अब्बू के दोस्तों ने की जबरदस्त चुदाई-2

प्रेषिका: आशिया (पाकिस्तान)

हेल्लो मस्तराम डॉट नेट के प्यारे पाठको अभी तक आप लोगो ने मेरी पिछली कहानी अब्बू के दोस्तों ने की जबरदस्त चुदाई भाग 1 में पढ़ कर तो जान ही लिया होगा की कहानी कैसी है खैर चलिए अब आगे की कहानी पर चलते है …. मैंने घबरा कर आँखे खोल दी. मैंने देखा के इकरम मेरे उपर लेटा हुआ है और वो मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मैं रोते हो बोली, प्लीज़ अब तो मुझे माफ़ कर दो रहम करो मेरे उपर मैंने तुम्हारा किया बिगाड़ा है तुम क्यूँ मुझ पर ये ज़ुलाम कर रहे हो. तुम ने 2 घंटे तक टिकट चेकर के साथ मिल कर मुझे कुत्तों की तरह चोदा है किया अब भी तुम्हारा दिल नही भरा. मेरी बात सुनकर इकरम ने हस्ते हुए अपने होठ मेरे होंटो से मिला दिए. फिर वो मेरा एक तवील बोसा लेकर बोला, अभी कहा मेरी जान अभी मेरा दिल कहा भरा है तुमने तो पूरे रास्ते मुझ से चुदवाना है अभी से तुम क्यूँ रो रही हो अपनी किस्मत पर मातम इस सफ़र के बाद करना क्यूँ के जब तक मैं इस कॉमपार्टमेंट मे हूँ तुम्हे चोद्ता ही रहू गा. ये हसीन मौका मैं ज़ाया करना नही चाहता फिर ये मौका मुझे मिले ना मिले इस लिए मेरी जान-ए-मन पूरे रास्ते तुमने अपनी चूत और गांड मर्वानी है. मैं फिर उस से माफी तलफी करने लगी मगर उसने मेरी एक ना सुनी. उसका लंड अब तक अकड़ चुक्का था इस लिए उसने लेटे लेटे ही अपना लंड मेरी चूत मे घुस्सा दिया और खूब ज़ोर-ओ-शोर से झटके मारने लगा. मेरी सूजी हुई चूत फिर दर्द करने लगी और बुरी तरह से चीखने लगी. इकरम ने मेरे चीखने की बिल्कुल भी परवाह नही करी. एक तो ये VईP कॉमपार्टमेंट था और बंद था मेरी चीखे बाहर जा भी रही होंगी तो ट्रेन के शोर मे दब रही होंगी. फिर इकरम पूरे रास्ते ज़ालिम बना हुआ कुत्तों की तरह मुझे चोद्ता रहा. ये 12 घंटो का सफ़र मेरी ज़िंदगी का सब से भयानक सफ़र था. अब पाकिस्तान करीब आरहा था इसलिए इकरम ने मुझे छोड़ दिया और उसने नहा कर अपने कपड़े पहन लिए. मैं अभी तक नंगी बँधी हुई नीचे पड़ी होई थी. मैं रोते हो उस से बोली, प्लीज़ अब तो मेरे हाथ पावं खोल दो और प्लीज़ मेरा बैग मुझे वापिस करदो अभी मेरे जिस्म पर कपड़ों के नाम पर एक धज्जी भी नही है मैं घर किस तरह जाउ गी. इकरम मेरी बात सुनकर हँसने लगा और बोला, वाह क्या अछा सीन होगा जब तुम नंगी ट्रेन से उतरॉगी. वो सीन तो देखने वाला होगा फिर देखना किस तरह लोग तुम पर टूटते हैं मुझे तो अभी से ये सोच कर माज़ा आरहा है जब एक हजूम तुम्हे चोदने के लिए बेताब हो रहा होगा. इकरम की बात सुनकर मैं बुरी तरह से डर गई और उसकी मिन्नताईं करने लगी और गिड गिदाने लगी. मेरे रोने और गिड गिदाने पर इकरम हंसता हुआ कॉमपार्टमेंट से बाहर चला गया . मैं सोचने लगी के अगर इकरम वापिस नही आया तो मेरा क्या हाल करेंगे लोग. मुझे तो लेने के लिए अब्बू आएँगे मैं किस तरह सामना करूँगी उनका इस हालत मे. मैं अभी इन्ही सोचो मे गुम थी के कॉमपार्टमेंट का दरवाज़ा खुला और इकरम मेरा बैग लिए अंदर दाखिल होवा. उसने मेरा बैग पता नही कहा जाकर रखा था मगर ये मेरे सोचने की बात नही थी मैं इस बात पर शूकर गुज़ार थी के मुझे अब पहनने के लिए कपड़े मिल जाएँगे. इकरम ने फिर मेरे हाथ पैर भी खोल दिए और बोला, पता नही क्यूँ मुझे तुम पर रहम आ गया है. मैं चाहता तो ऐसे ही चला जाता और फिर तुम्हारा जो भी हाल होता उसके बारे मे तुम सोच भी नही सकती. मैं दिल का बुरा नही हूँ इसलिए तुम्हे खोल कर जा रहा हूँ मेरा ये एहसान है तुम्हारे उपर जो तुमने सारी ज़िंदगी याद रखना है. ये कह कर इकरम चला गया . वाकई ये इकरम का मुझ पर एहसान था के उसने मुझे मेरा बैग दे दिया अगर ना देता तो मैं उसका किया बिगाड़ लेती. नंगी हालत मे तो मैं अब्बू का सामना कभी भी नही कर पाती. अब ट्रेन आहिस्ता होनी शुरू हो गई थी यानी स्टेशन आ गया था. मैं उठी तो मुझे से खड़ा नही होया गया . मेरी टाँगों से जान निकली जा रही थी और मेरे जिस्म का जोड़ जोड़ दुख रहा था. मैं हिम्मत कर के खड़ी होगआई फिर जब मैंने अपनी चूत को देखा तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मेरी चूत सूज कर डबल रोटी की तरह फूल गई थी मेरी चूत के सुराख के चारों तरफ ज़ख़्म भी होरहे थे काफ़ी जगहों से चूत कट चुक्की थी जिस से खून रस रहा था. मैंने अपनी चूत पर हाथ रखा तो तकलीफ़ की वजह से मेरी सिसकारी निकल गई. मैंने अपने बैग से कपड़े निकाले और्र बड़ी मुश्किल से चलते हुई वॉशरूम मे चली गई. मैं जैसे तेसे कर के नहाई और कपड़े पहन कर बाहर आ गयी. मैंने सोच लिया था के मैं अपने रेप के बारे मे किसी को नही बताउगी क्यूँ के इसमें मेरी ही बदनामी थी. मैं ट्रेन से उतर कर अब्बू को ढूँढने लगी, मेरी हालत बहुत बुरी थी पर मैंने खुद पर कंट्रोल किया हुआ था, थोड़ी देर बाद अब्बू मुझे किसी से बाते करते हुए नज़र आ गये. जिस आदमी से अब्बू बाते कर रहे थे उसकी मेरी तरफ पीठ थी. फिर जब अब्बू ने मुझे देख कर खुशी से पूछा “सोनिया बेटी केसी हो केसा रहा तुम्हारा सफ़र?” तो उस आदमी ने पलट कर मेरी तरफ देखा. फिर जो शकल मुझे नज़र आई मैं सदमे और हेरात से पागल होगई क्यूँ के वो शक्स कोई और नही इकरम था. अब्बू ने मेरी बिगड़ती हुई केफियत को नोट नही किया और वो मुझे बोले, अछा सोनिया इन से मिलो ये हैं मेरे बहुत अच्छे दोस्त इकरम, ये अपने किसी काम के सिलसिले मे पाकिस्तान आए हैं और जब तक ये यहा हैं हमारे घर ही ठहरेंगे दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अब्बू की बात सुनकर मुझे अपने कानो पर यकीन ही नही हुआ. मैं अपनी किस्मत को कोसने लगी के जिस आदमी ने रास्ते भर मेरा रेप किया वो ही मेरे अब्बू का दोस्त निकला. अब्बू की बात सुनकर मैं गुम शुम होगई थी. यहा मेरी हालत खराब हो रही थी उधर इकरम के चेहरे पर चमक आ गयी थी और वो मुस्करता हुआ अब्बू से बोला, यार तुझे हमारा इंट्रोडक्शन करवाने की ज़रूरत नही है मैं तेरी बेटी को अछी तरह जानता हूँ. इकरम की बात सुनकर मैं सन्नाटे मे आ गयी के कही वो अब्बू को सब कुछ ना बता दे, मेरे पूरे जिस्म मे कपकपि शुरू हो चुक्की थी, एक तरफ मेरी हालत बिगड़ चुक्की थी दोसरि तरफ अब्बू खुशी और हेरात से बोले, अरे यार वो केसे? इकरम मुस्काराया और बोला, यार हम ने एक ही कॉमपार्टमेंट मे सफ़र किया है और तुम यकीन करो मेरा सफ़र बहुत अछा गुज़रा है तुम्हारी बेटी बहुत अछी कंपनी देती है और बहुत फार्मबरदार है. इकरम की बात सुनकर मैं सिर्फ़ उसे देख कर ही रह गई. जब के अब्बू इकरम से मेरी तारीफ सुनकर खुशी से बोले, अरे वाह ये तो और अछा हो गया के तुम दोनो का पहले से ही इंट्रोडक्शन हो गया है अब जान पहचान हो गयी है तो घर मे भी तुम्हे बोरियत नही होगी सोनिया ट्रेन की तरह तुम्हे घर मे भी कंपनी दे दिया करे गी. इकरम हस्ते हुए बोला, हा यार ज़रूर मुझे सोनिया की कंपनी मिले गी तो मेरा वक़्त भी अछा कट जाए गा. अब्बू मुझे देख कर बोले, सोनिया बेटी तुम इतनी खामोश क्यूँ हो किया तुम्हे खुशी नही होई, मुझे किया खुशी होनी थी अलबत्ता मुझे तो सदमा हो गया था पर मैंने अब्बू से सब कुछ छुपाना था इसी लिए मैं फीकी सी हँसी हँसी और बोली, नही अब्बू ऐसी तो कोई बात नही है बस ज़रा मेरी तबीयत ठीक नही है. मेरी बात सुनकर अब्बू हँसे और फखार से बोले, अरे बेटी तुम्हे रास्ते मे ही इकरम को बता देना था अपनी तबीयत के बारे मे मेरा दोस्त डॉक्टर है. अब्बू फिर इकरम से बोले, यार तो घर चल कर सोनिया का चेक-अप कर लेना. इकरम हंसा और बोला, हा हा यार ज़रूर क्यूँ नही अगर सोनिया ने रास्ते मे ही मुझे बताया होता तो मैं रास्ते मे ही इसका एलाज़ कर देता. मैं इन दोनो की बाते सुने जा रही थी और अपनी किस्मत को कोसे जा रही थी के नज़ाने अभी मेरे नसीब मे और किया लिखा था. मैं अब्बू को बता भी नही सकती थी के आप का दोस्त जिस पर आप को फखार है उसने रास्ते भर मेरे साथ किया सलूक़ किया है. इकरम मुस्करा मुस्करा कर मुझे देखे जा रहा था. मुझे उसकी नज़रे ज़हर लग रही थी और मैं सोच रही थी के मैं जल्दी से घर पहुचने तक मुझे इसकी मनहूस नज़रों से छुटकारा मिले, पर मैं जानती थी के मुझे घर मे भी ये शक्स सकून नही लेने देगा. फिर जब हमारा मुलाज़िम (शरीफ़ बाबा) ने आकर अब्बू से कहा के साहिब गाड़ी मे समान रख दिया है तो अब्बू ने शरीफ़ बाबा को मेरा समान भी पकड़ा दिया और उसके साथ साथ गाड़ी तक आगे. शरीफ़ बाबा पहले शायद इकरम का समान रख कर आये थे. कार मे मैं अगली सीट पर बैठ गई ताकि इकरम की हरकतों से बच सकू. शरीफ़ बाबा कार ड्राइव कर रहे थे. शरीफ़ बाबा की उमर कोई 65 या 70 साल होगी. मैंने जब से होश संभाला था शरीफ़ बाबा को घर मे देखा था. मैं शरीफ़ बाबा की बहुत लड़ली थी और बिटिया बिटिया कहते हुए शरीफ़ बाबा की ज़बान नही थकती थी. घर पहुँचे तो अम्मी ने खुशी से मेरा इस्तक़्बाल किया. मैं अम्मी के सीने से लग गई मेरा बहुत रोने को दिल चाह रहा था मगर मैं रो नही सकती थी मैंने खामोश रहना था ताकि मेरे मा बाप की इज़्ज़त मे कोई फ़र्क़ ना आए. अभी घर आए हुए कुछ देर भी नही गुज़री थी के मुझे एक और सदमा सहना पड़ा. जब मुझे ये पता चला के अब्बू ने इकरम के लिए मेरे कमरे के बराबर वाला कमरा सेट करवाया है तो मेरी आँखों मे आँसू आगाये. मैंने जल्दी से अपने आप को संभाला. अब्बू ने मुझे से कहा, बेटी तुम अपने मेहमान को इनका कमरा दिखाओ ताकि ये आराम कर सकैं. अपना मेहमान का सुनकर मेरी जान जल कर रह गई. मैंने खोखार नज़रों से इकरम को देखा तो वो मुझे देख कर हँसने लगा. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं अम्मी और अब्बू के सामने अपनी केफियत को ज़ाहिर नही करना चाहती थी इसलिए मैं इकरम से बोली, आइए इकरम साहब मैं आप को आप का कमरा दिखा दूं. मैंने पलट कर सीढ़ियों की तरफ कदम बढ़ाए तो इकरम मेरे पीछे पीछे आने लगा. हमारा घर डबल स्टोरी था निचले हिस्से मे अम्मी और अब्बू का कमरा था जब के मेरा कमरा उपर के फ्लोर पर था. दोनो फ्लोर पर 5, 5 कमरे थे. शरीफ़ बाबा भी निचले फ्लोर पर रहते थे. मेरे और इकरम के कमरे के बीच मे भी एक दरवाज़ा था जो दोनो कमरों को आपस मे मिलाता था. फिर जब मैं इकरम को लेकर उसके कमरे मे आई तो इकरम ने दरवाज़ा अंदर से बंद कर के मुझे लिपटा लिया. मैं मचल कर बोली, छोड़ मुझे कमीने हरामी छोड़ मुझे, मैं बुरी तरह से अपने हाथ पैर चलाने लगी. इकरम की गिरफ़्त काफ़ी मज़बूत थी इसलिए मैं खुद को छुड़ा नही पाई. इकरम हंस कर बोला, ऐसे केसे छोड़ दूँ मेरी जान अभी तो मैंने तुम्हारा चेक-अप भी तो करना है. मैं मचलती हुई बोली, मुझे नही करवाना है चेक-अप छोड़ो मुझे वरना मैं शोर मचा दूँगी. इकरम हंसा और बोला, हा हा मचाओ शोर और बुलाओ अपने बाप को और अपने बाप को बताओ के मैंने रास्ते भर तुम्हारे साथ किया किया है. फिर जब मैं ये बात ज़माने भर को बताउन्गा तो तुम्हारे बाप की बहुत इज़्ज़त हो जाएगी. इकरम की बात सुनकर मैं ठंडी पड़ गई और मैंने अपनी जिदो जेहाद ख़तम करदी. मेरी हालत पर इकरम हँसने लगा और बोला, तुम जितना मेरा साथ दोगी उतना ही तुम्हारे लिए अछा है और इस तरह ये बात हम दोनो तक रहे गी और अगर तुमने शोर मचाया तो फिर मैं ये बात हर किसी को बता दूँगा. इकरम ने मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया फिर उनसे मेरी कमीज़ उठा कर मेरी शलवार का आज़ारबंद खोलना चाहा तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. इकरम मेरी तरफ देख कर बोला, तुम मेरा साथ दोगी या तुम अपने मा बाप की बदनामी चाहती हो. इकरम की बात सुनकर मैंने उसका हाथ छोड़ दिया. इकरम ने मुस्करा कर मेरी शलवार का अज़रबंद खोल कर मेरी शलवार खींच कर उतार दी. नीचे मेरी अंडरवियर थी इकरम ने उसे भी खींच कर उतार दिया. फ्री इकरम ने मेरी चूत को सहला कर अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दी. मैंने देखा के उसका 9 इंच लंबा और 2 इंच लंबा लंड फुल आकड़ा हुआ था. मैंने इकरम से मिन्नत करना चाही पर उसने मुझे बोलने का मौका ही नही दिया और अपना पूरा लंड एक ही झटके मे मेरी चूत मे डाल दिया. मेरे हलाक़ से एक हल्की से चीख निकल गई. मेरी चूत रास्ते भर की चुदाई से पहले ही सोजी होई थी और अब जो इकरम ने एक झटके से अपना लंड मेरी चूत मे डाला तो तकलीफ़ के मारे मेरी आँखों मे आँसू आ गये. इकरम तेज़ी के साथ झटके मार रहा था और मैं दर्द के मारे मरी जा रही थी. इकरम ने पूरे 30 मिनट तक तेज़ी के साथ मेरी चुदाई करी. चोदने के बाद वो मुस्करा कर मुझ से कहने लगा, मेरी जान अभी मेरी प्यास नही भुजी है मगर फिर भी मैं तुम्हे छोड़ रहा हूँ मगर रात मे तुम्हारे मा बाप के सोने के बाद मैं तुम्हारे कमरे मे आओंगा तुम बीच का दरवाज़ा खोला रखना और याद रहे तुम ने मेरी हर बात पर अमल करना है वरना बाद के नतीजे की तुम खुद ज़िमेदार होगी. ये कह कर वो मुझ पर से उतार गया . मैं कुछ नही बोली और चुप चाप उठ गई. मेरी टाँगों से जान निकल रही थी इस लिए मैं लड़खड़ाती हुई अपने कमरे मे आ गयी और बिस्तर पर गिर कर रोने लगी. मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी इस लिए मैं रात का खाना खाने के लिए भी नीचे नही गई. शरीफ़ बाबा मुझे बुलाने भी आए मगर मैंने उन्हे भी मना कर दिया. मैंने सोच लिया था के रात मे इकरम को चोदने नही दूँगी इसलिए मैंने बीच का दरवाज़ा अपनी तरफ से लॉक कर दिया. मैंने सोच लिया था के मैं अब इकरम से नही चुदवाउंगी चाहे कुछ होजाय. मैं अपने कमरे मे लेटी रही और अपने और इकरम के बारे मे सोचती रही यहा तक के रात के 12 बज गये. थोड़ी देर बाद मुझे बीच के दरवाज़े का हॅंडल घूमता हुआ महसूस हुआ फिर हल्के से दरवाज़े पर दस्तक भी होई मगर मे लेटी रही. थोड़ी दायर तक दरवाज़े पर दस्तक होती रही फिर बंद हो गई. मैंने थोड़ी देर इंतेज़ार किया मगर फिर दस्तक नही होई. मैं सोने की कोशिश कर रही थी मगर मुझे नींद नही आरहि थी अजीब से बेचेनी हो रही थी. मैं बिस्तर पर कर्वते बदल रही थी के घड़ी ने 1 बजने का एलान किया. मैंने चोंक कर दरवाज़े की तरफ देखा और इकरम के बारे मे सोचने लगी के वो सो गया होगा या जाग कर मेरा इंतेज़ार कर रहा होगा. मैं काफ़ी देर से इकरम के बारे मे सोच रही थी और मुझे उसके बारे मे सोचना अछा लग रहा था. दिन भर तो मैं इकरम से नफ़रत करती रही मगर अब मुझे उस से नफ़रत महसूस नही हो रही थी. मैं खुद हेरान थी के मुझे क्या हो रहा है. मेरी निगाहों मे बार बार उसका लंबा मोटा लंड आरहा था और मुझे अपनी चूत मे अजीब से खुजली सी महसूस हो रही थी. मुझे अपने जिस्म पर कपड़े बुरे लगने लगे थे इस लिए मैंने उठ कर अपने तमाम कपड़े उतार कर फेंक दिए और पूरी नंगी होगई. मैं शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देखने लगी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरा जिस्म बहुत खूबसूरत और सेक्सी है. मेरी 27 की कमर पर 36 के मम्मे अजीब बहार दिखा रहे थे. मैंने सोचा मैं इतनी खूबसूरत और सेक्सी जिस्म की मालिक हूँ और अगर इकरम मुझे चोदने के लिए पागल हो रहा है तो इस मे उसका कोई कसूर नही है, और अगर मैं किसी और को भी कही अकेले मिलू तो वो भी मुझे चोदने से गुरीज़ नही करे गा क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है. मैंने अपने दिल और दिमाग़ से लड़ते हुए जब अपनी सूजी हुई चूत पर हाथ फेरा तो मेरी एक सिसकारी निकल गई. मुझे अछा लगा तो मैं अपनी चूत को दबाने लगी. मेरी चूत मे दर्द था मगर इस दर्द मे एक अजीब सा नशा था. मैंने गोर से अपनी चूत को देखा तो मुझे अपनी चूत अधूरी अधूरी सी और प्यासी सी लगी मेरी चूत इकरम के लंड को पुकार रही थी. मैंने इकरम के लंड का ख़याल किया तो मैं बेकरार सी होगई और मैं उसके पास जाने के लिए तैयार होगई. एक दम से मेरे दिमाग़ ने मुझे झंझोड़ा और कहा के ये मैं क्या करने जा रही हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक तो इकरम मेरी नज़रों मे दुनिया का सब से नीच और ज़लील इंसान था अब मैं S_vlbEUuउसके पास जाने के लिए ही बेकरार हो रही हूँ. मेरा दिल मुझ से बोला, छोड़ो सब पुरानी बाते ये सब बेकार की बाते है, देखो अपनी चूत की तरफ देखो किया ये इकरम के लंड के बगैर अधूरी नही है क्या तेरी चूत को इकरम के लंड की प्यास नही है? मैंने अपनी चूत पर हाथ फेरा और वो मुझे इकरम का नाम लेती हुई महसूस हुई, अभी दिल और दिमाग़ की जंग जारी थी और फिर दिमाग़ हार गया और दिल जीत गया, मैं सब कुछ भुला कर एक दम से दरवाज़े की तरफ बढ़ी, एक बार फिर मेरे दिमाग़ ने मुझे समझाया पर जब मैंने अपने दिल पर हाथ रखा तो वहा से सिर्फ़ इकरम इकरम ही निकलता हुआ महसूस हुआ., अब मेरे दिल मे इकरम के लिए कोई नफ़रत नही थी बलके मेरे दिल मे उसके लिए प्यार आरहा था और मैंने सोच लिया के जो कुछ भी इकरम ने मेरे साथ किया उस मे इकरम का कोई कसूर नही था. मैं फ़ैसला कर चुक्की थी के अब मैं इकरम की सारी शिकायते ख़तम कर दूँगी. दरवाज़े के पास आकर मैंने एक नज़र अपने नंगे जिस्म पर डाली और बीच का दरवाज़ा खोल कर इकरम के कमरे मे आगई. इकरम साहब बेड पर लेटे हुए टीवी देख रहे थे. दरवाज़े की आवाज़ पर उन्हो ने दरवाज़े की तरफ देखा फिर मुझे नंगा खड़ा देख कर वो हेरान होगये और फिर मुस्कराने लगे. वो मुस्करा कर बोले, मुझे पता था सोनिया के तुम ज़रूर आओ गी. मैं चलती हुई उनके करीब आगई और बोली, हा इकरम साहब मैं आगई हूँ अभी थोड़ी देर पहले तक मैं आप से नफ़रत करती थी मगर अब मैं आप से नफ़रत नही कर पा रही हूँ. ट्रेन मे आप ने जो कुछ भी मेरे साथ किया था मैं उसमे आप को कसूर वार नही मानती क्यूँ के मेरा जिस्म ही ऐसा है अगर आप की जगह वहा और कोई होता तो वो भी मेरे साथ वो ही कुछ करता जो आप ने किया. इकरम साहब मुस्करा कर बोले, ये अछी बात है सोनिया के तुम ने सच को समझा और मुझे माफ़ कर दिया. मैं बोली, मगर इकरम साहब मैं आप से एक बात के लिए नाराज़ हूँ. मेरी बात सुनकर उन्हो ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने उपर लिटा लिया और मुस्करा कर बोले, अब क्या नाराज़गी ही मेरी जान को मुझ से. मैं लगावट से बोली, देखिए इकरम साहब आप ने मेरी कुँवारी चूत का क्या हाल किया है देखिए ये कितनी सूज गई है और जगह जगह से कट भी गई है. इकरम साहब ने मेरी बात सुनकर मेरी दोनो टाँगों को पहला दिया और मेरी चूत पर हाथ फेरते हो बोले, अरे हा सोनिया वाकई तुम्हारी चूत की तो काफ़ी बुरी हालत होगई है मुझे अपनी हरकत पर बहुत अफ़सोस है सोनिया मैंने तुम्हारे साथ बहुत ग़लत किया है. मैं सिसकारी ले कर बोली, आआहह इकरम साहब अगर आप ने ग़लत किया है तो सही भी आप ही कीजिए आप डॉक्टर हैं मेरी चूत का एलाज़ करे. मेरी बात सुनकर इकरम साहब मुस्कराए और बोले, अगर ऐसी बात है तो मैं अभी इस पर दवा लगाता हूँ. इकरम साहब ने उठ कर अपना बैग खोला और उसमे से एक स्प्रे और एक दवा की शीशी निकाल ली. फिर मेरे पास आकर उन्हो ने स्प्रे बॉटल से मेरी चूत पर स्प्रे किया. स्प्रे काफ़ी ठंडा था और उसकी ठंडक मेरी चूत के अंदर तक उतर गई. फिर उन्हो ने कॉटन पर दवाई निकाली और मेरी चूत की मालिश करने लगे. थोड़ी देर की मालिश से ही मेरी चूत का दर्द ख़तम हो गया और उसकी सूजन भी काफ़ी हद तक कम होगई. इकरम साहब मुस्करा कर बोले, लो मेरी जान अब तुम्हारी चूत एक दम फर्स्ट क्लास है और इस की सूजन भी सुबह तक बिल्कुल ठीक हो जाएगी. उन्हो ने दवाई वापिस अपने बैग मे रख दी और बोले, अब तुम आराम करो सुबह तक तुम एक दम फ्रेश हो जाओगी. मैं अभी तक लेटी हुई थी मैंने लेटे लेटे ही उनका हाथ पकड़ लिया और बोली, इकरम साहब क्या आप प्यासे ही रहे गे मुझे चोदेगे नही? इकरम साहब मुस्कराए और बोले, नही मेरी जान अभी तुम्हारी चूत पूरी तरह सही नही हुई है मैंने अभी चोदा तो इसकी हालत और खराब होज़ायगी. चोद चोद के प्यास बजा दूंगा तेरी
इतना चोदुंगा चाहे जान चली जाए मेरी …….
अब तू कुछ चिंता मत कर मेरी सोनी
अब कुछ गलती मुझसे नहीं होनी …..
चोद चोद का अब चोदु में बन गया हूँ
तेरी हसीं चूत का गुलाम में बन गया हूँ ….
चोद चोद कर तेरी चूत का भोसड़ा में बना दूंगा …..
तेरी चूत में ही रहने का घर में बना दूंगा …….
मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो मेरे उपर गिर गये. मैंने प्यार से उनके गले मे बाँहे डाल दी और बोली, अगर मेरी चूत की हालत खराब होती है तो खराब होने दे आख़िर आप की डॉक्टरी किस काम आएगी आप चुदाई के बाद फिर दवाई लगा दीजिए गा. इकरम साहब ने मेरी बात सुनकर प्यार से मेरे होंटो को चूम लिया और बोले, यानी तुम चुदे बगैर नही मानो गी. मैं हँसी और बोली, हा नही मानू गी जब तक आप ट्रेन की तरह ज़बरदस्त तरीके से मेरी चुदाई नही कर दे गे. क्यूँ के मेरे अंदर ये आग आप ने ही लगाई है और ये आप को ही भुजानी है. इकरम साहब भी मेरी बात सुनकर हँसे और बोले, सोच लो मेरी जान बाद मे मत रोना के मेरी चूत फाट गई है. मैं मुस्कराई और बोली, नही रोउंगी बस आप मेरी चुदाई करे. ये कह कर मैंने उन्हे ज़ोर से बींच लिया और अपने होठ उनके होंटो से मिला दिए. अब इकरम साहब भी कुछ नही बोले और वो मेरे बोसे का साथ देने लगे. फिर जब इकरम साहब उठ कर अपने कपड़े उतारने लगे तो मैं उन्हे रोकती हुई बोली, नही इकरम साहब आप के कपड़े मैं उतारू गी. इकरम साहब मेरी बात सुनकर मुस्करा दिए. इकरम साहब इस वक़्त पॅंट और बन्यान पहने हुए थे. मैंने उठ कर पहले तो उनका बनियान उतारा फिर मैंने उनकी पॅंट का बटन और ज़िप खोली और उनकी पॅंट नीचे करदी. मैंने घोटनो के बल बैठ कर उनके दोनो पावं से पॅंट निकाल दी. अब वासी साहिब सिर्फ़ अंडरवियर मे थे. उनका अंडरवियर काफ़ी फूला हुआ था. मैंने अपनी नज़रे उठा कर इकरम साहब के चेहरे को देखा तो वो मुस्करा रहे थे. मैं भी मुस्कराई और उनकी अंडरवियर के उपर हाथ फेरने लगी.
कहानी जारी रहेगी……

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