कच्ची उम्र में चूत मरवाने का चस्का लगा

आज में एक बहुत ही सेक्सी बदन की मलिका 18 साल की भरी हूँ. मै अपना नाम भी बता देती हु मेरा नाम अनीता है | यह कहानी तब शुरू होती है जब मैं एक 14 साल की कुवारी लड़की थी और सब मुझे प्यार से अनु कहते थे. अपने मा बाप की एकलौती औलाद होने के कारण मैं बचपन से ही बहुत लाड प्यार में पली थी. हमारे घर में एक बिहारी नौकर हरदेव था. मेरे बचपन से ही वह हमारे घर में था और उसी की गोद में पल मैं बड़ी हुई थी. हरदेव एक कोई ४६ साल का मजबूत किसम का आदमी था और वह घर का सारा काम करता था. मैं उसे हरदु चाचा कहती थी. मेरे पिताजी सरकारी नौकरी में किसी बड़े पोस्ट पर थे. हमारे पड़ोस में एक राजस्थानी परिवार रहता था. सान्याल अंकल और आंटी. वे मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त थे. उनके कोई बच्चा नहीं था और सान्याल अंकल और आंटी दोनों ही मुझे बहुत प्यार करते थे. मैं भी उनको बहुत चाहती थी और मेरा काफ़ी समय उनके ही घर में बीतता था. 14 साल की उमर में मेरी तन्दुरस्ती बहुत अच्छी थी और मैं 4 10″ की और कुछ भरे बदन की एकदम गोरी चित्टी थी. मैं एक अच्छे इंग्लीश मीडियम के स्कूल में पढ़ती थी. मुझे अच्छी तरह से याद है कि मेरी चूचियाँ मेरी उमर के हिसाब से कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी. मैने एक साल पहले से ही ब्रा पहननी शुरू करदी थी. मेरी काई सहेलियाओं ने तो अब तक ब्रा पहननी शुरू नहीं की थी. कई बार तो सहेलियाँ “बहुत बड़े हैं बहुत बड़े हैं ” कहते हुए मेरे मुम्मों को हाथों में पकड़ सहला देती थी. मुझे यह अच्च्छा भी लगता था. हर सुबह जब मैं बाथरूम में नहाती थी तो मैं एकदम नंगे होके नहाती थी. बाथरूम के आयने में मैं अपनी चूचियाँ देख कर फूली नहीं समाती. मेरी चूत पर ढेर सारे बाल उग आए थे और मैं उन पर अंगुलिया फेरते फेरते कभी कभी चूत में अपनी एक अंगुल घुसाने का प्रयास करती. लेकिन जब दर्द होने लगता तो अंगुल वहाँ से हटा लेती. तभी एक शाम मम्मी पापा ने कहा कि वे एक रिस्त्ेदार के यहाँ शादी अटेंड करने जाएँगे. मेरी मा ने कहा, अनु तुम कोई बात की चिंता मत करो घर पर हरदेव है वह तुम्हारी पूरी देखभाल करेगा. फिर तुम्हें कोई भी परेशानी होने से सान्याल अंकल और आंटी के पास चली जाना. केवल 3 दिन की ही तो बात है. फिर दूसरे दिन सुबह ही वे चले गये. दूसरे दिन मैं दोपहर को स्कूल से लौटी और खाना खा के हरदेव को कह दी कि मैं सान्याल अंकल के यहाँ जा रही हूँ और अंकल के साथ कॅरोम खेलूँगी. मैं सान्याल के घर पाहूंची जहाँ अंकल अकेले थे. आंटी बाज़ार गयी हुई थी. मैने अंकल से कहा, अंकल चलिए कॅरोम खेलते हैं. हमने बोर्ड सज़ा लिया और खेलने लगे. पर अंकल कॅरोम बहुत अच्च्छा खेलते थे और मैं हर बोर्ड में उनसे हार जाती. तब अंकल मेरे पीछे आकर मुझे शॉट कैसे खेलना है समझाने लगे. वह मेरी बगल से हाथ आगे बढ़ा स्ट्राइकर पर अंगुल रखते और झुकते हुए निशाना साधते. इससे कयी बार उनका हाथ मेरी चूची की साइड से रगड़ खा जाता. उनके हाथ वहाँ लगते ही मैं सिहिर जाती और मेरी यह सिहरन अंकल से छुप नहीं सकी. उन्होने पूचछा, अनु तोम्को भालो लॉगता है. यह कह कर उन्होने मेरी एक भारी चूची पर अपनी एक हथैली फैला कर जमा दी. फिर वह हल्के हल्के उसे दबाते हुए चूची पर मुत्ठी बंद करने लगे. सान्याल अंकल की इस हरक़त से मेरा चेहरा लाल सुर्ख हो गया और मैने अंकल का हाथ वहाँ से हटाना चाहा और बोली, अंकल अब मैं घर जाउन्गी. स्कूल का होमवर्क भी करना है. अनु कुछ देर इधर रूको. तॉमको भालो लगेगा. पर अंकल मुझे कैसा कैसा लगता है. किधर में तॉमको कैसा कैसा लॉगता है. तुम्हारा टाँग के बीच कुछ होता है. यह कहते कहते अंकल ने ठीक मेरी चूत पर हथैली रख उसे हल्के से दबा दिया. मैने सिर हिलाया और वापस वहाँ से जाने के लिए मूडी. लेकिन वह 40 साल का सान्याल अंकल बड़ा बदमास निकला और उसने मेरी पॅंटी में ही हाथ डाल दिया. मेरी चूत कुछ गीली होने लग गयी थी और वह चूत की दरार में अंगुल दबाते हुए उपर नीचे करने लगा. मैं कुछ देर तो छटपटाई पर बाद मैं इससे मुझे एक अनोखा ही मज़ा मिलने लगा और मैने आपने आप को ढीला छ्चोड़ दिया था. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तभी मेरा ध्यान बँटा. हरदेव दरवाजे पे खड़ा कठोर आवाज़ मैं कह रहा था, यह क्या हो रहा है बिट्टया. सान्याल अंकल तुरंत मेरे से दूर हट गये तो मैं और हरदेव भी उनके घर से बाहर आ गये और उन्होने फ़ौरन दरवाजा बंद कर लिया. हरदेव ने मुझे बालों से पकड़ा और घर की तरफ खींचते हुए कहा, तू रंडी कब से बन गयी?  घर पहून्च कर मैने उसे बताया कि यह सब अंकल ने ही शुरू किया था. मैं तो कॅरोम खेल रही थी. उसे यह भी कहा की अब मैं और सान्याल के घर नहीं जाउन्गी. नहीं, तू दोबारा ज़रूर करेगी. चुदवाने का इतना ही शौक है ना तौ हम तुझे चोद कर अभी तेरी ख्वाइश पूरी कर देते हैं. यह कहते हुए वह मुझे लगभग घसीटते हुए मम्मी पापा के रूम में ले आया. अब मुझे उसकी कही बात का मतलब समझ में आया और मैं रोते हुए उसके सामने गिड़गिदाने लगी. वह ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा तो मैने कहा धीरे बात करोना. कुतिया कहीं की. क्या हुमने तुझे इसी लिए इतने प्यार से पाल पोस के बड़ा किया था कि तू शादी के पहले ही अपने आप को चुदवाये. हरदेव ने गुस्से से कहा और मेरी स्कर्ट उतार दी. अब मैं ब्रा और पॅंटी में उसके सामने लाचार खड़ी थी और मेरी नज़रें नीचे झुकी हुई थी. तभी फोन की घन्टी बज उठी. हरदेव के चहरे पर कुछ हैरानी के भाव आए और बॅडबड़ाया, क़िस्सका फोन हो सकता है? मम्मी का होगा मैने कहा और भागवान को धन्यवाद दिया. पर हरदेव ने मुझे चुप रहने के लिए कहा और फोन कान से लगा लिया, हालो.नमस्ते मेमसाहिब. हां सब ठीक है. अनु भी ठीक है अभी बाहर खेलेने गयी हुई है . मैने हरदेव से फोन लेने की नाकाम कोशीस की और वह कहने लगा, ठीक है. आप फिकर मत कीजिए मैं उसस्का पूरा ख्याल रखूँगा.यह कह के उसने फोन रख दिया और एक झट्के में मेरी ब्रा के हुक तोड़ते हुए उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया. फिर उसी तरह मेरी एक झटके के साथ पॅंटी खींची और उसका एलास्टिक टूट वह उसके हाथ में झूलने लगी जिसे उसने एक और फेंक दिया. अब में हरदु चाचा के सामने बिल्कुल नंगी थी. मैने एक बार और कोशिस की और गिड़गिदाते हुए कहा, प्लीज़ हरदु चाचा मुझे माफ़ कर्दे. मैं तो बचपं से तुम्हारी गोद में खेलती आई हूँ. तुम तो मुझे बेटी की तरह प्यार करते हो. पर उसने एक न सुनी और अपनी धोती उतार डाली. धोती के उतारते ही मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी. उसका 10 का काला लंड मेरी आँख के आगे तना हुवा था, जिसे मैने आज तक नहीं देखा था. हां तुझे मैं बचपन से गोद में खिलाते आया हूँ और वह भी नंगा. आज भी तो तुम्हें आपनी गोद में देखो इस डन्डे पर बैठा खिलवँगा. आज भी तो तुम्हें बीटुआ की तरह खूब प्यार करूँगा. देखो मेरा लॉलीपोप तुझे दूँगा. चाचा नहीं तेरा यह बहुत ही लंबा और मोटा है मैं मर जाउन्गि. मुझे इस बात का पता था कि मरद चुदाई में इसे हमलोगों की बिल में डालते हैं. तेरा मरना या जीना तो उपेर वाले के हाथ मैं है, लकिन यह मर्द का लंडा तेरी चूत मैं आज ज़रूर घुस्सेगा. उसने अपना लंड सहलाते हुए मुझे कहा. फिर उसने मुझे बाँहो में ले लिया और मुझे किस करने लगा, मेरी चूचियाँ दबाने लगा और चूत को भी खोदने लगा. प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दे नहीं तो मैं मम्मी डॅडी को सब बता दूँगी और पापा से खड़े खड़े मर्वाउन्गि. अर्रे वो तो टीन दिन बाद आएँगे तब तक तो मैं तेरी बूरिया को चोद चोद कर भोंसड़ा बना दूँगा. बिटिया पापा से तो जैसन मर्ज़ी मरा लेना पर अभी तीन दिन तो मुझ से मरवा ले. तुझे जैल जाने से बिल्कुल डर नहीं लगता? मैने उसे डराने की कोशिस की. कोई बात नहीं दोनो की साथ अच्छी कटेगी. यह कहते हुए उसने मेरी चूत में अंगुल ही घुसेड दी. दोनो? मैने हंसते हुए कहा मैं क्यूँ जैल जाउन्गि. तू अकेला ही जाएगा. तू नहीं कुतिया. तेरा प्यारा अंकल जिससे से अपनी चूत मैं उंगली करवा रही थी वह भी तो जाएगा. मैं चुप थोड़ा ही बैठा रहूँगा. अगर मैं कहूँ की अंकल ने कुछ भी नहीं करा तो तेरी बात कौन मानेगा? मैने उसे समझाया. अर्रे भोंसड़ी की मेरी बात कोई नहीं मानेगा लॅकिन इस कैमरे की तस्वीर तो मानेंगे. इसमें तेरी और तेरे कामीने उस राजस्थानी की सारी करतूत क़ैद है. उसने मेरा छ्होटा सा कैमरा मुझे ही दिखाया और बताया की उसने सारी फोटो खींच ली है. हरदु चाचा तू एक शरीफ आदमी को जैल भेजेगा? हां तेरा अंकल तो शरीफ़ज़ादा है और मैं एक नौकेर कुत्ता हूँ. वह तेरे बाप का दोस्त तेरी चूत को अंगुल से चोद रहा था और यदि हम टाइम पर नहीं पहून्चते तो साला वह तुझे लंड से भी चोदता. यह कहकर मुझ पर सचमुच एक कुत्ते की ही तरह पिल पड़ा और अगले आधे घन्टे तक वह मेरे जवान होते अंगों से नोच खसोट करने लगा. मैं एक निरीह बकरी की तरह उस कसाई का आगे लाचार थी. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बस बहुत होगआया. हराम-जादि की चूत भी गिल्ली होगआई है. चुद-वाना चाहती है. अब काम का टाइम है. यह कहते हुए उसने मुझे उसी बिस्तर पर पटक दिया जहाँ मम्मी पापा से चुदती थी. नहीं हरदु चाचा नहीं. मुझे छ्चोड़ दे. . देख मेरी इस नादान उमर का लिहाज कर. मुझे खराब मत कर. चुप्प रंडी अगर एक भी आवाज़ निकाली तो मैं तुझे इतना चोदून्गा की तू चार दिन तक अपनी टाँगे बंद नहीं कर पाएगी. अब वह मेरे उपर आगेया और मेरी बिल्कुल गीली चूत के छेद पर अपना मूसल रख भीतर थेलने लगा. पर इस काम में रंमदीन सावधानी बरात रहा था. फिर भी मुझे बहुत ही दर्द हो रहा था. यह ले कुतिया अब यह संभाल रंडी. तुम लोगो का जितना बदन कोमल होता है उतना ही बुर भी. यह कह के उसने एक ज़ोर का धक्का भीतर दिया और मेरी ज़ोर से चीख निकली जिसे उसने अपना मजबूत हाथ मेरे मुँह पर लगा बंद कर दिया. फिर वह मुझे 10 मिनिट तक वैसे ही चोदते रहा. इस बीच मेरा भी काफ़ी हद तक दर्द कम हो गया था. फिर उसने ढेर सारा गाढ़ा गाढ़ा सा कुछ मेरी चूत में छ्चोड़ा और तब एक बार फिर फोन की घन्टी बज उठी. मेरी मा फिर लाइन पर थी पर अब तक उसकी बेटी चुद चुकी थी. नहीं वो अभी भी बाहर खेल रही है. उस से कुछ कहेना है? फिर कुछ देर वह उधर की बात सुनता रहा और कहा, मैं बाहर उस पेर नज़र रखे हुए था. जब फोन सुना तो भाग कर आया हूँ शायद इसी लिए हांप रहा हूँ. फिर कुछ देर वह मम्मी की बात सुनता रहा और कहा, ठीक है मेमसाहिब मैं उस से कह दूँगा. उसके बाद हरदेव ने मुझे फिर पकड़ लिया और एक बार फिर उसका लंड मेरी चूत में था. इस बार मुझे तकलीफ़ नहीं हुई बल्कि मज़ा आया. हालाँकि में सारा काम लाचारी में ही करवा रही थी और मेरा बस चलता तो हरदेव के कलेजे में खंजर उतार देती. उस दिन उसने मुझे बाहर खेलने के लिए भी नहीं जाने दिया. रात का खाना उसने जल्द ही बना लिया. फिर वह नहाया, पापा के रेज़र से उसने शेव की और कयी तरह की क्रीम और सेंट भी लगाया जो कि मम्मी के थे.

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