मेरे देवर का मुसल जैसा लौड़ा

प्रेषिका: स्नेहा

मेरा नाम स्नेहा, रंग गोरा और बॉडी एक दम स्लिम. मैं मुंबई की रहने वाली हू. 1 साल पहले जब मैं 20 साल की थी तभी मेरी शादी रवि के साथ हो गयी थी. उस समय रवि की उमर २४ साल की थी. उनका रंग गोरा है और वो एक दम दुबले पतले हैं. वो एक बड़ी कंपनी मे काम करते हैं. मेरे ससुराल मे मेरे पति के अलावा मेरा एक देवर है. उसका नाम धर्मेश है और उसकी उमर उस समय 23 साल की थी. अब वो 24 साल का है और बहुत ही हॅंडसम है. मेरे पति के पेरेंट्स शादी के 2 साल पहले ही एक्सपाइर हो चुके थे. रवि और धर्मेश एक दम फ्रेंड की तरह रहते हैं और एक दूसरे से कुच्छ छुपाते नही. धर्मेश मुझसे एक दम खुला मज़ाक करता है. रवि भी हम दोनो के मज़ाक का खूब मज़ा लेते हैं और बीच बीच मे कॉमेंट भी करते रहते हैं. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ये 1 महीने पहले की बात है. मेरे पति को कंपनी के काम से 4 दिनो के लिए विदेश जाना था. मेरे पति की फ्लाइट रात के 10.30 बजे थी. उन्होने जाते समय धर्मेश से कहा “स्नेहा का हर तरह से ख्याल रखना.” धर्मेश बोला “ठीक है, भैया. मैं पूरा ख़याल रखूँगा.” मैने रवि के जाने के दूसरे दिन सुबह जब मैं बाथरूम से नहा कर बाहर आई तो मैने देखा कि धर्मेश तो अभी तक सो रहा है. मैने अभी कपड़े भी नही पहने थे, केवल एक टवल अपने बदन पर लपेट रखा था. मैं उसके रूम मे गयी. वो एक दम बेख़बर सो रहा था. जब मेरी निगाह उसके उपर पड़ी तो मैं शरम से लाल हो गयी. मैने देखा धर्मेश का लंड उसकी चड्ढि से बाहर निकला हुआ था. उसका लंड खड़ा था. मैने आज तक ऐसा लंड कभी नही देखा था. उसका लंड लगभग 7.3″ लंबा और बहुत मोटा था. मेरे पति का लंड तो केवल 4 1/2″ लंबा था. मैं सोचने लगी कि 2 भाइयो के लंड मे कितना फरक है. रवि का लंड छोटा और धर्मेश का बहुत मोटा और लंबा. मैं बहुत ही सेक्सी हूँ इस लिए इतना मोटा और लंबा लंड देखकर मुझे जोश आने लगा. मैं बहुत देर तक धर्मेश के लंड को देखती रही और सोचने लगी की काश मुझे इस लंड से चुदवाने का मौका मिल जाता. मैने मन ही मन सोचने लगी कि धर्मेश तो मेरा देवर है और इस से चुदवाने मे कोई रिस्क नही है. धर्मेश भी मुझसे बहुत हसी मज़ाक करता था और बातों बातों मे मेरे बदन पर हाथ भी लगा देता था. मैं भी उसे देवर होने की वजह से बहुत प्यार करती थी. हम दोनो दोस्त की तरह रहते थे. मैं धीरे से जाकर बेड पर धर्मेश के बगल मे बैठ गयी और अपने हाथो से उसके लंड को पकड़ लिया. थोड़ी देर मे उसकी नीद खुल गयी. उसने जब मुझे अपना लंड पकड़े हुए देखा तो बोला, “भाभी आप, आप… ये क्या कर रही हो.” मैने कहा “धर्मेश, तुम्हारा तो बहुत बड़ा है. मैने इतना लंबा और मोटा लंड कभी नही देखा है. इस लिए मैं इसे देख रही हू.” उसने शरम से अपनी आँखे बंद कर ली. मेरे हाथ लगाने से उसका लंड और ज़्यादा टाइट हो गया. थोड़ी देर बाद उसने आँखे खोली और बोला, “भाभी, अब रहने दो. अपना हाथ हटा लो.” मैने कहा “थोड़ा रुक जाओ, मुझे ठीक से देख लेने दो.” वो कुच्छ नही बोला. मैं अपने हाथो से उसका लंड सहलाने लगी. थोड़ी ही देर मे धर्मेश का बदन अकड़ने लगा और वो बोला “भाभी, अब इसे छोड़ दो नही तो इसका पानी निकल जाएगा.” मैने कहा, “मैं इसका रस अपने मूह मे लेना चाहती हू. तुम इसका रस मेरे मूह मे निकाल दो.” वो बहुत ज़्यादा जोश मे आ गया था. उसने मेरे सर को पकड़ कर अपने लंड के पास कर दिया. मैने उसका लंड अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने अपना रस मेरे मूह मे निकालना शुरू कर दिया. उसके लंड का रस एक दम गरम गरम था. मैने वो सारा रस निगल लिया. सारा रस निगल जाने के बाद मैने उसके लंड को चाट चाट कर सॉफ कर दिया. फिर मैने उस से कहा “चलो, अब फ्रेश हो जाओ. 10 बज रहे हैं.” वो मुझसे आँखे नही मिला पा रहा था. वो चुप चाप उठा और बातरूम चला गया. मैने किचन मे चाय बनाने चली गयी. मैने अभी तक केवल टवल लपेट रखा था. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | धर्मेश फ्रेश होने के बाद आकर सोफे पर बैठ गया. उसने रोज़ की तरह अभी तक केवल टवल ही पहना हुआ था. मैने उसको चाय लाकर दी. वो अपना सर नीचे किए हुए चुप चाप चाय पीने लगा. मैं भी उसके साथ ही साथ चाय पीने लगी. चाय ख़तम होने के बाद मैं उसके बगल मे आकर बैठ गयी. मैने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया. वो कुच्छ नही बोला. फिर मैने उसकी टवल उपर कर दी तो उसका लंड बाहर आ गया. मैने उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया. 2 मिनट मे ही उसका लंड फिर से एक दम टाइट हो गया. वो बोला “भाभी, आप तो मेरा लंड देखना चाहती थी और इसे देख भी चुकी हैं. प्ल्ज़, अब रहने दो.” मैने कहा, “मैने आज तक इंते बड़े लंड से कभी नही करवाया है. मैं आज इसका मज़ा भी लेना चाहती हू. तुम्हारे भैया का तो बहुत ही छोटा है. उनका तो केवल 4 1/2″ का ही है. मुझे उस से चुदवाने मे ज़्यादा मज़ा नही आता.” वो कुच्छ नही बोला. मैने उसका टवल खीच कर फेक दिया. अब वो मेरे सामने एक दम नंगा हो गया. मैने उसके लंड को फिर से सहलाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर बाद उसका डर कुच्छ कम हो गया तो उसने अपना एक हाथ मेरे बूब पर रख दिया. मैने कहा “देवर जी, इस तरह नही. मेरा टवल तो खोल दो.” उसने धीरे से मेरा टवल खीच कर अलग कर दिया. अब मैं भी उसके सामने एक दम नंगी हो गयी. उसने मेरे बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया. मैं और ज़्यादा जोश मे आने लगी तो मैने उसका एक हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर सटा दिया. उसकी हिम्मत और बढ़ गयी. उसने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. मैं एक दम बेकाबू सी होने लगी और उठ कर उसके पैरो पर बैठ गयी. उसने अपना हाथ मेरे पीठ पर फिराना शुरू कर दिया. फिर मैने उसके लंड का टोपा अपनी चूत पर रखा और दबाने लगी. मैने जैसे ही थोड़ा सा दबाया तो मेरे मूह से एक सिसकारी सी निकल पड़ी. वो बोला “क्या हुआ.” मैने कहा “तुम्हारा लंड बहुत मोटा है इस लिए दर्द हो रहा है.” मैने अपना होठ उसके होठ पर रख दिया और उसके होंठो को चूमने लगी. मैने उसके लंड को अपनी चूत से सटाये हुए थोड़ी देर तक अपनी कमर को हिलाना जारी रखा. थोड़ी ही देर मे जब मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैने थोड़ा सा और ज़ोर लगाया. इस बार मेरे मूह से चीख निकल गयी. अब उसके लंड का टोपा मेरी चूत मे घुस चुका था. मैं उसी तरह थोड़ी देर तक रुकी रही. जब मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैने अपनी कमर को आगे पिछे करना शुरू कर दिया. अब उसके लंड का टोपा मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. मेरी चूत ने उसके लंड को थोड़ा सा रास्ता दे दिया था. अभी 2 मिनट भी नही हुए थे कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मेरी चूत एक दम गीली हो गयी और उसका लंड भी एक दम भीग गया. अब किसी आयिल या क्रीम की ज़रूरत नही थी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैने थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो इस बार मैं बहुत ज़ोर से चीख पड़ी. उसका लंड मेरी चूत मे 2″ तक घुस गया. मैं दर्द के मेरे रुक गयी और चुप चाप बैठी रही. धर्मेश भी जोश से एक दम बेकाबू हो रहा था. उसने अचानक मेरी कमर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खीच लिया. मेरे मूह से एक जोरदार चीख निकल गयी तो उसने अपने होठ मेरे होंठो पर रख दिए. उसका लंड मेरी चूत मे 3″ तक घुस गया था. मेरी चूत से थोड़ा खून भी आ गया. धर्मेश मेरी कमर को पकड़ कर धीरे धीरे आगे पिछे करने लगा. उसके होठ मेरे होंठो पर थे. 2-3 मिनट बाद मेरा दर्द कुच्छ कम हो गया. मैं अपना हाथ उसके पीठ पर लपेट कर उसके सीने से एक दम चिपक गयी और उसका साथ देना शुरू कर दिया. मेरे बदन मे आग सी लग चुकी थी. मेरी साँसे बहुत तेज होने लगी और मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया. धर्मेश का लंड और मेरी चूत दोनो और ज़्यादा गीले हो चुके थे. उसका लंड अब 3″ तक आराम से मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा था. धर्मेश मेरी कमर को पकड़े हुए मुझे तेज़ी से आगे पिछे कर रहा था. मैने जोश के मेरे अपनी आँखे बंद कर ली थी. तभी धर्मेश ने मुझे फिर से अपनी तरफ ज़ोर से खीच लिया. मैं फिर से चिल्लाई तो उसने अपने होंठो से मेरे होंठो को सील कर दिया. मुझे लग रहा था कि किसी ने मेरी चूत मे चाकू घुसेड दिया हो. उसका लंड अब तक मेरी चूत मे 5″ घुस चुका था. धर्मेश भी बहुत जोश मे आ गया था. उसने मुझे तेज़ी से आगे पिछे करना शुरू कर दिया. मैं भी बहुत ज़्यादा जोश मे आ चुकी थी और उसका साथ दे रही थी. अभी तक धर्मेश का लंड मेरी चूत मे केवल 5″ ही घुस पाया था. 5 मिनट भी नही बीते थे की धर्मेश के लंड ने अपने रस से मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया. उसके साथ ही साथ मेरी चूत ने भी अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया. लंड का सारा रस निकल जाने के बाद भी मैं बहुत देर तक उसका लंड अपनी चुत मे डाले हुए बैठी रही. जब उसका लंड एक दम ढीला हो गया तब मैं उसके उपर से हट गयी. मैने देखा कि उसके लंड पर मेरी चूत का रस और थोड़ा खून लगा हुआ था. उसका लंड खून और रस की वजह से एक दम गुलाबी दिख रहा था. मैने धर्मेश का हाथ पकड़ा और उसे बाथरूम ले गयी. मैने उसका लंड और अपनी चूत को साबुन लगा कर सॉफ किया. उसके बाद हम दोनो नंगे ही बेडरूम मे जाकर बेड पर लेट गये. मैं उस से एक चिपकी हुई थी.दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  वो मेरी पीठ को सहला रहा था और मैं उसके पीठ को सहला रही थी. मैने कहा “धर्मेश, तुमहरे लंड से चुदवा कर मुझे तो बहुत मज़ा आया. जब कि अभी मैने तुम्हारा पूरा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है. तुमने आज के पहले कभी किसी के साथ किया है.” वो बोला, “नही, मैने आज के पहले किसी के साथ नही किया है. ये मेरा पहली बार था इसी लिए मेरा रस बहुत जल्दी निकल गया. मुझे भी आज पहली बार ये मज़ा मिला है.” मैने कहा “मैं भी तुमसे चुदवा कर खूब मज़ा लूँगी और तुम्हे भी खूब मज़ा दूँगी.” इतने मे धर्मेश का लंड फिर से खड़ा होने लगा था. वो बोला “भाभी, मुझे कहते हुए शरम आ रही है. अगर तुम्हे एतराज़ ना हो तो मैं फिर से तुमको चोद दूं.” मैने कहा “मैं तो तुम्हारा लंड अब अपनी चूत मे ले चुकी हू. अब कैसी शरम. तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो. मैं तो अब तुम्हारी हू.” वो बोला “क्या मैं आपकी चूत को चाट सकता हू.” मैने कहा “तुमको इज़ाज़त लेने की क्या ज़रूरत है. तुम जैसा चाहो करो. अभी तो मुझे तुम्हारा पूरा लंड अपनी चूत के अंदर लेना है.” धर्मेश उठ कर मेरे उपर 69 की पोज़िशन मे लेट गया. उसने मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मैं भी जोश मे थी. मैने उसका लंड अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद उसका लंड एक दम टाइट हो गया. वो मेरे उपर से हट गया और मेरे पैरो के बीच आ कर बैठ गया. मैने धर्मेश से कहा, “मेरी कमर के नीचे तकिया रख दो. इस से मेरी चूत उपर उठ जाएगी और तुमको चोदने मे आसानी हो जाएगी.” उसने मेरी कमर के नीचे 2 तकिये रख दिए. फिर उसने मेरी चूत के लिप्स को फैलाया और अपने लंड का टोपा बीच मे टिका दिया. उसके लंड का टोपा अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे सारे बदन मे सुरसुरी सी दौड़ गयी. फिर उसने मेरे पैरो को पंजे के पास से पकड़ कर दूर दूर फैला दिया. मैने धर्मेश से कहा “धर्मेश, तुम मेरे पैरो को मेरे कंधे के पास सटा दो. उस ने मेरे पैरो को मेरे कंधे के पास सटा दिया तो मेरी चूत और उपर उठ गयी. वो बोला, “भाभी, तुमहरि चूत तो एक दम उपर उठ गयी.” मैने कहा “इस से तुमको अपना लंड मेरी चूत के अंदर घुसाने मे आसानी हो जाएगी और दूसरे जब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत मे घुसाने लगॉगे तो मुझे बहुत ज़्यादा दर्द होगा तब मैं उस दर्द की वजह से अपनी चूत को इधर उधर नही कर पाउन्गि और तुम आसानी से अपना पूरा लंड मेरी चूत के अंदर डाल कर मुझे चोद सकोगे. धर्मेश मैं तुमसे एक बात और कहना चाहती हू.” धर्मेश बे कहा “वो क्या.” मैने कहा “जब तुम अपना पूरा लंड मेरी चूत मे घुसाने की कोशिश करोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा. मैं बहुत चिल्लाउन्गि और ताड़पुँगी लेकिन तुम इसकी परवाह मत करना, अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल देना और खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाना, रुकना मत.” धर्मेश बोला, “ठीक है, भाभी.” फिर मैने उसके सिर को पकड़ कर अपनी तरफ खीचा और उसके होंठो पर अपने होठ रख दिए और कहा “चलो, अब शुरू हो जाओ.” उसका लंड 5″ तक तो मैं एक बार पहले ही अंदर ले चुकी थी लेकिन मेरी चूत अभी तक टाइट थी. उसने मेरे पैरो को मेरे कंधे पर दबाते हुए जैसे ही एक धक्का मारा तो उसका लंड मेरी चूत के अंदर 5″ तक आसानी से चला गया. मुझे बहुत हल्का सा दर्द हुआ. मैने उसके सिर को पकड़ लिया और उसके होंठो को चूमने लगी. उसने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया. मुझे जोश आने लगा और थोड़ी देर मे ही मेरी चूत से पानी निकल गया. अब मेरी चूत एक दम गीली हो गयी और धर्मेश का लंड भी भीग गया. अब किसी आयिल या क्रीम की ज़रूरत नही थी. मैने धर्मेश से कहा “अब पूरे ताक़त के साथ अपना लंड मेरी चूत मे घुसाना शुरू कर दो, अब रुकना मत. पूरा लंड मेरी चूत मे घुसा देना और उसके बाद बिना रुके ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाना.” वो बोला, “ठीक है, भाभी.” धर्मेश ने मेरी टाँगो को ज़ोर से दबाते हुए एक जोरदार धक्का मारा तो मेरी चीख निकल गयी “आआहह…… … उईए……. माआ……” उसका लंड मेरी चूत मे और ज़्यादा गहराई तक घुस गया. मैने पुछा “क्या हुआ. कितना घुसा है.” वो बोला “अभी तो केवल 6″ ही घुस पाया है.” मैने कहा “धर्मेश, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. मैं बर्दास्त नही कर पा रही हू. तुम जल्दी से अपना पूरा लंड मेरी चूत मे डाल दो. मैं तुम्हारा ये लंबा और मोटा लंड जल्दी से अपनी चूत के अंदर लेना चाहती हू.” धर्मेश ने फिर एक धक्का लगाया तो मैं दर्द के मारे तड़पने लगी और मेरे मूह से एक जोरदार चीख निकली. उसका लंड मेरी चूत को फाडता हुआ और ज़्यादा घुस चुका था और मेरे बच्चेदानी के मूह को चूम रहा था. मैने चिल्लाते हुए ही धर्मेश से कहा “जल्दी करो, रूको मत. डाल दो अपना पूरा लंड मेरी चूत मे.” उसने फिर से एक जोरदार धक्का मारा. मुझे इस बार दर्द बर्दास्त नही हुआ. मेरे मूह से फिर एक जोरदार चीख निकली. मैं किसी मछली की तरह तड़पने लगी और अपने सर के बाल नोचने लगी. मेरी चेहरे पर पसीना आ गया और आँखो मे आँसू भर गये. धर्मेश का लंड मेरी चूत मे और ज़्यादा गहराई तक घुस चुका था. उसका लंड मेरी बच्चेदानी को पिछे धकेल रहा था. मैने समझा कि अब उसका पूरा लंड मेरी चूत मे घुस चुका है. मैने धर्मेश से पुछा “क्या हुआ, पूरा घुस गया.” वो बोला “अभी नही, थोड़ा सा बाकी है.” मैने कहा “बाकी का लंड भी मेरी चूत मे जल्दी से डाल दो.” उसने पूरे ताक़त के साथ एक फाइनल धक्का मारा. मैं दर्द से तड़पने लगी और सर के बाल नोचने शुरू कर दिए. मेरे आँखो से आँसू निकल रहे थे. वो मेरे चेहरे को देख रहा था और बोला “भाभी, अब मेरा लंड तुम्हारी चूत मे पूरा घुस चुका है.” मैं भी उसके दोनो बॉल्स को अपनी चूत पर महसूस कर रही थी. मैने कहा, “धर्मेश, रूको मत. अब ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अभी मेरी चूत चौड़ी नही हुई है. जब तुम ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर मुझे चोदोगे तब मेरी चूत चौड़ी हो कर तुम्हारे लंड के साइज़ की हो जाएगी और मेरा दर्द ख़तम हो जाएगा. फिर मैं भी मज़ा ले सकूँगी.” उसने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. 20-25 धक्को के बाद मेरा दर्द धीरे धीरे कम होने लगा और मेरी चूत ने इस बार ढेर सारा पानी छोड़ दिया. अब मेरी चूत और ज़्यादा गीली हो चुकी थी. चूत गीला हो जाने की वजह से धर्मेश का लंड ज़्यादा आराम अंदर बाहर होने लगा. जब धर्मेश ने 20-25 धक्के और लगा दिए तो मेरी चूत कुच्छ चौड़ी हो गयी और मेरा दर्द एक दम ख़तम हो गया. फिर मुझे भी मज़ा आने लगा. मैने चूतड़ उठा उठा कर धर्मेश का साथ देना शुरू कर दिया. मैने धर्मेश से कहा “अब तुम मेरे पैरो को छोड़ दो और मेरे बूब्स को मसल्ते हुए मेरी चुदाई करो.” उसने मेरा कहा मान लिया और मेरे पैरो को छोड़ दिया. फिर उसने मेरे दोनो बूब्स को अपने हाथो से मसल्ते हुए मेरी चुदाई शुरू कर दी. वो ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था. मैं भी चूतड़ उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी. मैने उसका सिर पकड़ कर अपनी तरफ खीच लिया और अपने होंठो को उसके होंठो पर रख दिया. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

धर्मेश जब धक्का लगाता तो मैं अपना चूतड़ उपर उठा देती थी जिस से उसका लंड मेरी चूत मे और ज़्यादा गहराई तक घुस जाता था. मेरी चूत के पानी से उसका लंड एक दम गीला हो गया था. इस वजह से रूम मे फ़च फ़च की आवाज़ हो रही थी. वो मुझे बहुत तेज़ी के साथ चोद रहा था. 10 मीं बाद उसने मेरी कमर को बहुत ज़ोर से जाकड़ लिया और बोला “भाभी, मेरा रस निकलने वाला है.” मैने कहा “तुम अपने लंड का रस मेरी चूत मे ही निकाल दो.” तभी धर्मेश की स्पीड और तेज हो गयी और 2 मीं मे ही उसके लंड ने मेरी चूत को भरना शुरू कर दिया. उसके साथ ही साथ मेरी चूत से भी पानी निकलने लगा. धर्मेश मुझसे एक दम चिपक गया था. उसकी साँसे बहुत तेज़ चल रही थी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

थोड़ी देर बाद उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी चूत को देखने लगा. वो बोला “भाभी, तुम्हारी चूत तो एक दम सुरंग की तरह हो गयी है. मैं एक बात कहना चाहता हू, तुम बुरा तो नही मनोगी.” मैने कहा “मैं क्यों बुरा मानूँगी. अब तो तुम मेरे देवर से मेरे प्राइवेट पति हो गये हो.” वो बोला “जिस तरह तुम मुझे ग्लास मे मिल्क पीने के लिए देती हो, मैं तुम्हारी चूत मे मिल्क भर कर पीना चाहता हू क्यों कि तुम्हारी चूत भी इस समय एक ग्लास की तरह दिख रही है.” मैने कहा, “ठीक है, जा कर मिल्क ले आ और इसमे भर कर पी ले.” उसने कहा “तुम अपना पैर इसी तरह उठा कर रखो जिस से ये सुरंग बंद ना हो जाए.” मैने भी अपना पैर उसी तरह उठा कर रखा. धर्मेश किचन से मिल्क ले कर आया. उसने मेरी चूत मे मिल्क भरना शुरू कर दिया. पूरा 1 ग्लास मिल्क मेरी चूत मे समा गया. धर्मेश बोला “भाभी, तुम जानती हो, इस मिल्क मे काई तरह का टॉनिक मिला हुआ है.” मैने पुछा, “कौन सा टॉनिक.” वो बोला “इसमे मिल्क का टॉनिक तो है ही. लेकिन इस मिल्क मे तुम्हारी चूत और मेरे लंड का भी टॉनिक मिला हुआ है.” मैं हँसने लगी. धर्मेश ने मेरी चूत पर मूह लगा कर उस मिल्क को पीना शुरू कर दिया. जब उसने सारा मिल्क पी लिया तो मैने कहा “मुझे उस टॉनिक वाला मिल्क नही पिलाओगे.” वो बोला “क्यों नही.” उसने फिर से मेरी चूत मे मिल्क भर दिया और उसके बाद वापस उसे ग्लास मे गिरा लिया. फिर मुझे देते हुए बोला “लो, तुम भी ये मिल्क पी लो.” मैने भी वो मिल्क पी लिया. मैने कहा “तुमने मेरी चूत इतनी चौड़ी कर दी कि इस मे 1 ग्लास मिल्क आने लगा.” इस पर वो हँसने लगा और बोला “पहल तो आपने ही की थी.”

मैं बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन खड़ी नही हो पा रही थी. धर्मेश मुझे गोद मेउठा कर बाथरूम ले गया. बाथरूम के मिरर मे मेने अपनी चूत को देखा तो मेरी चूत एक दम सुरंग की तरह दिख रही थी. मैं अपनी चूत की इस हालत पर हँसने लगी. उसके बाद हम दोनो बाथरूम से वापस आ गये. बाथरूम से वापस आने के बाद मैं कहा “मैं खाना बनाने जाती हू, तब तक आराम कर लो.” वो बोला “ठीक है.” मैं कपड़े पहन ने लगी तो धर्मेश बोला “अब काहे की शरम. तुम इसी तरह एक दम नंगी ही खाना बना लो.” मैं ठीक से चल नही पा रही थी. धीरे धीरे मैं नंगी ही किचन मे खाना बनाने चली गयी. धर्मेश ने कपड़े नही पहने थे. वो उसी तरह बैठ कर टीवी देखने लगा. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

जब मैं खाना बना कर बाहर आई तो मैने धर्मेश से पुछा “क्या तुम फिर से तय्यार हो.” वो बोला “मैं तो कब से तय्यार हू और आपका इंतेज़ार कर रहा हू.” मैने उसका लंड मूह मे ले लिया और चूसने लगी. उसका लंड 2 मिनट मे ही एक दम टाइट हो कर लोहे जैसा हो गया. मैं उस से लेट जाने को कहा. वो लेट गया और मैं उसके उपर चढ़ गयी. मैने उसके लंड का टोपा अपनी चूत के बीच रखा और थोड़ा सा दबाया तो उसका लंड मेरी चूत मे लगभग 2″ तक घुस गया. मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मेरे मूह से एक हल्की सी चीख निकल पड़ी. धर्मेश बोला, “क्या हुआ, भाभी. आप तो पूरा लंड अंदर ले चुकी हैं तो फिर क्यों चीख रही हैं.” मैने कहा “तू नही समझेगा. एक बार चुदवाने से चूत थोड़े ही चौड़ी हो जाती है. जब मैं तुझसे 8-10 बार चुदवा लूँगी तब जा कर तेरा लंड मेरी चूत मे बिना दर्द के जाएगा.” मैने थोड़ा और दबाया तो उसका लंड मेरी चूत मे 4″ तक घुस गया. मेरी चूत मे फिर से दर्द होने लगा और मैं कराह उठी. मैने बिना और ज़ोर लगाए धीरे धीरे धक्का लगाना शुरू कर दिया. थोड़ी देर मे मेरा दर्द कुच्छ कम हुआ तो मैने थोड़ा और ज़ोर लगाया. इस बार उसका लंड मेरी चूत मे 6″ तक घुस गया और मैं दर्द के मारे तड़पने लगी. मेरे चेहरे पर पसीना आ गया. मैने फिर से धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए. कुच्छ देर बाद मेरा दर्द जब कम हुआ तो मैने इस बार एक गहरी सास लेकर अपने पूरे बदन का वजन डालते हुए उसके लंड पर बैठ गयी. इस बार मैं दर्द से तड़प उठी. मेरी आँखो मे आँसू आ गये. मेरा चेहरा पसीने से भीग गया. उसका पूरा लंड मेरी चूत मे समा चुका था.

मैं थोड़ी देर तक उसका पूरा लंड अपनी चूत मे डाले हुए उसके लंड पर बैठी रही. 2-3 मीं बाद मैने धीरे धीरे धक्का मारना शुरू किया. दर्द अभी भी हो रहा था लेकिन मज़ा भी आने लगा था. मैने अपनी स्पीड थोड़ा तेज की तो मेरा दर्द बढ़ गया लेकिन जो मज़ा मुझे मिल रहा था उसके आगे ये दर्द कुच्छ भी नही था. 25-30 धक्को के बाद मेरा दर्द जाता रहा और मुझे खूब मज़ा आने लगा. मैने अपनी स्पीड तेज कर दी. मैं उसके लंड पर हवा मे उछल रही थी. मैं जब नीचे आती तो पूरे बदन के वजन के साथ उसके लंड पर बैठ जाती थी. धर्मेश को भी खूब मज़ा आ रहा था. जब मैं नीचे आती तब वो भी अपने चूतड़ को उठा देता था. 5 मिनट बाद ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पूरा पानी निकल जाने के बाद मैं उसके उपर से हट गयी. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं बुरी तरह से हाफ़ रही थी. मेरा चेहरा पसीने से लथ पथ था. मैने धर्मेश से कहा “अब मैं डॉगी स्टाइल मे हो जाती हू. तुम मेरे पिछे से आकर मेरी चुदाई करो.” मैं ज़मीन पर डॉगी स्टाइल मे हो गयी. धर्मेश मेरे पिछे आ गया. उसने मेरी चूत के लिप्स को फैला कर अपने लंड का टोपा बीच मे रख दिया तो मैं बोली, “एक झटके से पूरा लंड डाल दो मेरी चूत के अंदर.” उसने मेरी कमर को ज़ोर से पकड़ा और पूरी ताक़त के साथ एक झटका मारा और उसका 7″ का लंड सनसनाता हुआ मेरी चूत की गहराइयों मे समा गया. डॉगी स्टाइल मे होने की वजह से मेरी चूत एक दम दबी हुई थी इस लिए मुझे उसका मोटा और लंबा लंड अपनी चूत के अंदर लेने मे फिर से तकलीफ़ हुई. मेरे मूह से एक जोरदार चीख निकल पड़ी. मैने धर्मेश से कहा “रूको मत, ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाओ. खूब ज़ोर ज़ोर से चोदो मुझे.” ऱाजु ने मेरी कमर को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए. वो मुझे आँधी की तरह चोदने लगा. उसका हर धक्का मुझ पर भारी पड़ रहा था. उसका लंड मेरे बच्चेदानी को ज़ोर ज़ोर से ठोकर मार रहा था जैसे कोई उसकी पिटाई कर रहा हो. 3-4 मिनट मे ही मेरी चूत रोने लगी और उसके आँसू निकल पड़े. धर्मेश का लंड एक दम भीग गया और मेरी चूत मे आराम से अंदर बाहर होने लगा. धर्मेश ने अपनी स्पीड और तेज कर दी. मैं हिचकोले खा रही थी. मेरी चूत से फ़च फ़च की आवाज़ निकल रही थी. 10 मिनट भी नही बीते थे कि मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

धर्मेश ने मेरी कमर को छोड़ कर मेरे बूब्स को पकड़ लिया. फिर उसने मेरे बूब्स को मसल्ते हुए ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा कर मुझे चोदने लगा. उसका हर धक्का इतना तेज था कि मैं हर धक्के के साथ आगे सरक जाती थी. वो मुझे इसी तरह चोदता रहा और मैं आगे सरकती रही. थोड़ी देर बाद मेरा सिर ड्रॉयिंग रूम की दीवार से सट गया तो धर्मेश बोल “भाभी, अब कहाँ भाग कर जाओगी.” और उसने मुझे एक दम आँधी की तरह चोदना शुरू कर दिया. अब मैं आगे नही सरक पा रही थी इस लिए उसका हर धक्का बहुत ज़ोर ज़ोर का लग रहा था. 15-20 मीं बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और इस बार मेरे साथ ही साथ धर्मेश के लंड ने भी पानी छोड़ दिया और मेरी चूत भर गयी. पूरा पानी मेरी चूत मे निकाल देने के बाद धर्मेश ने अपना लंड बाहर निकाला और जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा. उसने मेरी चूत को चाट चाट कर सॉफ कर दिया और उसके बाद उसने अपना लंड मेरे मूह के पास कर दिया. मैने भी उसका लंड चाट चाट कर एक दम सॉफ कर दिया. उसके बाद हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर वही ज़मीन पर लेट गये. इसी तरह 3 दिनो तक धर्मेश मुझे तरह तरह के स्टाइल मे चोदता रहा. मुझे उस से चुदवाने मे बहुत मज़ा आया. अब मेरी चूत एक दम चौड़ी हो चुकी. धर्मेश अब चाहे जिस स्टाइल मे मेरी चूत मे अपना लंड घुसाता मुझे थोड़ा भी दर्द नही होता था और उसका लंड मेरी चूत मे एक दम गहराई तक आराम से घुस जाता था. अब मै हमेशा जब जब मेरे पति घर पे नही होते तो अपने देवर से चुदाई करने से नही चुकती | मै अपनी कहानी अब यही पर समाप्त करती हु आप लोगो को मुझसे कुछ कहना है तो प्लीज कमेन्ट कर बता सकते है | धन्यवाद

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