प्रेषक : शनि
दोस्तों मैं एक कपड़े की कंपनी में फैशन डिजाइनर हूँ. काफी मेहनत के बाद भी मेरा तीन साल से कोई प्रमोशन नहीं हो रहा था. मेरा बॉस बहुत ही खडूस किस्म का आदमी था. मैं बहुत परेशान था. एक दिन रविवार को मैं किसी दोस्त से मिलकर फिल्म देखने पहुंचा तो सिनेमा हाल के बाहर ही मेरा बॉस मिल गया. मेरी उम्मीद के खिलाफ वो काफी हंसकर मिला. फिर उसने मेरा परिचय अपनी बीवी से भी करवाया. उसकी बीवी गज़ब की खुबसूरत थी. मैं उसे देखता ही रह गया. उसकी बीवी ने भी मुझे छुप छुप कर कई बार देखा. इंटरवल में मैंने बॉस और उसकी बीवी को आइसक्रीम खिलाई. बॉस की बीवी बहुत खुश हो गई. मुझे कुछ उम्मीद दिखाई दी. एसे ही एक दिन मै संडे के दिन शब्जी खरीदने मार्किट गया था और बॉस की बीवी बाज़ार में अकेली मिल गई. उसने मुझे नाश्ता करवाया और खुद भी किया. उसने मेरे साथ खूब खुलकर बातें की. मैंने नोट किया कि बार बार मुस्कुराकर मुझे देखती रही. जब मैं चलने को हुआ तो उसने कहा ” मुझे कुछ अच्छे नाईट वियर चाहिये. क्या तुम ला सकते हो? मैं कई जगह घूमी लेकिन जैसा चाहेवैसा नहीं मिला. तुम्हारे बॉस भी नहीं खोज सके हैं.” मैंने कहा ” जी; मैं ले आऊँगा. मेरा एक दोस्त ऐसी जगह काम करता है.” उसने कहा ” ऐसा करना तुम परसों दोपहर आना.” मैं अपने दोस्त से काफी सारे लेडीज नाईट वियर लेकर बॉस के घर पहुँच गया. उस दिन बॉस किसी फैशन शो में गया हुआ था दूसरे शहर में. घर पर उसकी बीवी अकेली थी. मैंने उसे सभी कपडे दे दिए. उसने मुझे बैठने को खा और बोली ” मैं एक एक कर पहर आती हूँ तुम बताना कौनसा अच्छा लगता है.” अब मेरे चौंकने की बारी थी. मैंने कहा ” मैडम; आप खुद ही शीशे में देख ले. इस तरह से तो अच्छा नहीं लगेगा.” उसने कहा ” सबसे पहले तो तुम मुझे मैडम नहीं कहोगे. तुम मुझे स्वेता कहो. तुम रुको मैं आती हूँ.” स्वेता ने एक एक कर पहनकर मेरे सामने आती चली गई. कभी बिना बाहों वाला गाउन तो कभी खुले गले वाला लॉन्ग टी शर्ट. उसका गुलाबी और चिकना बदन गरमा गरम लग रहा था. स्वेता ने इसके बाद एक ट्यूब टॉप और हॉट स्कर्ट पहना और मेरे सामने आ गई. मुझे पसीना छूट गया. स्वेता ने कहा ” कहो ये कैसा लग रहा है.” मैंने सर हिलाकर हाँ कहा. उसकी जांघें और पिंडलीयां किसी मलाईदार कुल्फी के जैसी लग रही थी. स्वेता ने मुझे कहा ” मैं ये सब रख लेती हूँ. कितने रुपये हुए बता दो.” मैंने रुपये बता दिए. स्वेता ने उन कपड़ों में ही अपनी आलमारी से पैसे निकाले और मुझे दे दिए. स्वेता ने कहा ” तुम रुको मैं शरबत लेकर आती हूँ.” मैंने उसे जाहे देखता रहा | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | एक एक कदम मुझे ललचा रहा था. रीनाशार्बत के ले आई. स्ट्रिपटीस की डेमी मूर की तरह वो सोफे पर पैर पर पैर रखकर बैठ गई. मैं बार बार अपना पसीना पूछ रहा था. स्वेता ने कहा ” तुम इतना घबरा क्यूँ रहे हो? तुमने बहुत अच्छे नाईट वियर लाकर दिए हैं. ये लो चोकलेट्स. मुझे चोकलेट्स बहुत पसंद है. ” मैंने जैसे ही चोकलेट अपनी जेब में रखी स्वेता ने चोकलेट को मुंह में डाला और खाने लगी. उसकी चोकलेट खाने की अदा कुछ ऐसी थी कि मैं उसके होंठों की तरफ देखने लगा. स्वेता के होंठों पर चोकलेट का गाढा घोल रिसकर फ़ैल गया था. उसने अपनी जीभ से उसे अपने मुंह में लिया. उसकी गुलाबी रस भारी जीभ ने मुझे मदहोश कर दिया. स्वेता ने मुस्कुराकर कहा ” तुम चोकलेट अभी नहीं खाओगे?” मैंने ना कहा. स्वेता ने मुझे दरवाजे तक छोड़ा और कहा ” और भी कुछ जरुरत रही तो मैं तुम्हें बुला लुंगी और बता दूंगी तुम अपना फोन नबर दे दो.” मैं अपना फोन नंबर देकर घर आ गया. सारी रात मुझे स्वेता ट्यूब ओप में चोकलेट खाते हुए दिखती रही. मेरा अंडर वियर गीला हो गया था. इसके बाद स्वेता ने मुझे एक बार और बुलाया और कुछ नाईट वेअर्स मंगवाए. उसने पहनकर दिखलाए. उस रात फिर मेरा अंडर वियर गीला हुआ. स्वेता ने मुझे अब अक्सर फोन करती और बातें करती. एक दिन मैंने स्वेता को अपने प्रमोशन ना होने वाली बात बता दी. स्वेता ने कहा कि वो बॉस से बात करेगी. अगले दिन स्वेता ने मुझे फोन किया और मेरे घर का पता लिया. देर शाम को मेरे घर आते ही वो भी पहुँच गई. मैं अकेला ही रहता था. स्वेता ने मुझसे कहा ” तुम्हारा प्रमोशन मैं करवा दूंगी. तुम्हारे बॉस मेरी बात कभी नहीं टालेंगे. बदले में तुम्हे मेरा एक काम करना होगा.” मैंने काम पूछा. स्वेता ने कहा ” तुम्हारे बॉस शनिवार और रविवार को अपनी बीमार मां को देखने के लिए दूसरे शहर जा रहे हैं. इन दो दिन जैसा मैं कहूँ तुम करोगे. ” मैंने फिर पुछा ” मुझे करना क्या होगा?” स्वेता बोली ” तुम घबराते बहुत हो. शुक्रवार की रात; शनिवार का दिन और शनिवार की रात. फिर रविवार का पूरा दिन मेरे साथ बिताना होगा. शुक्रवार की रात मैं तुम्हारे घर आ जाओंगी. मैं इसके बाद रविवार की रात घर लौट जाओंगी. मेरे ख़याल से तुम सब समझ गए होंगे.” मैं सब समझ गया था. हर तरह से मुझे फायदा ही था. मैं तैयार हो गया. शुक्रवार की रात दस बजे स्वेता एक बैग में अपने कुछ कपडे लेकर मेरे घर आ गई. स्वेता आते ही नहाने चली गई. नहाने के बाद वो बिना बाहों वाला बहुत ही नीचे गले तक खुला हुआ ते शर्ट और एक हाफ पैंट पहनकर बाहर आ गई. उसने आते ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे गालों को चूमते हुए बोली ” अब जैसा मैं कहूँ तुम करते जाओ. तुम्हारा प्रमोशन तय हुआ समझो.” स्वेता मुझे लेकर बेडरूम में आ गई. उसने मेरे अंडर वियर को छोड़कर सभी कपडे खुलवा लिए. अब मैं उसकी बाहों में था. मेरा बलात्कार होने जा रहा था | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | स्वेता ने मुझे अब खुद को चूमने के लिए कहा. मैंने स्वेता को हर जगह चूमना शुरू किया. गालों पर ; गरदन पर ; बाहों पर ; जाँघों पर ;पिंडलीयों पर; कमर के हर हिस्से पर. कोई बभी जगह नहीं बची जहां मैंने स्वेता को नहीं चूमा हो. स्वेता के जिस्म का हर हिस्सा बहुत ही चिकना और मीठा था. स्वेता के साथ साथ मैं भी पागल हो रहा था. स्वेता ने अब मुझे अपने होंठों को चूमने को कहा. उसने पहले से ही चोकलेट क्रखी थी. मैंने जैसे ही स्वेता के होंठों को चूमा मेरा सारा शरीर जैसे नशे में पल हो गया. स्वेता के नाजुक ; मुलायम और गुलाबी होंठ और उस पर चोकलेट की मिठास. स्वेता को लेकर मैं बिस्तर पर लेट गया. स्वेता ने जल्दी से मेरे और अपने सारे कपडे उतार कर दूर फेंक दिए. अब हम दोनों बिना कों के आपस में लिपट गए. स्वेता ने मेरे कड़क और खड़े हो चुके लिंग को अपने कोमल हाथों से सहलाना शुरू किया. मेरी हालत खराब होने लगी. उसने मुझे अपने स्तनों के जोर से दबाया और अपनी टांगों के बीच में एक जगह बनाते हुए मुझे अपने लिंग को उसमे डालने के लिए कहा. कोंडोम के ना होने से मुझे डर लग रहा था. स्वेता ने जबरदस्ती मेरे लिंग को सीधा अपने जननांग में डालकर अपनी जाँघों के जोर से मेरे लिंग को उसमे फंसा दिया. मैं भी अब बिना किसी डर और घबराहट से स्वेता के जननांग को अपने लिंग से भेदने लगा. स्वेता ने मुझे और जोर लगाने के लिए कहा. मैं जितना जोर लगता स्वेता और जोर लगाने को कहती. करीब आधे घंटे तक इस कुश्ती का अंत उस वक्त हुआ जब मेरे लिंग ने जोर से पिचकारी स्वेता के जननांग में छोड़ दी. स्वेता जोर से उछली और लिपटकर शांत हो गई. मैंने उसके रसीले होंठों को अपने होंठों के बीच दबा दिया. सारी रात मैं और स्वेता आपस में लिपटकर सोये रहे. स्वेता ने मुझे शनिवार कि छुट्टी लेने को कह दिया. मैं भी मान गया. सारा दिन स्वेता मुझसे अपना नंगा जिस्म चुमवाती रही. मैं थक गया था लेकिन स्वेता ने मुझे रुकने नहीं दिया. रात को एक बार फिर स्वेता ने मेरे लिंग को अपने जननांग में फंसाया और मेरा रस पीने लगी. मुझे लगा जैसे मैं बेहोश हो जाऊँगा. करीब बाढ़ बजे स्वेता का जननांग मेरे लिंग से चुटी पिचकारी से भर गया तब कहीं जाकर स्वेता शांत हुई. एक बार फिर पूरी रात मैं और स्वेता आपस में लिपटे हुए सोए. जब भी स्वेता की आँख खुलती वो मुझे जगाती और मुझे खुद को चूमने को कहती. अगला दिन रविवार था. एक बार फिर स्वेता ने मुझे अपना शिकार बनाया. आज तो स्वेता ने मेरे लिंग की तीन पिच्करीयाँ अपने अंदर लगवाई. सवेरे ; दोपहर में और शाम को. जब वो अपने घर रवाना हुई तो बोली ” तुम बहुत ही मीठे हो. मैं आने पीटीआई के साथ बहुत खुश हूँ लेकिन रोज रोज एक ही स्वाद से मैं ऊब गई थी. इसलिए तुम्हें टेस्ट किया. आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | बस अब तुम मुझे बहुत मीठे और टेस्टी लगे हो तो इसी तरह मेरा कहा मानते रहना. मैं तुम्हारी सिफारिश कर दूंगी.” अगले करीब दो महीनों में स्वेता ने मेरी चार पिचकारियाँ झेली. इसके दो दिन बाद मेरे बॉस ने मुझे बुलाकर कहा कि मेरे काम से वो बहुत खुश है और मैं अब सीनियर फैशन डिजाइनर बन गया हूँ.” इस तरह से मेरा प्रमोशन हो गया. अब मैं इसी तरह से और आगे बढना चाहता हूँ. और अब बॉस की बीवी का जब मन करता है मुझे बुला लेती है और खूब चुद्वाती है और मै भी मजे ले कर खूब चोदता हूँ |