प्रेषक: मुकेश
एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-1 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-2 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-3 | एग्जाम पास होने की शर्त आंटी की चुदाई-4
गतांग से आगे …..हम काफ़ी खुश थे पर दो महीने से अंकल की नाइट ड्यूटी चल रही थी तो हमें मज़े करने का ज़्यादा मौका नहीं मिलता था.. कभी कभी ही, मिलने पे एंजाय कर लेते थे.. इस बार, हमारे मोहल्ले के हम जो 4 करीबी परिवार थे, सब ने एक हफ्ते का हिमाचल घूमने का प्लान बनाया क्यूंकि हम सर्दियों में जा रहे थे तो हमें, वहां वर्फ़ मे बड़ा मज़ा आएगा..
हमारे ग्रूप में मेरा परिवार, आंटी और उनकी बेटी थे क्यूंकि अंकल की ड्यूटी की वजह से, वो नहीं जा पा रहे थे और हमारे बगल वाला परिवार था तो हम लगभग, 15-20 लोग हो गये थे..
हमने रिज़र्वेशन करा लिया था, ट्रेन का और हम 5 दिन बाद, निकलने वाले थे..
फिर, हमारे जाने का दिन आ गया था और हम शाम को निकल गये..
हम ट्रेन में, बैठ गये थे..
हम हिमाचल के शिमला जा रहे थे तो हमें पहले चंडीगढ़ जाना था..
वहाँ से, बस से शिमला..
हम अगले दिन सुबह 8 बजे के करीब, चंडीगढ़ पहुँच गये थे..
वहाँ से हमने एक मिनी बस बुक की थी, शिमला के लिए..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इस सफ़र मे, मुझे आंटी के साथ बात करने का या कुछ करने का ज़रा सा भी मौका नहीं मिला..
आंटी अपने औरतों के ग्रूप में व्यसत थीं और मैं, अपने दोस्तो के साथ..
बस मौका देख कर, स्माइल पास कर देते थे..
आख़िर हम शिमला पहुँच गये, करीब 11 बजे के करीब और फिर हम अपने होटल में गये.. सभी, अपने अपने रूम में जाकर आराम करने लगे और शाम को हम सभी मिलकर, शिमला की “मॉल-रोड” घूमने गये..
इसी वक़्त, मैंने आंटी से बात की और मौका देखकर, उन्हें चुपके से किस भी कर ली..
उन्होंने थोड़ा गुस्सा दिखाया और बोला – कुछ तो शरम करो… हम मार्केट में हैं… मोहल्ले के कितने लोग हैं, कोई देख लेगा तो…
मैंने कहा – आंटी, कोई नहीं देखेगा… आप चिंता मत करो…
इस पर वो बोलीं – अगर, तुम्हारा लण्ड हर पाँच मिनट में खड़ा नहीं होता तो तुम्हारी गाण्ड पर लात मारने में मुझे पाँच सेकेंड भी नहीं लगते… तुम जवान छोकरों की यही प्राब्लम है, बड़े बेसब्र होते हो… सब्र नाम की चीज़ ही नहीं होती, बस खड़ा लण्ड लिए फिरते रहते हो…
मैंने कहा – अच्छा सॉरी… पर आंटी, ये ठीक नहीं है… आप जब देखो, मुझे धमकी देती रहती हो… मैं आपसे प्यार करता हूँ…
तो वो बोलीं – ठीक है… प्यार करता है तो ये भी सोचा कर, तेरी आंटी बदनाम हो गई तो क्या होगा… चल अब…
फिर हमने बाहर पराठें खाए और करीब 10 बजे, होटल में सोने चले गये..
मैं अपने दोस्तो के साथ वाले रूम में था और आंटी, अपनी बेटी के साथ रूम में थीं..
शिमला में हर जगह पैदाल ही चलना पड़ता है, इस वजह से सब बहुत थक गये थे और फ़ौरन सो गये..
पर, मुझे बिल्कुल नींद नहीं आ रही थी और रात का करीब एक बज गया था तो मैं आंटी के रूम पे गया..
कुछ देर नॉक किया तो आंटी बोलीं – कौन है…
मैं बोला – मुकेश…
उन्होंने दरवाजा खोला और मुझे देख कर कहा – इतनी रात को… उफ्फ मुकेश, तुम्हें समझ क्यूँ नहीं आता… यहाँ कोई देख लेगा तो… चलो, अब आ गये हो तो जल्दी से अंदर आ कर, अपनी मां चुदाओ…
इस पर मुझे थोड़ा गुस्सा आया पर मैंने खुद पर काबू कर लिया और सोचा आंटी नामुकेश़ हो गईं तो चूत मारने का मौका चला जाएगा..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
खैर, हम अंदर गये तो उन्होंने बड़ी बेरूख़ी से पूछा – बको, क्या काम है… कौन सा कीड़ा काटा, तुम्हारी गाण्ड में अब…
मैंने बोला – क्या आंटी, आप हमेशा मुझे डांटती रहती हो… मेरे प्यार का नाजायज़ फायदा उठाती हो… मुझे तो आपकी याद आ रही थी, आंटी…
आंटी बोलीं – अच्छा… याद आ रही थी… बरसों से बिछड़ी, लैला हूँ ना मैं तेरी… 3 घंटे पहले तो, मेरे साथ था…
मैंने कहा – अब छोड़ो ना आंटी, ये सब…
फिर मैंने उन्हें किस के लिए पकड़ा तो आंटी पीछे हटी और बोलीं – मुकेश, मेरी बेटी जाग जाएगी…
मैं बोला – क्या आंटी, नहीं जागेगी ना… यहाँ सब नये नये शादीशुदा जोड़े आते हैं… इस ठंडी और बर्फ में चुदाई का मज़ा ही अलग आता है…
मैंने लाख मनाया, लेकिन वो नहीं मानी और कहा – या तू तुम जाओ या हमारा रिश्ता ख़तम…
मुझे झटका लग गया और मैं उन्हें मानने लगा…
बहुत देर बाद, वो मानी और कहा – ठीक है, मेरे बाप… लेकिन, सिर्फ़ एक किस और उसके बाद तू चलता नज़र आएगा…
मैंने बोला – हाँ आंटी… पक्का… और उनके होठों को अपने होठों में लेकर, चूसने लगा..
हम एक दूसरे को किस किए जा रहे थे और जल्दी ही, हमारी जीभ भी आपस में मिलने लगीं और आंटी ने अपने हाथ मेरे कंधे पर रख दिए थे और मैं भी उनके बालों मे हाथ फेरने लगा और फिर उनकी पीठ पे, तभी मैंने महसूस किया की उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी और मैं उनके मम्मे दबाने लगा..
तभी अचानक से, आंटी अलग हुईं और बोला – हो गयी, किस… चलो अब, जाओ निकालो…
मैंने बोला – आंटी, प्लीज एक और ना…
ना जाने उन्हें क्या हुआ, वो बोलीं – जाता है या चिल्ला चिल्ला कर सब को इकठ्ठा करूँ…
मैंने जाने में ही भला समझा और तुरंत चला आया और अपने कमरे में आ कर, सो गया..
अगले दिन, हम सबने ब्रेकफास्ट किया और हम शिमला का फेमस “ग्रीन वैली” देखने गये, जो की अपनी खूबसूरती के लिए वर्ल्ड में फेमस है..
वहां सबने, खूब एंजाय किया..
दिन में वहां, हम खूब घूमे और शाम को हम डिन्नर के बाद होटल के गार्डेन में अंताक्षरी खेलने लगे..
मेरा बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
बस आंटी को देख कर, उन्हें चोदने का मन करे जा रहा..
मैंने मौका देखकर, उनसे कहा – आंटी, कब मिलेगा पानी पीने को… बहुत प्यास लगी है…
वो बोलीं – सब्र करो, मुकेश… सब्र का फल, बहुत मीठा होता है…
और फिर हम सब खेलने लगे और थोड़ी देर बाद, अपने रूम में जाकर सो गये..
मैं समझ नहीं पा रहा था की आख़िर, कब और क्या होगा..
अगले दिन, हम शिमला के सबसे उँचे पॉइंट पर “स्नो फाल” देखने गये और वहां पर भी हमने, खूब मस्ती की..
हमने वहां बर्फ के गोलों से खूब खेला और पूरा दिन वहां बिताया..
वहां बहुत ठंड थीं..
देर शाम, हमने डिनर किया और बैठकर सब बातें करने लगे और फिर हम रात में कल की तरह ही, सोने चले गये. जब सुबह, हम ब्रेकफास्ट कर रहे थे तभी आंटी आईं और मेरी मम्मी और बाकी औरतों से बोला – मेरी एक सहेली रहती है, चंडीगढ़ में… वो काफ़ी दिन से मुझसे मिली नहीं है और मुझसे बहुत बोल रही है, आने को… मैंने बहुत मना किया पर मान नहीं रही है तो मैं मुकेश को अपने साथ ले जाती हूँ… 1-2 दिन में, आती हूँ… मेरी बेटी वहां बोर हो जाएगी… आप सबके साथ, बहुत घुली मिली हुई है… अगर, आप लोगों को दिक्कत नहीं हो तो उसे यहीं छोड़ जाऊं… सबके के साथ, घूम लेगी…
मेरी माँ ने और बाकी औरतों ने, खुशी खुशी “हाँ” बोल दिया..
हमने एक कार बुक की और हम चंडीगढ़ को निकल गये..
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था..
आख़िर, मैं आंटी से पूछ बैठा – आंटी, आख़िर हम आपकी सहेली के यहाँ क्यों जा रहे हैं…
तो आंटी बोलीं – शांत बैठे रहो…
मैंने कहा – प्लीज बताओ ना… कुछ समझ नहीं आ रहा है…
बहुत पूछने पर, वो बोलीं – अरे यार, हम मेरी सहेली के यहाँ नहीं जा रहे है… बस…
मेरा फिर दिमाग़ घूम गया..
मैं समझ नहीं पा रहा था की आख़िर हो क्या रहा है..
लगभग, 2 घंटे बाद हम चंडीगढ़ पहुँच गये और कार, एक मस्त से होटल के सामने रुकी..
जब हम अंदर गये तो वहां रिसेप्शन पर, आंटी ने अपना नाम बताया..
उन्होंने कहा – मेडम, आपका रूम बुक है..
फिर हम रूम में चले गये..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मुझे तो ये सुन कर ही सदमा लग गया की रूम बुक है..
आख़िर, रूम किसने बुक किया था और जब हम रूम में गये तो मेरी आँखें, फटी की फटी रह गईं..
क्या रूम था, यार..
एक दम बड़ा किंग साइज़ बेड, मस्त बेडरूम और बाथरूम तो पूछो मत..
एक बड़ा सा बाथ टब था और स्टीम बाथ भी था..
अब, मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था.. आख़िर, हो क्या रहा है..
जब मैंने पूरा रूम देख लिया तो आंटी के पास गया..
वो खिड़की के पास खड़ी थीं तो मैंने पूछा – आंटी, कुछ तो बोलो… आख़िर, ये सब है क्या…
वो बोलीं – ये तेरी लिए सर्प्राइज़ है…
मैंने कहा – सर्प्राइज़…
उन्होंने बताया – देख, चुदाई मुझे भी बेहद पसंद है… तुझ से कहीं ज़्यादा… पर मैं तेरी तरह, बेसब्र नहीं हूँ… मैंने सब पहले से, डिसाइड कर लिया था और होटल भी बुक कर लिया था… मैं तुम्हें सर्प्राइज़ देना चाहती थी… हाँ, मेरी कोई सहेली यहाँ नहीं रहती… ये सब मैंने, हमारी चुदाई के लिए किया है…
ये सुनकर तो मैं खुशी से झूम उठा और आंटी को गोद में उठा लिया और बोला – ओह!! आंटी जान… हम कब तक यहाँ हैं…
तो वो बोलीं – कल रात तक… परसों सुबह, हम निकल जाएँगें वापस शिमला…
फिर, मैंने कहा – पर आंटी, ये होटल तो काफ़ी महंगा होगा…
वो बोलीं – तू क्यूँ इसकी चिंता करता है…
फिर, हम इधर उधर की बातें करने लगे और टीवी देखने लगे और फिर हमने खाना ऑर्डर किया और जब खाना आ गया तो हमने खाना खाया और बातें करने लगे.. थोड़ी देर आराम करने के बाद, आंटी बोलीं – मुकेश, मैं नहा कर आती हूँ…
मैंने बोला – ठीक है, आंटी…
और मैं खिड़की से बाहर के नज़ारे देखने लगा और सोचा – आंटी के आने के बाद, मैं भी नहा लेता हूँ…
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ अंडरवियर में था..
तभी, आंटी नहा कर आईं..
मैं तो उन्हें देखता रह गया और आँखें, फटी की फटी रह गईं..
आंटी ने एक लाल रंग की पारदर्शी बिकनी पहनी थी और वो बिकनी इतनी छोटी थीं की उनकी गाण्ड तो उसमें आ ही नहीं रही थीं और उनकी गाण्ड की दरार में, घुसी जा रही थी..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
उनके बाल, एक दम गीले थे..
मैं तो बस उन्हें देखकर, पागल हो गया था..
आंटी आईने के सामने खड़ी होकर, तैयार होने लगीं तो मैं उनके पास गया और उनके कान में बोला – आंटी, मार डालोगी क्या…
उन्होंने बोला – अच्छा जी…
मैंने कहा – हाँ जी…
फिर, मैंने पूछा – बिकनी कहाँ से आई, आंटी…
उन्होंने बोला – तुम्हें ही खुश करने के लिए खरीदी थी, मेरे बालम…
मैं बोला – और कितने सर्प्राइज़ हैं, आंटी…
तो वो बोलीं – देखते जाओ, बस…
मैं अब बेड पर लेट गया और आंटी को देखने लगा..
मेरे पूरे शरीर में, बहुत दर्द हो रहा था..
शिमला में घूमने की वजह से, बहुत थकान थी..
मैंने आंटी से बोला तो वो बोलीं – दवाई ले लो… पर मैंने मना कर दिया..
फिर वो बोलीं – अच्छा, कोई बात नहीं… मैं मालिश कर दूँ क्या…
मैं फ़ौरन बोला – हाँ, ये ठीक रहेगा… पर हमारे पास तो आयिल नहीं है…
उन्होंने रिसेप्शन पर फोन किया और मसाज आयिल मंगवा लिया..
थोड़ी ही देर में आयिल आ गया तो आंटी बोलीं – चलो अब, नीचे फर्श पे लेट जाओ…
मैं लेट गया..
आंटी ने हाथ में तेल ले कर, मेरी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया..
आंटी के मुलायम हाथों का स्पर्श, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
फिर, आंटी ने पहले मेरे हाथों की मालिश की और फिर, टाँगों की शुरू कर दी..
जैसे जैसे, मेरी जांघों के पास पहुँची मेरी दिल की धड़कन तेज़ होने लगीं..
मेरा लण्ड धीरे धीरे, हरकत करने लगा..
अब आंटी पाँव पर और लण्ड के चारों तरफ, जांघों पर मालिश करने लगीं.
मेरा लण्ड, बुरी तरह से फनफ़नाने लगा..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
लण्ड अंडरवियर से, उभर कर बाहर आ रहा था..
आंटी से ये छुपा नहीं था और उनका चेहरा लाल हो गया था. आंटी उभार को देखते हुए बोलीं – मुकेश, लगता है तेरा अंडरवियर फट जाएगा… क्यों क़ैद कर रहा है, बेचारे को… आज़ाद कर दे, इसे और यह कहा कर वो हंस पड़ीं..
मैंने कहा – आप ही, आज़ाद कर दो ना आंटी…
आंटी बोलीं – ठीक है, क्यूँ नहीं… मैं तो लण्ड की दीवानी हूँ… और आंटी ने मेरा अंडरवियर नीचे खींच दिया..
अंडरवियर से आज़ाद होते ही, मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड किसी “काले कोबरा” की तरह फनफ़ना कर खड़ा हो गया..
आंटी की आँखें फटी रह गयीं और वो बोलीं – एक बात तो है, कितनी बार देख चुकी हूँ तुम्हारा लण्ड पर फिर भी क्यों, जब भी देखो बड़ा ही लगता है…
मैं बोला – ये सब छोड़ो ना, आंटी… आप इसकी भी मालिश कर दो ना…
अब आंटी ने ढेर सा तेल हाथ में लेकर, खड़े हुए लण्ड पे लगाना शुरू कर दिया..
वो बड़े ही प्यार से लण्ड की मालिश करने लगीं और मेरे सुपाड़े से खेलने लगीं..
अचानक, वो तेल से सनी एक उंगली मेरी गाण्ड के आस पास घुमाने लगीं और एकदम से, उन्होंने उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी..
मैं चिल्ला पड़ा – आंटी स स स स स… नहीं स स स स स…
तब वो, एक हाथ से मेरा लण्ड हिला रही थी और दूसरे हाथ की उंगली से मेरी गाण्ड मार रही थीं..
सच कहूँ तो कुछ देर बाद, मुझे मज़ा आने लगा और मैं भी किसी लड़की की तरह अपनी गाण्ड उठाने लगा..
अब आंटी ने मुझे पलट कर, कुत्ते जैसे होने को बोला..
मेरी गाण्ड का छेद, अब आंटी के सामने था..
इस पोज़ में आते ही, आंटी पीछे से हाथ डाल कर एक हाथ से मेरा लण्ड का मूठ मारने लगी और पहले एक, फिर दो उंगलियों से ज़ोर ज़ोर से मेरी गाण्ड मारने लगीं..
मुझसे रहा नहीं गया और मेरे लण्ड ने बहुत ज़ोर से पिचकारी मारी..
आंटी ने मुझे फिर सीधा किया और मेरे लण्ड को चूमा और मुझे एक चाँटा मारा और बोला – मज़ा आया, अपनी गाण्ड मरवाने में…
मैंने बोला – सच में, आंटी… बहुत मज़ा आया… पर मुझे डर भी लग रहा है की कहीं मैं “गे” तो नहीं बन जाऊंगा…
आंटी बोलीं – चल पागल… हो गई, मालिश… चल, अब नहा ले… और सुन गाण्ड ठीक से धोया कर, सुबह… और, वो हंस पड़ीं..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैं बोला – क्या आंटी, आप भी… लेकिन, अभी नहाना कहाँ… अब आप तो लेटो, मैं भी तो आपकी मालिश कर दूँ…
वो बोलीं – नहीं, मुझे नहीं करानी मालिश वालिश और वैसे भी मैंने नहा लिया है…
मैं आंटी को मानने लगा… रिक्वेस्ट करने लगा…
कुछ देर बाद, आंटी मान गईं और उल्टा लेट गईं..
मैं आंटी की टाँगों के बीच में बैठ कर, उनकी पीठ पर तेल लगाने लगा..
मेरे उनके मम्मे के आस पास मालिश करने से, वो गरम हो रही थीं..
फिर, मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और पीछे से ही बारी बारी मैं उनके मम्मे को मसलने लगा..
आंटी, जो “सिसकारियों की रानी” थीं के मुँह से तुरंत ही सिसकारियाँ निकलने लगीं..
वो आँखें मूंद कर, लेटी रहीं..
खूब अच्छी तरह मम्मे को मसलने के बाद, मैंने उनकी टाँगों पर तेल लगाना शुरू कर दिया..
जैसे जैसे तेल लगता जा रहा था, आंटी की साँसे तेज़ होने लगीं थीं..
मैं उनकी गोरी गोरी मोटी जांघों के पीछे बैठ कर, बड़ी प्यार से मालिश कर रहा था..
कुछ देर बाद, मैं उनकी गाण्ड दबाने लगा.. और फिर ज़ोर ज़ोर से, उनकी गाण्ड पर बारी बारी से चांटे मारने लगा..
वो बोलीं – बहन चोद स स स… आराम से…
फिर मैंने आंटी को सीधा किया और उनके मम्मे की मालिश करने लगा और उनके निप्पल मसलने लगा..
आंटी ने सिसकारियाँ लेते हुए, मेरे लण्ड को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगीं..
कुछ देर बाद, मैं उनकी जांघों के बीच में बैठ गया और उनकी पैंटी खींच कर निकाल दी और मैं उनकी टुंडी और चूत के ऊपरी हिस्से पर मालिश करने लगा..
जैसे ही मैंने आंटी की चूत के अंदर उंगलियाँ डाल कर मालिश की तो आंटी की साँसें और तेज़ हो गयीं और वो – इयाः या या या या या या या या या या या… करके सिसकारियाँ लेने लगीं..
अचानक, उन्होंने मुझे अपने नीचे किया और धक्का देकर लिटा दिया और ठीक मेरे लण्ड पर मूतने के पोज़ में बैठ गई..
एक ही पल में, आंटी की चूत से बेहद गरम धार, सीधे मेरे खड़े लण्ड पर गिरने लगी, और आंटी ज़ोर से बोलीं – हिला, अपना लण्ड…आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
आंटी की गरम गरम मूत मेरे लण्ड पर गिर रही थी और मैं ज़ोर ज़ोर से अपना लण्ड हिला रहा था..
आंटी की चूत में इतनी गरमी थी की ऐसा लगा की मेरी फिर से पिचकारी निकल जाएगी.. पर तभी आंटी की टंकी खाली हो गई..
उफ्फ!! क्या ग़रम मूत थी, आंटी की.. मज़ा आ गया था, कसम से.. अपना लण्ड उनकी मूत से नहलाने में..
जिस तरह आंटी ऊपर आईं थीं, ठीक उसी तरह आंटी ने मुझे फिर ऊपर कर लिया..
फिर मुझसे भी रहा ना गया और मैंने भी अपना लण्ड तुरंत आंटी की चूत पर टीकाया और ज़ोर से धक्का दिया..
लण्ड पर तेल लगे होने की वजह से, आंटी की चूत में मेरा लण्ड एक बार में समा गया और आंटी चीख पड़ीं – मुकेश, मर ग यइ स स स… उंह ह ह ह ह ह… अहह आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ… उईई माह ह ह ह ह ह स स स स स… आह आह आह… आह आह आह आह आह आह… इयाः या या या या या या या या या या या… मैं आंटी को लीप किस करने लगा और उनके मम्मे दबाने लगा..
फिर मैंने एक झटका और लगाया तो आंटी बोलीं – मादार चोद द द द द द स स स स s s s… मार डालेगा, क्या या या आह आ आ आ ह ह ह ह ह… हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ… माँ की चूत… चोद, अपनी आंटी को… बना दे, मुझे कुतिया… चोद दद चोद द दद चोद द द दद चोद द द द दद चोद द द द द द द द द द द…
पूरा कमरा, फ़च फ़च की आवाज़ से गूँज रहा था..
करीब आंटी को 4-5 मिनट तक चोदने के बाद, मैं झड़ने वाला था तो आंटी से बोला – बहन के लौड़ी, मैं आ रा हूँ…
आंटी बोलीं – तो आ ना, भोसड़ी के… निकाल दे, अपना गरमा गरम मूठ… आ, जल्दी आ…
और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और बहुत ज़ोर ज़ोर से शॉट लगाने लगा..
अब आंटी की गालियाँ और सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं – मादार चोद स स स स स… तेरी माँ का भोसड़ा… और ज़ोर से… चोद चोद चोद… और तेज़… और तेज़… आह आह आह आह आह आह अहह अहह… अहह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह आ न न न ह ह ह… मुकेश र र र र र र र र र र…
और… मैं झड़ गया और थक कर उनके बगल में लेट गया..
फिर, मैंने उनसे बोला – आंटी, मज़ा आ गया आज तो… आपको कैसा लगा…
आंटी बोलीं – मुकेश, तू तो बड़ा शिकारी हे रे…
इस पर मैं, ज़ोर से हंस पढ़ा..
फिर, मैंने टाइम देखा तो रात के 10 बज रहे थे..
आंटी उठीं और नहाने चली गईं और मैंने खाना ऑर्डर किया और आंटी के आने के बाद, मैं भी नहाने चला गया..
हमने खाना खाया..आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
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