आज मै अपनी स्टोरी की आठवी कड़ी लिख रही हूँ जो भी हो अब कहानी पर चलती हूँ ज्यादा टाइम नही है अभी मुझे सोना भी है काफी रात हो चुकी है … सोमवार को राजीव को ऑफिस जाना था तो मैंने फिर उससे लिपट कर कहा कि “मैं कैसे रहुँगी तुम्हारे बिना” तो राजीव मुझे से लिपट गया और किस करने लगा और कहा कि “मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ…. शाम को फिर आ जाऊँगा और मैंने तुम से प्रामिस भी तो किया हुआ है कि मैं फहीम के आने तक तुम्हारे साथ ही रहुँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिये उसके मायके जाने के लिये कह दुँगा और बता दुँगा कि मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हूँ और एक वीक के बाद आऊँगा।“ राजीव ने कहा, “शबीना…. कहीं फहीम को हमारे रिलेसन के बारे में पता चल गया तो मुश्किल हो जायेगी।“ मैंने कहा, “राजीव तुम फहीम की फिक्र ना करो….. आई एम श्योर कि अगर उसको मालूम भी हो गया तो वो कुछ नहीं कहेगा क्योंकि उसको खुद ही पता है कि वो मुझे मुतमाइन नहीं कर पा रहा है और उसके लौड़े में अब दम नहीं है और ये कि वो मुझे जब भी चोदने की कोशिश करता है और मुझे गरम करके मेरी चूत के ऊपर ही अपना माल गिरा देता है तो उसकी नज़रें खुद ही नीचे हो जाती हैं और उसको पता है कि मैं उससे मुतमाइन नहीं हूँ….. इसलिये तुम उसकी बिल्कुल भी फिक्र ना करो और वो तुम्हारा अच्छा दोस्त भी है और हमेशा तुम्हारी तारीफ ही किया करता है कि तुम बहुत अच्छे इंसान हो और हमेशा दूसरों की मदद करते रहते हो।“ राजीव हँसने लगा और कहा कि, “हाँ मैं तुम्हारी मदद ही तो कर रहा हूँ”, और फिर हम दोनों मिल के हँसने लगे।
इसी तरह से पूरा एक वीक, राजीव मेरे साथ ही रहा। हम दिन-रात अलग-अलग स्टाईल में चुदाई करते रहे और मस्ती में टाईम गुजरता रहा। उस पूरे वीक में मैं सिर्फ हाई-हील के सैंडल ही पहने, बिल्कुल नंगी रही। एक वीक के बाद फहीम वापस आ गये तो उन्होंने पूछा कि मेरा काम कैसे चल रहा है तो मैंने कह कि, “हाँ ठीक ही चल रहा है…. राजीव यहाँ ही आ कर मुझे सब कुछ सिखा देते हैं।“ फहीम ने आँख मार कर कहा कि “कुछ हमें भी तो बताओ कि अब तक क्या क्या सिखा दिया है हमारी प्यारी सी शबीना जान को….” तो मेरे मुँह पे खुद-ब-खुद शरम आ गयी और फहीम मुझे गौर से देखने लगा और कहा कि, “शबीना! राजीव मेरा सबसे प्यारा दोस्त है…. देखना कि उसको कोई तकलीफ ना हो और जब वो घर पे ही आता है काम सिखाने के लिये तो उसका पूरा खयाल भी रखा करो।“ मैंने मुस्कुरा कर सर हिला दिया और कहा कि “ठीक है, मैं राजीव के पूरा खयाल रखुँगी, तुम फिक्र ना करो।“ ऐसी ही दो मतलब की बातें हुई जिससे मुझे एक आयडिया तो हो गया कि अगर राजीव मुझे चोद भी दे तो फहीम कोई फ़ील नहीं करेगा और मुझे ख़याल आया के शायद फहीम चाहता भी यही हो के राजीव मुझे चोदे और मुझे मुतमाइन करे। खैर ये मेरा और राजीव कि चुदाई का सिलसिला चलता रहा। अब तो जैसे राजीव ही मेरा शौहर था। वो ही मुझे चोदता था और मैं उसके चोदने से बिल्कुल मुतमाइन थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक टाईम हमने राजीव को डिनर पे बुलाया। हम तीनों ने खाना खाया। डिनर के बाद सोफ़े पे बैठे व्हिस्की पी रहे थे तो फहीम ने राजीव से कहा कि “राजीव! शबीना तुम्हारी बहुत तारीफ करती है कि तुम उसको काम अच्छी तरह से समझा रहे हो और उसकी पूरी मदद कर रहे हो।“ मैंने देखा कि राजीव के चेहरे पे एक रंग आ के चला गया। उसने समझा कि शायद फहीम को उसके और मेरे रिश्ते का किसी तरह से पता चल गया पर राजीव ने कुछ कहा नहीं तो मैंने ही कहा कि “हाँ फहीम! राजीव बहुत ही अच्छी तरह से मुझे काम समझा रहे हैं, तुम फिक्र ना करो और मैं उनका पूरा खयाल भी रख रही हूँ जैसा तुम ने कहा था।“ मैंने देखा कि फहीम के चेहरे पे इतमिनान दिखने लगा और फिर राजीव ने भी कहा कि “यार फहीम! शबीना एक बहुत ही अच्छी लड़की है उसने काम बहुत ही जल्दी सीख लिया और अच्छी तरह से कर भी रही है और हाँ वो मेरा अच्छी तरह से खयाल भी रखती है।“ फिर फहीम ने कहा, “देखो शबीना! राजीव कि खिदमत में किसी किस्म की कमी ना रह जाये”, तो फिर मैंने कहा कि “हाँ, तुम फिक्र ना करो मैं सब देख लूँगी।“ फहीम की बातों से ऐसे अंदाज़ा होता था कि हमारे बारे में वो कुछ समझ गया था या हमें आपस में चुदाई का सुझाव दे रहा था। हमारी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। खैर हमने सोचा कि अगर अब फहीम को पता भी चल जाये तो कोई बात नहीं…… जब ऐसी कोई बात आयेगी तो देखा जायेगा।
व्हिस्की पीते-पीते हम ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे तो राजीव ने कहा कि कुछ महीनों बाद उसको दो हफतों के लिये न्यू-यॉर्क जाना पड़ रहा है। राजीव ने मज़ाक में कहा कि “यार फहीम! अगर तुम इजाज़त दो तो मैं शबीना को भी न्यू-यॉर्क की सैर करा लाऊँ” तो फहीम ने कहा, “अरे इसमें पूछने की क्या बात है…. ये तो बड़ी अच्छी बात है…. ले जाओ….. वो यहाँ अकेले में बोर होती रहती है और मेरा कोई ठिकाना भी तो नहीं है…. कभी भी मुझे बिज़नेस के सिलसिले में बिना प्रोग्राम के ही कहीं भी चले जाना पड़ता है” तो राजीव ने कहा, “नहीं यार! मैं तो मज़ाक कर रहा था तुम तो सीरियस हो गये।“ फहीम ने कहा, “अरे नहीं यार! मैं सच में संजीदा हूँ…. अगर तुम्हें कोई प्रॉबलम ना हो…. आई मीन कि कोई बिज़नेस की प्रॉबलम…..” तो राजीव ने कहा, “नहीं यार! मुझे किया प्रॉबलम हो सकती है।“ फहीम ने कहा, “तो फिर क्या प्रॉबलम है ले जाओ शबीना को अपने साथ यार….. मैं कह रहा हूँ ना।“ फहीम और राजीव ऐसे ही बातें कर रहे थे और मैं कभी फहीम की सूरत देखती तो कभी राजीव की और समझने की कोशिश कर रही थी कि कहीं ये दोनों वाकय संजीदा हैं या दोनों ही मज़ाक कर रहे हैं। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | राजीव ने कहा, “देखो यार मुझे ले जाने में कोई ऐसी प्रॉबलम तो नहीं है पर तुम्हें तो पता है कि वहाँ कान्फ्रेंस में जा रहा हूँ और कान्फ्रेंस वाले जिस फाइव-स्तार होटल में कान्फ्रेंस होती है उअसी होटल मेरं एक कमरा देते हैं। एक तो उसी होटल में दूसरा कमरा मिलना मुश्किल होगा और मिला भी तो एक दिन का किराया ही बीस-हज़ार रुअप्ये के हिसाब से दो हफ्तों के डेढ़-लाख लग जायेंगे… वैसे भी डबल बेड के रूम में एक ही बेड होता है, रहने दो…. मैं तो ऐसे ही मज़क कर रहा था।“ फहीम ने कहा “अरे यार….. ऐसी भी क्या बात है…. एक ही रूम में रह लेना” और मेरी तरफ़ मुड़ कर फहीम ने पूछा कि “क्यों शबीना…. तुम रह सकती हो ना राजीव के साथ एक ही रूम में?? बेड के एक तरफ़ तुम सो जाना और एक तरफ़ राजीव सो जायेगा” तो मैंने शरम से लाल लाल हो के कहा, “तुम भी कैसी बातें करते हो फहीम….. बिना सोचे समझे…. तुम्हें कुछ पता भी है कि तुम क्या कह रहे हो?” उसने कहा, “अरे यार शबीना…. जाओ थोड़ा घूम फिर कर आओ…. बाहर की दुनिया देख लो….. इंडिया में कहाँ-कहाँ फिरोगी…. मैं तो तुम्हें नहीं ले जा सकता….. राजीव के साथ जाने में क्या प्रॉबलम है?” मैंने कहा, “क्या फहीम…. तुम भी ना ऐसे-ऐसे प्रपोज़ल दे रहे हो जो तुम भी जानते हो कि कभी नहीं हो सकता”, तो फहीम ने कहा, “क्यों नहीं हो सकता??? अरे बाबा मैं तुम्हें परमिशन दे रहा हूँ ना और राजीव मेरा बचपन का दोस्त है और हम दोनों ने बहुत मस्तियाँ भी की हैं…. मैं राजीव को अच्छी तरह से जानता हूँ।“ फिर फहीम और राजीव दोनों साथ में हँसने लगे और राजीव ने कहा, “क्या यार फहीम…. जाने दो ना…. शबीना के सामने क्या हमारी पुरानी बातें लगाये बैठे हो तुम…. वो भी क्या सोचेगी हमारे बारे में।“ मैंने हँस के कहा, “नहीं मैं कुछ नहीं सोचने वाली…. जवानी में तो हर कोई इंजॉय करता ही है…. हो सकता है आप लोगों ने भी कुछ ऐसे ही इंजॉय किया होगा”, मैंने आँख मारते हुए कहा तो फहीम ने कहा कि, “हाँ बाबा! तुम भी तो जवान हो जाओ और थोड़ा इंजॉय कर के आओ… कमरे की फिक्र मत करो… मैं खर्चा उठाने को तैयार हूँ।“ राजीव ने बात खतम करते हुए कहा कि “यार….. अभी तो टाईम पड़ा है….. तुम दोनों मिल के सोर्ट ऑउट कर लो….. मुझे तो कोई प्रॉबलम नहीं है…. शबीना मेरे साथ जा सकती है….. ऐसी कोई बात नहीं। जब तुम लोग निर्णय करलो तो बता देना….. मैं सारे इंतज़ाम कर लूँगा।“ फिर फहीम से हाथ मिला कर और मेरे कंधे पे हाथ रख कर अपनी तरफ़ थोड़ा सा खींचा और गूड-बॉय कह कर वो चला गया।
फहीम ने दोनों को गूड-बॉय किया और चला गया। उसके जाने के बाद डोर लॉक किया और मैं दौड़ती हुई आयी और राजीव से लिपट गयी। मैं बे-इंतहा खुश थी कि अब सही मायेने में हनीमून का मज़ा आयेगा। उस दिन ऑफिस का काम तो खाक होता, बस चुदाई ही हुई सारा दिन। राजीव की वाइफ भी अपने मायके चली गयी थी तो वो भी फ्री था। सुबह से रात तक मेरे साथ ही रहा और हर स्टाईल में चुदाई की। वो अपने साथ स्कॉच व्हिस्की लाया था और हमने पी कर मदहोशी में इतनी चुदाई की कि उसने मेरी चूत का भोंसड़ा बना डाला। चूत के लिप्स सूज गये थे और चूत डबल रोटी की तरह लग रही थी।
बाद में राजीव ने बताया कि उसने न्यू-यॉर्क जाने के इंतज़ाम शुरू कर दिये हैं। वहाँ के होटल को ई-मेल दे दिये हैं और सब काम होने के बाद वो मुझे बता देगा।
एक दिन राजीव ने बताया कि उसको एक वीक के लिये कहीं टूर पे जाना पड़ रहा है और हो सकता है कि थोड़े दिन ज़्यादा भी हो सकते हैं। इत्तेफ़ाक से फहीम ने भी रात में आ कर बताया कि वो भी एक वीक के लिये कहीं बाहर जा रहा है तो मैं बहुत उदास हो गयी और सोचने लगी कि क्या करना चाहिये एक वीक तक।
दूसरे दिन फहीम और राजीव दोनों बाहर चले गये। मैं घर में अकेली रह गयी। मैं बहुत ही उदास थी। इतने में बेल बजी, डोर खोला तो देखा कि नसरिमा आँटी डोर पे खड़ी मुस्कुरा रही हैं। नसरिमा आँटी अपने मायके से आ गयी थी और मेरे पास मिलने आ गयी। राजीव के साथ इतना टाईम गुज़ारने के बाद मुझे नसरिमा आँटी कि ज्यादा याद भी नहीं आयी थी। अब उन्हें देखा तो मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी और मैंने दिल में सोचा कि चलो कुछ तो इंजॉय कर सकते हैं। नसरिमा आँटी को बिठाया और मैं व्हिस्की की बोतल और ग्लास, पानी वगैरह ले आयी क्योंकि ये हम दोनों का रूटीन बन गया था कि हम दोनों चाय-कॉफी की जगह व्हिस्की पी कर ही मस्ती करते थे। दोनों व्हिस्की पीने लगे और इधर-उधर की बातें करने लगे। मैंने आँटी को आँख मार कर पूछा कि, “आँटी! क्या कुछ खाने को मिला या मायके से भूखी ही वापस आयी हो” तो वो हंसने लगी। कुछ बताया नहीं और इतना कहा कि “तुम्हारी बहुत याद आती थी।“ मैंने भी कहा कि “हाँ, मुझे भी आपकी बहुत याद आती थी” जबकि हक़ीकत तो ये थी कि राजीव के साथ रहते हुए मुझे आँटी की इतनी ज्यादा भी याद नहीं आयी। फिर जब थोड़ा नशा सवार हुआ तो हमने वही सिक्स्टी-नाईन वाले स्टाईल में एक दूसरे की चूतों को चूसा और अपनी चूतों की प्यास बुझायी। आँटी की चूत में से ढेर सारा जूस निकला तो मैंने हँस के कहा कि, “वॉव आँटी! इतना ढेर सारा जूस…. लगाता है कोई मिला नहीं” तो फिर वो हंसने लगी। मैं भी अकेली थी इसी लिये आँटी देर रात तक मेरे साथ ही रही और रात में जाते-जाते भी एक बार और हमने अपनी चूतें आपस में एक दूसरे से रगड़ी और फिर चूस कर एक दूसरे का जूस पिया और आँटी के चले जाने के बाद मैं अपने रूम में सोने चली गयी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दूसरे दिन जब नसरिमा आँटी आयी तो उनके साथ एक लड़की भी थी। होगी कोई तकरीबन सत्रह या अठारह साल की। काफी खूबसूरत थी। मैंने दोनों को अंदर आने के लिये कहा। मैंने अपने और आँटी के लिये पैग बनाये और उस लड़की के लिये कॉफी बनाने किचन में चली गयी। आँटी तो मेरे साथ फ्री थी ही…. वो भी किचन में आ गयी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गयी। हम व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगीं। आँटी ने बताया कि “इस लड़की का नाम आबिया है… इसके पेरेंट्स भी उनके साथ वाली बिल्डिंग में ही रहते हैं। इसकी मम्मी सायरा और डैडी जॉन, दोनों रेलवे में काम करते हैं। इसके डैडी एंगलो-इंडियन क्रिसचन हैं लेकिन मम्मी मुस्लिम हैं।“ उनकी लव मैरिज थी ये मुझे बाद में पता चला। खैर, आँटी को आबिया की मम्मी ने बोला था कि मुझसे पूछें कि क्या मैं आबिया को उसके बारहवीं के एग्जाम के लिये कुछ मदद कर सकती हूँ। मैंने कहा कि, “आँटी आप को पता नहीं कि अब मैं जॉब करने लगी हूँ और ऑफिस से काम घर में ला कर यहीं पे डेटा एंट्री करती हूँ जिसके लिये ऑफिस से मेरे घर में एक कंप्यूटर भी आ गया है और मैं उसको फ़ुल टाईम नहीं दे सकती…. बस इतना कर सकती हूँ कि उसको थोड़ा सा गाईड कर सकती हूँ और उसके होमवर्क में या कोई मुश्किल हो तो समझा सकती हूँ पर फ़ुल टाईम नहीं पढ़ा सकती।
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