दोस्तों मेरी पिछली कहानी ” चुदक्कड भाभी की चिकनी चूत की प्यास ” में मैंने आप लोगो को बताया था की मेरी अगली कहानी में आप लोगो को निशा की पहली चुदाई के बारे में बताऊंगा आपलोगों के ढेर सारे कमेंट मिले मै और निशा भाभी दोनों आप लोगो के कमेंट पढ़ के काफी खुश हुए तो मैंने सोचा की अपनी प्रोमिस के हिसाब से ये कहानी भी लिखना पड़ेगा तो लीजिये पेश है निशा को पहली बार उसके घर में चोदा पढ़िए पूरी सत्य घटना चुदाई की !
खेती के कुछ जरुरी काम से अभी दिसंबर माह में गाँव जाना हुआ भयंकर ठंडी पड़ रही 14 दिसंबर को दोपहर में 3 बजे अकेले ही गाँव पहुंच गया खाना खाने के बाद छत में चढ़ गया और निशा के घर की तरफ देखा तो निशा दिखाई नहीं दी तो मैं निशा को तलासने लगा पर नहीं दिखी तो छत नीचे आ गया निशा के घर में सामने गया तो हरखू की माँ मिली उससे हाल चाल पूछने लगा तो पता चला की हरखू और निशा दोनो गंगा स्नान के लिए गए हुए है आज साम वाली रेल से आ जायेगे मन ही मन खुस हो गया की चलो कल से निशा मिल जाएगी चोदने लिए ! इसी आशा के साथ रात निकाल दिया 9 बजे सुबह उठा तब भी खूब कोहरा गिर रहा था फिर भी निशा का दीदार करने के लिए बाहर साल ओढ़कर घूमने लगा पर निशा दिखाई नहीं दी तब 10 बजे छत पर चढ़ गया तब देखा की निशा कुछ काम कर रही थी पर उसने मुझे नहीं देखा तो एक छोटा सा पत्थर निशा के पास उछाल दिया तो निशा इधर-उधर देखने लगी तब मैंने एक छोटा सा आँवला निशा को निशाना बना कर फेका जो निशा के टीक सामने गिरा तो निशा मेरे घर की छत की तरफ पलट कर देखि और खुसी उछल पडी और हाथ से इसारा किया की मैं आर ही हु ! तब मैं छत से नीचे उतरा और गेट से कुछ दूर खड़ा हो गया तो देखा की निशा हाथ में लोटा लिए हुए तुवर के खेत की तरफ जा रही थी , मैं भी दुसरी तरफ से जल्दी जल्दी घूमकर तुवर के खेत में घुस गया | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
जिधर निशा थी और जल्दी से निशा के पास पहुंच गया और जाते ही निशा को सीने से लगा लिया और चूमने लगा करीब 10 मिनट तक चूमने और चूचियो को दबाने के बाद निशा बोली ”अब बस भी करिये छोटे ठाकुर” तब मैं निशा पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा तो फिर बोली ” अरे रुकिए अभी मुझे जल्दी जाना है,रात में कर लेंगे” तब मैंने कहा ” रात में कैसे करोगी” तो पूषा ने बताया की ओ (हरखू-निशा) नहीं है घर में गंगा स्नान से नहीं आये वही रुक गए ”सनीचर” तक आयेगे तब तक आप रोज आ जाना घर में तब मैंने कहा की ” ओ बुढ़िया तुम्हारी लड़की तो है न ” तब बोली ”लड़की तो मामा के पास है पढ़ाई कर रही शहर में, और बुढ़िया मेरे कमरे से दूर की कोठरी में सोती है ” तब मैंने कहा ” टीक है पर कितने बजे आउगा” तो बोली ” मैं मिस काल दूंगी 10 बजे तक गाँव में सुनसान हो जाता है ” फिर बोली ”अब जाइए यहाँ से कोई देख न ले ” और मुझसे अलग हो गई और खेत से बाहर आ गई और मैं भी बाहर आ गया और घर चला आया व् रात का इन्तजार करने लगा !बड़ी मुस्किल से दिन कटा रात आई और 10 भी बज गए पर निशा की मिस काल नहीं आई तो मैंने रात के साढ़े 10 बजे फोन किया तो निशा-फुसफुसाते हुए धीरे से बोली ” ये बुढ़िया अभी तक खाँस रही है लगता है जग रही है” तब मैंने निशा को बोला ” मेरे घर आ जाओ” तो निशा बोली ”आपके कुत्ते नोच डालेंगे और गेट में ताला भी लगा है” तब मैंने कहा ”ओ सब चिंता छोड़ दो मैं मैनेज कर लूंगा” तो बोली ” ठीक है मैं आती हु आप गेट खोल दीजिये” तब मैं गया और मेन गेट की चाबी लिया और ताला खोलकर निशा पुआल का बिस्तर जमीन में लगा कर रखा था | वापस आ गया तब भी निशा नहीं आई तब मैंने फिर से फोन किया 15 मिनट बाद तो बोली ”आप आ जाओ बुढ़िया सो गई है” तब मैंने कहा ”ओके” और दबे पाँव निशा के घर पहुंच गया पर इतनी ज्यादा ठंडी थी की ज़रा से देर में ठण्ड में काँपने लगा ! निशा घर दरवाजे खड़ी मिली जैसे ही अंदर हुआ दरवाजा लगा लिया और मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई !निशा के कमरे में पहली बार मैं घुसा हु , अभी तक जितने बार चोदा खेत में ही चोदा पहली बार निशा को उसके घर में चोदने जा रहा हु ! निशा के कच्चे मकान में छोटा सा कमरा है ! भयंकर ठंडी से बचने के लिए धान के पुआल को जमीन पर बिछा रखा था उसी के ऊपर एक पतला से गद्दा किन्तु गद्दे केऊपर चादर नई नई डली हुई थी तकिया में खोल था रजाई तो बिना कवर के थी जिसके सिरहाने पर ज्यादा ही मैली थी तेल लगे थे ! कमरे के अंदर घुसते ही निशा ने कमरे का दरवाजा लगा लिया और बल्व में ऊपर एक कपड़ा फेक दिया मोटा सा जिससे कमरे में उजाला कम हो गया ! तब तक मैं खड़ा ही रहा तो निशा हाथ पकड़ कर बिठाई और लिपट गई मेरे से मैं भी निशा को अपने मजबूत बाहों में भर कर चूमने लगा मेरी सारी ठंडी अचानक गायब हो गई ! आप लोग यह कहानी गुरु मस्तराम डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | निशा को बाहो में भरते हुए निशा का ब्लाउज और ब्रा का हुक खोल दिया और चुचियो को दबाने लगा और होठो को चूसने लगा निशा भी मेरे होठो को ऐसे चूसने लगी जैसे वर्षो से प्यासी हो, ऐसी लिपटी जैसे नागिन नाग के जिस्म से लिपट जाती है ! क्योकि निशा से एक साल के बाद मिल रहा हु,निशा चुदाई के लिए तड़प रही है क्योकि हरखू में ओ दम नहीं की निशा की जिस्मानी माग की पूर्ति कर सके ! धीरे से निशा को लेकर लेकर लेट गया और रजाई से ढक लिया निशा को और चूची दबाने लगा और एक हाथ को जांघो में घुमाने लगा इधर निशा मेरे बनियान ,स्वेटर के नीचे हाथ घुसा कर सीने पर हाथ घुमाने लगी सीने के बालो से खेलने लगी मैंने धीरे से निशा के जांघो से हाथ घुमाते हुए बुर के पास ले गया और बुर को सहलाते सहलाते धीरे से बुर के छेद के मुहाने में बीच की बड़ी वाली ऊँगली से अंदर की सतह पर घुमाने लगा तो निशा अपनी आँखों को बंद कर लिया और दाँतों को आपस में घिसते हुए होठो को चबाने लगी और मेरे सीने से हाथ हटकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया और गोल गोल अनडुओ को खिलाने लगी मैं समझ गया अब निशा चुदाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है मैंने निशा की चूची की निप्पल को छुआ तो ओ एकदम से अंगूर के माफिक टाइट और रसीली हो चुकी थी मैंने बिना देरी किये अंगूर को जीभ से चखने लगा और टाइट निप्पल पर जीभ को घुमाने लगा और एक हाथ से निशा के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और साडी सहित पेटीकोट को खिसकाने लगा तो निशा अपने चिकने चूतडो को उठा लिया | आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तो मैंने निशा को नंगी कर दिया और अपने भी चढ्ढी बनियान, लोवर उतार दिया और निशा का ब्लाउज ब्रा भी निशा के तपते हुए सेक्सी वदन से अलग कर दिया और उठकर रजाई के नीचे निशा की बुर को चाटने लगा मुस्किल से एक मिनट ही बुर चाटने के बाद ही निशा भाभी मेरे मुह पर हाथ रखने लगी अपनी बुर को हाथ दबाने लगी हाथ को सर को पकड़ कर अपनी तरफ खीचने लगी तब मैं निशा के ऊपर चढ़ गया और लण्ड को एक ही झटके में बुर में डाल दिया , जैसे ही लण्ड घुसा निशा ने अपने दोनों हाथो के मेरे पीठ पर रखा और कस कर पकड़ लिया और मेरे होठो को,गालों को ,जीभ को लाली पाप की तरह चूसने लगी तो मैंने लण्ड के धीरे धीरे झटके मारने सुरु कर दिया तो निशा ने अपने दोनों हाथो को मेरे नितम्बो पर लगाकर आगे पीछे करने में सहयोग करने लगी और साथ साथ मुझे चूमते भी जाती मैं भी निशा को चूमता जाता और झटके पर झटके मारता जाता निशा के मुह से धीरे धीरे उ उ उ उ उ उ अहहः आअह्ह आअह्ह आअह्ह उउउस्स्स् म्द्पोजुक्न्मोफ़्वेओइझ्र्व कुछ भी अजीब टाइप निकालने लगी मैं समझ गया निशा अंतिम दौर में पहुंच चुकी है और निशा मेरे नितम्बो को जल्दी जल्दी आगे पीछे करने लगी अपने हाथो से और मैं भी रजाई के अंदर पूरी ताकत से निशा की बुर में झटके मारता रहा और फिर ये क्या निशा ने मेरे नितम्बो से अपना हाथ हटा कर इतनी जोर से कस कर पकड़ा की मेरे नितम्ब का आगे पीछे करने में रूकावट आने;लगी तब मैं समझ गया की निशा स्खलित हो चुकी है पर मैं स्खलन से काफी दूर हु अभी ,वियाग्रा और शिलाजीत के दोहरे प्रभाव से मेरी स्तम्भक (ज्यादा देर तक चोदने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हुई है) क्षमता बहुत ज्यादा हो गई है ! निशा मुझे चिपकी हुई थी और मेरा टाइट लण्ड निशा की चूत में अभी भी घुसा हुआ था निशा बोली ” का हुआ निपटे नहीं का” तब मैंने कहा ”कहा निपटा धोखा दे दिया तुमने” तो मेरे गालों पर चिमटी लेते हुए बोली ”क्यों ठकुराइन साहब भी धोखा देती क्या ” तब मैं निशा के गोरे गोरे लाल लाल गालो को दांत से हलके से काट लिया और बोला ”अब इस समय तुम्ही ठकुराईन हो” और इस तरह से बातें करते करते ध्यान बट गया और लण्ड को बाहर निकाल लिया और निशा से बातें करने लगा हँसी ठिठोली करते करते 30 मिनट से ज्यादा हो गए तो निशा की चूची की निप्पल फिर से टाइट पड़ गई तो मेरे लण्ड में फिर से तूफ़ान आ गया ! पर इस बार निशा ज्यादा समय लेगी ये सोच कर लण्ड की सुपाड़े को नंगा किये बिना कंडोम चढ़ा लिया और फिर सांड की माफिक चढ़ गया निशा के ऊपर और फिर दे दना दन दे दना दन सुरु हो गया और लगातार एक एक ही पोजीसन में 10 मिनट तक निशा की चुदाई किया और रात भर निशा के पास ही लेटा रहा और सुबह 5 बजे उठकर अपने घर आ गया ! इस तरह लगातार रोज रात में निशा के घर घुस जाता और तबियत से चुदाई करता ! निशा बहुत मजा देती चुदाने में ! तो दोस्तों आगे फिर जल्दी ही एक और घटना आप लोगो को बताऊंगा जो निशा की मामा की लड़की की चुदाई की थी मैंने तब तक मेरी पिछली कहानी की तरह इस कहानी को भी अपनी प्रतिक्रियाये जरुर दे |