प्रेषक : शेखर
हेल्लो दोस्तों | मेरे नाम शेखर वैरांगने है और मैं नागपुर का रहने वाला हूँ | हमारे घर में एक नौकरानी है जिसका नाम मधुरिमा है | मधुरिमा को हमारे घर वाले गाँव से लाये थे | उसकी उम्र मेरे बराबर ही थी, और हम दोनों एक साथ ही जवान हुए थे |अब हम दोनों १९ साल के थे, और मधुरिमा का बदन एकदम खिल चूका था | उसकी चूचियां काफी बड़ी और चुतड एकदम मस्त हो गए थे | मैं भी जवान हो चूका था और दोस्तों से चुदाई के बारे में काफी जान चूका था, पर कभी किसी लड़की को चोदने का मौका नहीं मिला था | मधुरिमा हमेशा मेरे सामने रहती थी जिसके कारण मेरे मन में मधुरिमा की चुदाई के ख्याल आने लगे | जब भी वो झाड़ू- पोछा करती तो मैं चोरी- चोरी उसकी चुचियों को देखता था | हर रात मधुरिमा के बारे में ही सोच सोच कर मुठ मरता था | मैं हमेशा मधुरिमा को चोदने के बारे में सोचता था पर कभी न मौका मिला न हिम्मत हुई | एक बार मधुरिमा ३ महीनो के लिए अपने गाँव गयी, जब वो वापस आयी तो पता चला की उसकी शादी तय हो गयी थी | मैं तो मधुरिमा को देख कर दंग ही रह गया | हमेशा सलवार-कमीज़ पहनने वाली मधुरिमा अब साड़ी में थी | उसकी चूचियां पहले से ज्यादा बड़ी लग रही थी, शायद कसे हुए ब्लाउज के कारण या फिर सच में बड़ी हो गयी थी |उसके चुतड पहले से ज्यादा मज़ेदार दिख रहे थे, और मधुरिमा की चल के साथ बहुत मटकते थे | आप यह कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मधुरिमा जब से वापस आयी थी उसका मेरे प्रति नजरिया ही बदल गया था | अब वो मेरे आसपास ज्यादा मंडराती थी | झाड़ू-पोछा करने समय कुछ ज्यादा ही चूचियां झलकती थी | मैं भी मज़े ले रहा था , पर मेरे लंड बहुत परेशान था, उसे तो मधुरिमा की बूर चाहिए थी | मैं बस मौके की तलाश में रहने लगा | कुछ दिनों के बाद मेरे मम्मी-पापा को किसी रिश्तेदार की शादी में जाना था, एक हफ्ते के लिए | अब एक हफ्ते मैं और मधुरिमा घर में अकेले थे | हमारे घर वालो को हम पर कभी कोई शक नहीं था, उन्हें लगता था की हम दोनों के बिच में ऐसा कुछ कभी नहीं हो सकता | इसलिए वोह निश्चिंत होकर शादी में चले गए |
जब मैं दोपहर को कॉलेज से वापस आया तो देखा की मधुरिमा किचन में थी | उसने केवल पेटीकोट और ब्लाउज पहना था | उसदिन गर्मी बहुत ज्यादा थी और मधुरिमा से गर्मी शायद बर्दास्त नहीं हो रही थी | मधुरिमा की गोरी कमर और मस्त चूतड़ों को देख कर मेरे लंड झटके देने लगा | मैं ड्राविंग रूम में जाकर बैठ गया और मधुरिमा को खाना लाने को कहा | जब मधुरिमा खाना ले कर आयी तो मैंने देखा की उसने गहरे गले का ब्लाउज पहना है जिसमे उसकी आधी चूचियां बाहर दिख रही थी | उसकी गोरी गोरी चुचियों को देख कर मेरा लंड और भी कड़ा हो गया और मेरे पैंट में तम्बू बन गया | मैं खाना खाने लगा और मधुरिमा मेरे सामने सोफे पे बैठ गयी |
कहानी जारी है …. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ..