धक रखा था और कुछ इस तरह से झुकी हुई थी कि सामने से पता ना चले. पर उसकी जान अटकी हुई थी. अगर मा पीछे गयी तो क्या होगा. राघव ने एक किताब को अपनी गोद में रख उससे अपने लंड को धक रखा था.  आप लोग यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“काजल बेटी. बक्से की चाभी किधर रखी है? मुझे मिल नही रही”
“वहीं टीवी वाले टेबल पर पड़ी होगी!”

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