प्रेषक: कैलाश
ट्रेन वाली भाभी और मेरी बीवी-1
दोस्तों मेरी कहानी ट्रेन वाली भाभी और मेरी बीवी भाग 1 में आप लोगो ने पढ़ा की …. स्वेताजी ने मेरे बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मेँ समेट कर अपनी स्तन मेरे पीट पर रगडती हुई दनादन शॉट लगाने लगी । हम दोनोँ की सांस फुल रही थी । और अब आगे की कहानी … फिर आचानक स्वेता ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से अह्ह्ह्ह?? ..हूऊऊऊओ?? हहसी……. हम्मसीई?..म्म्म्माआआ… की आवाज़ निकालने लगी । अब व अपनी दोनोँ हाथ के सहारे थी और अपनी चुचियोँ को मेरे पीठ पर दबाये हुए थी । स्वेता अब बहुत स्पीड से पागलोँ की तरह आवाज़ निकालते हुए जोर-जोर से धक्का मार कर मुझे चोदे जा रही थी । आचानक स्वेता ने बहुत जोर से चीखी-अह्ह्हह्ह.?.. म्म्म्म्माआआ?? गूऊऊऊ??.. सीईउससेसेसे.. अह्ह्ह??.. हम्म? हम्म.अह्ह्ह्ह और मेरे पीठ से चिपक कर मेरे गांड मेँ पिचकारी छोड दी और झड गयी । मैँने अपनी गांड मेँ स्वेताजी की लंड से निकली गर्म वीर्य की तेज धार को महसुस कर रहा था । उसके बाद भी स्वेता ने अपनी लंड को अंदर तक पेल रखी थी और अपनी उभरी गांड को हवा मेँ उछाल रही थी । स्वेता ने उसी तरह से मेरे पीठ पर स्तनोँ को दबायी हुई चिपकी रही ।
स्वेताजी को जबरदस्त ख़ुशी हुयी थी, उन्हेँ पुरा आनद मिल गयी थी । व मेरे पीठ पर लेट गयी, स्वेता की लंड अभी भी मेरी गांड में थी । मैं प्यार से उनकी मांसल गांड पर हाथ फिराने लगा । करेब 10 मिनट बाद हम उठे स्वेता बहुत खुश थी, मुझे बहुत चुमे जा रही थी । बहुत प्यार किया, मुझे भी उनपर बहुत प्यार आया खेर फिर हम बाथरूम गए और अपने-अपने लंड साफ किए । बाथरुम से आकर मैंने कपडे पहनके निकलने को तैयार था, स्वेता अब साडी पहन चुकी थी व मेरे सीने चिपक गयी और मुझे चुमते हुए बोली- “फिर कब आओगे कैलाश! मैँ तुम्हारा इंतजार हर पल करुंगी । तुमने तो मुझे जन्नत की सैर करा
दी ! और मुझे क्या चाहिए था ।”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
तो मैँने कहा- “स्वेताजी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं, आप जब चाहे बुला लेना, मैँ हाजिर हो जाउंगा।” कहते के साथ मैंने स्वेताजी से जाने की इजाजत मांगी और बाहर आ गया । उसके दो दिन बाद फिर स्वेताजी की फोन आया, कहने लगी-
“कैलाश कब आ रहे हो ?”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मैंने कहा- “स्वेता जी, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊंगा, बोलिए कब जाना है ।”
“कैलाश, ऐसा नहीँ हो सकता ! तुम दोनोँ यहां आ जाओ, साथ मेँ मजे लेँगे ।”
सॉरी दस्तोँ, मैँने आप लगोँ को बताना भुल गया कि मैँ एक शादीशुदा आदमी हुं और एक सुन्दर सी सेक्सी पत्नी है मेरी । उसकी उम्र 32 साल होगी और मेरा 35 । मैँ दो बच्चोँ का बाप भी हुं ।दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरी पत्नी का नाम सुहाना है । बहुत गठीला और भरा हुआ बदन है उसका । उसकी सबसे सेक्सी अंग थी उसकी चौडी गांड जिसकी थिरक देख कर किसी भी मर्द के लंड खडा हो जाएंगे । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
खैर जब स्वेताजी की बात मैँने उसे बताई तो व एकदम से आश्चर्य-चकित रह गई और उससे मिलने का मन बना लिया ।
और हमने अगले दिन रात को ठीक आठ बजे स्वेता की घर पहुंच कर बैल बजाई । स्वेता ने दरवाज़ा खोला और मेरे गले लग कर कहने लगी- “कैलाश, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो ! कहां हैँ तुम्हारे पत्नी कबसे बेताब हुं मिलने के लिए ।”
मैंने कहा- “सुहाना भी आपसे मिलने के लिए बैचेन है । आपको देखने के लिए बडी उत्सुक हुई जा रही है ।”
और फिर मैँने दोनोँ को मिला दिया । स्वेता ने सुहाना को गले लगा कर चुम लिया और हमेँ अंदर ले गयी । अपनी दोनोँ बच्चोँ से हमेँ मिलाते हुए स्वेता बोली- “बेटा, ये हैँ कैलाश अंकल और ये हैँ सुहाना आंटी । ये मेरे ही ऑफिस मेँ काम करते हैँ और आज रात यहीँ रहेंगे ।” बच्चे हमसे मिल कर बहुत खुश हुए । एक घंटे मैँने बच्चोँ के साथ गप्पे लडाता रहा, इसी बिच स्वेता और सुहाना ने मिल कर खाना तैयार कर लिया । फिर सबने एक साथ खाना खाया । खाना खत्म करके बच्चे अपने कमरे मेँ सोने चले गए । स्वेता ने नीचे गेस्ट रुम मेँ हमारा बिस्तर लगा दी । मुझे और बर्दास्त नहीँ हो रहा था । सुहाना स्वेता के साथ काम निबटा रही थी । मैँने अकेले दोनोँ का इंतजार करने लगा । आधे घंटे बाद दोनोँ कमरे मेँ आ गए तो मैँने स्वेता से पुछा-
“स्वेताजी, बच्चे सो गए क्या ?”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
स्वेता ने थोडी सी मुस्कराई और अलमारी से एक विस्की का बोतल निकालती हुई बोली-
“वे तो कब के से चुके हैँ, अब हम अपना काम आराम से कर सकते हैँ ।”
फिर स्वेता ने तीन पैग विस्की के बनाये, हम सबने आपस में चियर्स किया, अपने-अपने पैग खत्म किये, एक दूसरे के गले लगे । उसके बाद स्वेता ने तीन और पैग बनाये और पैग खत्म करने के बाद हम तीनों ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया । एक गहरी सांस लेकर हमने अपने-अपने मुंह ऐसे घुमाये कि सबके होंठ सट गए । हम एक दूसरे के होंठों को चुमने लगे । फिर स्वेता ने सुहाना को अपनी बाहों मे कस लिया और उसकी होंठों को बेतहाशा चुसने में लग गई ।
मैँने खुद को दोनोँ से अलग कर दिया । मेरे बदन में सेक्स का नशा छाने लगा था । मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक औरत भी दुसरी औरत को इस तरह मज़ा दे सकती है ।दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अब स्वेता का हाथ सुहाना की ब्लाउज़ पर पहुंच चुका था और उसने एक सैकेंड में सारे हुक खोल डाले और चुचियोँ को सहलाने लगी । सुहाना की स्तन काफी बड़े और दूध की तरह गोरे थे । फिर स्वेता अपनी जीभ से सुहाना की चुचेँ चाटना शुरू कर दिया । साथ ही दुसरे स्तन को हाथ से मसलती जा रही थी । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
ये देख कर मेरी उत्तेजना लंड तक पहुंचने लगा था । फिर स्वेता ने अपना साडी और ब्रा उतार फैंके । उसके स्तन भी भरे पुरे थे और चुचियां तनी हुईं थीं । स्वेता ने अपनी चुचियां सुहाना की छातियों से सटा दी और फिर अपने होंठ उसकी होंठों से सटा दिये । दोनोँ की चुचियां आपस मेँ टकरा रही थी और दोनोँ एक दूसरे से चिपक कर बेतहाशा किस करने लगे ।
दोनोँ औरतोँ की मस्ती देख कर मेरा सारा बदन मस्ती में डुबता जा रहा था । फिर स्वेता ने मेरी पत्नी का हाथ अपनी स्तन पर रख लिया और बोली- “प्लीज़, दबाओ न इन्हेँ ।दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
सुहाना उसके स्तनोँ को मसलने और दबाने लगी । स्वेता भी आंखे बंद करके मिंजवाने का मज़ा लेने लगी । फिर सुहाना ने उसकी निप्पल अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी ।
सच बताऊं, दोनोँ की चुमा-चाटी देख कर मुझे बहुत मज़ा आने लगा था और अपना लंड निकाल कर सहलाने लगा ।
काफी देर तक वे दोनों एक दुसरे के चुचियां चुसते रहे । कुछ देर बाद स्वेता ने सुहाना को पलंग पर लिटा दिया और उसकी साडी, पेटिकोट खोल डाली और पैंटी भी खोल कर उसे पुरा नंगा कर दिया । मेरी पत्नी थोड़ी शरमा रही थी और अपने हाथ अपनी टांगों के बीच चूत पर रख लिये ।दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
स्वेता बोली- “मत शर्माओ सुहाना, मैं भी अपनी सारी कपड़े उतार देती हुं ।”
कहने के साथ उसने भी अपनी पेटीकोट, पैंटी नीचे करके उतार दी और बिल्कुल नंगी हो गई । पैँटी के निचे सरकाते ही स्वेता की 8 इंच का आधा तना लंड बाहर आ गया । सुहाना बडी देर से इसी पल के इंतजार मेँ थी, कितना बडा लंड ! उसने लंड को मुठ्ठी मेँ भर ली और मेरी तरफ देख कर दोनोँ लंडोँ की तुलना करने लगी । महिलाओँ की भी लंड उगती है ? ये आज मेरी पत्नी पहली बार देख रही थी । मेरा लंड स्वेता की लंड से 3 इंच छोटा था । स्वेता की लंड लम्बा तो था ही साथ मेँ मोटा भी उतना ही था । सुहाना स्वेता की लंड के साथ पुरे अंडकोष पर हाथ फिराते हुए उसकी तरफ देखी तो स्वेता मुस्करा दी और बोली-“कैसी लगी मेरी लंड ! अब चाटो इसे ।”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
तभी मैँने भी अपना सारा कपडा उतार दिया और स्वेता की बगल मेँ लेट गया । उसकी एक तरफ मेरी पत्नी थी और दुसरी तरफ मैँ । सुहाना ने स्वेता की लंड को मुठ्ठी मेँ लेकर उपर-निचे करने लगी और एक स्तन को चुमने लगी । मैँने भी स्वेता की बड-बडे अंडोँ को सहलाने लगा और दुसरी स्तन को मुंह मेँ लेकर चाटने लगा ।
स्वेता अब मस्ती मेँ आंखेँ बंद कर के हम दोनोँ के सर को चुचियोँ पर दबाते हुए अपनी भारी गांड उचकाने लगी । फिर सुहाना ने स्तन छोडी और नीचे जाकर स्वेता की मोटी जांघोँ को फैला कर तनी हुई लंड को मुंह मेँ भर कर चुसने लगी । पुरी लंड को जड तक चाटते हुए चुसने लगी । फिर कुछ देर स्वेता की लंड चाटने के बाद सुहाना ने लंड को मुठियाते हुए उसकी विशाल अंडकोष मुंह मेँ भर कर चुसने लगी तो उससे रहा नहीँ गया और उसने सुहाना की बालोँ को पकड के सर को अपनी लंड पर दबाने लगी और गांड हवा मेँ उछालने लगी ।दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मस्ती मेँ स्वेता की मुंह से सिसकारीयां निकलने लगी । तभी मैँने स्वेता की उरोजोँ को छोड कर उसकी होँठोँ को चुसने लगा । सुहाना अब स्वेता की गांड के छेद पर जीभ चलाने लगी और लंड को जोर-जोर से मुठियाने लगी । तभी मैंने स्वेता की लाल सुपाडी पर जीभ चलाना शुरु कर दिया । अब स्वेता की हालत और खराब हो गई और व उत्तेजना के मारे कांपने लगी ।
कुछ देर तक ये चटाई का सिलसिला चलता रहा और फिर स्वेता ने उठ कर मेरी पत्नी के जांघोँ को फैला कर बुर के सामने बैठ गई । सुहाना की गोरेपन के कारण उसकी बुर बहुत सुंदर थी, हल्के-हल्के झांट उगे थे । उसकी बुर की दोनों फांकें उभरी पर सटी हुई थीं । स्वेता हल्के-हल्के मेरी पत्नी की चुत को सहलाने लगी और फिर उसने बुर की दोनों फांकों को हल्के से फैला दिया । अंदर से सुहाना की चुत बिल्कुल गुलाबी थी ।
ऊपर बुर का दाना और नीचे टाइट छेद देख कर स्वेता बोली- “हाय, क्या मस्त माल है तुम्हारी सुहाना ! चोदने मेँ मजा आ जाएगा ।”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
स्वेता ने मेरी पत्नी की बुर को चुम लिया फिर धीरे से अपनी जीभ से बुर के दाने को चाटने लगी । सुहाना को तो करेंट जैसा लगा और आंखें बंद करके बुर में हो रही सिहरनों का आनन्द लेने लगी ।
कुछ देर तक स्वेता सुहाना की बुर के छेद को चाटने के बाद जीभ को बुर मेँ थोड़ा अंदर घुसा दिया और अंदर-बाहर करने लगी । साथ ही साथ स्वेता अपनी लंड भी मुठिया रही थी और मैँ उसकी चुचियों को सहला रहा था ।
कुछ देर बाद स्वेता ने सुहाना की गांड में उंगली डाल दी और धीरे धीरे अंदर-बाहर करते हुए उसकी बुर के गुलाबी छेद को चाटने लगी । सुहाना ने भी अपनी गांड और बुर में हो रही फीलिंग का मज़ा लेने लगी ।
अब मैँने नीचे जाकर स्वेता की लंड को होठों मेँ भर के चुसने लगा और साथ ही अपनी दो उंगलियां उसकी गांड के छेद में घुसेड़ कर तेजी से अंदर-बाहर करने लगा । स्वेता अब अपने भारी चुतड़ उठा-उठा कर धक्का मारना शुरू कर दिया । स्वेता की लंड झनझनाने लगी और उसकी मुंह से आहें निकलने लगी । मेरी पत्नी के मुंह से सिसकियां निकल रही थी । सुहाना बिल्कुल गरम हो चुकी थी और बोली-“अब बस स्वेताजी! इस बुर की आग बुझा दो ।
फिर स्वेता अपनी लंड को मेरे मुंह से निकाल कर मुझे अपने से अलग किया ओर सुहाना की जांघोँ के बिच लंड पकड कर बैठ गई । मेरी पत्नी की बुर के लाल दरार पर लंड रगडते हुए स्वेता बोली-
“ले रंडी, चुदवा ले मुझसे ! आज तो मैँ तुम्हारी बुर फाड दुंगी ।”दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
स्वेता की मुंह से ऐसी गंदी बातेँ सुन कर मैँ वासना के रस मेँ डुब गया । अब हम तीनोँ पर शराब का नशा चढने लगा था ।
सुहाना की बुर गीली हो चुकी थी, मैँने पिछे से जा कर स्वेता की भारी गांड के दरार पर हाथ फेरते हुए उसकी विशाल लंड को मेरी पत्नी की बुर के छेद मेँ भिडा दिया । स्वेता ने सर घुमा कर मुझे चुम लिया और गांड उछाल कर एक ऐसा धक्का मारी की एक ही बार मेँ उसकी 9 इंच की लंड पुरी अंदर पहुंच गई । सुहाना दर्द से चीख पडी । फिर निता सुहाना के उपर झुक गई और उसकी होँठोँ को चुमते हुए धीरे-धीरे उसकी बुर मेँ लंड पेलने लगी । सुहाना दोनोँ पैर स्वेता की कमर मेँ लपेट ली । स्वेता अपनी गांड जोर-जोर से हिला कर आगे-पिछे होने लगी और सुहाना को चोदने मेँ लग गई ।
मैँने स्वेता की उछलती हुई मस्त गांड को एक हाथ से सहला कर मेरी पत्नी की बुर चोदने मेँ उसकी उत्साह बढा रहा था । बडा मजा आ रहा था मुझे, अपनी पत्नी को एक दुसरी औरत की मूषल लंड से चुदवाते हुए देख कर ।
सुहाना की मुंह के सामने स्वेता की दुध लटक रही थी जिनको व मुंह मेँ भर कर चुसने मेँ लग गई । स्वेता मस्ती मेँ तडप उठी और बहुत जोर-जोर धक्के लगाते हुए मेरी पत्नी को चोदने लगी ।
स्वेता एक माहिर खिलाड़ी लग रही थी । उसकी चोदाई देखते हुए मैँने अपना लंड मुठिया रहा था । वैसे तो स्वेता एक औरत ही थी, पर बिल्कुल मर्द की तरह मेरी पत्नी की बुर चोद रही थी । सुहाना भी नीचे से अपनी गांड उछालती हुई स्वेता का पुरा साथ दे रही थी ।
काफी देर तक चुदाई के बाद मेरी पत्नी अपनी चरम सुहाना पर पहुंच गई और उसकी मुंह से सिसकारीयां निकलने लगी । स्वेता भी एक हाथ से सुहाना की सर को अपने दुध पर दबाते हुए पागलोँ की तरह उसे चोदे जा रही थी । पुरा कमरा दोनोँ के चुडियां और पायल से निकले आवाजोँ से गुंज रहा था ।
स्वेता गच-गच अपनी लंड सुहाना की बुर मेँ अंदर-बाहर करते हुए चोद रही थी । अब तो स्वेता की मस्ती आसमान तक पहुंच चुकी थी । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
अचानक स्वेता ने अपनी रफ्तार बढा दी, उसने मस्ती मेँ बडबडाने लगी और जोर से- “आआआ….ईईई…..इअआ आआई…. करते हुए अपनी भारी गांड हवा मेँ उपर किए और हिचकोले मारते हुए लंड को बुर मेँ जड तक पेल कर झडने लगी । सुहाना भी कराहते के साथ झड गई । दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
थकान के कारण दोनोँ एक दुसरे से लिपट कर पडे रहे । अभी तक स्वेता की लंड सुहाना की बुर के अंदर ही था । मैँने स्वेता की गांड की तरफ आया, अभी भी सुहाना ने दोनोँ पैर स्वेता के कमर पर लपेटे रखा था ।
मैँने स्वेता की उभरी चुतड को फैला कर भुरे रंग के छेद को चाटना चाहा तो उसने बुर से अपनी लंड निकाल ली । पुरा लंड वीर्य और बुर रस से तर गया था । फिर मैँने गांड को चुसते हुए स्वेता की लंड को पिछे से मुंह मेँ भर कर चाटने लगा । जब स्वेता ने देखा की सुहाना की बुर से उसकी लंड से निकले गाढा वीर्य टपक रहा है, झट से उसने सुहाना बुर को अपने मुंह के पास खींच लाई और बुर से टपक रहे रस को चाट-चाट कर खाने लगी । चटाई खत्म करके स्वेता एक और लेट गई ।
फिर मैँने अपना लंड सुहाना की मुंह में डाल दिया, व उसे चुसने लगी । अब मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया । मैँने सुहाना को लिटाया और उसकी बुर पे अपना लंड रख दिया, सुहाना की मुंह से आवाज़ आ रही थी- “ओह्ह..कैलाशतुम भी चोद दो अभी!”
मैँने अपना लंड पुरा का पुरा उसकी बुर में डाल दिया और जोर से चोदने लगा । अब स्वेता ने भी उठ कर अपना लंड मेरी पत्नी के मुंह में डाल दिया । अब सुहाना दो-दो लंड खा रही थी । कुछ देर बाद स्वेता की लंड फिर से चोदाई के लिए तैयार हो गया । अब स्वेता ने मेरी पत्नी को ऊपर आने को बोली । अब सुहाना मेरे ऊपर आ गई । उसने मेरी लंड पर अपनी बुर रखा और ऊपर से पुरा लंड अपनी बुर मेँ अंदर ले गई । मैँने उसके दूध को दबाने लगा । सुहाना अपनी मांसल गांड हिला-हिला कर उपर से चुद रही थी ।
स्वेता अपनी लंड मेरे पत्नी की गांड में रगड़ने लगी । सुहाना की गांड बड़ी टाईट थी इसलिए स्वेता की लंड अन्दर नहीं जा रहा था । फिर स्वेता ने उठ कर टेबल से एक कंडोम और ऑलीव तेल ले आई । फिर स्वेता ने अपनी लंड पर कंडोम चढा कर तेल लगा ली । अब स्वेता अपनी लंड को गांड के छेद मेँ रगडने लगी, सुहाना अपनी मस्त गांड को हिला-हिला कर उसका साथ दे रही थी और नीचे से मैँ उसे चोद रहा था । अब स्वेता ने फिर से अपनी लंड डालने की कोशिश की । अब उसकी आधी लंड मेरी पत्नी की गांड के अंदर चला गया । मेरी पत्नी सिसकियां ले रही थी । अब स्वेता अपनी लंड से उसकी गांड मार रही थी, उसे भी मज़ा आ रही थी, मस्त गांड जो मिली थी उसे !
स्वेता ने उपर से इतनी जोरोँ से धक्के लगाए जा रही थी कि मुझे लगने लगा, स्वेता औरत नहीं बल्कि कोई मर्द है जो अपनी लंड से मेरी पत्नी की गांड चोद रही है ।
हम तीनोँ पर अजीब सा जुनुन सवार था । स्वेता और मेँ एक ही साथ सुहाना की बुर और गांड मेँ चोदाई कर रहे थे । सुहाना भी मस्ती मेँ कराहने लगी थी । हम सुहाना की दोनोँ छेद का आनन्द ले रहे थ ।
काफी देर इस तरह चोदाई के बाद स्वेता चरम सुहाना पर पहुंच गई, उसकी मुंह से सिसकारीयां निकलने लगीं और व सुहाना की गांड मेँ ही झड गाई । फिर स्वेता ने गांड से अपनी लंड निकाली और कंडोम निकाल कर लंड को मेरी पत्नी के मुंह में डाल दिया । कुछ ही देर में मैँने भी अपना सार वीर्य सुहाना के बुर में डाल दिया और झड गया ।
रात के दो बज चुके थे । थकान के कारण हम नंगे ही साथ सो गए । सुबह को मैँ जल्दी उठ गया, देखा स्वेता और सुहाना अभी तक सो रहीँ थी । मैँने दोनोँ औरतोँ के नंगे जिस्म को निहारने लगा । कितनी सेक्सी और भरी हुई थी दोनों की शरीर, किसी भी मर्द को पागल बना सकती हैं दोनों । पर एक औरत की बुर थी और दूसरी की एक विशाल लंड । बिल्कुल मर्द जैसा लंड । पुरी तरह से मर्द के लंड जैसा ही चोदने में सक्ष्यम ।
कितनी अजीब जिँदगी थी स्वेता की, स्त्री के शरीर पर लंड लिए जी रही है । मर्द के बराबर उसकी लंड चोदने मेँ माहिर था । मैँने अपने लंड पर नजर गडाया । कितना फर्क था, मेरा लंड अब 4 इंच का हो चुका था जबकी स्वेता की लंड नॉर्मल मेँ ही 7 इंच का था लम्बा और मोटा । मैँने धीरे से उसकी लंड को मुठ्ठी मेँ भरा, लाल सुपाडा अभी तक बाहर था । और मैँने लंड को थोडा निचोड कर सुपाडा अंदर करने लगा तो व जाग गई और बोली- “क्या कर रहे होकैलाश! अभी सुबह हो चुकी है ।”
फिर उसने घडी देखा तो उछरती हुई बिस्तर से उठ खडी हुई और बोली- “अभी मुझे जाना चाहिए, नहीँ तो बच्चे उठ कर मुझे ढुंडते हुए यहां आ जाएंगे ।” दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर उसने मुस्कराती हुई मेरी पत्नी की गांड को सहलायी और कपडे समेट कर नंगे ही अपने कमरे चली गई । जाती हुई स्वेता की लंड और चौडी गांड की थिरक देख कर मेरा लंड फिर से तनने लगा । उसके जाते ही सुहाना ने दरवाज़ा बंद करके अपनी बुर सहलाई । व बड़ी खुश लग रही थी और हो भी क्यों नहीं, उसे दो-दो लंड से मजा जो मिले थे ।
सुबह के छे बजे हम लोग स्वेता और उसके बच्चोँ से विदा ली और घर के लिए रवाना हुए ।
समाप्त ।