प्रेषिका: चित्रांगदा कौर
मेरा नाम चित्रांगदा कौर है और घर वाले प्यार से मुझे चित्रा कहते हैं.भाई का नाम अमरिंदर है और हम उसा अमर कह कर पुकारते हैं. मम्मा ( मम्मा को हम प्यार से मम्मा पुकारते है ) को दिल्ली में कुछ ज़रूरी काम था और वो जम्मूतवी ट्रेन से दिल्ली जा रही थी..घूमने के बहाने भाई मम्मा के साथ हो लिया तो मैं भी जाने की ज़िद करने लगी तो मम्मा मान गयी.दर असल जो मज़ा आजकल मुझे भाई की छेड़ खानी मे आ रहा था उस से मैं महरूम रह जाती.ज़रा सा मौका मिलते ही भाई कभी मेरी चुचि दबा देता तो कभी चुम्मा ले लेता था. हम नकली लड़ाई भी लड़ते रहते थे जिसमे कभी वो मेरे उपर चढ़ कर फ्रॉक हटा कर मेरी गांड मे लंड गढ़ाता और चुचियाँ मसलता तो कभी मैं उसके लंड को भींच देती.जवानी मे कदम रखते ही मज़ा आ रहा था.इसी मज़े की मारी मैं भाई और मम्मा के साथ चल पड़ी.मज़े की सुरुआत भाई ने ट्रेन मे चढ़ते टाइम ही मुझे सहारा देने के बहाने मेरी चुचि दबा कर की.सफ़र का पूरा लुफ्त उठाने के लिए मैंने ब्रा पहनी ही नही थी. फिर भाई ने मेरी गांड पे भी चिकोटी काट ली.मैंने गांड को सहलाते हुए भाई को एक हल्का सा मुक्का मारा.मम्मा हमारे आगे थी इसलिए उन्हे कुछ पता नही था कि पिछे उनके लाड़ले बेटा बेटी क्या गुल खिला रहे हैं. हम एसी-2 के केबिन के अंदर दाखिल हो गये ….प्राइवसी के लिए भाई ने पर्दे खींच दिए.यहा से 3 बजे के करीब ट्रेन चली . मम्मा ने नीचे की सीट पे पसरते हुए कहा क मुझे रेस्ट करने दो, तुम उपर की सीट पे चले जाओ.भाई ने वहीं खड़े हो कर टवल लपेट कर जीन्स उतारी और सफ़र के लिए एलास्टिक वाला पायज़मा पहन लिया.मैंने गौर किया कि जीन्स के साथ भाई ने अंडरवेर भी उतार दिया था…मुझे लगा कि आज तो मुआ चोद के ही मानेगा.ये सोच कर ही मेरी चूत गिल्ली हो गयी.मैंने मम्मा को सुनाते हुए भाई से कहा कि वीर जी थोरी देर के लिए केबिन से बाहर जाओ, मैंने भी कपड़े चेंज करने हैं. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मम्मा बीच मे बोल पड़ी “अरी अब कहाँ जाएगा ये, बेटे अमर उधर मूह फेर ले..चित्रा कपड़े चेंज कर लेगी.भाई ने दूसरी तरफ मूह कर लिया.मैं सलवार उतारने लगी लेकिन गोल गाँठ लगने की वजह से मेरी सलवार का नारा नही खुला तो मैं मम्मा के नज़दीक गयी और नारा खोलने की रिक्वेस्ट की .मम्मा ने मूह से खोलने की नाकाम कोशिश की और थक हार कर लेट गयी और अमर से बोली कि बेटे तेरे दाँत मजबूत हैं,चित्रा का नारा खोल दे.मैं बोल पड़ी…क्या भैया से ? मम्मा मेरी बात को अनसुना करके बोली कि कल तक तो तुम्हे इकट्ठा नहलाती थी अब इतना शरमाती है, और अमर को कहा कि बेटे नारा खोलते टाइम तुम आँखें बंद कर लेना,और चित्रा अगर तुम्हे ज़्यादा शरम आए तो तू भी आँखे बंद कर लेना,अब मुझे रेस्ट करने दो. मैंने देखा कि भाई की नज़र मेरे सलवार के नारे पे थी जिसे मैं अभी भी हाथ से पकड़े हुए थी. भाई ललचाई नज़रो से मुझे देखते हुए सामने के सीट पे बैठ गया. मैंने देखा कि मम्मा ने भी दूसरी तरफ मूह फेर लिया था.मैं शरमाती सी आगे बढ़ी और सलवार के नारे का सिरा भाई को पकड़ा दिया और शर्ट को चुचिओ तक उपर उठा दिया.भाई ने एक हाथ मेरे हेवी चूतड़ पे रखा और मेरी नाभि को चूम लिया.फिर भाई जीभ नाभि मे डाल कर घुमाने लगा.मेरे सारे बदन मे करेंट सा दौड़ने लगा.फिर भाई दांतो से सलवार का नारा खोलने लगा और जल्दी ही सलवार खुल कर मेरे पैरों मे जा गिरी.भाई ने तेज़ी से मेरी चढ्ढि नीचे खिसका दी और दोनो हाथ मेरे चूतदों पे लगा कर मेरी फूली हुई चूत का चुम्मा ले लिया. आज सवेरे ही मैंने चूत को साबुन की तरह चिकना बनाया था.मैंने मूड कर मम्मा को देखा, वो अभी भी दूसरी तरफ मूह करके लेटी हुई थी .जब भाई ने चूत पे जीभ फेरना शुरू किया तो मैंने मूह पे हाथ रख के सिसकारी को रोका. मैंने भाई को कंधा पकड़ कर हिलाया, उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उपर वाली सीट पे चलने का इशारा किया.फिर मैंने भी चढ्ढि और शर्ट उतार कर नाइटी पहन ली, ब्रा तो मे पहले ही उतार कर चली थी.मम्मा ने हमारी तरफ देखे बगैर ही पुछा ” बेटी नारा खुल गया क्या ?”.मैंने कहा कि हाँ मम्मा मैंने कपड़े भी बदल लिए हैं.मम्मा बोली कि अच्छा बेटी, अब तुम भी रेस्ट कर लो”. मैं बोली कि मम्मा हम उपर वाले सीट पे लेट जाते हैं . मम्मा ने कहा कि ठीक है बेटा, जहाँ तुम्हारा दिल करे , सारे केबिन मे हम तीन ही तो हैं.मम्मा के ठीक उपर वाली सीट पे पहले मैं उपर चढ़ि तो भाई ने दोनो हाथों से मेरे कूल्हे पकड़े और मेरे चूतदों के बीच मूह गढ़ा कर मुझे उपर चढ़ाया.फिर भाई भी उपर आगाया और साथ लेट कर मुझे बाहों मे भर लिया. मैं डरती हुई भाई के कान मे फुस्फुसाइ “भैया कहीं मम्मा ने देख लिया तो? भाई मेरे कान से मूह लगा कर धीमी आवाज़ मे बोला ” मम्मा हमारे ठीक नीचे वाली सीट पे आँख बंद करके लेटी हुई है, उसे हम नज़र नही आएँगे.”फिर तो हम एक दूजे से लिपट गये, हमारे होंठ जुड़ गये.मैंने भाई के मूह मे जीभ डाल दी तो भाई भी मेरी जीभ चूस्ते हुए नाइटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी चुचि दबाने लगा.उमड़ता हुआ तूफान चूत की तरफ इकठ्ठा हो रहा था. भाई का लंड खड़ा होकर मेरी चूत पे गाढ़ने लगा.मैंने भाई का पायज़मा नीचे खिसका दिया और गरम मोटे लॉड को हाथ मे ले लिया.भाई ने भी मेरी नाइटी उपर सरका दी और मेरी चूत को मुति मे भींच दिया. मैं फुर्ती के साथ नाइटी कमर तक उठा कर भाई के उपर इस तरह हो गयी कि उसका लंड मेरे मूह के पास था और मेरी चूत उनके मूह पर. मैंने मोटे लंड का सूपड़ा चाटना शुरू किया तो भाई भी जीभ निकाल कर मेरी चूत को चाटने लगा | फिर मैं लौदे को गले तक निगल कर मूह को उपर नीचे करने लगी तो भाई भी चूत के टींट से लेकर गांड के छेद तक चाटने लगा.सफ़र का बड़ा मज़ा अरहा था. मै 2 मिनिट मे ही खलास हो गयी.भाई चूत से निकला सारा कुँवारा अमृत पी गया.थोड़ी देर की सुस्ती के बाद मे फिर लंड को चूसने लगी क्योकि भाई अभी नही झड़ा था. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | भाई की जीभ ने फिर कमाल दिखाना शुरू कर दिया | जीभ की नोक चूत के टिंट को गिट्टार बजाने की तरह छेड़ रही थी.मैं दुबारा झड़ने लगी तो भाई ने भी नीचे से झटका सा मारा और लंड के पानी की तेज बोच्चरें मेरे गले से टकरा कर नीचे उतरने लगी. लंड को दबा दबा कर मैं आखरी बूँद तक चाट गयी. थोड़ी देर के बाद मैं सुसू करने के लिया गई. आगे के केबिन में एक स्मार्ट लड़का था . उस ने मुझे देखा में ने भी उसे देखा और फिर में टाय्लेट चली गई, वो भी टाय्लेट के बाहर आ कर खड़ा हो गया, मैं जैसे ही निकली उस ने मुझ से पुछा आप कहा जा रही हो तो में ने बताया कि में अपनी मम्मा और भाई के साथ दिल्ली जा रही हूँ, मैं वही खड़ी होकर उस से बातें करने लगी , उस ने बताया कि वो अपनी सिस्टर को लेकर दिल्ली जा रहा है फिर मैं उस की सीट पे बैठ गई और उस की सिस्टर से बातें करने लगी , में ने ध्यान दिया कि वो लड़का बार बार मेरी चुचि की तरफ देख रहा है, में ने भी उसे छूट देदी और अपना दुपट्टा थोड़ा नीचे कर दिया , फिर में ने कहा कि मैं अपनी मम्मा और भाई से कह कर आती हूँ कि में यहा बैठी हूँ नही तो मम्मा परेशान होगी, और मैं अपनी मम्मा के पास चली गई और जा कर कहा कि मेरी एक फ्रेंड मिल गई है मैं उसी के पास बैठने जा रही हूँ, मम्मा ने कहा ठीक है तुम भैया के साथ चली जाओ, ट्रेन करीब करीब खाली ही थी कुछ ज़्यादा लोग नही थे , मेरा भाई भी मेरे साथ आ गया, मेरा भाई और मैं दोनो ही मिलन के लिए मरे जा रहे थे.. ख़ासकर मेरा दिल तो बस भाई से चुदाई के लिए तड़फ़ रहा था. पर हम आपस मे शरमाते थे.यह अलग बात है के वो भाई का प्यार दिखाने के लिए मुझे बाहों मे भर लेता,मेरे गाल का चूमा ले लेता और कई बार मेरे चुतड़ो पर चिकोटी भी काट लेता पर चुदाई के अरमान हम दोनो के दिल मे ही थे.आज हम बहुत आगे बढ़ चुके थे.मुझे इस बात का पूरा अहसास था कि भाई आज मेरी ज़रूर लेगा . ये तो हम जानते थे के एक बार बस शुरुआत हो गई तो फिर हम सारी कसर निकाल देंगे.एक दूसरे से पहल करने की उम्मीद लगाए बैठे थे. हम वहा पे बैठ कर बातें करने लगे तो मेरे भाई ने मेरे कान मे कहा कि दीदी वो लड़का तुम्हारी चुचि को देख रहा है तो में ने कहा हां मुझे मालूम है इसी लिए तो दिखा रही हूँ ,तुम भी उसकी बहन को अपना निकाल कर दिखा दो. हम बातें करते रहे फिर उस लड़के की सिस्टर को सुसू लगी और वो सुसू करने चली गई, मुझे मोका मिल गया, और में ने उस लड़के से बात करना शुरू कर दिया उस ने एक किताब ली हुई थी, हम ने अभी बातें शुरू ही की थी कि उस की सिस्टर वापिस आगाई, और वो उठ कर जाने लगा तो में ने पुछा आप कहा जा रहे हो तो उस ने कहा में बाथरूम जा रहा हूँ तो में ने कहा कि ज़रा ये बुक देते जाए तो उस ने कहा नही में ये बुक नही दे सकता, में समझ गई कि ये कॉन सी बुक है, फिर भी मैने उस के हाथ से बुक लेने की कोशिश की और कहा प्ल्ज़ बुक दीजिए ना जब आप आओगे तो मैं बुक दे दूँगी और झटके से बुक मेरे हाथ में आगाई , मालूम नही उस ने क्या सोचा और चुप चाप वहा से चला गया जब में ने बुक खोला तो उस के अंदर एक बुक थी, जब में ने उस बुक को खोला तो मेरे शक सही निकला वो एक सेक्सी स्टोरी की बुक थी. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं और मेरा भाई दोनो ही उस बुक को पढ़ने लगे हम ने थोड़ी देर में ही सारी स्टोरी पढ़ ली,स्टोरी भाई बहन की चुदाई की थी.मैंने उस लड़की से पुछा के तुम्हे पता है के तुम्हारा भाई कैसी किताब पढ़ता है तो उसने कहा इसमे हैरानी की क्या बात है,हम तो अक्सर दोनो इकट्ठे पढ़ते हैं . आजकल तो भाई बहन का लव अफेर आम बात है.क्या तुम अपने भाई से प्यार नही करती?” मैंने कहा के प्यार तो हम भी आपस मे करते हैं पर ये किताब वाला प्यार नही. इस पर वो बोली के” इसका मतलब है के असली स्वाद तो तुमने अभी चखा ही नही है, गरम पानी से घर नही जला करते, आग मे डूब कर देखो”और फिर बुक को हाथ में लेकर बैठ गई थोड़ी देर में वो लड़का वापिस आया, तो में ने उसे बुक देते हुए कहा इस बुक की कहानी बहुत अच्छी है , इसी बीच उस की सिस्टर उपर के बर्थ पे सोने चली गई, जब में ने उस से उस बुक की तारीफ की तो वो समझ गया कि लाइन क्लियर है, तो उस ने मुझ से धीरे से कहा कि अगर आप अपने भाई को जाने को कहो तो में एक और बुक देता हूँ उस में इस से भी अच्छी कहानी है तो में ने उस से कहा कि कोई बात नही है मेरा भाई और में एक दम दोस्त की तरहा है आप हमे बुक दो हम साथ में पढ़ेंगे, तो उस ने इशारे से पुछा की बुक पढ़ने दूँगा तो कोई फ़ायदा होगा क्या? तो में ने भी कह दिया रात होने दो कुछ ना कुछ तो फ़ायदा दिलाउन्गि, इस पर उस ने कहा कि तुम अपने भाई से खुली हो तो उसे भी कुछ फ़ायदा होगा, तो में ने अपने भाई से कहा क्यू तुम्हे इस से कुछ फ़ायदा होगा और आँख मार दी तो मेरा भाई ने मेरी चुचि अपने हाथ से दबाते हुए कहा हां होगा, इस पर वो खुश हो गया और अपने बॅग से एक बुक निकाल कर दिया वो रंगीन बुक थी उस में एक से बढ़ कर एक फोटो और कई कहानिया थी मैंने उस से कहा कि में बुक लेकर अपनी मम्मा के पास जा रही हूँ क्योंकि अगर वो यहा पे आगाई तो ग़लत समझेंगी तुम थोड़ी देर बाद अपनी सिस्टर को मेरे पास भेजना वो मुझे बुलाकर यहा पे ले कर आएगी तब तक रात भी हो जाएगी और फिर हम सब को फ़ायदा हो जाएगा.इस पर उस ने कहा ठीक है में ऐसा ही करूँगा, फिर में और मेरा भाई वो बुक लेकर मम्मा के पास आए, और फिर में उपर के सीट पे चली गई और उस में रंगीन फोटो देखने लगी, थोड़ी देर में भाई भी उपर आया और मेरे साथ फोटो देखने लगा और मेरी चुचि दबाने लगा, मै फोटो देख कर काफ़ी हॉट हो चुकी थी, में ने अपने भाई का हाथ पकड़ कर सलवार के नारे पर रख दिया.वो समझ गया और धीरे से मेरी सलवार का नारा खोल कर मेरी बाल रहित योनि के ऊपर हथेली रख दी. तवा गरम हो चुका था. मैंने उसकी हथेली को अपनी चूत के ऊपर दबाया तो वो मेरी चूत को मुठ्ठी मे भरने लगा ,फिर चूत मे उंगली करने लगा और मैंने भी आहिस्ता से उसका पयज़ामा खोल कर विकराल लंड को थाम लिया. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हाए कितना मोटा और गरम था.मेरे बदन मे मज़े की मद होशी सी छाने लगी.मैंने एक बार नीचे झाँक कर देखा, मम्मा हमारी सीट के बिल्कुल नीचे आँखें बंद किए लेटी हुई थी.बेफिकर हो कर मैंने भाई के लंड का चुम्मा लिया. मैं लंड को मूह मे भरने लगी तो कुछ आहट सी हुई.सर उठा कर देखा तो उस लड़के की बहन थी .वो मेरी मम्मा से मिली थोड़ी देर बाद उस ने मुझ से कहा चलो ना वही पे बैठते है तो मेरी मम्मा ने कहा की हां हां तुम लोग जाओ अपनी फ्रेंड के साथ , भाई को भी साथ ले जाओ मगर जल्दी अजाना और खाना खा लेने फिर खाना खा के चली जाना, हम ने कहा ठीक है, मगर जब हम वहा पे गये तो वो लड़का वही पे बैठा था उस ने अपनी सिस्टर को थॅंक्स कहा , और फिर हम बातें करने लगे, बातो बातो में पता चला कि वो दोनो सगे भाई बहन है मगर वो भी आपस में चुदाई का मज़ा लेते है, उस लड़की ने मुझ से खुल कर कहा कि “घर पे कई दिन से मौका नही मिल रहा था,मैं आज मेरे भाई से चुदवाउंगी , मुझे खुशी हुई कि अब कोई डर नही है हम आराम से चुदाई का मज़ा ट्रेन में भी ले सकते हैं | वो लोग जिस केबिन में थे वो बिकुल खाली था तो उस ने कहा कि तुम दोनो यही पे सोने अजाना, तो में ने कहा आप ही मम्मा से कहना कि हम दोनो यही पे सोएंगे, उस ने कहा ठीक है में तुम्हारी मम्मा से बात कर लूँगी, थोड़ी देर में एक स्टेशन आया हम ने चाइ पे फिर में और भाई मम्मा के पास आए रात के 8:30 बज चुके थे हम ने खाना खाया, फिर हम बैठे ही हुए थे कि वो लड़की उस का नाम तमन्ना था वो आई और मम्मा से बोली आंटी चित्रा और अमर को आप वहा पे भेज दो में अकेली हूँ अपने भाई के साथ उस केबिन में कोई नही है तो मैं बोर हो रही हूँ हम वहा पे बातें करेंगे फिर ये दोनो वही सो जाएगी, सुबा आजाएगी , तो मम्मा ने कहा ठीक है तुम लोग जाओ वही सो जाना, मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना नही था ट्रेन में भी मुझे जुगाड़ मिल गया था, हम वहा पे आए और हम चारो बैठ कर बातें करने लगे हम हम चारो एक दम खुल के बातें कर रहे थे तमन्ना ने मुझे और मेरे भाई अमर को अपने भाई से अपनी चुदाई के कई किस्से सुनाए, जिस से मेरी चूत उसी वक्त लंड माँग रही थी, सेक्स की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी , पता ही नही चला कि कब रात के 10 बज गये हम टाइम हो चुका था कि कुछ किया जाय तो में ने तमन्ना से पुछा कि केसे करना है तो उस ने कहा तुम दोनो बहन भाई एक एक कर के बाथ रूम में जाना और वही चुदाई कर लेना, और फिर चाहो तो हम चारो एक साथ बातरूम चलेंगे क्यो कि रात में कोई बाथरूम नही आएगा तो में ने उस लड़के उस का नाम गौरव था उस से कहा कि जाओ देख कर आओ कि मेरी मम्मा सोई है या नही तो वो गया और आकर बताया कि मम्मा सो गई है, तो में ने तमन्ना से कहा के पहले तुम गौरव के साथ कर्लो,फिर हम चले जाएँगे. आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर तमन्ना और गौरव दोनो बाथरूम चले गये. पहले हम ने देखा कि हमे कोई देख तो नही रहा है वहा पे कोई नही था तो हम दोनो भाई बहन एक दूसरे से लिपट गये और किस करने लगे.मैने भाई को कहा के’ अमर वो तो बाथरूम मे करके आएँगे, आजा हम यहीं सीट पर ही जल्दी-2 कर लेते हैं”.अमर बोला के दीदी जल्दी-2 मे क्या मज़ा आएगा,जी चाहता है सारी रात करूँ. मैंने उसके गाल पर चिकोटी काट ते हुए कहा बाकी कसर घर चल कर पूरी कर लेना.अभी तो जल्दी करले.उनके सामने मुझे शरम आएगी. तमन्ना ने बाद मे मुझे बताया था कि जैसे ही बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया गौरव अपनी बहन के उपर टूट पड़ा और उसे पागलो की तरहा किस करने लगा, उसे भी उसका किस करना अछा लग रहा था तो उस ने भी किस का जवाब देना शुरू कर दिया, वो बार बार उसकी चुचि को दबाता जा रहा था उसे किस किए जा रहा था |
कहानी जारी है …. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ..|