कुवारी अरुचि की चुदाई का सुख

प्रेषक: अभिजित

दोस्तो, मेरा नाम अभिजित है और मैं मुंबई में रहता हूँ, शादीशुदा हूँ, बाल बच्चेदार दूँ, पत्नी भी भरपूर सुख देती है।
मगर इंसान की फितरत होती है कि उसे जितना भी मिलता है थोड़ा ही लगता है और सेक्स के मामले में तो मर्दों की भूख कभी भी शांत नहीं होती है। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूँ, अच्छी ख़ासी सुंदर बीवी के होते हुये भी मैंने इधर उधर बहुत मुँह मारा है। जिनमे मेरे दफ्तर की सहकर्मी, काम वाली बाई, मतलब किसी को नहीं बख्शा, जो मेरी लच्छेदार बातों के जाल में आ गई, मैंने उसे ठोक कर ही दम लिया। वैसे तो मैं अपने रिश्तेदारों के घर बहुत ही कम जाता हूँ, क्योंकि वहाँ जाकर मुझे अपनी ही रिश्तेदारी में नई नई चूतें, अलग साइज़ की गाँड और बोबे दिखते हैं तो मेरा लंड मचलने लगता है।
मगर पिछले साल मुझे अपनी बड़ी साली के घर नाशिक जाने का मौका मिला। जब मैं उनके घर गया, सब से मिला तो मेरी साली की बेटी अरुचि भी मुझसे मिली, ‘नमस्ते मौसा जी’ कह कर चली गई।
कोई 20-21 साल की पतली दुबली सी लड़की, साधारण सा चेहरा मोहरा, कद मुश्किल से 5 फीट 1 या 2 इंच। उसने काले रंग की टाईट टी शर्ट और नीचे से जीन्स की मिनी स्कर्ट पहन रखी थी।
और मिडल क्लास फ़ैमिली की लड़की अब मिनी स्कर्ट में अपनी टाँगें तो दिखा नहीं सकती तो टाँगों को ढकने के लिए उसने स्कर्ट के नीचे से एक काली स्लेक्स पहन रखी थी।
अब अपनी तरफ से तो उसने सब ढक कर अपना मिनी स्कर्ट पहनने का शौक पूरा किया था, मगर मेरे जैसे बदमाश बंदे ने तो इसी में बहुत कुछ देख लिया।
स्किन टाईट स्लेक्स होने के कारण मुझे पता चल गया कि उसकी टाँगें और जांघें कितनी मोटी हैं।
टाईट टी शर्ट ने बता दिया के उसका पेट कितना सपाट है और बूब्स का साइज़ क्या है।
और जब मुझे नमस्ते कह कर वो वापिस गई, तो उसकी मस्तानी चाल ने उसके चूतड़ों का साइज़ और मटक दिखा दी। जब वो जा रही थी तो मैंयही सोच रहा था कि अगर इसके स्कर्ट के नीचे ये काली स्लेक्स न पहनी होती तो इसकी नंगी टाँगें कितनी खूबसूरत लगती, और अगर स्कर्ट ही न पहनी होती काली स्लेक्स में से इसके छोटे छोटे चूतड़, हिलते हुये मटकते हुये कितने प्यारे लगते। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
खैर मैंने उसे देखा भी बहुत अरसे बाद था, शायद 5-6 साल बाद। इस दौरान वो ज़्यादा लंबी या तगड़ी तो नहीं हुई, मगर उसके कूल्हों और बूब्स का साइज़ ज़रूर बढ़ गया था। मगर लगती अब भी वो छोटी सी ही थी, क्योंकि दुबला जिस्म और छोटा कद उसको छोटा ही दिखा रहा था।
मैं भी सोच रहा था, कॉलेज में पढ़ती है, बॉय फ्रेंड होगा इसका या नहीं? अगर होगा तो इसने कुछ किया होगा या नहीं? चुदी हुई तो नहीं लगती है, अगर मुझसे चुद जाए तो मज़ा आ जाए ज़िंदगी का।
मगर यह तो संभव नहीं था, वो अपनी उम्र का लड़का छोड़ कर मुझ जैसे अंकल से क्यों चुदने आएगी भला।
मगर इन दिनों मैंने उसके जो कपड़े पहने देखे, कभी जीन्स-टी शर्ट, कभी कोई कैप्री या बरमूडा, जिसमें से मैंने उसकी घुटने से नीचे की नंगी टाँगें देखी, टाँगें भी पूरी तरह से वेक्स की हुई थी।
इसी से मैंने अंदाज़ा लगाया कि अगर इसने टाँगें वेक्स करी हैं तो बगल और चूत के बाल भी ज़रूर साफ किए होंगे।
बल्कि एक दिन वो बड़ी ढीली स्लीवलेस टी शर्ट पहन कर अपने कपड़े प्रैस कर रही थी, तो मैंने चोरी से देखा, के उसकी बगलों में एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल चिकनी बाहें और साफ बगलें।
यही नहीं, टी शर्ट के गले के अंदर से मैंने पहली बार उसके आज़ाद झूलते बूब्स भी देखे, मम्मे बढ़िया थे साली के… ओह सॉरी मेरी साली तो उसकी माँ है।
खैर, दो तीन दिन उनके घर रह कर मैंने अपने परिवार सहित अपने घर वापिस आ गया।
मगर उसका कुँवारा मदमाता यौवन मेरी आँखों में बस गया। घर आकर जब अपनी बीवी की ली तो मैंने अपनी आखें बंद करके अरुचि को चोदने का खयाल अपने मन में लिया।
दिन बीतते गए। करीब 6 महीने बाद बीवी ने बताया कि इस बार की गर्मियों की छुट्टियों में अरुचि हमारे घर कुछ दिन रहने के लिए आ रही है। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरी तो खुशी का कोई ठिकाना न रहा, मैंने सोचा कि अगर मैं उसे चोद नहीं सकता तो नंगी तो देखना ही देखना है।
इसी विचार के चलते मैंने अपने घर के दोनों बाथरूम के दरवाजों में जो कुंडियाँ लगी थी, उनमें इस हिसाब से सुराख कर दिये कि देखने को लगे के ये पेंच कसने के लिए सुराख किया होगा, बस पेच लगाना रह गया।
जिस दिन अरुचि हमारे घर आई, हम दोनों मियां बीवी ने उसे भरपूर प्यार दिया। मैंने तो उसे इतना लाड़ किया जैसे वो मेरी अपनी बेटी हो।
वो भी बहुत खुश थी।
जब वो आ कर मेरे गले लगी तो मैंने जानबूझ कर उसे अपनी आगोश में कस लिया, और उसके नर्म स्तनो को अपने पेट पर महसूस किया। ज़्यादा बड़े तो चूचे नहीं थे उसके, मगर गोल और सॉलिड थे।
जब रात को खाना बन रहा था, तो मैंने जान बूझ कर अरुचि से कहा- बेटी, अगर खाने से पहले नहाना है तो नहा लो।
वो मेरे दिमाग में चल रहे कुटिल विचार को समझे बिना अपने कपड़े उठाए और बाथरूम में चली गई।
मैंने पहले अपनी पत्नी को देखा कि वो रसोई में पूरी बिज़ी है, बेटा टीवी देखा रहा था, तो मैं चुपके से बाथरूम के दरवाजे के पास गया और मैंने सुराख से अपनी आँख लगा कर अंदर देखा।
शायद अरुचि सुराख से दूर थी, नहीं दिखी।
मैं थोड़ी देर और आहट लेकर देखता रहा।
करीब 2 मिनट बाद अरुचि सामने आई, मगर उसकी पीठ मेरी तरफ थी, गोरी पीठ पानी से भीगी हुई। पीठ के नीचे दो गोल एकदम गोल चूतड़।
सच में कुँवारे बदन के नज़ारे ने तो मेरे तन बदन में आग लगा दी, मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और मन ही मन बुदबुदाया- अरुचि मेरी जान, पीठ नहीं, पीठ नहीं, मुझे तेरे बोबे और तेरी चूत देखनी है, इधर को घूम मेरी जान, और अपने कुँवारे बदन का जलवा दिखा।
मगर वो तब नहीं घूमी।
जब उसने अपनी टाँगों पर तौलिया फेरा तब उसने मेरी तरफ घूम कर अपनी एक टांग बाल्टी पे रखी और अपनी टाँगों का पानी सुखाया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
‘उफ़्फ़…’ क्या गजब का नज़ारा था।
जितने उसके कपड़ों के ऊपर से दिखते थे, उसके बोबे तो उससे भी बड़े थे, गोल और खड़े, छोटे छोटे भूरे रंग के निप्पल।
नीचे सपाट पतला से पेट, कटावदार कमर, और कमर के नीचे बिल्कुल साफ, हल्के से बालों वाली छोटी सी चूत, जिसे मैं सारी उम्र चाट सकता था।
छोटी सी चूत की छोटी सी दरार, मगर बहुत ही चिकनी मगर दो मांसल जांघें।
सच उसकी जांघों को मैंने चाट चाट कर अपने थूक से भिगो देता।
और वो थी भी कितनी दूर मुझसे सिर्फ 6 से 7 फीट, मगर बीच में एक बंद दरवाजा, जो शायद मेरे लिए तो कभी नहीं खुले।
इतना सुंदर, कोमल और नाज़ुक जिस्म मैंने आज तक नहीं देखा था।
पजामे के अंदर ही मैं अपने लंड को सहलाने लगा।
अपने बदन को पोंछने के बाद उसने ब्रा पहनी गोल, कोमल, नाज़ुक स्तनों को उसने सफ़ेद रंग की ब्रा में छुपा दिया, फिर नीचे एक नीले रंग की कच्छी पहनी, उसके बाद एक ढीली सी टी शर्ट और लोअर पहना।
उसके बाहर आने से पहले ही मैं, उठा और आ कर अपने कमरे में बैठ कर लैपटाप पे कुछ काम करने लगा।
थोड़ी देर में अरुचि बुलाने आई- मौसा जी आ जाओ, खाना बन गया!
कह कर वो चली गई।
मैं उसे जाते देखता रहा, मगर मुझे तो वो सिर्फ सफ़ेद ब्रा और नीली कच्छी में अपने चूतड़ मटकती चली जाती दिख रही थी।
तभी दिमाग में कुछ आया और मैं झट से बाथरूम में घुस गया।
मैंने देखा कि बाथरूम में अरुचि के कपड़े टंगे हुये थे।, मैंने दरवाजा अच्छी तरह से बंद किया और उसके कपड़े अपने हाथों में लिए, उसकी ब्रा के कप मैंने अंदर से चाट गया ‘उफ़्फ़…’ इस जगह पर अरुचि के नाज़ुक नाज़ुक बूब्स लगते होंगे, यहाँ पे उसके छोटे छोटे निपल घिसते होंगे।
फिर पेंटी उठाई, उसको सूंघा, उसमें से शायद पेशाब की हल्की सी बू आई ‘आह, यह अरुचि की कुँवारी चूत से लगती होगी, यह जब वो पेशाब करके उठती होगी तो उसकी चूत में से टपकने वाली आखरी बूंदें इस चड्डी में लगती होंगी!’
और मैं उसकी उसकी चड्डी को भी सूंघते सूंघते चाट गया।
जहाँ पर उसकी छोटी छोटी चूतड़ियाँ लगती होंगी उस जगह से भी चड्डी चाटी।
मगर फिर भी मेरा मन नहीं भरा तो मैंने अपना लोअर नीचे किया और अपना लंड निकाल कर उसकी चड्डी और ब्रा पे घिसाया और यह फीलिंग लेने की कोशिश की कि मैं अरुचि के बूब्स पे और चूत पे अपना लंड घिसा रहा रहा हूँ।
मगर मेरे पास वक़्त ज़्यादा नहीं था।
उसके बाद मैं खाना खाने चला गया।
अगले दिन सुबह अरुचि मेरी बीवी के साथ बाज़ार चली गई, उन्हें मंदिर भी जाना था, मैं घर पर ही था।
उनके जाते ही मैं बाथरूम में गया, मगर बाथरूम में अरुचि का कोई कपड़ा नहीं था। मैंने अरुचि का बैग देखा, उसने अपने सब कपड़े उस में ही रखे थे।
मैंने बड़ी एहतियात से उसके कपड़ों की जांच की, साइड की एक जेब में मैंने उसके ब्रा पेंटी देखे, 3 ब्रा, दो सफ़ेद, एक पिंक।
पिंक ब्रा के स्ट्रप भी प्लास्टिक के थे।
मैंने उसके ब्रा और पेंटी निकाल के बेड पे रखे और खुद भी नंगा हो कर बेड पे लेट गया। कभी मैं अरुचि की ब्रा को चूमता, कभी उसकी पेंटी को, कभी उसके ब्रा पेंटी को अपने लंड और आँड पे घिसता!
जब इस सब से भी मन नहीं भरा तो तो आखिर में ऐसे ही अरुचि के ब्रा पेंटी को चूमते चाटते मैंने अपने हाथ से मुट्ठ मारी और अपने वीर्य की कुछ बूंदें मैंने अरुचि की ब्रा पेंटी में लगा दी, ताकि जब वो ये ब्रा पेंटी पहने तो मेरा वीर्य उसकी चूत और बोबों पर लग जाएगा। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मगर अब मेरा मन इस सब से नहीं भर रहा था।
मैं तो और चाहता था तो मैंने एक स्कीम बनाई और बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया। हम सब एक अपने शहर के पास छतबीड़ चिड़ियाघर को देखने गए, जहाँ बहुत चलना पड़ता था। चला चला के मैंने सब को थका दिया। शाम को जब घर वापिस आए तो सबकी हालत खस्ता थी।
खाना भी मैं बाहर से लाया, खाना खा कर हम सोने चले गए और सोने से पहले मैंने सब को एक एक गिलास गरम दूध पिलाया।
दूध में मैंने कुछ अपनी तरफ से मिला दिया था, एक तो थकावट और दूसरा मेरा बनाया मसालेदार दूध, पीने के थोड़ी देर बाद ही सब लुढ़क गए।
मगर मैंने इंतज़ार करना बेहतर समझा, करीब 12 बजे तक मैं टीवी देखता रहा, 12 बजे उठ कर मैं अपने बेडरूम में गया, जहाँ मेरी बीवी और अरुचि दोनों बेड पे सो रही थी।
नाईट लैम्प जल रहा था, मैं जाकर अरुचि के पास बैठ गया, वो सीधी लेटी हुई थी, मैंने सबसे पहले उसे जी भर कर देखा, कितनी मासूम, कितनी प्यारी।
फिर मैंने उसके सिर पे हाथ फेरा और अपना हाथ उसके गाल तक लाया।
बहुत ही कोमल गाल था।
गाल से मैं अपना हाथ फिरता हुआ नीचे ले गया। गले से होते हुए, उसके बोबों तक पहुँचा, अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बोबे पकड़े और धीरे से दबा के देखे, वो वैसे ही सोती रही।
मैं दबाव बढ़ता गया।
जब मैंने कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से उसके बोबे दबा दिये, या यूं कहो के निचोड़ ही डाले तब जाकर वो हिली।
मतलब वो बिल्कुल बेसुध पड़ी थी। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
इसी तरह मैंने अपनी बीवी के भी बोबे दबा कर उसे चेक किया, वो भी गहरे गोते लगा रही थी नींद में।
मैं उठ कर गया और दरवाजा अंदर से लॉक करके आया, फिर मैंने बड़ी लाईट जलाई, सारा कमरा रोशनी से भर गया।अब सबसे पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी बीवी और अरुचि के बीच जाकर लेट गया और अरुचि की तरफ मुँह कर के लेटा। बिल्कुल अरुचि के साथ सट कर, अपना लंड मैंने अरुचि की कमर के साईड से लगा दिया। फिर सबसे पहले उसका मुँह अपनी तरफ घुमाया और उसके चेहरे को चूमा।
‘जानती हो अरुचि, जब भी मैं तुम्हें देखता हूँ, मेरे मन में बहुत ख्याल आता है, तुमसे प्यार करने का, तुम्हें चूमने का, तुम्हें चाटने का, सच कहूँ, तो तुमसे सेक्स करने का। तुम्हारा यह 20 साल का बदन मेरे तन मन में आग लगा देता है। मेरी जाने मन आज एक मौका मुझे मिला है, जिसमे मैंने तुम्हें प्यार तो कर सकता हूँ, पर चोद नहीं सकता।’
‘और आज मैं तुम्हारे इस सेक्सी बदन की हर गोलाई, हर गहराई और हर एक कटाव को देखूंगा और प्यार करूंगा, और तुमसे यह उम्मीद करता हूँ कि तुम इसी तरह शांत लेटी रह कर मेरा साथ दोगी, लव यू माई स्वीटहार्ट!’कह कर मैंने अरुचि के होंठों को चूमा।
मगर उसके होंठ चूमना मुझे थोड़ा मुश्किल लगा तो मैंने उसके ऊपर ही आ गया और थोड़ा थोड़ा करके अपना वज़न उस पर डाल दिया। जब मैं उसके ऊपर लेट गया तो लगा जैसे उसे थोड़ी दिक्कत हो रही है, सांस लेने में, मैं समझ गया कि मेरा वज़न ज़्यादा है, तो मैंने सिर्फ उसके ऊपर अपने बदन को रखा, मग अपना सारा वज़न मैंने अपनी घुटनों और कोहनियों पे ले लिया।
उसके नर्म नर्म बोबे मेरे सीने से लग रहे थे और मेरा तना हुआ कडक लंड उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।
मैंने अरुचि का मुँह सीधा किया और उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए, धीरे से उनको चूसा और अपनी जीभ से चाटा।
‘वाह, क्या मज़ा है, एक कुँवारी लड़की के साथ चुपके चुपके चूमा चाटी करने में!’ मैंने मन में सोचा।
अपनी जीभ मैंने उसके बंद होंठों में घुमाई और उसके मुँह के अंदर डालने की कोशिश की मगर उसका मुँह बंद था, मैं सिर्फ उसके दाँत और जबड़े ही चाट गया। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
थोड़ी देर उसके मुँह, गाल, नाक, गले और और सारे चेहरे को मैंने बड़े प्यार से चूमा।
जैसे जैसे मुझे उसकी पुरानी बातें याद आ रही थी, वैसे वैसे मैं उसे चूम चाट कर प्यार कर रहा था, उसकी हर एक अदा और बात को याद करके मैं उसे प्यार कर रहा था।
जब चेहरे से प्यार कर लिया तो मैंने उसके बोबों की तरफ मुँह किया, मैं थोड़ा नीचे को खिसका, मैंने देखा मेरा लंड पूरी अकड़ में था। मैंने उठ कर पहले अरुचि की कमीज़ को ऊपर को उठाया। बेशक कमीज़ थोड़ी टाईट थी, मगर मैंने ऊपर उठा ही दी और गले तक उठा दी। नीचे उसने पिंक ब्रा पहना था, वही ब्रा जिसमें मैंने सुबह अपने वीर्य की कुछ बूंदें गिराई थी।
मैंने पहले उसकी ब्रा को ही हर तरफ से चूमा, चाटा, अपने हल्के हाथों से दबा कर देखा। वाह, कितने सॉफ्ट बोबे थे, बेहद मुलायम जैसे मखमल के बने हो।
दोनों बोबों को इकट्ठा करके मैंने अरुचि का क्लीवेज बनाया और उसमें अपनी जीभ डाल के चाटा।
चाट चाट के मैंने उसके क्लीवेज को अपने थूक से गीला कर दिया।
फिर मैंने नीचे हाथ डाल के उसके ब्रा का हुक खोला, हुक खोल कर उसके ब्रा को हटाया।
‘अरे… वाह…’ कितने शानदार बोबे थे उसके, ज़्यादा बड़े तो नहीं थे मगर थे बिल्कुल गोल, कटोरों जैसे।
और निप्पल हल्के भूरे से गुलाबी से, मैंने उसकी छोटी छोटी डोडियाँ अपने मुँह में लेकर चूसी।बेहद हल्का नमकीन सा स्वाद मेरे मुँह में आया।
पता नहीं उसके बदन का नमक था या फिर मेरे ही वीर्य का… पर बड़ा मज़ेदार लगा।
उसके पूरे बूब्स को मैंने बड़ी अच्छी तरह से चाटा, जैसे एक भी सेंटीमीटर मेरी जीभ के चाटने से बच न जाए।
बोबे चाटने के बाद मैं नीचे पेट आ गया, पेट को चाटा, कमर के आस पास भी अपनी जीभ फिराई, तो अरुचि कसमसाई, मतलब सोते हुये भी उसे गुदगुदी का एहसास हुआ था।
मैंने और देर न करते हुये, उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
नाड़ा खोल के मैंने उसकी सारी की सारी सलवार ही उतार दी और साइड ने रख दी। उसने पेंटी नहीं पहनी थी, तो सलवार के उतरते ही वो बिल्कुल नंगी हो गई, छोटी सी चूत मेरे सामने थी, गोल चिकनी जांघों के बीच में रखी, मैंने उसके घुटनों से लेकर उसकी जांघों तक अपने हाथों से सहलाया और फिर मुँह झुका कर उसकी चूत को चूमा।
उसकी चूत पे हल्के बाल थे, जैसे पिछले हफ्ते ही शेव की हो, और इतने छोटे बालों से मुझे कोई प्रोब्लम नहीं थी।
मैंने उसके घुटने मोड़े और उसकी टाँगें कमर से ऊपर को मोड़ दी और उसके पाँव मैंने अपने कंधों पे रख लिए।
मेरे लंड का टोपा उसकी कुँवारी चूत को छू रहा था।
मेरा दिल दिया अभी अपना लंड उसकी चूत में डाल दूँ। मगर यह मौका सही नहीं था, मैंने सिर्फ अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चूत के होंठों पे घिसाया।
घिसाते घिसाते लंड का टोपा उसकी चूत के सुराख पे लगा, मैंने कहा- जानती हो अरुचि, यह जो सुराख है न, इस सुराख में एक दिन तुम्हें मेरा यह लंड लेना है। आज सिर्फ अपनी चूत से मेरे इस लंड को चूम लो ताकि जब यह तुम्हारी चूत में घुसे तो तुम्हें दर्द न हो। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरा बहुत दिल कर रहा था लंड को उसकी चूत में डालने का मगर मैं चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकता था।
फिर मैंने कुछ और सोचा और नीचे झुक कर अपना मुँह अरुचि की चूत से लगा दिया और अपनी जीभ उसकी चूत के ऊपर और होंठों के अंदर से चाटी।
क्या मज़ेदार स्वाद था उसकी चूत का… और कितनी प्यारी सी गंध आ रही थी।
मैंने कितनी देर उसकी चूत चाटी, उसके बाद अपनी जीभ से उसकी गाँड और गाँड का छेद भी चाट कर देखा।
मेरी प्यास बढ़ती जा रही थी, मुझे अब किसी को चोदना था, मगर किस को चोदता।
मैंने अपना लंड अरुचि के पूरे बदन पे फिराया, उसके पाँव की उँगलियों से लेकर उसके माथे तक मैंने उसके बदन का हर एक कोना चाट लिया, मगर मेरे मन की प्यास नहीं बुझ रही थी।
मैंने एक बार फिर से अपना लंड अरुचि की चूत पे रखा और थोड़ा सा अंदर को धकेला, मगर वो अंदर नहीं जा रहा था।
‘हे भगवान, अब मैं क्या करूँ?’ मैंने सोचा।
मेरी तो हालत खराब होती जा रही थी। जब और कुछ नहीं सूझा तो मैंने अरुचि की दोनों टाँगे जोड़ीं और ठीक उसकी चूत के ऊपर अपना लंड रखा और ढेर सारा थूक लगा कर उसकी जांघों को ही धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया। जांघों में लंड की पकड़ ठीक से बन और चूतका सा ही आभास होने लगा।
मैं बार थूक लगाता रहा और उसकी जांघों में ही चुदाई करता रहा। करीब 7-8 मिनट की चुदाई के बाद मैं स्खलित हो गया, मेरा सारा वीर्य अरुचि के पेट और कमर पर फैल गया।
पानी छुट गया तो मुझे भी तसल्ली हो गई। दोस्तों आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
फिर मैंने अपने ही कच्छे के साथ साथ अरुचि का पेट और कमर वगैरह साफ की। उसके बाद उसे सलवार पहनाई, उसकी ब्रा का हुक लगाया, शर्ट नीचे के और उसे पहले की तरह ठीक ठाक किया।
उसके बाद अपने कमरे में जा कर लेट गया, थोड़ी देर में नींद आ गई, मैं सो गया।
उसके बाद अरुचि 2 दिन और हमारे घर में रही, मगर फिर कभी मौका नहीं मिला।
जब भी वो मेरे सामने आती, मैं यही सोचता कि इन होंठों को मैंने चूसा है, इन बोबों को पिया है, जब जीन्स या स्लेक्स में उसकी गोल गोल जांघें या चूतड़ देखता तो सोचता कि इनमें मैंने मेरा लंड फिराया है।
कभी कभी सोचता हूँ कि इंसान की ठर्क उसे कहाँ से कहाँ ले जाती है।
अब भी जब मुझे अरुचि मिलती है, मैं उसे बच्चों की तरह प्यार करता हूँ, पर साथ में ये ख्याल मेरे दिल में आता है कि मैंने इसके कुँवारे बदन के हर एक उभार और गोलाई को टटोल के देखा है, ठीक किया या गलत, यह तो पता नहीं पर मन को एक संतुष्टि है, चुदाई न सही, पर जो भी किया वो भी किसी चुदाई से कम नहीं था।
इस बात को दो साल हो चुके हैं, अरुचि और जवान और गदराई हो गई है, काश फिर कोई वैसा ही मौका मिल जाए तो इसके गदराए बदन को भी मैं प्यार कर सकूँ!

The Author

गुरु मस्तराम

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त मस्ताराम, मस्ताराम.नेट के सभी पाठकों को स्वागत करता हूँ . दोस्तो वैसे आप सब मेरे बारे में अच्छी तरह से जानते ही हैं मुझे सेक्सी कहानियाँ लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो तो अपने बहुमूल्य विचार देना ना भूलें



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