प्रेषक: रधु यादव
प्यारे दोस्तों,मैं रधु यादव यू. पी. का रहने वाला हूँ और खासकर निरहू के नाम से जाना जाता हूँ | दोस्तों यह कहानी में किसी और की नहीं बल्कि अपने ही जिगरी यार की माँ के बारे में लिखकर आप सब के साथ बाँट रहा हूँ | मेरे उस दोस्त का नाम रमेश (बदला हुवा नाम ) था और अक्सर मेरा और उसका एक दूसरे के घर में आना – जाना चला रहता था | मैंने कभी ज्यदा – बुरी नज़र से तो देखा नही पर मुझे इतना पता था की उसकी माँ बहुत सेक्सी लगती और जब भी उसके माँ मेरे सामने झुककर बोछा लगाती थी तो बस उसके चुचे ही देखता रह जाता था | उसकी मम्मी भी मुझे ज़बरदस्ती चिपक – चिपक कर लाड दिखाया करती थी | जिससे मेरा सीधा – साधा सा लंड और तनकर गोपाल बन जाया करता था | अब धीरे – धीरे कहानी आगे बढ़ने लगी और उसकी मुम्मी मुझे अकेले में मेरी छाती को छु लिया करती और कभी बोलते बोलते मेरे कन्धों को भींचने लग जाती |एक दिन मैं रधु के घर गया तो पता चला की सुबह ही किसी काम से वो घर से बहार निकल चूका था | तभी रधु की मम्मी ने मुझे घर के अंदर बुलाया और बैठा लिया | उसकी मम्मी ने नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उनके चुचों के बीच का गलियारा साफ़ दिखाई पड़ रहा था | मेरी नज़र उन गोरे – गोरे चुचों के उप्पर से हट ही नहीं रही थी | तभी आंटी किसी ना किसी बात को बनाती हुई मुझे अंदर कमरे में लाकर बात करने लगी | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कुछ पल में मुझसे आंटी बातें करती हुई पीछे को हठी और एक पल में अपनी नाइटी को उतार दिया और मैंने देखा की आंटी अब ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी | तभी मैंने चौंक कर कहा,मैं – यह कर रही हो . ?आंटी – बेटा कपडे बदल रहे हूँ . .मैं सबसे समझने लगा थी आंटी ने फिर बोला,आंटी – बेटा मेरी मदद नहीं करवाओगे . . ?मेरा सारा सब्र का बाँध टूट चूका था और मैं फ़ौरन खड़ा हुआ और आंटी के ब्रा को खोल आंटी के मोटे – मोटे चुचों को अपने मुंह में भर के चूसने लगा और आंटी नीचे से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड के मसलने लगी | मैंने पीछे से आंटी के चूतडों को भी मसल रहा था जिससे अब धीरे – धीरे अंटी बेकाबू हो रही थी उसके चूतडों को भी मसलने लगा | अब आंटी नीचे को झुकी और थूक लगाकर मस्त में मेरे लंड की खिंचाई कर रही थी | जब मैं भी अछे से गरमा गया तो मैंने आंटी को वहीँ बिस्तर पर लिटाया और आंटी की पैंटी को बड़ी जल्दी से उतार उनकी चुत में ३ उँगलियाँ मस्त में चलाने लगा | कुछ देर बाद ही मैंने रधु की माँ की जाँघों को फैलाया और चुत को चाटने लगा और अपनी जीभ को उसकी गुलाबी चुत में देने लगा जिससे आंटी सिसकियाँ लेती हुई अपनी चुत को रगड़ने लगी |कुछ ही देर बाद मैंने अपने लंड को निकाला और अपने लंड के सुपाडे को आंटी की चुत में देता हुआ रफ़्तार बढा दी जिस्पर आंटी भी हल्की – हल्किक सिस्कारियां लेती हुई मुझे सहयोग करने लगी | अब मैंने आंटी टांगों को चौड़ाते हुए उनके उप्पर अपना लंड को चुत में डाले हुए लगभग कूद – कूद के चुदम चुदाई कर रहा था | जिससे कुछ ही देर में आंटी का पारा इतना चढ गया की वो मुझे गाली बकती हुई चोदने को कहने लगी और इसी दौरान मेरा लंड भी पछाक से आंटी की चुत में झड गया | मैं कहाँ मानने वाला था और कुछ देर बाद आंटी के चुचों को चूसते हुए मैं वहीँ लेट गया और अगली चुदाई मैंने आंटी को घोड़ी बनाते हुए लगभग ५० मिनट की लगातार की | फिर क्या था, आज तक मैं रधु की माँ को चोदता आ रहा हूँ और रधु को इस कांड के बारे में तनिक भी भनक नहीं है | आप लोग मुझे अपना सुझाव ईमेल कर सकते है :[email protected] और दोस्तों अगर ईमेल ना कर सके तो एक कमेंट जरुर करना |