आज मै अपनी कहानी मेरी चुदाई के मजेदार किस्से के नववे भाग में लिखने जा रही हूँ मेरे देवर लोग अपने पप्पू को अपने हाथ में पकड़ ले और दीदी लोग अपनी चूत में एक अंगुली जरुर डाले अगर मज़ा ना आया तो मुझे मेल में लिख कर भेजना मै जवाब जरुर दूंगी | गतांग से आगे .. मैंने आबिया की स्कर्ट, ब्लाऊज़, ब्रा और पैंटी लेकर बालकोनी में सूखने के लिये फैला दिये। मैंने कहा कि “तुम मेरे बाथरूम में जा के गरम पानी से शॉवर लेकर आ जाओ और टॉवल लपेट लो और हाँ अंदर से लॉक नहीं करना क्योंकि शायद अंदर से तुमसे ना खुले…. उसका बोल्ट कुछ टाइट है।“ मैं उसके साथ बाथरूम में आ गयी। मेरे बाथरूम में बड़े साईज़ का बाथ टब है जिसमें कभी मैं ड्रेन होल को बंद करके गरम पानी भर करके उसमें कोई पर्फयूम डाल कर बैठ जाती हूँ और बाथ टब में जकूज़ी भी लगा हुआ है जिसके बुलबुलों से मेरा जिस्म रिलैक्स हो जाता है और जिस्म में पर्फयूम की महक भी आ जाती है। मैंने ऐसा ही उसके लिये भी किया और बाथ टब में गरम और ठंडा पानी मिक्स करके डाल दिया और थोड़ा सा पर्फयूम भी डाल दिया और उसमें पानी उतना ही डाला जितना आबिया के जिस्म को बर्दाश्त हो सके और आबिया से कहा कि थोड़ी देर वो इसमें ऐसे ही बैठ जाये… उसके बाद ड्रेन होल खोल दे तो सारा पानी निकल जायेगा और फिर बाहर आ जाये। उसने ऐसा ही किया। वो सैंडल उतार कर बाथ टब में बैठ गयी। बाथरूम का डोर खुला हुआ था। मैं अपने रूम में आकर बिस्तर पर बैठ गयी। मेरा सिर नशे में हल्का महसूस हो रहा था और मेरा सारा ध्यान राजीव की तरफ़ था। वो दो दिनों से नहीं आ सका था। कुछ तो बारिश का असर था कुछ उसको काम भी ज़्यादा था। मैं यही सोच रही थी और फिर एक और पैग बना कर पीते हुए राजीव के साथ अपने न्यू-यॉर्क के ट्रिप के बारे में सोचने लगी और यही सोच-सोच कर मेरे होंठों पे मुस्कुरहाट भी आ रही थी।
बाथरूम से आबिया के चींखने की आवाज़ से मैं अपने न्यू-यॉर्क के ख्वाब से बाहर आ गयी और बाथरूम कि तरफ़ दौड़ के गयी तो देखा कि आबिया टब के बाहर के हिस्से में नीचे गिरी हुई है। उसने शायद टब से बाहर निकल कर सैंडल पहने होंगे और फर्श थोड़ा गीला होने से उसका पैर फिसल गया था। मैं उसको नंगी ही उठा कर सहारा देकर अपने बेडरूम में लेकर आ गयी और बेड पे बड़ा सा टॉवल बिछा कर वैसे ही उसको टॉवल पे लिटा दिया और उसके जिस्म को उसी टॉवल से सुखाते वक्त देखा कि उसकी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और मलाई जैसी गोरी है। उसकी बिना बालों वाली और मोटे लिप्स की चूत, जिसके दोनों लिप्स एक दूसरे से थोड़े से अलग हुए थे और अंदर से पिंक कलर, बहुत सैक्सी लग रही थी। मेरा दिल कर रहा था कि बस मैं इसकी चूत को चूम लूँ और अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अंदर डाल के चाट डालूँ। मैंने उसके जिस्म को सुखा कर के ऐसे ही टॉवल से लपेट दिया और पूछा कि क्या हुआ तो वो बोली कि “आँटी, मैंने बाहर निकल कर सैंडल पहने ही थे कि मेरा पैर फिसल गया और मैं गिर गयी!” मैंने कहा कि “तुम फिक्र न करो मैं तुम्हारे जाँघों पे ऑलिव ऑयल कि मालिश कर दूँगी तो थोड़ी ही देर में तुम ठीक हो जाओगी!” तो उसने कहा “ठीक है आँटी” और बोली कि “यू आर सो स्वीट आँटी…. आप बहुत अच्छी हो…. कितना खयाल रखती हो मेरा…. मेरी मम्मी के पास तो मेरे लिये टाईम ही नहीं है।“ मैं अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा सा शरमा गयी और कहा “नहीं आबिया, ऐसी बात नहीं…. तुम देखो कि तुम्हारे मम्मी और डैडी दोनों काम करते हैं, ताकि तुम को अच्छी तालीम दे सकें और तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर सकें।“ उसने कुछ कहा नहीं, बस अपना सिर हिला दिया।
मैं ऑलिव ऑयल लेकर आ गयी और आबिया से कहा कि “मैं तुम्हारी जाँघों पे तेल लगा कर थोड़ी सी मालिश कर दूँगी तो तुम ठीक हो जाओगी पर ये टॉवल तुम्हारे नीचे रहा तो ये खराब हो जायेगा। मैं इसको निकाल देती हूँ और एक पुरानी बेडशीट बिछा देती हूँ।“ उसने कहा, “ठीक है आँटी” तो मैंने टॉवल निकाल दिया और एक पुरानी बेडशीट उसके नीचे बिछा कर उसको नंगी ही लिटा दिया और मैं उसकी दोनों टाँगों को फैला के बैठ गयी। उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया तो मैं हँस पड़ी और कहा कि “अभी तो तुम से कहा था कि लड़कियाँ एक दूसरे से नहीं शर्माती” तो फिर भी उसने अपना हाथ नहीं हटाया तो मैंने कहा कि “देखो दोनों हाथ यहाँ रखने से तुम्हारी मौसंबी जैसी चूचियाँ मुझे दिखायी दे रही हैं” तो उसने दोनों हाथ चूत पे से हटा के चूचियों पे रख लिये तो मैंने कहा कि “देखो अब ये नज़र आ रही है” तो वो हँसने लगी और बोली कि “आँटी…. आप भी तो नाईटी पहने हुए हैं… वो भी तो खराब हो जायेगी, अगर उसको तेल लग गया तो!” मैंने हँस के कहा, “क्या मतलब है तुम्हारा?? मैं भी अपनी नाईटी उतर दूँ क्या?? वैसे भी इसमें से तुम्हें मेरा सब कुछ तो दिख रहा है।“ तो वो कुछ बोली “नहीं”, बस हँसने लगी तो मुझे भी कुछ शरारत सूझी और कहा, “ठीक है! तुम्हें शरम आती है तो मैं भी अपनी नाईटी निकाल देती हूँ।“ ये कहते हुए अपने हाथ से बैठे-बैठे नाइटी को ऊपर उठा के जिस्म से निकल दिया और नंगी हो गयी और बोली कि, “लो मैं भी तुम्हारी तरह अब सिर्फ सैंडल पहने हुए हूँ। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आबिया ने मेरा जिस्म देखा तो बोली कि, “वॉव आँटी आप बहुत ब्यूटीफुल हो तो मैंने कहा कि तुम्हारी मम्मी भी तो ब्यूटीफुल है।“ उसने कहा कि “हाँ! है तो सही पर आप जितनी ब्यूटीफुल नहीं… आप तो बहुत ही ब्यूटीफुल हो” और मेरी चूचियों की तरफ़ इशारा करके बोली कि “मेरी मम्मी के ये भी ढीले हैं, आपके देखो कैसे शेप में हैं” और फिर मेरी चूत कि तरफ़ इशारा करके बोली कि “ये देखो आपके यहाँ तो एक भी बाल नहीं है और मेरी मम्मी के यहाँ तो बहुत बाल हैं।“ मैंने कहा कि “जैसे मैं तुमसे करीब दस साल बड़ी हूँ वैसे ही तुम्हारी मम्मी भी मुझसे दस-बारह साल बड़ी होंगी… इसलिये उम्र के हिसाब से इतना फर्क़ तो आ ही जाता है… वैसे तुमने कब और कैसे देखा तुम्हारी मम्मी को?” तो उसने बतया कि “बचपन से कईं दफ़ा देखा है… बाथरूम से बाहर आते हुए और कपड़े चेंज करते हुए।“ मैं समझ गयी कि आबिया के घर का माहौल बिल्कुल फ्री है तो मैंने पूछा, “डैडी का भी कुछ देखा?” तो उसने कहा कि “हाँ, कईं दफ़ा देखा है कपड़े चेंज करते वक्त और कभी सोने के टाईम पे क्योंकि आँटी, मेरे मम्मी और डैडी दोनों बिल्कुल नंगे सोते हैं बेड में।“ मैं हैरान रह गयी। फिर सोचा कि हो सकता है और फिर नंगे सोने में कुछ गलत बात भी तो नहीं है। मैं भी तो नंगी ही सोती हूँ। मैंने पूछा “और क्या-क्या देखा है तुमने” तो उसने कहा कि “मैंने तो बहुत कुछ देखा है आँटी। दोनों रात को ड्रिंक करके नशे में खुल्लमखुल्ला सब करते हैं। कभी डैडी को मम्मी के ऊपर और कभी मम्मी को डैडी के ऊपर चढ़े हुए भी देखा है और कभी जब उनके जिस्म से ब्लैंकेट हट जाती है तो देखा कि दोनों नंगे एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर चुदाई करते हैं।“ मैंने पूछा “तुमने कैसे देखा?” तो आबिया ने कहा कि “नशे में वो बेडरूम बंद नहीं करते और मैंने छुप कर सब देखा।“ मुझे अपनी चुदाई याद आ रही थी जैसे कभी मैं राजीव पे और कभी राजीव मुझ पर चढ़ कर उछल-उछल के चोद रहे होते हैं। मैं यही सोचती रही और अपने खयालों में गुम हो गयी।
आबिया ने कहा कि “क्या हुआ आँटी ??” तो मैं अपने सपनों से बाहर आ गयी और उससे कहा कि “नहीं कोई खास बात नहीं…. मैं तुम्हारी मम्मी और डैडी के बारे में सोच रही थी…. तुम बहुत शरारती हो… अपने मम्मी-डैडी की चुदाई देखती हो…. और तुम्हें कैसे पता ये चुदाई है?” वो बोली, “आँटी, मैं बच्ची नहीं हूँ…. सब समझती हूँ।“ ये कहकर वो हँस पड़ी। “तो और क्या-क्या करती हो तुम छुप कर…” मैंने मुस्कुराते हुए पूछा। वो थोड़ा शर्मा गयी और बोली, “आँटी आप भी ना…!” मैंने फिर उसे उकसाया तो उसने बताया कि उसने अपने पेरेंट्स की ब्लू फिल्मों की सी-डियाँ कई बार छुप कर देखी हैं और शराब भी पी है। मैं उसकी बातें सुनकर गरम हो गयी थी। मैं अपनी टाँगें फ़ोल्ड करके उसकी दोनों टाँगों के बीच में बैठी थी और मैंने उसकी दोनों टाँगों को फैला करके तेल दोनों जाँघों पे डाल दिया और धीरे-धीरे पहले तो तेल फैलाया और फिर मालिश करने लगी। उसकी दोनों टाँगों को अपनी मुड़ी हुई जाँघों पे रख लिया और आबिया को थोड़ा सा अपनी तरफ़ खींच लिया जिससे वो थोड़ा सा सामने खिसक आयी और उसकी चूत के दोनों लिप्स खुल गये। मैंने देखा कि उसकी चूत अंदर से बहुत पिंक है और छोटी सी क्लीटोरिस चूत के ऊपर टोपी कि तरह है और चिकनी चूत मस्त लग रही थी। मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं उसकी मक्खन जैसी चूत को सहलाऊँ, मसाज करूँ और उसकी चूत को चूम लूँ पर ऐसा करने से अपने आपको रोक लिया। मैं बस उसकी जाँघों की ही मालिश कर रही थी। इस कहानी का शीर्षक मेरी चुदाई के मजेदार किस्से है | मैंने आबिया से पूछा कि “कैसा लग रहा है तो उसने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है आँटी, थोड़ा सा और ऊपर तक दर्द हो रहा है” और उसने अपनी चूत के करीब हाथ रख कर बताया कि करीब यहाँ तक दर्द हो रहा है तो मैं और ज़्यादा ऊपर तक मालिश करने लगी। उसकी जाँघें बहुत ही हसीन थी क्योंकि वो डाँस सीख रही थी और डाँस क्लास अटेंड करती थी। मालिश करते वक्त मेरी चूचियाँ आगे पीछे हो रही थीं तो आबिया उनको गौर से देख रही थी। मेरी नज़र आबिया पे पड़ी कि वो मेरी चूचियाँ देख रही है तो मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “क्या देख रही हो आबिया?” तो वो शर्मा गयी और बोली कि “ये मुझे अच्छे लग रहे हैं, पता नहीं मेरे कब इतने बड़े होंगे।“ मैंने कहा, “फिक्र ना करो…. जल्दी ही बड़े हो जायेंगे…. दो या तीन साल में ही बड़े हो जायेंगे।“ उसने पूछा कि “और क्या क्या होगा मेरे जिस्म में”, तो मैंने उसकी मोसंबी जैसी चूचियों को पकड़ के कहा कि “ये बड़े हो जायेंगे…. इतने बड़े कि पूरे हाथ में समा जायें।” मेरे हाथ उसकी चूचियों पे लगते ही उसके मुँह से एक “आआहह” निकल गयी तो मैंने पूछा, “क्या हुआ आबिया…. क्या दर्द हो रहा है?” तो उसने कहा “नहीं आँटी, आप के यहाँ हाथ रखने से बहुत अच्छा लगा और मुझे बहुत मज़ा आया” तो मैं हँस पड़ी और उसकी चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबा दिया। उसने फिर से सिसकरी ली तो मैं समझ गयी कि ये लड़की बेहद गरम है और जवानी में तो कयामत बन जायेगी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | जाँघों पे मालिश करते-करते मेरे अंगूठे उसकी चूत के मोटे-मोटे लिप्स तक आ रहे थे और जब भी अंगूठा उसकी चूत से टकराता तो वो अपने चूतड़ उछाल देती और सिसकरी लेती। मैंने पूछा, “क्या हो रहा है?” तो वो बोली कि “बहुत मज़ा आ रहा है आँटी, अब जाँघों को छोड़ कर यहीं पे करो ना मालिश।“ मुझे भी अपने स्कूल के टाईम का अपनी क्लासमेट ताहिरा के साथ चूतों से खेलना और सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में एक दूसरे की चूतों को चाटना याद गया तो मैं सब कुछ भूल कर आबिया की चूत का मसाज करने लगी और अपनी अँगुलियों से उसकी क्लिटोरिस को मसलने लगी। उसके मुँह से बस सिसकारियाँ ही निकल रही थीं। मैंने आबिया की टाँगों को पकड़ कर थोड़ा और अपनी तरफ़ खींचा तो उसकी टाँगें और खुल गयीं और चूत थोड़ा ऊपर उठ गयी और कुछ और करीब आ गयी। मैं झुक कर उसकी चूत को किस करने लगी। मेरे लिप्स उसकी चूत पे लगते ही उसके मुँह से एक चींख सी निकल गयी और उसने मेरे सिर पर हाथ रख लिया और अपने चूतड़ उछाल के मेरे मुँह पे चूत को रगड़ने लगी। मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रख कर उसकी चूत को और उठाया और उसकी चिकनी चूत के अंदर ज़ुबान डाल कर उसकी मक्खन जैसी चिकनी चूत को चाटने लगी। उस वक्त मैं अपने आप को वही ग्यारहवीं-बारहवीं में पढ़ने वाली लड़की समझ रही थी और आबिया को अपनी क्लासमेट ताहिरा समझ रही थी और ये बिल्कुल भूल गयी थी कि मैं एक शादी शुदा औरत हूँ और आबिया से काफी बड़ी हूँ। पर उस वक्त मुझे याद था तो बस ताहिरा का मेरे बेड में रहना और हमारा एक दूसरे की चूतों को चाटना। अपने आप को छोटी ग्यारहवीं-बारहवीं की शबीना समझते हुए और नीचे लेटी हुई आबिया को ताहिरा समझते हुए मैं पलट गयी और अपनी चूत को आबिया के मुँह पे रख दिया और उसकी गाँड के नीचे हाथ रख कर उसकी चूत को थोड़ा ऊपर उठा लिया और उसकी छोटी सी मक्खन जैसी चूत को चूसने लगी। उसने मेरी चूत में अपनी ज़ुबान डाल दी और मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया। मेरे जिस्म में मस्ती छायी हुई थी और मैं जितनी तेज़ी से अपनी चूत उसके मुँह से रगड़ रही थी, उतनी ही तेज़ी से उसकी चूत को भी चूस रही थी और अपनी ज़ुबान उसकी चूत में डाल कर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर और पूरी चूत को मुँह में लेकर काटने लगी। उसने अपने चूतड़ उछाल कर मेरे मुँह में चूत को ज़ोर-ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया और वो जोश में मेरी चूत ज़ोर-ज़ोर से चाटने और चूसने लगी और मेरे जिस्म में एक बिजली सी दौड़ने लगी। मैं काँपने लगी और मुझे महसूस हुआ कि अब मेरा जूस निकलने वाला है और मेरा जिस्म हिलने लगा और मेरी चूत में से जूस निकलने लगा, जिसे आबिया मज़े ले लेकर पीने लगी और एक ही सैकेंड में आबिया काँपने लगी और उसकी चूत में से भी जूस निकल पड़ा। उसकी चूत भी बहुत ही नमकीन हो गयी और उसकी आँखें बंद हो गयी थी उसकी चूत से बहुत ज़्यादा जूस निकला। मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटी रही। थोड़ी देर में फिर जब मुझे होश आया तो पलट के उसके बगल में सीधी लेट गयी और बोली कि “सॉरी आबिया, पता नहीं मुझे क्या हो गया था…. मुझे तुम्हारे साथ ये सब नहीं करना चहिये था” तो उसने कहा “नहीं आँटी, आप ऐसा कुछ मत सोचिये…. ये तो मैं अपनी फ्रैंड के साथ कईं दफ़ा कर चुकी हूँ और मुझे इसमें बहुत मज़ा भी आता है।“ मुझे फिर अपनी फ्रैंड ताहिरा का खयाल आया और मैं सोचने लगी कि शायद ये सब स्कूल की लड़कियों के लिये नॉर्मल सी बात है और शायद सभी स्कूल की लड़कियाँ जो एक दूसरे की बेस्ट फ्रैंड्स हैं, छिपछिपा कर ऐसे ही करती हैं।
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