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नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा-7

प्रेषक: राज

मित्रो आप लोगो ने नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा पार्ट 6 में जो पढ़ा अब उसके आगे लिख रहा हु : मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मार रहा था और अपनी अँगुली से उसकी चूत को चोद रहा था। मेरा पानी छूटने वाला था और उसके बदन की कंपन देख कर मुझे लगा कि वो भी अब छूटने वाली है। अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते हुए मैंने अपना पानी उसकी गाँड में छोड़ दिया। उसका भी शरीर कंपकंपाया और उसकी चूत ने मेरे हाथों पर पानी छोड़ दिया।

मैंने अपना लंड उसकी गाँड में से निकाले बगैर पूछा, “क्यों प्रीती डार्लिंग! अपनी गाँड की पहली चुदाई कैसी लगी?”

“कुछ अच्छी नहीं, बहुत दर्द हो रहा है! अच्छा अब अपना लौड़ा मेरी गाँड से बाहर निकालो”, उसने अपनी आँखों से आँसू पौंछते हुए कहा।

“अभी नहीं मेरी जान! मैं एक बार और तुम्हारी गाँड मारना चाहता हूँ”, मैंने अपने लंड को फिर उसकी गाँड में अंदर तक घुसा दिया।

“क्या राज!!!! ये करना जरूरी है क्या? मुझे तुम्हारा लंड मेरी गाँड में घुसते ही कुछ ज्यादा मोटा और लंबा होता लग रहा है”, वो छटपटायी। मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसकी गाँड में मेरा पानी होने से इस बार इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी और मेरा लंड आराम से उसकी गाँड की जड़ तक समा जाता।

मैं जोर-जोर से उसकी गाँड मारने लगा और अपनी अंगुलियों से फिर उसकी चूत को चोद रहा था। उसे भी मज़ा आने लगा और वो बोल पड़ी, “हाँ राज!!! जोर-जोर से…, मज़ा आ रहा है।”

जब हम दोनों का पानी छूट गया तो मैंने उसे बाँहों में भरते हुए पूछा, “क्यों अबकी बार कैसा लगा?”

“पहली बार से अच्छा था”, उसने जवाब दिया।

“जैसे-जैसे चुदवाओगी… तुम्हें और मज़ा आने लगेगा। याद है तुम मेरा वीर्य पीना नहीं चाहती थी और अब तुम एक बूँद छोड़ती नहीं हो”, ये कहकर मैं उसे बाँहों में भर कर सो गया।

दूसरे दिन अपनी मोटर-साइकल पर ऑफिस जाते हुए मैं सोच रहा था कि ऑफिस में मेरी तीनों असिसटेंट और रजनी मेरी शादी की बात सुनकर क्या कहेंगी… क्या सोचेंगी।

मेरे केबिन में पहुँचते ही तीनों ने मुझे घेर लिया, “थैंक गॉड! राज तुम आ गये”, शबनम ने मुझे गले लगाते हुए कहा।

“समीना मुझे स्टोर रूम की चाबी दो, मैं तो एक सैकेंड भी अब इंतज़ार नहीं कर सकती”, नीता ने कहा।

“नहीं!! राज से पहले मैं चुदवाऊँगी, मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है”, समीना ने अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।

“रुको! तुम तीनों रुको! पहले मेरी बात सुनो, मेरे पास तुम लोगों के लिये एक खबर है”, उनका रियेक्शन देखने के लिये मैं थोड़ी देर रुका फिर बोला, “मैंने शादी कर ली है।”

“ओह नहीं!!!!!” तीनों एक साथ बोली।

उनके चेहरे पर दुख देख कर मैं बोला, “सुनो हम लोगों के रिश्ते में कोई फ़र्क नहीं आने वाला। मैं तुम तीनों का यहाँ ऑफिस में ख्याल रखुँगा और अपनी बीवी का घर पर… समझी! चलो सब अपने काम पर जाओ और मुझे भी सब समझने दो, शाम को स्टोर रूम में मिलेंगे।”

वो तीनों खुश होकर चली गयी पर असली शामत तो रजनी से आने वाली थी। पता नहीं मेरी शादी की बात सुनकर वो क्या कहेगी, क्या करेगी। जो होगा देखा जायेगा।

समय गुजर रहा था। मैं अपने लंड से तीनों एसिस्टेंट्स को ऑफिस में और प्रीती को घर पर मज़े देता था।

हमारी कंपनी हर साल एक बहुत बड़ी पार्टी रखती थी जिसमें हर स्टाफ को उसके परिवार के साथ बुलाया जाता था।

इस बार की पार्टी शहर के सबसे बड़े क्लब, नेशनल क्लब में रखी गयी थी। मैं और प्रीती तैयार होकर क्लब पहुँचे। क्लब में घुसते हुए मैंने प्रीती से कहा, “प्रीती! ये इस शहर का सबसे बड़ा क्लब है और मैं एक दिन इसका मेंबर बनना चाहता हूँ, क्यों सुंदर है ना?”

“हाँ! काफी सुंदर है”, उसने जवाब दिया।

हम लोग लॉन में पहुँचे तो मैंने देखा कि काफी लोग आ चुके थे। “आओ प्रीती! मैं तुम्हें अपने साथियों और दोस्तों से मिलाता हूँ”, मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

जब हम मेरे दोस्तों के बीच पहुँचे तो एक ने कहा, “आओ राज! अरे ये क्या, तुम्हारे हाथ में ड्रिंक नहीं है?”

“मैं अभी तो आया हूँ, जल्दी क्या है आ जायेगी”, मैंने जवाब दिया।

“अरे ये वेटर सब आलसी हैं, जाओ… तुम खुद बार पर से ड्रिंक क्यों नहीं ले आते”, उसने जवाब दिया।

मैं प्रीती को वहीं छोड़ कर बार की तरफ ड्रिंक लेने के लिये बढ़ा तो देखा कि रजनी सेल्स मैनेजर से बात कर रही थी। उससे नज़रें बचाते हुए मैं अपनी ड्रिंक ले कर एक भीड़ में जा कर खड़ा हो गया जिससे वो कोई तमाशा ना खड़ा कर सके।

अचानक मैंने अपने कंधों पर किसी का हाथ महसूस किया। पलट कर देखा तो रजनी खड़ी थी। “हाय राज! कैसे हो?” उसकी आवज़ में दर्द था। “हाय रजनी! मैं ठीक हूँ, तुम कैसी हो?” मैंने जवाब दिया।

“मुबारक हो”, शबनम कह रही थी कि, “तुमने शादी कर ली”, उसने अपने हाथों से अपने आँसू पौंछते हुए कहा।

“ऑय एम सॉरी रजनी! प्लीज़ शाँत हो जाओ, अपने आप को संभालो”, मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा।

“डरो मत! मैं कोई तमाशा नहीं खड़ा करूँगी। क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलवाओगे?” उसने हँसते हुए अपने रूमाल से अपने आँसू पौंछे।

“मेरा विश्वास करो रजनी! मैं लाचार था, पिताजी ने शादी पक्की कर दी और मैं उन्हें ना नहीं कर सका”, मैंने कहा।

“मैं समझती हूँ! शायद यही तकदीर को मंजूर था”, उसने जवाब दिया।

मैं रजनी को लेकर प्रीती के पास आ गया।

“प्रीती इनसे मिलो! ये रजनी है, अपने एम-डी की भतीजी!!”

“और रजनी ये प्रीती है, मेरी पत्नी।”

“मममम तुम्हारी बीवी काफी सुंदर है, इसलिये तुमने फटाफट शादी कर ली”, उसने हँसते हुए कहा। हम तीनों बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं बोला, “तुम लोग बातें करो, मैं एम-डी से मिलकर आता हूँ।”

मैं अपने एम-डी और मिस्टर महेश के पास पहुँचा तो देखा कि वो लोग कुछ डिसकशन कर रहे थे। इतने में एम-डी मुझसे बोले, “हे राज! वहाँ खड़े मत रहो, एक कुर्सी खींचो और यहाँ बैठ जाओ।”

मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।

“सर!! आपने उस औरत को देखा?” महेश ने एम-डी से पूछा।

“किसे??” एम-डी ने नज़रें घुमाते हुए कहा।

“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद सैंडल पहने खड़ी है, वो जिसका अंग-अंग मचल रहा है”, महेश ने अपने होंठों पर जीभ घोमाते हुए कहा।

“हाँ देखा! काफी सुंदर है!” एम-डी ने जवाब दिया।

“सर!! आपने उसके मम्मे देखे, उसके लो कट ब्लाऊज़ से ऐसा लगता है कि अभी बाहर उछाल कर गिर पड़ेंगे….” महेश ने ललचायी नज़रों से देखते हुए कहा।

“हाँ महेश!!!! देख कर ही मेरे लंड से तो पानी छूट रहा है….” एम-डी ने कहा।

“सर! मेरा तो छूट चुका है और अंडरवीयर भी गीली हो चुकी है….” महेश ने कहा।

“महेश! क्या तुम जानते हो वो कौन है?” एम-डी ने पूछा।

“नहीं सर! मैं उसे आज पहली बार देख रहा हूँ”, महेश ने जवाब दिया।

“हमें पता लगाना होगा कि वो कौन है…., राज! जरा पता तो लगाओ कि ये महिला कौन है और किसके साथ आयी है?” एम-डी ने कहा।

“किसका सर?” मैंने घूमते हुए पूछा।

“वो जो सफ़ेद साड़ी और सफ़ेद हाई-हील के सैंडल पहने खड़ी है…., और मेरी भतीजी रजनी से बातें कर रही है।” एम-डी ने कहा।

“वो??? सर! वो मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

“तुमने हमें बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है”, एम-डी ने शिकायत की।

“सर बस…. मौका नहीं मिला”, मैंने जवाब दिया।

“क्या तुम हमारा उससे परिचय नहीं कराओगे?” एम-डी ने कहा।

“जरूर सर!” इतना कह मैं प्रीती को ले आया।

“प्रीती इनसे मिलो! ये हमारी कंपनी के एम-डी, मिस्टर रजनीश हैं और ये मिस्टर महेश हैं।”

“सर! ये मेरी वाइफ प्रीती है”, मैंने उनका परिचय कराया।

“नमस्ते!!!” प्रीती ने कहा।

“तुम बहुत सुंदर हो प्रीती! आओ यहाँ बैठो, हमारे पास…” एम-डी ने प्रीती को कहा।

“नहीं सर! मैं यहीं ठीक हूँ”, कहकर वो सामने की कुर्सी पर बैठ गयी।

थोड़ी देर में रजनी आ गयी, “चलो राज और प्रीती! खाना लग गया है।”

“एक्सक्यूज़ मी सर!!” ये कहते हुए मैं और प्रीती, रजनी के साथ चले गये।

रात को हम घर पहुँचे तो प्रीती ने कहा, “राज! तुम्हारे बॉस अच्छे लोग नहीं हैं, कैसे मुझे घूर रहे थे, लग रहा था कि मुझे नज़रों से ही चोद देंगे।”

“ऐसा कुछ नहीं है जान! तुम हो ही इतनी सुंदर कि जो भी तुम्हें देखे उसकी नियत डोल जायेगी”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

अगले दिन जब मैं ऑफिस पहुँचा तो मुझे महेश ने कहा कि एम-डी ने मुझे रात आठ बजे होटल शेराटन में उनके सूईट में बुलाया है, कोई मीटिंग है। मैं शाम को ठीक आठ बजे होटल शेराटन में एम-डी के सूईट में पहुँचा, तो वहाँ सिर्फ़ एम-डी और महेश ही थे और कोई नहीं।

“और सब लोग कहाँ हैं?” मैंने महेश से पूछा।

“इस मीटिंग में और कोई नहीं है”, महेश ने हँसते हुए कहा, “एम-डी और मुझे तुमसे कुछ अकेले में बात करनी है, तुम बैठो।”

मुझे कुछ अजीब लग रहा था। मैं महेश की बतायी सीट पर बैठ गया।

“राज को कुछ पीने को दो महेश”, एम-डी ने कहा।

“क्या लोगे राज?” महेश ने बार की तरफ बढ़ते हुए पूछा।

“स्कॉच विद सोडा”, मैंने जवाब दिया।

महेश ने ग्लास पकड़ाया और मैंने उसमें से सिप लिया, “चीयर्स! काफी अच्छी है”, मैंने कहा।

“हाँ! बीस साल पुरानी स्कॉच है और इससे अच्छी स्कॉच मॉर्केट में नहीं मिलेगी”, महेश ने कहा।

“हाँ लगता तो ऐसा ही है…, पर मैं इसे अफोर्ड नहीं कर सकता, बहुत महंगी है”, मैंने जवाब दिया।

“क्या पता, आज के बाद तुम यही स्कॉच रोज़ पियो”, महेश ने हँसते हुए कहा।

ये सोच कर कि शायद मुझे मेरी तरक्की के लिये बुलाया है, मैंने एक जोर का घूँट लिया।

“महेश बता रहा था कि तुम बहुत अच्छा काम कर रहे हो ऑफिस में, और स्टाफ भी बहुत खुश है तुम्हारे कम से”, एम-डी ने कहा। 165550_181893248497673_181367178550280_549883_404253_n

“सर! ये बहुत ही होशियार और मेहनती लड़का है”, महेश ने कहा ।

“थैंक यू सर।”

“राज तुम्हारी वाइफ प्रीती बहुत ही सुंदर है, उसका शरीर तो गज़ब का ही है”, एम-डी ने कहा।

“सर! उसके मम्मे मत भूलिये, और उसकी गाँड…, जब हाई-हील के सैंडलों में चलती है तो, दिल ठहर जाता है!” महेश ने कहा।

“सर! मेरे काम और मेरी तरक्की के बीच में ये प्रीती कहाँ से आ गयी?” मैंने हकलाते हुए पूछा।

“देखा महेश! मैं ना कहता था कि राज होशियार और अक्लमंद लड़का है, ये पहले ही समझ गया कि हमने इसे तरक्की के लिये बुलाया है। महेश इसे वो लैटर दो जो तुमने तैयार किया है”, एम-डी ने महेश से कहा।

महेश ने अपनी पॉकेट से लैटर निकालते हुए मुझे दिया, “पढ़ो बेटा।”

लैटर एम-डी का साइन किया हुआ था। मेरी तरक्की कर दी गयी थी और मेरी तनख्वाह जो मैंने सपने भी नहीं सोची थी, उतनी कर दी गयी थी। अपनी उत्सुक्ता में मैंने महेश से भी कहे बिना खुद ही बॉटल उठा ली और अपने लिये एक तगड़ा पैग बना लिया।

“क्या सोच रहे हो? क्या तुम्हें तरक्की और इतना अच्छा वेतन नहीं चाहिये?” महेश ने मेरे हाथ से लैटर वापस लेते हुए कहा।

“हाँ सिर! मुझे चाहिये”, मैंने जवाब दिया।

“तो इस तरक्की को तुम्हें कमाना पड़ेगा”, महेश ने कहा

“मैं कुछ समझा नहीं कि मुझे ये तरक्की कमानी पड़ेगी…, मगर कैसे?” मैंने पूछा।

“राज तुम बहुत ही लक्की लड़के हो कि तुम्हें प्रीती जैसी बीवी मिली। तुम तो रोज़ उसे नंगा देखते होगे, उसके मम्मे दबाते होगे। और उसकी चूत और गाँड भी मारते होगे। मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसकी चूत बहुत ही टाइट होगी”, एम-डी ने कहा।

मैं चौंक गया। ये लोग मेरी बीवी के बारे मैं बात कर रहे थे, पर मैं चुप रहा।

“उसकी गाँड भी प्यारी होगी राज, मैं जानता हूँ तुम खूब कस कर उसकी गाँड मारते होगे”, महेश ने कहा।

मन तो कर रहा था कि उठकर इन दोनों की पिटायी कर दूँ। मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें करने का इन्हें क्या हक है, पर डर रहा था कि कहीं मैं अपनी तरक्की और नौकरी ना खो दूँ, इसलिये मैंने हल्के से ऐतराज़ दिखाते हुए कहा, “प्लीज़ सर! आप मेरी बीवी के बारे में ऐसी बातें ना करें।” एम-डी ने विषय को बदलते हुए कहा, “राज मैं जानता हूँ कि जिस फ्लैट में तुम रह रहे हो, छोटा है। क्या तुम नियापेनसिआ रोड पर कंपनी के फ्लैट में रहना चाहोगे और तुम्हें किराया भी नहीं देना पड़ेगा। ”

नियापेनसिआ रोड, मुंबई के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट! मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, “हाँ सर! क्यों नहीं रहना चाहुँगा?” मैंने खुशी से जवाब दिया।

“राज! ये तरक्की, ये फ्लैट सब कुछ तुम्हारा हो सकता है, अगर तुम एम-डी पर एक एहसान कर दो”, महेश ने कहा।

“एम-डी पर एहसान? सर अगर मेरे वश में हुआ तो एम-डी के लिये मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ”, मैंने ग्लास में से स्कॉच का बड़ा घूँट भरते हुए कहा।

“महेश! राज का ग्लास भरो”, एम-डी ने कहा “सच तो ये है राज कि जिस दिन से मैंने तुम्हारी बीवी प्रीती को देखा है, मैं रात को सो नहीं पाया हूँ। मैं उसके ही सपने देखता हूँ। तुम्हें अपनी बीवी को तैयार करते हुए उसे हम दोनों को सौंपना है। फिर तुम्हें तरक्की भी मिल जायेगी और फ्लैट भी। हम लोग तुम्हारी दूसरे तरीके से भी मदद करेंगे।”

“हम दोनों को?” मैं समझा नहीं।

“हाँ! हम दोनों को”, एम-डी ने कनफर्म किया।

मैं एक दम सकते की हालत में था। क्या कहूँ समझ में नहीं आ रहा था। मैंने अपना ग्लास एक ही झटके में खाली कर दिया। ओह गॉड! ये लोग मेरी बीवी पर नज़र रखते हैं, ये दोनों उसे चोदना चाहते है। मुझे लगा सारा आसमान मेरे सिर पर गिर पड़ेगा।

“ये आआआ…प क्या कह रहे हैं सर”, मैंने थोड़ा गुस्से में, पर नीची आवाज़ में कहा, “क्या आप दोनों मेरी बीवी को चोदना चाहते हैं।”

“मैं नहीं कहता था सर! अपना राज समझदार लड़का है, हाँ! राज हम तुम्हारी बीवी प्रीती को चोदना चाहते हैं”, महेश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा।

“नहीं! मैं ऐसा नहीं कर सकता”, मैंने सुबकते हुए कहा, “प्रीती बहुत सीधी लड़की है, वो भगवान को बहुत मानती है और डरती है और सबसे बड़ी बात, वो पतिव्रता नारी है। वो नहीं मानेगी।”

“हम भी भगवान से डरने वालों में से हैं”, एम-डी ने कहा।

“राज! ठंडे दिमाग से सोचो, तुम तरक्की के साथ दुनिया का सब सुख और आराम पा सकते हो। कंपनी के साथ रहते हुए तुम कहाँ से कहाँ पहुँच सकते हो”, एम-डी ने कहा।

“ओह गॉड! ये मैं कहाँ फँस गया”, मैं सोच रहा था। मेरे अंदर का शैतान मुझे भड़का रहा था कि राज हाँ कर दे! इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा! कितनी औरतें हैं जो अपने पति के होते हुए दूसरों से चुदवाती हैं। उनके पति को पता भी नहीं चल पाता क्योंकि चूत में तो कोई फ़रक नहीं आता। फिर तुम्हें तो उसकी चूत हासिल रहेगी ही। और सोचो नियापेनसिआ रोड के फ्लैट में रहना…, वो सब सुख और आराम। मगर मेरे अंदर का इनसान मुझे मना कर रहा था कि ये सब पाप है और मुझे उक्सा रहा था राज मना कर दे…! अभी और इसी वक्त!

“वो नहीं मानेगी सर! मैं जानता हूँ”, मैंने जवाब दिया।

“कैसे नहीं मानेगी? अगर वो पतिव्रता है तो तुम्हारा हुक्म कभी नहीं टालेगी”, एम-डी ने कहा।

“सर आप समझते क्यों नहीं…? मैं जानता हूँ।”

“महेश! तुमने राज को वो फोटो दिखाये कि नहीं?” कहकर एम-डी ने मेरी बात काटी।

महेश ने अपने पॉकेट से एक लिफाफा निकाल कर मुझे पकड़ा दिया। मैंने देखा उस लिफ़ाफ़े में मेरी और मेरी तीनों एसिस्टेंट्स की चुदाई की तसवीरें थी। मुझे नहीं मालूम कि कैसे और किसने ये तसवीरें खींची थीं। मैं सकते का हालत में था। “आपको ये कहाँ से मिली और आपको किसने बताया?” मैंने डरते हुए पूछा।

“किसी ने नहीं! हमारी कंपनी में कौन क्या कर रहा है, ये जानना हमारा फ़र्ज़ है”, एम-डी ने जवाब दिया।

मेरा दिमाग चकरा रहा था। अगर ये फोटो प्रीती ने देख लिये तो वो जरूर मुझे छोड़ के चली जायेगी। “इनका आप क्या करेंगे?” मैंने पूछा।

“ये तुम पर निर्भर करता है, या तो प्रीती को तैयार करो और अपनी तरक्की, फ्लैट और ये सब तसवीरें, नैगेटिव के साथ तुम्हें हासिल हो जायेंगी या फिर कल सुबह ये तसवीरें तुम्हारी बीवी को मिल जायेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। ये फैसला तुम्हें करना है।”

मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने अपना मन पक्का कर लिया और कुर्सी पर से खड़ा होते हुए कहा, “ठीक है सर! मैं प्रीती को तैयार कर लूँगा।”

“तुम काफी समझदार हो राज! बहुत तरक्की करोगे भविष्य में”, एम-डी ने मेरी पीठ थापथपायी।

“तुम्हें विश्वास है… तुम ये काम कर लोगे?” महेश ने पूछा।

“हाँ सर! मैं कर लूँगा, आप मुझे सिर्फ़ समय और तारीख बतायें”, मैंने जवाब दिया।

“ठीक है! शनिवार की शाम हम तुम्हारे घर ड्रिंक्स लेने के बहाने आयेंगे, पर तुम्हारी बीवी का मज़ा लेंगे”, एम-डी ने कहा।

“हाँ सर! ये ठीक रहेगा! प्रीती को होटल में चोदने की बजाये उसी के बिस्तर पर चोदा जाये तो बढ़िया है”, महेश ने कहा।

मैंने उनसे विदा ली और इस दुविधा के साथ अपने घर पहुँचा कि अब प्रीती को कैसे तैयार करूँगा। ड्रिंक्स ज्यादा होने कि वजह से हमारी बात नहीं हो पायी और मैं सो गया।

सुबह प्रीती ने पूछा, “राज कल रात तुम्हारी मीटिंग किस विषय में थी?”

“ऐसे ही ऑफिस की नॉर्मल मीटिंग थी…” मैं चाह कर भी उसे कुछ कह नहीं पाया। “हाँ मैंने सैटरडे को एम-डी और महेश को ड्रिंक्स पर बुलाया है, ध्यान रखना”, मैंने प्रीती से कहा।

“उन्हें घर पर क्यों बुलाया? तुम्हें मालूम है ना वो मुझे अच्छे नहीं लगते”, प्रीती ने नाराज़गी जाहिर की।

“प्रीती! वो मेरे बॉस हैं, और तुम्हें उनसे अच्छे से बिहेव करना है। जब उन्होंने घर आने को कहा तो क्या मैं उन्हें मना कर सकता था?” मैंने प्रीती को समझाया।

बुधवार की शाम कुछ लोग ड्रिंक्स का सामान दे गये, जो महेश ने भिजवाया था।

बास्केट में स्कॉच और कोक देख कर प्रीती ने पूछा, “ये सब क्या है?”

“बॉस के लिये स्कॉच और कोक…” मैंने जवाब दिया।

जब मैंने महेश से पूछा कि कोक क्यों भिजवायी तो महेश ने कहा, “राज ये स्पेशल तरह की कोक है, इसमें उत्तेजना की दवाई मिलायी हुई है। इसे प्रीती को पिलाना, उसका दिमाग काम करना बंद कर देगा।”

पूरा हफ्ता बीत गया और शनिवार आ गया। पर मैं प्रीती को कुछ नहीं बता पाया। मैंने सब कुछ भगवान के सहारे छोड़ दिया। मित्रो और आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए और कमेंट कर के हमें बताईये आपको ये कहानी कैसी लगी |

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